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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
शासन की सख्त निगरानी में किसानों को खाद वितरण
रायपुर/शौर्यपथ /खरीफ सीजन की तैयारी के तहत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के किसानों को आवश्यक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं। विभिन्न जिलों में यूरिया, डीएपी, एनपीके, एसएसपी और पोटाश जैसे प्रमुख उर्वरकों का पर्याप्त भंडारण किया गया है तथा प्रशासन की सतत निगरानी में इनका वितरण भी किया जा रहा है।
सरगुजा जिले से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 14,791 क्विंटल उर्वरकों का भंडारण किया गया है, जिसमें से 12,893 क्विंटल खाद किसानों को वितरित की जा चुकी है। शेष 1,898 क्विंटल खाद भंडारण में उपलब्ध है, जिसे किसानों की मांग के अनुरूप वितरित की जा रही है। यूरिया की 7,862 क्विंटल मात्रा में से 6,884 क्विंटल वितरण किया गया है और 978 क्विंटल शेष है। डीएपी का 1,276 क्विंटल भंडारण में था, जिसमें से 1,092 क्विंटल किसानों को प्रदान किया गया और 184 क्विंटल अभी भी उपलब्ध है। एनपीके की 4,066 क्विंटल मात्रा में से 3,815 क्विंटल का वितरण हो चुका है और 251 क्विंटल शेष है। एसएसपी के 811 क्विंटल में से 537 क्विंटल वितरित किए गए हैं तथा 274 क्विंटल शेष हैं। वहीं पोटाश की 776 क्विंटल मात्रा में से 565 क्विंटल का वितरण हो चुका है और 211 क्विंटल अब भी भंडारण में मौजूद हैं।
सरगुजा जिले के कलेक्टर ने खाद वितरण व्यवस्था की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया है कि किसानों को समय पर, पारदर्शी और व्यवस्थित ढंग से खाद उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी सहकारी समिति अथवा विक्रेताओं द्वारा अनावश्यक भंडारण या कालाबाजारी की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले के विभिन्न विकासखंडों में उर्वरक वितरण की निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं, जो भंडारण केंद्रों और विक्रय समितियों का औचक निरीक्षण करेंगी। शासन का उद्देश्य है कि प्रदेश के सभी कृषकों को आवश्यक उर्वरक समयबद्ध और उचित दर पर उपलब्ध हों, जिससे खरीफ सीजन की बुआई और उत्पादन में कोई रुकावट न आए।
स्कूलों को मिले नए शिक्षक, पढ़ाई में आई रफ्तार
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ शासन की युक्तियुक्तकरण नीति से ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के तीन प्राथमिक शालाओं अमोदी, बस्ती पारा और डोभट्टी में वर्षों से एकल शिक्षक व्यवस्था के कारण बाधित हो रही पढ़ाई को अब नए शिक्षकों की नियुक्ति से नई दिशा मिल गई है। गांववासियों और प्रधानपाठकों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह पहल बच्चों के भविष्य को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित होगी।
इन स्कूलों में अब बच्चों की हँसी, किताबों की सरसराहट और शिक्षक की आवाज़ फिर से सुनाई देने लगी है। पहले जहां एक शिक्षक को ही सभी कक्षाओं का बोझ उठाना पड़ता था, अब दो-दो शिक्षकों की व्यवस्था से शिक्षण प्रक्रिया संतुलित और प्रभावी हो गई है।
शिक्षकों की नियुक्ति बनी उम्मीद की किरण
प्राथमिक शाला डोभट्टी के प्रधानपाठक श्री बंजारे बताते हैं, पहले अकेले सभी कक्षाओं को संभालना कठिन था। अब दूसरे शिक्षक की नियुक्ति से बच्चों को सही मार्गदर्शन मिल रहा है और उनकी पढ़ाई में रूचि भी बढ़ी है। अमोदी-बस्ती पारा प्राथमिक शाला के प्रधानपाठक श्री घनश्याम साहू ने बताया कि नए शिक्षक के आने से विद्यालय में ऊर्जा का संचार हुआ है। बच्चों के स्तर में सुधार हो रहा है और अभिभावक भी अब पढ़ाई को लेकर अधिक उत्साहित हैं।
शिक्षा का केंद्र बनते जा रहे गांव के स्कूल
अब ये स्कूल सिर्फ भवन नहीं, बल्कि गाँव के बच्चों के लिए उज्ज्वल भविष्य की नींव बनते जा रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और अभिभावक भी शासन की इस पहल से संतुष्ट हैं।
रायपुर /शौर्यपथ /राज्यपाल रमेन डेका ने प्रेस अधिकारी श्रीमती हर्षा पौराणिक और सहायक लेखाधिकारी श्री मनीष पाण्डेय के स्थानांतरण पर उन्हें नये दायित्वों तथा उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
राज्यपाल ने कहा कि शासकीय सेवा के दौरान स्थानांतरण एक प्रक्रिया है जिससे हर शासकीय सेवक को गुजरना पड़ता है। जहां भी कार्य करें अपना सर्वश्रेष्ठ दें। शासकीय दायित्वों के साथ अपने परिवार को भी समय दें।
राज्यपाल के सचिव डॉ. सी.आर प्रसन्ना ने कहा कि आज सोशल मीडिया के दौर में जनसंपर्क का कार्य एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। साथ ही राजभवन के लेखाजोखा का कार्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोनों अधिकारियों द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन कुशलता पूर्वक किया गया। उन्होंने नये दायित्वों के लिए दोनों को बधाई दी।
इस अवसर पर राज्यपाल के विधिक सलाहकार श्री भीष्म प्रसाद पाण्डेय, उप सचिव श्रीमती हिना अनिमेष नेताम सहित राजभवन के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ वन विभाग का संकल्प परंपरागत ज्ञान और कानूनी अधिकारों के समन्वय से सतत वन प्रबंधन
रायपुर /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ वन विभाग ने अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों प्रकार के वन संसाधन अधिकारों की मान्यता एवं वितरण में देश के अग्रणी राज्यों में रहते हुए सक्रिय, सकारात्मक और सराहनीय भूमिका निभाई है। अब तक प्रदेश में 4,78,641 व्यक्तिगत अधिकार तथा 4,349 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं, जिससे कुल 20,06,224 हेक्टेयर क्षेत्र पर कानूनी अधिकार प्रदान कर लाखों वनवासी परिवारों को सशक्त बनाया गया है। यह उपलब्धि प्रदेश की प्रशासनिक प्रतिबद्धता, पारदर्शिता और सतत विकास के प्रति दृढ़ निष्ठा का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
वन विभाग द्वारा सीएफआरआर क्रियान्वयन के दौरान मॉड्यूल प्रबंधन योजनाओं और दिशा-निर्देशों के अभाव में फील्ड अधिकारियों को केवल एक परामर्श जारी किया गया था, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सामुदायिक प्रबंधन योजनाएं राष्ट्रीय वर्किंग प्लान कोड, 2023 से वैज्ञानिक रूप से समन्वित हों। इस परामर्श की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि बिना स्पष्ट ढांचे के फील्ड स्तर पर क्रियान्वयन में असंगति उत्पन्न हो रही थी, जिससे भविष्य में वनों की पारिस्थितिकी के क्षतिग्रस्त होने, स्वीकृत कार्य योजनाओं से टकराव और समुदाय तथा विभागीय विवाद जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका थी। कुछ संस्थाओं एवं ग्राम सभाओं द्वारा इसे अधिकार सीमित करने के प्रयास के रूप में देखा गया, जबकि वास्तव में विभाग का उद्देश्य केवल पारदर्शी, टिकाऊ और कानूनी रूप से मजबूत प्रबंधन की पूर्व तैयारी करना था।
दिनांक 15.05.2025 को कार्यालय से जारी पत्र केवल एक अंतरिम प्रक्रिया-संबंधी व्यवस्था थी, जिसमें उल्लेख किया गया था कि मॉडल योजना जारी होने तक केवल स्वीकृत योजनाएं ही लागू की जाएं। इस पत्र में एक टंकण त्रुटि के कारण वन विभाग को ‘नोडल एजेंसी’ लिखा गया था, जबकि वास्तविक शब्द ‘समन्वयक’ था। इस त्रुटि को 23.06.2025 के परिपत्र से विधिवत सुधार दिया गया। उक्त पत्र तथा स्पष्टीकरण के कारण उत्पन्न भ्रम को दृष्टिगत रखते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप के निर्देशानुसार दोनों पत्रों को दिनांक 03.07.2025 को वापस ले लिया गया है।
सीएफआरआर क्रियान्वयन को और सुदृढ़ बनाने हेतु छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को औपचारिक अनुरोध भेजे गए हैं, जिनमें अनुरोध किया गया है कि राष्ट्रीय वर्किंग प्लान कोड, 2023 के अनुरूप मॉडल सामुदायिक प्रबंधन योजनाएं तथा विस्तृत क्रियान्वयन दिशा-निर्देश जल्द से जल्द जारी किए जाएं एवं ग्राम सभा प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारकों के लिए समग्र प्रशिक्षण मॉड्यूल / हैंडबुक प्रकाशित की जाए।
छत्तीसगढ़ वन विभाग यह स्पष्ट करता है कि सीएफआरआर का क्रियान्वयन प्रदेश में पूरी पारदर्शिता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं सहभागिता के साथ किया गया है तथा आगे भी परंपरागत ज्ञान को सम्मान देते हुए सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया जाता रहेगा।
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज शाम उनके रायपुर स्थित निवास कार्यालय में यादव समाज के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। यह प्रतिनिधिमंडल विधायक गजेंद्र यादव के नेतृत्व में पहुंचा था।
मुख्यमंत्री साय से मुलाकात के दौरान प्रतिनिधियों के साथ समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री साय ने समाज की एकता, सहयोग और प्रगति की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और विश्वास दिलाया कि राज्य सरकार समाज के विकास में हरसंभव मदद करेगी।
इस अवसर पर प्रतिनिधि मंडल में महापौर राजनांदगांव मधुसूदन यादव तथा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से यादव समाज के पदाधिकारी माधव लाल यादव, बोधन यादव, गुलेंद्र यादव , देवेंद्र यादव, परमानंद यादव, जगमोहन लाल यादव, श्री खेमराज यादव आदि शामिल रहे।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से उनके निवास कार्यालय में पंथी नृत्य दल ने सौजन्य मुलाकात की। पंथी नृत्य दल के सदस्यों ने बताया कि वे 13 से 24 फरवरी 2025 तक मिस्र (इजिप्ट) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। मुख्यमंत्री साय ने पंथी नृत्य दल के सभी कलाकारों को अपने कला-प्रदर्शन के माध्यम से विदेश की धरती पर छत्तीसगढ़ की माटी की सुगंध बिखेरने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर विधायक श्री खुशवंत सिंह साहेब उपस्थित थे।
एनपीके और एसएसपी उर्वरकों के लक्ष्य में 4.62 लाख मेट्रिक टन की बढ़ोत्तरी
मुख्यमंत्री ने कहा किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं
चालू खरीफ सीजन में अब 17.18 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य
रायपुर/शौर्यपथ/देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में राज्य में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित होने का वैकल्पिक मार्ग छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाल लिया है। किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है। डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों के माध्यम सुनिश्चित की जा रही है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके (20ः20ः013) और एनपीके (12ः32ः13) के वितरण लक्ष्य में 3.10 लाख मेट्रिक टन तथा एसएसपी के वितरण लक्ष्य में 1.80 लाख मेट्रिक टन की वृद्धि करने के साथ ही इसके भण्डारण एवं वितरण की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की है। एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य में वृद्धि होने के कारण चालू खरीफ सीजन में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मेट्रिक टन से 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे-एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि चालू खरीफ सीजन में 14.62 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसमें यूरिया 7.12 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 3.10 लाख मेट्रिक टन, एनपीके 1.80 लाख मेट्रिक टन, एमओपी 60 हजार मेट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मेट्रिक टन शामिल था। डीएपी के कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने इस लक्ष्य को संशोधित किया है। डीएपी की आपूर्ति की कमी चलते इसके लक्ष्य को 3.10 लाख मेट्रिक टन से कमकर 1.03 लाख मेट्रिक टन किया गया है, जबकि एनपीके के 1.80 लाख मेट्रिक टन के लक्ष्य को बढ़ाकर 4.90 लाख मेट्रिक टन और एसएसपी के 2 लाख मेट्रिक टन को बढ़ाकर 3.53 लाख मेट्रिक टन कर दिया गया है। यूरिया और एमओपी के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को यथावत् रखा गया है। इस संशोधित लक्ष्य के चलते रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा 14.62 लाख मेट्रिक टन से बढ़कर अब 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गई है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की कमी को अन्य उर्वरकों के निर्धारित मात्रा का उपयोग कर पूरी की जा सकती है और फसल उत्पादन बेहतर किया जा सकता है। फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश सहित मात्रा में मिले तो उपज में कोई कमी नहीं आती है। डीएपी की कमी को देखते हुए किसानों को अन्य फॉस्फेट खादों के उपयोग की सलाह दी है। डीएपी के प्रत्येक बोरी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है। इसके विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग करने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्सियम, नाइट्रोजन और सल्फर मिल जाता है। एसएसपी उर्वरक पौधों की वृद्धि के साथ-साथ जड़ों के विकास में भी सहायक है, इसके उपयोग से फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान जैव उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीफ-2025 में किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 12.13 लाख मेट्रिक टन उर्वरकों का भण्डारण कराया गया है, जिसमें से 7.29 लाख मेट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है। राज्य में वर्तमान में सहकारी और निजी क्षेत्र में 4.84 लाख मेट्रिक टन खाद वितरण हेतु उपलब्ध है।
छत्तीसगढ़ में जीएसटी कलेक्शन में ऐतिहासिक बढ़त: 18% वृद्धि दर के साथ देश में अव्वल
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय स्थित महानदी भवन में वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने विभाग के कार्यों एवं राजस्व संग्रहण की विस्तार से जानकारी प्राप्त की और कर संग्रहण बढ़ाने के उपायों पर कार्य करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कर की राशि का उपयोग देश और प्रदेश के विकास कार्यों में होता है, इसलिए सभी को ईमानदारी पूर्वक कर अदा करना चाहिए। साय ने कहा कि जो लोग कर (जीएसटी) की चोरी करते हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए तथा उनसे कर की वसूली सुनिश्चित की जाए। बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य को जीएसटी एवं वैट से कुल 23,448 करोड़ रुपये का कर राजस्व प्राप्त हुआ, जो राज्य के कुल कर राजस्व का 38% है। छत्तीसगढ़ ने 18% की जीएसटी वृद्धि दर हासिल की है, जो देश में सर्वाधिक है।
बैठक में वित्त एवं वाणिज्यिक कर (जीएसटी) मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने विभागीय जानकारी साझा की। मुख्यमंत्री साय ने जीएसटी संग्रहण हेतु विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि आगे भी नियमों के अनुरूप संग्रहण बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ कर अपवंचन के मामलों एवं उनसे निपटने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की।
मुख्यमंत्री साय ने फर्जी बिल, दोहरी बहीखाता प्रणाली और गलत टैक्स दरों का उपयोग कर अनुचित लाभ लेने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग की नवाचारी पहलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जीएसटी पंजीकरण की औसत समय सीमा को 13 दिन से घटाकर 2 दिन कर दिया गया है।
बैठक में अधिकारियों ने जीएसटी विभाग द्वारा हाल ही में की गई बड़ी कार्रवाइयों एवं कर चोरी की राशि की वसूली की जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि विभाग द्वारा की गई कार्रवाइयों से शासन के कर राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी 33 जिलों में जीएसटी कार्यालय स्थापित किए गए हैं, जिससे कर संग्रहण एवं जीएसटी से जुड़ी सेवाओं का कार्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ संपादित किया जा रहा है।
बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव मुकेश कुमार बंसल, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत तथा आयुक्त वाणिज्यिक कर पुष्पेंद्र मीणा सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
दुर्ग/शौर्यपथ /(विशेष व्यंग्य रिपोर्ट):
शक्ति नगर तालाब में हजारों मछलियों ने हाल ही में सामूहिक रूप से आत्महत्या कर प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। हालांकि प्रशासन फिलहाल असमंजस में है कि मामला हत्या का है, आत्महत्या का, या फिर मछलियों की कोई वैश्विक साजिश?
बताया जा रहा है कि मछलियों ने तालाब के दूषित होते पानी और बढ़ते रासायनिक अत्याचारों से तंग आकर स्वेच्छा से जीवन त्याग दिया। पर्यावरणविद् इसे जल-जागृति आंदोलन का "मूक" रूप बता रहे हैं, जबकि कुछ वरिष्ठ अधिकारी इस पर विचार कर रहे हैं कि "क्या मछलियाँ मानसिक अवसाद में थीं?"
तालाब के किनारे कुछ बचे-खुचे मछली परिजन फिलहाल अज्ञातवास में हैं। बताया जा रहा है कि वे तालाब के एक कोने में सीसीटीवी कैमरों से बचते हुए छिपे हुए हैं, ताकि कोई उन्हें बुलाकर "मुख्य गवाह" ना बना ले। कुछ मछलियाँ तो अब वकीलों से सलाह ले रही हैं कि क्या मछलियों को भी गवाही से छूट दिलाने वाला कोई धारा लागू होती है या नहीं।
नगर निगम प्रशासन की मानें तो "हमने तो सिर्फ जड़ी-बूटी की दवा डाली थी, मछलियों को क्या हुआ हमें नहीं मालूम।" वहीं विशेषज्ञों की मानें तो यह वही जड़ी-बूटी थी जो पहले खरपतवार को मारती थी, अब मछलियों के आत्मबल को भी समाप्त कर चुकी है।
विपक्ष ने इसे "मछली संहार कांड" का नाम दे दिया है और इस मुद्दे पर बयानबाजी तेज कर दी है, जबकि सत्तापक्ष ने इसे "प्राकृतिक चक्र" कहकर रफा-दफा करने की कोशिश की। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब हिरण आत्महत्या कर सकता है, तो मछलियाँ क्यों नहीं?”—बात में वजन तो था, पर पानी में नहीं।
राजनीति भी इस आत्महत्या पर दो हिस्सों में बंटी हुई है। एक ओर नेता कह रहे हैं:
"हमने कोई दवा नहीं डाली, मछलियाँ खुद ही अवसाद में थीं।"
दूसरी ओर विपक्ष इसका "जल संहार कांड" घोषित कर चुका है और सीधे एसपी ऑफिस जाकर अपनी राजनीति का जाल बिछा चुका है।
विपक्ष ने इसे "मछली संहार कांड" का नाम दे दिया है और इस मुद्दे पर बयानबाजी तेज कर दी है, जबकि सत्तापक्ष ने इसे "प्राकृतिक चक्र" कहकर रफा-दफा करने की कोशिश की। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब हिरण आत्महत्या कर सकता है, तो मछलियाँ क्यों नहीं?”—बात में वजन तो था, पर पानी में नहीं।
जिला प्रशासन ने मामले की जांच का आदेश दिया है और मत्स्य विभाग की एक टीम मौके पर भेज दी गई है। सूत्रों की मानें तो टीम के सदस्य तालाब के आसपास मौन धारण कर चुके जीवों से पूछताछ करने की तैयारी में हैं। हालांकि अभी तक कोई मछली CBI को चुपचाप बयान नहीं दे पाई है।
इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी चुप्पी उस पत्रकार जगत की है, जिनके पास अब सवाल पूछने की जगह, जवाब देने की जिम्मेदारी लाद दी गई है। खबर उठाने पर दबाव इतना गहरा है कि पत्रकारों को भी अब ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ने लगी है।
अंत में हम सब यही कह सकते हैं:
हे मछलियों, तुमने जो त्याग किया है, वह इतिहास के गहरे जल में अमिट रहेगा।
भगवान तुम्हारी मूक आत्माओं को वही शांति दें, जो इस देश की जांच समितियों को हमेशा मिलती रही है।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए व्यंग्यकार लेखक शरद पंसारी लिखते हैं—
“यह देश वही है जहाँ हिरण की मौत पर बहसें होती हैं, पर मछलियों की सामूहिक आत्महत्या बस जांच आदेशों की फाइलों में जल समाधि ले लेती है। शायद इसीलिए इन मछलियों ने इंसानों से पहले इंसानों को ही समझा दिया— अब और नहीं।”
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल और देश के पूर्व रक्षा सचिव श्री शेखर दत्त के निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके असमय निधन पर प्रदेश के प्रमुख नेताओं ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
मुख्यमंत्री साय ने अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हुए कहा—
"पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त जी के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है। वे एक कुशल प्रशासक, संवेदनशील जनसेवक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे। छत्तीसगढ़ के विकास में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं शोकाकुल परिवार को यह दु:ख सहने की शक्ति दे।"
पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त का भारतीय प्रशासनिक सेवा में लंबा और प्रभावशाली कार्यकाल रहा। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में उन्होंने राज्य के सामाजिक, शैक्षणिक और प्रशासनिक विकास में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके निधन को एक युग का अंत माना जा रहा है। प्रदेश में शोक की यह घड़ी राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने शोक संदेश में कहा—
"पूर्व रक्षा सचिव और हमारे छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त जी के निधन समाचार से मन अत्यंत दुखी है। एक मार्गदर्शक और आदर्श बनकर उन्होंने हमेशा मुझे छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा के लिए प्रेरित किया। श्री शेखर दत्त जी का देहांत पूरे छत्तीसगढ़ और राजनीतिक जगत के लिए अत्यंत दुखद है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिवार को यह अपार दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ? शांति।"
नई दिल्ली / एजेंसी / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से आठ दिवसीय पांच देशों की विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं, जिसका उद्देश्य ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत के संबंधों को नई ऊंचाई देना है। यह यात्रा कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इस बहुप्रतीक्षित यात्रा की शुरुआत घाना से होगी, जो कि तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। यह ऐतिहासिक कदम भारत और अफ्रीकी देशों के बीच पुराने सांस्कृतिक, व्यापारिक और विकास साझेदारी को नए आयाम देगा। घाना के बाद प्रधानमंत्री त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा पर जाएंगे, जहां भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या है और संबंधों को सांस्कृतिक और सामरिक दृष्टि से मजबूत बनाने का अवसर मिलेगा।
इसके पश्चात प्रधानमंत्री अर्जेंटीना और नामीबिया जाएंगे, जहां द्विपक्षीय संबंधों के साथ ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, डिजिटल तकनीक और जलवायु सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।
यात्रा का अंतिम पड़ाव ब्राजील होगा, जहां प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस मंच के माध्यम से भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर वैश्विक आर्थिक सुधार, बहुपक्षीय सहयोग और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा।
प्रधानमंत्री की यह यात्रा न केवल भारत की विदेश नीति को और प्रभावशाली बनाएगी, बल्कि वैश्विक मंचों पर भारत की सशक्त उपस्थिति को भी दर्शाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भारतीय भावना को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने का एक सार्थक प्रयास है।
मोहला /शौर्यपथ /जिला कार्यालय मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी के सभा कक्ष में आज कलेक्टर श्रीमती तुलिका प्रजापति द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया गया। जिसके तहत जिले में 1 जुलाई से 7 जुलाई 2025 तक फसल बीमा सप्ताह मनाया जाएगा।
यह योजना भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनुमोदित है। खरीफ 2025 मौसम हेतु जिले की अधिसूचित फसलें हैं – धान (सिंचित व असिंचित), मक्का, उड़द, अरहर, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, कोदो, कुटकी एवं रागी। योजना के अंतर्गत कृषकों को केवल बीमांकित राशि का अधिकतम 2 प्रतिशत प्रीमियम देना होगा, शेष राशि केंद्र व राज्य सरकार वहन करेगी। यह बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, जलभराव, आकाशीय बिजली, चक्रवात, असमय वर्षा, बुवाई विफलता, एवं कम उपज की स्थिति में किसानों को सुरक्षा प्रदान करती है।
बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है। ऋणी कृषकों का बीमा संबंधित ऋणदाता संस्था द्वारा किया जाएगा जबकि गैर-ऋणी कृषक बैंक, कोऑपरेटिव, लोक सेवा केंद्र, पोस्ट ऑफिस, एजेंट, या फसल बीमा पोर्टल एवं ऐप के माध्यम से बीमा करा सकते हैं। गैर-ऋणी कृषकों के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक एवं फसल बुवाई से संबंधित दस्तावेज आवश्यक होंगे। ऋणी किसान योजना से बाहर होना चाहें तो निर्धारित घोषणा पत्र अंतिम तिथि से 7 दिन पूर्व अपनी बैंक शाखा में जमा करना अनिवार्य होगा। सभी कृषकों से अनुरोध है कि फसल बीमा का लाभ उठाते हुए अपनी खेती को सुरक्षित करें एवं अपने बैंक खाते को PFMS पोर्टल से सत्यापित अथवा आधार से लिंक कराना सुनिश्चित करें, ताकि दावा भुगतान में कोई बाधा न हो।
इस दौरान वनमण्डलाधिकारी श्री दिनेश पटेल, जिला पंचायत मुख्यकार्यपालन अधिकारी श्रीमती भारती चंद्राकर, अपर कलेक्टर श्री विजेंद्र सिंह पाटले, एसडीएम मोहला श्री हेमेंद्र भुआर्य, सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
जुलाई के 20 तारीख के भीतर कर्मियो का ग्रेच्युटी राशि का चेक सौंपा जाएगा:
उपादान की राशि की समीक्षा कर कर्मचारियो को उपादान राशि जल्द पूरा कर देने निर्देश:
दुर्ग/ शौर्यपथ /नगर पालिक निगम महापौर श्रीमती अलका बाघमार के मार्गदर्शन में वित्त लेखा व अंकेक्षण विभाग प्रभारी नरेंद्र बंजारे ने अपने एमआईसी भवन के कक्ष में विभाग समिति की बैठक में लेखा व अंकेक्षण विभाग प्रभारी नरेंद्र बंजारे ने समिति के सदस्यों व अधिकारियों के साथ प्रभारी श्री बंजारे ने उपादान की राशि की समीक्षा कर अधिकारियों से कहा की उपादान राशि को लेकर सूची का अवलोकन किये,
उन्होंने सूची जांच करने के बाद अधिकारी से कहाँ सूची अंतर्गत जितने भी नाम दर्ज है सभी का जल्द उपादान की राशि किस्तों में भुगतान करें।
साथ ही उन्होंने डिटिजल रिकार्ड हेतु भी कहा। उन्होंने बैठक में निगम समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि बजट से संबंधित अपना दस्तावेज लेखा/वित्त में जमा करे। समीक्षा बैठक के मौके पर विजयंत पटेल, मनीष बघेल, संजय अग्रवाल,खालिक रिजवी , श्रीमति सावित्री देवी दमोहे, मनोज सोनी, साजन जोसेफ, श्रीमति हिरोंदी नंदनिया, लेखाधिकारी रमाकांत शर्मा, योगेंद्र वर्मा सहित अन्य मौजुद रहे।
लेखा व अंकेक्षण विभाग प्रभारी प्रभारी नरेंद्र बंजारे ने बताया कि महापौर अल्का बाघमार सहित सभापति श्याम शर्मा के अलावा एमआईसी पार्षदो ओर अधिकारियों के बीच 80% कर्मियो का ग्रेच्युटी राशि का चेक सौंपा जाएगा।उन्होंने बताया इसी माह जुलाई के 20 तारीख के भीतर कर्मियो का ग्रेच्युटी राशि का चेक सौंपा जाएगा।
श्री बंजारे ने कहा ग्रेच्युटी का भुगतान उन कर्मियों का लंबित रह गया था,नियमित किए गए। इसमें दैनिक वेतन से नियमित होने के पीरियड की ग्रेच्युटी का भुगतान करने की जिम्मेदारी ली गई।ऊन्होने बताया कि लंबित भुगतान की राशि बढ़कर करीब 8 करोड़ पहुंच गई।लंबित ग्रेच्युटी भुगतान करने का निर्णय लिया। इसके लिए 300 पात्र कर्मचारियों की सूची जारी की। इन कर्मचारियों को 8 करोड़ से ज्यादा भुगतान का प्रावधान किया गया है।भुगतान की प्रक्रिया निरन्तर विभाग द्वारा कार्रवाही किया जा रहा है है।