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रायपुर / शौर्यपथ / वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने कहा की केंद्र सरकार के स्व-केंद्रित व्यवहार से देश को भारी नुकसान हो रहा है। अतः उन्होने लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिख कर “सर्वदलीय उच्च स्तरीय संसदीय कमेटी” बनाए जाने की मांग की है। जो लाक डाउन की हुई अचानक घोषणा व उससे देश में मची अव्यवस्था से बचा जा सकता था क्या? पर विचार कर रिपोर्ट देगी तथा अब विषम स्थिति में पहुंच चुके देश को आगे क्या करना चाहिये? के संदर्भ में अपनी अनुशंषाऐं देगी।
बिस्सा ने लोकसभा अध्यक्ष को प्रेषित अपने पत्र में कहा की प्रधानमंत्री जी 24 मार्च की रात को 8:00 बजे टीवी पर आते हैं और घोषित करते हैं कि रात 12:00 बजे से लाक डाउन रहेगा। लाक डाउन के इस तरीके से देश में सर्वत्र अव्यवस्था कायम हो गई और प्रत्येक नागरिक असहाय हो गया। जबकि करोना संकट की गंभीरता के बारे में 30 जनवरी से ही सभी को ज्ञात हो गया था। अतः 10 मार्च होली मिलन के आयोजनों को भी सभी ने स्वमेव ही रद्द कर दिया था। लेकिन केंद्र सरकार को समझ नहीं आया क्योंकि उसने अपने को स्व-केंद्रित कर दिया है।
बिस्सा ने कहा की केंद्र सरकार को 1 मार्च को ही घोषणा करना चाहिए थी कि 25 मार्च से लाक डाउन लागू होगा जिसके लंबे अवधि तक चलने की संभावना है, अतः सभी अपने को तदनुसार व्यवस्थित कर लेवें। ऐसी घोषणा से सभी अपने आप को व्यवस्थित कर लेते।
अचानक घोषणा से देश में भयंकर अव्यवस्था कायम हुई। देश में अफरा-तफरी फैल गई है। घोषणा के बाद अगर समय मिलता तो मजदूर, कामगार अपने नियोक्ताओं से हिसाब करके पैसे ले सकते थे और शांतिपूर्वक घर लौट सकते थे। मजदूर, कामगारों को आवश्यकता अनुसार फैक्ट्री मालिक या ठेकेदार आवासीय व भोजन व्यवस्था का प्रबंध भी कर सकते थे।
बिस्सा ने कहा कि करोड़ों मजदूर स्वयं की मेहनत की कमाई का पैसा छोड़कर बिना हिसाब किए बदहाली में अपने घर लौट रहे हैं। इसका जवाबदार कौन है? यह तय होना चाहिये। उन्होने कहा की इस विषय पर सर्वदलीय संसदीय कमेटी के सुझावों से प्रधानमंत्री जी की इस प्रवृत्ति पर भी रोक लगेगी की रात को अचानक टीवी पर आओ और घोषणा कर दो कि रात को 12:00 बजे के बाद सब बंद।
बिस्सा ने मांग की है कि देश की सड़कों पर बदहाल अपने घर जाते प्रत्येक नागरिक को कोरोना आपदा से पीड़ित माना जाना चाहिए। तथा उन्हें केंद्र सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाना चाहिए।
दुर्ग / शौर्यपथ / कोराना संकट के चलते विभिन्न वाहनों से घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों का मदद करने आज जिला भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा अंजोरा बायपास के मुंबई हावड़ा राजमार्ग हाईवे पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व राज्य सभा सांसद सुश्री सरोज पांडेय की प्रमुख उपस्थिति मे बिस्किट नूडल्स चना मुर्रा व पानी पाऊच आदि आवश्यक सूखा अल्पाहार सामग्री व बच्चो को चप्पल बांट कर राहत प्रदान किया गया इस अवसर पर जिला भाजपा अध्यक्ष उषा टावरी निगम के पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर जिला भाजयुमो अध्यक्ष दिनेश देवांगन अंजोरा मण्डल भाजपा अध्यक्ष गिरेश साहू,दिनेश देशमुख सहित भाजयुमो पदाधिकारि व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
कोरोना संक्रमण रोकने लॉक डाउन के कारण विभिन्न प्रदेशों के महानगरों में कमाने खाने गए मजदूरों की घर वापसी के दौरान उन्हें सेवा उपलब्ध कराने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अपील को मूलमंत्र मानकर युवा मोर्चा पदाधिकारियों ने आज जिला भाजयुमो अध्यक्ष दिनेश देवांगन के जन्म दिन पर अपने स्वयं के संसाधनों से बिस्किट,नमकीन चना मुर्रा व पानी पाऊच जैसे अल्पाहार सामग्री एकत्र कर कड़ी धूप में सुबह 11 बजे से अंजोरा बायपास पहुंचकर बस,ट्रक,हाईवा,ट्रेलर जैसे विभिन्न भारी वाहनों व अन्य साधनों में महाराष्ट्र,तेलंगाना,आंध्रप्रदेश आदि राज्यो से होकर अपने जिला व प्रदेश लौट रहे श्रमिको को खाने पीने का सामान वितरित किया इस अवसर पर भाजपा राष्ट्रीय महासचिव सुश्री सरोज पांडेय स्वयं सेवा स्थल पहुंचकर भाजयुमो द्वारा की जा रही सेवा कार्य को रचनात्मक बताते हुए इस पुनीत कार्य में शामिल होकर अपने हाथो से अल्पाहार सामग्री बांटकर कर प्रवासी मजदूरों के छोटे बच्चो को चप्पल प्रदान किया इस अवसर पर भाजपा राष्ट्रीय महासचिव सुश्री सरोज पांडेय ने सभी मजदूर यात्रियों के सकुशल घर पहुंचने की कामना करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा उनके जीवन की चिंता करते हुए उनके सकुशल घर वापसी के लिए की जा रही प्रयासों की जानकारी देते हुए उनसे जान व जहान को सुरक्षित रखने घर पहुंचकर चिकित्सको के बताए निर्देशों का पालन करने की अपील किया .
उल्लेखनीय है कि हमारे प्रदेश सहित विभिन्न राज्यो से अन्य बड़े महानगरों में रोजी रोटी कमाने गए श्रमिक अब लम्बी अवधी के लॉक डाउन व आर्थिक तंगी के कारण विपरित परिस्थितियों तथा बेहद तंगहाल अवस्था में है और अब लम्बी दूरी तय कर अपने गंतव्य की ओर जा रहे है ऐसे श्रमवीरो का हौसला अफजाई कर उनके श्रमशक्ति की सराहना करते हुए जिला भाजयुमो अध्यक्ष दिनेश देवांगन के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने आज का दिन इन प्रवासी के सेवा के रूप में बिताया इस अवसर पर प्रवासी मजदूरों ने भाजयुमो द्वारा की जा रही सेवा कार्य की सराहना करते हुए इस पुनीत कार्य के लिए कृतज्ञता प्रकट किया ।
प्रवासी मजदूरों को अल्पाहार सामग्री वितरित करने वालों में जिला भाजयुमो उपाध्यक्ष राहुल पंडित,जिला मंत्री राहुल दीवान,प्रचार मंत्री राजा महोबिया,सोशल मीडिया संयोजक उत्तम साहू,गौरव शर्मा,स्वच्छता संयोजक अनुपम मिश्रा,कुलदीप सिंह,मण्डल अध्यक्ष नीलेश अग्रवाल,बंटी चौहान,सुखदेव यादव,तेजराम पारकर,हेमन्त सिन्हा सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।
दुर्ग । शौर्यपथ । मंगलवार को प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से खनिज संस्थान न्यास की बैठक में विधायक अरुण वोरा ने शहर के सर्वांगीण विकास के लिए 4 करोड़ से अधिक की राशि की मांग रखी है। श्री वोरा ने कहा कि कोरोना महामारी के प्रभाव से विकास कार्यों में विराम लग गया था अब शहर में विकास को गति देने के लिए डीएमएफ फंड से राशि स्वीकृत करने की जाए। खनिज न्यास की राशि जल संवर्धन हेतु तालाबों के गहरीकरण, सौंदर्यीकरण, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के उन्नयन व स्कूलों के संधारण में खर्च की जानी चाहिए। उन्होंने प्रभारी मंत्री से शक्ति नगर तालाब के गहरीकरण व सौंदर्यीकरण के लिए 20 लाख, ठगड़ा बांध संवर्धन व आमोद प्रमोद केंद्र के रूप में विकसित करने 2 करोड़, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बघेरा में अतिरिक्त कक्ष निर्माण हेतु 17 लाख, शहीद चंद्रशेखर आजाद उ मा विद्यालय को मॉडल स्कूल बनाने 45 लाख, शनिचरी बाजार में नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने 42 लाख, धमधा रोड स्थित स्वास्थ्य केंद्र के उन्नयन हेतु 54 लाख व लगभग 20 एकड़ के क्षेत्र में नगरीय वन विकसित करने 30 लाख रु की राशि डीएमएफ से स्वीकृत करने की मांग रखी। जिस पर प्रभारी मंत्री अकबर ने सहमति जताई है।
नई दिल्ली / शौर्यपथ / देश में कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा. भारत में कोरोना के केसों की संख्या बढ़कर 96 हजार के पार पहुंच गई है और अब तक 3029 लोगों को इसके कारण जान गंवानी पड़ी है. कोरोना की इस कहर के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने टेस्ट को लेकर अपनी रणनीति में बदलाव किया है. इसके तहत इस बात का खुलासा किया गया है कि किन लोगों के कोरोना टेस्ट किए जाएंगे. आईसीएमआर ने साफ किया कि उन लेागों के टेस्ट किए जाएंगे..
1: जिनमें कोरोना के लक्षण हो और जो पिछले 14 दिनों विदेश से आये हों.
2: जो कनफर्म्ड कोरोना के मरीज़ के संपर्क में आये हों.
3: सभी स्वास्थ्यकर्मी जिनमें लक्षण दिखें/ लक्षण वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स जो कोरोना के कंटेनमेंट जोन में जुड़े हों. (frontline workers नया जोड़ा गया है.)
4: सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस के मरीज़.
5: कोरोना के कनफर्म्ड केस के संपर्क में सीधे संपर्क में आये बिना लक्षण वाले कांटेक्ट जो हाई रिस्क पर हों इनका 5 और 10 दिन के बीच में टेस्ट होगा.(पहले ये टेस्ट 5 और 14 दिन के बीच में करना था जिसे अब 10 दिन किया गया है).
6: Containment zones/hotspots के इन्फ्लुएंजा लाइक इलनेस वाले मरीज़ (ILI).
7: सभी अस्पताल में भर्ती मरीज़ जिनमे ILI के लक्षण हों (नया जोड़ा गया है).
8: ILI के लक्षण वाले सभी प्रवासी या जो दूसरे राज्यों से घर लौटे हों, उनका 7 दिन के अंदर टेस्ट हो. (नया जोड़ा गया है).
9: अस्पताल पहुंचे मरीज़ जिनकी इमरजेंसी हो (डिलीवरी भी अगर है तो) तो टेस्ट की वजह से उनको इलाज का इंतज़ार नहीं करवाया जाए पर कोरोना टेस्ट तभी होगा जब 1-8 नंबर के तहत किसी केटेगरी में वो आते हों.
नोट : SARI : बुखार (100.4 F or 38 C), खांसी और हॉस्पिटलाइजेशन की ज़रूरत जिनको हो.
ILI: बुखार (100.4 F or 38 C) और खांसी इनका RT PCR टेस्ट ही होगा.
देश का महाराष्ट्र राज्य इस समय कोरोना की महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है. यहां केसों की संख्या 33 हजार के पार पहुंच गई है. महाराष्ट्र की राजधानी भी कोरोना की महामारी का 'बड़ा केंद्र' बनी हुई है. दूसरे नंबर पर गुजरात है जहां 11 हजार से अधिक केस सामने आए हैं. दक्षिणी राज्य तमिलनाडु से भी 11224 और देश की राजधानी दिल्ली से 10054 केस अब तक सामने आए हैं.
बिलासपुर / शौर्यपथ / राज्य शासन से प्राप्त निर्देशानुसार जिला चिकित्सालय बिलासपुर को कोविड अस्पताल में परिवर्तित करने का कार्य अत्यंत अल्प समय में उच्च गुणवत्ता मानकों के अनुसार तैयार किया गया है। अस्पताल में इस समय सभी मापदंडों का पालन करते हुए कोरोना संक्रमित 5 मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
100 बिस्तर अस्पताल के प्रथम तल में चार जनरल वार्ड है तथा 10 सिंगल रूम है, जहां अटैच्ड शौचालय है तथा जनरल वार्ड में शौचालयों की पर्याप्त संख्या है। प्रत्येक जनरल वार्ड में 2 शौचालय तथा 2 स्नानागार है। चिकित्सालय 04 वेंटिलेटर सहित पूर्ण रूप से अत्याधुनिक मशीनों एवं उपकरणों से सुसज्जित है। नए आईसीयू बेड, मल्टी पैरा मॉनिटर, सीसीटीव्ही, पेशेंट एड्रेशल सिस्टम, डॉनिंग एवं डॉफिंग जोन, शासन से प्राप्त गाइडलाइन के अनुसार तैयार किया गया है।
अस्पताल की सिविल सर्जन डॉ. मधुलिका सिंह ने बताया कि 15 मई 2020 से आए 5 मरीजों को यहां भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। महिला मरीज सिंगल रूम में है तथा शेष मरीज जनरल वार्ड नंबर 1 प्रथम तल में है, इनके समस्त वाईटल्स सामान्य है एवं उनका गाइडलाइन के अनुसार इलाज किया जा रहा है। वर्तमान में भर्ती मरीजों को स्वच्छ एवं आरामदायक वार्डों में रखा गया है, जहां उन्हें नियमित रूप से चाय, नाश्ता, भोजन प्रदाय किया जा रहा है एवं मनोरंजन हेतु वार्डों में टी.व्ही. डिश केबल के साथ उपलब्ध है। मरीजों को दैनिक उपयोगी की चीजें जैसे ब्रश, टूथपेस्ट, साबुन, चप्पल, पहनने के कपड़े इत्यादि अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रदाय किये गए हैं। अस्पताल प्रशासन द्वारा एक मोबाईल फोन भी रखा गया है जिससे मरीजों के घरवालों से बात कराई जा रही है।
डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में पर्याप्त संख्या में पीपीई किट उपलब्ध हैं तथा प्रत्येक पाली में स्टाफ को नियमानुसार प्रदाय किये जा रहे हैं तथा पाली समाप्त होने पर पीपीई को डॉफिंग जोन में उतारकर दो बार शावर लेने के उपरांत ही गाइडलाइन अनुसार बाहर निकलकर रुकने के स्थान तक जाते हैं।
यहां छः-छः घंटे की चार शिफ्ट में टीम द्वारा ड्यूटी की जा रही है, जिसमें कुल 15 स्वास्थ्यकर्मी (चिकित्सक, स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय तथा सफाईकर्मी शामिल) हैं। इसके अतिरिक्त 2 विशेषज्ञ चिकित्सक ऑन कॉल हैं तथा इन सभी स्टाफ के रहने तथा भोजन हेतु प्रशासन द्वारा सर्व-सुविधायुक्त व्यवस्था की गई है। ये सभी कर्मचारी स्टराईल जोन से पीपीई पहनने के उपरांत ही वार्ड में प्रवेश करते हैं तथा ड्यूटी स्टेशन में लगे हुए सीसीटीवी इत्यादि की मदद से मरीजों की लगातार निगरानी रखते हुए उनका इलाज कर रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर मेडिकल विशेषज्ञ भी सेवाएं दे रहे हैं। अस्पताल में आवश्यक दवाएं तथा अन्य कन्स्यूमेबल्स पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। एस.टी.पी.बनाने का कार्य भी अत्यंत तीव्र गति से कराया जा रहा है, जिसके शीघ्र ही पूर्ण होने की संभावना है। वर्तमान में पानी उपचारित करने हेतु हाइपो क्लोराइट साल्यूशन का उपयोग किया जा रहा है।
कोविड अस्पताल स्पष्ट रूप से स्टराइल एवं नान स्टराइल जोन में विभाजित है। वार्ड के अंदर नान-स्टराइल जोन में प्रवेश करने के पूर्व प्रत्येक कर्मी पीपीई अनिवार्य रूप से पहनते हैं। भोजन पहुंचाने हेतु कैंटीन का कर्मचारी स्टराईल जाने में निर्धारित स्थल पर मरीजों को भोजन, नाश्ता के पैकेट रखने हेतु प्रवेश करते हैं। इसके लिये सामान्य किसी भी प्रकार के पीपीई पहनने की आवश्यकता नहीं है, किंतु अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए सुरक्षा की दृष्टि से कैंटीन के कर्मियों को डिलीवरी किट के साथ भोजन पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। डिलीवरी किट भी एड्स, हेपेटाईटिस जैसे वायरस से बचाने के लिये सुरक्षा उपकरण है तथा इसे मात्र 10 मिनट के लिये पहन कर वह व्यक्ति अंदर जाते है और बाहर निकल आते हैं।
शासन के उच्च अधिकारियों तथा जिला प्रशासन, सिम्स, अस्पताल प्रबंधन व अस्पताल में कार्यरत समस्त कर्मचारियों के सहयोग से कोरोना मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
महासमुंद / शौर्यपथ / जिला खाद्य अधिकारी अजय यादव ने बताया कि खाद्य और मंडी विभाग के संयुक्त टीम द्वारा 13 मई 2020 को बसना विकासखंड के अंतर्गत में. चंडिका एग्रो इंडस्ट्रीज राईस मिल दुधीपाली की जाँच की गई। में. चंडिका एग्रो इंडस्ट्रीज राईस मिल के प्रोपराईटर, संचालक आशीष अग्रवाल पिता नेमीचंद अग्रवाल के द्वारा अपने धान उठाव के विरुद्ध 20276.20 क्विंटल चावल जमा किया गया है, जबकि धान उठाव के विरुद्ध 3591.26 क्विंटल चावल जमा किया जाना शेष है। खाद्य अधिकारी ने बताया कि राईस मिल के संचालक आशीष अग्रवाल की उपस्थिति में राईस मिल का भौतिक सत्यापन किया गया। भौतिक सत्यापन के पूर्व श्री आशीष अग्रवाल से मिल में उपलब्ध स्टॉक का घोषणा पत्र लिया गया। घोषणा पत्र में अग्रवाल के द्वारा बताया गया कि मिल में धान का स्टॉक 1499.20 क्विंटल, चावल 2667.90 क्विंटल तथा कनकी 200 क्विंटल तथा स्वयं की मंडी खरीदी का धान 15.07 क्विंटल होना बताया गया। भौतिक सत्यापन में धान 1500.00 क्विंटल, चावल 2769.00 क्विंटल तथा कनकी 200 क्विंटल तथा स्वयं की मंडी खरीदी का धान 15.20 क्विंटल पाया गया। इस प्रकार भौतिक सत्यापन और घोषणा पत्र में धान और कनकी में अंतर नहीं पाया गया किन्तु चावल 101 क्विंटल अधिक पाया गया।
राईस मिल के द्वारा धान उठाव हेतु अंतिम डी.ओ. जारी 23 मार्च 2020 को किया गया। उक्त अवधि के बाद संचालक में. चंडिका एग्रो इंडस्ट्रीज राईस मिल के द्वारा धान के उठाव हेतु डी.ओ. जारी नहीं किया गया है तथा उक्त राईस मिल के संचालक के द्वारा उठाव किये गए धान के विरुद्ध में शेष चावल भी 18 मार्च 2020 के बाद जमा नहीं किया गया है। राईस मिल के द्वारा उठाव किये गए धान के विरुद्ध में शेष चावल को पिछले दो माह से जमा नही किया गया और न ही अनुबंध मे शेष धान के उठाव हेतु डी.ओ. जारी करवाया गया है। कस्टम मिलिंग कार्य में में. चंडिका एग्रो इंडस्ट्रीज राईस मिल के द्वारा रूचि नही लिया जा रहा है। राईस मिल के द्वारा कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत स्टॉक पंजी का संधारण नहीं किया गया है तथा प्रतिमाह प्रस्तुत की जाने वाली मासिक विवरणी भी प्रस्तुत नहीं किया गया है।
राईस मिल के द्वारा कस्टम मिलिंग कार्यो में रूचि नहीं लिया जा रहा है तथा भौतिक सत्यापन और घोषणा पत्र अनुसार चावल का स्टॉक 101 क्विंटल अधिक पाया गया। अधिक पाए गए 101 क्विंटल चावल को में. चंडिका एग्रो इंडस्ट्रीज राईस मिल के संचालक श्री आशीष अग्रवाल से जप्त किया गया तथा जप्तशुदा चावल को संचालक श्री आशीष अग्रवाल की सुपुर्दगी मीडिया में किया गया। में. चंडिका एग्रो इंडस्ट्रीज राईस मिल का उक्त कृत्य छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश 2016 की कंडिका 4(5) , 5(1) और 6 का उल्लंघन किया गया है जो की आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अंतर्गत दंडनीय है। इस कारण मिलर्स के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।
इसी तरह सरायपाली के राईस मिल हिंदुस्तान एग्रोटेक और समलेश्वरी इंडस्ट्रीज का जांच संयुक्त विभागीय टीम के द्वारा किया गया। जांच में हिंदुस्तान एग्रोटेक राईस मिल से चावल उसना 673.50 क्विंटल, चावल अरवा 202 क्विं., धान 7197.20 क्विं., कनकी 1292.50 क्विं. जब्त किया गया है। इसी तरह समलेश्वरी राईस मिल में चावल उसना 1389.25 क्विं., धान 707 क्विं. एवं कनकी 969.50 क्विं. जप्त किया गया है। दोनों राईस मिल के संचालक भागीदार दयानंद अग्रवाल और शंकर लाल अग्रवाल सराईपाली के द्वारा धान के उठाव और चावल जमा नहीं किए जाने के कारण और शासन के कस्टम मिलिंग कार्य के स्थान पर चावल फ्री सेल का कार्य किया जा रहा है। मिलर के प्रबन्धक के द्वारा जांच समय स्टॉक पंजी प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण तथा कस्टम मिलिंग कार्य में लापरवाही बरतने के कारण भौतिक सत्यापन में प्राप्त समस्त धान ,चावल और कनकी को जप्त कर लिया गया है।
जिला खाद्य अधिकारी ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में शासन द्वारा उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग का कार्य करने हेतु पंजीयन कराने के बावजूद कस्टम मिलिंग का कार्य नहीं करने वाले जिले के 06 राईस मिलों को कलेक्टर सुनील जैन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। कारण बताआंे नोटिस मिलने वाले राईस मिलों में मेसर्स एन एल राईस इंडस्ट्रीज महासमुन्द, मेसर्स संजय ट्रेडर्स बागबाहरा, मेसर्स अरिहंत राईस टेक बागबाहरा, मेसर्स तथास्तु इंडस्ट्रीज बागबाहरा, विराट राईस मिल बसना एवं हिंदुस्तान एग्रोटेक सरायपाली ने कारण बताआंे नोटिस का लिखित जवाब प्रस्तुत किया है, किंतु परीक्षण में जवाब समाधान कारक नहीं पाया गया। इस पर कलेक्टर ने उक्त मिलर्स को चेतावनी पत्र जारी करते हुए उन्हें 21 मई 2020 तक मिलिंग क्षमतानुसार डिलीवरी आर्डर जारी कराकर धान का शत्-प्रतिशत उठाव करने के निर्देश दिए है। समयावधि में धान का उठाव नहीं करने वाले राईस मिलों के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा राज्य की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विगत दिनों शिक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण निर्णय अंग्रेजी माध्यम की उत्कृष्ट शालाओं की योजना है। उत्कृष्ट शालाएं सभी जिला मुख्यालय, नगर पालिका एवं नगर निगम क्षेत्र में न्यूनतम एक होंगी। इस प्रकार पूरे प्रदेश में आगामी शैक्षणिक सत्र में लगभग 40 उत्कृष्ट शालाएं खोली जाएंगी।
राज्य शासन द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार बड़े शहरों में अंग्रेजी माध्यम के उत्कृष्ट स्कूल आगामी शिक्षा सत्र से प्रारंभ किया जाना है। इस संबंध में कोई न्यूनतम संख्या निर्धारित नहीं है। ऐसे स्कूल अधिक से अधिक संख्या में हो, परन्तु प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऐसा स्कूल अनिवार्य रूप से होगा।
प्रदेश में प्रत्येक जिले, नगर पालिका और नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम की उत्कृष्ट शालाओं का संचालन पंजीकृत सोसायटी के माध्यम से किया जाना है। संस्था संचालन के लिए पृथक से नियमावली तैयार की जानी है। हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम की उत्कृष्ट शालाओं के संचालन के लिए प्रत्येक जिले में प्रत्येक शाला के लिए पृथक-पृथक सोसायटी का गठन किया जाएगा। शाला के संचालन के लिए गठित सोसायटी के पदेन अध्यक्ष जिला कलेक्टर और पदेन सदस्य एवं सचिव जिला शिक्षा अधिकारी होंगे। इस समिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग, आयुक्त नगर निगम/मुख्य नगर पालिका अधिकारी और संस्था के प्राचार्य सदस्य होंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना के लिए स्थल और स्कूल का चयन कर लिया गया है। जिला बालोद में शासकीय हाई स्कूल आमापारा, बलौदाबाजार जिले में मनोहर दास वैष्णव शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बलरामपुर जिले में तीन स्कूलों में से कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल (प्रज्ञा माध्यमिक शाला) रामानुजगंज, बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वाड्रफनगर बलरामपुर (शासकीय प्रज्ञा प्राथमिक शाला) और शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बलरामपुर (शासकीय प्रज्ञा माध्यमिक शाला) का चयन उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना के लिए किया गया है। बस्तर जिले में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विवेकानंद जगदलपुर, बेमेतरा जिले में शासकीय शिवलाल राठी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बेमेतरा, बीजापुर जिले में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बीजापुर (लाइवलीहुड कॉलेज का रिक्त भवन), बिलासपुर जिले में शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला तारबहार, लाला राजपतराय उच्चतर माध्यमिक शाला खपरगंज और शासकीय हाई स्कूल मंगला का चयन किया गया है। दंतेवाड़ा जिले में शासकीय नवीन पूर्व माध्यमिक शाला दंतेवाड़ा, धमतरी जिले में शासकीय मेहतरू राम धीवर नवीन कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बथेना धमतरी, दुर्ग जिले में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुम्हारी धमधा, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंजगिरी धमधा, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भिलाई-03, पाटन, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेक्टर-6 दुर्ग, शासकीय हाई स्कूल बालाजी नगर, खुर्शीपार दुर्ग और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पाटन को उत्कृष्ट विद्यालय बनाया जाएगा। गरियाबंद जिले में शासकीय नवीन बालक शाला गरियाबंद, जांजगीर-चांपा जिले में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1 जांजगीर, आदर्श शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सक्ती, जशपुर जिले में संकल्प शिक्षण संस्थान जशपुर, कवर्धा जिले में शासकीय नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कवर्धा, कांकेर जिले में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नरहरदेव कांकेर, कोण्डागांव जिले में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जामकोटपारा कोण्डागांव, कोरबा जिले में शासकीय हाई स्कूल पम्प हाऊस कोरबा, कोरिया जिले में उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महलपारा, महासमुंद जिले में शासकीय हाई स्कूल नयापारा महासमुंद, मुंगेली जिले में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दाऊपारा मुंगेली, नारायणपुर जिले में शासकीय हाई स्कूल सिंगोडीतराई, रायपुर जिले में आर.डी. तिवारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आमापारा रायपुर, बी.पी. पुजारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजातालाब और शहीद स्मारक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय फाफाडीह का चयन उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना के लिए किया गया है।
इसी प्रकार रायगढ़ जिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायगढ़, राजनांदगांव जिले में सर्वेस्वर दास माध्यमिक शाला राजनांदगांव, सुकमा जिले में शासकीय हाई स्कूल सुकमा पावारास, सूरजपुर जिले में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्रतापपुर (ई. संवर्ग), सरगुजा जिले में शासकीय हाई स्कूल ब्रम्हपारा और पेण्ड्रा जिले में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेमरा का चयन उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना के लिए किया गया है।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश के बाद आज दो प्रवासी गर्भवती श्रमिक माताओं ने सुरक्षित प्रसव के जरिये स्वस्थ कन्याओं को जन्म दिया। दोनों ही माताएं अलग-अलग समय में अपने परिजनों के साथ राजनांदगांव जिले के बागनदी बार्डर पहुंची थीं, जहां उन्हें प्रवस पीड़ा शुरू हो गई। प्रशासन ने उन्हें तुरत स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाकर सुरक्षित प्रसव का इंतजाम किया।
मूलतः कटई बेमेतरा निवासी श्रीमती त्रिवेणी साहू ने बागनदी बार्डर के उपस्वास्थ्य केंद्र में बच्ची को जन्म दिया। वहीं महाराष्ट्र के पुणे से आईं 28 वर्षीय सुरेखा पति कुमार सिंह निषाद ने छुरिया स्थित स्वास्थ्य केंद्र में बच्ची को जन्म दिया। छत्तीसगढ़ की सीमा में सुरेखा को प्रसव पीड़ा शुरु होने पर उन्हें पहले निकट के अस्तपाल पहुंचाया गया, जहां से छुरिया रेफर कर दिया गया। सुरेखा मूलतः दुर्ग जिले के सुखरीकला गांव की निवासी है।
दोनों ही मामलों में सुरक्षित प्रसव कराने में राजनांदगांव जिले के स्वास्थ्य विभाग के अमले ने तत्परता से कार्य किया। जिला कलेक्टर मौर्य ने स्वयं स्वस्थ्य केंद्र पहुंचकर जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की जानकारी ली।
छत्तीसगढ़ की विभिन्न सीमाओं से हर रोज प्रवेश कर रहे हजारों मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए शासन ने बसों के इंतजाम किए हैं। बसों की रवानगी से पहले मजदूरों के भोजन-पानी, चरणपादुका के प्रबंध के साथ-साथ उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं कि प्रवासी श्रमिक परिवारों में शामिल महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य की विशेष देखभाल की जाए। क्वारेंटीन सेंटर में भी उनका विशेष ध्यान रखा जाए।
अब तक 15 ट्रेनों से 22 हजार श्रमिकों को की हुई सकुशल वापसी
वाहन एवं अन्य माध्यमों से 83 हजार 172 श्रमिक लौटे छत्तीसगढ़
रायपुर / शौर्यपथ / नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों में फंसे प्रदेश के श्रमिकों तथा अन्य लोगों को लगतार वापसी जारी हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल एवं निर्देशन पर राज्य एवं राज्य के बाहर फंसे लगभग 3 लाख लोगों को त्वरित राहत पहुंचाई गई है। साथ ही प्रदेश के श्रमिकों को वापस लाने के लिए राज्य सरकारों से समन्वय कर 45 ट्रेनों की सहमति प्रदान की गई हैं।
श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि भवन एवं अन्य सन्ननिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा प्रवासी श्रमिकों को वापस छत्तीसगढ़ लाने के लिए स्पेशल ट्रेन के लिए विभिन्न रेल मण्डलों को श्रमिकों के यात्रा व्यय के लिए आवश्यक राशि का भुगतान किया जा रहा है। वर्तमान में 34 हजार 284 यात्रियों को 23 ट्रेनों से वापस लाने के लिए एक करोड़ 99 लाख 58 हजार 360 रूपए का भुगतान किया गया है।
राज्य सरकार इसके अलावा लॉकडाउन के कारण श्रमिकों एवं अन्य लोगों को जो छत्तीसगढ़ राज्य के सीमाओं पर पहुंच रहे है एवं राज्य की ओर से गुजरने वाले सभी श्रमिकों के लिए नाश्ता, भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण एवं परिवहन की निःशुल्क व्यवस्था ने श्रमिकों कोे काफी राहत पहुंचा रही है। मुख्यमंत्री श्री बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ के सभी सीमाओं पर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों को, चाहें वो किसी भी राज्य के हो, उन्हें छत्तीसगढ़ का मेहमान मान कर शासन-प्रशासन के लोग उनके हरसंभव मदद कर रहे है।
मंत्री डॉ. डहरिया ने बताया कि लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण देश के अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के 2 लाख 51 हजार 867 श्रमिक तथा 22 हजार 168 अन्य लोगों इस तरह कुल 2 लाख 73 हजार 935 लोगों ने अब तक वापस अपने गृहग्राम आने के लिए राज्य शासन द्वारा जारी लिंक के माध्यम से ऑनलाईन पंजीयन करवाया है। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा अन्य प्रदेशों में छत्तीसगढ़ के संकटापन्न प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के लिए लगभग 45 ट्रेनों की सहमति राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई है। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा 34 हजार 284 श्रमिकों को छत्तीसगढ़ वापस लाने 23 ट्रेनों के लिए विभिन्न रेल मण्डलों को लगभग 2 करोड़ का भुगतान किया गया है। अब तक 15 ट्रेनों के माध्यम से लगभग 22 हजार प्रवासी श्रमिकों को वापस लाया जा चुका है। वाहन एवं अन्य माध्यमों से अन्य राज्यों में फंसे लगभग 83 हजार 172 श्रमिक सकुशल अपने गृहग्राम लौट चुके है। छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों के फंसे हुए लगभग 30 हजार से अधिक श्रमिकों को उनके गृह राज्य भेजा गया है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के भीतर ही 11 हजार से अधिक श्रमिकों को एक जिले से अपने गृह जिला तक पहुंचाया गया है।
छत्तीसगढ़ के 2 लाख 51 हजार 867 प्रवासी श्रमिक सहित तीन लाख से अधिक लोगों को जो देश के अन्य राज्यों में होने की सूचना मिलने पर उनके द्वारा बतायी गई समस्याओं का त्वरित निदान करते हुए उनके लिए भोजन, राशन, नगद, नियोजकों से वेतन तथा रहने एवं चिकित्सा आदि की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही श्रम विभाग के अधिकारियों का दल गठित कर विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं, नियोजकों एवं प्रबंधकों से समन्वय कर (राशन एवं नगद) आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। प्रदेश के 26 हजार 102 श्रमिकों को 36 करोड़ रूपए बकाया वेतन का भुगतान कराया गया है। लॉकडाउन के द्वितीय चरण में 21 अप्रैल से शासन द्वारा छूट प्रदत्त गतिविधियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 98 हजार श्रमिकों को पुनः रोजगार उपलब्ध कराया गया है। वहीं छोटे-बड़े 1246 कारखानों में पुनः कार्य प्रारंभ हो गया है।
शौर्यपथ धर्म / कर्म का सिद्धांत क्या है ? कर्मफल क्या है? इसे जानने के पहले हमें कर्म को जानना होगा, कि कर्म क्या है? कर्म किसे कहेंगे? कर्म अच्छे हैं या बुरे? कर्म का फल स्वयम के कर्म के अनुसार मिलता है कि हिस्सेदारी सबकी होती है? इन सब प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए आइए धरमचंद और करमचंद की कहानी पढ़ लें।
करमचंद और धरमचंद दोनो बचपन के साथी थे जन्म भी एक ही दिन हुआ था, कद काठी और देखने में लगभग एक जैसे ही लगते थे, कोई अजनबी यदि अलग अलग समय में करमचंद और धरमचंद से मिलेगा तो धोखे में रहेगा कि दोनों व्यक्ति जिससे वह मिला है एक ही है कि अलग अलग दो व्यक्ति हैं। कम उम्र में ही जब दोनों प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे तभी उनके गुरुजी ने करमचंद और धरमचंद को मितान बनवा दिया था। तब से इनकी अधिक गाढ़ी दोस्ती हो गई थी, दोनो एक दूसरे के अनन्य मित्र हो चुके थे। इनकी मित्रता कुछ कुछ सुदामा के मित्रता से मिलता था, केवल असमानता इस बात की थी कि सुदामा और गोपाल सोमरस का पान नहीं करते थे जबकि करमचंद और धरमचंद सोमरस के आदी थे। इनकी मित्रता, मित्र के लिए समर्पण और सम्मान कर्ण से अधिक था भिन्नता था तो केवल इस बात की कि कर्ण ने दुर्योधन के इच्छा को अपना धर्म मान लिया था जबकि करमचंद ने धरमचंद को ही अपना मित्र बना लिया था। वैसे दूसरा भिन्नता इस बात की थी कि कर्ण कभी सोमरस को हाथ नहीं लगाया जबकि करमचंद और सोमरस का अटूट रिस्ता था सोमरस हमेशा उनके हाथ में या लुंगी के गांठ में स्वयं को सुरक्षित मानता था।
करमचंद अपने मित्र धरमचंद के विवाह समारोह में नृत्य कर रहा था, अचानक बैंड वाले ने नागिन डांस वाला म्यूजिक बजा दिया। फिर क्या था करमचंद नागिन डान्स करने लगा, बिधुन होकर नाचते नाचते बेहोश हो गया। पता चला करमचंद के बम में पथरीले रास्ते के नुकीले पत्थर चुभ गया था, उसके बावजूद वह नाच रहा था, नीचे लुंगी खून से लथपथ हो चुका था, उसके खून से कुछ और लोग भी सना चुके थे। चस्माराम भी खून से भीग चुका था, देशी दारू की दुकान के पास किसी ने चस्माराम को बताया कि उसका कपड़ा खून से भींग चुका है। चस्माराम अपने वस्त्र के भीतर शरीर को चेक किया तब उन्हें पता चला कि उन्हें कोई चोट नही है वापस आकर चस्माराम ने बेंड रूकवाकर लोगों को बताया तब पता चला कि करमचंद को चोट लगी है, करमचंद अपने लुंगी और शरीर के खून को देखकर मूर्छित हो गया था।
अब बताओ करमचंद को क्यों चोट लगी? क्या पिछले जन्म में उसने कोई पाप किया था? क्या उसने किसी के लिए गड्ढे खोदे थे, जिसमे वह गिरा? क्या करमचंद पापी था? क्या करमचंद का नृत्य करना पाप था? क्या करमचंद और धरमचंद में पिछले किसी जन्म में कोई दुश्मनी थी? या कभी करमचंद और धरमचंद की होने वाली पत्नी के बीच कोई पिछले जन्म की दुश्मनी थी? क्या रास्ते को बनाने वाले ठेकेदार की गलती थी? क्या सरकार की गलती थी? क्या बैंड वाले की गलती थी जो उसने नागिन डांस के लिए म्यूजिक दिया? क्या धरमचंद की गलती थी कि उसने अपने विवाह में बैंड लगवाया? क्या धरमचंद के बाप का गलती था जिसने धरमचंद का विवाह तय कर दिया? क्या महुआ दारू का गलती था जिसे करमचंद ने पी रखी थी? क्या महुआ बनाने वाले भोंदुलाल का गलती था? क्या धरमचंद के छोटे भाई मतवारीलाल का गलती था जिसने महुआ दारू खरीद लाया और करमचंद को पीने दे दिया था?
फल का जिम्मेदारी कौन लेगा? किस या किसके कर्म पर आरोप लगाया जाए कि उसके कारण करमचंद अभी मूर्छित है? उत्तर बिल्कुल समझ और बुद्धि के पकड़ से दूर ही मिलता है हर अनुमान पहले सटीक जान पड़ता है फिर कुछ ही समय में उत्तर से दशकों प्रकाशवर्ष दूर चले जाते हैं यही प्रक्रिया अर्थात दूर और निकट का खेल बारम्बार नियमित रूप से पुनरावृत्ति होती है।
करमचंद और धरमचंद की कहानी पढ़ने के बाद कर्मफल का जो सटीक उत्तर मिला है उसके अनुसार प्रतीत होता है कि यहां पूरा पूरा साझेदारी का गेम है, कोई अकेला व्यक्ति अथवा उसके पूर्वजन्म के कर्म ही उनके मूर्च्छा का कारण नहीं है बल्कि प्रश्न के दायरे में आने वाले सभी व्यक्ति और उनके कर्म करमचंद के कष्ट का कारण है। संभव है किसी भी कर्म और कर्मफल का अकेला कोई व्यक्ति अथवा संबंधित व्यक्ति और उनके कर्म जिम्मेदार न हों, इसलिए करमचंद के मूर्छा के लिए सभी कुछ कुछ मात्रा में जिम्मेदार हैं।
क्या कर्म का खाता होता है? क्या कर्म का एक ही एकाउंट होता है एक जीव के लिए? क्या एक जीव के कर्म का एकाउंट सैकड़ो लाखों हो सकता है? क्या पति पत्नी का साझे का एकाउंट होता है? क्या आपके कर्म के एकाउंट से आपके निकट या दूर पीढ़ी को कुछ हिस्से मिलेंगे? क्या कर्म का एकाउंट आपके जन्म जन्मांतर तक चलता रहेगा? कर्म के एकाउंट अर्थात लेखा जोखा या खाता से संबंधित सैकड़ों प्रश्न उठते हैं; परंतु क्या इन सैकड़ों प्रश्नों का कोई अत्यंत सटीक उत्तर दे सकता है? उत्तर आता है नहीं। नहीं क्यों? क्योंकि यह अनुमान है आपका मानना है सत्य नहीं। यदि सत्यता है आपके जवाब में तो साक्ष्य भी मिलना चाहिए ठीक वैसे ही जैसे आपके याहू, हॉटमेल और जीमेल एकाउंट का साक्ष्य है, आपके सोशल मीडिया एकाउंट जैसे फेसबुक, ट्विटर, ब्लॉग, वर्डप्रेस और टिकटोक के साक्ष्य मिलते हैं। ठीक वैसे ही जैसे बैंकों के बचत खाते, जमा खाता, ऋण खाता, फिक्स डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट, जीवन बीमा, टर्म प्लान इत्यादि का एकाउंट होता है।
कर्म का खाता तो दिखाई ही नही देता इसके साक्ष्य भी नहीं मिलते, तो क्या यह मान लिया जाए कि कर्म का एकाउंट नही होता। क्या मान लें कि कर्म का एकाउंट जैसी बात कोरी कल्पना है? इसमें थोड़ा संदेह नजर आता है क्योंकि हम हजारों वर्षों से यह मानते आ रहे हैं कि कर्म का लेखा जोखा होता है। फिर एक झटके में इन चंद प्रश्नों के झांसे में आकर अपनी बनी बनाई SOP को खारिज करके अपनी अनुशासन क्यों बदल डालें? क्यों मानने लगें कि कर्म का एकाउंट नही होता, खाता नही होता? इसे मानने के पहले भी द्वंद पैदा हो जाता है कैसा द्वंद इसे समझने के पहले हम लगभग 1,50,000 साल ईसापूर्व चलते हैं। नजूल नाथ और फजूल नाथ दो सगे भाई हैं जो रतिहारिन की संतानें हैं रतिहारिन रोमसिंग कबीला के कबीला प्रमुख की पहली पत्नी है। जब कबीला प्रमुख रोमसिंग दूसरे कबीलों को अपने कब्जे में लेने के अभियान में चल पड़े थे और लंबे बसंत तक वापस नहीं आए तो रतिहारिन को उनकी चिंता होने लगी, वे अपने रोमसिंग के तलास में निकल पड़ी। कुछ कबीला तक उनके यात्रा के दौरान उनका खूब सम्मान हुआ, आगे चलते हुए, रोमसिंग को खोजते हुए लगभग दो बसंत बीतने को आया तब वह अपने रक्षकों और अश्व के बिना नदी किनारे स्वयं को पाई, तब वह गर्भवती हो चुकी थी, उन्हें पता नहीं कि कब कैसे किसके सहयोग से वह गर्भवती हुई है। वह आसपास के काबिले में गई तो किसी ने उसे बताया कि वह कबीला प्रमुख रोमसिंग की पत्नी है, रोमसिंग को भी सूचना मिल गई वे फौरन आकर अपनी पत्नी को लेकर चल दिये। अब शोध शुरू हुई कि रतिहारिन कैसे गर्भवती हुई सबके सब जानने में असफल रहे तब एक दरबारी मंत्री ने कहा इसे प्रकृति का संतान मान लेना चाहिए अथवा शक्तिमान का आशीर्वाद मान लेना चाहिए; ठीक ऐसे ही हुआ क्योंकि दिमाक खपाने और परिणाम नहीं मिलने की संभावना को देखते हुए दरबारी मंत्री का बात मान लेना ही बेहतर विकल्प था। रतिहारिन ने दो जुड़वा संतान को जन्म दिया उनका नाम रखा गया नजूल नाथ और फजूल नाथ दोनो अत्यंत शक्तिशाली और अपने समय में विख्यात कबीला प्रमुख हुए। नजूल नाथ और फजूल नाथ के जन्म का रहस्य किसी को पता नहीं, स्वयं रतिहारिन को भी नहीं क्योंकि दीर्घकाल तक वह बेहोश रही, स्मरण शक्ति को खो चुकी थी। मगर कोई तो शक्ति है कोई क्रिया तो हुई थी जिसके कारण नजूल नाथ और फजूल नाथ का जन्म हुआ, कोई तो एकाउंट खोला होगा। प्राकृतिक अप्राकृतिक संयोग के बिना रतिहारिन का गर्भवती होना समझ से परे नहीं बल्कि स्पस्ट है। चूंकि रोमसिंग और नजूल नाथ और फजूल नाथ ही नहीं बल्कि उनके आगे के संतान भी अत्यंत शक्तिशाली हुए इसलिए किसी के पास कोई विकल्प नही था कि कोई यह कहे कि नजूल नाथ और फजूल नाथ का जन्म ठीक उनके जैसे ही सामान्य संयोग से हुआ है।
कर्म, कर्म के सिद्धांतों और उससे जुड़े इन प्रश्नों का सटीक जवाब अभी तक किसी के पास नहीं है, है भी तो वह सर्वमान्य नही। अतः जब तक आप साहस और बुद्धि से काम नही लेंगे नजूल नाथ और फजूल नाथ प्रकृति की संतान है अथवा शक्तिमान के आशीर्वाद से ही रतिहारिन गर्भवती हुई है। अंत में यह साफ कर देना चाहता हूं कि यह काल्पनिक कहानी कर्म, कर्म के सिद्धांत, कर्म का खाता जैसे महत्वपूर्ण प्रश्नों के सटीक उत्तर देने असफल रहा है। इस लेख को पढ़ने में आपके समय की हुई बर्बादी को रोक सकते हैं थोड़ा सोचने से, थोड़ा अधिक सोचने से अन्यथा यह लेख आपको सुलझाने के बजाय उलझा चुका है।
आप स्वयं को अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने का प्रयास करेंगे तो संभव है समुद्र तट के नन्हे कछुआ की भांति चंद्रमा की रोशनी के बजाय आप रेस्टोरेंट के एलईडी के झांसे में आ जाएं इसलिए बुद्ध की बात मानें। बुद्ध ने कहा था "अपना दीपक खुद बनो।"
उल्लेखनीय है कि यह लेख श्री हुलेश्वर जोशी के ग्रंथ "अंगूठाछाप लेखक" - (अभिज्ञान लेखक के बईसुरहा दर्शन) का अंश है।