July 02, 2025
Hindi Hindi
Uncategorised

Uncategorised (33611)

अन्य ख़बर

अन्य ख़बर (5866)

धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

दिल्ली / शौर्यपथ / दिल्ली के गीता कॉलोनी में मंगलवार की सुबह पुलिस और एक बदमाश के बीच भिड़ंत हो गई. मौके पर क्रॉस फायरिंग हुई, जिसके बाद पुलिस के…
नई दिल्ली / शौर्यपथ / कोरोना वायरस की महामारी के चलते फिल्‍म निर्माण से जुड़ा काम इस समय लगभग ठप पड़ा हुआ है. इस कारण फिल्‍मी सितारे फुर्सत में हैं…

नज़रबंदी के दौरान 23 जून 1953 को कश्मीर में रहस्यमयी परिस्थितियों में हो गई थी उनकी मृत्यु

 शौर्यपथ लेख / आज जिस कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर दिया गया है, जहां सत्ता को त्याग कर राज्यपाल शासन लगाया गया है, एवं वर्तमान में मोदी सरकार उस कश्मीर के अस्तित्व व देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए जिस लड़ाई को आगे बढ़ा रही है, दरअसल इस लड़ाई की शुरुआत भारत के महान सपूत डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान से ही शुरू हो गई थी, जिसने एक देश में दो विधान दो निशान नही चलेगा के संकल्प के साथ कश्मीर में अपने अभियान की शुरुआत तो की पर उनकी गिरफ्तारी के बाद नज़रबंदी के दौरान 23 जून 1953 को कश्मीर में रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी का जन्म हुआ। उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे। डॉ. मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक पास किया तथा 1921 में बी.ए. की उपाधि प्राप्त की। 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करने के पश्चात् वे विदेश चले गये और 1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कर ली थी। 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे। एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरन्तर आगे बढ़ती गयी।

उनका राजनैतिक जीवन

डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। डॉ.मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी थे। उन्होने बहुत से गैर कांग्रेसी हिन्दुओं की मदद से कृषक प्रजा पार्टी से मिलकर प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया। इस सरकार में वे वित्तमन्त्री भी बने। इसी समय वे सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए।

मुस्लिम लीग की राजनीति से बंगाल का वातावरण दूषित हो रहा था। वहाँ साम्प्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी। साम्प्रदायिक लोगों को ब्रिटिश सरकार प्रोत्साहित कर रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया कि बंगाल के हिन्दुओं की उपेक्षा न हो। अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल के विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। 1942 में ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न राजनैतिक दलों के छोटे-बड़े सभी नेताओं को जेलों में डाल दिया।

डॉ.मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। वे मानते थे कि विभाजन सम्बन्धी उत्पन्न हुई परिस्थिति ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से थी। वे मानते थे कि आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक हैं। हममें कोई अन्तर नहीं है। हम सब एक ही रक्त के हैं। एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। परन्तु उनके इन विचारों को अन्य राजनैतिक दल के तत्कालीन नेताओं ने गलत तरीके से प्रचारित-प्रसारित किया। बावजूद इसके लोगों के दिलों में उनके प्रति अथाह प्यार और समर्थन बढ़ता गया। अगस्त, 1946 में मुस्लिम लीग ने जंग की राह पकड़ ली और कलकत्ता में भयंकर बर्बरतापूर्वक अमानवीय मारकाट हुई। उस समय कांग्रेस का नेतृत्व सामूहिक रूप से आतंकित था।

भारतीय जनसंघ की स्थापना

ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यन्त्र को कांग्रेस के नेताओं ने अखण्ड भारत के अपने वादों को ताक पर रखकर स्वीकार कर लिया। उस समय डॉ.मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की माँग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खण्डित भारत के लिए बचा लिया। गान्धी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे भारत के पहले मंत्रिमंडल में शामिल हुए। उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी। संविधान सभा और प्रान्तीय संसद के सदस्य और केन्द्रीय मंत्री के नाते उन्होंने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके राष्ट्रवादी चिन्तन के चलते अन्य नेताओं से मतभेद बराबर बने रहे। फलत: राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने एक नई पार्टी बनायी जो उस समय विरोधी पक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था, और ऐसे 21 अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ, तथा अगले ही वर्ष 1952 में हुए लोकसभा चुनावों में भारतीय जनसंघ को तीन संसदीय क्षेत्र में जीत मिली, जिसमें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी शामिल थे।

कश्मीर के लिए उनका बलिदान

डॉ॰ मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी धारा-370 को समाप्त करने के लिए मजबूती से इस बात को रखते थे, कि एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नही चलेगा।
अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। आज भी उनकी मृत्यु के रहस्य से पर्दा नही उठा है, किन्तु आज डॉ. मुखर्जी से वैचारिक समानता रखने वाले भारत में करोड़ों लोग हैं, जिनका मानना है कि कश्मीर इस राष्ट्र का मुकुट है, तथा एक देश में दो विधान दो निशान कल्पना भी नही की जा सकती है। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी नए भारत के निर्माताओं में से एक महत्त्वपूर्ण स्तम्भ हैं। जिस प्रकार हैदराबाद को भारत में विलय करने का श्रेय सरदार पटेल को जाता है, ठीक उसी प्रकार बंगाल, पंजाब और कश्मीर के अधिकांश भागों को भारत का अभिन्न अंग बनाये रखने में डॉ. मुखर्जी के योगदान को नकारा नही जा सकता। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी ही नहीं, वह एक महान शिक्षाविद्, देशभक्त, राजनेता, सांसद, अदम्य साहस के धनी और सहृदय मानवतावादी थे। बावन वर्षों से भी कम के जीवनकाल में और उसमें से भी राजनीति में सिर्फ चौदह साल में वे स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के पद तक पहुँचे, जिसे उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में हुए अल्पसंख्यक हिंदुओं के नरसंहार के मुद्दे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से गंभीर मतभेद होने पर ठुकरा दिया। इससे पहले वे जिन्ना के पाकिस्तान से छीनकर बनाए गए पश्चिम बंगाल और पूर्वी पंजाब के अस्तित्व में आने के पीछे सक्रिय रहे। कैबिनेट मंत्री के पद को ठुकराने के बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, और आज जनसंघ के बाद बनी भारतीय जनता पार्टी विश्व के सबसे बड़े राजनैतिक दल के रूप में स्थापित हो चुकी है, तथा लगातार दो बार भारतीय जनता पार्टी केंद्र में पूर्ण बहुमत से सरकार भी बना चुकी है, भाजपा के नेता, कार्यकर्ता जिस नारे को बुलंद करते हैं कि “जहां बलिदान हुए मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है” और वर्तमान में देश ने नरेंद्र मोदी जैसा मजबूत प्रधानमंत्री दिया है, जिनमें डॉ. मुखर्जी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मजबूत इच्छा शक्ति नज़र भी आती है, एवं वहां के मूल निवासियों को कश्मीर में पुनर्स्थापित करने, कश्मीर की वादियों में शान्ति बहाली के प्रयासों के साथ ही कश्मीर से धारा 370 समाप्त कर मोदी सरकार ने डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। (  -  विजय जयसिंघानी , रायपुर )

नई दिल्ली / शौर्यपथ / उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रत्येक थाना, चिकित्सालय, राजस्व न्यायालय एवं तहसील, विकास खण्ड तथा जेल में कोविड हेल्प डेस्क की स्थापना करने…
मुंबई / शौर्यपथ / चीन के साथ सीमा विवाद पर शिवसेना ने कहा कि पड़ोसी देश को जवाब देने के लिए भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निर्भर रहने…

धमतरी ब्यूरो शौर्य पथ

राजा बड़ा नगरी में एसबीआई बैंक के सामने से गुजर रहे गंदे पानी की नाली को मिट्टी डालकर भर दिया गया है जिसकी वजह से पानी की निकासी नहीं हो पा रही है।
क्षेत्र में लगातार हो रही वर्षा की वजह से नालियां भर चुकी है और मिट्टी भरा होने की वजह से नाली का गंदा पानी निकासी नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से बदबू, मच्छर और कीड़े बिल बिलाने की शिकायत आ रही है।
C m o nagrpanchayat Nagri- का कहना है की जल्द से जल्द नाली की सफाई का कार्य किया जाएगा।

नई दिल्ली / शौर्यपथ / पूर्वी लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष ) के बाद देश में चीन को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है. जगह-जगह…
दूध से बनने वाला दही हर तरह से गुणकारी है, क्योंकि इसमें ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो कई तरह की बीमारियों से बचाव करते हैं।…
सेहत / शौर्यपथ / सब्जी विक्रेताओं से शहर के करीब एक दर्जन से अधिक लोग कोविड-19 संक्रमित हो चुके हैं लोगों को चिंता सताने लगी…
सेहत / शौर्यपथ / चावल अब केवल पेट भरने की वस्तु नहीं रही बल्कि इसे कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए प्रोटीन और…

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)