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अपनी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजीव राय और अपने निजी सचिव जैनेंद्र यादव समेत करीबी नेताओं के ठिकानों पर की गई आयकर विभाग की छापेमारी के अगले दिन अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जोरदार हमला बोला और उन्हें अनुपयोगी मुख्यमंत्री करार दिया.
लखनऊ/शौर्यपथ /
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज आरोप लगाया कि उनका और उनकी पार्टी के नेताओं के फोन टैप किए जा रहे हैं और "मुख्यमंत्री खुद हर शाम उसकी रिकॉर्डिंग सुनते हैं."
अपनी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजीव राय और अपने निजी सचिव जैनेंद्र यादव समेत करीबी नेताओं के ठिकानों पर की गई आयकर विभाग की छापेमारी के अगले दिन अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जोरदार हमला बोला और उन्हें अनुपयोगी मुख्यमंत्री करार दिया.
अखिलेश ने कहा कि उनकी पार्टी के नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी इस बात का संकेत है कि बीजेपी चुनाव हारने वाली है. सपा प्रमुख ने मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कल 'यूपी+योगी' उपयोगी कहे जाने को खारिज करते हुए उन्हें "अनुपयोगी" करार दिया.
छापों का हवाला देते हुए, यादव ने कहा कि बीजेपी भी उसी स्क्रिप्ट पर काम कर रही है जो कांग्रेस बतौर शासक सौंपकर गई है. अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ का नाम लिए बिना कहा, "मुख्यमंत्री अनुपयोगी हैं. उन्हें कम्प्यूटर और स्मार्टफोन भी चलाना नहीं आता. अगर कोई उन्हें कम्प्यूटर दिखा दे तो वह डर जाते हैं."
अखिलेश ने कल भी छापेमारी का विरोध करते हुए कहा था कि चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने केंद्रीय एजेंसियों की आड़ में छापेमारी करवाई है. उन्होंने कहा था कि अभी तो आयकर विभाग आया है, ईडी और सीबीआई का आना बाकी है.
के राज्य सचिव केएस शान की कल देर शाम उस वक्त हत्या कर दी गई, जब वह घर जा रहे थे. पुलिस ने कहा कि शान दोपहिया वाहन पर थे, जब एक कार में सवार एक गिरोह के लोगों ने उन पर हमला कर दिया. पुलिस ने कहा कि इस हमले के बाद आधी रात के करीब कोच्चि के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
तिरुवनंतपुरम /शौर्यपथ/
केरल के अलाप्पुझा जिले में विपक्षी बीजेपी और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के दो नेताओं की हत्या कर दी गई है, जिससे जिले में तनाव है. पुलिस ने वहां धारा 144 लगाते हुए बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इन हत्याओं की निंदा की है और कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है.
SDPI के राज्य सचिव केएस शान की कल देर शाम उस वक्त हत्या कर दी गई, जब वह घर जा रहे थे. पुलिस ने कहा कि शान दोपहिया वाहन पर थे, जब एक कार में सवार एक गिरोह के लोगों ने उन पर हमला कर दिया. पुलिस ने कहा कि इस हमले के बाद आधी रात के करीब कोच्चि के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
SDPI ने बीजेपी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ताओं पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया है.
इस हत्या के 12 घंटे से भी कम समय के अंदर, कुछ अज्ञात लोगों ने केरल बीजेपी की ओबीसी इकाई के सचिव रंजीत श्रीनिवासन के घर में घुसकर उनकी हत्या कर दी. पुलिस दोनों मामले की जांच कर रही है. बीजेपी और SDPI ने एक-दूसरे पर इस मर्डर के आरोप लगाए हैं. रंजीत पर चाकुओं से वार किए जाने का आरोप बीजेपी ने लगाया है.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हिंसा के ऐसे जघन्य और अमानवीय कृत्य राज्य के लिए खतरनाक हैं. मुझे यकीन है कि सभी लोग ऐसे हत्यारे समूहों और उनके घृणास्पद रवैये की पहचान करने और उन्हें अलग-थलग करने के लिए तैयार होंगे."
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि ने सीपीएम के नेतृत्व वाली केरल सरकार पर "भगवान की भूमि को जिहादियों के लिए स्वर्ग में बदलने" का आरोप लगाया है. केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने भी इन हमलों की निंदा की है. उन्होंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को टैग करते हुए ट्वीट किया: केरल में "गुंडाराज" (अराजकता) ने एक और बेशकीमती जान ले ली. CPIM शासित राज्य "हत्या के मैदान" में बदल रहा है. कोई कानून-व्यवस्था नहीं. नागरिकों की कोई सुरक्षा नहीं. हत्यारे सुरक्षित फरार हैं. शर्मनाक."
SDPI पार्टी प्रमुख एमके फैज़ी ने ट्वीट किया, "यह राज्य में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने के लिए संघ परिवार के एजेंडे का हिस्सा है. आरएसएस आतंकवाद की निंदा करें. केरल पुलिस का उदासीन रवैया आरएसएस का मंसूबा बढ़ाने वाले कदम के रूप में कार्य करता है."
सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों का कहना है कि युवक ने बेअदबी का स्पष्ट तौर पर प्रयास किया. पूरी घटना कैमरे में भी कैद हुई. युवक के शव को अस्पताल ले जाया गया है.
अमृतसर /शौर्यपथ/
पंजाब के अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर में कथित तौर पर बेअदबी के प्रयास के बाद एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. पंजाब के शहर अमृतसर (AMRITSAR) में प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर में एक अज्ञात शख्स ने रेलिंग फांदकर स्वर्ण मंदिर के अंदर जाने की कोशिश की. यह वाकया उस वक्त हुआ, जब पाठ चल रहा था. उस शख्स ने गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) जी के सामने रखी तलवार को उठाने की कोशिश की. लेकिन एसजीपीसी के सेवादारों ने उसे स्वर्ण मंदिर के अंदर ही तुरंत धर दबोचा. पुलिस को इसकी सूचना दी गई.
सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों का कहना है कि युवक ने बेअदबी का स्पष्ट तौर पर प्रयास किया. पूरी घटना कैमरे में भी कैद हुई. वहीं खबरों के मुताबिक, युवक के शव को अस्पताल ले जाया गया है. पुलिस मामले की जांच में जुटी है. पुलिस ने भी इस घटना की पुष्टि की है. पंजाब के अमृतसर के डिप्टी पुलिस कमिश्नर परमिंदर सिंह भंडल ने कहा कि शाम के वक्त प्रार्थना के दौरान व्यक्ति ने दीवार फांदी और पवित्र स्थान की ओर बढ़ने का प्रयास किया. उस वक्त संगत प्रार्थना में व्यस्त थी और लोग अपना सिर झुकाए बैठे थे.
उन्होंने कहा, आरोपी युवक की उम्र 20 से 25 साल के बीच बताई जाती है और वो उसने अपने सिर पर पीला कपड़ा बांध रखा था. लेकिन अंदर सतर्क सेवादारों ने उसे दबोच लिया और उसे गलियारे के बाहर लाए. उस दौरान वहां मारपीट हो गई औऱ व्यक्ति की मौत हो गई. भंडाल का कहना है कि आरोपी युवक अकेला था और सीसीटीवी फुटेज को खंगालने के साथ विस्तृत जानकारी हासिल की जा रही है.
आसपास के कैमरों को भी खंगाला जा रहा है. पुलिस टीमों को अलर्ट कर दिया गया है. आरोपी युवक का कल पोस्टमार्टम किया जाएगा. आरोपी युवक के निवास स्थान और अन्य चीजों के बारे में जानकारी की जा रही है.
आप नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा, दरबार साहिब की घटना बेहद दुखदाई, हो सकती है साजिश, दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. आप सांसद भगवंत मान ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बारे में सुनकर दिल दहल गया, बाबा नानक पंजाब और पंजाबियों को आशीर्वाद दें.
नेशनल कोविड सुपरमॉडल कमेटी ने आकलन किया है कि अगले साल की शुरुआत में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है.
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
देश में कोरोना वायरस के फिलहाल रोजाना 8 हज़ार से कम मामले आ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में 7 हज़ार 81 नए मामले आए हैं, जबकि 264 मरीज़ों की मौत हुई है. वहीं बीते 24 घंटों में 7 हज़ार 469 मरीज़ों ने कोरोना को मात दी है. फिलहाल देश में कोरोना के एक्टिव मरीज़ों की संख्या क़रीब 84 हज़ार है जो कि पिछले 19 महीनों में सबसे कम है. वहीं, दूसरी ओर नेशनल कोविड सुपरमॉडल कमेटी ने आकलन किया है कि अगले साल की शुरुआत में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है. और इसका पीक फरवरी महीने में होगा.
इस कमेटी की प्रमुख प्रोफ़ेसर विद्यासागर ने कहा कि ओमिक्रॉन तीसरी लहर लाएगा. लेकिन देश में बड़े पैमाने पर बढ़ी इम्युनिटी की वजह से दूसरी लहर के मुक़ाबले तीसरी लहर हल्की होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि इस बात की बहुत कम संभावना है कि तीसरी लहर में दूसरी लहर की तुलना में रोजाना ज़्यादा केस आएंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि आज जब-जब माफिया पर बुल्डोजर चलता है, तो दर्द उसे पालने-पोसने वाले को होता है.
शाहजहांपुर /शौर्यपथ/
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में करीब 600 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी. इस दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि यूपी के विकास के लिए योगी सरकार की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आज पूरी जनता कह रही है, यूपी प्लस योगी, बहुत है उपयोगी. उन्होंने कहा कि गंगा एक्सप्रेसवे यूपी के विकास को गति देगा. इससे एयरपोर्ट, मेट्रो, वाटरवेज, डिफेंस कॉरिडोर भी जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने पहले के मुकाबले ज्यादा बिजली दी है.
उन्होंने कहा कि योगी जी के नेतृत्व में यहां सरकार बनने से पहले पश्चिम यूपी में कानून-व्यवस्था की क्या स्थिति थी, इससे जनता भलीभांति परिचित है. पहले यहां क्या कहते थे? दिया बरे तो घर लौट आओ! क्योंकि सूरज डूबता था, तो कट्टा लहराने वाले सड़कों पर आ धमकते थे. आज जब जब माफिया पर बुल्डोजर चलता है, तो दर्द उसे पालने-पोसने वाले को होता है. इसीलिए यूपी की जनता योगी सरकार को ही चाहती है.
बेटियों की सुरक्षा पर आए दिन सवाल उठते रहते थे, उनका स्कूल कॉलेज जाना तक मुश्किल कर दिया था. व्यापारी घर से सुबह निकलता था परिवार को चिंता होती थी. कब कहां दंगा और आगजनी हो जाये कोई नहीं कह सकता था. इसी स्थिति के चलते कईं गांवों से पलायन की खबरें आती रहती थीं. लेकिन बीते 4 साढ़े 4 साल में योगी जी की सरकार ने स्थिति को सुधारने के लिए बहुत परिश्रम किया है.
अखिलेश यादव ने रायबरेली में पत्रकारों से कहा, "पहले अभी तो IT आया है. अभी ED, CBI का उत्तर प्रदेश आना बाकी है. आपलोग देखते जाइए अभी कौन-कौन लोग दिल्ली से भेजे जाते हैं?" उन्होंने कहा कि चुनावों में हार को देखकर बीजेपी परेशान है. वो चाहे जो कर ले राज्य में उनकी सरकार नहीं बनने वाली. यादव ने कहा कि राज्य में फिर से समाजवादी पार्टी की सरकार बनने जा रही है.
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजीव राय और अपने पर्सनल सेक्रेटरी जैनेंद्र यादव समेत कई नेताओं के ठिकानों पर की गई आयकर विभाग की छापेमारी पर गहरी नाराजगी जताई है और कहा है कि चुनाव आते ही बीजेपी ने केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग शुरू कर दिया.
अखिलेश यादव इन दिनों समाजवादी विजय यात्रा पर हैं. इसी क्रम में यादव ने रायबरेली में पत्रकारों से कहा, "अभी तो IT आया है. अभी ED, CBI का उत्तर प्रदेश आना बाकी है. आपलोग देखते जाइए अभी कौन-कौन लोग दिल्ली से भेजे जाते हैं?" उन्होंने कहा कि चुनावों में हार को देखकर बीजेपी परेशान है. वो चाहे जो कर ले राज्य में उनकी सरकार नहीं बनने वाली. यादव ने कहा कि राज्य में फिर से समाजवादी पार्टी की सरकार बनने जा रही है.
अखिलेश ने कहा कि बीजेपी की इन कोशिशों से साइकिल की रफ्तार नहीं रुकेगी. उन्होंने कहा कि यूपी में अभी कई एजेंसियां आएंगी. सपा प्रमुख ने कहा कि चुनावों के देखते हुए आयकर विभाग ने ये छापेमारी की गई है. ताकि सपा नेताओं को बदनाम किया जा सके. यादव ने कहा कि राज्य में ठोको राज चल रहा है. उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए कि किसानों को कुचलने के मामले में जब जांच एजेंसी की रिपोर्ट आ चुकी है, तब बीजेपी मंत्री पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही?
बता दें कि आयकर विभाग ने आज सपा के राष्ट्रीय सचिव राजीव राय के मऊ ठिकाने, अखिलेश यादव के पीएस जैनेंद्र यादव के लखनऊ ठिकाने और RCL ग्रुप के मालिक मनोज यादव के मैनपुरी ठिकाने पर एकसाथ छापेमारी की है.
राजीव राय को अखिलेश यादव का करीबी समझा जाता है और उन्हें 2012 में प्रदेश में सपा सरकार बनाने का मुख्य शिल्पकार समझा जाता है. राय कर्नाटक में कई शिक्षण संस्थान भी चलाते हैं. वह RVK ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशंस के चेयरमैन हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में घोसी संसदीय क्षेत्र से सपा के उम्मीदवार थे.
गंगा एक्सप्रेस-वे पर शाहजहांपुर में 3.5 किलो मीटर लंबी हवाई पट्टी निर्मित की जाएगी, जो वायु सेना के विमानों को आपातकालीन उड़ान भरने और उतरने में सहायता प्रदान करेगी. एक्सप्रेस-वे के साथ एक औद्योगिक गलियारा बनाने का भी प्रस्ताव है. एक्सप्रेस-वे पर ट्रॉमा सेंटर बनाने का भी प्रस्ताव है
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में करीब 600 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे के पहले चरण की आधारशिला रखेंगे. विकास और आर्थिक असंतुलन को दूर करने, रोजगार के अवसर पैदा करने और प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की दृष्टि से इस एक्सप्रेस-वे को ऐतिहासिक बताया जा रहा है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि देश भर में तेज गति से संपर्क प्रदान करने को लेकर प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि ही इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण की प्रेरणा रही है. इससे पहले पीएम मोदी ने पिछले महीने 16 नवंबर को सुल्तानपुर जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेस का उद्घाटन किया था. गंगा एक्सप्रेसवे को भी उनकी गतिशक्ति योजना का हिस्सा माना जा रहा है.
दिल्ली बॉर्डर से बलिया तक गंगा कि किनारे 1020 किलोमीटर में यह एक्सप्रेस-वे बनाए जाने का प्रस्ताव है. प्रोजेक्ट के पहले चरण में 594 किलोमीटर लंबा छह लेन वाला यह एक्सप्रेस-वे मेरठ के बिजौली गांव के पास से शुरू होकर प्रयागराज के जुदापुर दांडू गांव तक जाएगा. इसकी पीएम मोदी आज आधारशिला रखेंगे. इसे 36,200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित किया जाएगा.
पूरी तरह से निर्मित होने के बाद, यह राज्य के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों को जोड़ने वाला, उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे बन जाएगा. प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में एक्सप्रेस-वे प्रयागराज से बलिया तक कुल 316 किलोमीटर लंबाई में बनाया जाना है. फेज -2 में ही दिल्ली के तिगड़ी से यूपी बॉर्डर तक 110 किलोमीटर में एक्सप्रेस-वे प्रस्तावित है.
गंगा एक्सप्रेस-वे पर शाहजहांपुर में 3.5 किलो मीटर लंबी हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी, जो वायु सेना के विमानों को आपातकालीन उड़ान भरने और उतरने में सहायता प्रदान करेगी. एक्सप्रेस-वे के साथ एक औद्योगिक गलियारा बनाने का भी प्रस्ताव है. एक्सप्रेस-वे पर ट्रॉमा सेंटर बनाने का भी प्रस्ताव है. एक्सप्रेस-वे पर कई जगह हेडीपैड्स बनाने की भी योजना है, ताकि वहां से एयर एम्बुलेंस की सुविधा शुरू की जा सके.
किन-किन शहरों को जोड़ेगा गंगा एक्सप्रेस-वे?:
यह एक्सप्रेस-वे मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज से होकर गुजरेगा. इस एक्सप्रेस-वे के लिए जरूरी 518 ग्राम पंचायतों के 7368 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का करीब 96 फीसदी काम पूरा हो चुका है.
पीएमओ ने कहा है, ‘‘गंगा एक्सप्रेस-वे से औद्योगिक विकास, व्यापार, कृषि, पर्यटन आदि क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा. इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा.''
क्या है मायावती से कनेक्शन?:
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ही सहसे पहले इस एक्सप्रेस-वे की कल्पना की थी. साल 2007 में जब मायावती ने नई सोशल इंजीनियरिंग कर राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, तब उन्होंने 1047 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई थी, जो दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर बिहार के नजदीक बलिया तक प्रस्तावित थी लेकिन एक एनजीओ ने प्रोजेक्ट के अलाइनमेंट को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी.
साल 2009 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए इस प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया था कि यह पर्यावरण संरक्षण कानून के प्रावधानों के खिलाफ है. मायावती ने गंगा के किनारे-किनारे यह हाई-वे बनाने का प्रोजेक्ट बनाया था. इसके 10 साल बाद मायावती की गलती से सबक लेते हुए योगी सरकार ने जनवरी 2019 में फिर से गंगा एक्सप्रेस-वे बनाने का ऐलान किया लेकिन यह गंगा के किनारों पर स्थित न होकर वहां से 10 किलोमीटर दूर बनाने का प्रस्ताव पास किया.
उत्तर प्रदेश और केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी विधान सभा चुनावों से पहले जहां एक्सप्रेस-वे, एयरपोर्ट, एम्स अस्पताल जैसे बड़े आधारभूत संरचनात्मक विकास वाली परियाजनाओं का ताबड़तोड़ शिलान्यास, आधारशिला और उद्घाटन कार्यक्रम कर रही है, वहीं विपक्षी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव यह आरोप लगाते रहे हैं कि बीजेपी की सरकार पुरानी सरकारों की योजनाओं का फीता काट रही है.
गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी अखिलेश यादव ने कहा है कि यह परियोजना मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था, योगी आदित्यनाथ या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नहीं. एक तरह से यह बात सही भी है लेकिन वह अदालती उलझनों में रुका हुआ था, जिसे अब जाकर क्लियर किया गया है और पीएम मोदी आज उसकी आधारशिला रखने जा रहे हैं. दरअसल, चुनावों से पहले विकास का श्रेय हर पार्टी अपने खाते में दर्ज कराना चाहती है, इसलिए इस पर राजनीति तेज है.
आयोग द्वारा पेगासस मामले की जांच जारी रखने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की.CJI एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने यह सुनवाई की.
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
पेगासस मामले की जांच पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित जस्टिस लोकुर आयोग नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोकुर आयोग की जांच की कार्यवाही पर रोक लगाई और साथ ही नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान CJI रमना ने पश्चिम बंगाल की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि आपने पिछली बार कहा था कि जांच आगे नहीं बढ़ेगी. सिंघवी ने कहा कि उन्होंने ये कहा था कि वो आयोग को बता देंगे. आयोग वैधानिक बॉडी है और उसे सरकार आदेश जारी नहीं कर सकती.
आयोग द्वारा पेगासस मामले की जांच जारी रखने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की.CJI एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने यह सुनवाई की. याचिका में जस्टिस लोकुर आयोग द्वारा जांच करने रोक लगाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्य सरकार के जस्टिस लोकुर आयोग ने कोर्ट के आदेशों के बावजूद जांच जारी रखी है, इस पर CJI एन वी रमना ने कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा था कि वो आगे नहीं बढ़ेंगे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की जांच के लिए 27 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस आर वी रविंद्रन की अध्यक्षता में जांच के आदेश जारी किए थे. हालांकि सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल ने भरोसा दिलाया था कि वो जांच में आगे नहीं बढ़ेंगे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कमेटी गठित करने के आदेश के बाद जस्टिस लोकुर कमेटी ने जांच जारी रखी है. इस संबंध में आयोग ने कुछ लोगों को नोटिस भी भेजा है.इसी के खिलाफ NGO ग्लोबल विलेज फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई की मांग की थी.
दरअसल पेगासस जासूसी आरोपों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पेगासस मामले की SIT जांच वाली याचिकाओं के साथ टैग किया था. 25 अगस्त को पश्चिम बंगाल सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया था कि सुप्रीम कोर्ट में मामले के लंबित रहने तक न्यायिक आयोग जांच शुरु नहीं करेगा.सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को पेगासस जासूसी आरोपों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था.सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था. इस मामले में NGO ग्लोबल विलेज फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें कहा गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है तो आयोग का गठन क्यों किया गया? याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार के 27 जुलाई के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई थी. याचिका में कमीशन पर रोक लगाने का आदेश देने की गुहार भी लगाई गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सौरभ मिश्रा ने पीठ से कहा था कि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जांच आयोग गठित करने की अधिसूचना को अधिकार क्षेत्र के आधार पर चुनौती दी है. इसमें कहा गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है तो ममता सरकार द्वारा आयोग का गठन क्यों किया गया?दरअसल ममता सरकार ने 27 जुलाई को अधिसूचना जारी कर पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था.राज्य सरकार की इस जांच कमेटी में हाईकोर्ट के दो रिटायर्ड जज भी शामिल हैं.ये कमेटी पश्चिम बंगाल में फोन हैकिंग, ट्रैकिंग और फोन रिकॉर्डिंग के आरोपों की जांच कर रही है.
लखनऊ में एक गठबंधन सहयोगी दल के साथ पहली बड़ी संयुक्त रैली को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे.
लखनऊ /शौर्यपथ/
अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 से पहले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक गठबंधन सहयोगी दल के साथ पहली बड़ी संयुक्त रैली को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे.
गुरुवार को ही पूर्व मुख्यमंत्री तथा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनज़र अपने चाचा शिवपाल यादव से रिश्तों को बहाल कर लिया, और उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के साथ गठबंधन कर लिया.
लखनऊ में शुक्रवार को होने वाली रैली का आयोजन निषाद पार्टी के डॉ संजय निषाद ने किया है, जो वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के समय से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोगी हैं. वर्ष 2016 में गठित हुई निषाद पार्टी की पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में, खासतौर से मल्लाह तथा निषाद समुदायों की आबादी वाले इलाकों में पकड़ है.
निषाद पार्टी पहली बार 2018 में हुए गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव के समय चर्चा में आई थी, जब योगी आदित्यनाथ का घर मानी जाने वाली इस सीट पर निषाद पार्टी के संस्थापक के पुत्र प्रवीण निषाद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती के अनौपचारिक समर्थन से BJP को भौंचक्का करते हुए जीत हासिल की थी. इसी जीत ने उत्तर प्रदेश में SP और BSP के बीच गठबंधन की आधारशिला रखी थी.
हालांकि सिर्फ एक साल बाद, निषाद पार्टी ने पाला बदल लिया, और BJP के साथ आ गई. गोरखपुर की जीत के सितारे निषाद को BJP ने ने पड़ोसी संत कबीर नगर सीट से टिकट दिया, और वह जीते.
निषाद पार्टी लम्बे अरसे से यह मांग करती आ रही है, और माना जा रहा है कि लखनऊ की रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस बात का वादा कर सकते हैं कि निषाद समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) वर्ग के स्थान पर अनुसूचित जाति (SC) की सूची में स्थान दिया जाएगा, ताकि उन्हें आरक्षण का अधिक लाभ मिल सके.
कई सरकारें - जिनमें योगी आदित्यनाथ से लेकर अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव की सरकारें भी शामिल रही हैं - 17 OBC जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने की कोशिश में नाकाम हो चुकी हैं, भले ही उसके पीछे कानूनी बाधाएं रही हों, या नौकरशाही से जुड़ी अड़चनें.
निषाद, मल्लाह और कुम्हार जातियां मिलकर राज्य की आबादी का कुल 10 फीसदी हिस्सा हैं.
उधर, अखिलेश यादव की रैलियों में ज़ोरदार भीड़ देखी जा रही है, और वह कई छोटे-छोटे दलों को साथ लाने की कोशिशों में जुटे नज़र आते हैं. वह पहले ही छह क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर चुके हैं, जिनमें उनके चाचा शिवपाल यादव भी शामिल हैं. इनके अलावा अखिलेश यादव अब तक जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), ओमप्रकाश राजभर की SBSP, केशवदेव मौर्य की महान दल, कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाला अपना दल तथा जयंत चौधरी का राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं.
BJP ने अब तक निषाद पार्टी के अलावा केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की सात OBC-आधारित पार्टियों के समूह 'हिस्सेदारी मोर्चा' के साथ गठबंधन कर चुकी है.