May 01, 2024
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खेल संघों द्वारा खिलाडियों के यौन शोषण और मर्डर करवाने से लोगों का उठते जा रहा है ख्ेाल संघों से विश्वास ,अपने बच्चों को खेल में डालने से कतराने लगे है लोग  

   दुर्ग / शौर्यपथ / विभिन्न खेल संघों की करतूतों और खिलाडियों को प्रताड़ित करने की खबर आये दिन विभिन्न समाचार संसाधनों के माध्यम से आ ही जाति है . लगातार ऐसी बातो के सामने आने से खिलाडियों सहित परिजनों में भी अब अपने बच्चो के भविष्य के लक्ष्य को खेल के अलावा किसी अन्य क्षेत्र में रखने पर मजबूर हो रहे है आम जनता का भी इस तरह की खबरों से खेल संघो की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशाँ लगाए जा रहे है .दिल्ली से लेकर भिलाई तक खिलाडियों का यौन शोषण और खेल को राजनीति अखाडा बनाने व खिलाडियों के मर्डर तक करवाने तक करवाकर उस उस मामले को दबाने का मामला सामने आने से अब लोग अपने बच्चों को खेलों में भेजने से कतराने लगे है। इसका जीता जागता उदाहरण एक बार फिर सामने आया है। जहां दिल्ली में महिला खिलाडियों के यौन शोषण को लेकर खिलाडियों ने धरना प्रदर्शन तक किया। वही गत कुछ साल पहले भिलाई में भी महिला खिलाडियों को सलेकशन के लिए यौन षोषण का मामला सामने आया था जो बहुत ही सुर्खियों में था।
   हाल ही में एक और मामला सामने आया है हैण्डवाल खिलाडी सिरान के मर्डर का जिसकों असम के गुवाहटी में होने वाले प्रतियोगिता में भाग लेने अन्य खिलाडियों के साथ सलेकशन किया गया था, लेकिन उसको वहां तक पहुंचने नही दिया गया और उसे गत 25 मार्च 2023 को हावडा में चांदमारी घाट गंगा नदी के पास ले जाकर उसका मर्डर करवा दिया गया और इस मामले को मिली भगत कर दबवाने के साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी दूसरे का देकर मामले का लीपा पोती कर दिया गया। उक्त बातें पत्रकारों से अपनी पीडा बयां करते हुए हैण्डबॉल खिलाडी सिरान के पिता मो जावेद खान ने कही।
  मृतक खिलाडी के पिता ने बताया कि क्योंकि मेरे पुत्र की उम्र 15 साल थी लेकिन पोस्टर्माटम रिपोर्ट में 35 साल का बताया गया। वहीं पानी में डूबने से मौत होना बताया गया लेकिन पोस्टमार्टम के दौरान सिरान के पेट से मात्र साढ़े 3 सौ ग्राम ही पानी निकला जबकि डूबकर मरने वालों के पेट से कम से कम साढे तीन लीटर पानी निकलता है। मृतक के पिता ने आगे बताया कि कोलकाता पुलिस द्वारा हमे जो दस बारह फोटो दिखाया गया था उसमें साफ साफ गर्दन व उसके शरीर के कई स्थानों पर चोट के निशान दिखाई दे रहे है। मैं पिछले एक साल से अपने इकलौते पुत्र सिरान का हुए मर्डर के न्याय के लिए कोलकाता से लेकर भिलाई तक भटक रहा हूं लेकिन कही कोई सुनवाई नही हो रही है। इस मामले में हैण्डबॉल एसोसिएशन की पूरी जिम्मेदारी बनती है लेकिन वह इस मामले में अपना पल्ला झाड कर चुपचाप हाथ पर हाथ घरे बैठी है।
 हैण्डबाल खिलाडी सिरान के पीडित पिता मोहम्मद जावेद खान सेक्टर चार निवासी ने छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा से न्याय की गुहार लगाई है । मीडिया से बातचीत करने के सिरान के पिता ने कलकत्ता पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते बताया कि मेरे बेटे की हत्या हुई है लेकिन पुलिस पैसे लेकर आरोपियों को बचा रही है , वही उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट जो पुलिस ने प्रस्तुत की है वो पोस्टमार्टम उनके बेटे की नही है क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बॉडी की उम्र 35 वर्ष बताई गई है जबकि उनका बेटा 15 वर्ष का था,वही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दिखाई दे रहा है कि मरचुरी में बॉडी लाये जाने का समय 26 मार्च 2023 की शाम साढ़े 6 बजे दर्ज है जबकि सिरान की बॉडी पुलिस ने 26 मार्च को रात 8:30 बजे मिलने की बात कही है,,जिससे प्रतीत हो रहा है कि 2 घंटे पहले किसी और कि बॉडी रिकवर की गई थी 
मृतक के पिता बताते है कि जब वहा अपने बेटे की फ़ोटो देखी थी तो पुलिस के पास 7 से 8 फ़ोटो थी,जिसमे साफ साफ दिखाई दे रहा था की पेट के दाहिनी हिस्से में चोट के निशान थे उसके साथ ही गर्दन के पास भी चोट के निशान थे,जिसको देखकर यह साफ  साफ बताया जा सकता था कि उसके साथ अपहरण कर मारपीट करके हत्या की गई थी,लेकिन पैसे और वहाँ की राजनैतिक दबाव में मेरे बेटे की हत्या को नदी में डूबकर मौत होने को दर्शाने के लिए दूसरे व्यक्ति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट लगाकर मामले में लीपापोती कर दी गई।
  मो जावेद ने आगे बताया कि कोलकाता की पुलिस सहयोग नही कर रही है, आरटीआई में आवेदन लगाने के बाद भी न ही पुलिस सीसीटीव्ही फुटेज दे रही है और न ही उसका फोटोग्राफ । पुलिस साफ कह रही है कि हमारे पास फोटो नही है,सीसीटीवी फुटेज नही है। हावडा स्टेशन के बाहर किस प्रकार मेरे पुत्र से साथी कुछ खिलाडियों द्वारा मारपीट की गई है उसका सीसीटीव्ही फुटेज मेरे पास है, उसको दिखाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की जा रही है। चांदमारी घाट में चारों ओर सीसीटीवही कैमरा लगा है, उसका फुटेज देखने पर साफ पता चल जायेगा कि मेरे पुत्र के साथ किस किसने कैसे मारपीट की है और उसका मर्डर केसे करते हुए उसे नदी में फेक दिया गया हैं। लेकिन वहां की पुलिस इसपर कोई कार्यवाही नही कर रही हेै। मेरे पुत्र सिरान के साथ जाने वाले व जिनके साथ जो उसके साथी खिलाडी व कोच मारपीट किये और उसे चांदमारी घाट में छोडकर खेलने गुवाहाटी चले गये उनसे पूछताछ करना था लेकिन वहां की पुलिस ने उनको बिना पूछताछ किये क्यों छोड दी। उन्होनें अपनी और पीडा बताते हुए कहा कि हावडा के न्यायालय में केस करने के लिए वहां का कोई भी वकील केस लेने से इंकार कर रहा है कि हम यहां के सरकार व पुलिस के खिलाफ नही जायेंगे। आप बंगाल के बाहर वाले हो हमसे आपसे कोई मतलब नही है। मो जावेद खान ने अपने पुत्र के हत्या के इस मामले को सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।

नई दिल्ली / एजेंसी /

   लोकसभा निर्वाचन 2024 के लिए जबसे कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी किया है, भाजपा नेताओं की ओर से घोषणापत्र को लेकर तीखे हमले किए जा रहे हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कांग्रेस के मैनिफ़ेस्टो (चुनावी घोषणापत्र) का हवाला देकर कांग्रेस पर लगातार आरोप लगा रहे हैं. यह लेख इस बात पर रोशनी डालने की कोशिश करेंगे कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के कांग्रेस मैनिफ़ेस्टो को लेकर किए गए दावों में कितनी सच्चाई है.क्या क्या कहा भाजपा शीर्ष नेताओ ने  कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर ?

  घोषणापत्र को लेकर बीजेपी के दावे
   कांग्रेस का जवाब
 
  ऐसे तरह तरह के आरोप और चुनावी रैली में दिए व्यक्तव्यो पर कांग्रेस ने भाजपा नेताओ की बातो को गलत बताया . कांग्रेस नेताओ के अनुसार कांग्रेस के घोषणा पत्र में कही भी हिन्दू मुस्लिम की बात नहीं कही गई . घोषणा पत्र के विषय में कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी को पत्र लिख जवाब दिया  
  इन तमाम आरोपों के जवाब में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खडग़े ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा, "कांग्रेस के न्याय पत्र का लक्ष्य हर जाति और समुदाय के युवाओं, महिलाओं, किसानों और हाशिए पर रह रहे लोगों को न्याय मुहैया करना है और आपको आपके सलाहकार उन बातों को लेकर गलत ख़बर दे रहे हैं जो घोषणापत्र में लिखी ही नहीं हैं."
  प्रधानमंत्री मोदी के आरोपों के जवाब में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "कांग्रेस ने 55 साल में क्या किसी का सोना या मंगलसूत्र छीना? जब देश युद्ध लड़ रहा था तब इंदिरा जी ने अपना मंगलसूत्र व गहने दान किए. लाखों महिलाओं ने इस देश के लिए अपने मंगलसूत्र कुर्बान किए. जब मेरी बहनों को नोटबंदी में अपने मंगलसूत्र गिरवी रखने पड़े, तब प्रधानमंत्री जी कहां थे?"

बीजेपी के आरोपों में कितनी सच्चाई?
   हमने भाजपा नेताओं के भाषणों में कही गई बातों की तुलना कांग्रेस के घोषणापत्र में लिखी गई बातों से की और ये समझने की कोशिश की कांग्रेस पर लग रहे आरोपों का क्या आधार है या फिर वे निराधार हैं.
  प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "कांग्रेस ने अपने मैनिफ़ेस्टो में जो कहा है, वो चिंताजनक है, गंभीर है. अगर कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हर एक की प्रॉपर्टी का सर्वे किया जाएगा. हमारी बहनों के पास सोना कितना है, उसकी जांच की जाएगी, उसका हिसाब लगाया जाएगा. हमारे आदिवासी परिवारों में चांदी होती है, सिल्वर कितना है उसका हिसाब लगाया जाएगा." जबकि कांग्रेस घोषणापत्र में संपत्ति के पुनर्वितरण की बात नहीं है. कांग्रेस घोषणा पत्र में कहा गया है कि "साल 2014 और 2023 के बीच अमीर और गऱीब के बीच असमानता में खासकर वृद्धि हुई है."
  प्रधानमंत्री मोदी के आरोप के जवाब में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, "नरेंद्र मोदी हार के डर से कांप रहे हैं, इसीलिए वो लगातार एक के बाद एक झूठ बोल रहे हैं. वो जानते हैं कि हिंदुस्तान की जनता समझ गयी है कि नरेंद्र मोदी अरबपतियों के नेता हैं, गरीबों के नहीं. वो जानते हैं कि हिंदुस्तान की जनता संविधान की रक्षा के लिए खड़ी हो गयी है."
  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, "इस बार के घोषणापत्र में फिर कांग्रेस ने सरकारी नौकरियों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का संकेत दिया है, जो यदि लागू किया, तो उसमें सशस्त्र सेनाओं को भी इसके दायरे में ये ला सकता है. यह देश की एकता-अखंडता को प्रभावित करने वाला विचार है."
 जबकि राजनाथ सिंह ने ये नहीं बताया कि घोषणापत्र के किस हिस्से से उन्हें ऐसा इशारा या संकेत मिला. घोषणापत्र में "आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों और समुदायों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण" की बात है.
  साथ ही घोषणापत्र में कांग्रेस ने गारंटी दी है कि, "वो अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी समुदायों के आरक्षण पर लगी 50 प्रतिशत की उच्चतम सीमा को बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधन पास करेगी."इसके अलावा घोषणापत्र का एक हिस्सा "धार्मिक और भाषा-संबंधी अल्पसंख्यकों" को लेकर है जिसमें विदेश में पढऩे के लिए मौलाना आज़ाद स्कॉलरशिप को बहाल करने और स्कॉलरशिप की संख्या बढ़ाने की बात की है. साथ ही घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों छात्रों और युवाओं को शिक्षा, रोजग़ार, बिजऩेस, सर्विसेज़, खेल और दूसरे क्षेत्रों में बढ़ते अवसरों के लिए प्रोत्साहित करने और सहायता करने की बातें की गई हैं.
  कांंग्रेस के मीडिया और पब्लिसिटी डिपार्टमेंट प्रमुख पवन खेड़ा ने लिखा, "प्रधानमंत्री को चुनौती है कि हमारे घोषणा पत्र में कहीं भी हिंदू मुसलमान लिखा हो तो दिखा दें."
  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक रैली में कहा, "जब कांग्रेस के घोषणा पत्र को आप देखते हैं तो दो बातें उस घोषणापत्र में नजऱ आती हैं. एक, कांग्रेस कहती है कि हम व्यक्तिगत कानून को लागू करके शरिया कानून को लागू करवा देंगे. इसका मतलब बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान के लिए ये लोग ख़तरा पैदा करना चाहते हैं. ये देश के संविधान के लिए ख़तरा पैदा करना चाहते हैं. तालिबानी शासन लागू करना चाहते हैं. क्या हम तालिबानी शासन को स्वीकार करेंगे?"
  दूसरी तरफ़ कांग्रेस के घोषणापत्र में "धार्मिक और भाषा-संबंधी अल्पसंख्यकों" के हिस्से के नीचे लिखा गया है, "हम व्यक्तिगत कानूनों में सुधार के लिए प्रोत्साहित करेंगे. ऐसे सुधार समुदायों की सहमति और उनके सहयोग से ही होने चाहिए." घोषणापत्र में 'शरियाÓ, 'तालिबानÓ जैसे शब्द नहीं है, इसलिए ये साफ़ नहीं कि उन्होंने ये बातें किस आधार पर कहीं.

नई दिल्‍ली/एजेंसी/  लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण की वोटिंग समाप्‍त हो चुकी है. 13 राज्‍यों में 88 सीटों पर हुई वोटिंग के बाद पीएम नरेंद्र मोदी का इसे लेकर ट्वीट भी सामने आया. पीएम ने करीब 7 बजे सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स के माध्‍यम से वोटिंग पर अपनी प्रतिक्रिया दी. पीएम ने लिखा, ‘दूसरा चरण बहुत अच्छा रहा! भारत भर के लोगों का आभार जिन्होंने आज मतदान किया. एनडीए को मिल रहा अद्वितीय समर्थन विपक्ष को और भी निराश करने वाला है. मतदाता एनडीए का सुशासन चाहते हैं. युवा और महिला मतदाता एनडीए को मजबूत समर्थन दे रहे हैं.’

    शाम पांच बजे तक आज पश्चिम बंगाल और छत्‍तीसगढ़ में 72 फीसदी से अधिक मतदान हए. वहीं, राजस्थान में 59 फीसदी, 52.64, मणिपुर और त्रिपुरा में 76 फीसदी मतदान दर्ज किए गए. उधर, बिहार में शाम 5 बजे तक 53 फीसदी, महाराष्ट्र में 53.51, असम में 70.66, मध्य प्रदेश में 55 प्रतिशत वोटिंग हुई. प्रधानमंत्री ने आज बरेली में एक किलोमीटर लंबा रोडशो किया और रास्ते में खड़ी उत्साही भीड़ ने हाथ हिला कर उनका स्वागत किया. फूलों से सजे रथ की तरह बने भगवा रंग के वाहन पर खड़े मोदी ने भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल थाम रखा था, और सड़क किनारे खड़ी भीड़ ने फूल बरसाकर उनका स्वागत किया. इस दौरान भीड़ में खड़े लोगों के हाथों में पोस्टर थे, जिनपर ‘अबकी बार 400 पार’ लिखा था.

प्रधानमंत्री के साथ रथ पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बरेली से लोकसभा प्रत्याशी छत्रपाल गंगवार मौजूद हैं. पश्चिमी उप्र के रुहेलखंड क्षेत्र के मध्य में स्थित बरेली को भाजपा का गढ़ माना जाता है. पार्टी ने इस बार छत्रपाल गंगवार को टिकट दिया है. स्थानीय पार्टी नेताओं ने बताया कि रोड शो राजेंद्र नगर इलाके से शुरू हुआ . सात चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को बरेली में मतदान होगा.

नई दिल्‍ली / एजेंसी / राउज एवन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में आगे की जांच की मांग करने वाली भाजपा सांसद और पूर्व डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृज भूषण सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है. बृज भूषण सिंह ने दावा किया था कि घटना के दिन वह भारत में नहीं था. अब 7 मई को राउज एवन्यू कोर्ट मुख्य मामले में आरोप तय करने पर फैसला सुना सकती है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने बृजभूषण शरण सिंह की अर्जी पर सुनवाई की.
   बृजभूषण शरण सिंह ने मामले को आरोप तय होने से पहले अर्जी दाखिल कर दावा किया था कि वो घटना के वक्त भारत में मौजूद ही नहीं था. अपने पक्ष में उन्‍होंने अपनी कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) पेश की थी. अनुरोध किया गया था कि इस एंगल से आगे जांच की जानी चाहिए. कोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी से पूछा कि आरोपी की CDR विश्‍वसनीय दस्तावेज है या नहीं? जांच अधिकारी ने कहा कि यह अविश्‍वसनीय दस्‍तावेज नहीं है.
दिल्ली पुलिस ने 15 जून, 2023 को अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें नाबालिग पहलवान से जुड़े मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया था क्योंकि उसके पिता ने जांच के बीच में यह चौंकाने वाला दावा किया था कि उन्होंने सिंह से बदला लेने के लिए उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के झूठे आरोप लगाए थे. हालांकि पहलवानों से जुड़े मामले में जांच अभी भी जारी है.

नई दिल्‍ली / एजेंसी / लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण की वोटिंग अब खत्‍म हो गई है. कुल 13 राज्यों की 88 संसदीय सीटों पर आज मतदान हुए. सुबह सात बजे शुरू हुए मतदान शाम छह बजे तक चले. हालांकि समय खत्‍म होने के वक्‍त तक जितने भी लोग मतदान केंद्र में प्रवेश कर चुके थे, उन्‍हें वोटिंग का पूरा मौका दिया गया. पीएम मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी लोगो से ज्‍यादा से ज्‍यादा संख्‍या में निकलकर अपने वोट की ताकत का इस्‍तेमाल करने का अनुरोध लोगों से किया था.

आज छत्तीसगढ़ के तीन लोकसभा क्षेत्रों में 72.51 फीसदी से अधिक मतदान दर्ज किया गया. छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटों के लिए तीन चरण में मतदान हो रहा है. पश्चिम बंगाल में 71.84 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. यूपी में 53.17 फीसदी, राजस्थान में 60.45 फीसदी, मणिपुर 77.50 और त्रिपुरा में 77.97 फीसदी, महाराष्ट्र में 53.71 फीसदी, बिहार में 54.17 फीसदी, असम में 70.68 फीसदी, मध्य प्रदेश में 55.45 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई. नोएडा की 100 हाईराइज सोसाइटीज में पोलिंग बूथ लगाने के बावजूद भी 3 लोकसभा चुनावों में सबसे कम रहा मतदान प्रतिशत रहा. गौतमबुद्ध नगर लोकसभा की नोएडा विधानसभा में सबसे कम मतदान-46.48 फ़ीसदी वोटिंग हुई. नोएडा विधानसभा में 2014 में 53.46 प्रतिशत मतदान हुआ था और 2019 में 52.35 प्रतिशत मतदान हुआ था.

कर्नाटक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, दिग्गज सॉफ्टवेयर उद्योगपति एन आर नारायण मूर्ति, उनकी पत्नी और राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति, पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ ने वोट डाला. राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे ने भी अपने मताधिकार का उपयोग किया. लोकसभा चुनाव 2019 में इन 88 में से भाजपा ने 52 और उसके सहयोगियों ने 12 सीटें जीती थीं. हालांकि अब विपक्षी INDIA गठबंधन में शामिल घटक दलों ने मिलाकर पिछले आम चुनाव में इनमें से 23 सीटें अपने नाम की थी.

नई दिल्ली / एजेंसी / सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप ने साफ तौर से कह दिया है कि अगर उसे एनक्रिप्श हटाने को कहा गया तो वह भारत छोड़ देगा. व्हाट्सऐप ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि अगर उसे मैसेज एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो व्हाट्सऐप भारत में प्रभावी रूप से बंद हो जाएगा. मेटा के स्वामित्व वाली कंपनी व्हाट्सऐप ने कहा कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करके यूजर्स की प्राइवेसी की रक्षा करता है कि केवल सेंडर (भेजने वाला) और प्राप्तकर्ता ही संदेश सामग्री को जान सकते हैं. दरअसल, व्हाट्सऐप ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 को चुनौती देते हुए यह बात कही.
  टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाट्सऐप की ओर से अदालत में पेश हुए वकील तेजस करिया ने डिवीजन बेंच को बताया, ‘एक मंच के रूप में हम कह रहे हैं कि अगर हमें एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए कहा जाता है, तो व्हाट्सऐप चला जाएगा. करिया ने कहा कि लोग व्हाट्सऐप के प्राइवेसी फीचर की वजह से ही इसका यूज करते हैं, जो कंपनी ने उपलब्ध कराया है. भारत में व्हाट्सऐप के 400 मिलियन यानी 40 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं, जो इसे इस प्लेटफॉर्म के लिए सबसे बड़ा बाजार बनाता है. दरअसल, व्हाट्सऐप ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 को चुनौती देते हुए यह बात कही.
  मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने पिछले साल मेटा के वार्षिक कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा था, ‘भारत एक ऐसा देश है, जो सबसे आगे है… आप इस मामले में दुनिया का नेतृत्व कर रहे हैं कि कैसे लोगों और व्यवसायों ने मैसेजिंग को अपनाया है.’ बता दें कि व्हाट्सऐप और फेसबुक की मूल कंपनी मेटा ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें उन्हें चैट का पता लगाने और संदेश भेजने वालों की पहचान करने को कहा गया है. व्हाट्सऐप ने अपनी दलील में कहा है कि यह कानून एन्क्रिप्शन को कमजोर करता है और भारतीय संविधान के तहत यूजर्स की प्राइवेसी यानी निजता की सुरक्षा का उल्लंघन करता है.
व्हाट्सऐप-मेटा ने क्या तर्क दिया?
   मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप ने तर्क दिया है कि यह नियम एन्क्रिप्शन के साथ-साथ यूजर्स की गोपनीयता भी कमजोर करते हैं. यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत गारंटीकृत उपयोगकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है. व्हाट्सऐप के वकील करिया ने कहा, ‘दुनिया में कहीं और ऐसा कोई नियम नहीं है. ब्राज़ील में भी नहीं. हमें पूरी चेन रखनी होगी और हमें नहीं पता कि कौन से मैसेज को डिक्रिप्ट करने के लिए कहा जाएगा.’ इसका मतलब है कि लाखों-करोड़ों संदेशों को कई वर्षों तक संग्रहीत करना होगा.’

सरकार ने क्या कहा
  हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से पेश कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए संदेश भेजने वालों का पता लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया. कीर्तिमान सिंह ने तर्क दिया कि आज के माहौल में ऐसी व्यवस्था जरूरी है. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप और मेटा की याचिकाओं को 14 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. पीठ ने कहा कि गोपनीयता के अधिकार पूर्ण नहीं हैं और कहीं न कहीं संतुलन बनाना होगा.

रायपुर / शौर्यपथ / भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ में 23 और 24 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय प्रवास पर रहेंगे। 23 अप्रैल को पीएम मोदी के राजभवन में रात्रि विश्राम के मद्देनजर शाम 04 बजे से दिनांक 24 अप्रैल सुबह 10 बजे तक राजभवन के आसपास व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।
23 अप्रैल को जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री की सभा
 भाजपा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 23 अप्रैल को जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री की सभा होगी। जांजगीर के सक्ती में दोपहर एक बजे पीएम मोदी सभा को संबोधित करेंगे।
 उसके बाद महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के धमतरी में सभा
  दोपहर तीन बजे महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के धमतरी में सभा होगी। धमतरी की सभा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायपुर लौटेंगे और फिर राजभवन में रात्रि विश्राम कर 24 अप्रैल को अंबिकापुर दौरे पर रहेंगे। जहां भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज के पक्ष में चुनावी रैली को संबोधित करेंगे।
24 अप्रैल को अंबिकापुर दौरे पर रहेंगे पीएम
  23 अप्रैल को शाम 06 से 08 बजे के बीच माना विमानतल से फुण्डहर चौक एक्सप्रेस वे होकर शंकर नगर चौक से भगत सिंह चौक जीई रोड होकर राजभवन आने वाले रास्ते और 24 अप्रैल को सुबह 08 से 10 बजे के बीच इसी मार्ग से वापस माना विमानतल जाने वाला मार्ग समेत राम मंदिर से माना विमानतल तक वीआईपी रोड में भी सामान्य आवागमन बाधित रहेगा।

नई दिल्ली / एजेंसी / देश के लोकतंत्र के महापर्व के प्रथम चरम में 102 लोकसभा सीटो पर 21 राज्यों में चुनाव संपन्न हुआ . पिछले लोकसभा के मुकाबले इस बार वोट प्रतिशत कम रहा वही नागालैंड के ३० विधानसभा (०६ जिलो ) में जीरो प्रतिशत मतदान की खबर ने देश में बहस का मुद्दा छेड़ दिया . इन छह जिलो में पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान हुआ किन्तु लोकसभा में जीरो प्रतिशत मतदान ने नागालैंड के विकास के मुद्दों की बात को देश के सामने ला दिया इसमें से कुछ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक भी शामिल थे.
    ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन काफी समय से एक अलग प्रशासन या राज्य की मांग कर रहा है, उसकी स्थानीय लोगों से चुनाव का बहिष्कार की अपील के बाद नागालैंड के छह जिलों में आज अब तक लगभग शून्य फीसदी मतदान दर्ज किया गया है. ये समूह वर्ष 2010 से छह पिछड़े जिलों को मिलाकर एक अलग प्रशासन या राज्य की मांग कर रहे हैं. उत्तर-पूर्वी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए ईएनपीओ को नोटिस जारी किया है.
  एक बयान में, शीर्ष चुनाव अधिकारी ने कहा कि समूह ने "आम चुनाव में मतदान करने के लिए पूर्वी नागालैंड क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वतंत्र अभ्यास में हस्तक्षेप करके. अनुचित प्रभाव का डालने का प्रयास किया था." अधिकारी ने कहा, इसलिए ईएनपीओ को "कारण बताने का निर्देश दिया जाता है...कि भारतीय दंड संहिता की धारा 171सी की उपधारा के तहत कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए."
  ईएनपीओ ने जवाब दिया है कि सार्वजनिक अधिसूचना का "मुख्य लक्ष्य" पूर्वी नागालैंड क्षेत्र में गड़बड़ी की संभावना को कम करना था, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में है, और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जुड़े जोखिम को कम करना है. संगठन ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि "पूर्वी नागालैंड क्षेत्र वर्तमान में सार्वजनिक आपातकाल के अधीन है", और यह हितधारकों के साथ परामर्श के बाद घोषित किया गया था.
   ईएनपीओ ने कहा, यह लोगों द्वारा एक "स्वैच्छिक पहल" थी, यह तर्क देते हुए कि धारा 171सी के तहत कार्रवाई "लागू नहीं है... क्योंकि किसी भी चुनाव में अनुचित प्रभाव से संबंधित कोई अपराध नहीं किया गया है..." बयान में कहा गया है, "यह देखते हुए कि बंद लोगों की स्वैच्छिक पहल थी, ईएनपीओ या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा जबरदस्ती या प्रवर्तन का कोई सवाल ही नहीं था." बयान में यह भी कहा गया है कि वह चुनाव आयोग के साथ सहयोग करने को तैयार है. कोई ग़लतफ़हमी या ग़लत व्याख्या हुई है."
  30 मार्च को ईएनपीओ ने 20 विधायकों और अन्य संगठनों के साथ एक लंबी बैठक की, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव से पूरी तरह दूर रहने की बात दोहराई. पूर्वी नागालैंड विधायक संघ - जिसमें 20 विधायक शामिल हैं. उसने ईएनपीओ से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था.
  अगले दिन ईएनपीओ ने भारत निर्वाचन आयोग को चुनाव में वोट न डालने के अपने कदम के बारे में बताया. इसमें कहा गया है कि निर्णय को हल्के में नहीं लिया गया और यह "पूर्वी नागालैंड के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को दर्शाता है, जिन्होंने लोकतांत्रिक शासन के ढांचे के भीतर हमारे अधिकारों और आकांक्षाओं की अथक वकालत की है." इसमें कहा गया है कि यह निर्णय लोकतंत्र बनाम अवज्ञा का कार्य नहीं है.
  ईएनपीओ ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भी बहिष्कार का आह्वान किया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था. नागालैंड में एक लोकसभा सीट है, जिस पर 2018 के उपचुनाव के बाद से नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के तोखेहो येप्थोमी का कब्जा है, एनडीपीपी भाजपा की सहयोगी है.

नागालैंड के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी एवा लोरिंग ने बताया कि इन 6 जिलों के 638 पोलिंग स्टेशंस पर चुनाव अधिकारी तैनात किए गए थे. इन 6 जिलों में 4 लाख से ज्यादा मतदाता हैं. इन मतदाताओं ने ENPO के प्रति अपना समर्थन दिखाया और चुनाव का बहिष्कार कर दिया.

प्रवासी मजदूरों को मतदान करने के लिए जागरूक करने हेतु किया गया लक्षित
पलायन करने वाले श्रमिकों को मतदान हेतु प्रेरित करने लिखी गई एक इबारत

    राजनांदगांव / शौर्यपथ / महाराष्ट्र के गोंदिया जिले और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले ने एक अनूठी पहल करते हुए अंतर्राज्यीय स्वीप कार्यक्रम की योजना बनाने के उपलक्ष्य में हाथ मिलाये और पहली बार ऐसा वक्त रहा जब दो राज्यों के जिलों ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए मतदाता जागरूकता कार्यक्रम को नये आयाम प्रदान किए हैं। इस कार्यक्रम का लक्ष्य प्रवासी मजदूरों को मतदान करने के लिए जागरूक करने का था। अंतर्राज्यीय स्तर पर दो जिलों ने आपसी समझ एवं समन्वय से पलायन करने वाले श्रमिकों को मतदान हेतु प्रेरित करने एक इबारत लिखी है। इसके साथ ही नये मतदाताओं या ऐसे मतदाता जो किसी कारण से मतदान करने में वंचित हो गये हो, उन्हें लक्षित करते हुए मताधिकार के प्रति जागरूक किया गया। उन्हें एमएमएस करने के साथ ही मतदान करने के लिए फोन के माध्यम से सूचना दी जाएगी। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री संजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में मतदाता जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन लगातार किया जा रहा है। जिला पंचायत सीईओ एवं स्वीप नोडल सुश्री सुरूचि सिंह के निर्देशन में जिले में स्वीप अंतर्गत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर सघन अभियान चलाये जा रहे हंै।


   यह कार्यक्रम डोंगरगढ़ विकासखंड अंतर्गत बागनदी पुल पर आयोजित किया गया और दोनों जिले के मतदाता अपने-अपने जिले से रैली के रूप में निकले और बागनदी पुल पर एकत्रित हुए। मिलने पर उन्होंने एक दूसरे को गुलाब के फूल भेंंट कर स्वागत किया और साथ-साथ रैली के रूप में मंच तक पहुंचे। मंच पर उपस्थित अधिकारियों ने मतदाताओं को हिंदी, छत्तीसगढ़ी एवं मराठी में सम्बोधित किया। इसके बाद प्रतिभागियों को छत्तीसगढ़ी के साथ-साथ मराठी में भी मतदाता शपथ दिलाई गई। आम तौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में कम मतदान होता है और मतदाताओं, विशेषकर प्रवासी मतदाताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं, इसलिए राज्य में पहली बार दोनों जिलों ने अंतर्राज्यीय स्वीप कार्यक्रम संचालित करने का निर्णय लिया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्रीमती इंदिरा नवीन प्रताप सिंह तोमर, जिला पंचायत सीईओ गोंदिया, परियोजना अधिकारी साक्षरता श्रीमती रश्मि सिंह, जनपद सीईओ डोंगरगढ़ सुश्री दिव्या ठाकुर, जनपद सीईओ छुरिया श्री नारायण बंजारा, राजनांदगांव एवं गोंदिया जिले की स्वीप टीम सहित अन्य अधिकारी व बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

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