March 16, 2025
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भारत

भारत (809)

भारत की आज़ादी की लड़ाई और स्वतंत्रता के बाद समूचे देश को एकजुट करने में सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान अविस्मरणीय है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

 देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारतरत्न' से नवाज़े गए 'लौहपुरुष' सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि के अवसर पर कई नेताओं ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की. भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाद में हुआ था. वह पेशे से वकील थे, लेकिन मंझे हुए राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर ज़्यादा जाने गए.

भारत की आज़ादी की लड़ाई और स्वतंत्रता के बाद समूचे देश को एकजुट करने में उनका योगदान अविस्मरणीय है. वर्ष 1991 में भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत 'भारतरत्न' से सम्मानित किया था. सरदार वल्लभभाई पटेल ने पूरा जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया था. उनका देहावसान 15 दिसंबर, 1950 को हुआ था, जब वह 75 वर्ष के थे.

 सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि “सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनकी पुण्य तिथि पर नमन. उनकी महान सेवा, उनके प्रशासनिक कौशल और हमारे राष्ट्र को एकजुट करने के अथक प्रयासों के लिए भारत हमेशा उनका आभारी रहेगा.”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने KOO पर पोस्ट करते हुए लिखा कि माँ भारती के अनन्य उपासक, भारतीय गणराज्य के शिल्पकार, 'भारत रत्न' लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि. 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत-अखण्ड भारत' के निर्माण हेतु समर्पित आपका सम्पूर्ण जीवन सभी भारतवासियों के लिए एक महान प्रेरणा है.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पोस्ट करते हुए लिखा कि महान देशभक्त ”भारत रत्न” लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन. भारत की एकता, अखंडता एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान के लिए सरदार पटेल का योगदान, हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा. कृतज्ञ राष्ट्र उनका वंदन करता है.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने KOO में पोस्ट करते हुए श्रद्धांजलि की ओर लिखा कि राष्ट्रीय नवभारत के विमान 'लौह पुरुष' भारत रत्न वल्लभ भाई पटेल जी को स्थिति पर खराब.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पोस्ट करते हुए लिखा कि सरदार वल्लभभाई झावेरभाई पटेल जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि, जिन्होंने साल 1947 से 1950 तक भारत के पहले उप प्रधान मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी. भारत के राजनीतिक एकीकरण और साल 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में भी काम किया.

 

 

 

 

 

एसआईटी ने अपनी एक रिपोर्ट में लखीमपुर खीरी के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट से कहा है कि किसानों को 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में कथित तौर पर आशीष मिश्रा द्वारा संचालित एक एसयूवी गाड़ी द्वारा "हत्या करने के इरादे से" कुचल दिया गया था और यह "लापरवाही से हुई मौत नहीं" थी.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

उत्तर प्रदेश  के लखीमपुर खीरी केस  में जेल में बंद केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा  द्वारा कथित तौर पर किसानों की हत्या को एक "सुनियोजित साजिश" बताए जाने वाली SIT की रिपोर्ट सामने आने के बाद आज संसद में सरकार को विपक्षी दलों के कड़े तेवर का सामना करना पड़ सकता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज सुबह SIT रिपोर्ट पर चर्चा के लिए लोकसभा में कार्य स्थगन नोटिस दिया है.


कांग्रेस नेता ने अपने नोटिस में कहा है कि स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम (SIT) की रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मोदी मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए.

कांग्रेस सांसद ने लिखा, "यूपी पुलिस की एसआईटी रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि लखीमपुर में किसानों का नरसंहार एक पूर्व नियोजित साजिश थी, न कि कोई लापरवाही." उन्होंने कहा, "सरकार को गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए और पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाना सुनिश्चित करना चाहिए."

एसआईटी ने अपनी एक रिपोर्ट में लखीमपुर खीरी के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट से कहा है कि किसानों को 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में कथित तौर पर आशीष मिश्रा द्वारा संचालित एक एसयूवी गाड़ी द्वारा "हत्या करने के इरादे से" कुचल दिया गया था और यह "लापरवाही से हुई मौत नहीं" थी.

मामले की जांच कर रही टीम ने कहा है कि आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ रैश ड्राइविंग के आरोपों को संशोधित किया जाना चाहिए, और हत्या के प्रयास के आरोप और स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के आरोप शामिल किए जाने चाहिए. आशीष मिश्रा और अन्य पहले से ही हत्या और साजिश के आरोपों का सामना कर रहे हैं.

 

 

 

लखीमपुर खीरी मामले में किसानों पर गाड़ी चढ़ाना एक सोची-समझी साजिश का हिस्‍सा थी. स्‍पेशल इनवेस्‍टीगेशन टीम (SIT) ने यह बात कही है. गौरतलब है कि इस मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा मुख्‍य आरोपी है.

नई दिल्‍ली /शौर्यपथ/

 लखीमपुर खीरी मामले में किसानों पर गाड़ी चढ़ाना एक सोची-समझी साजिश का हिस्‍सा थी. स्‍पेशल इनवेस्‍टीगेशन टीम (SIT) ने यह बात कही है. गौरतलब है कि इस मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा मुख्‍य आरोपी है. मामले की जांच कर रही पुलिस टीम ने जज को लिखा है कि आशीष मिश्रा के खिलाफ आरोपों को संशोधित किया जाना चाहिए. मामले में आशीष मिश्रा और अन्‍य पहले ही हत्‍या और साजिश के आरोपों का सामना कर रहे हैं. विशेष जांच टीम चाहती है कि इसमें हत्‍या की कोशिश (attempt to murder)और अन्‍य आरोप भी जोड़े जाएं.

गौरतलब है कि ऐसे समय जब सत्‍ताधारी बीजेपी, यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी कर रही है, यह घटनाक्रम केंद्रीय गृह राज्‍यमंत्री अजय मिश्रा के लिए बड़ी परेशानी का संकेत है. अजय मिश्रा को हटाने की लगातार मांग के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें कैबिनेट में बरकरार रखा है. लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर किसानों में तीखा गुस्‍सा है जिसका असर आने वाले चुनावो में देखने को मिल सकता है. लखीमपुर खीरी में 3 अक्‍टूबर को किसानों को विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई इस घटना में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी. कथित तौर पर आशीष मिश्रा द्वारा चलाई जा रही SUV के किसानों पर चढ़ने से चार किसानों की मौत हो गई थी. इसके बाद हिंसा भड़क उठी थी और एक पत्रकार सजित चार और लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.

आशीष मिश्रा का नाम किसानों द्वारा दायर FIR में है. जिसमें कहा गया है कि किसानों के शांतिपूर्ण मार्च के बीच से आशीष अपनी कार से तेज गति से लोगों को रौंदते निकला. इस घटना और इससे हुई हिंसा में चार किसानों और काफिले के चार लोगों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.

 

 

 

वीडियो में साफ दिख रहा है कि प्रधानमंत्री काली जैकेट पहने और कंधे पर मफलर डाले तेजी से योगी आदित्यनाथ के साथ आगे बढ़ रहे हैं. उनके आगे-आगे सुरक्षाकर्मी चल रहे हैं और सड़क के दोनों किनारों पर बड़ी संख्या में उनके समर्थक उनका स्वागत कर रहे हैं और नारेबाजी कर रहे हैं.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने बीती रात वाराणसी  में कई इलाकों में जाकर विकास कार्यों का जायजा लिया. इस दौरान वह काशी की सड़कों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  के साथ टहलते देखे गए. बीच सड़क पर प्रधानमंत्री को देखकर कई स्थानीय लोग भी सड़कों पर उतर आए. उनमें से कई 'जय श्रीराम' के नारे लगा रहे थे तो कुछ 'पीएम मोदी जिंदाबाद' के नारे लगा रहे थे.

 इसी बीच प्रधानमंत्री की नजर एक ऐसे शख्स पर पड़ी जो अपने दूधमुंहे बच्चे को लेकर वहां पहुंचा था. प्रधानमंत्री ने उसे करीब बुलाकर बच्चे को लाड़-प्यार किया और पूछा, 'रात को सोते नहीं हो?' बच्चे का पिता इस दौरान आह्लादित नजर आया. इसके बाद प्रधानमंत्री वहां से आगे बढ़ गए.

 वीडियो में साफ दिख रहा है कि प्रधानमंत्री काली जैकेट पहने और कंधे पर मफलर डाले तेजी से योगी आदित्यनाथ के साथ आगे बढ़ रहे हैं. उनके आगे-आगे सुरक्षाकर्मी चल रहे हैं और सड़क के दोनों किनारों पर बड़ी संख्या में उनके समर्थक उनका स्वागत कर रहे हैं और नारेबाजी कर रहे हैं.

वीडियो में दिख रहा है कि जिस सड़क से पीएम मोदी गुजर रहे हैं, उसके दोनों तरफ स्पेशल लाइटिंग की गई है. स्ट्रीट लाइट को भी तिरंगे एलईडी से सजाया गया है. पीएम के पीछ-पीछे भी SPG के जवान उन्हें कवर करते हुए देखे जा सकते हैं. बीचे-बीच में प्रधानमंत्री हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन भी कर रहे हैं.

पीएम मोदी आधी रात को बनारस रेलवे स्टेशन भी पहुंचे थे. पीएम ने इस बारे में ट्वीट कर कहा, "अगला पड़ाव... बनारस स्टेशन. हम रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ स्वच्छ, आधुनिक और यात्री अनुकूल रेलवे स्टेशनों की दिशा में काम रहे हैं."

 

 

 

पीएम मोदी ने कहा, काशी ने भव्य विश्वनाथ धाम महादेव के चरणों में अर्पित किया और आज विहंगम योग संस्थान का ये अद्भुत आयोजन हो रहा है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे  के दूसरे दिन मंगलवार को उमराहा में बड़ी रैली की. जनसैलाब के बीच पीएम मोदी ने राष्ट्रपति महात्मा गांधी और देश के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया. पीएम मोदी ने कहा, जहां बीज होता है, वृक्ष वहीं से विस्तार लेना शुरू करता है. आज जब हम बनारस के विकास की बात करते हैं, तो इससे पूरे भारत के विकास का रोडमैप भी बन जाते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, आज जब विदेश से भी लोग बनारस आते हैं तो उन्हें सब बदला-बदला लगता है. रिंग रोड का काम भी काशी ने रिकॉर्ड समय में पूरा किया है. बनारस आने वाली काफी सड़कें भी चौड़ी हो गई हैं. जो सड़क के रास्ते बनारस आते हैं, वो सुविधाओं का फर्क साफ समझते हैं.

पीएम मोदी ने कहा, काशी विश्वनाथ धाम  को महादेव के चरणों में अर्पित किया और आज विहंगम योग संस्थान का ये अद्भुत आयोजन हो रहा है. इस दैवीय भूमि पर ईश्वर अपनी अनेक इच्छाओं की पूर्ति के लिए संतों को ही निमित्त बनाता है. आज गीता जयंती का पुण्य अवसर है आज के ही दिन कुरुक्षेत्र की युद्ध की भूमि में जब सेनाएं आमने सामने थीं, मानवता को योग, आध्यात्म और परमार्थ का परम ज्ञान मिला था. सद्गुरु सदाफलदेव जी ने समाज के जागरण के लिए विहंगम योग को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यज्ञ किया था.

 आज वो संकल्प बीज हमारे सामने इतने विशाल वट वृक्ष के रूप में खड़ा है. हमारा देश इतना अद्भुत है कि, यहाँ जब भी समय विपरीत होता है, कोई न कोई संत-विभूति, समय की धारा को मोड़ने के लिए अवतरित हो जाती है. ये भारत ही है जिसकी आज़ादी के सबसे बड़े नायक को दुनिया महात्मा बुलाती है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में बनारस आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या दोगुना हो गई है. अकेले बाबतपुर एयरपोर्ट पर 30 लाख का आंकड़ा पार किया है. सद्गुरु सदाफलदेव जी का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनके सपने के साकार को करने के लिए हम जीजान से जुटे हुए हैं. सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास इसी का परिचायक है. सद्गुरु योग को जन-जन तक पहुंचाना चाहते थे और आज यह पूरा सपना साकार होते दिख रहा है. उनके विहंगम योग का लगातार दायरा बढ़ रहा है.

पीएम ने कहा कि हमें गोवंश की रक्षा के साथ इसका अन्य क्षेत्रों में उपयोग बढ़ाने पर काम करना होगा. दुनिया फिर से आर्गेनिक उत्पादों की ओर बढ़ रही है. गोबर भी फिर से बड़े पैमाने पर आर्गेनिक उत्पाद के तौर पर खेती में इस्तेमाल हो सकता है. आज से दो दिन बाद 16 दिसंबर को जीरो बजट नेचरल फार्मिग पर एक बड़ा राष्ट्रीय कार्यक्रम भी होने जा रहा है. इससे देश भर के किसान जुड़ेंगे. मैं चाहूंगा कि आप भी प्राकृतिक खेती के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करें, इस मिशन को जनांदोलन बनना चाहिए.

आज से दो साल बाद 100वें अधिवेशन के लिए इकट्ठा होंगे. दो साल को ध्यान में रखकर मैं आप सभी से कुछ संकल्प लेना चाहता हूं, जिससे सद्गुरु के संकल्पों की सिद्धि हो. इन्हें अगले दो साल में गति दी जाए. इनमें से एक संकल्प बेटी को पढ़ाने का, उन्हें कौशल विकास के लिए तैयार करना, समाज में जिम्मेदारी उठाने वालों को समाज में एक-दो गरीब बेटियों की जिम्मेदारी उठा सकते हैं. पानी बचाने के लिए हमें अपनी नदियों को सभी जल स्रोतों को स्वच्छ रखना है. इसके लिए नए अभियान शुरू किए जा सकते हैं.

 

 

 

 

 

 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकतंत्र में बहस व असहमति के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार पर तंज कसा है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

 कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी  ने मोदी सरकार को एक बार फिर घेरने की कोशिश की है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकतंत्र में बहस व असहमति के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को ट्यूशन लेने की जरूरत है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, "लोकतंत्र में बहस व असहमति का महत्व- इस विषय में मोदी सरकार को ट्यूशन की जरूरत है."

राहुल गांधी की ओर से यह टिप्पणी ऐसे समय की गई जब संसद के शीतकालीन सत्र में निलंबित सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहा विपक्ष का हंगामा कर रहा है.

गौरतलब है कि 29 नवंबर को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण'' करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था.

जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है, उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं.

 

 

 

 

दिल्ली में अब तक ओमिक्रॉन के कुल 6 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से एक मरीज ठीक भी हो चुका है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

 भारत में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन  की रफ्तार तेज होती दिख रही है. पिछले एक दिन में ओमिक्रॉन के मामलों में करीब 20 फीसद इजाफा देखने को मिला है. सोमवार तक जहां देश में 40 मामले थे, मंगलवार को उनकी संख्या 49 हो गई. मंगलवार को दिल्ली और राजस्थान दोनों राज्यों में 4-4 नए मामले दर्ज किए गए हैं. दिल्ली में अब तक ओमिक्रॉन के कुल 6 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से एक मरीज ठीक भी हो चुका है, जिसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. बाकि पांच मरीजों की हालत भी सामान्य बताई जा रही है.

न्यूज एजेंसी एएनआई ने राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री प्रसादी लाल मीणा के हवाले से लिखा है, 'चार और मामले सामने आए हैं, इन मरीजों की सेहत स्थिर है. राज्य में पिछले सभी ओमिक्रॉन मरीजों की जांच कोरोना नेटेगिव आई है.'

वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि विदेश से एयरपोर्ट के जरिए आए कुल 74 लोगों को अबतक LNJP में भर्ती कराया गया था. इनमें से 36 को डिस्चार्ज किया जा चुका है, अभी 38 मरीज भर्ती हैं. इनमें से 35 कोरोना मरीज हैं, जिनमें से 5 ओमिक्रॉन पॉजिटिव हैं और 3 सस्पेक्ट हैं. LNJP में अब तक कुल 6 मरीजों की रिपोर्ट ओमिक्रॉन पॉजिटिव आई है, इनमें से 1 मरीज ठीक हो गया है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है.

साथ ही उन्होंने बताया, अभी तक ओमिक्रॉन कंट्रोल में है. यह फैलता है, तो सरकार फिर उसे देखेगी. कम्युनिटी से कोई केस नहीं आया है अभी तक, सभी केस एयरपोर्ट से आए हैं. जो भी विदेश से आ रहा है, हम सबका टेस्ट कर रहे हैं. अभी तक जो देखने में आया है, कोई भी सीरियस नहीं है. सभी नॉर्मल हैं. हमारी तैयारी बिल्कुल पूरी है.

बता दें, इससे पहले गुजरात का 42 वर्षीय एक व्यक्ति में कोविड के ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित पाया गया था. वह शख्स हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से लौटा था. फिलहाल उसे होम आइसोलेशन में रखा गया है, जहां इलाज चल रहा है. प्रशासन ने उसके सभी रिश्तेदारों के साथ-साथ चार सह-यात्रियों की भी कोविड टेस्टिंग कराई है, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है.

 

 

 

 

 

 

 नई दिल्ली  /शौर्यापथ/

काशी के कार्यक्रम पर भारीभरकम खर्च यूपी के आगामी चुनाव के प्रचार का हिस्सा है और बीजेपी यह मानती है कि इससे वोटों को अपने पाले में खींचने में कामयाब रहेगी, जैसा कि पहले भी उसने किया है.

अगर किसी को इस बात का सबूत चाहिए कि बीजेपी ने किस तरह भारतीय राजनीति को पूरी तरह बदल दिया है तो उसे सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताजा बनारस दौरे का सजीव टीवी प्रसारण देखना चाहिए. हर-हर महादेव के गूंजते नारों के बीच उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया, गंगा में डुबकी लगाई और काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना की. उन्होंने प्रेम और आशीर्वाद के लिए गंगा को धन्यवाद देते हुए ट्वीट किया. जब तक मोदी का आगमन नहीं हुआ था, तब तक ऐसा नहीं हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने किसी पूजा अर्चना के कार्य के लिए भारी सैटेलाइट टीवी को जुटाया गया, ताकि जनता को भव्यता का पूरा दर्शन कराया जा सके. यहां तक कि बीजेपी-हिन्दुत्व की पार्टी- भी मोदी युग के पहले राजनीति में धर्म के मिश्रण को लेकर इतनी जोशोखरोश में नहीं थी.

 आप यह तर्क दे सकते हैं कि पीएम मोदी की यह इच्छा रही है कि उनके आसपास वो धार्मिक आभामंडल बना रहे. लेकिन जिस बात से आप इनकार नहीं कर सकते हैं, वो उनका कामकाज है. काशी के कार्यक्रम पर भारीभरकम खर्च यूपी के आगामी चुनाव के प्रचार का हिस्सा है और बीजेपी यह मानती है कि इससे वोटों को अपने पाले में खींचने में कामयाब रहेगी, जैसा कि पहले भी उसने किया है.

इस कामयाबी का एक नतीजा ये निकलता है कि दूसरे दल भी यही खेल खेलने को मजबूर हुए हैं. अखिलेश यादव ने कहा है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) का श्रेय उन्हें ही जाता है और यह प्रोजेक्ट उनकी सरकार ने स्वीकृत किया था. इससे थोड़े वक्त पहले ही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली-अयोध्या की बुजुर्गों के लिए मुफ्त यात्रा का प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसमें पूरी तरह से धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया, यहां तक कि एक चित्र में एक ऐसे संत की तस्वीर थी, जो नरेंद्र मोदी की तरह ही दिखता था.

प्रधानमंत्री के काशी के कायाकल्प से जुड़े भव्य आयोजन के पहले राहुल गांधी ने राजस्थान की एक रैली में बताया था कि कैसे हिन्दू एक महान धर्म है. वहीं ममता बनर्जी भी हालिया बंगाल विधानसभा चुनाव के प्रचार में हिन्दू प्रतीकों का इस्तेमाल करते हुए खुश दिखाई पड़ीं. मोदी ने नियमों को इस कदर बदल दिया है कि ये दल, जो अभी तक हिन्दू पहचान वाली राजनीति को लेकर बीजेपी पर हमला करते रहते थे, अब वो खुद हिन्दू धर्म के बारे में जोशोखरोश से अपनी बात रख रहे हैं.
इसकी एक वजह है कि उन्हें भय है कि कहीं उन्हें हिन्दू विरोधी के रूप में पेश न किया जाए.


कांग्रेस का आंतरिक सर्वे बताता है कि बहुत से मतदाता उसे मुस्लिम समर्थक पार्टी मानते हैं, जो हिन्दुओं की परवाह नहीं करती. कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने खुले तौर पर इस नजरिये को सुधारने की जरूरत पर बल दिया था, जिसमें कांग्रेस को हिन्दू विरोधी माना जाता है. हिन्दुओं के प्रति कोई पूर्वाग्रह न होने की छवि बनाने के लिए कांग्रेस ने जो भी प्रयास किए हैं, उसके पीछे उसकी ये सोच है कि बीजेपी ने उसकी इमेज खराब की है. उसने बेहद कामयाबी से सेकुलर राजनीति को मुस्लिम समर्थक की तरह पेश कर मतदाताओं के बीच गलत धारणा बनाई गई. दिल्ली में पिछले चुनाव में आप ने ज्यादातर मुस्लिम वोट हासिल कर चुनाव जीता था, लेकिन उसका यकीन है कि उसे अब हिन्दुओं के बीच पैठ बढ़ाने की जरूरत है.

दूसरी वजह है कि बहुत से विपक्षी नेता जो खुद हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं, वो वोट पाने के लिए हिन्दू धर्म को हाईजैक करने के प्रयास से इत्तफाक नहीं रखते. वो मानते हैं कि धर्म निजी मसला है और बीजेपी की वोटों को पाले में लाने के नजरिये से बेहद व्यथित हैं. हालांकि निजी तौर पर वो साफ तौर पर राजनीतिक हिन्दूवाद और धार्मिक हिन्दूवाद में अंतर करते हैं. देरी से, राहुल गांधी ने जनता के बीच इस मुद्दे को लेकर गए हैं और वो हिन्दू धर्म और हिन्दुत्व के बीच फर्क बताने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने पार्टी के मंच से ये बात कही. राजस्थान की रैली में उन्होंने कहा, गांधीजी हिन्दू थे, लेकिन जिस व्यक्ति ने उनकी हत्या की, वो हिन्दुत्ववादी था.

यह अंतर सही है, लेकिन इस रणनीति पर दांव लगाना कई सारी चुनौतियां पैदा करता है. पहला तो ये कि क्या जब एक राजनीतिक रैली में ये बातें बोलते हैं तो क्या जनता इसका अंतर वास्तव में समझ पाती है क्या? राहुल के भाषण के बाद सोशल मीडिया में कांग्रेस समर्थकों की यह चिंता दिखाई दी कि हिन्दुत्ववादी बहुत जटिल शब्द है, जो एक रैली में जनता के बीच कहा जाता है. क्या वो सिर्फ सिंघी नहीं कह सकते थे?

दूसरी समस्या है कि जब आप हिन्दुत्व पर हमला करते हैं तो आपको हिन्दू होने का अहसास कराने के लिए ज्यादा शिद्दत दिखनी पड़ती है, ताकि आपको हिन्दू विरोधी के तौर पर चित्रित न किया जाए. इस कवायद में जोखिम रहता है कि आप खुद को हिन्दू राष्ट्रवादी के तौर पर न पेश कर दें. लेकिन विपक्ष मूलतः यह मानता है कि उसे हिन्दूवाद को बीजेपी से वापस लेना है. उसका तर्क है कि जब तक अन्य राजनीतिक दल धर्म को परे रखकर प्रचार करते रहेंगे, तब तक बीजेपी का हिन्दू को लेकर पकड़ कायम रहेगी. और अगर सभी हिन्दू धर्म और हिन्दू परंपराओं को सार्वजनिक तौर पर मानने लगेंगे तो बीजेपी के लिए इस तर्क को भुनाना मुश्किल हो जाएगा कि वो ही सिर्फ ऐसी पार्टी है, जो हिन्दुओं का ख्याल रखती है.

इन सभी तर्कों में कुछ न कुछ दम है. लेकिन खतरा भी है. हिन्दुत्व सिर्फ मंदिरों में पूजा अर्चना नहीं है. मौजूदा राजनीतिक अवधारणा के केंद्र में मुस्लिमों के प्रति घृणा की मजबूत लकीर है. प्रधानमंत्री के स्तर पर, यह पूरी तरह उनके भाषणों से गायब रहता है, लेकिन इसके लिए आपको योगी आदित्यनाथ और अन्य बीजेपी नेताओं को सुनना होगा कि कैसे मुस्लिमों के प्रति घृणा से प्रेरित बयान इस हिन्दुत्ववादी प्रोजेक्ट का अभिन्न हिस्सा हैं.

 
प्राचीन वैदिक परंपरा के नाम पर वोटों को खींचने की क्षमता सीमित है. लेकिन दुखद है, ऐसा प्रतीत होता है कि जब आप सांप्रदायिक माहौल को गरमा कर मुस्लिमों को ऐसे खतरनाक कट्टरपंथियों के तौर पर पेश करते हैं-जो हिन्दुओं और हिन्दू हितों के खिलाफ काम करता है- तो वोटों को पाले में खींचने की कोई सीमा नहीं रह जाती. यही विपक्षी दलों की सबसे बड़ी दुविधा है, जब वो हिन्दू धर्म की प्रशंसा की रणनीति पर आगे बढ़ते हैं. ऐसे वक्त जब भारत की सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी खतरे में है तो क्या मुस्लिमों के बीच सेकुलर देश में उनकी अहमियत को लेकर भरोसा देने की जरूरत नहीं है? या आप सारी ऊर्जा हिन्दुओं के बीच यह सुनिश्चित करने में लगा देते हैं कि आप उनके साथ हैं.

यही नहीं, बीजेपी प्रायः तब ज्यादा वोट पाती है, जब हिन्दू और मुस्लिमों के बीच रिश्तों में तनाव होता है. लेकिन ऐसे वक्त आप क्या करेंगे, जब सांप्रदायिक तनाव चरम पर हो. ऐसे मौके पर सभी नरम हिन्दूवादी राजनीतिक बातें नाकाम हो जाती हैं. आपको एक भी हिन्दू वोट नहीं मिलेगा, जब हिन्दू धर्म की सहिष्णुता की परंपरा की बातें करते हैं, तो क्या आप इस रुख से हटकर क्या धर्मनिरपेक्षता औऱ अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के हक में दोबारा खड़े होंगे.

क्योंकि बीजेपी चुनाव जीतने की ओर देख रही है, उसने यह समझ लिया है कि वो सिर्फ केंद्र सरकार के रिकॉर्ड के आधार पर प्रचार नहीं कर सकती. इसका रिकॉर्ड ज्यादा अच्छा नहीं है और चुनाव में भारी जीत के लिए दमदार हथियार नहीं है. लगातार जीतने के लिए उसे हिन्दुत्व के कोर मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है, उसे ऐसी विचारधारा के तौर पर जो मुस्लिमों और आक्रमणकारियों के खिलाफ हिन्दुओं की रक्षा करती है.


विपक्ष भी मजबूर है. वो हिन्दू धर्म की प्रशंसा कर सकता है, लेकिन उस हद तक नहीं जा सकता, जितनी कि बीजेपी. दूसरी ओर, हिन्दू बहुल देश में वो आसानी से चुनाव नहीं जीत सकते, अगर उन्हें हिन्दू विरोधी समझा जाए. यह एक रास्ता है, जिसमें मोदी ने नियमों को बदल दिया है. यही एक रास्ता है, जहां बीजेपी भारतीय राजनीति में बदलाव से फायदा उठा रही है.

 

 

 

प्रधानमंत्री के हाथों 13 दिसंबर को इसके लोकार्पण का कार्यक्रम तय हो चुका है. इसके मुआयने के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार आ चुके हैं. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण पर पूरे जिले में आम लोगों की मदद से उत्सव का माहौल बनाया जाएगा.

 नई दिल्ली /शौर्यपथ/

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  आज अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर  का उद्घाटन करेंगे. वह वाराणसी पहुंच गए हैं, और उन्होंने प्राचीन कालभैरव मंदिर में पूजा-अर्चना की. इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं फेसबुक पर काशी विश्वनाथ धाम की तस्वीरें साझा कीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई हस्तियां भी वाराणसी पहुंच चुकी हैं. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण को लेकर पूरे जिले में उत्सव का माहौल है. कॉरिडोर के उद्घाटन के साथ पीएम मोदी कई अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. उनका बीजेपी के पदाधिकारियों से भी मिलने का कार्यक्रम है.

इसमें 13 और 14 दिसंबर को गंगा घाटों के साथ शहर की प्रमुख इमारतों की विशेष रूप से सजावट होगी और रोशनियां की जाएंगी. यही नहीं लोग अपने घरों में दीपक जलाएंगे और काशी के तमाम परिवारों के साथ संवाद स्थापित किया जाएगा.विश्वनाथ कॉरिडोर पहुंचाने पर आपका स्वागत सबसे पहले एक बड़ा दरवाजा करेगा. यह दरवाजा उस विश्वनाथ कॉरिडोर का द्वार खोलता है जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इस दरवाजे के आर पार लगभग 50000 वर्ग मीटर में इस इस भव्य कॉरिडोर का निर्माण किया गया. जिसका काम अब अंतिम चरण में है और इसके लोकार्पण की तैयारी जोरों पर है.

 वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल बताते हैं कि "माननीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा के अनुसार काशी विश्वनाथ धाम का भव्य उद्घाटन 13 तारीख को प्रस्तावित है. चूंकि यह पूरा का पूरा इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ने जा रहा है और करीब ढाई सौ साल के पश्चात काशी विश्वनाथ का पूरा जीर्णोद्धार प्रधानमंत्री के विजन के अनुसार किया गया है. जन सहभागिता के साथ कार्य कराया जाएगा, साथ ही काशी में हमारे जितने सार्वजनिक स्थान है, साज सज्जा लाइटिंग जन सहभागिता से 12, 13, 14 को दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम किया जाएगा जिससे कि पूरे काशी में एक उत्सव सा माहौल हो."

विश्वनाथ कॉरिडोर को दो भागों में बांटा गया है. मंदिर के मुख्य परिसर को लाल बलुआ पत्थर के द्वारा निर्मित किया गया है. इसमें 4 बड़े बड़े गेट लगाए गए हैं. इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है. उस प्रदक्षिणा पथ पर 22 संगमरमर के शिलालेख लगाए गए हैं जिनमें काशी की महिमा का वर्णन होगा. काशी विद्वत परिषद् के महामंत्री मुख्य मंदिर परिसर के इस भाग के बारे में तफ्सील से बताते हैं कि "इसमें 22 शिलालेख ऐसे लगाए जा रहे हैं जिसमें भगवान विश्वनाथ से संबंधित स्तुतियां हैं और आद्य शंकराचार्य ने जिन स्तुतियों का गान किया है वो हैं. अन्नपूर्णा स्त्रोत है और जिन स्तुतियों को भगवान शंकर ने गान किया है, उन स्त्रोतों को लगाया जा रहा है. बाकी भगवान शिव ने यहां पर 56 विनायक भेजा, द्वादश आदित्य भेजा. उनके संदर्भ में कैसे है काशी में पंचनद है, काशी में पंचतीर्थ है, काशी में भगवान शिव की बारात कैसे निकलती है, भगवान विश्वनाथ काशी में पहली बार कब आए, भगवान शिव पार्वती का विवाह का उल्लेख है, ऐसे 24 पैनल बन रहे हैं.

कॉरिडोर का दूसरा भाग 

मंदिर के द्वार की दूसरी तरफ 24 भवनों का एक बड़ा कैम्पस बन रहा है जिसका मुख्य दरवाजा गंगा की तरफ ललिता घाट से आयेगा. इस परिसर में वाराणसी गैलरी काफी महत्वपूर्ण है. विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण और विकास के दौरान कुछ घरों से निकली मूर्तियां, पुराने घरों से निकले नक़्क़ाशीदार दरवाजे, खिड़कियों को भी धरोहर के रूप में वाराणसी गैलरी में प्रदर्शित करने की योजना है. काशी की आध्यात्मिक परंपरा को भी गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा.

इसके अलावा यात्रियों के सुविधा के भवन होंगे काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक सुनील वर्मा के मुताबिक़, "काशी विश्वनाथ धाम का काम लगभग पूर्णता की ओर है. पूरे धाम में लगभग 50000 वर्ग मीटर में 24 भवन बनाए जा रहे हैं जिसमें मुख्य मंदिर परिसर, मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, सिटी गैलरी, जलपान के मल्टीपरपज हॉल, यात्री सुविधा केंद्र, इत्यादि भवन जो यहां के बड़े खूबसूरती साथ ही साथ गंगा स्थित गंगा व्यू कैफे, गंगा व्यू गैलरी बनाई जा रही है जिससे मां गंगा की सुंदर छटा दिखाई देगी. इस प्रोजेक्ट को बनाने का पूरा उद्देश्य एकमात्र यह था कि काशी के अध्यात्म, काशी की वास्तु कला को उठाते हुए पूरे प्रोजेक्ट में एक दिव्य अनुभूति कराते हुए श्रद्धालुओं को धार्मिक भाव जगाने का काम.''

कॉरिडोर की बुनियाद में

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जिस बुनियाद पर साकार हो रहा है उसमें तकरीबन 400 मकान और सैकड़ों मंदिर और लगभग 1400 लोगों को पुनर्वासित करना पड़ा है. इसके बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक सुनील वर्मा खुद कहते है कि, "जब परियोजना शुरू की गई थी तो काफी चुनौतियां थी. यह जो मंदिर है वह काफी घनी आबादी में बसा हुआ था.

हम लोगों ने लगभग 400 परिसंपत्ति क्रय की, लगभग 1400 लोगों का पुनर्वास किया जिसमें विभिन्न प्रकार के दुकानदार, मकान मालिक शामिल रहे. साथ ही साथ इस प्रोजेक्ट को बनाने में यह भी चुनौती थी कि जितने संभावित रास्ते हैं उनको यथावत रखते हुए जो परिसंपत्ति मंदिर प्राप्त हुए उनको यथावत रखते हुए इस प्रोजेक्ट को बनाया जाए.

हम लोग तय समय में इसे बनाने में कामयाब रहे. प्राचीन मंदिरों का भी हम लोग जीर्णोद्धार करा रहे हैं. यहां यह भी है कि काशी खंड उतने ही वर्णित मंदिर से नहीं मिल रहे थे, उनको भी हम लोग स्थापित करा रहे हैं. कुछ भी घरों से प्राप्त हुए थे उनको भी हम लोग स्थापित करा रहे हैं. ऐसे 27 मंदिरों की स्थापना करा रहे हैं. इस पूरे का उद्देश्य है कि बाबा अपने पूरे देवकुल के साथ पूरे धाम में विराजमान जो भी श्रद्धालु और भक्त आ रहे हैं वह अपने पूरे धार्मिक क्रियाकलाप कर सकें.''

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कॉरिडोर का दूसरा चरण

कॉरिडोर निर्माण में जिन 400 मकानों को अधिग्रहित किया था उसमें प्रशासन के मुताबिक़ काशी खण्डोक्त 27 मंदिर मिले थे जबकि लगभग 127 अन्य मंदिर प्राप्त हुए थे जो प्रसिद्ध मंदिर थे. उन मंदिरों का भी संरक्षण किया जा रहा है जो काशी खंडोकता मंदिर हैं. उनको उसी तरह से जीर्णोद्धार करके संरक्षित करने का मंदिर प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा है. इसके लिये पूर्व के सरस्वती द्वार के पास एक 27 मंदिरों की मणिमाला बनाई जाएगी जिसमें उन प्राप्त मंदिरों को स्थापित करने की योजना है. इस पर काम चल रहा है और ये दूसरे चरण में होगा

 

 

 

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