March 15, 2025
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भारत (809)

मुंबई/शौर्यपथ/

मुंबई के लिए उड़ान भर रहे यात्रियों को अब निगेटिव RT-PCR रिपोर्ट जरूरी होगी. कोविड वेरिएंट ओमिक्रॉन के मद्देनजर लागू किए गए नए नियमों में यह बात कही गई है.

मुंबई के लिए उड़ान भर रहे यात्रियों को अब निगेटिव RT-PCR रिपोर्ट जरूरी होगी. कोविड वेरिएंट ओमिक्रॉन के मद्देनजर लागू किए गए नए नियमों में यह बात कही गई है.

मुंबई में लैंड करने वालों के लिए RT-PCR टेस्‍ट रिपोर्ट जरूरी, यात्रा के 5 नए नियम

मुंबई के लिए उड़ान भर रहे यात्रियों को अब निगेटिव RT-PCR रिपोर्ट जरूरी होगी. कोविड वेरिएंट ओमिक्रॉन के मद्देनजर लागू किए गए नए नियमों में यह बात कही गई है.
ट्रैवल गाइडलाइस की 5 बातें 

मुंबई एयरपोर्ट को सभी डोमिस्टिक एयरलाइंस को यह बताने को कहा गया है कि वे निगेटिव RT-PCR के बगैर यात्रियों को फ्लाइट में स्‍थान न दें. बयान के अनुसार, पारिवारिक संकट जैसे अपवाद के मामलों में टेस्टिंग, मुंबई एयरपोर्ट पर आगमन पर की जाएगी.  

क्‍वारंटाइन नियमों को दो दिन टालने की जानकारी देते हुए आधिकारिक बयान में कहा गया था कि कई यात्रियों ने पहले से ही अपने ट्रेवल प्‍लान को अंतिम रूप दे दिया था. कई लोग फ्लाइट में हो सकते हैं और उन्‍हें नए नियमों की जानकारी नहीं होगी.  

बयान में कहा गया है कि महाराष्‍ट्र सरकार के आदेश के मद्देनजर यह जरूरी माना गया कि जोखिम वाले देशों के यात्रियों को अपने यात्रा की योजना के लिए कुछ समय दिया जाए. 

भारत ने कहा है कि जोखिम वाले देशों के सभी यात्रियों को आगमन पर सेल्‍फ पेड कोविड टेस्‍ट कराने की जरूरत होगी.महाराष्‍ट्र में ऐसे सभी यात्रियों को दो सप्‍ताह के institutional quarantine में रहना होगा.  

जोखिम वाले देशों के यात्रियों को महाराष्‍ट्र में आगमन के बाद दूसरे, चौथे और सातवें दिन भी RT-PCR टेस्‍ट कराना होगा. यदि वे पॉजिटिव आते हैं तोआइसालेशन और इलाज के लिए अस्‍पताल में शिफ्ट किए जाएंगे.

 

 

 

बिना चर्चा के बिल पारित करने के आरोपों का सरकार ने जवाब दिया है और कहा है कि बिलों को संसदीय समितियों के पास भेजना लोकतंत्र मापने का पैमाना नहीं है.

नई दिल्ली/शौर्यपथ/

बिना चर्चा के बिल पारित करने के आरोपों का केंद्र सरकार ने जवाब दिया है और कहा है कि बिलों को संसदीय समितियों के पास भेजना लोकतंत्र मापने का पैमाना नहीं है. केंद्र सरकार ने बिलों को संसदीय समितियों को न भेजने के आरोपों पर कहा कि संसदीय समितियों की स्थापना साल 1993 में हुई थी यानी 41 वर्षों तक बिल बिना संसदीय समितियों की चर्चा के संसद में रखे जाते थे. क्या इसका ये मतलब है कि देश में 41 वर्षों तक लोकतंत्र नहीं था और पंडित नेहरु, राजीव गांधी के समय बनाए गए कानून गलत थे. बाबा साहब आंबेडकर का बनाया गया संविधान भी सेलेक्ट कमेटी को नहीं भेजा गया था.

सरकार का कहना है कि 2014 के पहले 25 वर्षों तक केंद्र में बनी सरकारें कमजोर थीं और गठबंधन की सरकारें थीं. इसलिए आम राय के अभाव में सत्तारूढ़ दल के भीतर ही विभिन्न विचारों और मतभेद के कारण बिलों को संसदीय समितियों को भेजा जाना जरूरी थी. लेकिन 2014 के बाद से सत्तारूढ़ दल को पूर्ण बहुमत है. इसलिए जब कोई बिल चर्चा के लिए आता है. तो बहुसंख्यक सदस्यों में आम राय होती है. इसलिए इन्हें संसद की स्थायी समितियों को भेजने की गुंजाइश कम रह जाती है.

 दरअसल केंद्र सरकार पर आरोप लगे हैं कि बिना चर्चा के बिल पारित कराए जा रहे हैं. जहां 2004-2009 के बीच 60 प्रतिशत बिल संसदीय समितियों के पास भेजे गए. वहीं साल 2009-2014 में 71 प्रतिशत बिल समितियों के पास भेजे गए. लेकिन मोदी सरकार आने के बाद से ये संख्या तेजी से गिरी है.

 साल 2014-2019 में केवल 27 प्रतिशत बिल संसदीय समितियों के पास भेजे गए और 2019 क बाद से अभी तक केवल 12 प्रतिशत बिल संसदीय समितियों के पास गए हैं. वहीं सरकार का कहना है कि संसदीय समितियां संसद का हिस्सा हैं. वे किसी बिल को पारित नहीं कर सकती. संसद सर्वोच्च है. सारे कानून संसद ही पारित करती है. सारे बिल संसदीय समितियों को नहीं भेजे जाते. उदाहरण के लिए बिलों की जगह लाए जाने वाले अध्यादेश, मनी बिल और महत्वपूर्ण संवैधानिक बिल.

सरकार पर आरोप लगाते समय आंकड़ों का मनमाना उपयोग किया गया. साल 2014-19 के बीच राज्यसभा में केवल 18 विधेयक लाए गए और इनमें से 11 बिल यानी 61 प्रतिशत बिल राज्यसभा की समितियों को भेजे गए. 5 बिल यानी 28 प्रतिशत बिल लोकसभा की स्थाई समिति को भेजे गए. यूपीए एक में 2004-09 में राज्यसभा में 100 बिल रखे गए और इनमें से 48 बिल यानी 48 प्रतिशत राज्यसभा की स्थायी समिति को भेजे गए. जबकि 30 बिल यानी 30 प्रतिशत लोकसभा की स्थायी समिति को भेजे गए. यूपीए-2 में 2009-14 में 78 बिल राज्यसभा में रखे गए जिनमें से 40 बिल यानी 51 प्रतिशत राज्यसभा की और 21 बिल यानी 27 प्रतिशत लोकसभा की स्थायी समिति को भेजे गए.

 

 

 

केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, ' कई देशों ने ऑमिक्रान प्रभावित देशों से आने वाली उड़ानें बंद कर दी हैं. हम देरी क्यों कर रहे हैं? पहली वेव में भी हमने विदेशी उड़ानें रोकने में देरी कर दी थी.'

नई दिल्‍ली /शौर्यपथ/

कोविड-19 के नए वेरिएंट Omicron के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने पूरी तैयारी की है. दिल्ली सरकार ने LNJP अस्पताल को नए वैरिएंट Omicron के लिए डेडिकेटेड अस्पताल बनाया. इसके तहत LNJP में Omicron से संक्रमित मरीजों के आइसोलेशन और ट्रीटमेंट के लिए एक या दो वार्ड रिजर्व रखने का आदेश दिया गया है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने (CM Arvind Kejriwal) मंगलवार सुबह एक ट्वीट करते हुए Omicron प्रभावित देशों से आने वाली उड़ानें तुरंत बंद करने का आग्रह पीएम नरेंद्र मोदी से किया है. केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, ' कई देशों ने ऑमिक्रान प्रभावित देशों से आने वाली उड़ानें बंद कर दी हैं. हम देरी क्यों कर रहे हैं? पहली वेव में भी हमने विदेशी उड़ानें रोकने में देरी कर दी थी. अधिकतर विदेशी उड़ानें दिल्ली में आती हैं, दिल्ली सबसे ज़्यादा प्रभावित होती है. PM साहिब कृपया उड़ानें तुरंत बंद करें.'

इससे पहले, दिल्‍ली के सीएम ने नए वेरिएंट के मुद्दे पर पीएम को लेटर भी लिखा था, इसमें उन्‍होंने लिखा था कि कोरोना के नए वैरिएंट को भारत में घुसने से रोकने के लिए हम सभी को हर संभव प्रयास करना चाहिए. यूरोप समेत कई देशों ने कोरोना के नए वेरिएंट से प्रभावित इलाकों में यात्रा पर रोक दी है. भारत में भी इस वेरिएंट से प्रभावित जगहों से आने वाली फ्लाइट पर रोक लगा दी जानी चाहिए. इस संबंध में थोड़ी भी देरी नुकसानदेह साबित हो सकती है.

गौरतलब है कि Omicronवैरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में मिला था. वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि संक्रमण की दर बहुत तेज हो सकती है और मरीजों में गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस नए वैरिएंट में कम से कम 10 म्यूटेशन हैं. जबकि डेल्टा में सिर्फ दो तरह के म्यूटेशंस पाए गए थे. म्यूटेट होने का मतलब है वायरस के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव होना. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के इस नये स्वरूप को ‘ओमीक्रॉन' नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप' करार दिया है.

 

 

 

संसदीय कार्य मंत्री प्रल्‍हाद जोशी (Pralhad Joshi) ने मंगलवार सुबह ट्वीट करकहा कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार को मजबूरी में निलंबन का यह प्रस्ताव सदन के सामने रखना पड़ा.

नई दिल्‍ली /शौर्यपथ/

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन की हंगामेदार शुरुआत हुई. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान हंगामा करने के लिए राज्य सभा से 12 सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित (Suspension) कर दिए गए हैं. संसदीय कार्य मंत्री प्रल्‍हाद जोशी (Pralhad Joshi)ने मंगलवार सुबह ट्वीट करकहा कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार को मजबूरी में निलंबन का यह प्रस्ताव सदन के सामने रखना पड़ा. लेकिन यदि ये 12 सांसद अभी भी अपने दुर्व्यवहार के लिए सभापति और सदन से माफी मांग लें, तो सरकार भी उनके प्रस्ताव पर खुले दिल से सकारात्मक रूप से विचार करने को तैयार है. उन्‍होंने यह भी कहा, 'सरकार हर मुद्दे पर नियमानुसार बहस करने और हर सवाल का जवाब देने को तैयार है. कल से सदन में कई महत्वपूर्ण बिल सदन में पेश किए जाने हैं. मैं एक बार फिर सभी पार्टियों से सदन को चलने देने और इन सभी बिलों पर सार्थक एवं स्वस्थ चर्चा करने की अपील करता हूं. 'विपक्ष चाहता हैं कि 12 सांसदों का निलंबन वापस हो, इस मुद्दे पर उन्‍होंने कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठक के बाद राज्‍यसभा के चेयरमैन से भी मुलाकात की है.

इस बीच, उधर, मंगलवार को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा में विपक्ष के सांसदों ने वॉक आउट किया. शोरशराबे के बीच उनको अपनी बात कहने का मौका नही मिला. हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्‍थगित करनी पड़ीगौरतलब है कि मॉनसून सत्र में हंगामा करने के लिए सांसदों के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है.उच्‍च सदन के जिन 12 सांसदों को सोमवार को सस्‍पेंड किया गया उनके नाम एल्‍मारम करीम (माकपा), फुलो देवी नेताम (कांग्रेस), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), बिनोय विस्‍वाम (भाकपा), राजमणि पटेल (कांग्रेस), डोला सेन ( तृणमूल कांग्रेस), शांत छेत्री ( तृणमूल कांग्रेस), सैयद नासिर हुसैन ( कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी ( शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना) और अखिलेश प्रसाद सिंह ( कांग्रेस) शामिल हैं. उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी.

संसद के मॉनसून सत्र में राज्यसभा में हंगामे के दौरान धक्का-मुक्की करने और सदन की मर्यादा का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी. इस समिति की सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ सोमवार को कार्रवाई की गई. संजय सिंह, प्रताप सिंह बाजवा वगैरह को इसलिए सस्पेंड नहीं किया गया क्योंकि उनका मामला दस अगस्त का था. जिन्हें सस्पेंड किया गया उनका मामला 11 अगस्त का है जो मॉनसून सत्र का अंतिम दिन था, इसीलिए उनके खिलाफ आज कार्रवाई की गई है. दूसरी ओर, विपक्ष का कहना है कि 12 सांसदों का निलंबन नियमों के खिलाफ है. नियम 256 के अनुसार सदस्य को सत्र के बाकी बचे समय के लिए निलंबित किया जाता है. चूंकि मॉनसून सत्र 11 अगस्त को ही समाप्त हो चुका है ऐसे में इस सत्र में सदस्यों का निलंबन गलत है. विपक्ष इस मामले में सरकार के खिलाफ सामूहिक रूप से रणनीति बनाकर 'हमले' की तैयारी कर रहा है.

 

 

पराग अग्रवाल भारतीय मूल के सिलिकॉन वैली सीईओ के समूह में शामिल हो गए हैं, जिसमें सुंदर पिचाई और सत्य नडेला जैसे नाम शामिल हैं.

नई दिल्ली/शौर्यपथ/

आईआईटी-बॉम्बे से स्नातक पराग अग्रवाल ने ट्विटर के नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में जैक डोर्सी की जगह ली है. डोरसी ने सोमवार शाम इस्तीफा दे दिया और निदेशक मंडल ने सर्वसम्मति से मुख्य तकनीकी अधिकारी अग्रवाल को सीईओ के पद पर नियुक्त किया.

IIT बॉम्बे से ग्रेजुएट पराग अग्रवाल बने ट्विटर के नए सीईओ, जानिए 5 खास बातें
ट्विटर ने पराग अग्रवाल को 2017 में अपना मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी नियुक्त किया था

 


मामले से जुड़ी अहम जानकारियां : 

पराग अग्रवाल ने आईआईटी-बॉम्बे से ग्रेजुएशन किया है और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की है

उन्होंने अक्टूबर 2011 में एक विज्ञापन इंजीनियर के रूप में ट्विटर ज्वाइन किया और इसके तुरंत बाद कंपनी के 'प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर इंजीनियर' की उपाधि धारण की.
ट्विटर ने पराग अग्रवाल को 2017 में अपना मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी नियुक्त किया था. 

ट्विटर के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने एटी एंड टी, माइक्रोसॉफ्ट और याहू में रिसर्च इंटर्नशिप की थी. 

कंपनी के सीईओ के रूप में नियुक्ति के साथ ही पराग अग्रवाल उस भारतीय मूल के सिलिकॉन वैली सीईओ के समूह में शामिल हो गए हैं, जिसमें सुंदर पिचाई और सत्य नडेला जैसे नाम शामिल हैं.

वहीं आज कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के नेताओं की राज्यसभा में मल्लिकाअर्जुन खड़गे के दफ्तर में सुबह 10 बजे बैठक होगी. वहीं टीएमसी के सांसदों की बैठक 10.15 संसद भवन के अपने दफ्तर में अलग होगी. दोनों बैठकों का मकसद शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरना है, पर एक साथ दिखना नहीं है.

नईदिल्ली /शौर्यपथ/

   संसद के शीतकालीन सत्र  के पहले ही दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर टकराव देखने को मिला. पहले कृषि बिल बिना चर्चा के पास करवाने को लेकर फिर 12 सांसदों के निलंबन को लेकर. दरअसल, अगस्त में मॉनसूत्र सत्र में हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ इस सत्र में कार्रवाई हुई है. विपक्षी सांसदों का कहना है कि ये निलंबन पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है. उनका कहना है कि सदस्य को सत्र के बाकी बचे समय के लिए निलंबित किया जाता है और मॉनसून सत्र 11 अगस्त को ही समाप्त हो गया था ऐसे में इस सत्र में निलंबन गलत है. यहां तक कि पूरे सत्र के बहिष्कार तक की बात कर रहे हैं विपक्षी सांसद. वहीं अब संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि अगर अपने बर्ताव के लिए सांसद माफी मांगें तो निलंबन वापसी पर विचार हो सकता है.

वहीं आज कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के नेताओं की राज्यसभा में मल्लिकाअर्जुन खड़गे के दफ्तर में सुबह 10 बजे बैठक होगी. वहीं टीएमसी के सांसदों की बैठक 10.15 संसद भवन के अपने दफ्तर में अलग होगी. दोनों बैठकों का मकसद शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरना है, पर एक साथ दिखना नहीं है. सोमवार को भी कांग्रेस की बुलाई बैठक में टीएमसी शामिल नहीं हुई. यह नही गांधी प्रतिमा के सामने किसानों को लेकर कांग्रेस और टीएमसी ने अलग-अलग प्रदर्शन किया. साफ है कि टीएमसी बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के साथ नहीं दिखना चाहती.

 संसद के शीतकालीन सत्र के शुरुआत की 'हंगामेदार' हुई है. राज्य सभा से 12 सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गए हैं. मॉनसून सत्र में हंगामा करने के लिए सांसदों के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है. इसे लेकर विपक्षी सांसदों का कहना है कि निलंबन पूरी तरह नियमों के खिलाफ है. वे इस पूरे सत्र के बहिष्कार की बात कर रहे हैं, जिसके बाद अब संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि अगर अपने बर्ताव के लिए सांसद माफी मांगें तो निलंबन वापसी पर विचार हो सकता है.

 

 

ग्वालियर /शौर्यपथ/

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शनिवार को एक कार्यक्रम को संबोधित किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इस कार्यक्रम में हिन्दुओं को एकजुट रहने और हिन्दुत्व के बारे में कई बातें कहीं. मोहन भागवत ने कहा, आप देखेंगे कि हिन्दुओं की संख्या कम हो गई है. हिन्दुओं की ताकत कम हो गई है. हिन्दुत्व का भाव कम हो गया है. अगर हिन्दू को हिन्दू रहना है तो भारत को अखंड रहना ही पड़ेगा. अगर भारत को भारत रहना है तो हिन्दू को हिन्दू रहना ही पड़ेगा.

आररएसएस प्रमुख ने भारत-पाक बंटवारे पर निशाना साधते हुए कहा कि हिन्दू के बिना भारत नहीं, भारत के बिना हिन्दू नहीं रहेगा, भारत हिन्दुस्तान है, भारत और हिन्दू अलग हो नहीं सकते. उन्होंने हिन्दू राष्ट्र का नाम न लेकर भी साफ कहा कि भारत को भारत रहना है तो भारत को हिन्दू रहना ही पड़ेगा, हिन्दू को हिन्दू रहना है तो भारत को एकात्म अखंड रहना ही होगा. हिन्दू समाज मनुष्यों का बना है, मनुष्यों को ध्यान रखना पड़ता है, देखो भारत नहीं रहा तो हम नहीं रहेंगे.उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी देख लो जो अखंड भारत में था जो आज नहीं है.
उन्होंने इशारे ही इशारे में धार्मिक जनसंख्या का जिक्र करते हुए कहा कि अपने देश में देख लो कहां-कहां सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता है ? कहां-कहां देश की अखंडता और एकात्मता को खतरा है?कहां कहां पर सामाजिक और आर्थिक समस्याएं तगड़ी हैं? आप देखेंगे हिंदुओ की संख्या व शक्ति कम हो गई या हिंदुत्व के भाव कम हो गया है.
सर संघचालक ने ये बातें संघ से जुड़े दैनिक स्वदेश के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहीं. कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया. भागवत रविवार शाम उस्ताद अमजद अली खां के पैतृक निवास में उनके पिता की स्मृति में बने उस्ताद हाफिज अली खान स्मृति सरोद घर का अवलोकन कर सकते है . इस दौरान अमजद अली खां के सपरिवार मौजूद रहने की संभावना है. 

गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत शुक्रवार को मध्य प्रदेश में ग्वालियर शहर पहुंचे थे. भागवत यहां चार दिनी 'घोष शिविरÓ में शामिल हो रहे हैं. संघ के मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडे ने कहा कि यह चार दिवसीय प्रांतीय स्वर साधक संगम (घोष शिविर) 25 नवंबर को सरस्वती शिशु मंदिर केदारधाम परिसर ग्वालियर में शुरू हुआ है.

मोहन भागवत भारत, हिन्दुत्व और हिन्दू धर्म को लेकर पहले भी अपनी राय प्रकट करते रहे हैं. इसको लेकर विपक्षी दलों और बुद्धिजीवियों की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई है. हालांकि एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी उनके हिन्दुत्व को लेकर बयानों की तीखी आलोचना करते रहे हैं.

दोनों सदनों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर द्वारा बिल पेश किया गया, बिल पेश होने के कुछ मिनट के भीतर ही उसे पास भी कर दिया गया.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा से कृषि कानून वापसी बिल पास कर दिया गया है. दोनों सदनों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर द्वारा बिल पेश किया गया, बिल पेश होने के कुछ मिनट के भीतर ही उसे पास भी कर दिया गया. वहीं, दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां बिल पर चर्चा के लिए अड़ी रहीं. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि बिना चर्चा के वापसी बिल पास करना संसद की परंपरा का उल्लंघन है. इस दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा देखने को मिला.

संसद का शीतकालीन सत्र सुबह 11 बजे शुरू हुआ. लोकसभा की कार्यवाही की शुरुआत ही हंगामे के साथ हुई. कुछ देर के बाद लोकसभा को 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
दोपहर 12 बजे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में बिल पेश किया. पेश करने के 4 मिनट के भीतर ही बिल को पास कर दिया गया. वहीं, विपक्ष बिल पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा करता रहा. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. 2 बजे सदन की फिर कार्यवाही शुरु हुई, लेकिन हंगामे की वजह से ज्यादा देर तक नहीं चल सकी. इसके बाद सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

लोकसभा के बाद दोपहर 2 बजे केंद्रीय मंत्री ने बिल को राज्यसभा में पेश किया. संसद के ऊपरी सदन में भी कुछ ही मिनट में बिल पास हो गया. इस दौरान भी विपक्षी दलों के सांसद बिल पर चर्चा की मांग करते रहे. लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई.

लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि साल 1961 से 2020 के बीच संसद में 17 रिपील बिल विस्तार से चर्चा के बाद पारित किए गए थे. हम मांग करते हैं कि राज्यसभा में जब सरकार द फॉर्म लॉज रिपील बिल लेकर आए तो उस पर चर्चा हो. यह संसद की परंपरा है. राज्यसभा में जब रिपील बिल आएगा तो हम इस मसले को उठाएंगे.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. इस विधेयक को चर्चा के बाद पारित कराने की बात कही गई लेकिन इस पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है? कई अन्य विपक्षी सदस्यों को भी कुछ कहते देखा गया लेकिन शोर शराबे में उनकी बात नहीं सुनी जा सकी.  

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि किसान कानून वापस लेने की मांग थी. विपक्ष ने भी कहा. जब हम वापस कर रहे थे तब उन लोगों ने हंगामा किया. क्यों विरोध कर रहे थे. जान-बूझकर हंगामा कर रहे थे.

वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि अभी मामला सुलझा नहीं है. इसके आगे MSP का मुद्दा है, फसलों के वाजिब दाम का मुद्दा है, 10 साल पुराने ट्रैक्टर का मुद्दा है, सीड बिल का मुद्दा है. सरकार को हमसे बात करनी चाहिए. सरकार ने हमसे संपर्क नहीं किया.

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार ने गलत किया है. इससे पहले कानून को रिपील करने के लिए लाए गए बिल पर लोकसभा में चर्चा हुई थी. हम किसानों के लिए एमएसपी कानून, आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है उनके परिवारजनों को मुआवजा जैसे मसले संसद में उठाना चाहते थे. लेकिन सरकार ने हमें मौका नहीं दिया. यह बहुत गलत हुआ है.

पीएम मोदी ने सत्र शुरू होने से पहले मीडिया से रूबरू होते हुए कहा था कि संसद में सरकार हर सवाल का जवाब देगी. साथ ही कहा था कि सरकार हर विषय पर चर्चा करने को तैयार है. सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठे लेकिन सदन और स्पीकर की गरिमा का ख्याल रखें.

वहीं, विपक्षी दलों ने सत्र से पहले बैठक करके संसद में सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की रणनीति बनाई थी. सत्र से पहले उन्होंने संसद परिसर में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन भी किया था.

 

बीते 24 घंटों की बात करें तो दिल्‍ली में इस अवधि में 34 केस सामने आए और कोरोना संक्रमण दर 0.08 फीसदी हो गई है. कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या दिल्‍ली में इस समय 285 हैं, इसमें से होम आइसोलेशन में 122 मरीज हैं.

नई दिल्ली/शौर्यपथ/

Delhi corona Update : देश की राजधानी दिल्‍ली में कोराना संक्रमण (Covid-19) के कारण लगातार तीसरे दिन 1 मौत दर्ज की गई है, इसके साथ ही दिल्‍ली में कोरोना के कारण हुई मौतों का आंकड़ा 25,098 तक पहुंच गया है. बीते 24 घंटों की बात करें तो दिल्‍ली में इस अवधि में 34 केस सामने आए और कोरोना संक्रमण दर 0.08 फीसदी हो गई है. कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या दिल्‍ली में इस समय 285 हैं, इसमें से होम आइसोलेशन में 122 मरीज हैं. सक्रिय कोरोना मरीजों की दर 0.19 फीसदी है. रिकवरी दर 98.23 फीसदी है. वहीं 24 घंटे में 36 मरीज डिस्चार्ज हुए, वहीं अब तक ठीक होने का आंकड़ा 14,15,517 है. 24 घंटे में हुए 43,399 टेस्ट हुए. टेस्ट का कुल आंकड़ा 3,08,68,725 है (RTPCR टेस्ट 39,916 एंटीजन 3483). कंटेनमेंट जोन्स की संख्या 105 है. वहीं कोरोना डेथ रेट 1.74 फीसदी है.

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन यानी WHO ने कोविड-19 के नए वेरिएंट Omicron (ओमिक्रॉन ) को लेकर चेतावनी जारी की है. WHO का कहना है कि Omicron को लेकर लेकर जोखिम बहुत अधिक (very high) है. WHO की ओर से कहा गया है कि Omicron वेरिएंट के दुनियाभर में फैलने की आशंका है. कुछ क्षेत्रों में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की ओर से जारी टेक्निकल नोट में कहा गया कि यदि Omicron वेरिएंट के मामले में बड़ा उछाल देखने को मिला तो इसके बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं, हालांकि इस वेरिएंट के कार अब तक कोई मौत नहीं हुई है.WHO ने शुक्रवार को ऐलान किया था कि उसने कोविड के एक नए स्‍ट्रेन B.1.1.529 की पहचान की है, यह स्‍ट्रेन/वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया है.

 

 

 

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