March 15, 2025
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भारत

भारत (809)

Mohan Bhagwat ने कहा, भारत को भारत रहना है तो भारत को स्व का आवलंबन करना होगा. हिन्दू रहना ही पड़ेगा. हिन्दू को हिन्दू रहना है तो भारत को एकात्म और अखंड बनना ही होगी."

ग्वालियर/शौर्यपथ/

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत  ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शनिवार को एक कार्यक्रम को संबोधित किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इस कार्यक्रम में हिन्दुओं को एकजुट रहने और हिन्दुत्व के बारे में कई बातें कहीं. मोहन भागवत ने कहा, आप देखेंगे कि हिन्दुओं की संख्या कम हो गई है. हिन्दुओं की ताकत कम हो गई है. हिन्दुत्व का भाव कम हो गया है. अगर हिन्दू को हिन्दू रहना है तो भारत को अखंड रहना ही पड़ेगा. अगर भारत को भारत रहना है तो हिन्दू को हिन्दू रहना ही पड़ेगा.

उन्होंने इशारे ही इशारे में धार्मिक जनसंख्या का जिक्र करते हुए कहा कि अपने देश में देख लो कहां-कहां सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता है ? कहां-कहां देश की अखंडता और एकात्मता को खतरा है?कहां कहां पर सामाजिक और आर्थिक समस्याएं तगड़ी हैं? आप देखेंगे हिंदुओ की संख्या व शक्ति कम हो गई या हिंदुत्व के भाव कम हो गया है.

सर संघचालक ने ये बातें संघ से जुड़े दैनिक स्वदेश के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहीं. कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया. भागवत रविवार शाम उस्ताद अमजद अली खां के पैतृक निवास में उनके पिता की स्मृति में बने उस्ताद हाफिज अली खान स्मृति सरोद घर का अवलोकन कर सकते है . इस दौरान अमजद अली खां के सपरिवार मौजूद रहने की संभावना है.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत शुक्रवार को मध्य प्रदेश में ग्वालियर शहर पहुंचे थे. भागवत यहां चार दिनी ‘घोष शिविर' में शामिल हो रहे हैं. संघ के मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडे ने कहा कि यह चार दिवसीय प्रांतीय स्वर साधक संगम (घोष शिविर) 25 नवंबर को सरस्वती शिशु मंदिर केदारधाम परिसर ग्वालियर में शुरू हुआ है.

मोहन भागवत भारत, हिन्दुत्व और हिन्दू धर्म को लेकर पहले भी अपनी राय प्रकट करते रहे हैं. इसको लेकर विपक्षी दलों और बुद्धिजीवियों की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई है. हालांकि एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी उनके हिन्दुत्व को लेकर बयानों की तीखी आलोचना करते रहे हैं.

 

 

 

नई दिल्ली /शौर्यपथ / कर्नाटक सरकार ने नए स्ट्रेन 'ओमिक्रॉन' की चिंताओं के बीच राज्य में COVID-19 एहतियाती कदम उठाए हैं. हवाई अड्डों पर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग तेज की जाएगी और महाराष्ट्र और केरल से आने वाले यात्रियों के लिए अब आरटी-पीसीआर परीक्षण अनिवार्य होगा. यह कदम आज शाम को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद सामने आया है.
  राज्य के राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा कि सरकार ने सरकारी कार्यालयों, मॉल, होटल, सिनेमा हॉल, चिड़ियाघर, स्विमिंग पूल और पुस्तकालयों में काम करने वालों के लिए दूसरी खुराक अनिवार्य करने का भी फैसला किया है. उन्होंने आगे कहा, "बैठक में स्कूलों और कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया."

बता दें कि वैज्ञानिकों ने कोरोना के 'ओमिक्रॉन' वेरिएंट में म्यूटेशन की एक बड़ी संख्या की बात कही है. कोरोना के इस खतरनाक वैरिएंट के बारे में पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पिछले सप्ताह पता चला था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक पैनल ने इसे चिंता के एक अत्यधिक संक्रामक संस्करण के रूप में वर्गीकृत किया है. डेल्टा वैरिएंट को भी इसी श्रेणी में शामिल किया गया था.

इसमें कहा गया कि केरल के जिन छात्रों की आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है, उन्हें पहली रिपोर्ट के सातवें दिन दूसरा टेस्ट करवाना होगा. यह केवल उन छात्रों के लिए है जो पिछले 16 दिनों में राज्य में पहुंचे हैं. सरकार ने कहा कि मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों में छात्रों के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया तेज होगी.
  यह कदम कर्नाटक में मेडिकल छात्रों के लिए हाल के कई कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए लिया गया है. बेंगलुरु के एक नर्सिंग कॉलेज के बारह छात्र शुक्रवार को कोरोना संक्रमित पाए गए थे. यहां तक ​​कि कर्नाटक के धारवाड़ में मेडिकल कॉलेज को भी एक COVID-19 क्लस्टर घोषित करना पड़ा था. यहां कोरोनो संक्रमित छात्रों और कर्मचारियों की संख्या एक दिन में 66 से 182 पर पहुंच गई थी.

भोपाल / शौर्यपथ / मध्यप्रदेश  के मंत्री बिसाहूलाल सिंह का राजपूत  समाज की महिलाओं पर टिप्पणी का विरोध शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रहा. बिसाहूलाल सिंह के विरोध में शनिवार को कई जगह प्रदर्शन किए गए और पुतले फूंके गए. हालांकि मंत्री ने महिलाओं के बारे में दिये गये अपने बयान पर खेद व्यक्त किया है, लेकिन इससे राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना (Karni Sena) का गुस्सा शांत नहीं हुआ. संगठन ने मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन कर उनके त्यागपत्र की मांग की.  दूसरी तरफ, आदिवासी मंत्री ने दावा किया कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया और किसी को ठेस पहुंचाना उनका इरादा नहीं था. इसके कुछ घंटों बाद करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने यहां प्रदेश भाजपा कार्यालय के बाहर उनकी कार का घेराव कर उन्हें काले झंडे दिखाए और उनके त्यागपत्र की मांग की.

भाजपा और करणी सेना के कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक के बाद करीब आधे घंटे तक धरना प्रदर्शन चलता रहा. ठाकुर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने भाजपा नेता पर निशाना साधा और कहा, ‘‘ आप महिलाओं को घरों से बाहर निकालने की बात कर रहे हैं, इतिहास गवाह है कि हमने उन लोगों को माफ नहीं किया जिन्होंने हम पर आंख उठाई है.''

गौरतलब है कि बिसाहूलाल सिंह को कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता और जयवर्धन सिंह के पिता दिग्विजय सिंह के वफादार समर्थक के तौर पर जाना जाता था. बिसाहूलाल मार्च 2020 में भाजपा में शामिल हो गये थे . अनूपपुर जिले में महिलाओं को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा था, ‘‘ बड़े लोग (उच्च जाति) ठाकुर और कुछ अन्य बड़े लोग अपनी महिलाओं को घरों में रखते हैं और उन्हें बाहर नहीं जाने देते जबकि हमारे गांवों में (समाज के निचले तबके की) महिलाएं खेत और घर का काम करती हैं. आप आगे आएं और जितने बड़े बड़े ठाकुर-आकुर हैं न, उनका घर में जाकर महिलाओं को पकड़ कर बाहर निकालें. उनके साथ समाज का काम करें.' मंत्री द्वारा की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए ‘श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना' ने शुक्रवार को यहां मंत्री के सरकारी निवास के पास विरोध प्रदर्शन किया और मंत्री का पुतला जलाया.
  अपनी टिप्पणी पर अपना रुख साफ करते हुए मंत्री ने एक बयान जारी कर कहा कि महिलाओं के सम्मान के लिए आयोजित एक समारोह में अपने संबोधन में राजपूतों या समाज के किसी अन्य वर्ग को चोट पहुंचाने का उनका कोई इरादा नहीं था. उन्होंने दावा किया कि उनके कुछ वाक्यों का गलत अर्थ निकाला गया. सिंह ने कहा, ‘‘ जिनके पास मेरे भाषण की रिकॉर्डिंग है. वे यदि मेरे भाषण को ध्यान से सुनेंगे तो मुझसे सहमत होंगे.'' उन्होंने कहा कि अपने निर्वाचन क्षेत्र में आमतौर पर वह लोगों से हिंदी और स्थानीय बोली सहित मिश्रित भाषा में बात करते हैं. इस संबोधन में भी उन्होंने इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था.

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की अप्रिय स्थिति शुद्ध हिंदी नहीं बल्कि मिश्रित भाषा के कारण पैदा हुई होगी. सभी जानते हैं कि मैं आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करता हूं और मैं इस वर्ग की महिलाओं से उनके उत्थान के बारे में बात कर रहा था.'' मंत्री ने कहा कि अगर उच्च वर्ग की कुशल और शिक्षित महिलाएं काम के लिए आगे नहीं आती हैं तो पिछड़े समाज की महिलाएं किसका अनुसरण करेंगी और प्रेरणा लेंगी. उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा कोई और इरादा नहीं था . यदि मेरे बयान से राजपूतों या किसी अन्य वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं.''

लखनऊ / शौर्यपथ / केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लक्ष्य करते हुए शनिवार को कहा कि सपा राज में उत्तर प्रदेश में दंगे होते थे और हमारे (भाजपा सरकार) राज में दंगल होते हैं. उन्‍होंने कहा, ‘‘अखिलेश भाई सुनो, तुम दंगे कराते हो और हम दंगल कराते हैं तो क्या बुराई है.'' केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिये भाजपा के सह प्रभारी अनुराग ठाकुर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुये ट्वीट किया ''अखिलेश यादव, फर्क इतना है कि सपा राज में उप्र में दंगे होते थे, हमारे में दंगल.''
  इसके पहले उन्‍होंने बागपत के बड़ौत में आयोजित ''सांसद खेल महाकुंभ'' में अपने संबोधन में कहा ''अगर खेलों में आगे बढ़ने का मौका दे रहे तो क्या बुराई है, ये अखिलेश यादव कहता है कि ये सांसद खेल महाकुंभ कराते हैं, अरे, अखिलेश भाई सुनो, तुम दंगे कराते हो और हम दंगल कराते हैं तो क्या बुराई है.''
  ठाकुर ने कहा ''मुझे पता है कि बागपत के लोग दंगे नहीं जानते, दंगल में ही विश्वास रखते हैं. आप खेलों को बढ़ावा देना जानते हो, राजनीति नहीं जानते हो लेकिन कोई राजनीतिक प्राणी खेल को बढ़ावा दे तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है.'' उन्‍होंने आयोजन के लिए बागपत के भाजपा सांसद सतपाल सिंह को धन्यवाद दिया.
  बाद में पत्रकारों से बातचीत में ठाकुर ने सांसद खेल महाकुंभ की सराहना करते हुए कहा कि ''भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने मोदी जी की सोच को आगे बढ़ाया है क्योंकि ओलंपिक के बाद देश खेल को और खिलाड़ियों को बढ़ावा देना चाहता है और अगर हर सांसद इस दिशा में आगे बढ़े तो यह अपने आप में एक नई शुरुआत है. देश भर के सांसद अगर इस तरह का आयोजन करेंगे तो खिलाड़ियों को आगे आने का मौका मिलेगा.''

वाराणसी / शौर्यपथ / उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे में 13 दिसंबर से 14 जनवरी तक होने वाले "भव्य काशी दिव्य काशी" कार्यक्रम की तैयारियों की शनिवार को समीक्षा की. मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान निर्देश दिया कि 13 दिसंबर को श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के पश्चात 14, 15 एवं 16 दिसंबर को काशी के प्रत्येक घर में बाबा का विशेष प्रसाद एवं धाम के इतिहास से संबंधित कॉफी टेबल बुक हर हालत में पहुंचाई जाए.
  उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शास्त्रोक्त पद्धति से पूजन -अर्चन के दौरान पूरे कार्यक्रम का लाइव प्रसारण होता रहे.योगी ने श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण से पूर्व पूरे वाराणसी जनपद के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जन सहभागिता के साथ उत्सव सा माहौल बनाने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिन लोग अपने घरों में विशेष साफ सफाई के साथ ही दीप अवश्य जलाएं. इसके लिए काशी के परिवारों के साथ संवाद स्थापित किया जाए.
  उन्होंने कहा कि 1669 में अहिल्याबाई होलकर द्वारा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार कराने के लगभग 352 वर्ष के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प के साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम का पुनरुद्धार कराया है.  ​उन्होंने कहा कि श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर लोकार्पण के दौरान पूरे एक माह तक काशी में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

नई दिल्ली / शौर्यपथ / कोविड -19 महामारी के कारण, NEET PG 2021 में विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश अनिश्चित काल के लिए विलंबित हो गया है. जिसके बाद केन्द्र द्वारा संचालित दिल्ली के तीन अस्पताल- आरएमएल, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग - के रेजिडेंट डॉक्टरों ने नीट-पीजी 2021 की काउंसलिंग आयोजित करने में बार-बार हो रही देरी के विरोध में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) की सेवाएं शनिवार को रोक दीं, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हुई. यह कदम फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोरडा) द्वारा 27 नवंबर से अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं रोकने के लिए किए गए राष्ट्रव्यापी आह्वान के बाद उठाया गया है.
  ओपीडी सेवाएं निलंबित रहने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने अस्पताल प्रशासन को लिखे पत्र में कहा, “कोविड-19 महामारी के कारण, नीट पीजी 2021 में विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश अनिश्चित काल के लिए विलंबित हो गया है. रेजिडेंट डॉक्टर पिछले डेढ़ वर्षों में कोविड और गैर-कोविड दोनों सेवाओं को अथक रूप से आगे बढ़ा रहे हैं और शारीरिक और मानसिक रूप से थक गए हैं.”
इसमें कहा गया, “वे पहले से ही विलंबित नीट पीजी 2021 काउंसलिंग के मामले में उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई का सकारात्मक परिणाम आने को लेकर अब तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे. हालांकि, उन्हें शारीरिक और मानसिक परेशानी से कोई राहत नहीं मिली है और अदालत की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2022 को निर्धारित की गई है.”
  पत्र में कहा गया, “इस बार-बार की देरी और काउंसलिंग टलने के खिलाफ विरोध दर्ज करने के लिए हम एबीवीआईएमएस और डॉ. आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने रविवार की ओपीडी सेवाओं सहित, शनिवार 27 नवंबर से बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) की सेवाएं रोकने का फैसला लिया है.'' चिकित्सकों के संघों ने सरकार और शीर्ष अदालत से नीट पीजी काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया में तेजी लाने और अदालती कार्यवाही को तेज करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की. अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बड़ी संख्या में छात्र दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के समक्ष जमा हुए और अपनी चिंता जाहिर की. इन छात्रों में ज्यादातर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के स्नातकोत्तर के छात्र थे.
    डॉक्टर ने बताया कि इससे एलएनजेपी में ओपीडी सेवा प्रभावित नहीं हुई. उन्होंने बताया, ‘‘करीब 70-80 छात्र एमडी कार्यालय के बाहर पोर्टिको में एकत्र हो गए और अपनी चिंता जाहिर की.'' इस बीच, शनिवार को फोरडा ने ट्वीट किया कि उसके अध्यक्ष ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से भेंट कर समाधान निकालने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शन अभी जारी है. उसे ट्वीट किया, ‘‘फोरडा के अध्यक्ष और मनसुख मांडविया के बीच आज बैठक हुई. हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा, सभी राज्यों के आरडीए के साथ आज डिजिटल बैठक के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी.''
फोरडा ने एक बयान जारी करके दावा किया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय से उसे संदेश प्राप्त हुआ है कि ‘‘आरक्षण नीति के लंबित मुद्दे की समीक्षा प्रक्रिया अगले बुधवार तक (चार सप्ताह के स्थान पर) पूरी कर ली जाएगी और मामले को अगले सप्ताह उच्चतम न्यायालय के पास रखा जाएगा.'' बयान में कहा गया है, ‘‘लेकिन, हम प्रदर्शन जारी रखेंगे.''
   अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आरडीए ने भी इस मुद्दे पर समर्थन व्यक्त करते हुए भारत सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और काउंसलिंग प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया. उसने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में अनिश्चितकाल के लिए देरी हो रही है, इस तथ्य के बावजूद कि प्रवेश परीक्षा के परिणाम घोषित हुए लगभग दो महीने से अधिक का वक्त हो गया है. आमतौर पर कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में होने वाली प्रवेश परीक्षा कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप पहले ही कई महीनों तक विलंबित हो गई. एम्स आरडीए ने एक बयान में कहा कि इस अत्यधिक देरी से पूरे भारत के मेडिकल कॉलेजों में श्रम शक्ति की कमी हो गई है.
  बयान में कहा गया, “अगर काउंसलिंग टलती रही तो हजारों स्नातकोत्तर सीटें इस साल रिक्त रह जाएंगी. दुनिया के कई देशों में कोविड-19 के मामले बढ़ने के साथ, यह जरूरी है कि हमारा देश वैश्विक महामारी की एक और लहर के लिए तैयार रहे.” इसमें कहा गया, “रेजिडेंट डॉक्टरों के मौजूदा कार्य बल पर पहले से ही अधिक बोझ है, जिसका स्वास्थ्य सेवाओं के सर्वोत्तम वितरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए रेजिडेंट डॉक्टरों के नए बैच की प्रवेश प्रक्रिया बिना किसी और देरी के पूरी की जानी चाहिए.”
 

लखनऊ / शौर्यपथ /  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा राज में उत्तर प्रदेश पिछड़ गया है. सबका काम छिन गया है. किसान को धान की कीमत नहीं मिली. नौजवान के पास रोजगार नहीं है. बिजली कारखाने नहीं लगे. भाजपाई जीप चढ़ाते हैं और जीभ चलाते हैं. अंग्रेज 'बांटो और राज करो की नीति' पर चलते थे, भाजपाई 'डराकर' कर रहे हैं. जनता इनको पहचान गई है. जनता बदलाव चाहती है. सन् 2022 के चुनावों में जनता भाजपा का सफाया करेगी. उन्होंने उपस्थित जन समुदाय से अपील की, कि वह भाजपा के खिलाफ मतदान करें, भाजपा की इस बार ऐसी ऐतिहासिक हार होगी जिसका उन्हें अंदाज भी नहीं होगा.
अखिलेश यादव आज हरदोई जनपद में महाराजा सल्हीय सिंह अर्कवंशी के 15वां मूर्ति स्थापना दिवस समारोह पर सण्डीला के सागरगढ़ी झावर मैदान में आयोजित 'भागीदारी संकल्प मोर्चा' की विशाल रैली को सम्बोधित कर रहे थे. इस रैली की अध्यक्षता सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने की. राजभर ने जनता से  अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए संकल्प लेकर जाने की अपील की. उन्होंने भरोसा दिलाया कि समाज के तमाम वर्गों को समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर मदद दी जाएगी.

अखिलेश यादव ने कहा कि किसान की आय दुगनी नहीं हुई. धान बेचने में उसकी जान तक चली गई. लखीमपुर की घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड की तरह है. इलाहाबाद में एक परिवार में 4 लोग मारे गए. परिवार न्याय के लिए भागता रहा, सरकार से न्याय नहीं मिला. 30 नवंबर को हम हाथरस की बेटी की याद करेंगे. उन्होंने कहा सण्डीला अपने लड्डुओं के लिए मशहूर था, वह कारोबार भी बंद हो गया है. बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा वाले समाजवादियों के काम से अपना काम चला रहे हैं. कोरोना काल में लोगों को भाजपा सरकार ने अनाथ छोड़ दिया था. तब समाजवादी सरकार में बनी 108 एम्बुलेंस सेवा ही काम आई.
डायल 100 का नाम बदला गया तो पुलिस भी बदल गई. पुलिस को सबसे ज्यादा मदद भी समाजवादी सरकार में मिली थी. महंगाई की मार से लोग त्रस्त हैं. भाजपा सरकार जातीय जनगणना से भाग रही है. समाजवादी सरकार गिनती कराकर आबादी के हिसाब से भागीदारी और सम्मान देंगे. यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार बनने पर गंभीर बीमारियों का मुफ्त इलाज होगा. मुफ्त विशेष खाद्यान्न योजना प्रारंभ की जाएगी. 1500 रुपए माताओं-बहनों के बैंक खातों में जाएगा. भाजपा सरकार जेवर में जो एयरपोर्ट बना रही है, वह बेचने के इरादे से बनाया जा रहा है. समाजवादी लोग दुनिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनाएंगे. अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने जिस रास्ते से अपनी सरकार बनाई उस रास्ते को हम बंद कर रहे हैं.
किसान, नौजवान सभी मिलकर भाजपा को सबक सिखाएंगे. पश्चिम बंगाल में 'खेला होबे' का नारा था उत्तर प्रदेश में सन् 2022 के चुनावों में भाजपा के लिए 'खदेड़ा होबे' का नारा है. अखिलेश यादव के समक्ष पूर्व विधायक अनिल वर्मा और सत्य नारायण ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. इस मौके पर  डॉ. राजपाल कश्यप, ऊषा वर्मा, बाबू रामपाल, जितेन्द्र वर्मा जीतू, राममूर्ति अर्कवंशी, प्रेमचन्द्र प्रजापति, अरविंद राजभर, गया प्रसाद राजवंशी, बाबू खां, घनश्याम अर्कवंशी, अभिषेक दीक्षित एवं अश्विनी पटेल आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय है.

ग्वालियर / शौर्यपथ / आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शनिवार को एक कार्यक्रम को संबोधित किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इस कार्यक्रम में हिन्दुओं को एकजुट रहने और हिन्दुत्व के बारे में कई बातें कहीं. मोहन भागवत ने कहा, आप देखेंगे कि हिन्दुओं की संख्या कम हो गई है. हिन्दुओं की ताकत कम हो गई है. हिन्दुत्व का भाव कम हो गया है. अगर हिन्दू को हिन्दू रहना है तो भारत को अखंड रहना ही पड़ेगा. अगर भारत को भारत रहना है तो हिन्दू को हिन्दू रहना ही पड़ेगा.
  आरएसएस प्रमुख ने भारत-पाक बंटवारे पर  निशाना साधते हुए कहा कि हिन्दू के बिना भारत नहीं, भारत के बिना हिन्दू नहीं रहेगा, भारत हिन्दुस्तान है, भारत और हिन्दू अलग हो नहीं सकते. उन्होंने हिन्दू राष्ट्र का नाम न लेकर भी साफ कहा कि भारत को भारत रहना है तो भारत को हिन्दू रहना ही पड़ेगा, हिन्दू को हिन्दू रहना है तो भारत को एकात्म अखंड रहना ही होगा. हिन्दू समाज मनुष्यों का बना है, मनुष्यों को ध्यान रखना पड़ता है, देखो भारत नहीं रहा तो हम नहीं रहेंगे.उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी देख लो जो अखंड भारत में था जो आज नहीं है.
  उन्होंने इशारे ही इशारे में धार्मिक जनसंख्या का जिक्र करते हुए कहा कि अपने देश में देख लो कहां-कहां सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता है ? कहां-कहां देश की अखंडता और एकात्मता को खतरा है?कहां कहां पर सामाजिक और आर्थिक समस्याएं तगड़ी हैं? आप देखेंगे हिंदुओ की संख्या व शक्ति कम हो गई या हिंदुत्व के भाव कम हो गया है.
  सर संघचालक ने ये बातें संघ से जुड़े दैनिक स्वदेश के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहीं. कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया. भागवत रविवार शाम उस्ताद अमजद अली खां के पैतृक निवास में उनके पिता की स्मृति में बने उस्ताद हाफिज अली खान स्मृति सरोद घर का अवलोकन कर सकते है . इस दौरान अमजद अली खां के सपरिवार मौजूद रहने की संभावना है.
 गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत शुक्रवार को मध्य प्रदेश में ग्वालियर शहर पहुंचे थे. भागवत यहां चार दिनी ‘घोष शिविर' में शामिल हो रहे हैं.  संघ के मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडे ने कहा कि यह चार दिवसीय प्रांतीय स्वर साधक संगम (घोष शिविर) 25 नवंबर को सरस्वती शिशु मंदिर केदारधाम परिसर ग्वालियर में शुरू हुआ है.
    मोहन भागवत भारत, हिन्दुत्व और हिन्दू धर्म को लेकर पहले भी अपनी राय प्रकट करते रहे हैं. इसको लेकर विपक्षी दलों और बुद्धिजीवियों की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई है. हालांकि एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी उनके हिन्दुत्व को लेकर बयानों की तीखी आलोचना करते रहे हैं.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/ 

सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस समारोह में अटार्नी जनरल के के वेणुगापाल ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट के पूरे ढांचे को बदलने का वक्त आ गया है. अटार्नी जनरल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपना दायरा बढ़ा दिया है. यह सिर्फ एक संवैधानिक न्यायालय नहीं है. यह एक अदालत है जो सभी मामलों की सुनवाई करती है. सुप्रीम कोर्ट आपराधिक, जमीन, पारिवारिक मामले आदि की सुनवाई करता है. इसे कम किया जाए. एजी ने कहा, यह सभी मुद्दों पर विभिन्न हाईकोर्ट की अपील सुनता है. हाईकोर्ट के फैसलों की वैधता की जांच करता है.तो यह सही मायने में संवैधानिक न्यायालय नहीं है. पीएम मोदी ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया. 

सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस समारोह में भूमि नियंत्रण, संपत्ति, वैवाहिक आदि जैसे मामलों का कोई संवैधानिक मूल्य नहीं है. ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट से एक आपराधिक मामले का फैसला आने में 30 साल लग जाते हैं. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, संवैधानिक मामलों की सुनवाई के लिए 5 जजों के साथ 3 संवैधानिक बेंच स्थायी रूप से स्थापित की जाएं. मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के पूरे ढांचे को बदलने का वक्त आ गया है. 

वहीं प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि सामान्य धारणा कि न्याय देना केवल न्यायपालिका का कार्य है. लेकिन यह सही नहीं है, यह तीनों अंगों पर निर्भर करता है. विधायिका और सरकारें (कार्यपालिका) की ओर से किसी भी तरह से इन बातों को नजरअंदाज से न्यायपालिका पर केवल अधिक बोझ पड़ेगा. कभी-कभी न्यायपालिका केवल कार्यपालिका को पुश करती है. लेकिन कार्यपालिका की भूमिका को हड़पती नहीं है. 

एक संस्था को दूसरी संस्था के खिलाफ पेश करने या एक शाखा को दूसरे के खिलाफ रखने की उसकी शक्तियां केवल लोकतंत्र के लिए एक गलतफहमी पैदा करती हैं.यह लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है. वहीं कानून मंत्री कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, संविधान शक्तियों के बंटवारे का प्रावधान करता है. यह सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय के लिए तीन अंगों यानी कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच संबंध की भी परिकल्पना करता है. लिहाजा मौलिक अधिकारों पर मौलिक कर्तव्य को प्रधानता मिलनी चाहिए.

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