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भारत में कोविड के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के दो मामले सामने आने के बाद डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि ऐसा होना अप्रत्याशित नहीं था.
नई दिल्ली/शौर्यपथ/
भारत में कोविड के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के दो मामले सामने आने के बाद डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि ऐसा होना अप्रत्याशित नहीं था. इससे यह साफ होता है कि हर देश को इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए और चौकन्ना रहने की जरूरत है. गौरतलब है कि कर्नाटक में ओमिक्रॉन के दो मामलों की पुष्टि होने के साथ ही यह भी पुख्ता हो गया है कि इस वेरिएंट ने भारत में भी दस्तक दे दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि इन दोनों के कॉन्टेक्ट की पहचान कर ली गई है. दोनों में लक्षण मामूली हैं. दुनिया में अब तक इस वेरिएंट के जितने भी केस सामने आए हैं, उनमें गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं.
डॉ. सिंह ने कहा, “भारत द्वारा आज ओमिक्रॉन वैरिएंट के चिंताजनक होने की पुष्टि करना और देश में दो मामलों का सामने आना अप्रत्याशित नहीं था. यह सभी देशों को निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देता है, और उन्हें सतर्क रहने व वायरस के अधिक प्रसार को कम करने के उपाय करने की ओर इशारा करता है. Omicron सहित सभी वेरिएंट के लिए प्रतिक्रिया उपाय SARs CoV2 के समान ही है. सरकारों द्वारा व्यापक और अनुरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपाय, और व्यक्तियों द्वारा निवारक और एहतियाती उपायों का सख्ती से पालन करना आवश्यक है."
उन्होंने कहा, “लोगों को अच्छी फिटिंग वाला मास्क पहनना चाहिए जो उनकी नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढके, दूरी बनाए रखें, खराब वेंटीलेशन या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, हाथ साफ रखें, खांसी और छींकते समय मुंह को ढकें और वैक्सीन लगाएं. वैक्सीन लगवाने के बाद भी सभी एहतियाती उपाय करते रहें. सभी यात्रियों को हर समय सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों का पालन करना चाहिए और COVID-19 के लक्षणों को लेकर सतर्क रहना चाहिए."
डॉ. सिंह ने आगे कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के म्यूटेशंस बड़ी संख्या में हैं, जिनमें से कुछ चिंताजनक भी हैं. दुनिया भर के शोधकर्ता ओमिक्रॉन की संप्रेषण क्षमता, गंभीरता और प्रतिरक्षा से बचने की क्षमताओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए अध्ययन कर रहे हैं. डब्ल्यूएचओ उन देशों की सराहना करता है जिन्होंने नए वेरिएंट के मामलों का शीघ्रता से पता लगाया और इसे रिपोर्ट किया.
नई दिल्ली/शौर्यपथ/
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने UPA (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) को लेकर एक बयान दिया था. जिसमें कहा था कि कोई UPA नहीं है. ममता बनर्जी की ओर से UPA पर दिए गए इस बयान पर अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की प्रतिक्रिया आई है और उन्होंने कहा है कि कांग्रेस बिना यूपीए का कोई मतलब नहीं है. कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर लिखा कि कांग्रेस बिना यूपीए मतलब ऐसा शरीर जिसमें आत्मा ही नहीं है. विपक्षी की एकता दिखाने का समय आ गया है. अपने इस ट्वीट के जरिए कपिल सिब्बल ने ममता बनर्जी को UPA में कांग्रेस की क्या अहमियत है ये बताने की कोशिश की है.
दरअसल कल ममता बनर्जी ने मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं ने मजबूत विपक्ष बनने पर चर्चा की थी. वहीं इस मुलाकात के बाद जब ममता बनर्जी से सवाल करते हुए पूछा गया कि क्या वो चाहती हैं कि शरद पवार को UPA का अध्यक्ष बनाया जाए? इस सवाल के जवाब में ममता बनर्जी ने कहा था कि क्या यूपीए? अब कोई यूपीए नहीं है? यूपीए क्या है? हम एक मजबूत विकल्प चाहते हैं. अपने इस बयान के जरिए ममता ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा था.
गौरतलब है कि एक समय में तृणमूल कांग्रेस कभी UPA का हिस्सा हुआ करती थी. लेकिन अब ममता ने कांग्रेस पार्टी से दूरी बना ली है. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी ममता ने कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं किया था. कांग्रेस ने वाम दलों के साथ मिलकर तृणमूल और बीजेपी के खिलाफ ये चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में ममता की पार्टी को जीत मिली थी.
प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने स्कूलों को कल से अगले आदेश तक बंद रखने का निर्देश दिया है. इस संबंध में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि सभी स्कूल कल से अगले आदेश तक बंद रहेंगे.
नई दिल्ली/शौर्यपथ/
प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ( Delhi Government) ने स्कूलों को कल से अगले आदेश तक बंद रखने का निर्देश दिया है. इस संबंध में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि सभी स्कूल कल से अगले आदेश तक बंद रहेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्यों को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 24 में घंटे में कदम उठाइये वरना कोर्ट आदेश जारी करेगा. आपातकालीन हालात में असाधारण कदम उठाने की जरूरत है. अब इस मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. इससे पहले आज CJI एनवी रमना ने दिल्ली में अभी भी कुछ स्कूल के खुले रहने पर खासी नाराजगी जताई.
सीजेआई ने फटकार लगाते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि आपने कई दावे किए कि स्कूल बंद कर दिए गए हैं, लेकिन सभी स्कूल बंद नहीं हुए हैं. तीन व चार साल के बच्चे अभी भी स्कूल जा रहे हैं. आपने लॉकडाउन लगाने पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन स्कूल खोल दिए, अब माता-पिता घर से काम कर रहे हैं, जबकि बच्चों को स्कूल जाना पड़ रहा है. जवाब में दिल्ली सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्कूल बंद हैं, हम इस पर जांच करेंगे.
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deepender Singh Hooda)ने विरोध-प्रदर्शन (Farmers Protest) के दौरान किसानों की मौत का कोई डेटा नहीं संबंधी बयान के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. हुड्डा ने सवाल किया कि क्या ये बात सरकार सच्चे और शुद्ध मन से कह रही है? उन्होंने कहा, 'अगर सरकार के पास किसान आंदोलन में जान की कुर्बानी देने वाले करीब 700 किसानों का आंकड़ा नहीं है तो मैं सरकार को ये आंकड़ा देने को तैयार हूं. सरकार सभी दिवंगत किसानों को श्रद्धांजलि दे और किसान परिवारों को मुआवजा व नौकरी दे. '
बातचीत में दीपेंद्र ने कहा, 'इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कोई जवाब नहीं हो सकता. सरकार चाहे तो मैं खुद यह लिस्ट सरकार को दे सकता हूं. यह लिस्ट संयुक्त किसान मोर्चा ने भी जारी की है. तमाम प्रदेशों में ऐसे लोग हैं जिन्होंने इस लिस्ट को लेकर लोगों को मदद पहुंचाने का काम किया है.हरियाणा में हुड्डा साहब के नेतृत्व में कांग्रेस विधायी दल ने लोगों को सहायता राशि पहुंचाई है. मैं खुद इन लोगों के घर गया हूं. पंजाब सरकार की ओर से भी ऐसी मदद की गई है. सरकार चाहे तो तमाम प्रदेश सरकारों से यह लिस्ट ले सकती है. समस्या यह है कि सरकार की इनकी मदद करने की नीयत नहीं है. न तो ये स्वीकारना चाहते हैं कि इतने लोगों की जान गई और न ही उनको मान्यता देना चाहते हैं लेकिन किसानों की कुर्बानी को हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे.'
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से संसद में कहा गया है कि उसके पास किसान आंदोलनके दौरान मरने वाले किसानों और उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामलों की जानकारी नहीं है. ऐसे में किसी को वित्तीय सहायता यानी मुआवजा देने का सवाल ही नहीं उठता है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) में एक सवाल के जवाब में लोकसभा में ये लिखित जवाब दिया.संसद में सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार के पास आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का कोई आंकड़ा है और क्या सरकार उनके परिजनों को वित्तीय सहायता देने की सोच रही है? इसके जवाब में कृषि मंत्री का ये जवाब आया है. मंत्री ने ये सदन को ये भी बताया कि केंद्र सरकार ने किसान नेताओं के साथ 11 राउंड की बातचीत की थी लेकिन बात नहीं बनी.
19 नवंबर को प्रधानमंत्री ने कहा था, "देश से माफी मांगते हुए मैं सच्चे और शुद्ध मन से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या (समर्पण) में कुछ कमी थी कि हम अपने कुछ किसान भाइयों को सच्चाई नहीं समझा सके." उन्होंने तब प्रदर्शनकारी किसानों से घर लौटने की अपील भी की थी.
नई दिल्ली/शौर्यपथ/
केंद्र सरकार ने कहा है कि उसके पास किसान आंदोलन (Farmers Protest) के दौरान मरने वाले किसानों और उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामलों की जानकारी नहीं है. ऐसे में किसी को वित्तीय सहायता यानी मुआवजा देने का सवाल ही नहीं उठता है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) में एक सवाल के जवाब में लोकसभा में ये लिखित जवाब दिया है.
संसद में सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार के पास आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का कोई आंकड़ा है और क्या सरकार उनके परिजनों को वित्तीय सहायता देने की सोच रही है? इसके जवाब में कृषि मंत्री का ये जवाब आया है. मंत्री ने ये सदन को ये भी बताया कि केंद्र सरकार ने किसान नेताओं के साथ 11 राउंड की बातचीत की थी लेकिन बात नहीं बनी.
उधर, किसान संगठनों का दावा है कि आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई है. बता दें कि 11 दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया था और किसानों से इसके लिए माफी मांगी थी.
19 नवंबर को प्रधानमंत्री ने कहा था, "देश से माफी मांगते हुए मैं सच्चे और शुद्ध मन से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या (समर्पण) में कुछ कमी थी कि हम अपने कुछ किसान भाइयों को सच्चाई नहीं समझा सके." उन्होंने तब प्रदर्शनकारी किसानों से घर लौटने की अपील भी की थी.
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य कुलवंत सिंह ने कहा कि पंजाब के ज्यादातर किसान संगठन चाहते हैं कि दिल्ली की सीमाओं से किसानों को लौटना चाहिए .
नई दिल्ली/शौर्यपथ/
तीनों कृषि कानून ( FARM LAWS) रद्द होने के बाद दिल्ली की सीमाओं से जाने के मामले पर किसान संगठनों में दो अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं. ज्यादातर किसान संगठन चाहते हैं कि दिल्ली की सीमाओं से किसानों को लौट जाना चाहिए. MSP की गारंटी को लेकर अपने राज्यों में जाकर आंदोलन करना चाहिए. इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि कानून रद्द कर दिए हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि आंदोलन का स्वरूप बदला जाए. ज्यादातर पंजाब के किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं से जाना चाहते हैं. हम सब लोगों को एकमत में लाने की कोशिश कर रहे हैं. हम 4 तारीख की बैठक में दिल्ली की सीमाओं से जाने के लिए एकमत फैसला लाने की कोशिश करेंगे. कुलवंत सिंह ने कहा कि हम जब भी उठेंगे, साथ में ही उठेंगे. उन्होंने कहा कि अब कुछ ही किसान संगठन हैं, जो रूकना चाहते हैं.
बता दें कि कुलवंत सिंह संधू का बयान तब आया है, जब किसान नेता राकेश टिकैत अभी भी आंदोलन पर अड़े हुए हैं. राकेश टिकैत ने हाल ही में कहा था कि उनके पास और भी कई मुद्दे हैं. इसके आगे MSP का मुद्दा है, फसलों के वाजिब दाम का मुद्दा है. 10 साल पुराने ट्रैक्टर का मुद्दा है और सीड बिल का मुद्दा है. राकेश टिकैत ने कहा था कि हमें वो सरकार मिल नहीं रही है, जिससे बैठकर बात की जाए. सरकार ने हमको बातचीत के लिए एप्रोच नहीं किया है.
राकेश टिकैत ने कहा था कि अभी फिलहाल मामला नहीं सुलझा है. सरकार मीडिया वालों से बात कर रही है. तो फिर मीडिया वाले ही आंदोलन वापस ले लें. हमे सरकार ने कुछ नहीं कहा है. सरकार हमसे बात करे.आंदोलन के दौरान जो मुकदमे हुए उनको वापस लेने के बारे में कौन बात करेगा? राकेश टिकैत ने सरकार पर मामलों को उलझाने का आरोप भी लगाया था.
LPG Cylinder Price Hike : LPG यानी Liquefied petroleum gas सिलिंडर की कीमतें बढ़ा दी गई हैं. शुक्र की बात बस इतनी है कि इस बार घरेलू गैस सिलिंडर के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं. मार पड़ी है कॉमर्शियल गैस सिलिंडर इस्तेमाल करने वालों पर.
नई दिल्ली/शौर्यपथ/
LPG Cylinder Price : देश में पेट्रोलियम उत्पादों के दामों पर कोई लगाम नहीं है. LPG यानी Liquefied petroleum gas सिलिंडर की कीमतें बढ़ा दी गई हैं. शुक्र की बात बस इतनी है कि इस बार घरेलू गैस सिलिंडर के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं. मार पड़ी है कॉमर्शियल गैस सिलिंडर इस्तेमाल करने वालों पर. 1 दिसंबर से कॉमर्शियल गैस सिलिंडरों की कीमतों में 100.50 रुपये प्रति सिलिंडर की वृद्धि हो गई है. इसके बाद अब राजधानी दिल्ली में 19 किलोग्राम का एक LPG गैस सिलिंडर 2,101 रुपये में मिलेगा. अब तक एक गैस सिलिंडर की कीमत 2,000.50 रुपये चल रही थी. इसके पहले 1 नवंबर को कीमतों में 266.50 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी.
मुंबई में 19 किलो का कॉमर्शियल गैस सिलिंडर अब 1,950 रुपये से महंगा होकर 2,051 रुपये में मिलेगा. कोलकाता में कॉमर्शियल एलपीजी सिलिंडर का रेट 2,177 रुपये में हो गया है. वहीं, चेन्नई में एक कॉमर्शियल सिलिंडर 2,234.50 रुपये का हो गया है.
देश में कुकिंग गैस सिलिंडर के दाम स्थिर रखे गए हैं. इसके पहले सब्सिडी वाले गैस सहित सभी कैटेगरी वाले गैस सिलिंडरों की कीमत में 6 अक्टूबर, 2021 को 15-15 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी. उसके पहले 1 अक्टूबर को ही सब्सिडी और नॉन-सब्सिडी वाले गैस सिलिंडरों की कीमत 25 रुपये तक बढ़ाई गई थी.
अगर घरेलू गैस सिलिंडर के दामों की बात करें तो गैर-सब्सिडाइज़्ड 14.2 किलोग्राम के एक सिलिंडर की कीमत दिल्ली मे ं899.50 रुपये प्रति सिलिंडर चल रही है.
बता दें कि सरकार देश में हर घर को एक साल में सब्सिडी के तहत 14.2 किलोग्राम क 12 एलपीजी सिलिंडर देती है. इन 12 रीफिलंग पर सब्सिडी का अमाउंट हर महीने अलग-अलग हो सकता है. हर महीने एलपीजी के दामों में संशोधन किया जाता है.
अखिलेश ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘हम सब परिवार वाले लोग हैं, इसलिए जानते हैं कि अगर किसी मजदूर या किसान की जान चली गई तो उसके परिवार का क्या हाल होगा? '
बांदा (उत्तर प्रदेश)/शौर्यपथ/
UP Assembly polls 2022: परिवारवाद के आरोप को लेकर अक्सर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के निशाने पर रहने वाले समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बुधवार को पलटवार करते हुए कहा कि जिनके पास परिवार नहीं है, वे जनता का दर्द नहीं समझ सकते.अखिलेश ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बांदा में एक जनसभा में किसानों की आत्महत्या की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन किसानों के परिवार की सिर्फ सपा ने ही मदद की है.उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘हम सब परिवार वाले लोग हैं, इसलिए जानते हैं कि अगर किसी मजदूर या किसान की जान चली गई तो उसके परिवार का क्या हाल होगा? अगर किसी परिवार के सामने संकट आया, तो हम खड़े हुए. परिवार वाले ही परिवार वालों का दुख दर्द समझ सकते हैं. जिनके पास परिवार नहीं है, वे आपकी परवाह नहीं करेंगे.''उन्होंने आरोप लगाया कि बांदा में शराब के नशे में एक गरीब को मार दिया गया, लेकिन राज्य सरकार ने पीड़ित के परिवार की कोई मदद नहीं की. सिर्फ समाजवादी पार्टी के लोगों ने ही उनकी सहायता की.
अखिलेश ने राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि दमदार सरकार चलाने का दावा करने वाले लोग झूठ बहुत ‘दमदार' बोलते हैं. बीजेपी ने शिक्षामित्रों से नौकरी का वादा किया था, लेकिन अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में इस पार्टी ने नौजवानों के नौकरी के सपने को ही खत्म कर दिया.उन्होंने कहा, ‘‘अब सुनने में आया है कि मुख्यमंत्री नौजवानों को स्मार्टफोन और टैबलेट देंगे. जो लैपटॉप नहीं चला सकता, वह आपको लैपटॉप नहीं दे सकता. क्या मुख्यमंत्री योगी लैपटॉप चला सकते हैं? अब तो सुनने में आया है कि वह स्मार्ट फोन भी नहीं चला सकते. अगर चला सकते होते तो हमारे नौजवानों के हाथ में अब तक राज्य सरकार ने स्मार्ट फोन दे दिया होता.आपको योगी सरकार चाहिए, या योग्य सरकार चाहिए?''
हाल में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का पर्चा लीक होने की घटना का जिक्र करते हुए सपा अध्यक्ष ने राज्य सरकार पर जानबूझकर पर्चा लीक कराने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘यह सरकार जानबूझकर पेपर लीक कराती है. वह ऐसा इसलिए करती है क्योंकि वह हमारे नौजवानों को रोजगार नहीं देना चाहती. बीटीसी और बीएड पास नौजवान रोजगार के लिए भटक रहे हैं. हम आपको भरोसा दिला रहे हैं कि समाजवादी पार्टी की सरकार लाइए और नौकरी तथा रोजगार पाइए.''अखिलेश ने कहा कि बुंदेलखंड के लोगों ने पिछले कई चुनावों में भाजपा को पूरा समर्थन दिया, लेकिन बुंदेलखंड को कुछ नहीं मिला. इस डबल इंजन की सरकार का इंजन बुंदेलखंड आते-आते फेल हो गया है. सरकार यहां के विकास का कोई इंतजाम नहीं कर पाई, आखिर यह किस बात की डबल इंजन की सरकार है.सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने महामारी के समय जनता को अनाथ छोड़ दिया. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रदेश को पीछे कर दिया. राज्य सरकार का विकास तो सिर्फ तस्वीरों में दिख रहा है और इस ‘विकास' की कलई तस्वीरों और विज्ञापनों ने ही खोल दी. भाजपा के लोग विज्ञापन में भी झूठ दिखाते हैं.नीति आयोग के मुताबिक बुंदेलखंड में 32 लाख से ज्यादा लोगों के गरीबी रेखा के नीचे होने का जिक्र करते हुए अखिलेश ने वादा किया कि विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर सरकारी बजट से इन गरीबों की मदद की जाएगी, समाजवादी पेंशन योजना से भी अच्छी योजना चलाई जाएगी और महिलाओं तथा परिवारों को पहले से दी जाने वाली 500 रुपए प्रतिमाह की धनराशि में तीन गुना इजाफा किया जाएगा.
ममता ने बीजेपी को क्रूर और अलोकतांत्रिक पार्टी करार दिया. उन्होंने एकता की जरूरत बताते हुए मामले में आगे की 'जंग' के लिए सलाह और मार्गदर्शन भी मांगा.
मुंबई /शौर्यपथ/
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बुधवार को मुंबई में राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, हाईकोर्ट्स के पूर्व जजों और सेलिब्रिटीज की मौजूदगी के बीच कहा कि बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान को टारगेट किया जा रहा है. ममता ने बीजेपी को क्रूर और अलोकतांत्रिक पार्टी करार दिया. उन्होंने एकता की जरूरत बताते हुए मामले में आगे की 'जंग' के लिए सलाह और मार्गदर्शन भी मांगा. राज्य के दो दिन के दौरे पर आईं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता ने कहा, 'भारत मैनपावर से प्यार करता है न कि मसल पावर से. हम बीजेपी के रूप में एक क्रूर और अलोकतांत्रिक पाटर्ह का सामना कर रहे हैं. यदि हम एकजुट हुए जो हम जीतेंगे. '
पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा, 'महेश जी (फिल्म निर्देशक महेश भट्ट ) आप टारगेट किया जा चुका, शाहरुख खान को भी निशाना बनाया गया. यदि हमें जीतना है तो लड़ना होगा और आवाज उठानी होगी. राजनीतिक पार्टी के तौर पर हमारा, आप मागदर्शन कीजिए और सलाह दीजिए. 'गौरतलब है पश्चिम बंगाल में इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ ममता बनर्जी की बड़ी जीत ने उन्हें राष्ट्रीय परिदृश्य में लाकर खड़ा कर दिया है. इस धमाकेदार जीत के बाद कई पार्टियों के नेताओं ने हाल के समय में ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को ज्वॉइन किया है, इसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता शामिल हैं. ममता इस समय बीजेपी के खिलाफ इस समय राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने के अभियान मे लगी हुई हैं. उनकी योजना विपक्ष को एकजुट करके वर्ष 2024 के आम चुनाव में बीजेपी के समक्ष चुनौती पेश करने की है.
ममता के आज के इस कार्यक्रम में हाईकोर्ट के पूर्व जज शफी परकार और अभय ठिप्से के अलावा तुषार गांधी, एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़, मेधा पज्ञटकर, पूर्व कांग्रेस नेता संजय झा, सुधींद्र कुलकर्णी, शत्रुध्न सिन्हा, शोभा डे, स्वरा भास्कर, राहुल बोसऔर कोंकणा सेन शर्मा ने शिरकत की.