August 04, 2025
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रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बघेरा में उद्यमिता के खुले नये आयाम

रीपा : राजनंदगांव रीपा : राजनंदगांव
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- रेशम से संवर रही जिंदगी
- नारी शक्ति टशर सिल्क मटका स्पिनर समूह केंद्र द्वारा रेशम धागा निर्माण से 1 लाख 40 हजार रूपए का हुआ लाभ
- रेशम कीट पालन कर उद्योग किया स्थापित
- एप्रॉन सिलाई से साक्षी स्वसहायता समूह को हुआ 75 हजार रूपए का फायदा


राजनांदगांव / शौर्यपथ /  शासन के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और उद्यमिता के केन्द्र बन रहे हैं। शासन की रीपा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देने की सोच साकार हुई है। ग्राम बघेरा के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में उद्यमिता के नये आयाम खुले हैं और वहां विभिन्न गतिविधियों के लिए अधोसंरचना विकसित की गई है। बघेरा रीपा गौठान में रेशम धागाकरण, सिलाई यूनिट, बोरा निर्माण उद्योग संचालित है। वहीं नोट बुक ए4 पेपर, बाइडिंग सामग्री, कारपेंटर यूनिट, सीएससी सेंटर फेब्रिकेशन यूनिट, सिलाई यूनिट, मोजा यूनिट गतिविधियां संचालित होने की ओर अग्रसर है। कलेक्टर श्री डोमन सिंह के मार्गदर्शन एवं जिला पंचायत सीईओ श्री अमित कुमार के निर्देशन में रीपा के लिए विशेष कार्य किया जा रहा है। शासन की जनकल्याणकारी योजना रीपा ग्रामीण औद्योगिक पार्क अंतर्गत राजनांदगांव जिले के ग्राम बघेरा की 15 महिलाएं जो खेती किसानी, मजदूरी एवं घर का कार्य करती थी। शासन की योजनाओं से उनमें जागृति आयी है। बिहान योजना अंतर्गत महिलाओं ने एक आशावादी सोच के साथ अपने समूह को मजबूत किया। जिसके लिए ये महिलाएं रेशम धागाकरण के लिए रेशम एवं हाथकरघा विभाग से संपर्क कर प्रशिक्षण प्राप्त कर नारी शक्ति टशर सिल्क मटका स्पिनर समूह केंद्र स्थापित किया। रीपा में नारी शक्ति टशर सिल्क मटका स्पिनर समूह का गठन कर रेशम धागा निर्माण उद्योग स्थापित कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
राजनांदगांव के बघेरा में अन्य गतिविधियों के अलावा रेशम धागाकरण में 15 महिलाएं काम कर रही हैं।  जिससे 4 लाख 50 हजार रूपए प्रोडक्शन, 3 लाख 40 हजार रूपए बिक्री एवं 1 लाख 40 हजार रूपए का लाभ हुआ है। आने वाले समय में और भी महिलाएं इस योजना से जुड़कर कार्य करेंगी। इस योजना ने ग्रामीण महिलाओं को सीधे तौर पर रोजगार उपलब्ध कराया गया है। साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त होकर आत्मनिर्भर बनने की राह में कदम बढ़ाए हंै। जो प्रदेश के समेकित विकास को दर्शाता है। इन महिलाओं ने रेशम धागा उत्पाद केंद्र के अतिरिक्त गौठान की भूमि पर 10 एकड़ जमीन में शहतूत की खेती के लिए वृक्षारोपण किया है। जिसमे से शहतूत उत्पादन के साथ पेड़ की पत्तियों में रेशम कीट का पालन कर रही हैं और उद्योग स्थापित करने की पहल की है। ये महिलाएं सफल उद्यमी के रूप में अपनी एक पहचान बना ली है।


साक्षी स्वसहायता समूह का कुशल उद्यमी बनने का सफर
बिहान योजना के तहत साक्षी स्वसहायता समूह से जुड़कर 30 महिलाओं ने सिलाई-कढ़ाई कर आय के साधन में वृद्धि की है। महिलाओं ने देखा कि एप्रॉन की बहुत अधिक मांग है। जिसके निर्माण के लिए ट्रेनिंग लेकर मशीन क्रय की, आज ये महिलाए स्वयं का केंद्र स्थापित कर एप्रॉन का निर्माण कर राजनांदगांव के अतिरिक्त दुर्ग, रायपुर में सप्लाई कर रही हैं। साथ ही दुर्ग से कपड़ा लेकर भी सिलाई की जा रही है। जिससे 75 हजार रूपए का फायदा हो रहा है। रेडिमेड कपड़ा निर्माण उद्योग स्थापित कर अपनी एक अलग पहचान बना रही हंै। आने वाले समय में और भी महिलाएं इस योजना से जुड़ेंगी।


जय माता रानी स्वसहायता समूह ने बोरी निर्माण उद्योग से बदली जिंदगी-
बिहान योजना के तहत 10 महिलाएं स्वसहायता समूह से जुड़कर गोबर खाद से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर अपनी आमदनी में वृद्धि की है। महिलाओं ने वर्मी कम्पोस्ट की पैकिंग के लिए बोरी की आवश्यकता को देखते हुए बोरी निर्माण का निर्णय लिया। जय माता रानी स्वसहायता समूह की महिलाओं ने स्वयं के बोरी निर्माण केंद्र का निर्णय लिया और ट्रेनिंग लेकर मशीन क्रय किया। आज ये महिलाएं स्वयं के गौठान के अतिरिक्त आसपास के 112 गौठानों में भी बोरी सप्लाई कर रही है। प्रति गौठान लगभग 200 बोरी एक माह में उपयोग होती है। इस प्रकार लगभग 24 हजार बोरी प्रतिमाह खपत है। महिलाओं ने बताया कि अभी उनके पास 20 हजार बोरी का आर्डर प्राप्त हुआ है। आने वाले समय में और भी महिलाएं इस योजना से जुड़कर कार्य करेंगी।

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