September 21, 2024
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छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के कार्यदक्षता के कारण राज्य का विकास हुआ : फेडरेशन

राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी, प्रांतीय प्रमुख महामंत्री सतीश ब्यौहरे, जिला संरक्षक मुकुल साव, जिला महामंत्री पीआर झाड़े, पीएल साहू, जितेंद्र बघेल, बृजभान सिन्हा, सीएल चंद्रवंशी, वीरेंद्र रंगारी, रंजीत कुंजाम, देवचंद बंजारे, शिवप्रसाद जोशी, खोम लाल वर्मा, राजेन्द्र देवांगन, जनक तिवारी, हेमंत पांडे, लीलाधर सेन, पुष्पेन्द्र साहू, संजीव मिश्रा, ईश्वर दास मेश्राम, सोहन निषाद, अब्दुल कलीम खान, स्वाति वर्मा, नवीन कुमार पांडे, उत्तम डड़सेना, रानी ऐश्वर्य सिंह, एमबी जलानी, डीएस कंवर एवं केएल जोशी का कहना है कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से ही कर्मचारी-अधिकारी को उनका वास्तविक देय परिलब्धियां और सेवालाभ मिला होता तो हड़ताल का नौबत ही क्यों आता।
राज्य के जनता के खुशहाली के लिए खून-पसीना बहाने वाले कर्मचारियों को आज अपने मौलिक अधिकार के लिए हड़ताल-आंदोलन करने बाध्य होना पड़ रहा है, क्या यही लोकतंत्र है? एक समय कर्मचारियों को बेहतर सेवालाभ के लिए हड़ताल-आंदोलन करना पड़ता था, लेकिन अब सेवा शर्तों के अंतर्गत बुनियादी परिलब्धियों के लिए हड़ताल-आंदोलन करना पड़ रहा है, दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य स्थापना से कर्मचारी-अधिकारी, राज्य को उत्कृष्ट बनाने की दिशा में विकास कार्यों से लेकर आपदा प्रबंधन तक अपना खून-पसीना बहा रहे हैं, लेकिन उनको न्याय नहीं मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि शिक्षक संवर्ग का वेतन विसंगति है। केंद्रीय वेतन आयोग के सिफारिशों के अनुसार राज्य शासन के पुनरीक्षित वेतनमानों में शासकीय सेवक संवर्गों को केंद्र के समान वेतनमान मिला है, लेकिन शिक्षक संवर्ग इससे वंचित है। सहायक शिक्षक पद पर भर्ती हुए शिक्षकों को आज पर्यन्त त्रि-स्तरीय समयमान स्वीकृत नहीं हुआ है? उनका कहना है कि राज्य के शासकीय सेवकों में से सर्वाधिक संख्या शिक्षकों की है, लेकिन अलग.अलग संगठनों में बटे होने के कारण संख्या बल का प्रभाव कम हो गया है। उनका कहना है कि शिक्षकों के संख्या बल पर दूसरे राज कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 1 जनवरी 2016 से सातवे वेतनमान पर देय गृहभाड़ा भत्ता आज पर्यन्त कर्मचारियों को स्वीकृत नहीं हुआ। केंद्रीय कर्मचारियों को आज सातवे वेतन का 18 प्रतिशत  एवं 9 प्रतिशत गृहभाड़ा भत्ता मिल रहा है, लेकिन राज्य के कर्मचारियों को छटवे वेतन पर 10 प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत गृहभाड़ा भत्ता मिल रहा है। जिसके कारण कर्मचारियों के वास्तविक वार्षिक परिलब्धियों में भारी आर्थिक क्षति हुआ है। कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से 30 अप्रैल 2023 तक कुल 88 माह में लाखों में आर्थिक क्षति हुआ है। राज्य के कर्मचारियों को केन्द्र के समान गृहभाड़ा भत्ता मुद्दे पर राज्य शासन द्वारा निर्णय नहीं लिया जाना, हड़ताल-आंदोलन का एक कारण है।
उन्होंने आगे बताया कि महँगाई भत्ता स्वीकृति के मामले में भी 2019 से राज्य सरकार का रुख कर्मचारियों के हित में नहीं रहा है। आज तक के सभी केंद्रीय सरकारों ने क्रमशः 1 जनवरी एवं 1 जुलाई के स्थिति में आल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स नंबर के आधार महँगाई भत्ता में वृद्धि किया है, लेकिन राज्य ने 1 जुलाई 19 से 30 जून 21 तक 12 प्रतिशत के दर पर गृहभाड़ा भत्ता का भुगतान किया था? जबकि केन्द्र में 17 प्रतिशत था। जिसके कारण कर्मचारियों को प्रतिमाह वेतन का 5 प्रतिशत नुकसान 24 माह तक हुआ है। केन्द्र ने 1 जुलाई 21 से महंगाई भत्ता (डीए) दर को 28 प्रतिशत  किया था, जबकि राज्य में 17 प्रतिशत 1 जुलाई 21 से स्वीकृत हुआ था। राज्य ने 1 जुलाई 21 से 30 अप्रैल 22 तक कुल 10 माह में अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता 11 प्रतिशत कम दिया था। इस अवधि में कर्मचारियों को परिलब्धियों में जबरदस्त आर्थिक हानि हुआ था। केंद्र ने 1 जनवरी 22 से डीए 34 प्रतिशत किया था, लेकिन राज्य ने 1 मई 22 से 22 प्रतिशत डीए स्वीकृत किया था। केंद्र ने 1 जुलाई 22 से 38 प्रतिशत तथा 1 जनवरी 23 से 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता स्वीकृत किया है, जो कि 1 जुलाई 23 के स्थिति में आल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स नंबर के आधार पर 3 प्रतिशत से 4 प्रतिशत वृद्धि के साथ 45 प्रतिशत अथवा 46 प्रतिशत होने की संभावना है, लेकिन राज्य में 1 अगस्त 22 से 28 प्रतिशत एवं 1 अक्टूबर 22 से 33 प्रतिशत महंगाई भत्ता स्वीकृत किया है।
उन्होंने बताया कि 1 मई 22 से 31 जुलाई 22 तक अर्थात 3 माह कर्मचारियों को प्राप्त परिलब्धियों में 12 प्रतिशत हानि हुआ है। वहीं 1 अगस्त 22 से 30 सितंबर 22 तक 2 माह में 10 प्रतिशत का नुकसान तथा 1 अक्टूबर 22 से 31 दिसंबर 22 तक 3 माह में 5 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। इसी क्रम में 1 जनवरी 23 से 30 अप्रैल 23 तक 4 माह में 9 प्रतिशत के दर पर नुकसान मासिक वेतन में प्राप्त होने वाले परिलब्धियों में हुआ है, जो कि 1 मई 23 से आगे जारी है।
उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के हड़ताल-आंदोलन के कारण ही राज्य सरकार ने डीए में 1 मई 22 को 5 प्रतिशत,  1 अगस्त 22 को 6 प्रतिशत एवं 1 अक्टूबर को 5 प्रतिशत कुल 16 प्रतिशत का वृद्धि 6 माह में किया है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा 1 जुलाई 19 से 30 अप्रैल 23 तक एवं आगे कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ता की वास्तविक राशि का भुगतान करने में निर्णय नहीं लिया जाना हड़ताल-आंदोलन का एक और बड़ा कारण है।
उन्होंने बताया कि मई महीने में फिलहाल सभी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जा रहा है, लेकिन कर्मचारियों एवं उसके परिवार के हित निर्णय नहीं लिए जाने की स्थिति में जून 2023 में एकीकृत हड़ताल हो सकता।

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