CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से पलकों पर बढ़ता है प्रतिवर्ष बोझ
राजनांदगांव / शौर्यपथ / भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष परवेज अहमद पप्पू ने कहा कि कोरोना कॉल के दौरान बंद रही निजी स्कूलों ने अब छूट मिलने के बाद दो महीने में हुए नुकसान की भरपाई करने का नया तरीका निकाला है। निजी स्कूलों के संचालकों ने बुक डिपो संचालक के साथ मिलकर किताबों के दाम बढ़ा दिए हैं।
प्राइवेट स्कूलों में पुस्तक कॉपी को लेकर भारी गहमागहमी का माहौल प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की पुस्तकें बहुत ही महंगी लॉक डाऊन की स्थिति में महंगी पुस्तकें और कॉपी से पालक हो रहे परेशान इस दौरान अभी पूरे भारत सहित छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन के चलते छत्तीसगढ़ राज्य में सभी स्कूल व कॉलेज बंद है, राज्य सरकार के द्वारा शिक्षा विभाग के माध्यम से आदेश जारी करते हुए सभी स्कूलों मैं ऑनलाइन पढ़ाई करने का आदेश जारी किया गया है, लेकिन इसी बीच पुस्तकें व कॉपी महंगी होने से पालकगण बहुत ही परेशान है, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन का दंश लोग झेल रहे हैं। वहीं नर्सरी की किताबें 1400 रुपये की आ रही है, एक तरफ अभिभावक जीवन जीने संगर्ष कर रहा है। दूसरी ओर महंगी शिक्षा का बोझ, सरकार को गंभीरता से इस ओर ध्यान देना चाहिए और पालकों को मुनाफाखोर शिक्षा ववस्था से को विषम परिस्थितियों में बचाने की आवश्कता हैं।
अहमद ने आगे बताया कि प्रतिवर्ष पुस्तकों में 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि कंपनी के द्वारा किया जाता है, जिसका बोझ पलकों पर पड़ता है। राजनांदगांव शहर की एक बुक डिपो से बात करने पर पता चला कि हर वर्ष पुस्तकों में वृद्धि पब्लिशर्स पुस्तक कंपनी की सांठगांठ से प्राइवेट स्कूलों को प्रति पुस्तक 25 प्रतिशत व बुक डिपो है। 10 से 15 प्रतिशत प्राइवेट स्कूलों को जाता है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 400 की पुस्तक से प्राइवेट स्कूल को कमीशन के रूप में 160 मिलता है, जबकि उस पुस्तक की कास्ट लिया जाए तो उक्त पुस्तक की कीमत सिर्फ 200 रुपये होगा, लेकिन कमीशन की खेल बाजी में उक्त पुस्तक की कीमत बुक डिपो तक पहुंचते ही 400 रुपए का आंकड़ा पार कर जाता है। परवेज अहमद पप्पू ने इस विषय पर चिंता करते हुए शिक्षा विभाग ऐसे स्कूलों, बुक डिपो और पुस्तक कंपनी पर अंकुश लगाते हुए उचित कानूनी कार्यवाही की मांग की है।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.