November 22, 2024
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प्रतिबंधित दवाईयां लिख डॉक्‍टरी कर रहे झोलाझाप, भरदाखुर्द में फिर खुला क्लिनिक, रिपोर्ट के बहाने कार्रवाई से पीछे हट रहा स्‍वास्‍थ्‍य अमला

शौर्यपथ । मृणेन्द्र चौबे /राजनांदगांव। पूरे क्षेत्र में एच1 शेड्यूल और अन्य प्रतिबंधित दवाइयों का बेख़ौफ़ उपयोग कर लाखों रुपए का अवैध कारोबार कर लोगों के जान जोखिम में डाल रहे झोलाछाप चिकित्सकों पर स्वास्थ्य विभाग और औषधि प्रशासन पूरी तरह मेहरबान दिख रहा है। झोलाछाप डॉक्टरों की इन्ही करतूतों के चलते खैरागढ़ में एक होनहार युवक की मौत हो चुकी है। मामले में गैर इरादतन हत्या के तहत भादवि की धारा 304 (ए) का मामला कायम किया गया है। इस मामले में तमाम प्रतिबंधित दवाइयों के उपयोग की पुष्टि के बाद भी ड्रग विभाग अब तक कार्यवाही में पीछे है। घुमका क्षेत्र के प्रत्येक गाँवों में झोलाछाप डॉक्टर बेख़ौफ़ प्रतिबंधित दवाइयों का उपयोग कर रहें हैं। खैरागढ़ की घटना के बाद भी अब तक घुमका क्षेत्र में किसी भी अवैध क्लीनिक में स्वास्थ्य और ड्रग कंट्रोल दोनों विभागों की कार्यवाही नहीं हो पायी है। इसके उलट घुमका से लगे हुए भरदाखुर्द में आयुर्वेदिक दवाइयों के आड़ में वात-लकवा जैसी गम्भीर बीमारियों के इलाज के नाम पर अवैध क्लीनिक संचालित कर रहे झोलाछाप चिकित्सक के यहां लगभग चार महीने पहले भरदाखुर्द में चिकित्सा एवं ड्रग विभाग की संयुक्त टीम की ने छापेमारी की थी। इसके बाद मिले साक्ष्यों व तथ्यों के आधार पर कथित फ़र्ज़ी डॉक्टर परस राम वर्मा के बिना योग्यता इलाज के कबूलनामे के बाद क्लीनिक बन्द करने की सख्त चेतावनी के बाद भी अब तक अवैध क्लिनिक बन्द कराने में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन नाकाम रहा है। उक्त झोलाछाप चिकित्सक का कारोबार अब भी खुलेआम चलने की शिकायत मिल रही है। जांच में बिना पंजीयन और डिग्री के क्लीनिक संचालन की पुष्टि के बाद कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन तैयार खण्ड चिकित्सा अधिकारी के द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी को तीन महीने पहले ही भेजा जा चुका है। बावजूद आज तक कार्यवाही तो दूर उल्टे अवैध क्लीनिक के बेधड़क संचालन की दुबारा शिकायत पर पुनः बीएमओ डॉ विजय खोब्रागडे और आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ अमरनाथ शुक्ला की टीम ने दबिश दी थी। यहां मौके से कई प्रतिबंधित दवाइयों को छापे से पहले ही हटा लिया गया था। अधिकारियों ने फ़र्ज़ी डॉक्टर को कड़े अंदाज़ में चेतावनी देते हुए अवैध क्लीनिक बन्द करने कहा है। विश्वस्त खबरों के अनुसार उक्त झोलाछाप डॉक्टर सहायक ड्रग कंट्रोलर संजय झाड़ेकर के कथित आश्वासन के हवाले से पुनः इलाज करना स्वीकार करते हुए अधिकारियों के समक्ष तर्क भी प्रस्तुत किया कि जल्द उक्त ड्रग अधिकारी के द्वारा मेडिकल स्टोर लाइसेंस जारी करने का आश्वासन मिला है। समझा जा रहा है कि ड्रग लाइसेंस की आड़ में क्लीनिक का संचालन किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार छापेमारी के बाद महीनों चल रही जांच और बयान के बाद कार्यवाही के लिये बमुश्किल तैयार हुए जांच प्रतिवेदन मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी को प्रेषित किये लगभग तीन महीने बीत जाने के बाद भी सीएमएचओ कार्यालय की ओर से मामले में किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं होने को लेकर तरह तरह की चर्चाएं चल रही है। चूंकि पूरे क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों के अवैध क्लीनिक के बेरोकटोक संचालन के अलावा इन अवैध दवाखानों में कई तरह के प्रतिबंधित दवाइयो के भारी स्टॉक जैसे मामलों में विभाग की भूमिका को लेकर हमेशा सवाल को घेरे में रहे स्वास्थ्य और ड्रग विभाग का इन अवैध क्लिनिक के कारोबार का खुला छूट समझा जा रहा है। घुमका से लगे भरदाखुर्द में लकवा, वात जोड़ों के बीमारियों को ठीक करने का दावा कर  आयुर्वेदिक दवाओं के बहाने प्रतिबंधित एच-1एवं अन्य घातक ड्रग के बेधड़क कारोबारी परस राम वर्मा के क्लिनिक में बीते सितंबर महीने में स्वास्थ्य विभाग, ड्रग कंट्रोल और घुमका पुलिस की संयुक्त टीम ने छापा मारकर भारी मात्रा में सुगन्धित पावडर और कई संदिग्ध साक्ष्यों के साथ क्लिनिक में लगे सीसीटीवी कैमरे के हार्ड डिस्क को जप्ती किया। कार्यवाही की पूर्व से ही भनक लगते ही फ़र्ज़ी डॉक्टर फरार हो गया। क्लिनिक में जांच के दौरान कई मरीज़ो की आमद रही और अधिकारियों के पूछने पर इंजेक्शन और ऐलोपैथिक दवाइयां डॉक्टर के द्वारा दिये जाने की पुष्टि हुई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और सहायक ड्रग कंट्रोलर संजय झाड़ेकर ने उक्त मरीज़ों से कथन लेना जरूरी नहीं समझा। इस मामले को लेकर कयास लगाया जा रहा है कि सम्बन्धित जिम्मेदार विभाग के शह पर हाई स्कूल शिक्षित उक्त फ़र्ज़ी डॉक्टर का कारोबार चल रहा है। चूंकि कथित तौर पर छापे के पूर्व फरार डॉक्टर कई बुलावे के बाद भी बीएमओ के समक्ष बयान देने के बजाय किराये के फार्मासिस्ट के साथ ड्रग लाइसेंस (मेडिकल स्टोर) के लिये सहायक ड्रग कंट्रोलर के कार्यालय में लगातार उपस्थित रहा। छापे की कार्यवाही में शामिल सहायक ड्रग कंट्रोलर संजय झाड़ेकर ने उक्त फ़र्ज़ी डॉक्टर के खिलाफ कार्यवाही के बजाय ड्रग लाइसेंस की प्रक्रिया समझाने में लगे रहे। अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि घुमका क्षेत्र समेत जिले भर में प्रतिबंधित दवाओँ का अवैध कारोबार किस कदर अधिकारियों के पनाह में फल फूल रहा है। वहीं आशंका के अनुसार ड्रग कंट्रोलर द्वारा उक्त फ़र्ज़ी डॉक्टर को मोटे लेनदेन के बदले क्लीन चिट प्रतिवेदन और किराये के फार्मासिस्ट के बदौलत ड्रग लाइसेंस जारी करने की तैयारियां और पूर्व में भी इसी तरह इलाके के कई झोलाछाप डॉक्टरों को जारी ड्रग लाइसेंस जारी हो जाने के बाद दवाई दुकानों के आड़ में झोलाछाप डॉक्टरी की दुकानों के संचालन को जोड़कर देखा जाए तो पूरे मामले में ड्रग विभाग की बड़ी भूमिका नज़र आती है। भरदाखुर्द के झोलाछाप चिकित्सक के क्लीनिक में जांच के लिये एक ड्रग इंस्पेक्टर को सीएमएचओ सह उप संचालक खाद्य और औषधि प्रशासन के पत्र से निर्देश मिलने के बाद सहायक कंट्रोलर संजय झाड़ेकर भी टीम के साथ पहुंचे। इसके बाद जांच की पूरी दिशा बदल जाने की काफी चर्चा हो रही है। उक्त औषधि निरीक्षक को जांच का जिम्मा दिया गया था परन्तु पूरा जांच सहायक कंट्रोलर तक सिमट गया। आवश्यक सहयोग के नाम पर पूरे मामले की दिशा बदलते हुए झोलाछाप डॉक्टर को ड्रग लाइसेंस जारी करने के सौदे तक का सफर तय कर लिया गया। झोलाछाप चिकित्सक परसराम के आलीशान मकान के सीसीटीवी कैमरे के हार्ड डिस्क को ड्रग कंट्रोल विभाग के अधिकारियों ने जांच से पहले ही कब्जे में भी ले लिया। पूरे मामले में लाखो के लेनदेन की आशंका के अलावा प्रतिबंधित एलोपैथी ड्रग के मामलों के खुलासा होने का डर भी विभाग को सता रहा है। क्योंकि दवाईयों से लेकर मरीज़ो के आमद की पूरी जानकारी का खुलना स्वाभाविक बताया जा रहा है। 0 वर्सन छापामारी में जब्‍त दवाईयों के सैंपल लैब भेजे गए हैं। इनकी रिपोर्ट का इंतजार है। अगर रिपोर्ट में एलोपैथिक दवाईयों के मिलने की पुष्टि होती है तो उक्‍त चिकित्‍सक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डॉ. मिथलेश चौधरी, मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी

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