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- प्रदेश की एकमात्र संस्था, जहां विभिन्न तरह की दिव्यांगता के लिए उपचार एवं पुनर्वास के लिए किया जा रहा कार्य
- समाज को दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशील बनाने की जरूरत : क्षेत्रीय संयोजित केन्द्र (सीआरसी) के निदेशक कुमार राजू
राजनांदगांव / शौर्यपथ / सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के अधीन एनआईईपीआईडी सिकंदराबाद के अंतर्गत संचालित दिव्यांगजन कौशल विकास, पुनर्वास एवं सशक्तिकरण क्षेत्रीय संयोजित केन्द्र (सीआरसी) राजनांदगांव में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण एवं उनके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में निरंतर प्रतिबद्ध कार्य किया जा रहा है। यह संस्था प्रदेश की एकमात्र संस्था है, जहां विभिन्न तरह की दिव्यांगता के लिए उपचार एवं दिव्यांगजनों के पुनर्वास के लिए कार्य किए जा रहे हैं। क्षेत्रीय संयोजित केन्द्र (सीआरसी) के निदेशक श्री कुमार राजू ने कहा कि हमें समाज को दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशील बनाने की जरूरत है। सीआरसी द्वारा दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है, ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। उन्होंने बताया कि यहां सात विभाग कार्य कर रहे हैं।
आकुपेशनल थैरेपी कक्ष में 22 वर्षीय शुभम साहू की स्थिति में निरंतर सुधार आया है। केन्द्र में आने के पहले उसके घुटने और हाथ के पंजे मुड़े हुए थे तथा वह कोई कार्य नहीं कर पाता था। लेकिन अब शुभम स्वयं आत्मनिर्भर बना है और दो वर्षों के ईलाज के बाद अपना व्हीलचेयर स्वयं चला सकता है। वह अपना सामान भी स्वयं लेने की स्थिति में है। भिलाई से ईलाज से आने वाली नन्ही बच्ची आटिज्म से पीडि़त है। लेकिन दो हप्तों के ईलाज के बाद वह अब आसानी से बातों की प्रतिक्रिया देती है। 50 वर्षीय मनीष गुप्ता ने बताया कि उनकी गर्दन में ट्यूमर हुआ था और सर्जरी के बाद शरीर अकड़ गया था। यहां ईलाज के बाद चलने में दिक्कत नहीं हो रही है। 8 वर्षीय बालक आकाश सिंह को आईक्यू डिसएबिलिटी के हल्के लक्षण हैं, जो अब धीरे-धीरे दूर हो रही है। आक्यूपेशनल थैरेपी कक्ष में देव आशीष ने बताया कि लकवाग्रस्त बच्ची का भी यहां ईलाज किया जा रहा है और स्थिति में काफी सुधार है। मैप एक्टीविटी, न्यूरो डेवल्पमेंट थैरेपी, सेंसरी, इंटीग्रेसन थैरेपी, डेली एक्टीविटी लीविंग ट्रेनिंग, एडाप्टीव डिवाईस, स्पिलिंट की सुविधा है। श्रवण एवं वाक् विशेषज्ञ श्री गजेन्द्र कुमार साहू ने बताया कि श्रवणबाधित बच्चों का कॉक्लियर इम्प्लांट करने से इस प्रकार के बच्चे पूर्ण रूप से सामान्य बच्चों की तरह बोल एवं सुन सकते हैं एवं उनकी शिक्षा में भी पूरी तरह से विकास होता हैं । विशेष शिक्षा विभाग में सहायक प्राध्यापक श्री राजेंद्र प्रवीण ने बताया कि सभी प्रकार विशेष बच्चों को किस प्रकार के शिक्षा दिया जाता है तथा इसके साथ ही दृष्टिबाधित बच्चों के लिए ब्रेललिपि के माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था की गई है।
प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम के तहत लघुकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम, जागरूकता अभियान एवं सतत् पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन नियमित रूप से संचालित की जा रही है। इसके द्वारा अभिभावकों, दिव्यांगजनों एवं प्रोफेशनल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कृत्रिम अंग विभाग श्री अभिनंदन नायक ने बताया कि कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण प्रत्यंंग विभाग द्वारा दिव्यांगों का आकलन एवं मूल्यांकन कर तथा उन्हें कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण प्रदान करके सक्षम एवं आत्मनिर्भर की दिशा में कार्य कर रहा है। श्रवण एवं वाक विभाग द्वारा वाक प्रशिक्षण एवं श्रवण क्षमता की जांच की जा रही है। वाक बाधित लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। जैसे श्रवण बाधित, मानसिक मंदता के स्वर एवं भाषा को ठीक करना है एवं श्रवण यंत्र आवश्यकतानुसार दिया जाता है। भौतिक चिकित्सा (फिजियो थैरेपी) विभाग श्री आशीष परासर ने बताया कि बिना दवा के विभिन्न मशीनों तथा व्यायामों द्वारा हर उम्र के लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जा रहा है। यह स्नायु संबंधी बीमारी जोड़ों व हाथ पैरों का दर्द व अकडऩ मांसपेशियों की कमजोरी, जन्मजात विकृतियां, हड्डी टूटने के बाद की अक्षमता, रीढ़ की हड्डी संबंधी चोट, खिलाडिय़ों में किसी प्रकार की अक्षमता का निराकरण तथा चिकित्सा करती है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी विभाग में व्यवसायिक चिकित्सा दिन-प्रतिदिन की क्रिया में स्वयं की देखभाल में खाली समय में खेल में तथा कौशलों के विकास तथा संभावित क्रिया में उपयोग होता है। इसके साथ-साथ कार्यों को वातावरण अनुरूप मरीजों के वर्तमान क्षमता को देखकर अनुकूल बनाया जाता है एवं मरीज को ज्यादा से ज्यादा स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर बनाया जाता है। साथ ही साथ मरीजों के जीवन को अधिक से अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाते हैं। ये सभी उम्र व्यवसाय एवं दैनिक क्रियाकलापों में आत्मनिर्भर बनाने में उपयोगी साबित होता है। विशेष शिक्षा विभाग में विशेष शिक्षा में आवश्यकता वाले बच्चों को शैक्षणिक आकलन करके तथा उनकी पहचान करके व्यक्तिगत शैक्षणिक कार्यक्रम बनाया जाता है। संबंधित समस्या भाषायी अधिगम समस्या का निवारण होता है। दृष्टिबाधितों के लिए ब्रेल प्रशिक्षण, दृष्टिबाधितों स्वयं छड़ी के द्वारा चलने का प्रशिक्षण, बोलता पुस्तकालय की व्यवस्था, दैनिक क्रियाओं का प्रशिक्षण, व्यक्तित्व विकास हेतु परामर्श व मार्गदर्शन, आवश्यकतानुसार उपकरण प्रदान किया जाता है। श्रीमती श्रीदेवी ने बताया कि अपने नैदानिक मनोविज्ञान विभाग सभी तरह के दिव्यांगों के लिए मनोवैज्ञानिक आकलन होता है। पुनर्वास तथा प्रबंधन योजना, मानसिक मंदता से ग्रसित बच्चों के लिए बौद्धिक जागरण, व्यववहार परिमार्जन, परामर्श एवं मार्गदर्शन दिया जाता है। टीम में प्रशासनिक अधिकारी श्री सूर्यकांत बेहरा, एमएचआरएच (कोर्डिनेटर) श्रीमती श्रीदेवी, एमएचआरएच सदस्य श्री गजेन्द्र कुमार साहू अपनी सेवाएं दे रहे हंै।
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