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महात्मा गांधी नरेगा से खोदी गई निजी डबरी से मिल रहा भरपूर पानी, खेती बाड़ी के साथ कर रही हैं मछलीपालन का कार्य
जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / उम्र के जिस पड़ाव में बसंती बाई हैं उस पड़ाव पर कई महिलाएं अपने घरों में आराम से रहती है, लेकिन वे उन महिलाओं में से हैं, जो कुछ अलग करने का जज्बा रखती हैं। 68 वर्षीय बसंती बाई को यही जज्बा उन्हें अन्य महिलाओं से अलग करता है। वे जानती हैं कि महिलाएं समाज की आधार होती हैं- हम महिला दिवस के मौके पर उनकी मेहनत, उनकी लगन और उनके आत्मविश्वास को सलाम करते हैं।
हम बात कर रहे हैं पामगढ़ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत हिर्री की रहने वाली श्रीमती बसंती बाई की। वे बताती हैं कि 6 साल पहले उनके पति स्व. श्री नारायण प्रसाद खन्ना की मृत्यु होने पर उनके परिवार का भार उनके ऊपर आ गया था। 3 बेटों की जिम्मेदारी के साथ ही उन्हें अपनी खेती-किसानी भी देखनी थी। उन्होंने हौंसला बनाए रखा और अपने परिवार के साथ आत्मविश्वास के साथ खड़ी रही। यही शक्ति थी कि उन्होंने अपने खेतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से निजी डबरी निर्माण कराने की ठानी। उनके इस आत्मबल का भरपूर साथ दिया मनरेगा ने। निजी डबरी निर्माण में उनके परिवार ने भी कार्य किया। यहीं कार्य को लेकर उनके परिवार की एकता थी कि जल्द ही उनके खेत में निजी डबरी का निर्माण हो गया। जिसके एक ओर उन्हें मनरेगा से मजदूरी प्राप्त हुई तो दूसरी ओर बारिश का पानी संरक्षित करने के लिए निजी डबरी। श्रीमती बसंती बाई कहती हैं कि खेत बिना पानी के ही खाली पड़े रहते थे तो उनके मन में एक अजीब सी ठीस बनी रहती थी, पर कहते है कि जहां चाह होती है वहीं पर राह बन जाती है। उन्होंने भी अपनी राह को बनाया और महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से हितग्राहीमूलक कार्य निजी डबरी को अपने खेत में वर्ष 2018 में पूर्ण कराया। पहली ही बारिश में डबरी में पानी भर गया, जिससे उन्होंने साल भर अपने खेतों में धान की फसल को पानी दिया। इसके साथ ही उन्होंने डबरी के किनारे पर सब्जी-बाड़ी एवं डबरी में मछली पालन का काम शुरू किया। उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा उन्हें आर्थिक मजबूती के रूप से मिला। आज सालाना वे 50 से 60 हजार रूपए की अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं, जिससे उनके परिवार का पालन-पोषण बेहतर हो रहा है।
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