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शौर्यपथ लेख / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल के पास ऐसे कई लोगो के आवेदन आ रहे होंगे जो अन्य प्रदेशो में फसे हुए है और वापसी आना चाहते है . छत्तीसगढ़ में वर्तमान में कोरोना का कहर नहीं है . प्रदेश सर्कार हर कदम फूंक फुक कर रख रही है कि कही से भी कोई गलती ना हो जाए ऐसे में अन्य प्रदेशो में पढाई के लिए गए छात्रों के परिजन चिंतित है कि उनके बच्चे लॉक डाउन में फसे हुए है और कैसे रह रहे होंगे . ऐसे ही मामलो में राजस्थान कोटा में शिक्षा के लिए गए बच्चो की संख्या ज्यादा है जिन्हें वापसी लाने का काफी दबाव था साथ ही कोरोना संक्रमण जो अभी छत्तीसगढ़ में नहीं के बराबर है उसे भी नियंत्रण करना ज़रूरी है .
सभी बातो को ध्यान में रखते हुए एवं प्रदेश को कोरोना संक्रमण से दूर रखने का सफल प्रयास करते हुए प्रदेश सरकार ने राजस्थान से प्रदेश के बच्चो को वापस लाने का फैसला किया एवं साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी सुरक्षा हेतु बच्चो को प्रदेश के अलग अलग शहरो में 14 दिन के लिए क्वारेंटाईन करने का फैसला लिया जो कि स्वस्थ समाज के लिए भी हितकारी है किन्तु जो परिजन अभी तक बघेल सरकार से बच्चो को प्रदेश में लाने के लिए निवेदन कर रहे थे वही परिजन आज जिद पर अड़े है कि कि बच्चो को घर ले जायेंगे . अभी तक जब 30 दिनों से दुरस्त प्रदेश( लगभग 1400 किलोमीटर दूर ) में थे तब मुख्यमंत्री से और प्रशासन से निवेदन कर रहे थे और जब बच्चे प्रदेश में गृह निवास से लगभग 200 किलोमीटर दुर है तो अब घर लाने के लिए प्रशासन के फैसले पर कई परिजन ऊँगली उठा रहे है है इसे ही कहते है नेकी करो और बुराई मोल लो वो भी उस समय जब सिर्फ कोटा में ही नहीं पुरे भारत में प्रदेश के कई हजार बच्चे फसे हुए है क्या परिजनों को मुख्यमंत्री का आभार नहीं मन्ना चाहिए कि कम से कम उनके बच्चे प्रदेश में है और 14 दिनों बाद घर में भी आ जायेंगे .
( शरद पंसारी , संपादक शौर्यपथ दैनिक समाचार )