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रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में मिस यूनिवर्स छत्तीसगढ़ 2025 डॉ. अंजली पवार ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री श्री साय ने डॉ. अंजली पवार को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
भेंट के दौरान मुख्यमंत्री साय ने डॉ. अंजली पवार को छत्तीसगढ़ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विशेष रूप से बस्तर एवं सरगुजा जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण क्षेत्रों सहित प्रदेश के सभी धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों में पर्यटन विकास की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी. दयानंद उपस्थित थे।
रायपुर, 12 जुलाई 2025 / शौर्यपथ संवाददाता
छत्तीसगढ़ के युवा खिलाड़ियों ने एक बार फिर राज्य का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर रोशन किया है। महासमुंद जिले के पिथौरा निवासी श्री प्रेम राजन रौतिया ने नेपाल के पोखरा में आयोजित एसबीकेएफ इंटरनेशनल गेम्स 2024 में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
31 अगस्त से 4 सितंबर 2024 के बीच आयोजित इस प्रतियोगिता में श्री रौतिया ने अंडर-30 कैटेगरी में 735 किलोग्राम भार उठाकर न केवल देश बल्कि छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से स्थापित किया।
इस उपलब्धि के बाद श्री रौतिया ने आज रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री श्री साय ने उन्हें इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई देते हुए कहा,
"प्रेम राजन रौतिया जैसे युवा खिलाड़ियों की मेहनत और संकल्प पूरे प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनकी यह जीत हम सभी के लिए गर्व का क्षण है।"
इस सम्मानजनक अवसर पर छत्तीसगढ़ चर्म शिल्पकार विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री ध्रुव कुमार मिर्धा, श्री खेमराज बाकरे सहित मेहर रविदास समाज के अनेक प्रतिनिधिगण भी उपस्थित थे। सभी ने श्री रौतिया को सम्मानित करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
यह उपलब्धि न केवल राज्य के खेल इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जोड़ती है, बल्कि ग्रामीण अंचल से निकले खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को भी नई उड़ान देती है।
राज्य सरकार ने लिया ऐतिहासिक फैसला, मुकदमेबाजी के 62 हजार मामलों में आएगी कमी, जीएसटी संशोधन विधेयक को मंत्रिपरिषद की बैठक में मिली मंजूरी
रायपुर, 12 जुलाई 2025 | शौर्यपथ न्यूज
छत्तीसगढ़ सरकार ने छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। राज्य में दस साल से अधिक समय से लंबित 25 हजार रुपये तक की वैट देनदारियों को समाप्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक 2025 तथा बकाया कर, ब्याज एवं शास्ति के निपटान संशोधन विधेयक के प्रारूप को अनुमोदन प्रदान किया गया।
इस निर्णय से प्रदेश के 40 हजार से अधिक छोटे व्यापारियों को सीधा लाभ मिलेगा, साथ ही 62 हजार से अधिक मुकदमेबाजी के मामलों में कमी आएगी, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और प्रशासनिक संसाधनों पर भार भी घटेगा।
विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में प्रस्तुत किए जाने वाले इन विधेयकों में व्यापारियों के लिए कई सहूलियतें शामिल हैं:
RCM आईजीएसटी का ब्रांच ऑफिस में वितरण की अनुमति
इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर्स अब रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत लिए गए आईजीएसटी का वितरण अपनी ब्रांच में भी कर सकेंगे।
पेनाल्टी मामलों में पूर्व डिपॉजिट 20% से घटाकर 10%
जिन मामलों में टैक्स की डिमांड नहीं है, वहां अपील करने के लिए डिपॉजिट आधा कर दिया गया है — यह व्यापारियों के लिए राहतकारी कदम है।
वाउचर की कर देयता पर स्पष्टता
‘टाइम ऑफ सप्लाई’ की अनिश्चितता को समाप्त करते हुए इसे हटाया गया है, जिससे व्यापारिक स्पष्टता बढ़ेगी।
डिमेरिट गुड्स पर ट्रेस एंड ट्रैक सिस्टम लागू
खासकर तंबाकू जैसे उत्पादों के लिए उत्पादन से उपभोग तक निगरानी का तंत्र विकसित किया गया है, जो कर चोरी पर लगाम लगाएगा।
SEZ वेयरहाउस में ट्रेड पर राहत
विशेष आर्थिक क्षेत्रों में वस्तुओं के बिना मूवमेंट किए गए व्यापार को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का संशोधन प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि यह निर्णय राज्य के छोटे व्यापारियों को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक सार्थक पहल है। व्यापारिक प्रक्रिया को सरल और विवाद मुक्त बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
? इस खबर को ज़रूर साझा करें — यह छोटे व्यापारियों के लिए नया अवसर और आशा लेकर आई है।
✍️ रिपोर्ट: शौर्यपथ संवाददाता | स्रोत: छत्तीसगढ़ शासन
युवाओं को सशक्त बनाने और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम
?️ नई दिल्ली / शौर्यपथ संवाददाता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देशभर में आयोजित 16वें रोजगार मेले में विभिन्न सरकारी विभागों और संस्थानों में 51,000 से अधिक नवचयनित युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि “रोजगार केवल नौकरी नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में योगदान का माध्यम है।”
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे रोजगार मेला अभियान के माध्यम से अब तक लाखों युवाओं को स्थाई सरकारी रोजगार दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य केवल रोजगार प्रदान करना नहीं है, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें देश के विकास में सक्रिय भागीदार बनाना है।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार का लक्ष्य केवल आर्थिक समृद्धि नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग तक अवसरों की समान पहुंच सुनिश्चित करना है। रोजगार मेलों के माध्यम से युवाओं को सक्षम, प्रशिक्षित और संगठित बनाकर उन्हें ‘विकसित भारत’ के निर्माण में शामिल किया जा रहा है।
सरकार ने इस अभियान को व्यापक रूप देने के लिए केंद्रीय बजट में लगभग ₹1 लाख करोड़ का विशेष प्रावधान किया है। इसके माध्यम से लगभग 3.5 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित किए जाने की संभावना जताई गई है।
16वां राष्ट्रीय रोजगार मेला देशभर में आयोजित
प्रधानमंत्री मोदी ने 51,000 नियुक्ति पत्र सौंपे
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नवचयनितों को संबोधित किया
1 लाख करोड़ की बजट योजना से 3.5 करोड़ रोजगार सृजन का लक्ष्य
युवाओं को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाने की पहल
लखनऊ/शौर्यपथ संवाददाता
लखनऊ के चौक स्थित प्रसिद्ध बड़ी काली जी मंदिर परिसर में एक नए ब्लॉक के उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में महिला सैनिकों और पायलटों की अहम भूमिका की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से भारतीय सेना पाकिस्तान स्थित 9 आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने में सफल रही।
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर महिला शक्ति को राष्ट्र की रक्षा और गौरव का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "आज भारतीय सेना में महिलाएं केवल सहयोगी नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' इसका सजीव उदाहरण है।"
राजनाथ सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि इस वर्ष कारगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ है। उन्होंने कैप्टन मनोज पांडे सहित उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने भारत माता की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
उन्होंने बताया कि कैप्टन मनोज पांडे जिस गोरखा राइफल्स रेजीमेंट से जुड़े थे, उसका नारा है — "जय महाकाली, आयो गोरखाली", जो न केवल एक युद्धघोष है बल्कि वीरता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक भी है।
अपने संबोधन में मंत्री ने यह भी कहा कि देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को भव्य बनाने की दिशा में सरकार लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा:
“काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल कॉरिडोर, सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण और अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर — ये सब उसी मिशन का हिस्सा हैं, जिससे हमारी संस्कृति और आस्था को वैश्विक पहचान मिल रही है।”
राजनाथ सिंह ने इस मौके पर लखनऊ स्थित महाकाली मंदिर को भी और अधिक भव्य और दिव्य रूप देने के लिए सार्वजनिक सहभागिता की अपील की।
? मुख्य बिंदु:
ऑपरेशन सिंदूर में महिला सैनिकों की भूमिका को सराहना
कारगिल युद्ध की 26वीं वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि
गोरखा राइफल्स और कैप्टन मनोज पांडे का उल्लेख
धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की बात
नागपुर में हाल ही में आयोजित एक पुस्तक विमोचन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत का एक संक्षिप्त लेकिन गूढ़ वक्तव्य पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा:
"जब आपको कोई 75 साल का होने पर बधाई देता है, तो इसका मतलब होता है कि अब आपको रुक जाना चाहिए और दूसरों को काम करने देना चाहिए।"
भागवत का यह वक्तव्य प्रथम दृष्टया एक सामान्य सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में दिया गया बयान प्रतीत होता है, लेकिन इसकी राजनीतिक व्याख्या भी तेजी से होने लगी है — खासकर तब जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले वर्ष (2026 में) अपनी 75वीं वर्षगांठ मनाने वाले हैं।
संघ प्रमुख मोहन भागवत नागपुर में संघ विचारक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक “मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिवाइवलिज्म” के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। इसी दौरान उन्होंने यह टिप्पणी की।
भागवत ने मोरोपंत पिंगले के जीवन और दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए कहा कि:
"75 वर्ष की उम्र में उन्होंने सार्वजनिक जिम्मेदारियों से स्वयं को अलग करना एक नैतिक अनुशासन माना था।"
इस संदर्भ में भागवत ने कहा कि यह एक "सीख" है — जिससे नई पीढ़ी को अवसर देने की भावना निहित है।
इस बयान को जैसे ही सार्वजनिक विमर्श में जगह मिली, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा होने लगी कि कहीं यह वक्तव्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित भविष्य को लेकर कोई संकेत तो नहीं है।
RSS लंबे समय से यह संकेत देता आया है कि संस्था में आयुसीमा और उत्तरदायित्व को लेकर अनुशासन की परंपरा है। संघ के भीतर 75 वर्ष की आयु पार करने पर सक्रिय जिम्मेदारियों से स्वयं हटने का नैतिक अनुशासन देखा गया है।
प्रधानमंत्री मोदी स्वयं भी कई मौकों पर "नए नेतृत्व को स्थान देने" की बात करते रहे हैं, हालांकि उन्होंने अपने रिटायरमेंट को लेकर कभी कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की।
यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि मोहन भागवत का बयान सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी के लिए ही था, लेकिन निम्न कारणों से यह चर्चा को जन्म देता है:
प्रधानमंत्री मोदी 2026 में 75 वर्ष के हो जाएंगे।
संघ की आंतरिक परंपरा में 75 वर्ष के बाद जिम्मेदारियों से मुक्त होने का चलन है।
भागवत ने यह बयान ऐसे समय में दिया जब देश में 2029 की तैयारियों पर सोचने का समय आ चुका है।
हालांकि, यह भी उतना ही सत्य है कि भारतीय राजनीति में आयु से अधिक जनाधार और परिणाम को प्राथमिकता दी जाती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पार्टी को मिली लगातार दो बड़ी चुनावी जीतें इस यथार्थ का प्रमाण हैं।
एक ओर मोहन भागवत का बयान अनुभव और सेवा के सम्मान के साथ प्रत्यावर्तन (transition) की संस्कृति को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह किसी के लिए आवश्यक सेवानिवृत्ति का आदेश नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण और उत्तरदायित्व सौंपने की प्रेरणा है।
यह बयान हमें इस बात की भी याद दिलाता है कि संस्थाएं तभी जीवित रहती हैं जब वे नई ऊर्जा और विचारधारा को स्थान देती हैं, लेकिन साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि वर्तमान नेतृत्व की उपलब्धियों का समुचित मूल्यांकन हो।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के इस वक्तव्य को अगर केवल प्रधानमंत्री मोदी के संदर्भ में देखना सीमित दृष्टिकोण होगा। यह एक व्यापक संस्था आधारित चिंतन है जिसमें सेवा, विराम, उत्तरदायित्व, और उत्तराधिकार का संतुलन है।
भारत जैसे विविधतापूर्ण लोकतंत्र में यह जरूरी है कि इस तरह के बयानों को राजनीति के सीमित चश्मे से देखने के बजाय वैचारिक परिपक्वता और संस्थागत अनुशासन के संकेत के रूप में भी समझा जाए।
? विशेष रिपोर्ट | 12 जुलाई 2025, शनिवार
आज का दिन शनिदेव को समर्पित है, और इस पावन शनिवार पर ग्रह-नक्षत्रों की चाल कुछ राशियों पर विशेष कृपा बरसाने वाली है, तो कुछ के लिए यह चेतावनी का दिन भी है। आइए जानते हैं कि आज का दिन आपके लिए क्या संदेश लेकर आया है।
भाग्य साथ देगा, रुके कार्यों में गति आएगी। नौकरी और कारोबार में उन्नति संभव।
उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें।
धन हानि से बचें, किसी से वाद-विवाद में न पड़ें। खर्च बढ़ सकता है।
उपाय: शनिदेव को तिल का तेल चढ़ाएं।
पुराने मित्र मिल सकते हैं। पारिवारिक सुख की प्राप्ति होगी।
उपाय: तुलसी के पौधे में जल दें।
प्रशंसा प्राप्त होगी। आज आत्मबल मजबूत रहेगा।
उपाय: शिवलिंग पर जल अर्पण करें।
व्यापारियों के लिए अच्छा समय। किसी पुराने प्रयास का फल मिल सकता है।
उपाय: सूर्य को जल दें।
तनाव बना रह सकता है। संयम से काम लें।
उपाय: दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
प्रेम संबंधों में मजबूती आएगी। व्यापार में वृद्धि संभव।
उपाय: माँ लक्ष्मी को कमल पुष्प चढ़ाएं।
आज धैर्य जरूरी है। वाद-विवाद से बचें।
उपाय: पीपल के नीचे दीप जलाएं।
धन लाभ के योग हैं। संतान पक्ष से शुभ समाचार मिल सकता है।
उपाय: केले के पेड़ में जल चढ़ाएं।
स्वास्थ्य में गिरावट संभव। चिंताओं से घिरे रह सकते हैं।
उपाय: शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें।
नई जिम्मेदारियां और सम्मान मिलेगा। निवेश में लाभ होगा।
उपाय: गाय को रोटी खिलाएं।
घर में सुख-शांति बनी रहेगी। धार्मिक रुचि बढ़ेगी।
उपाय: सूर्य को कुमकुम मिश्रित जल चढ़ाएं।
?️ ज्योतिषीय सुझाव:
शनिवार को पीपल की पूजा, काले तिल का दान, और शनि मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप विशेष फलदायक माना जाता है। जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, उन्हें विशेष सावधानी व उपाय करने की सलाह दी जाती है।
? नोट: यह राशिफल सामान्य चंद्र राशि आधारित है। अधिक सटीक जानकारी के लिए कुंडली विश्लेषण आवश्यक है।
दुर्ग। शौर्यपथ संवाददाता
नगर पालिक निगम दुर्ग के नवनियुक्त सभापति श्याम शर्मा एवं अधिवक्ता नीरज चौबे के बीच ऋषभ कॉलोनी में हुए विवाद ने शहर की सियासी और सामाजिक सरगर्मियों को बढ़ा दिया है। वाहन के हार्न बजाने और रास्ता अवरुद्ध होने की मामूली बात से शुरू हुआ यह विवाद मारपीट, गाली-गलौज और कार से कुचलने के प्रयास तक जा पहुंचा। पुलिस की तत्परता और न्यायालय की सूझबूझ से मामला अभी टकराव की दिशा में बढऩे से टल गया है।
क्या है मामला?
7 जुलाई को पुलगांव थाना में श्याम शर्मा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, अधिवक्ता नीरज चौबे ने अपनी कार (ष्टत्र 07 ष्टङ्घ 7235) से श्याम शर्मा के घर के सामने हार्न बजाया, जिससे उनकी बेटी और बेटा बाहर आए। आरोप है कि नीरज चौबे ने बच्चों को डांटा, उनकी स्कूटी को टक्कर मारी और गाली-गलौज करते हुए कार चढ़ाने का प्रयास किया। इस घटना को लेकर ढ्ढक्कष्ट की धारा 296, 115(2), 351(2), 281, 125्र, 109, 184 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया।
कोर्ट ने दी अग्रिम जमानत
इस मामले में अधिवक्ता नीरज चौबे की ओर से जिला सत्र न्यायालय दुर्ग में अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया। अधिवक्ता ने दावा किया कि श्याम शर्मा, जो कि एक राजनीतिक पदाधिकारी हैं, ने जानबूझकर उन पर झूठे आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि विवाद के दौरान स्वयं श्याम शर्मा ने भी अपमानजनक भाषा का उपयोग किया।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद कुजूर की कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नीरज चौबे को दो सक्षम जमानतदारों के साथ 5-5 हजार रुपए की जमानत और 10,000 रुपए के व्यक्तिगत मुचलके पर अग्रिम जमानत प्रदान की।
विवाद पर बंटी शहर की राय, दोनों पक्षों को मिला समर्थन
यह मामला राजनीतिक रंग भी पकड़ता नजर आ रहा है। जहां एक ओर सभापति श्याम शर्मा के समर्थन में कई पार्षद सामने आए हैं, वहीं दूसरी ओर अधिवक्ता नीरज चौबे के समर्थन में वकीलों की टीम एकजुट हुई है। नीरज चौबे के भाई सौरभ चौबे लंबे समय से आरएसएस से जुड़े हैं और भाजपा के चुनावी अभियानों में कानूनी सलाहकार की भूमिका निभा चुके हैं। इससे यह विवाद भाजपा के आंतरिक समीकरणों से भी जुड़ता दिखाई दे रहा है।
पुलिस ने निभाई अहम भूमिका, जांच टीम गठित
पुलगांव थाना प्रभारी पुष्पेंद्र भट्ट के नेतृत्व में मामले को बड़ी ही सतर्कता से संभाला गया। पुलिस प्रशासन ने समय रहते दोनों पक्षों के बीच तनाव को बढऩे से रोका। एक विशेष जांच टीम गठित कर ली गई है, जो कॉलोनी के सीसीटीवी फुटेज और अन्य तकनीकी साक्ष्यों के माध्यम से मामले की निष्पक्ष जांच में जुटी है।
निष्कषर्: राजनीति और वकालत की रेखा पर खड़ा विवाद
सभापति बनने के बाद श्याम शर्मा का यह तीसरा विवाद है, जिससे वह एक बार फिर चर्चा में हैं। वहीं नीरज चौबे का कानूनी और राजनीतिक बैकग्राउंड इस विवाद को और जटिल बना रहा है। फिलहाल शहर में यह मुद्दा आमजन की चर्चा का केंद्र बना हुआ है। आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि मामला सुलह की दिशा में बढ़ता है या फिर राजनीति और कानून की लड़ाई कोर्ट के गलियारों में लंबा सफर तय करेगी।
दीपक वैष्णव की ख़ास रिपोर्ट
बस्तर / शौर्यपथ / केशकल नेशनल हाईवे की खराब स्थिति के कारण स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क की खराब स्थिति के कारण यहां तक कि भारी वाहनों की आवाजाही भी बाधित हो रही है, जिससे स्थानीय व्यवसायियों और ढाबा संचालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
विवरण: केशकल घाट में नवीनीकरण कार्य के दौरान भारी वाहनों के आवाजाही बंद होने से ढाबा संचालकों की परेशानी बढ़ गई है। दो महीने से भारी वाहनों के आवाजाही बंद होने से ढाबे वीरान हो गए हैं। स्थानीय लोगों और व्यवसायियों की मांग है कि सड़क की स्थिति में सुधार किया जाए और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाए।
आरोप: कुछ महीने पहले ही इस सड़क का नवीनीकरण कराया गया था, लेकिन 4 से 5 महीने भी यह सड़क नहीं टिक पाई। इससे शासन प्रशासन की विकास योजनाओं की पोल खुल रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण सड़क की स्थिति और भी खराब हो रही है।
आवश्यक कदम: सड़क की स्थिति में सुधार करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए जो सड़क की स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। स्थानीय लोगों को भी सड़क की स्थिति में सुधार के लिए भागीदारी करनी चाहिए।
दुर्ग नगर निगम बेहाल: विकास ठप, सफाई बदहाल, जनता अब अपने ही फैसलों पर पछता रही
दुर्ग। शौर्यपथ।
दुर्ग नगर निगम की मौजूदा हालात ने नगरवासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या उन्होंने महापौर चुनकर कोई भारी भूल कर दी? प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के तहत जब दुर्ग की जनता ने महापौर के रूप में श्रीमती अलका बाघमार को चुना था, तब उम्मीदें थीं कि शहर का कायाकल्प होगा। लेकिन आज वही जनता खुलेआम कह रही है — "हमने गलत चुना!"
शहर में अव्यवस्था इस कदर हावी है कि सड़कों पर मवेशियों की भरमार दुर्घटनाओं की खुली दावत दे रही है, तो फुटपाथ और सड़क किनारे अतिक्रमण ने आमजन का चलना तक दूभर कर दिया है। निगम प्रशासन कार्रवाई के दावे जरूर कर रहा है, लेकिन जमीनी सच्चाई इसके उलट है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कहीं सांकेतिक बनकर रह गई है, तो कहीं सिर्फ चुनिंदा वर्गों पर टिकी दिखाई देती है।
जनता त्रस्त, नालियां जाम, लाइटें गुल, लेकिन निगम मौन
बरसात की पहली ही फुहार ने निगम की सफाई व्यवस्था की पोल खोल दी। गली-मोहल्लों की नालियां जाम हैं, कीचड़ और बदबू से वातावरण प्रदूषित है, और गलियों में लगी स्ट्रीट लाइटें महीनों से बुझी पड़ी हैं। जनता त्राहिमाम कर रही है, लेकिन निगम कार्यालय में मानो सबकुछ सामान्य है।
विकास सिर्फ बैनरों में, जमीनी हकीकत शून्य
शहर में विकास कार्यों का हाल इतना खराब है कि अब वह सिर्फ पोस्टर और प्रचार सामग्री तक सीमित रह गया है। ना नई योजनाएं धरातल पर उतरी हैं, ना ही ठेकेदारों को पुराने कार्यों का भुगतान किया गया है। महीनों से रुके भुगतान से निर्माण कार्य ठप हैं।
राजेंद्र प्रसाद चौक की गुमठी विवाद से लेकर एलआईसी के सामने निगम गुमठियों के नोटिस तक, हर मुद्दे में निगम की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। निगम में शासन कर रही पार्टी के पार्षद भी गुटों में बंटे नजर आ रहे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि आंतरिक राजनीति नगर विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बन गई है।
जनता की उम्मीदें टूटीं, महापौर को ठहरा रही है जिम्मेदार
प्रत्यक्ष प्रणाली की सबसे बड़ी खूबी और कमजोरी यही है कि जनता सीधे अपने मुखिया का चुनाव करती है — और जब उस मुखिया से उम्मीदें टूटती हैं, तो आक्रोश भी सीधे उसी के प्रति फूटता है। आज दुर्ग शहर की जनता यह कहने में संकोच नहीं कर रही कि नगर सरकार की बदहाली के लिए महापौर अलका बाघमार ही जिम्मेदार हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले बिगड़ता जनमत भाजपा के लिए खतरे की घंटी
यदि यही स्थिति रही तो आने वाले विधानसभा चुनावों में नगर क्षेत्र की नाराजगी भाजपा के लिए एक बड़ा संकट बन सकती है। लोग अपने फैसलों पर पछता रहे हैं, और लोकतंत्र में जब जनता पछताती है तो उसका असर सीधे चुनाव में दिखता है।
फिलहाल शहर के हालात यही दर्शा रहे हैं —
सफाई लापता, विकास गायब, और जवाबदेही शून्य।