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दुर्ग / शौर्यपथ /
दुर्ग नगर पालिक निगम में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की पहल ना तो भाजपा विधायक गजेन्द्र यादव कर रहे और ना ही निगम महापौर धीरज बाकलीवाल . दुर्ग शहर की जनता में एक ओर जहां भाजपा विधायक गजेन्द्र यादव की निष्क्रियता के चर्चे हो रहे है वही महापौर धीरज बाकलीवाल के हर तरह के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मौन साधना जनता को कांग्रेस सरकार के उस फैसले से पीड़ा हो रही जिसमे निगम प्रमुख का चुनाव जनता द्वारा न चुन कर पार्षदों द्वारा चुनने के फैसले पर हो रही है . गत विधान सभा चुनाव के पहले तक आम जनता को ऐसा लग रहा था कि निगम पर कब्ज़ा तात्कालिक विधायक वोरा का है किन्तु साल भर बीत जाने के बाद भी निगम में भ्रष्टाचार के मुद्दे और अवैधानिक कृत्यों पर महापौर बाकलीवाल के मौन रहने से अब आम जनता को भी इस बात का अहसास होने लगा कि निगम में कमीशनखोरी का खेल ही बुलंदी के साथ खेला जाता है किसे काम देना या किसे नहीं देना इसका फैसला जिम्मेदार जनप्रतिनिधि पूरी तन्मयता के साथ करते है किन्तु अवैधानिक कार्यो पर सब मौन साधे रहते है .
अवैध रूप से संचालित रेन बसेरा की जाँच की फाइल महीनो से दबी हुई ...
निगम मुख्यालय के करीब ही बस स्टैंड में निगम प्रशासन के अधीन रेन बसेरा है जिसकी निविदा कांग्रेसी नेत्री के समूह द्वारा संचालित हो रही है जिसकी कई बार जिला कलेक्टर में शिकायत भी हो चुकी है किन्तु मामले पर निर्णायक कार्यवाही की पहल निगम प्रशासन के अधिकारी नहीं कर पा रहे वही मामले की सम्पूर्ण जानकारी के बाद भी कार्यवाही के लिए सख्त निर्देश ना देना महापौर बाकलीवाल की प्रशासनिक निष्क्रियता की ओर इशारा कर रही है .
अरुण वोरा की हार का बड़ा कारण निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार और अव्यवस्था
दुर्ग विधानसभा का एक बड़ा क्षेत्र निगम क्षेत्र के अंतर्गत है इस लिहाज से निगम के कार्यो में हो रही अनियमितता का सारा आरोप तात्कालिक विधायक पर लगता रहा किन्तु इन अव्यवस्थाओ को दूर करने में महापौर बाकलीवाल की कोई ख़ास पहल नजर नहीं दिखी इतना जरुर नजर आता कि निगम क्षेत्र के वार्ड पार्षदों को समय ब समय पिकनिक यात्रा करना और निगम कार्यो के ठेके देना इन सब कार्यो के पीछे आम जनता के मुलभुत सुविधाओ की तरफ कभी महापौर ने रुख किया हो ऐसा आम जनता को कभी नहीं लगा . वह आम जनता जो राजनीती से दूर है इस सबकी जिम्मेदार तात्कालिक विधायक अरुण वोरा को मानती रही और परिणाम यह रहा कि कांग्रेस की बड़ी हार हुई .खुल कर कई कांग्रेसियों ने कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ कार्य करते रहे जो आज महापौर के करीबी बने हुए है .अब देखना यह है कि आने वाले निकाय चुनाव में कांग्रेस किस सुशासन की बात करते हुए आम जनता के सामने जायेगी ?
निरस्त होने के बाद फिर कब्जा किया कांग्रेसी ने रेन बसेरा ...
कई शिकायतों के बाद निगम प्रशासन ने कांग्रेस नेत्री की निविदा निरस्त कर दी किन्तु ऐसी कौन सी वजह थी जिसके चलते अनियमितता की शिकायत और जाँच में सही पाए जाने के बाद भी समूह को ब्लैक लिट् नहीं किया गया जबकि ऐसे ही अन्य मामले में एक विज्ञापन एजेंसी को 24 घंटे में नोटिस भी दिया गया और ब्लैक लिस्ट भी किया गया जबकि मामला निजी पोस्टर लगाने का था वही रेन बसेरा के निरस्ती करण के बाद अन्य दुसरे सनुह को पजेशन देने में निगम के जिम्मेदार विभाग ने महीनो की देरी की वही दूसरी तरफ अन्य समूह को उनके राशन दूकान पर कार्यवाही जैसे धमकी देने की बात कह काम वापस लेने की चर्चा रही . करण जो भी हो जिस समूह को निरस्त किया गया उसे ही एक बार फिर कब्ज़ा दे दिया गया और वर्तमान समय में अनियमितता के साथ संचालित रेन बसेरा पर कार्यवाही लंबित है और भ्रष्टाचार के इस खेल की जानकारी होने के बाद भी महापौर बाकलीवाल मौन है ?
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