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मेलबॉक्स /शौर्यपथ / स्वामी रामदेव द्वारा पेश कोरोना की दवा पर हंगामा मचा है। संभव है, योग गुरु ने इस प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन किया हो, लेकिन नियमों की शर्तें पूरी भी कराई जा सकती थीं। बहरहाल, सरकार ने दवाई के प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी है, लेकिन यदि यह दवा कारगर मिलती है, तो इसे स्वीकृति दी जानी चाहिए, अन्यथा इस पर प्रतिबंध लगा देना ही उचित होगा। निस्संदेह, आयुर्वेद भारत की पुरानी चिकित्सा पद्धति है। आज भी दूरदराज के गांवों में देसी हकीम और वैद्य ही ग्रामीणों का इलाज करते हैं। इतिहास भी साक्षी है कि हमारे वैद्य हर बीमारी का इलाज करने में सक्षम थे। मगर एलोपैथी के सामने यह पुरातन विद्या नेपथ्य में चली गई। देखा जाए, तो कोई भी पैथी अपने आप में संपूर्ण नहीं है। कोरोना के मामले में भी एलोपैथी अब तक विफल साबित हुई है। ऐसे में, यदि आयुर्वेद में आशा की किरण जगी है, तो उस पर मंथन जरूरी है, ताकि मानव समाज को कोरोना से राहत मिल सके।
रणजीत वर्मा, फरीदाबाद
फैसले पर आपत्ति
अमेरिकी राष्ट्रपति के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं। इस अधिकार का प्रयोग करके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरे देश के कामगारों को रोजगार के नाम पर मिलने वाली खास वीजा दिसंबर तक निलंबित कर दी है। राष्ट्रपति का कहना है कि इससे अमेरिका में रह रहे लोगों को रोजगार मिलने में सुविधा होगी। यह बात सच है कि वहां के लोगों को इसका फायदा मिलेगा, लेकिन ट्रंप कहीं न कहीं इस बात को नजरंदाज कर रहे हैं कि अमेरिका को यदि आज वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र माना जाता है, तो इसमें दक्षिण-पूर्व एशिया (खासकर भारत) से आने वाले लोगों का बड़ा योगदान है। इसी वजह से कई लोग इस फैसले पर आपत्ति जता रहे हैं।
जीवन वर्मा, परसाबाद, कोडरमा
थमती खेल गतिविधियां
कोविड-19 महामारी का प्रकोप थमता नहीं दिख रहा है। दुनिया भर में संक्रमित मरीजों की संख्या एक करोड़ तक पहुंचने वाली है। इसकी चपेट में राजनेता और फिल्म जगत के लोगों के साथ-साथ खिलाड़ी भी आने लगे हैं। पाकिस्तान के कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ ही टेनिस दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी नोवाक जोकोविच भी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। समूचा विश्व इस महामारी से पिछले तीन महीनों से जूझ रहा है। खेल गतिविधियों को फिर से शुरू करने की उम्मीद जगी ही थी कि कुछ खिलाड़ियों के संक्रमित होने की खबर आ गई। इससे हाल-फिलहाल में खेल गतिविधियां थमी हुई ही नजर आ रही हैं।
शिवम सिंह, बिंदकी, उत्तर प्रदेश
बढ़े दाम से हलकान
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम घटने के बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसका खामियाजा सिर्फ गरीब और निम्न मध्यमवर्ग को भुगतना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि पहली बार डीजल की कीमत पेट्रोल से ज्यादा हो गई। डीजल की कीमत के बढ़ने का मतलब है, सब कुछ महंगा हो जाना। एक तरफ कोरोना का कहर लगातार जारी है, बेरोजगारी चरम पर है, लोगों से आय के साधन छिन रहे हैं और दूसरी तरफ पेट्रो पदार्थों के दाम बढ़ाकर महंगाई बढ़ाई जा रही है। इससे तो यही जाहिर होता है कि सरकारें अपना खजाना भरने के लिए आम आदमी की जेब काट रही हैं। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर रोक लगाकर लोगों को राहत दी जाए। इसके साथ ही, जब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के मूल्य में वृद्धि नहीं होती, अपने राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार इस रास्ते का इस्तेमाल न करे। पेट्रोल-डीजल के दामों में जल्द ही कमी लानी चाहिए, ताकि गरीब तबके के लोगों को राहत मिल सके।
संजय कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड
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