September 09, 2025
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सेहत टिप्स/शौर्यपथ / अदरक खाना यूं तो हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसमें ऐसे कई गुण पाए जाते हैं जो इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और खासकर गले से संबंधित दिक्कतों को दूर करते हैं. लेकिन, गर्मियों में क्या अदरक खाना चाहिए इसे लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं. कुछ लोगों की सुबह तो बिना अदरक की चाय के होती ही नहीं है. लेकिन, गर्मी में अदरक खाना नुकसानदायक हो सकता है. तो चलिए आज जानते हैं कि गर्मियों में जरूरत से ज्यादा अदरक क्यों नहीं खाना चाहिए और आपको क्यों गर्मियों में अदरक का कम सेवन करना चाहिए.
गर्मियों में ज्यादा अदरक खाने के नुकसान
अदरक में थर्मोजेनिक गुण होते हैं, जो शरीर की गर्मी बढ़ा सकते हैं. गर्म मौसम में इसके इस्तेमाल से ज्यादा पसीना, बेचैनी और डिहाइड्रेशन हो सकती है.
डिहाइड्रेशन - अदरक के थर्मोजेनिक इफेक्ट से आपको अधिक पसीना आ सकता है. इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है. खासकर अगर आप पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन नहीं करते तो इसके कई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं.
सीने में जलन और एसिड रिफ्लक्स- अदरक पाचन और पित्त की परेशानी पैदा कर सकता है. ज्यादा मात्रा में अदरक का सेवन सीने में जलन पैदा कर सकता है और एसिड रिफ्लक्स को बढ़ा सकता है जिससे पेट संबंधी समस्या भी बढ़ सकती है.
लो ब्लड प्रेशर - अदरक खून को पतला कर सकता है और ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है. गर्मियों में जब लोग पहले से ही गर्मी के कारण लो ब्लड प्रेशर से परेशान होते हैं तो इसका सेवन करने से चक्कर आना और बेहोशी हो सकती है.
स्किन प्रॉब्लम - कुछ लोगों को अदरक से एलर्जी हो सकती है, खासकर गर्म मौसम में इससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली और इंफ्लेमेशन की समस्या हो सकती है.
लक्षणों पर नजर रखें - अदरक का सेवन गर्मियों में कम मात्रा में करें और अगर इसे खाने से पेट में जलन हो तो सावधान रहें और इसका सेवन तुरंत बंद कर दें. आप अदरक का सेवन करते हैं तो हाइड्रेटेड रहने के लिए खूब पानी पिएं.

 

सेहत टिप्स/शौर्यपथ/रोजमर्रा के खाने के लिए आपके भी घर में गेहूं की रोटी बनती होगी. सुबह-शाम की रोटियां इसी आटे से बनती हैं. लेकिन, कई बार गेहूं का आटा आपकी सेहत के साथ-साथ आपकी कई बीमारियों में भी फायदेमंद हो सकता है. जी हां, यह एक स्पेशल गेहूं का आटा है जिसे खाने से डायबिटीज के मरीजों को फायदा होता है. हालांकि, बाजार में इसकी कीमत 150 रुपए प्रति किलो है लेकिन सेहत के नजरिए से यह काफी फायदेमंद है. आजकल खपली गेहूं काफी ट्रेंड में है और सोशल मीडिया पर भी इसकी काफी चर्चा हो रही है. यह एक खास किस्म का गेहूं है जिसमें फाइबर और प्रोटीन काफी मात्रा में मौजूद होता है. इसमें वसा के साथ-साथ ढेर सारा आयरन और कैल्शियम है जिसके चलते यह सामान्य गेहूं के आटे से ज्यादा फायदेमंद साबित होता है. खपली गेहूं को एम्मरऔर फारो भी कहा जाता है. कहा जाता है कि इस गेहूं के आटे से बनी रोटियां मोटापा घटाने में कारगर सिद्ध होती हैं.
डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद खपली गेंहू
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि खपली के गेहूं के आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है. इसी वजह से यह आटा डायबिटीज के रोगियों के लिए बेस्ट कहा जाता है. इस आटे के सेवन से डायबिटीज रोगी के शरीर में शुगर स्लो रिलीज होती है जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है. डॉक्टर कहते हैं कि खपली के आटे के साथ0साथ इसके गेहूं का पानी भी शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है. खपली के गेहूं को 2 चम्मच रातभर एक गिलास पानी में भिगोकर रख दीजिए. सुबह इस पानी को छानकर पीने से ब्लड शुगर को नियंत्रित किए जाने में मदद मिलती है. यह पानी इंसुलिन की सेंसिटिविटी को कम करता है जिससे डायबिटीज में लाभ मिलता है.
खपली के तेल के भी हैं फायदे
आपको बता दें कि खपली अनाज में ढेर सारा पॉलीफेनोल्स पाया जाता है और यह दिल संबंधी रोगों में फायदा करता है. इसके साथ-साथ पॉलीफेनोल्स न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों को भी रोकने में कारगर साबित हो सकते हैं. इसके साथ-साथ खपली के गेहूं का तेल भी शरीर के लिए अच्छा कहा जाता है. खपली के गेहूं के तेल की मालिश करने पर शरीर का दर्द, थकान, स्ट्रेस में राहत मिलती है और दिमाग को काफी आराम पहुंचता है. खपली का गेहूं शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है जिससे बढ़ा हुआ वजन अपने आप कम होने लगता है. कोलेस्ट्रोल कंट्रोल होने पर स्ट्रोक और दिल के दौरे के रिस्क खुद ब खुद कम हो जाते हैं.

व्रत त्यौहार/शौर्यपथ/ हिंदू धर्म में प्रदोष का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करने का महत्व होता है. ऐसा कहते हैं कि प्रदोष का व्रत करने से और इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. जून के महीने में पहला प्रदोष व्रत 4 जून को पड़ रहा है. चूंकि, 4 जून को मंगलवार भी है इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. भौम प्रदोष का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव के साथ बजरंगबली की पूजा अर्चना भी की जाती है. इस दिन अगर कुछ विशेष चीजों का दान किया जाए तो भगवान शिव और बजरंगबली का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहेगा.
भौम प्रदोष पर करें इन चीजों का दान
1. मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष के दिन अगर लाल चीजों का दान किया जाए तो ये बहुत शुभ माना जाता है. आप किसी जरूरतमंद को लाल वस्त्र दे सकते हैं. हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल रंग के फल, लाल फूल आदि चढ़कर उन्हें दान कर सकते हैं. कहते हैं ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा बनी रहती है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है.
2. मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष के दिन गुड़ का दान करना चाहिए. गुड़ भगवान शिव और हनुमान जी दोनों को बहुत प्रिय होता है. अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर है तो आप भौम प्रदोष के दिन व्रत करके गुड़ का दान जरूर करें.
3. इसके अलावा, भौम प्रदोष के दिन काले तिल का दान करना भी बहुत फलदायी माना जाता है. कहते हैं कि काला तिल दान करने से सभी नकारात्मकता दूर होती है और घर में पॉजिटिविटी का संचार होता है. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आप पॉजिटिव एनर्जी के साथ अपने सारे काम करते हैं.
4. कहते हैं कि भगवान शिव को नारियल बहुत प्रिय होता है, ऐसे में भौम प्रदोष के दिन व्रत करने के साथ ही अगर आप एक नारियल का दान करें तो इससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं और इससे ग्रह दोष से भी छुटकारा मिलता है. तो अगर आप भौम प्रदोष पर भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, तो इन चीजों का दान अवश्य करें.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को है और इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है. इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा. शनि जयंती के दिन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है और मंदिर जाकर भगवान का दर्शन करना शुभ माना जाता है. महिलाएं वट वृक्ष की पूजाकर अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त करेंगी. आइए जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या पर बन रहे खास योग और उसके प्रभाव के बारे में.
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि और समय
ज्येष्ठ अमावस्या 5 जून शाम 7 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 6 जून को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर रहेगी. 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जंयती और वट सावित्री व्रत रखा जाएगा.
शनि पूजा से अशुभ ग्रहों के प्रभाव में कमी
शनि देव को न्याय और कर्म का देव माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि शनि देव की पूजा से ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है. शनि जयंती को शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन विधि-विधान से शनि देव की पूजा से उन्हें प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है. इनकी कृपा से जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
शनि जयंती पर शनि देव की पूजा
मान्यता है कि शनि देव का जन्म सर्वार्थ सिद्ध योग में हुआ था और इस वर्ष शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है. इसलिए शनि जयंती पर शनि देव की पूजा विशेष फलदाई होगी. शनि जयंती के दिन प्रात:काल स्नान के बाद शनि देव का स्मरण करें और विधि-विधान से शनि देव की पूजा करें. सुबह के समय पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं और शाम को पेड़ के नीचे सरसों के तेल से दिया जलाएं. शाम के समय शनि मंदिर जाकर शनि देव का दर्शन करें और उन्हें सरसों का तेल अर्पित करें.
पितरों का तर्पण
अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है. ज्येष्ठ अमावस्या को ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है. इससे पितरों को शांति मिलती है. गंगा स्नान के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करना चाहिए.

आस्था /शौर्यपथ /सनातन धर्म में दिया जलाने का बहुत महत्व है. पूजा पाठ में और सुबह शाम घरों में दिये जलाएं जाते हैं. मंदिरों में और तुलसी के पौधे के सामने सुबह शाम दिया जलाने की परंपरा है. कोई भी धार्मिक कार्य दिया जलाए बगैर पूर्ण नहीं माना जाता है. दिया जलाने के लिए घी से लेकर कई तरह के तेलों का उपयोग किया जाता है. महुआ के तेल से दिया जलाने से कई तरह के फायदे होते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार महुआ के तेल से दिया जलाने से महादेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं महुआ के तेल से दिया जलाने से क्या-क्या लाभ हो सकते हैं
भगवान शिव की कृपा
महुआ के तेल से दिया जलाना बहुत शुभ माना गया है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. हर दिन महुआ के तेल से दिया जलाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. भगवान शिव को महुआ का तेल बहुत प्रिय है. भगवान शिव को महुआ के तेल से आठ बाती दिया जलाना चाहिए. मान्यता है कि आठ बाती वाले महुआ के तेल वाला दिया जलाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है.
घर में अशांति दूर
घर में महुआ के तेल से दिया जलाने से अशांति दूर होती है और सुख-समृद्धि का वास होता है. वास्तु शास्त्र में घर की अशांति दूर करने के लिए महुआ के तेल से दिया जलाने का उपाय बताया गया है.
मनोकामनाएं पूरी
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर मे नियमित रूप से महुआ के तेल से दिया जलाने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. इससे देवी-देवताओं की कृपा प्रापत होती है.
कब जलाएं
घर के महुआ के तेल से दिया जलाने का खास समय होता है. महुआ के तेल के दिये हमेशा शाम के समय जलाने चाहिए.
ग्रह शांति के उपाय
महुआ के तेल से दिया जलाने से कुंडली दोष और ग्रह दोष का उपाय भी किया जा सकता है. सूर्यदेव को महुए के तेल का दीपक लगाने से दुर्भाग्य दूर किया जा सकता है.

आस्था/शौर्यपथ / कुंडली का चौथा भाव काफी महत्वपूर्ण होता है. चौथे भाव में शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति हमेशा लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं. दूसरों की मदद करने में इन्हें खुशी मिलती है. चौथे भाव में शुक्र ज्यादा अच्छे परिणाम ही देता है, शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति की धार्मिक कार्यों में भी रुचि देखने को मिलती है. ऐसे लोगों का जीवन काफी संपन्न होता है. इनके पास अच्छा घर, वाहन, आभूषण आदि होंगे, हालांकि उन्हें कई बार आर्थिक चिंता भी बनी रहेगी.
कुंडली के चौथे भाव में शुक्र के प्रभाव
शुक्र के सकारात्मक प्रभाव
चौथे भाव में शुक्र आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. शुक्र के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में सारी सुख-सुविधाएं मिलती हैं. व्यक्ति के घरेलू जीवन में भी शुक्र सकारात्मक परिणाम देते हैं. शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति दीर्घायु होता है. वे दूसरों की मदद करने में भी आगे होते हैं. इनकी एक खासियत यह होती है कि ये अपनी उपलब्धियों को दूसरों के सामने प्रदर्शित नहीं करते हैं.
शुक्र के नकारात्मक प्रभाव
शुक्र के चौथे भाव में कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं. शुक्र के प्रभाव से कई बार व्यक्ति के पारिवारिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं. कई बार इन्हें अपने करीबी लोगों से ही धोखा मिलने की आशंका भी होती है.
वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
चौथे भाव में शुक्र का प्रभाव वैवाहिक जीवन पर भी देखने को मिलता है. ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. जीवनसाथी के बीच आपसी सामंजस्य बेहतर होता है और वे एक-दूसरे के सहयोग की सराहना करने से भी नहीं चूकते. शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति का पत्नी और पिता के साथ मधुर संबंध होते हैं.
शुक्र का करियर पर प्रभाव
चौथे भाव में शुक्र का आपके करियर पर भी प्रभाव देखने को मिलता है. ऐसे लोगों की किसी नई चीज को सीखने में काफी इंट्रेस्ट होता है. शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति धनवान भी हो सकता है. शुक्र अगर मजबूत हों तो नौकरी में तरक्की मिलती है और बिजनेस में भी काफी लाभ हो सकता है.

 

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को है और इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है. इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्रीका व्रत भी रखा जाएगा. शनि जयंती के दिन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है और मंदिर जाकर भगवान का दर्शन करना शुभ माना जाता है. महिलाएं वट वृक्ष की पूजाकर अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त करेंगी. आइए जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या पर बन रहे खास योग और उसके प्रभाव के बारे में.
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि और समय
ज्येष्ठ अमावस्या 5 जून शाम 7 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 6 जून को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर रहेगी. 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जंयती और वट सावित्री व्रत रखा जाएगा.
शनि पूजा से अशुभ ग्रहों के प्रभाव में कमी
शनि देव को न्याय और कर्म का देव माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि शनि देव की पूजा से ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है. शनि जयंती को शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन विधि-विधान से शनि देव की पूजा से उन्हें प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है. इनकी कृपा से जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
शनि जयंती पर शनि देव की पूजा
मान्यता है कि शनि देव का जन्म सर्वार्थ सिद्ध योग में हुआ था और इस वर्ष शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है. इसलिए शनि जयंती पर शनि देव की पूजा विशेष फलदाई होगी. शनि जयंती के दिन प्रात:काल स्नान के बाद शनि देव का स्मरण करें और विधि-विधान से शनि देव की पूजा करें. सुबह के समय पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं और शाम को पेड़ के नीचे सरसों के तेल से दिया जलाएं. शाम के समय शनि मंदिर जाकर शनि देव का दर्शन करें और उन्हें सरसों का तेल अर्पित करें.
पितरों का तर्पण
अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है. ज्येष्ठ अमावस्या को ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है. इससे पितरों को शांति मिलती है. गंगा स्नान के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करना चाहिए.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /मासिक शिवरात्रि का व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की तिथि को रखा जाता है. ज्येष्ठ माह में 4 जून मंगलवार को मासिक शिवरात्रि मनाई जा रही है. शिव पुराण में मासिक शिवरात्रि के महत्व के बारे में बताया गया है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि पर कई दुर्लभ योग बन रहे हैं जिस चलते इस शिवरात्रि का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि पर कौन-कौन से खास योग बन रहे हैं.
ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि पर बन रहे हैं योग
ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ भद्रावास योग बन रहा है. इस योग में महादेव की पूजा से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग का भी निर्माण हो रहा है.
भद्रावास योग - ज्योतिष के विद्वानों ने भद्रावास योग को बहुत शुभ माना जाता है. यह योग भद्रा के स्वर्ग में वास करने पर बनता है और इसे सभी जीवों के लिए कल्याणकारी माना जाता है. मासिक शिवरात्रि पर रात में 10 बजकर 1 मिनट से पूरी रात्रि भद्रावास योग का निर्माण हो रहा हे. इस योग में निशाकाल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष फलों को प्रदान करने वाली मानी जाती है.
सर्वार्थ सिद्ध योग - ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार ज्येष्ठ माह के मासिक शिवरात्रि के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग का भी निर्माण हो रहा है. यह योग 4 जून को रात 10 बजकर 35 मिनट शुरू होकर सुबह 5 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. सर्वार्थ सिद्ध योग में भगवान शिव की पूजा से शुभ कार्यों की सिद्धि होती है.
गर और वणिज करण योग - ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि के दिन गर और वणिज करण योग भी बन रहे हैं. सुबह 11 बजकर 8 मिनट से गर करण और इसके बाद वणिज करण योग का निर्माण हो रहा है. इन योगों में भगवान शिव की पूजा (Shiv Puja) बहुत फलदाई मानी जाती है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /आयुर्वेद में अश्वगंधा और शहद का खास महत्व है. यह दोनों प्राकृतिक औषधियां अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान कर सकती हैं और कई प्रकार के रोगों से बचाव करने में मदद करती हैं. अश्वगंधा और शहद दो ऐसी प्राकृतिक औषधियां हैं जो भारतीय आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही उपयोग में लाई जा रही हैं. दोनों में ही अद्वितीय गुण होते हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं. यहां हम आपको बताएंगे कि किन पांच लोगों के लिए अश्वगंधा और शहद का सेवन किसी वरदान से कम नहीं है.
इन 5 लोगों के लिए अश्वगंधा और शहद का सेवन फायदेमंद |
1. तनाव और चिंता से ग्रस्त लोग
अश्वगंधा को एक प्रभावशाली एडेप्टोजेन माना जाता है जो मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है. शहद का सेवन मन को शांत करता है और इसमें मौजूद नेचुरल शुगर एनर्जी को बढ़ाती है. दोनों का सेवन मिलाकर करने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और व्यक्ति को शांति मिलती है.
2. कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग
अश्वगंधा का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और शरीर को बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है. शहद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमणों से बचाव करते हैं. दोनों का साथ सेवन करने से इम्यून सिस्टम को बढ़ावा मिलता है और व्यक्ति सर्दी, खांसी जैसी सामान्य बीमारियों से बच सकता है.
3. थकान और कमजोरी महसूस करने वाले लोग
अश्वगंधा को ताकत और स्टैमिना बढ़ाने वाला माना जाता है. यह शरीर को एनर्जी प्रदान करता है और शारीरिक कमजोरी को दूर करता है. शहद का सेवन क्विक एनर्जी का स्रोत है और इसे खाने से शरीर में ताकत और सक्रियता बढ़ती है. इन दोनों का सेवन थकान और कमजोरी को कम करने में सहायक होता है.
4. नींद की समस्या से जूझ रहे लोग
अश्वगंधा का सेवन स्लीप क्वालिटी को सुधारता है और अनिद्रा की समस्या को दूर करता है. शहद का सेवन भी नींद को सुधारने में मदद करता है क्योंकि इसमें मौजूद नेचुरल शुगर सेरोटोनिन का लेवल बढ़ाती है, जो नींद को बढ़ावा देता है. रात में अश्वगंधा और शहद का सेवन करने से गहरी और सुकूनभरी नींद आती है.
5. जिन लोगों को ज्यागा सर्दी लगती है
सर्दियों में अश्वगंधा और शहद का सेवन शरीर को गर्म रखने में मदद कर सकता है और सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं से बचाव करता है. अश्वगंधा शरीर की गर्मी को संतुलित करता है और शहद गले की खराश को ठीक करता है. सर्दियों में इनका नियमित सेवन शरीर को हेल्दी और गर्म रखता है.

योग /शौर्यपथ /दुनिया भर में लोग योग का लौहा मान चुके हैं. योग आपको लंबी उम्र, सेहतमंद शरीर और शांत मन देता है. इसके साथ ही साथ योग आपको जवान बनाए रखने में भी मददगार है. योग अनगिनत लाभों के साथ आता है, और इसकी सबसे महत्वपूर्ण गुणधर्म में से एक यह है कि यह आपको युवा और जीवनशैली को बेहतर बनाने में सहायक होता है. योग उम्र के असर को भी कम करता है. फेस योग का सहारा लेकर आप सालों तक युवा बने रह सकते हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे 3 फेस योगा के बारे में जिनके बारे में दावा किया जाता है कि ये आपको सालों तक जवान दिखने में मदद कर सकते हैं और चेहरे पर दिखने वाले उम्र के असर को भी कम कर सकते हैं. बोलचाल में अक्सर लोग कहते हैं कि ये आपको 55 की उम्र में 25 का दिखा और महसूस करा सकते हैं. बहरहाल, इस बात का दावा तो हम नहीं करते पर चलिए आपको बताते हैं इन पावरफुल माने जाने वाले तीन फेसयोग के बारे में.
मुंहासों के लिए योगासन
योगा आपको जवां बनाए रखने में मददगार हैं.
1. बैलून फेस : स्किन को टाइट और जवान रखने के अलावा चेहरे पर पिंपल्स से छुटकारा पाने के लिए आपको रोजाना बैलून फेस योगा करना चाहिए. इसके लिए आप 10 सेकंड तक अपने मुंह को बैलून के आकार में फुलाकर रखें. कुछ दिनों तक लगातार ऐसा करने से आपको जल्द ही लाभ मिलने लगेगा साथ ही पिंपल्स की समस्या भी दूर होने लगती है.
कुछ फेस योगा आपको दमकती त्वचा दे सकते हैं.
2. फेस ट्विस्टिंग : जवां स्किन के लिए यह बेस्ट है. फेस ट्विस्टिंग योगा करने के लिए आपको अपने होठों से पाउट बनाना है, इसके बाद अपने गालों को दाईं तरफ घुमा कर इसे 5 सेकंड तक काउंट करना है. फिर सेम प्रोसेस को बाईं तरफ भी करना है 5 सेकंड तक. रोजाना ऐसा करने पर आपका चेहरा पिंपल्स फ्री होगा और चेहरा सुंदर भी लगेगा.
चेहरे के लिए योग करना एक अच्छा विकल्प है.
3. फिश फेस :फिश फेस योग में आप अपने चेहरे को फिश के आकार की तरह बनाकर 10 सेकंड तक होल्ड करें. इसको आप दो से तीन बार करें. जल्द ही इससे आपको लाभ दिखने लगेगा और पिंपल्स से छुटकारा भी मिल जाएगा.

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