October 22, 2024
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 सेहत टिप्स /शौर्यपथ /मॉर्डन लाइफस्टाइल में खानपान और कम फिजिकल एक्टिविटी के कारण पेट से जुड़ी समस्याएं, जैसे कब्ज, अपच और गैस, आम हो गई हैं. आंतों की सफाई और पेट की सेहत बनाए रखना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. आजकल अनहेल्दी खानपान की वजह से कब्ज की समस्या भी बहुत लोगों को रहती है, जिसके चलते सुबह पेट साफ करने में परेशानी होती है और पूरे दिन पेट दर्द, गैस बनी रहती है. अक्सर लोग सवाल करते हैं कब्ज को कैसे दूर करें, पेट साफ करने के लिए क्या करें, कब्ज से छुटकारा कैसे पाएं? आज हम आपको एक आसान उपाय बताएंगे जो आपकी रसोई में उपलब्ध सामग्री के इस्तेमाल से पेट की समस्याओं का समाधान कर सकता है. इसके लिए बस आपको आटा गूंथने से पहले इसमें एक खास चीज मिलानी होगी.
कब्ज से निजात के लिए आटा गूंथने में क्या मिलाएं?
जब आप आटा गूंथने जा रहे हों, तो उसमें एक चम्मच अलसी (फ्लैक्ससीड) का पाउडर मिला सकते हैं. अलसी में घुलनशील फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जो आपके पाचन तंत्र को साफ करने में मदद करती है. यह आपके पेट को हल्का महसूस कराती है और आंतों की सफाई में भी कारगर साबित होती है.
पेट साफ करने में अलसी का फायदे
फाइबर से भरपूर: अलसी में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो पाचन को सुधारते हैं और मल त्याग को सुगम बनाते हैं.
ओमेगा-3 फैटी एसिड: इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर में सूजन को कम करता है और पाचन प्रक्रिया को सुचारु बनाए रखने में मदद करता है.
डिटॉक्सिफिकेशन: अलसी का पाउडर आंतों की सफाई करके शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है.
वजन कम करने में सहायक: अलसी का सेवन करने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है, जिससे अनावश्यक खाने की आदत कम हो सकती है.
आटा गूंथने की विधि:
    एक कटोरी गेहूं का आटा लें और उसमें एक चम्मच अलसी का पाउडर डालें.
    अच्छे से मिलाएं, ताकि अलसी का पाउडर आटे में समान रूप से मिक्स हो जाए.
    अब इसमें जरूरत के अनुसार पानी डालकर आटा गूंथ लें.
    इस आटे की रोटी बनाकर सुबह के नाश्ते में या दोपहर के भोजन में खाएं.
इसके अन्य फायदे
अलसी का सेवन न सिर्फ पेट की समस्याओं को दूर करता है, बल्कि यह कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल करने में मददगार है.
ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को भी फायदा हो सकता है.
त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर के टॉक्सिन्स को दूर करते हैं.
सावधानियां:
    अगर आप अलसी का सेवन पहली बार कर रहे हैं, तो थोड़ी मात्रा में शुरू करें और फिर धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं.
    बहुत ज्यादा मात्रा में सेवन से डायरिया जैसी समस्या हो सकती है, इसलिए इसका सेवन सही मात्रा में करें.
    गर्भवती महिलाएं और दूध पिलाने वाली माताएं अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें.
आटा गूंथने में अलसी का पाउडर मिलाकर न सिर्फ आपके खाने का न्यूट्रिशन लेवल बढ़ाता है, बल्कि इससे आपकी आंतों की सफाई भी होती है. यह एक सहज और प्राकृतिक तरीका है जो पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मददगार हो सकता है. अगले दिन से ही आप महसूस करेंगे कि आपका पेट सुबह-सुबह आसानी से साफ हो रहा है और पाचन तंत्र पहले से बेहतर हो गया है.

टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / त्योहारों का सीजन आते ही बाजारों में चहल पहल और रौनक बढ़ गई है. साथ ही मिलावटी और नकली सामान बेचने वाले भी सक्रिय हो गए हैं. दीपावली के त्योहार में घर पर बहुत सी मिठाइयां बनाई जाती हैं और इन्हें बनाने में बादाम का इस्तेमाल भी किया जाता है. अगर आप बाज़ार से बादाम लेने जा रहे हैं, तो पहले चेक करें कि जो बादाम आप ले रहे हैं वह असली है भी या नहीं?
आजकल बाजार में नकली और केमिकल युक्त बादाम बेचे जा रहे हैं. बादाम का इस्तेमाल कई प्रकार की मिठाइयों में किया जाता है लेकिन अगर हम मिलावटी या नकली बादाम का इस्तेमाल मिठाइयों को बनाने में करें तो इसका दुष्परिणाम हमारी सेहत पर पड़ सकता है. इसलिए यह जानना बेहद ज़रूरी है कि जिस बादाम को हम इस्तेमाल कर रहे हैं वह असली है या नहीं.
कैसे करें असली-नकली बादाम में पहचान
कर रहे ब्लीचिंग
कारोबारी घटिया किस्म के बादाम को अच्छी क्वालिटी का दिखाने के लिए इसमें हानिकारक रंग और ब्लीचिंग एजेंटों का इस्तेमाल करते हैं. जो बेहद हानिकारक हो सकते हैं और इससे कई प्रकार की बीमारियां भी हो सकती हैं. तो चलिए जानते हैं कि असली और नकली बादाम की पहचान कैसे की जा सकती है.
ऐसे पहचाने नकली बादाम
असली या नकली बादाम की पहचान करने के लिए पानी का उपयोग किया जा सकता है. बादाम की पहचान करने के लिए उसको एक साफ बर्तन में रख लें और उसमें इतना पानी डालें की बादाम पूरी तरह से उसमें डूब जाएं और इस बर्तन को रात भर के लिए ऐसे ही छोड़ दें.
अब दूसरे दिन सुबह बादाम को पानी से निकाल लें और उसका छिलका उतारें प्राकृतिक और असली बादाम का छिलका आसानी से उतर जाता है और उसके नीचे सफेद रंग का बादाम नजर आएगा. अब पानी को चेक करें अगर पानी हल्का मटमैला या साफ दिखाई देता है तो आपका बादाम प्राकृतिक और एक दम असली है लेकिन इसके उलट अगर पानी का रंग भूरा हो जाता है तो यह बादाम मिलावटी है.
कौन सा केमिकल मिलाते हैं?
ब्लीचिंग के लिए हाइड्रोजन पेरोक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है. ये केमिकल पानी के साथ मिलकर रिएक्शन करता है. जिसके कारण जब पानी में नकली बादाम भिगोए जाते हैं तो पानी का रंग भूरा या हल्का पीला हो जाता है. पानी में जब ब्लीचिंग एजेंट मिलते हैं, तो वे अवशेष छोड़ते हैं जिससे पानी का रंग बदल देते हैं. ये संकेत हैं कि इसमें केमिकल का इस्तेमाल किया गया है. वहीं जो बादाम असली होते हैं उनमें प्राकृतिक तेल होता है. जिससे पानी का रंग नहीं बदलता.
नकली या मिलावटी बादाम से होने वाले नुकसान
1. हो सकती है एलर्जी
अगर आप नकली बादाम का सेवन करते हैं तो आपको एलर्जी की समस्या हो सकती है. जिससे आपके शरीर में दाने आना या फिर खुजली जैसी परेशानी देखने को मिल सकती है.
2. बिगड़ सकता है डाइजेशन
अगर आप मिलावटी बादाम का सेवन करते हैं तो इससे आपकी इंटेस्टाइन पर लेयर बन सकती है. जिससे आपको डाइजेशन से जुड़ी परेशानी हो सकती है. यहां तक कि आपको उल्टी, दस्त और मतली जैसी समस्या हो सकती है.
3. बढ़ सकता है टॉक्सिन
अगर आप लंबे समय तक मिलावटी बादाम का सेवन करते हैं तो आपके शरीर में टॉक्सिन लेवल बढ़ सकता है. जिससे आपके लीवर और किडनी खराब हो सकते हैं साथ ही आपके शरीर के हार्मोन्स का संतुलन भी बिगड़ सकता है. यहां तक कि इसमें इस्तेमाल होने वाले केमिकल से आपको कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है.
4. घट सकती है इम्यूनिटी
अगर आप नकली और मिलावटी बादाम का सेवन करते हैं तो इसका बुरा असर आपके इम्यून सिस्टम पर दिखाई देता है. जिसके कारण आप जल्द ही मौसमी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है. इस दिन मासिक कृष्टाष्टमी भी मनाई जाती है. आपको बता दें कि कालाष्टमी को भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है. यह उपवास करने से जातक सभी प्रकार के कष्ट और संकट से दूर रहते हैं. इससे जीवन में सुख-शांति भी बनी रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं कार्तिक माह की कालाष्टमी की तिथि एवं शुभ मुहूर्त क्या है.
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त -
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी जिसका समापन 25 अक्टूबर देर रात 01 बजकर 58 पर है.
आपको बता दें कि कालाष्टमी पर निशा काल में भैरव देव की पूजा की जाती है. ऐसे में 24 अक्टूबर को कार्तिक माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी.  
इस दिन अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. मान्यता है इन तीनों मुहूर्तों में पूजा करने से आपको सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी.
कालाष्टमी का पंचांग अक्टूबर 2024
इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 28 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 42 मिनट पर. जबकि चंद्रोदय रात 11 बजकर 55 मिनट पर. वहीं, चंद्रास्त- दिन 01 बजकर 25 मिनट पर. इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 46 मिनट से 05 बजकर 37 मिनट तक होगा.
मुहूर्त कब कौन सा?
विजया मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 08 मिनट तक और निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / आस्था का महापर्व छठ हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है. छठ पूजा की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इस कठिन व्रत को महिलाएं घर की खुशहाली और संतान की सलामती के लिए रखती हैं. इसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठी और डाला छठ जैसे नामों से भी जाना जाता है. छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है. हालांकि, इस साल छठ पूजा की तिथि  को लेकर एकबार फिर उलझन की स्थिति बन रही है. ऐसे में यहां जानिए किस दिन होगा नहाय खाय और खरनाऔर कब की जा सकेगी छठ पूजा.
छठ पूजा कब है |
हर साल छठ पूजा दिवाली से 6 दिन बाद की जाती है. पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर की देररात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 8 नवंबर की देररात 12 बजकर 34 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में 7 नवंबर, गुरुवार के दिन ही संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा और सुबह का अर्घ्य अगले दिन 8 नवंबर को दिया जाना है.
नहाय-खाय कब होगा
इस साल नहाय-खाय 5 नवंबर, मंगलवार के दिन होगा. पंचांग के अनुसार, नहाय खाय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थि तिथि पर किया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान और ध्यान के बाद सूर्य देव की पूजा करती हैं.
खरना कब है
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर खरना मनाया जाता है. खरना के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और छठी मैया की पूजा में लीन रहती हैं. इस साल खरना 6 नवंबर, बुधवार के दिन है.
डुबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना
7 नवंबर के दिन छठ पूजा का तीसरा दिन है जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसकी अगली सुबह 8 नवंबर, शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाना है. इसके साथ ही छठ पूजा की समाप्ति हो जाएगी.

 आस्था /शौर्यपथ /बेलपत्र भगवान शिव को अतिप्रिय है. इसके बिना भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है. हिंदू धर्म में बेल के पेड़  का अत्यंत महत्व है. धार्मिक तौर पर ही नहीं सेहत के लिए भी यह काफी अहम माना जाता है. बेलपत्र ही नहीं इस पेड़ की छाल, जड़, फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. माना जाता है कि इस पेड़ से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और समृद्धि आती है. मान्यता है कि जिस घर में बेल का पेड़ होता है वहां भोलेनाथ  की विशेष कृपा बनी रहती है और मां लक्ष्मी भी वास करती हैं जिससे कभी भी दुख या पैसों की कमी नहीं होती है. हालांकि, इसे घर की सही दिशा में ही लगाना चाहिए ताकि शुभ प्रभाव मिल सके. यहां जानिए बेलपत्र लगाने के लिए वास्तु के अनुसार कौनसी दिशा सही है.
घर की किस दिशा में लगाएं बेल का पेड़
वास्तु शास्त्र के मुताबिक बेल का पौधा हमेशा घर की उत्तर या पश्चिम दिशा (West Direction) में लगाना चाहिए. इससे समस्याएं घर में नहीं आ पाती हैं और पहले से चल रही समस्याएं भी खत्म हो सकती हैं. इतना ही नहीं घर के चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा बनी रहतr है, बुरी शक्तियां नहीं आ पाती हैं, घर के सदस्य ऊर्जावान रहते हैं और मानसिक शांति बनी रहती है. बेल का पेड़ तांत्रिक बाधाओं को भी दूर रखता है. इससे परिवार सुरक्षित रहता है और चंद्र दोष से भी मुक्ति मिलती है.
बेलपत्र ना तोड़ने का समय
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर किसी को भी बेलपत्र तोड़ने से बचना चाहिए. सोमवार के दिन भी इसे न तोड़ें. बेलपत्र (Bel Patra) तोड़ते समय ध्यान दें कि इसे कभी भी टहनी के साथ न तोड़ें.
बेल का महत्व
    बेल का पेड़ दिव्य पेड़ माना जाता है. हिंदू धर्म में इसे लेकर कई मान्यताएं हैं.
    घर में बेल का पेड़ लगाना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है.
    हिंदू ही नहीं जैन धर्म में भी बेलपत्र के पेड़ का महत्व है.
    भगवान शिव बेलपत्र चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं. इसलिए बेलपत्र जब भी तोड़ने जाएं, शिवजी का ध्यान लगाकर ही तोड़ें
    बेल की तासीर ठंडी होती है इसलिए यह पेट के लिए फायदेमंद माना जाता है और गर्मियों में लू से बचाता है.

मनोरंजन /शौर्यपथ / सोशल मीडिया के इस जमाने में बॉलीवुड सेलिब्रिटीज से जुड़ी छोटी से छोटी बात उनके फैंस तक बेहद आसानी से पहुंचती रहती है. कई बार तो सेलिब्रिटीज खुद अपने बारे में अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपडेट देते हैं, तो कई बार अन्य स्रोतों से जानकारी फैंस तक पहुंच जाती है. इसी तरह से कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के बचपन की तस्वीरें भी सोशल मीडिया में अचानक सामने आ जाती हैं और उन्हें देख कर उनके फैंस के लिए उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. ऐसे ही एक मशहूर बॉलीवुड डायरेक्टर के बचपन की फोटो इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें उन्हें पहचानना किसी चैलेंज से कम नहीं है.
फोटो में आप एक बच्चे को देख सकते हैं, जिसमें वह अपनी मां की गोद में नजर आ रहा है. यह बच्चा कैमरे की तरफ देख बड़े ही प्यार से मुस्कुरा रहा है. आपको बता दें यह बच्चा आज के टाइम में बॉलीवुड के सक्सेसफुल डायरेक्टर्स में से एक हैं. इनके साथ आलिया भट्ट, शाहरुख खान, सलमान खान से लेकर अमिताभ बच्चन तक काम कर चुके हैं. अगर अब भी आप इन्हें नहीं पहचान पाए तो बता दें कि यह बच्चा कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर करण जोहर हैं. करण जोहर की ये फोटो बहुत ही क्यूट है.
गौरतलब है कि करण जोहर पिछले कई सालों से बॉलीवुड में सक्रिय हैं और उनके नाम का डंका अब तक बज रहा है. करण जोहर ने बॉलीवुड की कुछ बेहतरीन फिल्मों जैसे कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम, ए दिल है मुश्किल, स्टूडेंट ऑफ़ द इयर आदि को डायरेक्ट किया है. तो कैसी लगी आपको करण जोहर के बचपन की ये फोटो? हमें कमेंट कर जरूर बताएं.

  सेहत टिप्स /शौर्यपथ / रोज सुबह खाली पेट बादाम खाने से शरीर पूरा दिन एनर्जेटिक रहता है. इससे शरीर की ताकत बढ़ाने में मदद मिलती है, क्योंकि इसमें प्रोटीन , फाइबर, विटामिन E, और गुड फैट्स होते हैं. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स बादाम को डाइट का हिस्सा बनाने की सलाह देते हैं  वहीं, जो लोग बहुत ज्यादा दुबले-पतले शरीर के हैं, वो बादाम खाने के तरीके में बदलाव करके अपने शरीर की ताकत दोगुनी कर सकते हैं.
दीवाली के दिन करें ये एक काम चेहरे पर आ जाएगा इंस्टेंट ग्लो
पहला तरीका
भिगोकर खाएं
बादाम को रातभर पानी में भिगोकर रखें और सुबह खाली पेट इन्हें खाएं. इससे बादाम में मौजूद एंजाइम्स एक्टिव हो जाते हैं, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है और पाचन भी आसान होता है. भिगोकर बादाम खाने से शरीर में ऊर्जा का संचार बेहतर होता है और मांसपेशियों की ताकत भी बढ़ती है.
दूसरा तरीका
बादाम और शहद -
तीसरा तरीका
बादाम और दूध -
रात में 5 से 6 बादाम को पानी में भिगोकर रखें और सुबह इन्हें चबाकर पीने के बाद एक गिलास गर्म दूध पीएं. इससे शरीर को शक्ति और स्टेमिना मिलती है.
चौथा तरीका
बादाम का पेस्ट -
बादाम को पीसकर पेस्ट बना लें और इसे एक गिलास दूध में डालकर पिएं. इस मिश्रण से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है और मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है.
पांचवां तरीका
बादाम और फल -
बादाम को किसी फल जैसे केला, सेब या स्ट्रॉबेरी के साथ खाएं. इससे शरीर को विटामिन, मिनरल और फाइबर का अच्छा स्रोत मिलता है.
जरूरी बातें -
ज्यादा बादाम खाने से शरीर में कैलोरी बढ़ सकती है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही खाएं. अगर आपको बादाम से एलर्जी है, तो खाने से बचें. इन तरीकों से आप अपने शरीर को शक्ति और ऊर्जा दे सकते हैं.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / लौकी एक ऐसी सब्जी है जिसका नरम स्वाद हर किसी को भाता है. इसमें विटामिन सी, बी और के के साथ-साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक जैसे खनिज भी पाए जाते हैं, जो आपके शरीर के जरूरी पोषक तत्व हैं. इससे आपकी स्किन से लेकर मेटाबॉलिज्म को फायदा पहुंचाता है. लेकिन क्या आपको पता है इस सब्जी के साथ क्या नहीं खाना चाहिए? अगर आपका जवाब नहीं है, तो हम यहां पर उन फूड्स के बारे में बताने वाले हैं जिनका कॉन्बिनेशन इस सब्जी के साथ सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.
लौकी के साथ क्या नहीं खाना चाहिए -
लौकी के साथ फूलगोभी का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे गैस की परेशानी हो सकती है. जिन लोगों को पेट की समस्या है उन्हें लौकी के साथ बंदगोभी और ब्रोकली भी खाने से बचना चाहिए.
वहीं, आप करेला का भी सेवन नहीं कर सकते हैं. इससे आपको उल्टियां हो सकती हैं, नाक से खून आ सकता है और चक्कर की भी परेशानी हो सकती है.
इस सब्जी के साथ खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए . इससे पेट में मरोड़ और दर्द की समस्या बढ़ सकती है. डेयरी प्रोडक्ट्स भी खाने से बचना चाहिए, यह भी आपके लिए पेट से जुड़ी दिक्कतें पैदा कर सकता है. इसके अलावा चुकंदर का भी सेवन लौकी के साथ नहीं करना चाहिए, इससे चेहरे पर दाने उभऱ सकते हैं.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / सर्दियों के मौसम में मूंगफली खाना भला किसे पसंद नहीं है. गर्मागरम मूंगफली को कोई नमक के साथ खाना पसंद करता है तो कोई गुड़ के साथ. मूंगफली एक बहुत ही पौष्टिक और फायदेमंद फूड है. ये सिर्फ स्वाद को बढ़ाने ही नहीं सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है. आपको बता दें कि मूंगफली में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मददगार हैं. अगर आप मसल्स को बढ़ाना चाहते हैं तो मूंगफली प्रोटीन का एक अच्छा सोर्स बन सकता है. तो चलिए जानते हैं किन लोगों को और क्यों करना चाहिए मूंगफली का सेवन.
इन लोगों को जरूर खाना चाहिए मूंगफली-
1. प्रोटीन-
मूंगफली में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, जो मांसपेशियों के विकास और मरम्मत के लिए आवश्यक है.
2. दिल-
मूंगफली में मोनोसैचुरेटेड फैट और पॉलीसैचुरेटेड फैट होते हैं, जो दिल के लिए अच्छे होते हैं.
3. वजन घटाने-
मूंगफली में फाइबर और प्रोटीन होते हैं, जो भूख को कंट्रोल करते हैं और लंबे समय तक पेट को भरा रखने का एहसास कराते हैं.
4. मस्तिष्क-
मूंगफली में विटामिन बी3 (नियासिन) और रेस्वेराट्रोल होता है, जो मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ावा दे सकते हैं.
5. एनर्जी-
मूंगफली में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर को क्विक एनर्जी देने में मददगार हैं.
6. पाचन-
मूंगफली में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार है.
7. हड्डियों-
मूंगफली में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे खनिज होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बना सकते हैं.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / करवाचौथ व्रत विवाहित स्त्रियों के लिए बहुत खास होता है. यह उपवास प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रदर्शन करके पति के हाथों पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं. इस साल यह व्रत 20 अक्तूबर को है. करवा चौथ का त्योहार सामूहिक रूप से मनाने की परंपरा है. इस दिन महिलाएं एक-दूसरे के घर इकट्ठा होती हैं, फिर विधि-विधान के साथ करवा माता की पूजा करती हैं. आपको बता दें कि करवाचौथ के व्रत में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व होता है जिसके बारे में हम इस आर्टिकल में बात करने वाले हैं.
करवाचौथ पर सोलह सिंगार का महत्व
बिंदी- सुहागिन महिलाओं के लिए कुमकुम का विशेष महत्व होता है. यह गुरु के बल को बढ़ाती है.
सिंदूर - सिंदूर से मांग भरने से पति की आयु लंबी होती है. इसलिए महिलाएं पूरी मांग भरती हैं.
काजल- वहीं, आंखों में काजल लगाने से मंगलदोष दूर होता है.
मेहंदी - इसके अलावा मेहंदी हाथों की सुंदरता को बढ़ाती है. कहते हैं जितनी चटक मेहंदी चढ़ती है पति उतना प्यार करता है.
चूड़ियां - यह भी सुहाग का प्रतीक होती है. लाल और हरे रंग की चूड़ी पहनने से सुख समृद्धि आती है.
मंगलसूत्र - मंगलसूत्र भी सुहाग का प्रतीक माना जाता है. इसके काले मोती बुरी नजरों से दूर रखते हैं.
नथ - वहीं, सोलह श्रृंगार में नथ का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है. इससे सुंदरता में चार चांद लग जाता है और बुझ दोष दूर होता है.
गजरा- इसके अलावा गजरा आपकी सुंदरता को बढ़ाता है और इसकी सुगंध जीवन में सकारात्मकता लाती है.
मांग टीका - यह माथे के बीचो-बीच पहना जाता है. यह सादगी से जीवन बिताने का प्रतीक होता है.
झुमके - वहीं, कान में बालियां टॉप्स राहु और केतु का दोष दूर करती हैं.
बाजूबंद - इसका भी विशेष महत्व होता है. इससे परिवार धन समृद्धि की रक्षा होती है.
कमरबंद - यह इसबात का प्रतीक होता है कि अब आप ही घर की मालकिन हैं. यह साड़ी को भी संभालकर रखता है.
बिछिया - वहीं, यह पहनने से शनि और सूर्य का दोष दूर होता है.
पायल - पायल चांदी की ही पहनी जाती है.
अंगूठी - यह विवाह सूत्र में बंधने की निशानी होती है.
स्नान - आपको बता दें कि सिंगार का पहला चऱण स्नान होता है. नहाने के पानी में शिकाकाई, भृंगराज, आवंला, उबटन जैसी सामग्रियों को मिलाते हैं.

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