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लखीमपुर खीरी / एजेंसी / उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार की हिंसा में मारे गए लोगों में 19 वर्ष का एक किसान भी था. मौत के क्षणों में लवप्रीत सिंह ने अपने अस्पताल के बेड से पिता को बुलावा भेजा और जल्दी आने की गुहार लगाई. हालांकि जब तक परिवार पहुंच पाता, देर हो चुकी थी. लवप्रीत और तीन अन्य किसान रविवार को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की यात्रा के दौरान विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में मारे गए 8 लोगों में शामिल हैं. मंत्री के काफिले में शामिल एक कार ने चार किसानों को कुचल दिया था.
किसानों का आरोप है कि कार को 'मंत्रीजी' का बेटा, आशीष मिश्रा चला रहा था. यूपी पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज किया है. ताबूत में रखे शव के बगल में फफककर रोते हुए आज लवप्रीत के परिवार ने ऑटोप्सी रिपोर्ट और आशीष मिश्रा के खिलाफ हुई एफआईआर की कॉपी दिए जाने तक अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया.
लवप्रीत के पिता ने कहा, 'मेरा बेटा कार के नीचे कुचला गया ...इन्होंने इसके लिए जिम्मेदार शख्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है.' लवप्रीत की दो बहने अपने इकलौत भाई की मौत से सदमे की सी स्थिति में हैं. लवप्रीत यह कहते हुए घर से निकला था कि वह अच्छे काम के लिए बाहर जा रहा है. लवप्रीत के पिता ने बताया, 'जब वे उसे अस्पताल लेकर गए तो उसने फोन किया. मैंने पूछा-बेटा तुम कैसे हो तो उसने कहा-पापा मैं ठीक हूं, कृपया जल्दी आइए. मैंने कहा कि हम रास्ते में है लेकिन जब हम लखीमपुर खीरी पहुंचे, उसकी मौत हो चुकी थी. '
नई दिल्ली / एजेंसी / लखीमपुर हिंसा को लेकर सरकार ने किसानों की सारी शर्तें मान ली हैं, लेकिन गुनहगारों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है. किसानों ने भी सोमवार को सरकार के साथ सुलह के बाद अपना आंदोलन खत्म कर दिया था, लेकिन सवाल ये है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी आरोपी आजाद कैसे घूम रहे हैं. इस हादसे में चार किसानों को गाड़ी से कुचल मार डाला गया, जबकि कई जख्मी हो गए. हादसे में जख्मी किसान नेता तजिंदर विर्क गंभीर हालत में मेदांता अस्पताल में भर्ती है. जहां उनका इलाज चल रहा है.
लखीमपुर में किसानों के प्रदर्शन को बुलाने वाले किसान नेता तजिंदर विर्क ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि ये हमें मारने की साजिश रची गई थी. विर्क ने हादसे का आँखों देखा हाल बताते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने बयान दिया था कि वो किसानों को लखीमपुर में क्या यूपी में नहीं रहने देंगे. अजय मिश्रा के इसी बयान के खिलाफ हम प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान हम लगातार एसपी और डीएम के संपर्क में थे.
विर्क ने बताया कि वहां यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य आ रहे थे तो हम लोग रास्ते में काले झंडे दिखाने के लिए खड़े थे. फिर 3 बजे के करीब हमें बताया गया कि रूट बदल दिया गया है. हम लोग शांतिपूर्ण तरीके से वापस जाने लगे. अचानक से पीछे से बहुत तेज रफ्तर में गाड़ियों आईं और हमें पीछे से टक्कर मारी. वापस जा रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई और उस गाड़ी में अजय मिश्रा का बेटा और उसके लोग सवार थे. उसके बाद मुझे कुछ होश नहीं था.
साथ ही उन्होंने बताया कि गाड़ी की रफ़्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा थी. हमें जानबूझकर कर पीछे से टक्कर मारी गई. हमारा पूरा आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था. हमारी तरफ से पहले कोई लाठी या पत्थर नहीं चलाया गयाा था. आक्रोशित भीड़ ने बाद में उन पर हमला कर दिया. हमारे ही लोगों ने कुछ लोगों को बचाया और पुलिस के हवाले किया. पुलिसवाले वहां मौजूद थे. मैं इमानदारी से गवाही देने को तैयार हैं.
किसान नेता ने कहा कि 72 घंटे हो गए हैं लेकिन अभी तक अजय मिश्रा की गिरफ्तारी नहीं हुई है. अजय मिश्रा को मंत्री पद से हटाया जाए. मैं सभी किसानों से अपील करता हूं कि शांति बनाए रखें. योगी सरकार की पुलिस ही हमलावरों की मदद कर रही है. बिना किसी हिंसा के हम लोग शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखेंगे.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / NEET-PG सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 में आखिरी मौके पर बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर नाराजगी जताई है. केंद्र सरकार के परीक्षा दो महीने टालने के नए प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने नामंजूर किया. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को बुधवार को फिर से विचार कर आने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि या तो सरकार खुद पुराने पैटर्न पर परीक्षा कराए वरना कानून के हाथ लंबे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिरी वक्त में परीक्षा पैटर्न में बदलाव तार्किक होना चाहिए. सरकार के कदम से संदेश मिल रहा है कि मेडिकल पेशा एक बिजनेस बन गया है. .मेडिकल शिक्षा एक बिजनेस बन गई है.हम भविष्य के लिए योजना नहीं बनाते, यही समस्या है.आखिरी वक्त में पैटर्न बदलने की जरूरत क्या है? सरकार नया पैटर्न ला सकती है ये उसके डोमैन में है लेकिन ये अगले साल ये लागू हो.
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'आपको उन्हें कुछ समय देने की जरूरत है, बदलाव करने की क्या जल्दी है? सरकार को छात्रों के लिए कुछ चिंता करनी चाहिए. इन छात्रों ने इतने लंबे समय से तैयारी की है.जिस दिन से वे MBBS में शामिल होते हैं, उनका लक्ष्य सुपरस्पेशलिटी में जाने का होता है.वे लगातार अध्ययन करते हैं और प्रतिबद्ध हैं.अब आप कह रहे हैं कि परीक्षा दो महीने और टाल दी जाए.क्यों दो महीने और बर्बाद होने दें .ये छात्र इतने लंबे समय से तैयारी कर रहे हैं. ' जब केंद्र की ओर से उपस्थित एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केवल 41 छात्रों ने याचिका दायर की है जबकि पांच हजार छात्र परीक्षा में बैठते हैं तो जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले लोगों की संख्या कोई मायने नहीं रखती.जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन 41 के पास कोई विकल्प नहीं है. यह उनके जीवन और करियर का मामला है .उन्हें भी अंततः परीक्षा में शामिल होना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को बुधवार तक का समय दिया है.
इससे पहले नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि NEET-PG सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 के परीक्षा पैटर्न को छात्रों के लिए अधिक लचीलापन लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए बदला गया था कि ये टेस्ट उन पाठ्यक्रमों के आधार पर किया जाए जिन्हें वे पहले से जानते हैं. NBE ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि संशोधित पैटर्न यह भी सुनिश्चित करेगा कि सुपर स्पेशियलिटी सीटें खाली न रहें. PG डॉक्टरों को संशोधित पैटर्न के अनुसार तैयारी के लिए अधिक समय देने के लिए, NBE ने परीक्षाओं को दो महीने के लिए टालने का प्रस्ताव दिया है. सुप्रीम कोर्ट से नवंबर 13/14 की बजाए 10-11 जनवरी, 2022 को आयोजित करने की अनुमति मांगी है. पिछली सुनवाई में NEET PG सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 (NEET PG Super-Speciality exam 2021) के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी.अदालत ने केंद्र से कहा था कि युवा डॉक्टरों के साथ 'सत्ता के खेल में फुटबॉल' की तरह बर्ताव बंद हो. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाने और जवाब देने को कहा था.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में रविवार को हुई हिंसा में किसानों की मौत को लेकर सियासत जारी है. इस मामले में यूपी सरकार ने किसानों की सारी मांगें मान ली हैं. यूपी पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है. इस पर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कहा कि बुधवार तक अगर केंद्रीय मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी नहीं हुई तो पंजाब कांग्रेस लखीमपुर खीरी तक मार्च करेगी. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को रिहा करने के लिए भी कहा है.
सिद्धू ने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'किसानों की हत्या के पीछे जिस केंद्रीय मंत्री के बेटे का हाथ है, उसे बुधवार तक गिरफ्तार नहीं किया गया और किसानों के हक में लड़ रहीं गैरकानूनी रूप से गिरफ्तार की गईं हमारी नेता प्रियंका गांधी को रिहा नहीं किया गया तो पंजाब कांग्रेस लखीमपुर खीरी तक मार्च करेगी.'
बता दें, सोमवार को भी इस घटना के खिलाफ सिद्धू ने पार्टी के कई विधायकों के साथ चंडीगढ़ में राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया था. सिद्धू, मदनलाल जलालपुर, गुरप्रीत सिंह समेत कांग्रेस के अन्य विधायक और पंजाब युवा कांग्रेस के कई सदस्य राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के आवास के बाहर धरने पर बैठ थे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ नारेबाजी की थी. उन्होंने लखीमपुर खीरी में हुई घटना में कथित संलिप्तता के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे की गिरफ्तारी की मांग की थी.
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को सोमवार को यूपी सरकार ने लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया, जबकि उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और कांग्रेस के कुछ विधायकों को हरियाणा-उत्तर प्रदेश सीमा के पास रोकने के बाद उन्हें ‘हिरासत' में ले लिया गया था.
बता दें, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. इस हादसे में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद पूरे देश में किसानों ने प्रदर्शन किया था. वहीं, सभी पार्टियों के नेताओं ने लखीमपुर पहुंचने की कोशिश की, लेकिन यूपी सरकार ने किसी भी नेता को वहां नहीं पहुंचने दिया.
अहमदाबाद / एजेंसी / भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को गांधीनगर नगर निगम (जीएमसी) में अपनी सत्ता बरकरार रखी और दो अन्य नगर निकायों में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने भगवा पार्टी से देवभूमि-द्वारका जिले में भानवड नगरपालिका को छीन लिया. जीएमसी में भाजपा ने सुबह नौ बजे मतगणना शुरू होने के बाद से ही बढ़त बना ली थी और अंत में प्रतिद्धंद्वी कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी (आप) को बड़े अंतर से शिकस्त दी. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हाल में राज्य में अचानक मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट को बदले जाने के बाद जीएमसी चुनाव को भाजपा की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था. पार्टी ने इस साल फरवरी में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में भी जीत हासिल की थी.
राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) की ओर जारी अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, जीएमसी की कुल 44 सीटों में से भाजपा ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस को दो और आप को एक सीट मिली है. तीन अन्य नगर पालिकाओं- देवभूमि-द्वारका जिले के ओखा और भानवड और बनासकांठा जिले की थारा नगरपालिका के लिए भी मतगणना हुई. मतगणना के बाद एसईसी द्वारा जारी अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा ने थारा की 24 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि चार सीटें कांग्रेस को मिली हैं. वहीं भाजपा ने ओखा नगरपालिका की 36 में से 34 सीटें जीत कर अपनी सत्ता बरकरार रखी जबकि शेष दो सीटें कांग्रेस के खाते में गईं. हालांकि भानवड में भाजपा को झटका लगा है जहां कांग्रेस ने 24 में से 16 सीटें जीतीं है और भगवा दल को सिर्फ आठ सीटें मिली हैं. भानवड पर भाजपा का 1995 से कब्जा था.
जीएमसी और तीन अन्य नगरपालिकाओं के लिए मतदान रविवार को हुआ था. इसके अलावा, विभिन्न अन्य स्थानीय निकायों की 104 रिक्त सीटों पर प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए उपचुनाव भी उसी दिन हुए थे. गांधीनगर में कुल 2.8 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से 56.24 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. ओखा और भानवड में क्रमश: 55.07 और 62.27 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि थारा में 73.55 फीसदी वोट डाले गए. गांधीनगर में, पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों भाजपा और कांग्रेस के अलावा आप ने भी काफी जोर लगाया था. जीएमसी चुनाव में कुल 161 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. भाजपा और कांग्रेस ने सभी 44 सीटों पर और आप ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
2016 के जीएमसी चुनावों में, उस वक्त की 32 सीटों में से कांग्रेस और भाजपा दोनों ने 16-16 सीटें जीती थीं. तब दोनों पार्टियों के पास ड्रॉ के माध्यम से बोर्ड बनाने की समान संभावना थी लेकिन आखिरी समय में, कांग्रेस पार्षद प्रवीण पटेल ने पाला बदल लिया और भाजपा को नगर निकाय में सत्ता में आने में मदद की. यह चुनाव इस साल अप्रैल में होने थे, लेकिन कोविड-19 के अधिक मामलों को देखते हुए इसे स्थगित कर दिया गया था.
रायपुर । शौर्यपथ । लखीमपुर हिंसा पीड़ितों से मिलने लखनऊ जाने की ऐलान कर चुके पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को लखनऊ में उतरने से रोक लगा दी गई है। योगी सरकार मे आदेश देते हुए कहा कि इन्हें एयरपोर्ट पर उतरने नहीं दिया जाए।
लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों को लेकर विपक्ष मोदी-योगी सरकार पर पूरी तरह से हमलावर हो चुका है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी समेत कई नेता पीड़ित किसानों से मिलने के लिए लखीमपुर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। प्रियंका गांधी को जहां बीच रास्ते से गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव के घर के बाहर पुलिस का सख्त पहरा है।
इसके अलावा अब योगी सरकार ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लखनऊ में उतरने में पर रोक लगा दी। भूपेश बघेल ने इस रोक पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है- “उत्तरप्रदेश की सरकार मुझे राज्य में न आने देने का फरमान जारी कर रही है। क्या उत्तरप्रदेश में नागरिक अधिकार स्थगित कर दिए गए हैं? अगर धारा 144 लखीमपुर में है, तो लखनऊ उतरने से क्यों रोक रही है तानाशाह सरकार”?
इससे पहले रविवार को भूपेश बघेल ने किसानों की मौत पर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में किसानों के साथ जो वहशी व्यवहार हुआ वह अक्षम्य है। किसान हूं। किसान का दर्द समझता हूं। इन कठिन परिस्थितियों में उनके साथ खड़े होने के लिए कल सुबह लखीमपुर जाऊंगा।
वहीं सीएम योगी ने घटना पर दुख जताते हुए कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा- “मौके पर शासन द्वारा अपर मुख्य सचिव नियुक्ति, कार्मिक एवं कृषि, ए.डी.जी. कानून-व्यवस्था, आयुक्त लखनऊ तथा आई.जी. लखनऊ मौजूद हैं तथा स्थिति को नियंत्रण में रखते हुए घटना के कारणों की गहराई से जांच कर रहे हैं। घटना में लिप्त जो भी जिम्मेदार होगा, सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी”।
बता दें कि रविवार को लखीमपुर में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम के विरोध में किसान वहां प्रदर्शन करने पहुंचे थे। आरोप है कि इसी समय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी। जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में किसान और बीजेपी के कार्यकर्ता दोनों शामिल हैं।
शौर्य गाथा । शौर्य पथ ।
#स्वाधीनता_संग्राम की मार्मिक गाथा , नीरा आर्य (१९०२ - १९९८) की संघर्ष पूर्ण जीवनी:
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी |
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है -
5 मार्च 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के खेकड़ा नगर में एक प्रतिष्ठित व्यापारी सेठ छज्जूमल के घर जन्मी नीरा आर्य आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सिपाही थीं, जिन पर अंग्रेजी सरकार ने गुप्तचर होने का आरोप भी लगाया था।
इन्हें नीरा नागिनी के नाम से भी जाना जाता है। इनके भाई बसंत कुमार भी आजाद हिन्द फौज में थे। इनके पिता सेठ छज्जूमल अपने समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे, जिनका व्यापार देशभर में फैला हुआ था। खासकर कलकत्ता में इनके पिताजी के व्यापार का मुख्य केंद्र था, इसलिए इनकी शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता में ही हुई।
नीरा नागिन और इनके भाई बसंत कुमार के जीवन पर कई लोक गायकों ने काव्य संग्रह एवं भजन भी लिखे | 1998 में इनका निधन हैदराबाद में हुआ।
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था |
नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी।
आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई।
आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है -
‘‘मैं जब कोलकाता जेल से अंडमान पहुंची, तो हमारे रहने का स्थान वे ही कोठरियाँ थीं, जिनमें अन्य महिला राजनैतिक अपराधी रही थी अथवा रहती थी।
हमें रात के 10 बजे कोठरियों में बंद कर दिया गया और चटाई, कंबल आदि का नाम भी नहीं सुनाई पड़ा। मन में चिंता होती थी कि इस गहरे समुद्र में अज्ञात द्वीप में रहते स्वतंत्रता कैसे मिलेगी, जहाँ अभी तो ओढ़ने बिछाने का ध्यान छोड़ने की आवश्यकता आ पड़ी है?
जैसे-तैसे जमीन पर ही लोट लगाई और नींद भी आ गई। लगभग 12 बजे एक पहरेदार दो कम्बल लेकर आया और बिना बोले-चाले ही ऊपर फेंककर चला गया। कंबलों का गिरना और नींद का टूटना भी एक साथ ही हुआ। बुरा तो लगा, परंतु कंबलों को पाकर संतोष भी आ ही गया।
अब केवल वही एक लोहे के बंधन का कष्ट और रह-रहकर भारत माता से जुदा होने का ध्यान साथ में था।
‘‘सूर्य निकलते ही मुझको खिचड़ी मिली और लुहार भी आ गया। हाथ की सांकल काटते समय थोड़ा-सा चमड़ा भी काटा, परंतु पैरों में से आड़ी बेड़ी काटते समय, केवल दो-तीन बार हथौड़ी से पैरों की हड्डी को जाँचा कि कितनी पुष्ट है।
मैंने एक बार दुःखी होकर कहा, ‘‘क्याअंधा है, जो पैर में मारता है?’’‘‘पैर क्या हम तो दिल में भी मार देंगे, क्या कर लोगी?’’
उसने मुझे कहा था।‘‘बंधन में हूँ तुम्हारे कर भी क्या सकती हूँ...’’ फिर मैंने उनके ऊपर थूक दिया था, ‘‘औरतों की इज्जत करना सीखो?’’
जेलर भी साथ थे, तो उसने कड़क आवाज में कहा, ‘‘तुम्हें छोड़ दिया जाएगा,यदि तुम बता दोगी कि तुम्हारे नेताजी सुभाष कहाँ हैं?’’
‘‘वे तो हवाई दुर्घटना में चल बसे,’’ मैंने जवाब दिया, ‘‘सारी दुनिया जानती है।’’
‘‘नेताजी जिंदा हैं....झूठ बोलती हो तुम कि वे हवाई दुर्घटना में मर गए?’’ जेलर ने कहा।
‘‘हाँ नेताजी जिंदा हैं।’’
‘तो कहाँ हैं...।’’
‘‘मेरे दिल में जिंदा हैं वे।’’
जैसे ही मैंने कहा तो जेलर को गुस्सा आ गया था और बोले, ‘‘तो तुम्हारे दिल से हम नेताजी को निकाल देंगे।’’ और फिर उन्होंने मेरे आँचल पर ही हाथ डाल दिया और मेरी आँगी को फाड़ते हुए फिर लुहार की ओर संकेत किया...लुहार ने एक बड़ा सा जंबूड़ औजार जैसा फुलवारी में इधर-उधर बढ़ी हुई पत्तियाँ काटने के काम आता है, उस ब्रेस्ट रिपर को उठा लिया और मेरे दाएँ स्तन को उसमें दबाकर काटने चला था...लेकिन उसमें धार नहीं थी, ठूँठा था और उरोजों (स्तनों) को दबाकर असहनीय पीड़ा देते हुए दूसरी तरफ से जेलर ने मेरी गर्दन पकड़ते हुए कहा, ‘‘अगर फिर जबान लड़ाई तो तुम्हारे ये दोनों गुब्बारे छाती से अलग कर दिए जाएँगे...’’
उसने फिर चिमटानुमा हथियार मेरी नाक पर मारते हुए कहा, ‘‘शुक्र मानो महारानी विक्टोरिया का कि इसे आग से नहीं तपाया, आग से तपाया होता तो तुम्हारे दोनों स्तन पूरी तरह उखड़ जाते।’’ सलाम हैं ऐसे देश भक्त को। आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
नीरा आर्य आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सिपाही थी, जिन पर अंग्रेजी सरकार ने गुप्तचर होने का आरोप भी लगाया था। इनका जन्म खेकडा, उत्तर प्रदेश के एक धनी वैश्य परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सेठ छज्जूमल था। इनके जन्मदिवस पर इनके पिता ने खेकडा आर्य समाज का निर्माण करवाया था, जिसका भव्य भवन आज तक भी है। सरस्वती पुस्तकालय भी निर्मित हुआ था, जो अब नहीं है। मानवती आर्या, सरस्वती राजामणि और दुर्गा एवं युवक डेनियल काले संग इन्होंने नेताजी के लिए अंग्रेजों की जासूसी भी की। इन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अफसर अपने पति श्रीकांत रंजनदास की हत्या कर दी थी, इन्हें नेताजी की हार के बाद काला पानी ले जाया गया, जहां कठोर यातनाएं दी गई, अंतत: एक दिन यातनाओं से मरा समझकर समुद्र में फेंक दिया गया, लेकिन जारवा आदिवासियों ने इन्हें निकालकर बचा लिया और उनकी मदद से ये किसी तरह इंडोनेशिया पहुंच गई थी। काले पानी से जिंदा बचकर भाग निकलने वाली ये एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी हैं। आजादी के बाद इन्होंने हैदराबाद मुक्ति आंदोलन में भी भाग लिया और रामचंद्रराव वंदेमातरम, नरेंद्र नामक युवा समेत अनेक वीरों को प्रोत्साहित किया। आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की। करीब 100 वर्ष की उम्र में 1998 में इनका निधन हैदराबाद में हुआ।। ऐसी सभी वीरांगनाओं और वीरों को हृदय से साष्टांग नमन्।।
#संदर्भ:- 1. आजाद हिन्द फौज के गुमनाम सैनिक, मन्मथनाथ गुप्त, हिन्द पाकेट बुक्स, संस्करण, 1968
2. भूली बिसरी ऐतिहासिक कहानियां, सूर्या भारती प्रकाशन चावड़ी बाजार नई दिल्ली, संस्करण 2012
3. मेरी जेल डायरी, नीरा आर्या, हिन्द पाकेट बुक्स, संस्करण 1965
रायपुर / शौर्यपथ / राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने सिवनी जिले के ग्राम-चुरनाटोला में महान बलिदानी राजा अमर शहीद शंकरशाह व कुंवर रघुनाथ शाह के प्रतिमा का अनावरण किया। इस कार्यक्रम का आयोजन गोंड समाज महासभा मध्यप्रदेश द्वारा किया गया। राज्यपाल ने अमर शहीद शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को नमन किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह की अमर बलिदान गाथा हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है, जो हम सभी को राष्ट्र प्रेम की प्रेरणा देते है।
राज्यपाल ने कहा कि समाज के लिए एकजुट होकर प्रयास करें। इस समय कुछ विघटनकारी तत्व समाज को विघटित करने का प्रयास कर रहे हैं, धर्म, सम्प्रदाय, जाति के आधार पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं, उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि मैं भी स्वयं गोंड समाज से हूं। गोंडी भाषा को स्थान मिले और उसके विकास के लिए मैं हरसंभव प्रयास करूंगी। उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति का पूजक होता है। मेरा आग्रह है कि अपनी संस्कृति और परंपराओं को न भूलें। उन्होंने आदिवासियों के जमीन अधिग्रहण के समय शेयर होल्डर बनाने का भी सुझाव दिया।
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समाज में वीर नारायण सिंह, टंट्या भील, राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह जैसे अनेकों महानायक हैं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया है। इनमें से कई का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हो पाए और गुमनामी में खो गए। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर उन्हें याद किये जाने की आवश्यकता है। उनकी जानकारी नई पीढ़ियों को दी जानी चाहिए, ताकि अपने पूर्वजों के योगदान को जान सकें। सुश्री उइके ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष पद के तौर पर किए गए कार्यों की जानकारी दी।
राज्यपाल ने कहा कि अमर शहीद गोंड महाराजा शंकरशाह व कुंवर रघुनाथ शाह गढ़ा साम्राज्य के गोंडवाना शासक थे। यह भूमि शुरू से ही वीरों की भूमि रही है। राजा शंकर शाह अंग्रेजों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के विरुद्ध थे और अंग्रेजों से स्वतंत्रता चाहते थे। डलहौजी की हड़प नीति के बाद भारत में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि तैयार हो रही थी, जिसकी जानकारी राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को भी लग गई थी। पिता-पुत्र ने तत्कालिक परिस्थितियों में शक्तिशाली संगठन तैयार कर लिया और मध्य प्रांत में धीरे-धीरे उनके नेतृत्व में मोर्चा तैयार हो गया।
सुश्री उइके ने कहा कि राजा शंकर शाह ने मध्यप्रांत में बैठक बुलाकर अंग्रेजों से विद्रोह के लिए योजना बनाई। उसी समय गुप्तचरों के माध्यम से जबलपुर केंटोनमेंट छावनी के कमिश्नर को राजा शंकर शाह के योजना की भनक मिल गई और उन्होंने गढ़ा पुरवा में हमला बोल कर राजा शंकर शाह और रघुनाथशाह को गिरफ्तार कर लिया। इन पिता-पुत्र के समक्ष अंग्रेजों ने संधि की शर्त रखी और कहा कि शर्तें मानने के बाद इन उन्हें माफ कर दिया जाएगा। पिता-पुत्र ने इन शर्तों को स्वीकार नहीं किया फलस्वरूप उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई और 18 सितंबर 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। उन्होंने कहा कि जब उन्हें फांसी की सजा दी गई तब भी उनमें भय का कोई चिन्ह नहीं था। अंग्रेजों ने यह सोचा कि सार्वजनिक रूप से फांसी देने के पश्चात जनता में भय व्याप्त होगा, जबकि इसके उलट परिणाम हुए और पूरे मध्यप्रांत में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी। उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सका।
राज्यपाल ने कहा कि इस समय आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं। हम सभी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले नायकों को याद कर रहे हैं। ऐसे लोगों को भी याद करना चाहिए जिसका नाम किन्हीं कारणों से सामने नहीं आ पाया। हमें यह याद रखना चाहिए कि जब हमारा देश गुलाम था, तो उस समय हमारे पूर्वजों के समक्ष अनेक चुनौतियां थी। इसके बावजूद वे पथ से नहीं डिगे, उनका लक्ष्य था अंग्रेजों से मुक्ति दिलाना। फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, लेकिन आज हमारे समक्ष अलग प्रकार की कई चुनौतियां है। हमें इनका सामना करना चाहिए और एकजुट होकर राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना चाहिए।
इस अवसर पर केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, गोंड समाज महासभा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष श्री बी.एस.परतेती, पूर्व मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम, पूर्व विधायक श्री कमल मर्सकोले, श्री कौशल सिंह पोर्ते, श्रीमती कामनी शाह, श्री शोभाराम भलावी, श्री अमान सिंह पोर्ते, श्री श्याम सिंह मरकाम उपस्थित थे।
चंडीगढ़ / शौर्यपथ / पंजाब कांग्रेस में चल रहे लंबे सियासी ड्रामे के बाद आज चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री के तौर पर 11 बजे शपथ लेंगे. चरणजीत सिंह चन्नी चंडीगढ़ के पांच सितारा होटल से पंजाब प्रभारी हरीश रावत और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को अपनी गाड़ी में बिठाकर राजभवन के लिए निकले. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शपथ ग्रहण में शामिल होंगे. शपथ लेने से पहले चन्नी रूपनगर के एक गुरुद्वारे पहुंचे और माथा टेका. दलित सिख समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे. वह पंजाब के पहले दलित नेता हैं, जो राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे.
वहीं, सूत्रों के हवाले से खबर है कि पंजाब में उप मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे. सूत्रों का कहना है कि सुखजिंदर सिंह रंधावा को उप मुख्यमंत्री बनाया जाना तय है जबकि दूसरे डिप्टी सीएम का नाम अभी तक तय नहीं हुआ है.
चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री होंगे. विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद वो राज्यपाल से कल मिलने पहुंचे. राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद चन्नी ने कहा, ‘‘हमने अपना दावा पेश किया. राज्यपाल महोदय ने 11 बजे शपथग्रहण का समय दिया है.'' हालांकि, कोई और मंत्री शपथ लेंगे या नहीं इस पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा.
चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम बनने के ऐलान के बाद पंजाब के खराड़ में जश्न का माहौल है. उनके परिजनों, दोस्तों और समर्थकों ने उनके घर के बाहर जमकर जश्न मनाया. इस दौरान मिठाइयां भी बांटी गईं. इस मौके पर चन्नी की बहन ने कहा, "वह (चन्नी) बहुत मेहनत करने वाले शख्स हैं और राज्य के लिए बहुत अच्छा काम करेंगे."
चन्नी दलित सिख समुदाय से आते हैं. वह कैप्टन अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे. वह रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. चन्नी शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन के शासनकाल के दौरान साल 2015-16 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे.
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश में है. प्रदेश में 30 प्रतिशत से अधिक दलित आबादी है.बता दें कि अमरिंदर सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि विधायकों की बार-बार बैठक बुलाए जाने से उन्होंने अपमानित महसूस किया, जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया.