November 21, 2024
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PANKAJ CHANDRAKAR

PANKAJ CHANDRAKAR

पटना /शौर्यपथ/

केंद्र सरकार अपनी नई अग्निपथ योजना के तहत जवानों की भर्ती को लेकर अडिग नजर आ रही है. और जहां तक बिहार का सवाल है तो तमाम हिंसक विरोध के बावजूद यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार में उनके गठबंधन सहयोगी नीतीश कुमार के बीच एक बड़े अहम् के टकराव में तब्दील होती जा रही है. जाहिर है कि भाजपा बिहार के मुख्यमंत्री के अग्निपथ योजना के सैद्धांतिक विरोध से नाराज है. नीतीश कुमार ने अपना विरोध पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और एक अन्य वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा के ट्वीट के माध्यम से व्यक्त किया है.
इतना ही नहीं नीतीश कुमार के एक वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कैमरे के सामने जा कर केन्द्र से अपील की कि उन्हे प्रदर्शनकारियों से बात करनी चाहिए. भाजपा की नाराजगी इन तथ्यों से भी भड़क गई कि इस मुद्दे पर नीतीश कुमार की चुप्पी के बाद जनता दल-यूनाइटेड पार्टी के नेताओं के एक वर्ग ने राज्य में विरोध प्रदर्शन को हवा दी जिसकी वजह से रेलवे जैसे केंद्र के प्रतिष्ठानों पर हिंसक हमले हुए. ये एक आम सहमति है कि नीतीश कुमार की सरकार की निष्क्रियता की वजह से तोड़फोड़ हुई औऱ भाजपा के आधा दर्जन कार्यालयों पर भी हमला किया गया. विधायकों को भी परेशान किया गया.
बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने शनिवार को साफ तौर पर ये आरोप लगाया कि प्रशासन ने आंखें मूंद लीं हैं. उन्होंने अपने दावे को साबित करने के लिए मीडिया के लिए मधेपुरा का एक वीडियो चलाया जहां बिहार पुलिस के जवानों की मौजूदगी में पार्टी कार्यालय पर हमला किया गया था. नीतीश कुमार के खिलाफ भाजपा की मुख्य शिकायत यह है कि तमाम हिंसक विरोध के बावजूद वो खामोश रहे और अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों से निपटने का निर्देश भी नहीं दिया. भाजपा नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ने न तो एक ट्वीट ही किया और न ही शांति बनाए रखने और शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए एक बयान जारी किया.
संजय जायसवाल की टिप्पणियों का नीतीश कुमार के करीबी राजीव रंजन ने तुरंत ही खंडन किया. उन्होंने भाजपा नेता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस तरह के आरोपों के लिए उनका "मानसिक असंतुलन" जिम्मेदार है.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मामले में कूद पड़े और कहा कि बिहार की जनता भाजपा और जदयू के बीच तनाव का खामियाजा भुगत रही है. उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, " बिहार जल रहा है और दोनों दल के नेता मामले को सुलझाने के बजाए एक दूसरे पर छींटाकशी और आरोप प्रत्यारोप में व्यस्त हैं."
कई भाजपा नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार गठबंधन में होने के बावजूद कई मुद्दों पर पार्टी की नीति से असहमत रहे हैं जैसे अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला, जाति जनगणना, या इतिहास की किताबों में संशोधन का मुद्दा हो. दरअसल नीतीश कुमार अभी भी गुस्से से भरे हुए हैं भाजपा को उनके पतन की साजिश रचने के लिए माफ नहीं कर पाए हैं. जदयु का मानना है कि नवंबर,2020 के राज्य चुनावों में शीर्ष भाजपा नेतृत्व का चिराग पासवान के साथ मौन समझौता था और यही कारण था कि चिराग पासवान की पार्टी ने केवल उन सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जहां जनता दल-यूनाइटेड के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे. गौरतलब है कि जिन सीटों पर बीजेपी लड़ रही थी वहां लोजपा ने अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए थे.
नीतीश कुमार के समर्थकों का कहना है कि सीट-बंटवारे का काम भाजपा के पास था जिसने बिहार के मुख्यमंत्री के कद को छोटा करने के लिए षडयंत्र रची. और ये हकीकत है कि भाजपा आंशिक रूप से सफल भी रही क्योंकि जद (यू) चुनाव नतीजों में तीसरे स्थान पर रहा. नीतीश कुमार ने अपने गुस्से में सभी शिष्टाचारों को नजरअंदाज कर दिया. जब उनके सहयोगी नितिन नबीन पर रांची में हमला किया गया था तो उन्होंने हाल-चाल भी नहीं पूछा. हालांकि, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तुरंत पूछताछ की और उनकी सुरक्षा में अतिरिक्त लोगों को भेजने का भी वादा किया.
इस बार यहां तक कि नीतीश कुमार के समर्थकों ने स्वीकार किया है कि निष्क्रियता और चुप्पी की वजह से उनकी छवि मे किसी तरह का सुधार नहीं हुआ है . बहरहाल, शुक्रवार शाम को लंबे समय के अंतराल के बाद उन्होंने दो अहम फैसले लिए जैसे 19 जिलों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया और प्रशासन को प्रदर्शनकारियों से निपटने का निर्देश दिया. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि जानबूझकर लगातार दो दिन तक खामोशी बरती गई.
उनकी छवि को तब और चोट पहुंची जब नाराज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो उपमुख्यमंत्रियों और कई विधायकों सहित दस नेताओं को वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने का फैसला लिया. यह दरअसल राज्य की कानून और व्यवस्था की स्थिति न निपट पाने की राज्य सरकार की क्षमता पर एक आरोप ही था. लगातार जारी किए जा रहे प्रेस विज्ञप्तियों में रेलवे ने स्पष्ट रूप से बिहार में मौजूदा कानून और व्यवस्था को ही जिम्मेवार ठहराया जिसकी वजह से न तो ट्रेन समय पर चल पा रही थी और न ही रेलवे संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा की गारंटी ही मिल पा रही थी. रेलवे विभाग को रिकॉर्ड संख्या में ट्रेनों को रद्द करना पड़ा जिसके बाद लगातार तीन दिनों तक दिन के दौरान ट्रेनों की आवाजाही नहीं हुई. यह निश्चित ही अभूतपूर्व है लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि केंद्र को अब नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं है.
नीतीश कुमार बनाम पीएम मोदी की यह लड़ाई हर दिन की तरह संदेहास्पद होती जा रही है. भाजपा नेताओं ने नीतीश कुमार से अनुरोध किया कि वे यह ऐलान करें कि बिहार पुलिस में अग्निवीरों के लिए भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था होगी. लेकिन नीतीश कुमार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. नीतीश कुमार के समर्थकों का कहना है कि इसकी घोषणा करने का मतलब वस्तुतः केंद्र सरकार की नई नीति का समर्थन करना होगा. नतीजतन अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ गुस्से और विरोध को आमंत्रित करना होगा जो फिलहाल भाजपा तक सीमित है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो दिवसीय कर्नाटक दौरा आज से शुरू हो गया है. यहां वे आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मैसूर पैलेस ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे. वे कार्यक्रम स्थल पर सुबह के करीब 06:30 बजे पहुंचेंगे और लगभग 15,000 लोगों के साथ योग करेंगे. बता दें कि पीएम आज शाम साढ़े पांच बजे मैसूर पहुंचेंगे. योग दिवस से पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा है, " कल यानि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. इस बार यह आयोजन ‘मानवता के लिए योग' की थीम के तहत होगा. आइए, हम सब मिलकर इसे सफल बनाएं और योग की लोकप्रियता को और बढ़ाएं."

मैसूर में प्रधानमंत्री के योग कार्यक्रम के साथ, 75 केंद्रीय मंत्री देश भर के 75 प्रतिष्ठित स्थानों पर सामूहिक योग कार्यक्रमों में भाग लेंगे. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ग्वालियर किले में 2,000 से अधिक लोगों के योग प्रदर्शन का आयोजन किया है. ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया वहां मौजूद रहेंगे. ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह हरिद्वार के हर की पौड़ी में होंगे. पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल श्रीनगर में डल झील के किनारे एसकेआईसीसी में होंगे.

मैसूर में प्रधानमंत्री का योग कार्यक्रम एक अभिनव कार्यक्रम- 'गार्जियन योग रिंग' का हिस्सा होगा- जो 'एक सूर्य, एक पृथ्वी' की अवधारणा को रेखांकित करता है. यह 79 देशों और संयुक्त राष्ट्र संगठनों के साथ-साथ विदेशों में भारतीय मिशनों के बीच एक सहयोगी अभ्यास है, जो योग की एकीकृत शक्ति को राष्ट्रीय सीमाओं को पार करने के लिए चित्रित करता है.
इस साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 'मानवता के लिए योग' है. आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के अनुसार, ऐसी उम्मीद है कि दुनिया भर में योग करने वाले लगभग 25 करोड़ लोग विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे.

 नई दिल्ली /शौर्यपथ/

कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ईडी आज फिर पूछताछ कर रही है. वहीं जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर कांग्रेस का प्रदर्शन भी जारी है. कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा जानकारी देते हुए बताया कि अग्निपथ योजना और केंद्रीय एजेंसियों ED के दुरुपयोग के खिलाफ शांतिपूर्ण धरने में हिस्सा लेने जा रहे हरियाणा कांग्रेस के विधायकों व नेताओं को दिल्ली बॉर्डर पर बेवजह गिरफ़्तार करा जा रहा है. जनता की अभिव्यक्ति पर यह पुलिसिया पहरेदारी व सरकारी अंकुश प्रजातंत्र में अस्वीकार्य है!
कांग्रेस नेताओं ने एक मार्च की योजना बनाई थी क्योंकि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड मामले के सिलसिले में आज चौथी बार ईडी के सामने पेश होंगे. वहीं सरकार की नई सशस्त्र सेना भर्ती योजना अग्निपथ को लेकर भी देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसका तमाम पार्टियों समेत कांग्रेस भी विरोध कर रही है. पार्टी ने सूचना दी थी कि वह केंद्र की अग्निपथ भर्ती योजना और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पार्टी सांसद राहुल गांधी से पूछताछ के खिलाफ सोमवार को देश भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना जारी रखेगी.
राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी पहले ही तीन बार पूछताछ कर चुकी है. राहुल को शुक्रवार को चौथे दौर के लिए बुलाया गया था. लेकिन तब उन्होंने केंद्रीय एजेंसी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इसे सोमवार तक के लिए टाल दिया जाए क्योंकि उन्हें अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ रहने की जरूरत है, जो कोविड संक्रमण के इलाज के लिए अस्पताल में हैं.
गांधी की पूछताछ के पहले तीन पेशी के दौरान कांग्रेस ने विरोध जताते हुए अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था. अग्निपथ योजना के विरोध में कुछ संगठनों द्वारा 'भारत बंद' का आह्वान किया है, जो शॉर्ट टर्म भर्ती योजना को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. जबकि कांग्रेस नेता राष्ट्रीय राजधानी के जंतर मंतर पर 'अग्निपथ' योजना का विरोध कर रहे सशस्त्र बलों के उम्मीदवारों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए 'सत्याग्रह' पर बैठ गए हैं.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

सेना में भर्ती की नयी ‘‘अग्निपथ योजना'' को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में कनॉट प्लेस के निकट शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन को रोका. सूत्रों ने बताया कि पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने रेल पटरी को खाली कराया और करीब आधे घंटे बाद ट्रेन की आवाजाही फिर से शुरू हुई.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. पुलिस कर्मियों ने उन्हें रेल पटरी और स्टेशन से हटाने की कोशिश भी की.
युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार को अग्निवीर योजना को वापस लेने की जरूरत है। युवा कांग्रेस इस देश में बेरोजगार युवाओं के लिए लड़ेगी जो देश की सेवा करना चाहते हैं.'' युवा कांग्रेस सदस्यों ने पास स्थित कनॉट प्लेस में भी विरोध प्रदर्शन किया.

सेहत /शौर्यपथ/

हाल ही में AIIMS ने यह चेतावनी जारी की थी कि मोमोज को ठीक तरह से चबाकर खाना चाहिए क्योंकि ऐसा ना करने पर जान जाने का खतरा रहता है. असल में मोमोज ठीक तरह से ना खाने पर दम घुटने से एक आदमी की मृत्यु का मामला भी सामने आया था. इसी को ध्यान में रखते हुए और इस घटना को सबक की तरह लेकर अपने खाने को ठीक तरह से चबाना शुरू कर दीजिये. कई बार खाना न चबाने से हुई छोटी-छोटी दिक्कतें भी सुख-चैन मिटा देने वाली साबित होती हैं. आइए जानें, किस-किस तरह से खाना ठीक तरह से ना चबाना सेहत के लिए बुरा हो सकता है.

खाना ठीक तरह से ना चबाने के प्रभाव

खाना ठीक तरह से चबाने पर पाचन और भोजन के ठीक तरह से अवशोषण में मदद मिलती है. खाना ठीक तरह से चबाने का मतलब है बड़े टुकड़ों को चबाकर बारीक कर लेना जिससे पाचन में आसानी होती है. निम्न 7 कारणों से खाना ना चबाना सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
खाना ठीक तरह से ना चबाने पर वह गले में अटक सकता है जिससे दम घुटने का खतरा बढ़ जाता है. खासकर बच्चों में यह ज्यादा देखा जाता है.
पेट फूलने और खट्टी डकार जैसी पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं.
पाचन तंत्र सभी पोषक तत्वों को ठीक तरह से सोखने में कामयाब नहीं होता.
खाना ना चबाने से फूड पॉइजनिंग होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
पाचन अच्छा और कम्फर्टेबल फील ना होने पर व्यक्ति चिड़चिड़ा महसूस करने लगता है.
बच्चों को खाना ठीक तरह से ना चबा पाने के कारण कुपोषण का शिकार होने पड़ सकता है.
पेट में सूजन भी खाना ठीक से ना चबाने का दुष्प्रभाव होता है.

इन बातों का रखें ध्यान

पाचन बेहतर बनाने के लिए खाने के बीच में बार-बार पानी ना पिएं.
खाने के बाद एक्सरसाइज करने से बचें.
कॉफी, फल और मीठे पकवानों का खाने के तुरंत बाद सेवन ना करें.
खाना खाने के बाद हल्की सैर सेहत और पाचन के लिए अच्छी रहती है.
चम्मच में बहुत ज्यादा खाना भरकर ना लें. एक चम्मच में उतना खाना लें जो यहां-वहां ना गिरे.
मुंह बंद करके चबाना सबसे सही रहता है. जब खाना पूरी तरह बारीक हो जाए तभी उसे निगलें.

सेहत /शौर्यपथ/

जीरा को भारतीय खाना बनाने के दौरान स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. जीरा स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. इस सुगंधित मसाले में औषधीय गुण होते हैं जो आपके शरीर, स्वास्थ्य, त्वचा और मन को हेल्दी रखते हैं. जीरे के उपयोग और जीरे के फायदों की लिस्ट काफी लंबी है. बहुत से लोग मानते हैं कि रात में जीरा का पानी पीने से कमाल के स्वास्थ्य लाभ होते हैं, और जब हेल्दी स्वास्थ्य को बनाए रखने की बात आती है, तो हर चीज को आजमाना चाहिए. सौंफ के बीज और अजवाइन को पानी में मिलाने पर पारंपरिक भारतीय मसाला अधिक शक्तिशाली हो जाता है. जीरा अजवाइन सौंफ का पानी हर सुबह इस मिश्रण का सेवन करने वाले को फायदा पहुंचाता है. अगर आपके पास तीनों सामग्री नहीं है, तो समान लाभ देखने के लिए जीरा को पानी के साथ प्रयोग करें. खासकर माना जाता है कि महिलाओं के लिए जीरे का पानी काफी फायदेमंद हैं. यहां कुछ फायदों के बारे में बताया गया है.

जीरा पानी के चमत्कारिक फायदे

जीरा पानी पाचन में सुधार करता है
एक अध्ययन के अनुसार, महिलाएं आमतौर पर चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम से पीड़ित होती हैं जो आगे चलकर अपच, मतली और वजन की समस्या का कारण बनती है. एक और समस्या जिसका सामना महिलाओं को करना पड़ता है वह है पित्त की पथरी. पित्ताशय की पथरी पित्ताशय की थैली में कोलेस्ट्रॉल का एक संचय है. जीरे के पानी से इन समस्याओं से निपटा जा सकता है. जीरे का पानी पीने के फायदे प्राचीन काल से लोगों ने बताए हैं. एसिडिटी या इसी तरह की किसी भी पाचन समस्या के लिए आप जीरे के पानी का सेवन कर सकते हैं. डायरिया और पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप रोज सुबह खाली पेट जीरा पानी नींबू के साथ पी सकते हैं

जीरा पानी मेटाबॉलिज्म रेट को तेज करता है

अगर आप वजन घटाने / मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं, तो संभावना है कि आपकी मेटाबॉलिज्म दर कम है. अब और चिंता मत करो! जीरे के पानी से आप आसानी से वजन कम कर सकते हैं; जीरा में भरपूर विटामिन और मिनरल्स इंसान के मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ाते हैं. जीरे के पानी के फायदों को आप हर रोज एक कप वाटर पीकर अपने वजन घटाने के सफर में भी शामिल कर सकते हैं.

जीरा वाटर फाइट्स इनसोम्निया

महिलाओं में अनिद्रा के कई कारण होते हैं. हालांकि सबसे आम शारीरिक और भावनात्मक तनाव है. अवांछित तनाव महिलाओं में अनिद्रा का कारण बनता है. जीरे में मेलाटोनिन होता है जो नींद के पैटर्न को कंट्रोल करता है और स्ट्रेस लेवल को कम करता है. यह आयरन और मैग्नीशियम से भी भरा हुआ है जो मस्तिष्क की गतिविधियों को संतुलित करने में मदद करता है और अनिद्रा को ठीक करता है. जीरे के पानी के कई फायदे हैं, लेकिन अनिद्रा से लड़ना इस लिस्ट में सबसे ऊपर है, क्योंकि सोने से मस्तिष्क के बेहतर कामकाज में मदद मिलती है.
जीरा वाटर शरीर को कैंसर से बचा सकता है
जीरे के पानी के सेवन का एक और महत्वपूर्ण कारण कैंसर से बचाव माना जाता है. जीरे के मसाले में कीमो निवारक और विषहरण तत्व होते हैं. यौगिक जीरा एल्डिहाइड ट्यूमर के प्रसार को कम करता है और मानव शरीर में कैंसर कोशिकाओं से लड़ता है. जीरा पानी का नियमित रूप से सेवन करने से यह ट्यूमर में बदलने से पहले संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है.
जीरा वाटर पीसीओएस से लड़ता है
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में होने वाला एक सामान्य हार्मोनल असंतुलन है. इसे उलटने का सबसे आसान उपाय हमारे घरों में उपलब्ध है. पीसीओएस के लिए जीरा पानी अद्भुत काम कर सकता है. इसमें एंटीऑक्सिडेंट और रसायन होते हैं जो एक महिला के शरीर में ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखते हैं. एंटीऑक्सीडेंट गुण हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर को शुद्ध करने में भी मदद करते हैं.

खाना खजाना /शौर्यपथ

यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन आमतौर पर आंत्र से यूरीन ट्रैक में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया के कारण होते हैं और वे पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है. लगभग 60 प्रतिशत महिलाओं और 12 प्रतिशत पुरुषों के जीवनकाल में कम से कम एक यूटीआई होगा. इससे बचने के लिए सबसे पहले यूटीआई के लक्षण पहचानने जरूरी हैं. पेशाब करते समय पेशाब में जलन, क्रैम्प्स, बार-बार बाथरूम जाना, तेज गंध वाला पेशाब जो झाग के साथ दिखाई दे सकता है ये सभी यूटीआई के लक्षण हैं. यूटीआई के लिए घरेलू उपचार हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं. जब यूरीन ट्रैक्ट इंफेक्शन का इलाज करने की बात आती है तो ये काफी फायदेमंद हो सकते हैं. यहां मूत्र संक्रमण के लिए कुछ बेहतरीन घरेलू उपचार हैं जिन्हें आप आजमा सकते हैं.
यूटीआई को रोकने के लिए बेस्ट फूड्स

बहुत ज्यादा पानी पिएं

ढेर सारा पानी पीने और जरूरत पड़ने पर ब्लैडर को खाली करने से आपके सिस्टम से हानिकारक बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद मिलेगी. पेशाब करते समय आपको जलन के कारण पानी पीने में संकोच हो सकता है, लेकिन आपके डेली 8 से 10 गिलास पानी पीना है. आप तरबूज, संतरा, सलाद पत्ता, सूप और शोरबा ऐसे फूड्स का भी सेवन कर सकते हैं.

क्रैनबेरी जूस

क्रैनबेरी का उपयोग यूटीआई की रोकथाम के रूप में किया जा सकता है. अध्ययनों से पता चला है कि क्रैनबेरी में उन बैक्टीरिया को खत्म करने की क्षमता होती है जो आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. ध्यान रखें कि अतिरिक्त शक्कर के साथ इस जूस का सेवन केवल आपके मूत्र पथ के संक्रमण को बदतर बना सकता है.

यूरीन को ज्यादा देर तक न रोकें

हम सभी व्यस्त हो जाते हैं, लेकिन बाथरूम जाने से रोकने से आपके मूत्राशय में पहले से मौजूद किसी भी बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका मिलता है, जिसके संक्रमण हो सकता है. खूब पानी पिएं और जब जाना हो तो जाएं.

प्रोबायोटिक लें

ये हेल्दी बैक्टीरिया का निर्माण करने में मदद कर सकता है जो आंत में रहते हैं. ऐसा माना जाता है कि प्रोबायोटिक्स हानिकारक बैक्टीरिया को यूरीन ट्रैक्ट की कोशिकाओं से जुड़ने से रोक सकते हैं और यूरीन के पीएच को भी कम कर सकते हैं, जिससे यह हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने से रोकते हैं

लहसुन खाएं

लहसुन में कई एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो यूटीआई से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं. हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि लहसुन का अर्क यूटीआई पैदा करने वाले बैक्टीरिया को कम करने में प्रभावी हो सकता है.

विटामिन सी

विटामिन सी न केवल आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है, बल्कि यह आपके यूरीन से अम्ल को कम कर सकता है, जो कुछ बैक्टीरिया को जन्म दे सकते हैं. विटामिन सी मूत्र पथ के संक्रमण को होने से रोक सकता है

आस्था /शौर्यपथ/

तुलसी को अन्य वनस्पतियों में शुभ और मंगलकारी माना जाता है. इसलिए अधिकांश लोग रोज सुबह इसमें जल देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि रोज सुबह स्नान के बाद तुलसी में जल अर्पित करने से जीवन के दुर्भाग्य दूर होते हैं. साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. कहा जाता है कि जो लोग घर में तुलसी का पौधा रखते हैं, उन्हें मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है. तुलसी में जल चढ़ाने के कुछ खास नियम बताए गए हैं. कहा जाता है कि अगर तुलसी से जुड़े नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो ये बेहद अशुभ फल दे सकता है. आइए जानते हैं कि तुलसी में जल देते वक्त किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

तुलसी में जल देने के खास नियम

धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन कभी भी तुलसी में जल नहीं दिया जाता है. माना जाता है कि इस दिन तुलसी में जल देने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाता हैं. जिस कारण जीवन में तमाम तरह की आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इसके अलावा मान्यता यह भी है कि इस दिन तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
तुलसी में जल देने के खास नियम बताए गए हैं, जिसके मुताबिक तुलसी माता को जल अर्पित करते वक्त बिना सिलाई का एक वस्त्र पहनना चाहिए.
मान्यतानुसार रविवार को तुलसी में जल अर्पित नहीं किया जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता विश्राम करती हैं
कहा जाता है तुलसी में जल देने का सबसे उपयुक्त और उत्तम समय सूर्योदय काल का होता है. उस वक्त तुलसी में जल देने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है.
तुलसी में बहुत अधिक मात्रा में जल नहीं दिया जाता है. क्योंकि अधिक जल की वजह से तुलसी सूख सकती है. कहा जाता है कि घर में तुलसी का बराबर सूख जाना अच्छा नहीं है.

इस दिशा में ना रखें तुलसी

धार्मिक मान्यता और वास्तु शास्त्र के मुताबिक तुलसी को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए. इस दिशा में तुलसी को रखने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है. साथ ही इस दिशा में तुलसी रखने से नुकसान हो सकता है.

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

कहा जाता है कि तुलसी का पौधा घर की छत पर नहीं होना चाहिए. क्योंकि इससे घर में कलह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इसके अलावा तुलसी के साथ किसी भी कांटेदार पौधे को नहीं लगाना चाहिए. दरअसल इसे अशुभ माना गया है.

आस्था /शौर्यपथ/

कजरी तीज का हिंदू धर्म में खास महत्व है. यह त्योहार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है. इस साल कजरी तीज का व्रत 14 अगस्त, रविवार को रखा जाएगा. मान्यता है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और इस दौरान भगवान शिव, मां पार्वती और नीमड़ी माता की पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति की आयु लंबी होती है. आइए जानते हैं कि इस साल कजरी तीज के लिए शुभ मुहूर्त क्या है. साथ ही इस व्रत की पूजा विधि और महत्व क्या है.

कजरी तीज 2022 तिथि

कजरी तीज प्रत्येक साल भाद्रपद स के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस साल यह व्रत 14 अगस्त, रविवार के दिन रखा जाएगा. साथ ही तृतीया तिथि का आरंभ 13 अगस्त को देर रात 12 बजकर 53 मिनट से हो रहा है. वहीं तृतीया तिथि की समाप्ति 14 अगस्त, रविवार रात 10 बजकर 35 मिनट पर हो रही है.

कजरी तीज पूजा विधि

धार्मिक मान्यता के अनुसार कजरी तीज के दिन मां पार्वती, भगवान शिव और नीमड़ी माता की पूजा का विधान है. ऐसे में इनकी पूजा के लिए इस दिन सुबह स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके नीमड़ी माता, मां पार्वती और भगवान शिव का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प किया जाता है. उसके घर में उचित स्थान का चयन करके मिट्टी से एक तालाबनुमा घेरा बना लिया जाता है. उसके बाद उसमें कच्चा दूध या जल भरकर उसके किनारे एक दीपक जला लिया जाता है. फिर थाल में केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत, रोली इत्यादि पूजन सामग्रियां रखी जाती हैं. मिट्टी के घेरे के किनारे पर नीम का पत्ता और नीम की टहनी लगाई जाती है. फिर उस पर चन्नी ओढ़ाई जाती है. उसके बाद नीमड़ी माता का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि करवा चौथ की तरह रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति देव के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला जाता है. इसके बाद नीमड़ी माता को भोग लगाकर व्रत का पारण किया जाता है.
कजरी तीज का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कजरी तीज महिलाओं के लिए खास त्योहार है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. निर्जला व्रत के दौरान भगवान शिव, नीमड़ी माता और मां पर्वती की पूजा करते हुए उनसे मन ही मन पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के शिक्षक निकाय ने रविवार को आरोप लगाया कि एक सहायक प्रोफेसर का सड़क पर विवाद के बाद कुछ लोगों ने कई घंटों के लिए अपहरण कर लिया था. जेएनयूटीए के आरोप के मुताबिक इस दौरान सहायक प्रोफेसर को मारपीट, धमकी और वसूली का सामना करना पड़ा. इस मामले में अभी पुलिस का बयान नहीं आया है.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने बयान जारी कर आरोप लगाया कि पिछले 17-18 जून की रात को प्रोफेसर पर हिंसक हमला किया गया. यह घटना कथित रूप से सड़क पर विवाद के कारण हुई. बयान में कहा गया कि प्रोफेसर शरद बाविस्कर, जो अपनी कार से अकेले जा रहे थे, विवाद के बाद उन्होंने जब पुलिस थाने जाने की बात की, तो बदमाशों के समूह ने उनका जबरन अपहरण कर लिया.


बयान में कहा गया, "दिल्ली स्थित एक मकान में उन्हें ले जाया गया, जहां उन्हें तीन घंटे से अधिक समय तक कैद करके रखा गया. जब सहायक प्रोफेसर ने छोड़ने के लिए अपहरणकर्ताओं को अपने तर्क देने की कोशिश की, तो उन्हें गाली-गलौज, मारपीट, धमकी और जबरन वसूली का शिकार होना पड़ा."


जेएनयूटीए ने उम्मीद जताई कि दिल्ली पुलिस दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ेगी और प्रोफेसर बाविस्कर और उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.

 

 

 

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