May 18, 2024
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PANKAJ CHANDRAKAR

PANKAJ CHANDRAKAR

जशपुरनगर /शौर्यपथ/

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विगत दिवस अपने निवास कार्यालय से आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में प्रदेश के स्कूलों में शाला प्रवेश उत्सव का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में बटन दबाकर नक्सल प्रभावित चार जिलों सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर में डेढ़ दशक से बंद पड़े 260 स्कूलों को फिर से शुरू किया। इन स्कूलों में 11 हजार 13 बच्चों ने प्रवेश लिया है। शाला प्रवेश उत्सव के साथ ही प्रदेश के प्राथमिक स्कूल परिसरों में 6 हजार 536 बालवाड़ियों को भी शुरू किया। शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम में गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल, संसदीय सचिव श्री कुंवर सिंह निषाद, श्रीमती रश्मि सिंह, विधायक श्री रामकुमार यादव और अध्यक्ष मछुआ बोर्ड श्री एम.आर. निषाद, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, स्कूल शिक्षा विभाग के विशेष सचिव श्री राजेश सिंह राणा, संचालक लोक शिक्षण श्री सुनील जैन, प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा श्री नरेन्द्र दुग्गा, अपर संचालक एससीईआरटी डॉ. योगेश शिवहरे, सहित स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी, संबंधित स्कूल के शिक्षक और नवप्रवेशी बच्चे उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने छत्तीसगढ़ महतारी एवं स्वामी आत्मानंद के चित्र पर मार्ल्यापण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर नवप्रवेशी बच्चों को तिलक लगाकर, मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया। बच्चों को स्कूल बस्ता, पुस्तक और गणवेश का वितरण किया। उन्होंने बच्चों से कहा कि खूब मन लगाकर पढ़े और पढ़ने के साथ ही खेल-कूद में भी हिस्सा लें। कार्यक्रम में महात्मा गांधी के आदर्शों पर आधारित स्कूलों में लगाए जाने वाले पोस्टर का विमोचन भी किया गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल इस मौके पर पुनः खोले जा रहे स्कूलों के पालकों और बच्चों से ऑनलाइन सीधा संवाद किया।
मुख्यमंत्री ने शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम में सभी को नए शिक्षा सत्र की बधाई देते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण दो वर्षों के दौरान बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई, लेकिन हमने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न हो, और उनका साल खराब न जाए। उन्होंने कहा कि नए शिक्षा सत्र की शुरूआत हम बहुत सी उम्मीदों के साथ कर रहे हैं कि इस वर्ष नियमित शालाएं संचालित हो। साथ ही पिछले सत्र में पढ़ाई के हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सत्र से कुछ चयनित शालाओं में बालवाड़ी खोलने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान हमने पढ़ाई तुंहर दुआर प्लेटफार्म उपलब्ध कराया था, जिसका अच्छा उपयोग शिक्षकों, पालकों और विद्यार्थियों ने किया। उन्होंने उम्मीद जताई की नवाचार और नई प्रौद्योगिकी को अपनाने का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने सभी बच्चों, शिक्षकों एवं पालकों को नए शिक्षा सत्र की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि नए शिक्षा सत्र के प्रारंभ से ही हम मिशन मोड में हैं। हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ-साथ मूलभूत सुविधा को दुरूस्त करने कृत संकल्पित हैं। शिक्षा सत्र के प्रारंभ में भी हमने लक्ष्य तय किया है कि सभी बच्चों को भाषाई ज्ञान, अंक ज्ञान के साथ-साथ पढ़ना-लिखना और बोलना आ जाए। समय-समय पर अपने स्तर पर उनके ज्ञान का आकलन भी करेंगे।
जशपुर जिले के स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में विधायक जशपुर श्री विनय भगत एवं कलेक्टर श्री रितेश कुमार अग्रवाल की उपस्थिति में जिला स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम का आयोजित हुआ। कार्यक्रम में नवप्रवेषित बच्चों को तिलक, पुष्पमाला पहनाकर एवं मिठाई खिलाकर उनका अभिनंदन किया साथ ही उन्हें निःशुल्क गणवेश एवं पाठ्य सामाग्री प्रदान किया गया। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक श्री राजेश अग्रवाल, वनमंडलाधिकारी श्री जितेंद्र उपाध्याय, जिला शिक्षा अधिकारी श्री जे के प्रसाद, जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कल्पना लकड़ा, नगर पंचायत अध्यक्ष श्री नरेशचंद्र साय, उपाध्यक्ष श्री राजेश गुप्ता, सूरज चौरसिया सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिथि, गणमान्य नागरिक, स्कूली बच्चें एवं उनके पालक उपस्थित थे।

रायपुर /शौर्यपथ/

अंबिकापुर के मिशन हॉस्पिटल में चल रही है उपचारखाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत का स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण अंबिकापुर के मिशन अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। जहां डॉक्टरों की सतत निगरानी में उपचार जारी है। गौरतलब है कि मंत्री श्री भगत गुरूवार शाम से ही अस्वस्थ्य महसूस कर रहे थे। रात को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। उसके बाद उपचार के लिए देर रात उन्हें मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया। अभी उनका उपचार चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि मंत्री श्री भगत सरगुजा जिले के दौरे पर हैं, यहाँ उन्होंने 16 जून को शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने बच्चों का स्वागत कर उन्हें गणवेश वितरित भी किया था। कार्यक्रम से लौटने के बाद उन्हें कमज़ोरी और थकान महसूस हो रही थी।

रायपुर /शौर्यपथ/

एनीमिया यानि रक्ताल्पता से एक बड़ी आबादी जिसमें महिलाओं से लेकर बच्चे शामिल हैं, लगातार पीड़ित हैं। आम बोलचाल की भाषा में एनीमिया का मतलब खून यानि हीमोग्लोबिन की कमी है। किसी व्यक्ति में एनीमिया तब होता है जब रक्त में लाल रूधिर कण यानि आरबीसी के नष्ट होने की दर उसके निर्माण के दर से अधिक हो। एनीमिया को गंभीरता से नहीं लेने पर आगे चलकर यह गंभीर रुप धारण कर लेता है। इसलिए इसके प्रति जागरूकता बहुत जरूरी है। महिलाओं में मासिक धर्म और गर्भावस्था में यदि एनीमिया का समुचित उपचार नहीं किया गया तो यह अनेक रोगों का कारण भी बनता है। एनीमिया की गंभीरता को देखते हुए सरकार द्वारा इसके बचाव और नियंत्रण के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि एनीमिया के अनेक प्रकार हैं। लेकिन सभी तरह की एनीमिया में त्वचा, जीभ, नाखूनों और पलकों के अंदर सफेद दिखाई देना, कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट, लेटकर या बैठकर खड़े होने पर चक्कर आना, सांस फूलना, हृदय गति का तेज होना, बेहोशी आना, चेहरे व पैरों पर सूजन‌ आना, बालों का झड़ना जैसे मुख्य लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे ही किसी व्यक्ति में यह लक्षण दिखाई दें उन्हें तत्काल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

बच्चों में एनीमिया पौष्टिक आहार की कमी और कृमि के कारण होता है। महिलाओं में एनीमिया का प्रमुख कारण मासिक धर्म के समय अत्यधिक रक्तस्राव और गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार के सेवन का अभाव है। साथ ही हमारी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां जिसमें महिलाओं का परिवार में आखिर में बचा भोजन ग्रहण करने की परंपरा भी इसके लिए जिम्मेदार है। इसके चलते महिलाओं को सुपोषण नहीं मिल पाता। महिलाओं और बच्चों में एनीमिया के लिए कुपोषण की भी प्रमुख भूमिका है। सरकार द्वारा शिशु और महिला सुपोषण अभियान सतत रूप से चलाया जा रहा है। इन अभियानों में और अधिक जन-जागरूकता की आवश्यकता है।

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद में एनीमिया को पांडुरोग कहा जाता है जो पित्त दोष की विषमता से होता है। सिकलसेल एनीमिया, रक्त कैंसर, अल्सर से रक्तस्राव, अत्यधिक रक्तस्राव सहित अन्य गंभीर बीमारियों के कारण होने वाले एनीमिया का उपचार चिकित्सा परामर्श, दवाओं एवं विभिन्न थैरेपी द्वारा विशेषज्ञ करते हैं। सामान्य तौर पर पौष्टिक आहार और जागरूकता से एनीमिया से बचाव संभव है। एनीमिया से बचाव के लिए नियमित रूप से प्रोटीन, आयरन, विटामिन-सी से परिपूर्ण आहार जैसे रोटी, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, लालभाजी, मुनगा यानि सहजन, कद्दू, केला, शकरकंद, चुकंदर, अनार, आंवला, नींबू, संतरा, केला, सेब, अमरूद, अंडा, दूध, दही, अंजीर, किशमिश, खजूर, गुड़-चना, हल्दी मिला दूध, तिल, मेथी व अजवाइन को शामिल करते हुए नियमित व्यायाम और योग को शामिल करना चाहिए। साथ ही चाय, कॉफी, कोल्ड-ड्रिंक्स, शराब और धूम्रपान का परहेज करना चाहिए।

 

रायपुर /शौर्यपथ/

गत दिवस मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले के ग्राम रोहनाकला के रहने वाले भारतीय सेना के जवान श्री भारत यदुवंशी जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने शहीद जवान के पिता श्री ओमप्रकाश तथा भाई श्री नारद यदुवंशी से दूरभाष पर चर्चा कर शोक संवेदना व्यक्त की तथा परिवार को संबल प्रदान किया। सुश्री उइके ने कहा कि ग्राम रोहना और छिन्दवाड़ा जिले के लिए यह गौरव की बात है कि देश की रक्षा करते हुए यहां के नौजवान ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। उनके बलिदान को मैं नमन करती हूं। मैं उनके परिवार को भी नमन करती हूं जिन्होंने ऐसे वीर सपूत को जन्म दिया, जो भारतमाता की रक्षा के काम आया। राज्यपाल ने परिजनों से कहा कि इस दुखद घड़ी में हम सभी परिवार के साथ हैं और हमेशा रहेंगे।

रायपुर /शौर्यपथ/

छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग का स्थापना दिवसबच्चों में नशे की बढ़ती आदतें न सिर्फ उनसे उनका बचपन छीन रही हैं, बल्कि उनका जीवन भी छीन रही हैं। नयी जीवन शैली में बहुत कुछ ऐसी चीजें शामिल होती जा रही हैं, जो सुविधाएं देने के साथ-साथ नये खतरे भी निर्मित कर रही हैं। इन्हीं में से एक मोबाइल फोन भी है। बड़े-बुजुर्गों की जिम्मेदारी है कि बच्चों को नशे से दूर रखें। बच्चे बड़ो को आदर्श मानते हैं और उनका अनुसरण करते है। बच्चों के सामने ऐसी छवि बनाएं, ताकि बच्चे नशे की तरफ आकर्षित न हों। यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक दायित्व है। यह बात मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही।

छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग का स्थापना दिवस
छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग का स्थापना दिवस

मुख्यमंत्री ने राजधानी के न्यू सर्किट हाउस में आयोजित इस कार्यशाला का दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आयोग की नई वेबसाइट को लॉंच किया। उन्होंने आम लोगों में नशे के प्रति जागरूकता लाने के लिए ब्रोशर और लईका मन के गोठ पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने प्रतिभाशाली बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री विनोद वर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन, छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तेज कुंवर नेताम और सदस्यगण उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग का स्थापना दिवस
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे समाज में बच्चों के अधिकारों का हनन इतना आम हो चुका है कि यह अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। उन्होंने पुराने दिनों के प्रसंग को याद करते हुए बताया कि बचपन में बच्चे किसी न किसी तरह से नशे के करीब जाते हैं। जब बच्चों की उम्र बढ़ती है तो उनका आकर्षण नशे के प्रति बढ़ते जाता है और वे नशे के आदी हो जाते हैं। यह नशा बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल की परिस्थितियां ऐसी थी कि बच्चे घर से बाहर नहीं जा पाते थे इसने बच्चों में मोबाइल की लत को बढ़ावा दिया। बच्चे ऑनलाइन गेम के साथ ऐसी चीजे भी देखते हैं जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। मुख्यमंत्री ने सुझाव देते हुए कहा बच्चों को मोबाइल से दूर रखना है तो बच्चों को व्यस्त रखें, उन्हें ऐसी गतिविधियों से जोडं़े जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखे। उन्हें खेलने के लिए प्रेरित करें। बच्चे यदि घर में हों तो हमारे पारम्परिक खेल जैसे भौरा, कंचे जैसे खेल खिलाएं और सबसे बड़ी बात ये है कि बच्चों के माता-पिता बच्चों को समय दे, तथा बच्चों के साथ खेल तथा अन्य गतिविधियों में उनके सहभागी बने। मुख्यमंत्री ने नशे के खिलाफ रायपुर, बिलासपुर और सूरजपुर में चल रहे अभियान को पूरे प्रदेश में लागू करने की भी आवश्यकता बताई।

छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग का स्थापना दिवस
स्कूल शिक्षा मंत्री श्री टेकाम ने कहा कि बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए स्कूलों में औपचारिक शिक्षा दी जा रही है। शासन का प्रयास है कि स्कूलों के पास नशे की दुकान न हों। फिर भी बच्चों में नशे की लत देखने को मिलती है। इसके लिए समाज और स्वैच्छिक संस्थानों की मदद जरूरत है। काउंसलिंग, शिविर और बच्चों को सचेत करने के लिए दृश्य-श्रव्य माध्यमों का प्रयोग कर नशे के नुकसान के बारे में बताया जाना चाहिए।

छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग का स्थापना दिवस
आयोग की अध्यक्ष श्रीमती नेताम ने आयोग द्वारा बच्चों के संरक्षण के लिए किए जा रहे कामों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए शासकीय प्रयासों के साथ-साथ समाज की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए। माता-पिता के साथ परिवार के अन्य सदस्य बच्चों को जागरूक करें और नशे से होने वाली दुष्प्रभावों को बताएं। कार्यशाला में विभिन्न शासकीय विभागों और संस्थानों के अधिकारीगण शामिल हुए।

 

रायपुर /शौर्यपथ/

बच्चों का नशे की आदत से बचाव ,चुनौतिया व समाधान विषय पर हो रही कार्यशालामुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल राजधानी रायपुर स्थित सर्किट हाउस में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के स्थापना दिवस कार्यक्रम में पहुंचे ।

बच्चों का नशे की आदत से बचाव ,चुनौतिया व समाधान विषय पर हो रही कार्यशाला
चुनौतिया व समाधान विषय पर हो रही कार्यशालाबच्चों का नशे की आदत से बचाव ,चुनौतिया व समाधान विषय पर हो रही कार्यशाला।

इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री विनोद वर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज
इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री विनोद वर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज

इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री विनोद वर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री विनोद वर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन और छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तेज कुंवर नेताम भी उपस्थित हैं ।

 

लाइफ स्टाइल /शौर्यपथ/ '

चंदा ने पूछा तारों से, तारों ने पूछा हजारों से, सबसे प्यारा कौन है... पापा मेरे पापा!' जल्द ही पिता दिवस या कहें फादर्स डे आने वाला है. वैसे तो मम्मी-पापा के लिए अपना प्यार कभी भी व्यक्त किया जा सकता है, लेकिन किसी खास मौके पर उनके लिए कुछ करना या इतना भर कह देना कि आप हमारे लिए कितने जरूरी हैं, उनकी आंखों में नमी और होंठों पर मुस्कुराहट ले आता है. पिता ऐसे शख्स होते हैं जिनसे अक्सर बच्चे बड़े होते-होते दूरी बनाने लगते हैं और खुद पिता भी अपने काम और बच्चों के करियर को लेकर इतने चिंतित रहते हैं कि बच्चों के साथ बचपन की तरह हंसी-ठिठोली का वक्त नहीं निकाल पाते. लेकिन, बच्चों को अपने पापा (Papa) को बेझिझक यह जरूर कहना चाहिए कि उनके बिना जिंदगी कितनी अधूरी और बेमकसद होगी.
ज्यादातर देशों में जून के तीसरे रविवार के दिन फादर्स डे मनाया जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल 19 जून के दिन फादर्स डे मनाया जाएगा. इस दिन को मनाने के पीछे एक कहानी भी है जिसमें बेटियों ने अपने मृत पिता को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को मनाया था. इसके बाद 1972 से अमेरिका से हर साल तीसरे रविवार को जून के महीने में फादर्स डे की तरह मनाए जाने की शुरुआत हुई. आप भी इस दिन अपने पापा को कुछ प्यारभरे मैसेज भेजकर उनका दिन खास बना सकते हैं.
फादर्स डे विशेज और मैसेज
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान हैं पिता,

कभी धरती तो कभी आसमान हैं पिता.

Happy Father's Day!!

आज भी मेरी फरमाइशें कम नहीं होतीं,
तंगी के आलम में भी पापा की आंखें कभी नम नहीं होतीं.

Happy Father's Day!!

जहां दुनियां के प्यार में मतलब की मार है,
वहीं पिता के गुस्से में छिपा उनका प्यार है.

Happy Father's Day!!

एक स्तंभ हो आप, एक विश्वास हो आप,
आपसे है अस्तित्व मेरा, मेरे पिता हो आप.

Happy Father's Day!!

क्या कहूं उस पिता के बारे में
जिसने सोचा नहीं कभी खुद के बारे में.

Happy Father's Day!!

कंधो पर झुलाया कंधो पर घुमाया,
एक पापा की बदौलत ही मेरा जीवन खुबसूरत बन पाया.

Happy Father's Day!!

अगर मैं रास्ता भटक जाऊं, तो मुझे फिर से राह दिखाना,

आपकी जरूरत मुझे हर पल हर कदम पर होगी पापा.

Happy Father's Day!!


पिता नीम के पेड़ जैसा होता है,
उसके पत्ते भले ही कड़वे हों पर वो छाया ठंडी देता है.

Happy Father's Day!!

दुनिया में केवल पिता ही एक ऐसा इंसान है,
जो चाहता है कि मेरे बच्चे मुझसे भी ज्यादा कामयाब हों.

Happy Father's Day!!


धरती सा धीरज दिया और आसमान सी ऊंचाई है
जिंदगी को तराश के खुदा ने ये तस्वीर बनाई है,
हर दुख वो बच्चों का खुद पर सह लेते हैं,
उस खुदा की जीवित प्रतिमा को हम पिता कहते हैं.

ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ/

झुर्रियां प्राकृतिक हैं और बढ़ती हुई उम्र में दिखना लाजिमी भी, लेकिन कई बार त्वचा का ठीक तरह से ख्याल ना रखने पर वक्त से पहले ही उम्र की लकीरें चेहरे पर नजर आने लगती हैं. पोषण की कमी, सही स्किन केयर रूटीन ना अपनाने, त्वचा में नमी की कमी या फिर वातावरण के कारण भी त्वचा से जुड़ी कई दिक्कतें होने लगती हैं और स्किन अपना निखार और कसावट खो देती है. अगर आप 30 की उम्र के आसपास हैं तो संभल जाना और एंटी-एजिंग चीजों का इस्तेमाल शुरू कर देना बेहतर है ताकि समय से पहले झुर्रियां ना हों.
झुर्रियों को कम करने वाले एंटी-एजिंग उपाय
केले का मास्क
केले में मौजूद पोषक तत्व स्किन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. इसके इस्तेमाल के लिए आधा केला लें और उसे अच्छी तरह मैश करें. अब इस केले के पेस्ट को सीधा चेहरे पर लगाएं और 15 से 20 मिनट लगाए रखने के बाद हल्के गरम पानी से चेहरा धो लें. आप हफ्ते में एक बार इस फेस पैक को लगा सकते हैं.
ऑलिव ऑयल
त्वचा पर झुर्रियां आने से रोकने में ऑलिव ऑयल को असरदार माना जाता है. ऑलिव ऑयल को अपनी डाइट में शामिल कर इसके फायदे लिए जा सकते हैं. सलाद, सब्जी और टोस्ट आदि बनाने में ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें.
नारियल का तेल
नारियल के तेल को चेहरे पर कसावट लाने के लिए अच्छा माना जाता है. हल्के हाथों से झुर्रियों वाली जगह पर नारियल तेल से सर्कुलर मोशन में मसाज की जाती है. इसे रात में करना ज्यादा बेहतर है. लेकिन, अगर आपकी ऑयली स्किन है तो आपको इसे सीमित मात्रा में और कभी-कभी ही इस्तेमाल करना चाहिए.
अंडा
अंडे के सफेद हिस्से को फेंट कर चेहरे पर लगाया जाता है. जब पूरी तरह यह सूख जाए तो चेहरा धो लें. इसे हफ्ते में 2 बार फेस मास्क की तरह लगाया जा सकता है. यह मास्क चेहरे स्किन को टाइट करने के लिए अच्छा है, साथ ही यह स्किन को लटकने से बचाता है.

सेहत /शौर्यपथ/

दानों में लगने वाले काले कीड़े असल में कैविटी होती है जो दांतों की सतह पर बैक्टीरिया लगने के कारण दिखती है. इस कैविटी से दांतों में गड्ढे होना भी शुरू हो जाते हैं जिससे दांत खोखले होकर समय से पहले टूटने लगते हैं. दांतों की इस दिक्कत से छुटकारा पाने के लिए आप घर में ही हर्बल पाउडर को तैयार कर सकते हैं. यह ना सिर्फ दांतों से इन काले कीड़े या कहें कैविटी को दूर करेगा बल्कि उन्हें साफ और सफेद भी बनाएगा.
दांतों से कीड़े हटाने के घरेलू उपाय

आंवला और नीम पाउडर से तैयार यह हर्बल पाउडर दांतों पर कई कारणों से अच्छा असर दिखाता है. नीम के एंटीऑसक्सीडेंट गुण मसूड़ों से खून निकलने की दिक्कत को भी दूर करते हैं. वहीं, इसके इस्तेमाल से मुंह की दुर्गंध भी दूर होती है.
इस हर्बल पाउडर को तैयार करने के लिए आपको कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होगी. आपको इस हर्बल पाउडर को बनाने के लिए 2 चम्मच आंवला के पाउडर में एक चम्मच नीम का पाउडर और आधा चम्मच दालचीनी पाउडर, बेकिंग सोडा, लौंग का पाउडर और नमक मिलाना है. सभी सामग्रियों को एकसाथ मिलाने के बाद किसी डिब्बी में बंद करके रखें. इस पाउडर से आपको रोजाना अपने दांतों को साफ करना होगा. कुछ ही दिनों में दांतों में नजर आ रहे काले कीड़े दूर हो जाएंगे.
हर्बल पाउडर के अलावा ऑयल पुलिंग भी फायदेमंद साबित होती है. ऑयल पुलिंग के लिए नारियल तेल को मुंह में इधर-उधर घुमाया जाता है. हर दिन 10 से 15 मिनट के लिए ऑयल पुलिंग करना दांतों और मसूड़ों की कई दिक्कतों को दूर करता है.

नमक और गर्म पानी से कुल्ला करना भी दांतों के लिए अच्छा साबित होता है. यह कैविटी हटाने के साथ-साथ मसूड़ों की सूजन को दूर करता है.

सेहत /शौर्यपथ/

कुछ बीज हैं जो स्वास्थ्य के लिए चमत्कार कर सकते हैं उनमें मेथी के बीज शामिल हैं. यह आयुर्वेद में एक लाभकारी नेचुरल घटक है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में मदद कर सकता है. मेथी दाना पाचन को बढ़ावा देता है और वजन घटाने में सहायता करता है. इसके साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी बेहद फायदेमंद माना जाता है. माना जाता है कि रात भर भीगे हुए मेथी दानों का पानी पीना और भी कारगर हो सकता है. खासकर सुबह खाली पेट पिए जाने वाले ड्रिंक्स में से एक मेथी दाने का पानी भी लाजवाब है. मेथी का पानी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए चमत्कार कर सकता है. मेथी के बीजों में कई ऐसे तत्व होते हैं जो न सिर्फ पाचन तंत्र को साफ रखते हैं बल्कि अन्य स्वास्थ्य लाभ भी देते हैं.
मेथी के बीज का पानी पीने के स्वास्थ्य लाभ
1) गंदा कोलेस्ट्रॉल कम करता है
मेथी के बीजों का पानी पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल में रखा जा सकता है. मेथी के बीजों में फ्लेवोनोइड्स होते हैं जो हमारे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) लेवल को कम करने में मदद करते हैं. हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल से संबंधित समस्याओं से पीड़ित लोग हर दिन हेल्दी ड्रिंक्स को शामिल कर सकते हैं.
2) इंसुलिन में सुधार करता है
डायबिटीज रोगियों को मेथी के बीजों के पानी का सेवन करने की सलाह दी जाती है. यह आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने में मदद करता है. ये बीज आपके शरीर में इंसुलिन स्राव और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में उपयोगी होते हैं.
3) पीरियड्स क्रैम्प्स में मददगार
मेथी के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो मासिक धर्म में क्रैम्प और दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं. कई शोधों बताते हैं कि मेथी के बीज का पानी पीने से मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है क्योंकि इसमें एल्कलॉइड मौजूद होता है.
4) त्वचा और बालों के लिए कमाल
मेथी के बीज में डायोसजेनिन नामक एक यौगिक होता है, जिसमें जीवाणुरोधी और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये गुण आपकी त्वचा को हेल्दी, चमकदार और नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं. ये बीज उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं और आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज करते हैं. त्वचा के अलावा, भिगोए हुए मेथी के बीज आपके बालों की गुणवत्ता में भी सुधार करने में फायदेमंद होते हैं.
5) नई माताओं के लिए
मेथी के बीज में फाइटोएस्ट्रोजन होता है जो स्तनपान कराने वाली माताओं में मिल्क प्रोडक्शन में सुधार करने में मदद करता है. दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आप मेथी के पेय का सेवन कर सकते हैं, जो नवजात शिशुओं में वजन बढ़ाने में भी मदद कर सकता है.
6) पाचन में सुधार करता है
मेथी के बीज एक प्राकृतिक एंटासिड की भूमिका निभाते हैं, इस प्रकार पाचन में सुधार करने में मदद करते हैं. जो लोग पाचन समस्याओं से पीड़ित हैं, जैसे कि एसिडिटी, सूजन और गैस, लक्षणों को मैनेज करने के लिए मेथी के बीज के पानी को खाली पेट भिगोकर रख सकते हैं.
7) वजन घटाने में मदद करता है
यह आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है और शरीर की गर्मी पैदा करता है, जिससे वजन घटाने को बढ़ावा मिलता है. आप मेथी के बीज का पानी खाली पेट एक डिटॉक्स ड्रिंक के रूप में सेवन कर सकते हैं.

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