March 13, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

प्रतिदिन कर रही है लगभग 400 लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग

शौर्यपथ

जल्दी से बूढ़े मां बाप के लिए खाना बनाया, छोटे भाई बहनों को समझाया एप्रिन पहना और निकल पड़ी कलेक्ट्रेट परिसर की कोविड-19 के संक्रमण से सुरक्षा करने ।
पूनम निषाद कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिये बलोदा बाजार के कलेक्ट्रेट परिसर की जिम्मेदारी निभा रही हैं ।
कलेक्ट्रेट परिसर में प्रतिदिन आने वाले लगभग 400 लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग करना, उनको सैनिटाइज कराना और परिसर में उनके द्वारा शारीरिक दूरी को बनाने के बारे में बताया जा रहा है । साथ ही परिसर में आने वाले लोगों को कोविड-19 के संक्रमण से बचने और इसकी पहचान की जानकारी भी दी जा रही है।
``यह एक ऐसा समय है जब हम पूरी तरह से हाथों में गलव्स पहनना, फेस मास्क लगाना,शारीरिक दूरी को नियमित रूप से बनाए रखना ज़रूरी हैं और मानसिक रूप से अपने आपको तैयार रखने में खाना पानी भी याद नहीं रहता है ।कभी कभी पूरे दिन ही बिना खाना और पानी पिये ही गुज़र जाता है,’’ पूनम बताती है।
थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान ताप या सर्दी खांसी के सक्रमित व्यक्ति को तुरंत चिकित्सीय परामर्श के लिये ज़िला अस्पताल भेजा जाता है ।
``कोविड-19 के संक्रमण को लेकर लोगों में अभी उतनी जागरूकता नहीं आई है जितनी होनी चाहिए थी । परिसर में देखने को मिलता है कि लोग शारीरिक दूरी को भूलने लगते हैं। तब उनके बीच जाकर उन्हें फिर से बताना होता है। आने वाले लोगों को भी ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें दूसरे की सुरक्षा के बजाय अपनी सुरक्षा पहले करनी है,’’ पूनम कहती है ।
कोविड-19 के संबंध में जागरूकता बनाने के लिए प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग द्वारा लगातार अलर्ट रहकर प्रयास किए जा रहे है।स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 के लक्षणों एवं बचाव के बारे में आमजन को सचेत करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार भी कर रही है ।
पूनम विकासखंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) के कार्यालय बलोदा बाजार की चिरायु टीम बी में एएनएम का कार्य करती हैं । कोविड-19 के संक्रमण के खतरे से पूर्व चिरायु टीम के सदस्य के रूप में किशोरियों के स्वास्थ्य का दायित्व मिला हुआ था । साथ ही राज्य में चल रहे सुपोषण अभियान के तहत हीमोग्लोबिन टेस्ट करवाने का कार्य में कर रहे थे । इस कार्य में 15 वर्ष से ऊपर 12वीं क्लास तक की छात्राओं का वजन और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी निभाई जा रही थी ।
पूनम निषाद बताती है कोविड-19 के संक्रमण के बाद जिले में क्वॉरेंटाइन किए गए लोगों के आसपास के 50-50 घर का सर्वे उनकी चार सदस्य टीम द्वारा किया गया जिसमें लगभग 1200 से अधिक जनसंख्या का सर्वे कार्य किया ।
सीएमएचओ बलोदा बाज़ार डॉ.खेमलाल सोनवानी ने बताया कोरोना वायरस के लक्षण साधारण सर्दी, जुकाम के लक्षणों से मिलते जुलते हैं। इसमें नाक बहना, खांसी, गले में खराश होना , सिर में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और बुखार जैसे लक्षण होने लगते हैं। ऐसे में नज़दीक के शासकीय चिकित्सालय के चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए या टोल फ्री हैल्पलाइन नंबर 104, 108, पर सम्पर्क कर सकते हैं। साथ ही खांसते, छींकते समय टिश्यू व रुमाल का उपयोग करें।
``हमारा दायित्व है लोगों के स्वास्थय का ध्यान रखना है, जिसके लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है । घर में बूढ़े माता-पिता और दो छोटे भाई-बहन हैं घर में जाने से पूर्व अपने आप को सैनिटाइज करना घर जाकर एक अलग कमरे में रहती हूँ । साथ ही परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था करना एक कठिन और मानसिक रूप से थका देने वाला काम है । मैं जानती हूं यह समय मेरी सुख-सुविधाओं का नहीं बल्कि मेरे समाज को मेरे द्वारा दी जाने वाली सुख सुविधा का है,’’ पूनम बताती है

दिव्यांग बालिका से मिलने पहुँचे एसडीओपो नीतीश ठाकुर,हुए भावुक

धमतरी/नगरी शौर्यपथ

उमर गांव की दिव्यांग बालिका संध्या जो 90 प्रतिशत विकलांग है और बचपन से चलने फिरने में पूरी तरह असमर्थ है।
इस बालिका से मिलने नगरी एसडीओपी नीतीश कुमार ठाकुर बच्ची के घर पहुँचे ।
जहाँ बच्ची से मिलने और उसके बारे में जानकर वे भावुक हो उठे।भावुकता के चलते जेब मे रखे सारे पैसे उस बच्ची के पालन पोषण करने वाले उनके मामा मामी को देकर किसी और सहयोग कर लिए हमेशा तत्पर रहने की बात कही, साथ में गए समाजसेवी सन्नी छाजेड़ व अंकित बोहरा ने बच्ची के लिए राशन सामग्री व टेबल पंखा भेंट किया।
ज्ञात हो कि दिव्यांग संध्या को उसकी मामी ने बचपन से पाला है।
90 प्रतिशत दिव्यांग बच्ची न चल सकती है और न ही अपना कोई कार्य करने सक्षम है।
एसडीओपी नीतीश ठाकुर ऐसे बच्चो की सेवा के लिए सदा तत्पर रहते हैं, पूर्व में घटूला की बच्ची पूर्वी,उमरगांव की ही बच्ची मायावती का हाल जानकर उनकी भी मदद की थी।
इसी कड़ी में नन्ही संध्या को एसडीओपी नीतीश ठाकुर के रूप में एक मसीहा मिल गया है और इस मसीहे ने ठान लिया है कि इस बच्ची का हर सम्भव मदद कर उसे अपने पैरों पर खड़े होने के काबिल बनाएंगे।
शासन ने दिव्यांगों के लिए अनेक योजनाएं संचालित की है, विकलांग पेंशन सहित उनके जीवन यापन के लिए शासन स्तर पर अनेक सहयोग करने का दम्भ भरा जाता है,किन्तु हकीकत की धरातल पर यह तश्वीर कुछ अलग ही नजर आती है। योजनाएं कागजो तक सीमित रह जाती हैं और लाचार व्यक्ति अपनी किस्मत की मार समझ कर अपने आप से समझौता कर लेता है।

इस सम्बंध में जनपद सीईओ
पी.आर. साहू ने कहा कि जनपद से दिव्यांग बालिका के घर अधिकारीयो को भेजकर सम्पूर्ण जानकारी ली जाएगी व शासन की हर योजना का लाभ दिलाने का हर सम्भव प्रयास किया जावेगा।

नई दिल्ली/ शौर्यपथ / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन झेल रहे देश की आर्थिक हालत सुधारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का…
शौर्यपथ / स्वास्थ्य / धूम्रपान आपको कोरोना संक्रमण से नहीं बचाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसी सभी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि धूम्रपान…

धमतरी शौर्यपथ

मंगलवार को पूर्व कैबिनेट मंत्री माननीय अजय चंद्राकर ने देवेंद्र नगर स्थित नारायणा अस्पताल पहुँचकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के से भेंट की एवं चिकित्सकों से उनकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली.
छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के मस्तिष्क को ऑडियो थेरेपी के द्वारा जागत करने की कोशिश की जा रही है आज जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक उन्हें उनके पसंदीदा गाने सुनाकर उनके मस्तिष्क को जागत करने की कोशिश चल रही है।

छत्तीसगढ प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी (उम्र 74 वर्ष), की स्थिति अभी भी बेहद गंभीर बनी हुई है। उनका हृदय, ब्लड प्रेशर और यूरिन आउटपुट नियंत्रित है।

अजीत जोगी को अभी वेंटीलेटर के माध्यम से सांस दी जा रही है। मेडिकल प्रोटोकॉल्स के तहत उपचार जारी है और डॉक्टरों द्वारा उनके दिमाग को क्रियाशील ( एक्टिवेट ) करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

ऑडियो थेरेपी द्वारा भी उनके पसंदीदा गाने उन्हें कान में सुनाकर उनके मस्तिष्क को जागत करने की कोशिश चल रही है। आज शाम 4 बजे उनके दिमाग का ईईजी टेस्ट किया गया जिसमें उनके दिमाग में बहुत थोड़ी सी हलचल देखी गयी है।

 

धमतरी शौर्यपथ

मंगलवार को पूर्व कैबिनेट मंत्री माननीय अजय चंद्राकर ने देवेंद्र नगर स्थित नारायणा अस्पताल पहुँचकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के से भेंट की एवं चिकित्सकों से उनकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली.
छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के मस्तिष्क को ऑडियो थेरेपी के द्वारा जागत करने की कोशिश की जा रही है आज जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक उन्हें उनके पसंदीदा गाने सुनाकर उनके मस्तिष्क को जागत करने की कोशिश चल रही है।

छत्तीसगढ प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी (उम्र 74 वर्ष), की स्थिति अभी भी बेहद गंभीर बनी हुई है। उनका हृदय, ब्लड प्रेशर और यूरिन आउटपुट नियंत्रित है।

अजीत जोगी को अभी वेंटीलेटर के माध्यम से सांस दी जा रही है। मेडिकल प्रोटोकॉल्स के तहत उपचार जारी है और डॉक्टरों द्वारा उनके दिमाग को क्रियाशील ( एक्टिवेट ) करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

ऑडियो थेरेपी द्वारा भी उनके पसंदीदा गाने उन्हें कान में सुनाकर उनके मस्तिष्क को जागत करने की कोशिश चल रही है। आज शाम 4 बजे उनके दिमाग का ईईजी टेस्ट किया गया जिसमें उनके दिमाग में बहुत थोड़ी सी हलचल देखी गयी है।

 

शौर्यपथ / सत्य वह नहीं है जो असत्य है। सत्य स्वयं में एक अनुभव है जो मन की कंदराओं से निकल कर आपको वास्तविकता से…
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शौर्यपथ

यूनिसेफ, एनएचएम एवं डब्ल्यूएचओ ने संयुक्त रूप से जारी की मार्गदर्शिका
• प्रवासी कामगारों के घर वापसी पर प्रबंधन प्रोटोकॉल की दी गयी जानकारी
• प्रवासी कामगारों के लिए होम क्वारंटाइन के दौरान सावधानियां बरतने की दी गयी सलाह
रायपुर 12 मई 2020। कोरोना संक्रमण के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी कामगारों सहित छात्र एवं अन्य लोग अब अपने-अपने राज्य लौटने लगने लगे हैं. इन्हें सुरक्षित अपने घर पहुँचाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों ने कई स्तर पर व्यवस्थाएं की हैजिसमें इनके आवाजाही के लिए स्पेशल ट्रेन सहित अपने राज्य पहुँचने पर क्वारंटाइन की सुविधा शामिल है. लेकिन कोरोना संक्रमण के इस दौर में भारी संख्या में लोगों के घर वापसी पर संक्रमण प्रसार को रोकने की भी चुनौती सरकार के सामने है. इसे ध्यान में रखते हुए यूनिसेफ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिश (एनएचएम) एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त रूप से मार्गदर्शिका जारी की है, जिसमें प्रवासी कामगारों के घर वापसी पर प्रबंधन प्रोटोकॉल, प्रवासी कामगारों के लिए होम क्वारंटाइन के दौरान जरुरी सावधानियां एवं कोरोना से बचाव को लेकर विशेष वर्गों के लोगों के लिए सावधानी इत्यादि के विषय में विस्तार से जानकारी दी गयी है|
प्रवासी कामगारों के घर वापसी पर बनाये गए प्रबंधन प्रोटोकॉल:
प्रवासी कामगारों के घर वापसी पर कुछ प्रबंधन प्रोटोकॉल बनाये गए हैं, जिसमें बाहर से घर लौटने पर सभी प्रवासियों का जिला प्रशासन द्वारा पंजीकरण एवं स्क्रीनिंग की जानी है. जिन प्रवासियों में कोविड-19 के लक्षण मिलेंगे उन्हें कुछ तय प्रोटोकॉल के अनुपालन करने होंगे. जबकि जिन प्रवासियों में कोविड-19 के लक्षण नहीं भी मिलते हैं, उन्हें भी कुछ सावधानियों का अनुपालन करना अनिवार्य होगा.
1. कोविड-19 के लक्षण पाए जाने पर:
 सरकार द्वारा ऐसे प्रवासियों को सरकार द्वारा प्रबंधित क्वारंटाइन फैसिलिटी में रखा जाएगा
 प्रबंधित क्वारंटाइन फैसिलिटी में कोविड-19 की जांच होगी
 जांच में संक्रमण पाए जाने पर अस्पताल में भर्ती किया जाएगा
 जांच में संक्रमण नहीं पाए जाने पर 7 दिन क्वारंटाइन में रख दोबारा जांच की जाएगी
 7 दिन के बाद भी संक्रमण न होने पर घर भेज दिया जाएगा जहाँ खुद को 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहना होगा
2. कोविड-19 के लक्षण नहीं होने पर
 ऐसे में प्रवासी को घर भेज दिया जाएगा
 घर में खुद को 21 दिन होम क्वारंटाइन में रहना होगा
 होम क्वारंटाइन के दौरान यदि खांसी, बुखार या सांस लेने में कोई कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देंम तो तुरंत आशा या सरकार की हेल्पलाइन नंबर ( 1800-180-5145) पर संपर्क करने की सलाह दी गयी है |
बनें ज़िम्मेदार, होम क्वारंटाइन में प्रवासी बरतें सावधानियाँ:
होम क्वारंटाइन में प्रवासी सावधानी बरतकर संक्रमण प्रसार को रोका सकते हैं. इसके लिए मार्गदर्शिका में जरुरी जानकारी दी गयी है :
• घर पहुंचते ही 21 दिन होम क्वारंटाइन में रहें. इस दौरान अलग कमरे में ही रहें
• क्वारंटाइन में रहते हुए अनिवार्य रूप से मास्क/गमछा / दुपट्टे से मुँह एवं नाक को ढँक कर रखें
• मास्क/गमछा / दुपट्टे को साबुन एवं गर्म पानी से धोकर धूप में सुखाएं
• सिर्फ एक बार के उपयोग के लिए बने मास्क का दोबारा इस्तेमाल न करें
• हाथों को साफ़ पानी एवं साबुन से बार-बार धोते रहें
• किसी से भी हाथ मिलाने से परहेज करें
• घर का सामान जैसे बर्तन, पानी का ग्लास, बिस्तर, तौलिया या अन्य उपयोग की जाने वाली चीजों को घर के दूसरे सदस्य के साथ साझा न करें
• संक्रमित व्यक्ति के लिए अलग से थाली रखें एवं इसे अलग से गर्म पानी से अच्छी तरह धोएं
• अपने मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु एप्प का उपयोग करें
• किसी भी अन्य व्यक्ति का प्रवेश अपने घर में नहीं होने दें
• आपको या आपके परिवार के किसी भी सदस्य में यदि कोविड-19 के लक्षण दिखाई देते हैं तो इसकी सूचना आशा को तत्काल दें
• आपके घर से केवल एक व्यक्ति ही जरुरी सामानों की खरीदारी के लिए घर से बाहर जाए
• घर से निकलते समय मास्क/गमछा/दुपट्टा का प्रयोग करें एवं वापस लौटने पर हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं ।

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