September 21, 2024
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Mrinendra choubey

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0 जिस कानून को कांग्रेस की सरकार ने पूरे देश मे लागू कराया वही कानून आज कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में मजाक बन कर रह गया है

राजनांदगांव / शौर्यपथ / जिस कानून को कांग्रेस की सरकार ने पूरे देश मे लागू कराया वही कानून आज कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में मजाक बन कर रह गया है। पीड़ित पालक रोमेश ठाकूर ने प्रधानमंत्री को अपनी पीड़ा पत्र लिखकर बताया है कि कैसे तीन वर्षो तक जिम्मेदार अधिकारीयों के समक्ष आग्रह करने के बावजूद उनके पुत्र को निःशुल्क शिक्षा दिलाने में वे असफल रहे। पीड़ित पालक प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आरटीई कानून की धारा 8 एंव 9 को विलोपित करने की मांग कर रहे है क्योंकि इस धारा का पालन प्रदेश और जिले के अधिकारी नही कराना चाहते है। शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 8 एंव 9 में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि बच्चों को अनिवार्य प्रवेश से लेकर शिक्षा पूर्ण कराने की बाध्यता राज्य और स्थानीय प्रशासन की है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी ने इसे पालको का कर्तव्य बता कर अपने पदीय कर्तव्य को पूरा करने से बचते नजर आए। जब कोई भी प्रायवेट स्कूल बंद हो जाता है तो उसमें प्रवेशित आरटीई के बच्चों को अन्य स्कूल में अंयन्त्र प्रवेश दिलाने की पूरी बाध्यता स्थानीय प्रशासन की होती है लेकिन कोरोना काल वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक लगभग 45 प्रायवेट स्कूल जिले में बंद हुए जिसमें लगभग 1500 आरटीई के बच्चे प्रवेशित थे, जिन्हे अंयन्त्र स्कूलों में प्रवेश दिलाने की पूरी जिम्मेदारी आरटीई नोडल अधिकारी आदित्य खरे की थी, लेकिन उनके पदीय कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही बरतने के कारण आज वे बच्चे या तो शालात्यागी हो गए या मजबूरी में पैसे उधार लेकर किसी प्रायवेट स्कूल में मोटी फीस देकर पढ़ रहे है। जिम्मेदार अधिकारी आदित्य खरे ने लिखित में अपने उच्च अधिकारी कलेक्टर को जवाब दे दिया कि यदि कोई प्रायवेट स्कूल बंद हो गया है तो यह पालको का कर्तव्य है कि वे अपने आरटीई के बच्चों को किसी अन्य स्कूल में पैसे देकर पढ़ाए और उच्च अधिकारी ऐसे जिम्मेदार अधिकारी की इस तर्क से संतुष्ट भी है। वरना आज श्री खरे निलंबित तो जरूर हो गए होते या उन्हे उनके मूल पद में भेज दिया गया होता। वैसे भी आदित्य खरे का मूलपद प्राचार्य है और वे विगत 20 वर्षो से डीईओ कार्यालय में बाबूगिरी कर रहे और बीस वर्षो से बिना अध्ययपन कराए ही वेतन ले रहे है और जिला प्रशासन यह सब जानबूझकर भी होने दे रहा है।

0 बंद स्कूलों और गरीब बच्चों की झूठी जानकारी दी, एफआईआर दर्ज कराने की हुई मांग

राजनांदगांव / शौर्यपथ / शिक्षा विभाग में इन दिनों हडकंप मचा हुआ है क्योंकि जिम्मेदार अधिकारीयों की एक के बाद एक पोल खुल रही है और सख्त कार्यवाही कर सिकंजा उन पर कसते जा रहा है। कोरोना काल वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक अविभाजित राजनांदगांव जिले में कितने प्रायवेट स्कूल बंद हुए, इन बंद स्कूलों में कितने आरटीई के गरीब बच्चे प्रवेशित थे, वे आज कहां है, इसकी जानकारी छिपा कर तत्कालीन आरटीई नोडल आधिकारी आदित्य खरे घिरते नजर आ रहे है। सूचना का अधिकार कानून के अंतर्गत आवेदको ने जब जानकारी की मांग की तो श्री खरे ने जानकारी उपलब्ध नही कराया और छत्तीसगढ़ विधान सभा में स्कूलवाईस जानकारी भेज दिया। अब शिकायतकर्त्ता उन पर कार्यवाही की मांग कर रहे है क्योंकि उनका कहना है कि यदि कार्यालय में जानकारी उपलब्ध था जो श्री खरे ने उन्हे जानकारी उपलब्ध क्यों नही कराया और जो जानकारी सदन को भेजी गई है वह भी झूठी है क्योंकि पीड़ित पालको ने लिखित शिकायत कर खरे के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे है क्योंकि उनके बच्चे बंद स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित थे, लेकिन आरटीई कानून की धारा 9 के अंतर्गत उनके बच्चों को श्री खरे ने किसी भी अन्य स्कूलों में प्रवेश नही दिलाया, वे मजबूरी में सोना गिरवी रखकर, पैसे उधारी लेकर अपने बच्चों को अन्य प्रायवेट स्कूलों में पढ़ा रहे है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने संभागिय कमिश्नर से इस मामले की लिखित शिकायत कर आदित्य खरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की है, वैसे भी आरटीई फीस स्कैम की जांच उच्च स्तर पर हो रही है, और राज्य ने इस प्रकरण को टीएल में रखा है क्योंकि आरटीई प्रतिपूर्ति राशि की ऑडिट चल रही है और राज्य सरकार एक एक पैसे का हिसाब मांग रही है। अब सवाल यह उठता है कि श्री खरे ने सदन में झूठी जानकारी दी, सूचना का अधिकार के अंतर्गत आवेदको को झूठी जानकारी दी और कलेक्टर को झूठी जानकारी दी और जब आदित्य खरे के खिलाफ पीड़ित पालको ने दस्तावेजी साक्ष्य के साथ लिखित शिकायत की थी तो उनपर कोई कार्यवाही क्यों नही किया गया, और उन्हे किसका संरक्षण प्राप्त है।

राजनांदगांव / शौर्यपथ / गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है वंही दुसरी ओर सरकारी स्कूलों में पदस्थ जिम्मेदार लोगों के द्वारा सरकार की महात्वांकाशी योंजनाओं पर पानी फेरने में कोई कसर नही छोड़ा जा रहा है। सरकारी स्कूलों में वैसे भी पर्याप्त शिक्षक नही है, जो है वे भी स्कूल कम ही आते है, जो आते है वे कम ही पढ़ाते है और दुसरी ओर गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा सरकारी स्कूल में अध्ययपन कार्य के समय खाना खजाना का कार्यक्रम का आयोजन जिसमें शहर की महापौर को भी सम्मिलत किया गया है, जनप्रतिनिधि शिक्षा को कितने गंभीरता से ले रहे है और जिले के प्रशासनीक अधिकारी इसकी अनुमति कैसे दे रहे है यह समझ से परे है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने मगंलवार दिनांक 29 नवंबर को इंटेक राजनांदगांव द्वारा महारानी स्कूल में आयोजित खाना खजाना कार्यक्रम का विरोध किया है और कलेक्टर को पत्र लिखकर इस कार्यक्रम को तत्काल रदद् कर जिम्मेदारों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग की गई है।

0 सूर्या फाउंडेशन सतगुरु कबीर कुटी आश्रम पेंड्री और माध्यमिक विद्यालय द्वारा 250 पुस्तकों के साथ पुस्तकालय का संचालन प्रारंभ किया गया

राजनांदगांव / शौर्यपथ / सूर्या फाउंडेशन आदर्श गांव योजना- के तहत आदर्श गांव पेंड्री (सुकुलदैहान) राजनांदगांव छत्तीसगढ़ में शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पेंड्री के संग्रहालय भवन में सूर्या पुस्तकालय का मां सरस्वती के स्मृति पर दीप प्रज्वलन बंधन प्रार्थना के साथ शुभारंभ किया गया। जिसमें सूर्या फाउंडेशन सतगुरु कबीर कुटी आश्रम पेंड्री और माध्यमिक विद्यालय द्वारा 250 पुस्तकों के साथ पुस्तकालय का संचालन प्रारंभ किया गया। जिसमें सूर्या फाउंडेशन की ओर से नया पंचतंत्र की कहानी, शिशु गीत, चोरी का धन, कबूलीवाला, भगवान महावीर की जीवनी, भगवान श्री गणेश, हमारी नदियां और प्रदूषण, स्वस्थ रहो सफाई रखो, आरती संग्रहालय, गुरु और माता-पिता के भक्त बालक, आदर्श नारी सुशीला एक शिक्षाप्रद कहानी, वीर बालिकाएं, गुरु महिमा सतगुरु कबीर दास जी, शक्ति दाई विचार स्वामी विवेकानंद, सच्चा सम्मान, बिन पानी सब सून, मुझे मेरा अधिकार चाहिए, सारागांव पड़ेगा, सूर्य नमस्कार स्वास्थ्य रक्षक, अकबर बीरबल, आखर झापी, प्रवेशिका जेसी प्रेरणा स्रोत कहानियां एवं महापुरुषों की जीवनी की पुस्तकें भेंट की गई। इस दौरान विद्यालय की मुख्य शिक्षक द्वारा बताया गया कि एक ग्रामीण स्तर के गांव में इस प्रकार की पुस्तकालय का संचालन करना और युवा पीढ़ी सहित विद्यालय के विद्यार्थियों और गांव के शिक्षा प्रिय मित्रों के लिए सूर्या फाउंडेशन द्वारा बहू मूल्य पहल है वहीं आस-पास के गांव सहित अन्य ग्रामीणों को भी यह पहल प्रेरणास्रोत बनेगी, और शिक्षा प्रेमियों को विभिन्न प्रकार की कहानियां और महापुरुषों की जीवनी सहित हमारे धर्म के ग्रंथों का अध्ययन करने का एक निश्चित स्थान उपलब्ध हो पाएगा हमारे विद्यालय की ओर से एक समय निश्चित कर विद्यार्थियों को इस पुस्तकालय में स्कूली शिक्षा के साथ इन पुस्तकों का अध्ययन करने के लिए समय दिया जाएगा वही इस प्रकार की पहल हर ग्राम पंचायत और विद्यालय की ओर से की जानी चाहिए ताकि हमारे विद्यार्थियों को एक निश्चित स्थान पर बल्कि पूरी दुनिया का ज्ञान अर्जित करने का स्थान मिल सके। साथ ही सभी बच्चों के पाठ्यक्रम सिलेबस की गहनता से तैयारी करवाई जायेगी। समय-समय पर उनके अभ्यास टैस्ट व उनमें सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना भी पैदा करने पर प्रयास होंगें। ग्राम सेवा प्रमुख राजेंद्र हिंदुस्तानी जी ने कहां की प्रारम्भिक शिक्षा ही जीवन में सफलता का आधार रहता है। उन्हें बहुत खुशी है की इसका श्रेय संस्था से जुड़े उन सभी ग्रामीणों को जाता है जो अपने गांव के प्रति न केवल लगाव रखतें हैं बल्कि अपनी नेक कमाई का एक हिस्सा अपने गांव की सेवा में भी लगातार दे रहें हैं, गांव की कमेटी व पंचायत सेवाभावी समिति भी हमें हर कार्य में बहुत सहयोग कर रही हैं। उन्होंने सभी संस्था के सदस्यों व शिक्षकों का आभार प्रकट करते हुये बताया कि जब गांव के लोग कामयाब होकर अपनी नई पीढ़ी को सींचने लग जातें हैं तो गांव को शिखर पर जाने से कोई नहीं रोक सकता। वही इस अवसर पर युवा मितान क्लब एवं युवा शक्ति सेवा संगठन के अध्यक्ष दुर्गेश साहू , माध्यमिक शाला प्रधानाचार्य जागेंद्र सिंह वर्मा , सेवानिवृत्त कृष्ण कन्हैया दास वैष्णव , दीदी निर्मला वर्मा , दीदी धर्मिता जी, संस्कार केंद्र शिक्षक हीरेंद्र साहू , सूर्या यूथ क्लब केंद्र शिक्षक सूरज साहू , राजकुमार यादव , भैया तारण साहू , दीपक यादव , धर्म साहू , सूर्या फाउंडेशन आदर्श गांव सेवा प्रमुख राजेंद्र हिंदुस्तानी के साथ संस्कार केंद्र और विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

0 जितने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा रहा है उससे कंही अधिक बच्चों की फीस स्कूल के एकाउंट में हस्तांतरित कराया जा रहा है

राजनांदगांव /शौर्यपथ / शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत प्रायवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग प्रायवेट स्कूलों को फीस देती है। उच्च कार्यालय को लगातार यह शिकायते मिल रही थी कि डीईओं कार्यालय में पदस्थ जिम्मेदार लोगों के द्वारा आरटीई प्रतिपूर्ति राशि में गड़बड़ी की जा रही है। जितने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा रहा है उससे कंही अधिक बच्चों की फीस स्कूल के एकाउंट में हस्तांतरित कराया जा रहा है और यह सब सुनियोजित ढंग से षड़यंत्र के तहत किया जा रहा है। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रायवेट स्कूलों में अध्ययनरत् आरटीई के बच्चों का सत्यापन कराया गया तो यह खुलासा हुआ कि गौतम टेकनो स्कूल, मोहला में सिर्फ 6 आरटीई के बच्चे पढ़ रहे है लेकिन इस स्कूल को 21 बच्चों के हिसाब से एक लाख पैंतालिस हजार रूपया स्कूल के एकाउंट में हस्तांतरित कर दिया गया वैसे ही रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपुर में 55 आरटीई के बच्चों का नाम सत्यापित किया गया जबकि इस स्कूल को 71 बच्चों का प्रतिपूर्ति राशि जो लगभग पांच लाख तैंतिस हजार चार सौ ग्यारह रूपया स्कूल के एकाउंट में हस्तांतरित किया गया। संयुक्त संचालक कार्यालय ने इस मामले की जांच आरंभ कर दी है और छुईखदान के बीईओ को रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपूर और रविन्द्र टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा के बच्चों की जानकारी की मांग की गई लेकिन जानकारी संभागिय कार्यालय में उपलब्ध नही कराया जा रहा है, जिसको लेकर उच्च कार्यालय अब डीईओं कार्यालय में पदस्थ जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करने के मूड़ में दिख रहा है। जानकार तो यहां तक बता रहे है कि यदि विगत ग्यारह वर्षो की प्रतिपूर्ति की जांच कराया जाए तो करोड़ों के गबन के मामले उजागर हो सकते है। इतना ही नही विभाग हड़बड़ी में गड़बड़ी कर बैठा क्योंकि रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपूर और रविन्द्र टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा में अध्ययनरत् बच्चों को शालात्यागी बता दिया गया जबकि आरटीई नोडल अधिकारी श्री आदित्य खरे पहले ही विधान सभा में यह जानकारी दे चूके है कि कोरोना काल में बंद हुए प्रायवेट स्कूलों में प्रवेशित आरटीई के बच्चो को दुसरे स्कूलों में प्रवेश दिला दिया गया है और कोई भी बच्चा शालात्यागी नही है, कोई भी बच्चा स्कूल से वंचित नही है। अब विभाग इस मामले में चारों तरह से घिरता नजर आ रहा है और उच्च कार्यालय इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और विभाग के जिम्मेदार लोगों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष क्रिस्टोफर पाल ने दोषियों के खिलाफ आर्थिक अनियमितता के आधार पर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि इसके पहले भी कांकेर के तत्कालीन डीईओ एमआर खांडे ने भी अपने खाते में ही एक करोड़ 31 लाख स्र्पये जमा कर लिए थे, तब भी मामले की शिकायत की गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई थी।

0 नियम विपरीत दिए गए पदोन्नति और थोक के भाव में पदोन्नति आदेश निरस्तीकरण के मामले मे भी डीईओ को जिम्मेदार माना जा रहा है।

राजनांदगांव/शौर्यपथ / जिले में जिस दिन से पदभार संभाला है उस दिन से नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी राजेश सिंह विवादों में है। नियम विपरीत दिए गए पदोन्नति और थोक के भाव में पदोन्नति आदेश निरस्तीकरण के मामले में उन्हे ही जिम्मेदार माना जा रहा है। संबंधित डिलिंग क्लर्क का स्वास्थ्य अचानक खराब हो जाता है और उसे हैदराबाद में भर्ती किया गया है। जानकार बता रहे है कि पदोन्नति में जो जानबूझकर सुनियोजित ढंग से कुछ खास लोगों को अनुचित लाभ दिलाने का प्रयास किया गया उससे नवपदस्थ डीईओ अभी उभर ही नही पाए थे कि एक अनुकंपा नियुक्ति ने विभाग में हड़कंप मचा दिया है। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम पर नियम विपरीत अनुकंपा नियुक्ति देने का आरोप लगा और शिकायत के पश्चात् कुछ लोगों की अनुकंपा नियुक्ति आदेश निरस्त किया गया और जिस अनुकंपा नियुक्ति आदेश को हेतराम सोम ने निरस्त किया था और उसे नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने बहाल कर दिया। पीड़ित महिला जो इस अनुकंपा नियुक्ति की वैधानिक हकदार है, उसने लिखित शिकायत कर यह आरोप लगाया है कि जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा उनके अपत्ति दर्ज कराने के बावजूद और उनकी इच्छा के विपरीत उसके वैधानिक हक को छिनकर उसके नालायक पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति दे दिया गया और अब जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा उसे इस बुढ़ापे में कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने के लिए मजबूर कर दिया गया और पीड़ित महिला इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी राजेश सिंह को पूर्णतः उत्तरदायी मान रही है।

राजनांदगांव / शौर्यपथ / कानफ्लुएंस के प्रबंधन, वाणिज्य तथा कंप्यूटर विभाग द्वारा दिनांक एंटरप्रेन्योरशिप स्किल प्रोग्राम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में रुपेश चौबे (फाउंडर एंड सीईओ ऑफ़ गोकुल ग्रामोद्योग) सुधीर मिश्रा एवं उर्वशी दवे (को- फाउंडर ऑफ़ गोकुल ग्रामोद्योग) उपस्थित रहे जिन्होंने व्यवसायिक शुरुआत कैसे की जाती हैं एवं स्वयं का व्यवसाय कैसे बनाया जाए के बारे में पूर्ण जानकारी दी। गोकुल ग्रामोद्योग के फाउंडर एंड सीईओ रुपेश चौबे ने बताया कि यदि आप किसी प्रोजेक्ट को सरकार से अप्रूवल कराना चाहते हैं और उसके लिए कोई ग्रांड चाहते हैं तो आप इस हेतु एक अच्छा प्रोजेक्ट तैयार कर सरकार के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं जिसके लिए सरकार आपको 5 लाख से लेकर 25 लाख तक का ग्रांट देने को तैयार हो जाती है । सुधीर मिश्रा ने वार्मिंग कंपोस्ट खाद और अनावश्यक पदार्थों , सब्जियों एवं अन्य फलों के छिलकों का उपयोग कर खाद का निर्माण कर सकते हैं के बारे में बताया,,सुश्री उर्वशी दवे ने बताया कि किसी भी फील्ड का विद्यार्थी चाहे वह किसी भी विषय में शिक्षा ग्रहण किया हो अपना व्यवसाय स्थापित कर सकता है व्यवसाय स्थापित करने के लिए किसी के लिए भी उम्र की सीमा नहीं है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर रचना पांडे ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान समय में स्वरोजगार की ओर बच्चों का रुझान ज्यादा दिखाई दे रहा है और इस कार्य को आगे ले जाने के लिए महाविद्यालय में प्रशिक्षित अतिथियों का व्याख्यान विद्यार्थियों को जरूर एक नई दिशा प्रदान करेगा। महाविद्यालय के संचालक संजय अग्रवाल, आशीष अग्रवाल और डॉ मनीष जैन ने संयुक्त रूप से विद्यार्थियों का उत्साह वर्धन करते हुए कहा महाविद्यालय में विद्यार्थियों हेतु इस तरह के कार्यक्रम निश्चित रूप से उन्हें एक नई दिशा प्रदान करते हैं । यह कार्यक्रम प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष सुश्री आभा प्रजापति, वाणिज्य विभाग की विभागाध्यक्ष सुश्री ममता साहू तथा कंप्यूटर विभाग के विभागाध्यक्ष अनिल ताम्रकार एवं महाविद्यालय के समस्त शिक्षक गणों के सहयोग से पूर्ण हुआ। महाविद्यालय के सभी विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

0 कमीशनखोरी के मामले में कब कार्यवाही करेंगे मुख्यमंत्री ?

राजनांदगाव / शौर्यपथ / लोक स्वास्थ्य यात्रिकी विभाग में केंद्र की योजनाओ में जमकर खेला जा रहा कमीशन का खेल... छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे ज्यादा भ्रष्ट अधिकारीयो की फौज कही है तो वो है राजनांदगांव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग राजनांदगाव में है कुछ दिन पूर्व ऐसा आरोप वहां कार्य करने वाले ठेकेदारो ने प्रदर्शन करके लगाया था l पिछले कई कार्यो जिसमे धीरी प्रोजेक्ट जो 24 गांव में पानी पंहुचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 28 करोड़ की लागत से चालू किया गया जो ख़त्म होते होते 42 करोड़ का हो गया । जो घटिया सामग्री और मोटे कमीशन के चलते कई गांवों में आज भी पानी नहीं पंहुचा है जिसमे पूर्व कार्यपालन अभियंता एसएन् पांडे और पूर्व सब इंजीनियर तारा वैष्णव ने जमकर गोलमाल किया था जिसकी जांच आज तक अधूरी है अगर सही जांच की जाये तो ये सब जेल के पीछे होगे वर्तमान कलेक्टर और कार्यपालन अभियंता को भी धीरे प्रोजेक्ट के अंतर्गत ग्राम इंदा वाणी के जनप्रतिनिधियों और मीडिया के लोगों ने भी शिकायत की हैऔर अभी वर्तमान मे जिले भर मे जल जीवन मिशन के अंतर्गत करोड़ के काम हर घर जल पहुंचा ने के लिए किए जा रहे जो की करोड़ की लागत के है । कार्यपालन अभियंता तो बदल गए फिर भी काम का तरीका वही है कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार के चलते जिले भर के कामों में गुणवताहीन कार्य को संरक्षण दिया जा रहा है और कमीशन ना मिलने के कारण संबधित ठेकेदारों के करोड़ो के भुगतान को रोक दिया गया है शासन से करोड़ो रुपये प्राप्त होने के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है जिसका नतीजा ठेकेदार संगठन द्वारा प्रदर्शन और आरोप लगाया जा रहा है की लोक स्वास्थ्य यात्रिकी विभाग में कमीशन खोर अधिकारियों की फौज है जो प्रदेश के विकास का पहिए रोकने में और अपनी जेब भरने में लगे है । आखिर राजनांदगाव सहित प्रदेश भर में हो रहे इस कमीशनखोरी के मामले में कब कार्यवाही करेंगे मुख्यमंत्री ?

राजनांदगांव / शौर्यपथ / शिक्षा का अधिकार कानून का जिले में बूरा हाल है। जिलें में वर्ष 2011 से प्रायवेट स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा हेतु प्रवेश दिलाया जा रहा है लेकिन प्रति वर्ष बड़ी संख्या में गरीब बच्चे स्कूल छोड़ रहे है लेकिन इसकी कोई जानकारी आरटीई नोडल अधिकारी आदित्य खरे को नही है। सूचना का अधिकार से प्राप्त जानकारी में यह जानकारी प्राप्त हुआ है कि आरटीई नोडल अधिकारी आदित्य खरे को यह भी नही मालूम है कि कोरोना काल में कितने स्कूल बंद हुए और इन बंद हुए प्रायवेट स्कलों में प्रवेशित आरटीई के गरीब बच्चों को किन-किन स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है। जानकार बताते है कि जिले में अब तक लगभग चार हजार आरटीई के बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया, जिसकी मॉनिटियर्रिंग स्थानीय प्रशासन यानि आरटीई नोडल अधिकारी को करना था लेकिन विभाग में इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नही है। हैरत की बात यह कि आरटीई बच्चों की जानकारी डीईओ कार्यालय में उपलब्ध नही है लेकिन विधान सभा में आरटीई नोडल अधिकारी आदित्य खरे ने बताया है कि कोरोना काल में जितने भी प्रायवेट स्कूल बंद हुए उनमें अध्ययनरत् आरटीई के बच्चों को अंयन्त्र स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा चूका है, कोई भी बच्चा शिक्षा और स्कूल से वंचित नही है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 9 में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि प्रायवेट स्कूलों में अनिवार्य प्रवेश से लेकर शिक्षा पूर्ण कराने तक की बाध्यता स्थानीय प्रशासन यानि आरटीई नोडल अधिकारी की है लेकिन आदित्य खरे ने अपने पदीय कर्तव्य की प्रति घोर लापरवाही बरत रहे है जिसके कारण सैकड़ों बच्चे आज शिक्षा और स्कूल से वंचित है और हमने इस दोषी नोडल अधिकारी की निलंबन की मांग की है।

राजनांदगांव - बसंतपुर डोंगरगांव रोड स्थित श्रीराम अस्पताल में अब राज्य के कर्मचारी और उनके आश्रित रियायती दरों पर इलाज करा सकेंगेँ,सरकार ने श्रीराम अस्पताल को इसके लिए मान्यता दे दी है। बता दे कि सरकार द्वारा मान्यता देने से राज्य के कर्मचारियो और उनके परिजनो को इलाज के लिए बाहर जाने की जरूरत नही पडेगी। छत्तीसगढ के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार राज्य के कुछ अस्पतालों को सीजीएचएस दरों पर इलाज करनें की मान्यता दी गई है इनमें श्रीराम अस्पताल शामिल है । राजनांदगांव शहर का एकमात्र अस्पताल जो राज्य के कर्मचारी व उनके परिवार के उपचार के लिए मान्यता प्राप्त...श्रीराम अस्पताल ने जिस तरह लोंगो का इलाज किया, उससे अस्पताल की अलग छवि बनी है माना जा रहा है कि इलाज में गंभीरता और समर्पण को देखते हुए अस्पताल को सरकारी कर्मचारियों और उनके परिजनों के इलाज के लिए अधिकृत किया गया है। इस मान्यता के बाद सरकारी कर्मचारियों और उनकें परिजन श्रीराम अस्पताल में इलाज की सुविधा का रियायती दर लाभ उठा सकेंगे श्रीराम अस्पताल को जटिल सर्जरियों का बेहतर अनुभव है सर्जरी के मामलें में हासिल है। सुविधा का लाभ उठानें के लिए यह करना होगा- अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठानें के लिए राज्य कर्मचारियों और उनकें परिजनों को तय प्रक्रिया पुरी करनी होगी कर्मचारी और उनके आश्रितों को जिले के सिवल सर्जन की अनुशंसा प्राप्त करनी होगी। इमरजेंसी की स्थिति में कर्मचारी या उनकें परिवार के सदस्य को उपचार शुरू होने के ७२ घण्टे के भीतर नियंत्रण अधिकारी या कार्यालय प्रमुख को सुचना देनी होगी इसके अलावा इमरजेंसी की स्थिति मे कार्योत्तर स्वीकृति लेनी होगी । कुछ इलाज आधे से कम दाम पर, उनका भी हो जायेगा । रेम्बुरसेमेंट- सीजीएचएस दर बाजार, दर से काफी कम होती है कुछ इलाज और जांच तो बाजार से आधी से भी कम है अच्छी बात ये है कि यह पैसा भी सरकार रैमबुरसेमेंट यानी वापस कर देती हैं बस इसके लिए तय प्रकिया अपनानी होती है । सर्वसुविधानुसार से परिपूर्ण है अस्पताल श्रीराम अस्पताल ग्रीन सीटी कॉलोनी के सामनें, बसंतपुर, डोंंगरगांव रोड, राजनांदगांव, में स्थित सुविधाओ के मामले में बेहतरीन अस्पताल माना जाता है। चिकित्सा सेवा के साथ ही डॉक्टर के दोस्ताना व्यवहार और पेशेंट फे्रंडली वातावरण के कारण अस्पताल को निजी संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। एक छत के नीचे तमाम चिकित्सा सुविधाएं- श्रीराम अस्पताल में एक ही छत के नीचे, आर्थो, प्लास्टिक सर्जरी, स्त्री रोग, सम्बंधित उपचार जनरल सर्जरी, ई.एन.टी उपचार, २४ घण्टे ट्रामासेंटर जैसी सुविधाएं है अनुभवी डॅाक्टर के साथ ही कुशाल ट्राम टीम है हड्डी रोग सम्बन्ति सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है अस्पताल को ज्यादा सर्जरी का बेहतरीन अनुभव है ।

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