April 30, 2024
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

अब तक 15 ट्रेनों से 22 हजार श्रमिकों को की हुई सकुशल वापसी
वाहन एवं अन्य माध्यमों से 83 हजार 172 श्रमिक लौटे छत्तीसगढ़

   रायपुर / शौर्यपथ / नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों में फंसे प्रदेश के श्रमिकों तथा अन्य लोगों को लगतार वापसी जारी हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल एवं निर्देशन पर राज्य एवं राज्य के बाहर फंसे लगभग 3 लाख लोगों को त्वरित राहत पहुंचाई गई है। साथ ही प्रदेश के श्रमिकों को वापस लाने के लिए राज्य सरकारों से समन्वय कर 45 ट्रेनों की सहमति प्रदान की गई हैं।
        श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि भवन एवं अन्य सन्ननिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा प्रवासी श्रमिकों को वापस छत्तीसगढ़ लाने के लिए स्पेशल ट्रेन के लिए विभिन्न रेल मण्डलों को श्रमिकों के यात्रा व्यय के लिए आवश्यक राशि का भुगतान किया जा रहा है। वर्तमान में 34 हजार 284 यात्रियों को 23 ट्रेनों से वापस लाने के लिए एक करोड़ 99 लाख 58 हजार 360 रूपए का भुगतान किया गया है।
राज्य सरकार इसके अलावा लॉकडाउन के कारण श्रमिकों एवं अन्य लोगों को जो छत्तीसगढ़ राज्य के सीमाओं पर पहुंच रहे है एवं राज्य की ओर से गुजरने वाले सभी श्रमिकों के लिए नाश्ता, भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण एवं परिवहन की निःशुल्क व्यवस्था ने श्रमिकों कोे काफी राहत पहुंचा रही है। मुख्यमंत्री श्री बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ के सभी सीमाओं पर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों को, चाहें वो किसी भी राज्य के हो, उन्हें छत्तीसगढ़ का मेहमान मान कर शासन-प्रशासन के लोग उनके हरसंभव मदद कर रहे है।
        मंत्री डॉ. डहरिया ने बताया कि लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण देश के अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के 2 लाख 51 हजार 867 श्रमिक तथा 22 हजार 168 अन्य लोगों इस तरह कुल 2 लाख 73 हजार 935 लोगों ने अब तक वापस अपने गृहग्राम आने के लिए राज्य शासन द्वारा जारी लिंक के माध्यम से ऑनलाईन पंजीयन करवाया है। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा अन्य प्रदेशों में छत्तीसगढ़ के संकटापन्न प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के लिए लगभग 45 ट्रेनों की सहमति राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई है। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा 34 हजार 284 श्रमिकों को छत्तीसगढ़ वापस लाने 23 ट्रेनों के लिए विभिन्न रेल मण्डलों को लगभग 2 करोड़ का भुगतान किया गया है। अब तक 15 ट्रेनों के माध्यम से लगभग 22 हजार प्रवासी श्रमिकों को वापस लाया जा चुका है। वाहन एवं अन्य माध्यमों से अन्य राज्यों में फंसे लगभग 83 हजार 172 श्रमिक सकुशल अपने गृहग्राम लौट चुके है। छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों के फंसे हुए लगभग 30 हजार से अधिक श्रमिकों को उनके गृह राज्य भेजा गया है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के भीतर ही 11 हजार से अधिक श्रमिकों को एक जिले से अपने गृह जिला तक पहुंचाया गया है।
        छत्तीसगढ़ के 2 लाख 51 हजार 867 प्रवासी श्रमिक सहित तीन लाख से अधिक लोगों को जो देश के अन्य राज्यों में होने की सूचना मिलने पर उनके द्वारा बतायी गई समस्याओं का त्वरित निदान करते हुए उनके लिए भोजन, राशन, नगद, नियोजकों से वेतन तथा रहने एवं चिकित्सा आदि की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही श्रम विभाग के अधिकारियों का दल गठित कर विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं, नियोजकों एवं प्रबंधकों से समन्वय कर (राशन एवं नगद) आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। प्रदेश के 26 हजार 102 श्रमिकों को 36 करोड़ रूपए बकाया वेतन का भुगतान कराया गया है। लॉकडाउन के द्वितीय चरण में 21 अप्रैल से शासन द्वारा छूट प्रदत्त गतिविधियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 98 हजार श्रमिकों को पुनः रोजगार उपलब्ध कराया गया है। वहीं छोटे-बड़े 1246 कारखानों में पुनः कार्य प्रारंभ हो गया है।

    शौर्यपथ धर्म / कर्म का सिद्धांत क्या है ? कर्मफल क्या है? इसे जानने के पहले हमें कर्म को जानना होगा, कि कर्म क्या है? कर्म किसे कहेंगे? कर्म अच्छे हैं या बुरे? कर्म का फल स्वयम के कर्म के अनुसार मिलता है कि हिस्सेदारी सबकी होती है? इन सब प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए आइए धरमचंद और करमचंद की कहानी पढ़ लें।
करमचंद और धरमचंद दोनो बचपन के साथी थे जन्म भी एक ही दिन हुआ था, कद काठी और देखने में लगभग एक जैसे ही लगते थे, कोई अजनबी यदि अलग अलग समय में करमचंद और धरमचंद से मिलेगा तो धोखे में रहेगा कि दोनों व्यक्ति जिससे वह मिला है एक ही है कि अलग अलग दो व्यक्ति हैं। कम उम्र में ही जब दोनों प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे तभी उनके गुरुजी ने करमचंद और धरमचंद को मितान बनवा दिया था। तब से इनकी अधिक गाढ़ी दोस्ती हो गई थी, दोनो एक दूसरे के अनन्य मित्र हो चुके थे। इनकी मित्रता कुछ कुछ सुदामा के मित्रता से मिलता था, केवल असमानता इस बात की थी कि सुदामा और गोपाल सोमरस का पान नहीं करते थे जबकि करमचंद और धरमचंद सोमरस के आदी थे। इनकी मित्रता, मित्र के लिए समर्पण और सम्मान कर्ण से अधिक था भिन्नता था तो केवल इस बात की कि कर्ण ने दुर्योधन के इच्छा को अपना धर्म मान लिया था जबकि करमचंद ने धरमचंद को ही अपना मित्र बना लिया था। वैसे दूसरा भिन्नता इस बात की थी कि कर्ण कभी सोमरस को हाथ नहीं लगाया जबकि करमचंद और सोमरस का अटूट रिस्ता था सोमरस हमेशा उनके हाथ में या लुंगी के गांठ में स्वयं को सुरक्षित मानता था।
करमचंद अपने मित्र धरमचंद के विवाह समारोह में नृत्य कर रहा था, अचानक बैंड वाले ने नागिन डांस वाला म्यूजिक बजा दिया। फिर क्या था करमचंद नागिन डान्स करने लगा, बिधुन होकर नाचते नाचते बेहोश हो गया। पता चला करमचंद के बम में पथरीले रास्ते के नुकीले पत्थर चुभ गया था, उसके बावजूद वह नाच रहा था, नीचे लुंगी खून से लथपथ हो चुका था, उसके खून से कुछ और लोग भी सना चुके थे। चस्माराम भी खून से भीग चुका था, देशी दारू की दुकान के पास किसी ने चस्माराम को बताया कि उसका कपड़ा खून से भींग चुका है। चस्माराम अपने वस्त्र के भीतर शरीर को चेक किया तब उन्हें पता चला कि उन्हें कोई चोट नही है वापस आकर चस्माराम ने बेंड रूकवाकर लोगों को बताया तब पता चला कि करमचंद को चोट लगी है, करमचंद अपने लुंगी और शरीर के खून को देखकर मूर्छित हो गया था।
अब बताओ करमचंद को क्यों चोट लगी? क्या पिछले जन्म में उसने कोई पाप किया था? क्या उसने किसी के लिए गड्ढे खोदे थे, जिसमे वह गिरा? क्या करमचंद पापी था? क्या करमचंद का नृत्य करना पाप था? क्या करमचंद और धरमचंद में पिछले किसी जन्म में कोई दुश्मनी थी? या कभी करमचंद और धरमचंद की होने वाली पत्नी के बीच कोई पिछले जन्म की दुश्मनी थी? क्या रास्ते को बनाने वाले ठेकेदार की गलती थी? क्या सरकार की गलती थी? क्या बैंड वाले की गलती थी जो उसने नागिन डांस के लिए म्यूजिक दिया? क्या धरमचंद की गलती थी कि उसने अपने विवाह में बैंड लगवाया? क्या धरमचंद के बाप का गलती था जिसने धरमचंद का विवाह तय कर दिया? क्या महुआ दारू का गलती था जिसे करमचंद ने पी रखी थी? क्या महुआ बनाने वाले भोंदुलाल का गलती था? क्या धरमचंद के छोटे भाई मतवारीलाल का गलती था जिसने महुआ दारू खरीद लाया और करमचंद को पीने दे दिया था?
फल का जिम्मेदारी कौन लेगा? किस या किसके कर्म पर आरोप लगाया जाए कि उसके कारण करमचंद अभी मूर्छित है? उत्तर बिल्कुल समझ और बुद्धि के पकड़ से दूर ही मिलता है हर अनुमान पहले सटीक जान पड़ता है फिर कुछ ही समय में उत्तर से दशकों प्रकाशवर्ष दूर चले जाते हैं यही प्रक्रिया अर्थात दूर और निकट का खेल बारम्बार नियमित रूप से पुनरावृत्ति होती है।
करमचंद और धरमचंद की कहानी पढ़ने के बाद कर्मफल का जो सटीक उत्तर मिला है उसके अनुसार प्रतीत होता है कि यहां पूरा पूरा साझेदारी का गेम है, कोई अकेला व्यक्ति अथवा उसके पूर्वजन्म के कर्म ही उनके मूर्च्छा का कारण नहीं है बल्कि प्रश्न के दायरे में आने वाले सभी व्यक्ति और उनके कर्म करमचंद के कष्ट का कारण है। संभव है किसी भी कर्म और कर्मफल का अकेला कोई व्यक्ति अथवा संबंधित व्यक्ति और उनके कर्म जिम्मेदार न हों, इसलिए करमचंद के मूर्छा के लिए सभी कुछ कुछ मात्रा में जिम्मेदार हैं।
क्या कर्म का खाता होता है? क्या कर्म का एक ही एकाउंट होता है एक जीव के लिए? क्या एक जीव के कर्म का एकाउंट सैकड़ो लाखों हो सकता है? क्या पति पत्नी का साझे का एकाउंट होता है? क्या आपके कर्म के एकाउंट से आपके निकट या दूर पीढ़ी को कुछ हिस्से मिलेंगे? क्या कर्म का एकाउंट आपके जन्म जन्मांतर तक चलता रहेगा? कर्म के एकाउंट अर्थात लेखा जोखा या खाता से संबंधित सैकड़ों प्रश्न उठते हैं; परंतु क्या इन सैकड़ों प्रश्नों का कोई अत्यंत सटीक उत्तर दे सकता है? उत्तर आता है नहीं। नहीं क्यों? क्योंकि यह अनुमान है आपका मानना है सत्य नहीं। यदि सत्यता है आपके जवाब में तो साक्ष्य भी मिलना चाहिए ठीक वैसे ही जैसे आपके याहू, हॉटमेल और जीमेल एकाउंट का साक्ष्य है, आपके सोशल मीडिया एकाउंट जैसे फेसबुक, ट्विटर, ब्लॉग, वर्डप्रेस और टिकटोक के साक्ष्य मिलते हैं। ठीक वैसे ही जैसे बैंकों के बचत खाते, जमा खाता, ऋण खाता, फिक्स डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट, जीवन बीमा, टर्म प्लान इत्यादि का एकाउंट होता है।
कर्म का खाता तो दिखाई ही नही देता इसके साक्ष्य भी नहीं मिलते, तो क्या यह मान लिया जाए कि कर्म का एकाउंट नही होता। क्या मान लें कि कर्म का एकाउंट जैसी बात कोरी कल्पना है? इसमें थोड़ा संदेह नजर आता है क्योंकि हम हजारों वर्षों से यह मानते आ रहे हैं कि कर्म का लेखा जोखा होता है। फिर एक झटके में इन चंद प्रश्नों के झांसे में आकर अपनी बनी बनाई SOP को खारिज करके अपनी अनुशासन क्यों बदल डालें? क्यों मानने लगें कि कर्म का एकाउंट नही होता, खाता नही होता? इसे मानने के पहले भी द्वंद पैदा हो जाता है कैसा द्वंद इसे समझने के पहले हम लगभग 1,50,000 साल ईसापूर्व चलते हैं। नजूल नाथ और फजूल नाथ दो सगे भाई हैं जो रतिहारिन की संतानें हैं रतिहारिन रोमसिंग कबीला के कबीला प्रमुख की पहली पत्नी है। जब कबीला प्रमुख रोमसिंग दूसरे कबीलों को अपने कब्जे में लेने के अभियान में चल पड़े थे और लंबे बसंत तक वापस नहीं आए तो रतिहारिन को उनकी चिंता होने लगी, वे अपने रोमसिंग के तलास में निकल पड़ी। कुछ कबीला तक उनके यात्रा के दौरान उनका खूब सम्मान हुआ, आगे चलते हुए, रोमसिंग को खोजते हुए लगभग दो बसंत बीतने को आया तब वह अपने रक्षकों और अश्व के बिना नदी किनारे स्वयं को पाई, तब वह गर्भवती हो चुकी थी, उन्हें पता नहीं कि कब कैसे किसके सहयोग से वह गर्भवती हुई है। वह आसपास के काबिले में गई तो किसी ने उसे बताया कि वह कबीला प्रमुख रोमसिंग की पत्नी है, रोमसिंग को भी सूचना मिल गई वे फौरन आकर अपनी पत्नी को लेकर चल दिये। अब शोध शुरू हुई कि रतिहारिन कैसे गर्भवती हुई सबके सब जानने में असफल रहे तब एक दरबारी मंत्री ने कहा इसे प्रकृति का संतान मान लेना चाहिए अथवा शक्तिमान का आशीर्वाद मान लेना चाहिए; ठीक ऐसे ही हुआ क्योंकि दिमाक खपाने और परिणाम नहीं मिलने की संभावना को देखते हुए दरबारी मंत्री का बात मान लेना ही बेहतर विकल्प था। रतिहारिन ने दो जुड़वा संतान को जन्म दिया उनका नाम रखा गया नजूल नाथ और फजूल नाथ दोनो अत्यंत शक्तिशाली और अपने समय में विख्यात कबीला प्रमुख हुए। नजूल नाथ और फजूल नाथ के जन्म का रहस्य किसी को पता नहीं, स्वयं रतिहारिन को भी नहीं क्योंकि दीर्घकाल तक वह बेहोश रही, स्मरण शक्ति को खो चुकी थी। मगर कोई तो शक्ति है कोई क्रिया तो हुई थी जिसके कारण नजूल नाथ और फजूल नाथ का जन्म हुआ, कोई तो एकाउंट खोला होगा। प्राकृतिक अप्राकृतिक संयोग के बिना रतिहारिन का गर्भवती होना समझ से परे नहीं बल्कि स्पस्ट है। चूंकि रोमसिंग और नजूल नाथ और फजूल नाथ ही नहीं बल्कि उनके आगे के संतान भी अत्यंत शक्तिशाली हुए इसलिए किसी के पास कोई विकल्प नही था कि कोई यह कहे कि नजूल नाथ और फजूल नाथ का जन्म ठीक उनके जैसे ही सामान्य संयोग से हुआ है।
कर्म, कर्म के सिद्धांतों और उससे जुड़े इन प्रश्नों का सटीक जवाब अभी तक किसी के पास नहीं है, है भी तो वह सर्वमान्य नही। अतः जब तक आप साहस और बुद्धि से काम नही लेंगे नजूल नाथ और फजूल नाथ प्रकृति की संतान है अथवा शक्तिमान के आशीर्वाद से ही रतिहारिन गर्भवती हुई है। अंत में यह साफ कर देना चाहता हूं कि यह काल्पनिक कहानी कर्म, कर्म के सिद्धांत, कर्म का खाता जैसे महत्वपूर्ण प्रश्नों के सटीक उत्तर देने असफल रहा है। इस लेख को पढ़ने में आपके समय की हुई बर्बादी को रोक सकते हैं थोड़ा सोचने से, थोड़ा अधिक सोचने से अन्यथा यह लेख आपको सुलझाने के बजाय उलझा चुका है।
आप स्वयं को अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने का प्रयास करेंगे तो संभव है समुद्र तट के नन्हे कछुआ की भांति चंद्रमा की रोशनी के बजाय आप रेस्टोरेंट के एलईडी के झांसे में आ जाएं इसलिए बुद्ध की बात मानें। बुद्ध ने कहा था "अपना दीपक खुद बनो।"

उल्लेखनीय है कि यह लेख श्री हुलेश्वर जोशी के ग्रंथ "अंगूठाछाप लेखक" - (अभिज्ञान लेखक के बईसुरहा दर्शन) का अंश है।

 भिलाई / शौर्यपथ / प्रवासी मजदूर जो अपने घरों की ओर रवाना हो रहे हैं, उनके लिए नगर पालिक निगम भिलाई द्वारा श्रमिक सहायता केंद्र बनाया गया है जहां पर ऐसे मजदूर और श्रमिकों के लिए पानी और सूखा नाश्ता, सत्तु एवं दानदाताओं से प्राप्त फल प्रदान किया जा रहा है। नाश्ता के पश्चात ऐसे प्रवासी मजदूरों को थो?ी देर आराम करने छांव देने हेतु टेंट व कुर्सी व्यवस्था की गई है ताकि वे कुछ देर आराम करके अपने गंतव्य की ओर पुन: रवाना हो सके। नेहरू नगर गुरुद्वारा के पास श्रमिक सहायता केंद्र की स्थापना प्रवासी मजदूरों के आवागमन के साथ ही कर दी गई है ताकि अपने गंतव्य की ओर रवाना होने वाले श्रमिकों व मजदूरों को राहत प्रदान किया जा सके। आज 4 प्रवासी मजदूरों को सहायता केंद्र में बुलाकर उनके हाथों को सैनिटाइज कर सूखा नाश्ता चना, मुर्रा, मिक्सचर, फल, सत्तु का पैकेट और पानी पिलाया गया तथा जिनके पास मास्क उपलब्ध नहीं था उन्हें मास्क भी उपलब्ध कराया गया। इनके बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की गई है तथा छाया प्रदान करने टेंट लगाया गया है। नेशनल हाइवे से गुजरने वाले श्रमिक व मजदूर जो अन्य जिलों व राज्यों से अपने घरों की ओर जा रहे हैं, उनकी मदद के लिए सहायता केंद्र को हाईवे के समीप बनाया गया है ताकि मजदूर एवं श्रमिकों को दूर से ही यह केंद्र दिखाई दे इस केंद्र में कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। ऐसे लोगों की मदद करने दानदाता भी आ रहे हैं आज एक दानदाता ने 10 दर्जन केला फल इनको सहायता देने के लिए प्रदान किया! सहायता केंद्र की स्थापना होने से प्रवासी मजदूरों को इस केंद्र में राहत मिल रही है।

   दुर्ग / शौर्यपथ / कैलाश नगर वार्ड 19 कैलाश नगर में नाली का होगा संधारण, और सीमेंटीकरण सड़क का होगा निर्माण। महापौर धीरज बाकलीवाल ने सोमवार को पटरीपार क्षेत्र का भ्रमण कर कैलाश नगर और शक्ति नगर में सड़क और नाली से पानी निकासी का जायजा लेकर रुके कार्यो को जल्द से जल्द करने कहा । उन्होनें राईस ब्रान आईल मिल के बीच नव निर्मित सड़क का निरीक्षण कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। उन्होंने निर्मित नालियों और उनके निकासी की जानकारी ली। वार्ड क्रं0 19 शहीद भगत सिंह वार्ड में कैलाश नगर में सीमेंटीकरण सड़क निर्माण का कार्य अधूरा हआ है जिसे जल्द पूरा करने करने कहा गया। ब्रान आईल मिल के पास से होकर गुजरने वाली नाली से समुचित पानी निकासी के लिए उनका संधारण कार्य जल्द से जल्द प्रारंभ करने अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होनें कहा बारिश के समय कहीं भी पानी का जमाव ना हो इसका अवश्य ध्यान रखें। 

स्वर्गीय वीरा सिंह के नाम पर स्वार्थ न साधने की दी चेतावनी
मंगा सिंह के अध्यक्ष वाली यूनियन ही है वैधानिक


    भिलाई / शौर्यपथ /  बीएसपी ट्रक ट्रेलर स्टील परिवहन संघ द्वारा गत दो मई को हुए चुनाव में ट्रांस्र्पोटर अशोक जैन को उपाध्यक्ष एवं भूपेन्द्र यादव को कोषाध्यक्ष चुना गया था और इन्होंने पंजी में अपना हस्ताक्षर भी किया था, इसक बावजूद इन दोनो द्वारा गत दिवस समाचार पत्रों में अशोक जैन को संरक्षक बनाये जाने एवं भूपेन्द्र यादव को अध्यक्ष बनाये जाने का फर्जी समाचार कई अखबारों और सोशल मीडिया में प्रकाशित करवाने के कारण अशोक जैन एवं भूपेन्द यादव को बीएसपी ट्रक ट्रेलर स्टील परिवहन संघ से हटा दिया गया है और साथ ही स्व. वीरा सिंह के नाम पर स्वार्थ नही साधने की चेतावनी भी दी गई है और आमजन को यह सूचित भी किया गया है कि मंगा सिंह की अध्यक्षता वाली यूनियन ही वैधानिक है। इस मामले पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए बीएसपी ट्रक ट्रेलर स्टील परिवहन संघ के अध्यक्ष मंगा सिंह ने बताया कि दो तीन दिन पहले कुछ स्थानीय समाचार पत्रों और सोशल मीडिया मे यह झूठी व भ्राामक खबर प्रचारित की गई कि संघ की ओर से भूपेन्द्र यादव को अध्यक्ष एवं अशोक जैन को संरक्षक चुना गया है। खबर में यह भी प्रचारित किया गया कि स्वर्गीय ट्रांसपोर्टर वीरा सिंह द्वारा बीएसपी ट्रक ट्रेलर स्टील परिवहन संघ के लिए किए गए कार्योंं को आगे बढ़ाने भूपेन्द्र यादव को अध्यक्ष और अशोक जैन को संरक्षक बनाया गया है। जबकि वास्तविकता इससे एकदम जुदा है और लोगों को भ्रमित करने के लिए स्वर्गीय वीरा सिंह के नाम का दुरुपयोग किया गया है।
     यूनियन के संरक्षक प्रभुनाथ मिश्रा ने बताया कि बीएसपी से लोकल स्टील परिवहन करने वाले स्थानीय ट्रांसपोर्टर सन् 1983 से रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव औद्योगिक क्षेत्र में परिवहन कार्य कर रहे हैं। सन् 1985 में इन ट्रांसपोर्टरों ने मिलकर संघ का गठन किया। स्व देवसिंग इसके संस्थापक अध्यक्ष रहे। उनके बाद हैवी ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालक वीरा सिंह ने लंबे समय तक इस यूनियन के अध्यक्ष रहते हुए नेतृत्व प्रदान किया। उन्हीं के प्रयास से सन् 2008 में संघ का पंजीयन भी हुआ। पंजीयन के बाद ट्रांसपोर्टरों की आम राय से ए गनी खान को अध्यक्ष तथा वीरा सिंह और प्रभुनाथ मिश्रा को संरक्षक चुना गया था। लंबे अरसे तक यूनियन गनी खान की अध्यक्षता में कार्यरत रही।

    भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई केन्डू पर्वत फाउंडेशन के चेयरमेन व भाजयुमों नेता अतुल पर्वत के द्वारा आज भिलाई से सीधे बाघनदी पहुंचकर पूर्व मुख्यंत्री रमन सिंह, सांसद संतोष पाण्उेय, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह एवं सांसद मधुसूदन यादव, खूबचंद पारख, लीलाराम भोजवानी, पूर्व महापौर शोभा सोनी की मौजूदगी में बाहर से छग आ रहे प्रवासी मजदूरों को एक हजार चप्पल और गमछा का वितरण किया गया। इस दौरान डॉ. रमन सिंह ने अतुल पर्वत की पीठ थपथपाते हुए इस संकट की घड़ी में मजदूरों के प्रति संवेदना रखने वाले इस कार्य की भूरि भूरि प्रंशसा की। इस दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि ये समय राजनीतिक करने का नही है बल्कि हम सभी को मिलकर स्वच्छा से कार्य करना होगा। उन्हेांने कहा कि सिख समाज के लोग, सरपंच, व बाघनदी के आस पास के लोग बढचढ कर लोगों की मदद कर रहे हैं, वैसे भी राजनांदगांव को संस्कारधानी के रूप में माना जाता है।
रमन सिंह ने आगे कहा कि जो लोग बाहर से आ रहे है, शासन उनका थर्मल टेस्ट करवाये, जिन पंचायतों और सरपंचो को जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें शासन फंड दें ताकि वह कोरोना वायरस से पीडित मजदूरों की क्वांरंटाईन सेंटर में लोगों की मदद कर सके। उन्हेांने आगे कहा कि विपक्ष की भूमिका निभाता रहूंगा और मैं लगातार लोगों की फोन आने पर वेस्ट बंगाल, जम्मूकाश्मीर, गुजरात के गांधी नगर सहित कवर्धा और छग के अन्य लोगों की मैं मदद कर रहा हूं, मेरे दरवाजे रात 12 भी लोगों के लिए खुले है। राज्य सरकार अपने दायित्वों से अलग न हों। केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर जनता को बेहतर सुविधा दे सकते हैं, रेल मंत्री पियुष गोयल ने चैलेंज करते हुए कहा था कि छग से मेरे पास कोई भी रेल सेवा के लिए आवेदन पेंडिग नही है। उस पर रमन सिंह ने कहा कि भूपेश सरकार ने रेल सेवा के लिए पैसा रविवार को जमा किया है। उन्हेांने कहा कि एक रेल गाड़ी के लिए 1 लाख 60 हजार रूपये जमा करना रहता है, यदि एक करोड़ रूपये राज्य सरकार रेल के लिए जमा कर देती जो बाहर फंसे हुए मजदूर है, उनको सीधा रेल सेवा का लाभ मिल जाता।
रमन सिंह ने उदाहरण देते हुए बताया कि यूपी में दो से ढाई सौ से अधिक मजदूर रेल सेवा का लाभ लेकर अपने घरेों तक पहुंच रहे हैं। जो लोग जरूरतमंद है, मजदूर है, उन्हें सही समय पर मदद मिले, ये सब हम सबको मिलकर करना है। मैं कोई सरकार की आलोचना नही कर रहा हूं, आगे क्या कर सकते हैं, ये चिंता करने का समय है। लोग दूर दूर से पांच सौ से आठ सौ किलोमीटर पैदल चलकर आ रहे है। शासन प्रशासन को उनको बेहतर व्यवस्था देना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में रैपिड किट भी नही है। इस अवसर पर उपस्थित लोगों में प्रीतपाल सिंह भाटिया राजा, गोल्डी भाटिया, छोटू भाटिया, जुग्नू भाटिया, बंटी भाटिया, इन्दर सिंह, अखिलेश तिवारी, कीमत लहरी, शिव ताम्रकार गुड्डू भैय्या सहित बड़ी संख्या में भाजयुमों समर्थक उपस्थित थे।

   दुर्ग / शौर्यपथ / कोरोना संक्रमण से मरने वालो की संख्या जो भी हो किन्तु कोरोना के संकट के कारण देश में ऐसे कई दर्दनाक हादसे हो रहे है जो जीवन को झंझोर कर रख देंगे . ट्रेन की पत्री में मौत , सफर में पडल चलते चलते मौत जैसे दर्दनाक हादसे के बाद एक ऐसा दर्दनाक घटना घटी हुई जिसे सुनकर ही दिल दहल जाता है है कैसा महसूस कर रही होगी वो माँ जो ९ माह अपने जिगर को कोख में संभल कर राखी लॉक डाउन के ५० दिन भी संभल कर राखी और जब अपने गृह निवास पहुँचने के करीब थी तो एक शिशु को जन्म भी दिया किन्तु सिर्फ एक घंटे का मात्रितव सुख भोगने के बाद नवजात की मौत पर माँ का कलेजा फट गया और दहल गए वो सरे जो इस दर्दनाक घटना को आँखों से देख रहे थे .
मामला है श्रमिको की वापसी का .दिल्ली से दुर्ग के लिए आईे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में शनिवार की सुबह बेमेतरा जिला के नवागढ़ की एक महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया और जन्म के एक घंटे बाद ही बच्ची की मौत हो गई। मौत के बाद भी बच्ची को गोद में लेकर बच्ची की मां रोते बिलखते दुर्ग पहुंची। इस मामले की जानकारी लोगों को तब पता चला जब श्रमिक एक्सप्रेस दुर्ग पहुंची। इस मामले की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन ने उस महिला के परिवार को अलग से वाहन की व्यवस्था कर उसे उसके गृहग्राम नवागढ़ भिजवाया। उस महिला के साथ में आने वाले लोगों ने बताया कि रास्ते भर बच्ची की मां बच्ची की सूरत देखदेखकर रोती बिलखती रही।
मिली जानकारी के अनुसार नवागढ़ का नथ परिवार मजदूरी करने के लिए प्रेमनगर दिल्ली गया हुआ था। नथ परिवार की बहू सीमा नथ, पति श्यामनथ (20 वर्ष) गर्भवती थी। उसके प्रसव का समय भी नजदीक था। दिल्ली से रवाना होने के घंटे भर बाद प्रसव पीड़ा शुरू हुआ। बोगी में सवार अन्य महिलाओं की मदद से जैसे तैसे प्रसव कराया गया।

   रायपुर/ शौर्यपथ / नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक और भाजपा द्वारा धान के अंतर राशि और बोनस के सम्बन्ध में की जा रही बयान बाजी को कांग्रेस ने बेशर्मी की पराकाष्ठा बताया है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता और संचार विभाग के सदस्य सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भुपेशबघेल की कांग्रेस सरकार किसानों को अंतर राशि देने जा रही इस खीझ और पीड़ा में भी भाजपाई बयान दे रहे है।छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के द्वारा 2500 रु प्रति कुंटल में की जाने वाली धान की खरीदी में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जबरिया रोक लगाने वाले भाजपाई किस मुंह से धान की अंतर राशि पर बयान बाजी कर रहे हैं।प्रदेश की जनता ने देखा है कैसे भाजपा की केंद्र सरकार धान की कीमत 2500 रु देने पर राज्य सरकार को सेंट्रल पूल के चावल नहीं लेने की धमकी दे रही थी ।मुख्यमंत्री भूपेशबघेल द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और खाद्यमंत्री पासवान को आधा दर्जन से अधिक बात पत्र लिखने तथा व्यक्तिगत मुलाकात कर अनुरोध करने के बावजूद केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों को धान की कीमत 2500 रु देने की अनुमति देने को तैयार नही हुए ।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बार बार कहते रहे कि घोषित समर्थन मूल्य से अधिक राशि का भुगतान राज्य सरकार अपने वित्तीय संसाधनों से करेगी लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार मानने को तैयार नही हुई ।
        कांग्रेस संचार विभाग के सदस्य  ने कहा कि जब केंद्र सरकार धान की कीमत 2500 रु नही देने का दबाव बना रही थी तब धर्म लाल कौशिक ,रमन सिंह ,सहित भाजपा के किसी नेता ने राज्य के किसानों के हित में कोई आवाज नही उठाया ।भाजपा के 9 लोकसभा सांसदों से भी मुख्यमंत्री ने इस सम्बंध में किसानों के हित मे केंद्र से अनुमति दिलवाने का आग्रह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था तब भाजपाई नेता और सांसद दलीय प्रतिबद्धता के कारण चुप्पी साधे रहे ।किसानों के हित में एक भी भाजपा नेता का कोई बयान नही अस्य था ।भाजपाई कहते रहे वायदा मोदी से पूछ कर नही किया था ।लेकिन वायदा पूरा करने में मोदी सरकार राजनैतिक अड़ंगेबाजी करेगी यह भी तो नही मालूम था।
       कांग्रेस संचार विभाग के सदस्य सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि वायदे के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की है पूर्व प्रधानमंत्री राजीवगांधी की पुण्यतिथि 21 मई से किसानों को धान के कीमत की अंतर राशि मिलना शुरू हो जाएगी ।जब किसानों को धान के कीमत की अंतर राशि मिलना शुरू हो रही तो इसमें भी भाजपा नेताओं की पीड़ा हो रही कि केंद्र के असहयोग के बाद भी कैसे राज्य सरकार किसानों को भुगतान करने जा रही है। भाजपा नेताओं की बयान बाजी बता रही कि भाजपा बौखला गयी है वह नही चाहती किसानों को भुगतान हो।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा नेताओं से पूछा कि कौन से दो साल के बकाया बोनस की मांग भाजपाई राज्य सरकार से कर रहे है ? कांग्रेस सरकार ने तो पहले साल धान का समर्थन मूल्य 2500 से भुगतान किया था।इस वर्ष भी अंतर राशि का भुगतान करने जा रही फिर यह 2 साल बोनस कहा से आ गया ? यह वही बकाया बोनस तो नही है जो भाजपा ने पन्द्रह साल तक किसानों से वायदा कर नही दिया था ? यह बकाया बोनस भाजपा की धोखाधड़ी का सबूत है जब जब भाजपाई इसकी बात करेंगे किसानों को याद आएगी कैसे वोट लेने भाजपा ने उनके साथ धोखा दिया था।

     रायपुर/ शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता विकास तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के उस बयान पर जिसमें कि उनके द्वारा कहा गया कि 5000 से अधिक मजदूर जम्मू कश्मीर राज्य से प्रदेश लौट रहे हैं इस हेतु उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को आभार व्यक्त किया है परंतु उन्होंने यह नहीं बताया कि इन मजदूरों जैसे कितने लाख मजदूर उनके 15 साल के उनके ही शासन काल के चलते अपनी माटी,अपनी धरती छोड़कर अन्य प्रदेशों में रोजी-रोटी कमाने के लिए गए हुए थे पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के कार्यकाल में 40त्न से अधिक की आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करने को मजबूर थी यह आंकड़ा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जारी किया था।
      तिवारी ने कहा कि कोरोना ष्टह्रङ्कढ्ढष्ठ 19 महामारी के समय गरीब मजदूरों को मदद एवं आर्थिक सहायता पहुंचाने में नाकाम केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बचाव में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह उतर गए हैं और केवल और केवल बयानबाजी के अलावा कुछ भी नहीं कर रहे हैं विकास तिवारी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के शासनकाल में देश की सर्वाधिक झुग्गी झोपड़ी जिसका प्रतिशत 18त्न से अधिक था लोग रहने को मजबूर थे देश की प्रति व्यक्ति आय के सबसे पिछड़े राज्यों में छत्तीसगढ़ राज्य शुमार था अमीरों एवं गरीबों की आय में बहुत ज्यादा विषमता भी थी भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के शासनकाल में 24 लाख 34 हजार 773 पंजीकृत बेरोजगार और इतने ही पंजीकृत बेरोजगार इस प्रदेश में थे जबकि प्रदेश की जनसंख्या दो करोड़ पचास लाख थी यह पढ़े लिखे बेरोजगार अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए देश के विभिन्न राज्यों जम्मू- कश्मीर,गुजरात,उत्तरप्रदेश,कर्नाटक प्रदेश,तमिलनाडु,महाराष्ट्र जाने को मजबूर हुए इसका भी श्रेय तत्कालीन भाजपा की रमन सरकार को ही जाता है।
       तिवारी ने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी और उनके पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह मजदूरों की चिंता तो कर रहे हैं लेकिन यह मजदूर इनके ही शासनकाल में छत्तीसगढ़ राज्य को छोडऩे के लिए मजबूर हुए थे इन माटी पुत्र मजदूरों को सकुशल वापस लाने का काम उठाने का बीड़ा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उसी प्रकार उठाया है जिस प्रकार गंगा को स्वर्ग से धरती में लाने का काम भागीरथी मुनि ने किया था। रमन राज में छत्तीसगढ़ राज्य के 50 लाख से अधिक बेरोजगार जो कि पढ़े लिखे थे उनमें से ही लाखों लोग प्रदेश छोड़कर अन्य राज्यों में अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए मजबूर हुए आज जब कोरोना महामारी के समय मनरेगा के तहत 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार ने मनरेगा के तहत किया है।यह बात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को नागवार गुजर गया क्योंकि इनके समय ही मजदूरों के साथ अत्याचार किया जाता था इनके थाली से चावल की चोरी की जाती थी जो कि नान घोटाले के रूप में पूरे देश और विदेश में जाना जाता है।
   congress प्रवक्ता  ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह से अनुरोध किया है कि कोरोना महामारी को छत्तीसगढ़ राज्य में पांव पसारने से रोकने के लिए ओछी राजनीति छोड़कर स्वस्थ एवं जनहित की राजनीति करने की आवश्यकता है और क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है और केंद्र में उनके ही पार्टी की सरकार है तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा मांगी गई 30 हजार करोड़ रुपयों की राशि तत्काल प्रदेश को दिलवाने के लिए मदद करनी चाहिए जिससे कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके और जो प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों से मजदूर आ रहे हैं
उनको भी प्रदेश में ही रोजगार देने के लिए नए नए कार्यों का सृजन किया जा सके केवल और केवल बयान वीर की राजनीति करने से इन गरीब मजदूरो को कुछ हासिल होगा और ना जो पीडि़त मजदूर जो अपने प्रदेश वापस आ रहे हैं जो भाजपा के शासनकाल में प्रदेश छोड़ कर गए थे उन्हें कोई बयानबाजी से लाभ होगा।

     राजनांदगांव / शौर्यपथ / कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य ने आज लोगों के लिए जारी अपील में बताया कि कोरोना (कोविड-19) अत्यधिक संक्रमित वायरस जनित रोग है। यह बीमारी मुख्य रूप से हाथ, मुंह, नाक, आंख के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचती है। राजनांदगांव जिला महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा से लगता है।
प्रतिदिन जिले की सीमाओं में हजारों की संख्या में प्रवासी आ रहे हैं। कुछ सामाजिक संगठनों द्वारा मानवता के नाते प्रवासी मजदूरों को भोजन पैकेट भी प्रदान किया जा रहा है, जो सराहनीय कार्य है। लेकिन सहयोग करते समय कोरोना संक्रमण से बचने के सभी उपायों को अपनाना अत्यंत जरूरी भी है। उन्होंने कहा कि गीला खाद्य पदार्थ, केला, पानी पाऊच देने पर श्रमिक या प्रवासी खाद्य पदार्थ का उपयोग करने के बाद रोड या बसाहट के आसपास फेंक देते हैं। इन पैकेटों में मजदूरों से संपर्क/लार इत्यादि होने से कोरोना संक्रमण का मुख्य कारण हो सकता है। जिससे जिले में संक्रमण फैल सकता है। समाजसेवियों को सामग्री वितरण में प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
     समाजसेवियों को संबंधित एसडीएम को लिखित सूचना के पश्चात् ही सामग्री का वितरण करना चाहिए। बिना सूचना के भोजन वितरण का कार्य न करें। यह भी कोशिश करें कि सूखा खाद्य पदार्थ (चना, मुर्दा, नमकीन, बिस्किट, गुड़ इत्यादि) का वितरण हो। यदि फल वितरण करना है तो ऐसे फल दें, जिसके खाने के बाद अवशेष नहीं बचता है। यदि गरम खाना/लंगर चलाया जाता है तो आवश्यक प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करना जरूरी है। प्रोटोकाल का उल्लंघन होने पर समाजसेवी संगठन के विरूद्ध कार्रवाई की जा सकती है। खाना पैकेट में दें, खाना लंगर में निर्धारित स्थल में पैकेट में देना चाहिए। लंगर स्थल चारों ओर से घिरा होना चाहिए। पैकेट का कचरा लंगर/भोजन वितरण स्थल में रखी पेटी में ही डाला जाय। लंगर/भोजन वितरण स्थल में पैकेट एक टेबल में रखें। जरूरत मंद व्यक्ति पैकेट उठाएंगे और वहीं खाएंगे डस्टबिन में डालेंगे तभी वहां से जाएंगे।
         डस्टबिन में सोडियम हाइपोक्लोराईट का छिड़काव स्प्रे से किया जाए। इसके लिए लंगर संचालकों को स्प्रे की व्यवस्था करनी होगी। डस्टबिन के पैकेट को डिस्पोज करने वाले व्यक्तियों को मास्क (एन-95), ग्लव्स, पीपीई किट का उपयोग करना होगा। कचरे को किसी भी स्थिति में खुले स्थान में न फेंके बल्कि गहरे गड्ढे में फेंके तथा मिट्टी से ढकें। जिस वाहन में कचरा का परिवहन किया गया है, उसे प्रत्येक चक्र के पश्चात सोडियम हाइपोक्लोराईट से सैनिटाईज करना जरूरी है। कचरे का निराकरण करने वाले कर्मियों का प्रत्येक सप्ताह रेपिड किट से जांच करें। जहां तक संभव हो सूखा खाद्य पदार्थ का वितरण ही करें। कचरे के निपटान के लिए सीएमओ या आयुक्त से संपर्क करें। रेन बसेरा राजनांदगांव का भ्रमण कर इस संबंध में जानकारी ले सकते हैं।
       प्रोटोकाल का पालन नहीं करने तथा संक्रमण फैलाने के कारण ऐपिडैमिक एक्ट आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन नहीं करने के कारण कार्रवाई की जा सकती है। आप से अनुरोध है, जरूरतमंद की मदद करें तथा खुद को और समुदाय को भी सुरक्षित रखने में सहयोग करें।

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