May 17, 2024
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

नई दिल्ली / शौर्यपथ / गैर-सब्सिडी LPG सिलिंडरों के दामों में सोमवार को जबरदस्त वृद्धि की गई है, जिसके बाद मेट्रो शहरों में लोगों को कुकिंग गैस पर अब पहले से कहीं ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे. कुछ मेट्रो शहरों में तो लोगों को प्रति सिलिंडर पर पहले के मुकाबले 37 रुपए तक ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे. गैस के दामों में यह बड़ी बढ़ोत्तरी तीन महीनों से लगातार घटते दामों के बाद आई है.
अगर मेट्रो शहरों की बात करें तो इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जून यानी सोमवार से दिल्ली में गैर-सब्सिडी पर खरीदे जाने वाले प्रति कुकिंग गैस सिलिंडर (14.2 किलोग्राम) के रेट में 11.50 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं कोलकाता में 31.50 रुपए प्रति सिलिंडर, मुंबई में 11.50 रुपए प्रति सिलिंडर और चेन्नई में 37 रुपए प्रति सिलिंडर बढ़े हैं.

1 जून से दिल्ली में फिलहाल 581.50 रुपए की दर से मिल रहे गैर-सब्सिडी पर मिलने वाले सिलिंडर की एक रिफिलिंग पर अब 593 रुपए खर्च करना होगा. मुंबई में 579 रुपए का सिलिंडर 590.50 रुपए, कोलकाता में 584.50 रुपए की दर से बिक रहा सिलिंडर अब 616 रुपए में बिकेगा. वहीं चेन्नई में 569.50 रुपए की दर से बिक रहे सिलिंडर के लिए 606.50 रुपए खर्च करना पड़ेगा.

बता दें कि फिलहाल सरकार एक घर के लिए सालाना 14.2 किलोग्राम के 12 सिलिंडर सब्सिडी पर देती है. इसके बाद कोई उपभोक्ता अलग से सिलिंडर खरीदता है तो उसे बाजार में चल रहे दामों के हिसाब से पैसे खर्चने होते हैं. ये भी ध्यान रखने की बात है कि सरकार की सब्सिडी अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रहे क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल के दामों और फॉरेन एक्सचेंज पर निर्भर करती है.

 

नई दिल्ली / शौर्यपथ / राजीव गांधी हेल्थ साइंसेज यूनिवर्सिटी के सिल्वर जुबली कार्यक्रम में शामिल हुए पीएम मोदी ने छात्रों को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देश की स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से बदल रही हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कोरोना वॉरियर्स की भूमिका अहम है, दुनिया देख रही है कि भारत किस प्रकार इस खतरनाक वायरस से युद्ध कर रहा है. उन्होंने कहा कि वायरस अदृश्य हो सकता है लेकिन हमारे कोरोना योद्धा अजेय हैं. डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी बिना वर्दी वाले सैनिक हैं.
पीएम मोदी ने कोरोना वॉरियर्स के खिलाफ हो रहे हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि मैं स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ बुरा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. पीएम मोदी ने कहा कि हमें मानवता से जुड़े विकास की ओर देखना होगा. इस मौके पर उन्होंने आयुष्मान योजना का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम है. दो साल से कम में ही इसका फायदा 1 करोड़ लोग उठा चुके हैं. महिलाएं और गांव के लोग सबसे ज्यादा लाभार्थी हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि 22 और AIIMS खुल चुके हैं और भारत इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में देश में एमबीबीएस की 30 हजार सीटें बढ़ गई हैं और पोस्ट ग्रैजुएशन की सीटों में 15 हजार की बढ़ोतरी हुई है.

 

खाना खजाना / शौर्यपथ /1. एप्पल-एग केक

सामग्री :

2 सेब कटे हुए, 1 चम्‍मच दालचीनी पावडर, 3 अंडे, आधा कप कि‍शमि‍श, आधा कप शक्‍कर, आधा चम्‍मच नमक, 4 मटजो शीट्स, पाव कप वनस्‍पति‍ तेल।

वि‍धि ‍:

सबसे पहले ओवन को 350 डि‍ग्री फेरनहाइट पर गरम करें और 8 बाय 8 की बेकिंग डि‍श में तेल लगाकर रख लें। मटजो शीट्स को टुकड़ों में तोड़ लें और पानी में नरम होने तक भि‍गोकर रखें। बाद में पानी से नि‍काल लें।


एक बाउल में अंडा, शक्‍कर, नमक, तेल और दालचीनी को एक साथ फेंट लें। इसमें भि‍गोया हुआ मटजो डालकर अच्‍छी तरह मि‍ला लें। अब इसमें सेब और इलायची डालें। अब इस मि‍श्रण को तैयार बेकिंग डि‍श में डालें और 45 मि‍नट तक बेक करें। एप्‍पल एग केक तैयार है।

2 . एग-लेमन केक

सामग्री :

2 नींबू का रस, 4 अंडे, तीन पाव मैदा, 2 चम्‍मच बेकिंग पावडर, 1 चम्‍मच नमक, 1 कप मक्खन, 3 चम्‍मच आइसिंग शुगर, 1 कप शक्‍कर।

वि‍धि :

सबसे पहले आइसिंग शुगर को मक्खन में अच्छी तरह मि‍ला लें। अब इसमें मैदा, बेकिंग पावडर, नमक और अंडे को फोड़कर मि‍लाएं। अब इसे ओवन में 50 मि‍नट तक 400 डि‍ग्री फेरनहाइट पर बेक करें। शक्‍कर और नींबू को उबाल लें। केक को ओवन से नि‍कालने के बाद उस पर उबला हुआ नींबू का रस डाल दें और ठंडा करके परोसें।


3. डिलीशियस ओट्स केक
सामग्री :

1 प्याला ओट्स, 1 प्याला मैदा, 1 बड़ा चम्मच क्रीम, पाव प्याला ब्राउन शुगर, 1 गिलास दही की छाछ, आधा प्याला मक्खन पिघला हुआ, 1 छोटा चम्मच बेकिंग पावडर।

विधि :

सर्वप्रथम ओट्स को एक घंटा छाछ में भिगो दें। अब उपरोक्त सारी सामग्री को अच्छी तरह फेंटकर भिगोए हुए ओट्‍स में मिला दें।

फिर चिकनाई वाली मफिंग ट्रे में सारी सामग्री डाल दें और ओवन को 180 डिग्री सेंटीग्रेड पर गरम करके ट्रे उसमें रख दें। अब 15 मिनट बेक कर ओट्स केक पेश करें।

4. फेस्टिव कोको केक

सामग्री :

मिल्क मेड 1 टिन, मैदा 250 ग्राम, मक्खन 100 ग्राम, कोको पावडर 3 चम्मच, सिरका 1 बड़ा चम्मच, सोड़ा 1 चम्मच, क्रीम 1 कप, चेरी 1 कप, मेवे (कटे हुए) 1 कप।

विधि :

सबसे पहले मिल्क मेड को चम्मच से फेंटकर झागदार कर लें, फिर मक्खन मिलाकर दो मिनट और फेंटें। धीरे-धीरे मैदा डालें और मिलाते हुए सारे मिश्रण को एकसार कर दें। सोड़ा और सिरका डालकर मिला दें।

कोको मिला दें और ओवन में बेक कर लें। अब क्रीम को खूब फेंटकर केक के ऊपर तह जमा दें। चेरी और मेवे से सजाकर सर्व करें।
5. ऑमण्ड पैशन केक

सामग्री :

100 ग्राम (कटे हुए) बादाम, 275 ग्राम मैदा, 275 ग्राम शक्कर, मक्खन (पिघला हुआ) 125 ग्राम, पानी 35 मिली., बैंकिंग पावडर 1 चम्मच, बैकिंग सोडा 1/4 चम्मच, क्रीम 1 बड़ा चम्मच।

विधि :

पहले शक्कर व पानी को एक सॉस पैन में डालें। धीमी आंच पर चढ़ाएं और तीन तार की चाशनी बना लें। चाशनी में मक्खन डालें व अच्छी तरह मिला दें।

मैदा, बैकिंग पावडर व सोड़े को छान कर चाशनी में मिलाकर एकसार कर दें। क्रीम भी फेंट कर मिला दें। अब बादाम डालकर घी चुपड़ें, केक टिन में डाल दें और 180 सेंटीग्रेड पर 30 मिनट बेक कर लें। ठंडा होने पर ऑमण्ड पैशन केक क्रीम से सजा कर सर्व करें।

6. लाजवाब स्‍पंजी केक
सामग्री :

125 ग्राम मैदा, 75 ग्राम बटर, 200 ग्राम मिल्‍क मेड (आधा टीन), 100 मिली सोटा वाटर/ कोल्‍ड ड्रिंक, आधा टी स्‍पून मीठा सोडा, आधा टी स्‍पून बेकिंग पावडर, एक टी स्‍पून एसेंस।

विधि :

सबसे पहले माइक्रो को कन्‍वेक्‍शन मोड (180 डिग्री से.) पर 4 मिनट तक गर्म करें। अब मैदा, बेकिंग पावडर व सोडा छान लें। मक्‍खन और मिल्‍क मेड 4 से 5 मिनट तक फेटें। धीरे-धीरे सूखी सामग्री मिलाएं और सोडा की सहायता से घोल तैयार करें।

अब एसेंस डालें। मोल्‍ड (ग्‍लास या एल्‍यूमिनियम का बर्तन) के भीतर तेल लगाएं और डस्‍ट करें। घोल डालें। मोल्‍ड को लोवर रेक पर रखें और 180 डिग्री पर 25 से 30 मिनट तक बेक करें। ठंडा होने पर बाहर निकालें।
7. कोको केक

सामग्री :

250 ग्राम मैदा, 100 ग्राम ब्राउन शुगर, 120 ग्राम मारगीन, 1 टी स्पून कोको पावडर, 1/2 टी-स्पून मीठा सोडा, 1/2 टी-स्पून सिरका, 1/4 टी-स्पून जायफल पावडर, 2 कप दूध, नींबू का छिलका किसा हुआ, 1 नींबू का रस।
ब्राउन शुगर ऐसे बनाएं :

100 ग्राम शक्कर में 1/2 टेबल-स्पून जली शक्कर का रंग मिला दें।

विधि :

सबसे पहले शक्कर व मारगीन हल्का होने तक फेटें। तत्पश्चात मैदे में बेकिंग पावडर, जायफल पावडर, कोको पावडर मिलाकर छानें। अब इस छने हुए मैदे को मारगीन में हल्के हाथ से मिलाएं। इसमें दूध व मैदा डालकर मिलाते जाएं।

अब इसमें सिरका नींबू का रस, वनीला एसेंस मिलाकर 45 मिनट तक मध्यम से कम आंच पर व 15 मिनट तक एकदम कम आंच पर बेक करें। इलेक्ट्रिक ओवन में भी करीबन 50 से 55 मिनट तक बेक करें। तैयार कोको केक से फेस्टिवल का आनंद लें।
8. फ्रूट आइसक्रीम केक

सामग्री :

1 स्पंज केक (1 पाउंड का), 1/2 पैकेट लाल जैली, 1 फै‍मिली पैक वेनिला आइसक्रीम, 3/4 कप ताजा गाढ़ा दही, 5 बड़ा चम्मच पिसी चीनी, 1 छोटा डिब्बा अनारस के स्लाइस, 100 ग्राम क्रीम, 1 पैकेट जिलेटिन।

विधि :

केक को बीच से काटकर दो भागों में कर लें। अनारस के महीन टुकड़े कर लें। इसके रस को फेंके नहीं। केक के 1 भाग को रस से गीला कर लें। 3/4 कप रस में जिलेटिन मिलाकर धीमी आंच पर गलने तक पका लें।

1 1/2 कप उबलते पानी में जेली गलाकर उतार लें। ठंडा कर इसे केक के माप के जितने बड़े डिब्बे में जमने के लिए रख दें। आइसक्रीम गला लें। इसमें अनारस के टुकड़े, दही, 2 बड़ा चम्मच चीनी व पिघली ‍जिलेटिन अच्छी तरह मिला लें।

इस घोल के बर्तन को गर्म पानी के बड़े बर्तन में रख गाढ़ा होने तक चम्मच से चलाएं । इस घोल को जेली के ऊपर डाल दें। फिर इसे फ्रिज में जमने रख दें। जब यह जम जाए तब गीला किया हुआ केक का 1 हिस्सा इसके ऊपर रख दें।

परोसने के पहले जेली के बर्तन को गर्म पानी में 2-4 मिनट रख दें। इससे आसानी से निकल आएगी। परोसने की प्लेट पर इसे उलटाकर दें। क्रीम में 3 बड़ा चम्मच चीनी मिला गाढ़ा होने तक फेंटें। इसे केक के चारों ओर लगा दें। इच्छा हो तो चेरी से सजाकर परोसें।

9. स्पेशल रोज केक

सामग्री :

2 कप मैदा, आधा कप मक्खन, एक चम्मच मलाई, एक कप पिसी चीनी, एक कप दही, एक चम्मच बेकिंग पावडर, आधा चम्मच मीठा सोडा, एक चम्मच स्ट्रॉबेरी एसेंस, 500 ग्राम ताजा क्रीम, डेढ़ कप आइसिंग शुगर, हरा, पीला और गुलाबी खाने का मीठा रंग कुछ बूँदे, सजावट के लिए एक चम्मच कटे बादाम- पिस्ता, एक कप बारीक कटे अखरोट, गुलाब जल।

विधि :


सबसे पहले मैदा, सोड़ा और बेकिंग पावडर छान लें। मलाई, मक्खन और चीनी को एक किनारी वाली थाली में इतना फेंटें कि वह एकदम हल्की क्रीम बन जाए। इसमें मैदा, दही और एसेंस मिलाकर मिश्रण को एकसार कर लें।

अब केक टीन में चिकनाई लगाकर थोड़ा-सा सूखा मैदा बुरक दें और फेंटे हुए मिश्रण को पॉट में डाल दें। ओवन को पहले से अच्छा गरम कर लें। केक टीन को रखकर करीब चालीस मिनट तक बेक करें। अब सलाई डालकर देखें यदि उस पर मिश्रण नहीं चिपक रहा है तो केक तैयार है। क्रीम में आइसिंग शुगर मिलाएं। इसे गाढ़ा और मुलायम होने तक फेंटें। रोज एसेंस मिलाएं। केक की ऊपरी सतह को किनारों को छोड़ते हुए बीच से गोलाई में काट कर निकाल दें। तैयार क्रीम के दो हिस्से कर लें। एक हिस्से को केक के बीच के हिस्से में फैला दें। किनारों पर भी अंदर की तरफ अच्छी तरह लगाएं।

दूसरे हिस्से में तीन भाग करके अलग-अलग कलर मिला दें। कोन में भरकर केक पर रंगीन गुलाब और हरी पत्तियां बना दें। हर फूल के बीच में बादाम, पिस्ता, अखरोट को चिपकाते हुए सुंदर डिजाइन बना दें। तैयार स्पेशल रोज केक अपनों को खिलाएं।
10. सोया वेनीला केक

सामग्री :

सोयाबीन (भीगे हुए) 1 कप, मैदा 1 कप, मक्खन या घी 2 कप, कैस्टर शुगर 2 कप, बेकिंग पावडर 1 चुटकी, काजू, बादाम, किशमिश 1 कप, वेनीला एसेंस।
विधि :

सबसे पहले सोयाबीन को चिकना पीसें। अब घी और शक्कर को फेंटें। इसमें सोया पेस्ट मिलाकर फेंटते हुए हल्का करें। वेनीला एसेंस, कटा सूखा मेवा और मैदा डालकर मिलाएं।

अब केक प्लेट में चिकनाई लगाकर हल्का-सा मैदा बुरकें। इसमें फेंटी हुई सामग्री डालें। पहले से गर्म किए ओवन में 180 डिग्री पर बेक करें। काजू से सजाकर मनचाहे आकार में काटें और इस खास पर्व पर पेश करें।

लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / लॉक डाउन के दौरान सोशल मीडिया पर ही पूरा घर-बंद देश उमड़ पड़ा... क्योंकि बाकि बचे हुए तो जीने मरने, अपने देश-गांव की मिटटी में लौटने की, जान की परवाह किए बिना, भूखे-प्यासे
अपने परिवारों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। देश इन्हीं दो वर्गों में बंट गया। साथ ही एक वो हिस्सा जो संक्रमित हो चुका है कोरोना से, उसकी अपनी एक अलग दुनिया है।

आज सर्वशक्तिमान कौन है? जो बनाता है, बिगाड़ता है, जोड़ता है, तोड़ता है, मिलाता है, बिछुड़ाता है, दोस्त और दुश्मन भी बना देता है। आपकी जिंदगी में कई मनमानियां भी ये पूरी करता है। अलादीन का चिराग है। सारे सपने घर बैठे ही पूरे कर सकता है। और तो और सरकारें बना देता है, सरकारें गिरा देता है।ये वो बला है जो न कराए वो थोड़ा है।रातों रात स्टार बना दे, क्षण भर
में मुंह काला करा दे। नाम बना दे-बदनाम कर दे...अब भी याद आया कि नहीं????

अरे भाई वही सरल सा तो जवाब है- सोशल मीडिया।


कोरोना ग्रासितों की दुनिया भी इससे आबाद है, उनका भी यही सोशल मीडिया सहारा बना हुआ है। यदि उनके पास इसकी सुविधा है तो।


अनहोनी को होनी कर दे, होनी को अनहोनी ऐसी शक्ति से संपन्न, दिल की गिरह खोल दो, चुप न बैठो मतलब
पूरी भड़ास निकालने का साधन, ये सोशल मीडिया का जादू है मितवा जिसमें अपने प्यारे हबी, शोना, बाबू, बेबी,
से, जो दिल ना कह सका वो भी इसी पर ढेर सारे किस्सी/पप्पी, दिलों के और भी उपलब्ध इमोजिस के साथ इठलाते
बलखाते फोटो, विडिओ, रोमांटिक गानों के साथ दिली तमन्ना पूरी करने का श्रेष्ठ माध्यम बना हुआ है ये आपकी मुट्ठी में भींचा हुआ यंत्र। तो बस अब खाली, चौबीसों घंटे घर में बैठा इंसान क्या करे ?

अब रोज परिवार कोरोना उत्सव मनाने लगे। पकवान/ व्यंजन बनने लगे। उनकी बाकायदा थाली/प्लेटें सजाई जातीं और पोस्ट की जातीं। महिलाएं सुंदर-सुंदर कपड़े पहनतीं तैयार होतीं, साड़ी चेलेंज निभातीं। त्यौहारों पर, जन्मदिन-शादी की सालगिरह पर घरों में ही कार्यक्रम/पार्टियां होतीं। जो उपलब्ध होता उसी में आनंद लेते और आज भी ले ही रहे हैं।


अब इन सभी गतिविधियों ने आनंद तो दिया पर इसका

फिर एक वर्ग ने घोर विरोध किया।। इनका कहना था कि देश ऐसी आपदा से घिरा हुआ है, लोग भूखे मर रहे, हैं और इन्हें ऐसी भरी हुई व्यंजनों की थाली पोस्ट करते लज्जा नहीं आ रही … और भर्त्सना कर-कर के ऊधम मचा दी। एक गुट तैयार हुआ शुरू हुई टांग खिंचाई।

देश गया...राष्ट्र-भक्ति गई बस उसने पोस्ट डाली का युद्ध बिगुल बज गया। कमेन्ट बॉक्स भर गए, लाइक और इमोजी की बाढ़ आ गई। कोसने-दुलराने का, पक्ष-विपक्ष, कटाक्ष-व्यंग का घमासान हो चला। आह-वाह और कराह हो गई भाई।।।


अब कुछ ने दूर दराज लोगों बसे अपने परिजनों में गीत-गजल, नृत्य-मनोरंजन और भी कुछ खेलों के ताजातरीन तरीके आजमाए। अपनी उपलब्धियां, सृजन-कार्य, सेवा- सहयोग कार्य सभी का विवरण फिर से उसमें पोस्ट किया। पुनः दो वर्गों में सोशलिये बंटे और फिर से कुश्ती शुरू। ज्ञान-गंगा बहना शुरू।

ऐसे समय ये शोभा देता है ? विपत्ति काल है। जरा तो शर्म करें। यहां हम पुरुषों का मुद्दा छोड़ देते हैं।

केवल महिलाओं की बात करते हैं। इन हरकतों ने कईयों के बीच झगडे करवा दिए, दूसरों की वाल पर जा कर रोईं। एक दूसरे की बुराई की, भरपूर कोसा, उसको नीच, खुद को महान बताया। स्क्रीन शॉट ब्रह्मास्त्र की तरह चले। रिश्ते बिगड़े, इज्जत उतरी, पंगे हुए। इन सबमें केवल और केवल आपकी छवि बिगड़ी,

बिना कारण तनाव हुआ, समय बिगड़ा, संबंध खराब हुए सो अलग।

सबसे पहले यह समझिए की ये एक छद्म दुनिया है। इससे कोई पुरस्कार नहीं मिलने वाला। पर आश्चर्य यह है कि यही विरोधी गुट खुद की किसी भी आत्मप्रशंसा का कोई मौका नहीं छोड़ रहा। खुद मियां मिट्ठू बने कोई बात नहीं, पर किसी दूसरे ने यदि कर दिया तो वो देश-द्रोही हो गया।


इस माया नगरी का यही जाल है। जो इसमें उलझता है उसे ये नगरी अपनी मिल्कियत लगने लगती है। यहां की दुनिया ने कई रिश्ते बना दिए, कई उजाड़ दिए। जानिए तो इसकी शुरुवात हुई कैसे ?


कहा जाता है सृष्टि का सारा ज्ञान शिव पार्वती के संवादों की वजह से उत्पन्न व प्रसारित हुआ है। अधिकांश ग्रंथों
में इस बात का उल्लेख भी इस श्लोक में मिलता है कि ‘ कैलाश शिखरे रम्ये गौरी प्रच्छति शंकरम्।’- गौरी प्रश्न पूछती हैं और महादेव उसका जवाब देते हैं। केवल उन दोनों के बीच हुआ संवाद उस समय के मीडिया अर्थात शिव के गणों के माध्यम से या सिद्ध ऋषियों की दिव्य दृष्टियों के माध्यम से संसार में
फैलता है। तत्पश्चात प्राचीन काल में ऋषियों व गुरुकुलों के आचार्यों की स्मृति शक्ति ही सोशल मीडिया के रूप में काम करती थी।

हजारों ग्रन्थ और उनके करोड़ों श्लोक ऋषियों ने गुरुकुलों में बैठ कर अपनी स्मृति से ही बोल बोल कर शिष्यों को याद करवाए। कहा जाता है की सर्व प्रथम रामायण महादेव ने लिखी थी जिसमें सौ करोड़ श्लोक थे। राम रक्षा स्त्रोत में ‘चरितं रघुनाथस्य शत कोटि प्रविस्तरं’ के रूप में इसका उल्लेख मिलता है। स्वाभाविक है इतने बड़े बड़े ग्रन्थ जब स्मृति से अगली पीढ़ी तक पहुंचते होंगे तो उसमें कुछ बातें घट या बढ़ जाया करतीं होंगी। कहा जाता है कि महाभारत का मूल नाम “जय” था और इसमें आठ हजार श्लोक थे। जो अब बढ़ते बढ़ते एक लाख हो गए।


इसी प्रकार वाल्मिकी रामायण के बारे में भी कुछ विद्वान् मानते हैं की वाल्मिकी ने श्री राम के राज तिलक के बाद का वर्णन नहीं किया है। जो वर्णन मिलता है वह किसी अन्य के द्वारा जोड़ा गया है।अर्थात उस समय भी सोशल मीडिया या कथाओं के मध्य से मूल प्रसंग, लेखकों के नाम में परिवर्तन कर दिए जाते थे। मजे की बात यह है कि इस प्रकार की गड़बड़ियों की जानकारी उस समय के विद्वानों को भी थी।


इसीलिए देव पूजन के बाद क्षमा
प्रार्थना में आज भी कहा जाता है कि “ हे प्रभु यदि अज्ञान या विस्मृति या भ्रान्ति के कारण मैंने कुछ कम या अधिक कहा हो या कोई अक्षर मात्रा या स्वर अशुद्ध हो गया हो तो उसे क्षमा करो। अर्थात उस समय सूचना का उद्गम सदैव शुद्ध और प्रामाणिक माना
जाता था। पर बाद में विकृति की संभावनाओं को स्वीकार कर लिया गया था। उस समय संस्कृति में विकृति का भय था। आज विकृति को और विकृत कर के हम संस्कृति सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।

सूचना देते समय पासवर्ड या कोडवर्ड पहले भी चलते थे। जब अशोक वाटिका में माता जानकी को पवन पुत्र पर विश्वास नहीं हो रहा था तो उन्होंने ‘राम दूत मैं मात जानकी ,सत्य शपथ करुणा निधान की’ इस वाक्य का प्रयोग किया था।इसमें करुणा निधान शब्द पूरी राम चरित मानस में बहुत सीमित स्थानों पर आया है। और वे स्थान केवल राम और सीता के नितांत व्यक्तिगत संवादों के समय के हैं। अर्थात् उस समय करुणा निधान शब्द पासवर्ड के रूप में प्रयोग किया गया था।

अब यही सब यहां भी है।
सत्यता की परख और गलती की माफ़ी। पर हमारे बीच यही गायब हो चूका है। महिलाओं पर इसका गहरा असर हुआ है। ऐसा ही एक और पसंद किया जाने वाला सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म है वाट्स अप। व्यक्तिगत और समूहों में चलाये जाने वाला। इसमें भी खूब विवाद, कहा सुनी, तानाकशी चलती है। परिवार के ग्रुप तक में सदस्यों के ग्रुप बन जाते हैं।

शुभकामनाएं, बधाई तक के शब्दों का हिसाब-किताब होता है। किसी की प्रसिद्धि नागवार गुजरी तो मौन धर लो, किसी पर आशीर्वादों और तारीफों की बाढ़ ला दो। इनमे भी कुछ खास लोग सक्रिय
होते हैं। खुद तो दूसरों की तारीफ़ करते नहीं खुद के लिए पलकें बिछाए बैठते हैं और इज्जत का प्रश्न बना लेते हैं। यही हाल उनका फेसबुक पर भी होता है। परिचित व परिवार जन बहिष्कार करते हैं, ये उनकी जलन निकालने का सर्वोत्तम मार्ग होता है। इसलिए आप बाकी से भी उम्मीद न रखें।

असल में इस सोशल मीडिया से आप केवल जरुरी जानकारी लेने-देने जितना संबंध रखें। इसका अर्थ ही सामाजिकता से जुड़ाव
है न कि व्यक्तिगत। जैसे हाईटेंशन इलेक्ट्रिक लाईन घर के आगे से जा रही है तो क्या उसको आप पकड़ के देखेंगे कि करंट है या
नहीं ? या बिजली से बचने के लिए एहतियात बरतेंगे ? इसमें एक अर्थिंग लाईन भी बाकी सावधानी
के साथ देनी होती है।

 

राजनैतिक पोस्ट से बचने में ही भलाई होती है। इसकी कुर्सी के पाये साम, दाम, दण्ड, भेद होते हैं। हम “पबलिक{पब्लिक}” है जो कई बार कुछ नहीं जानती।

तो मित्रों इन
सब मूर्खताओं से पीछा छुडाओ। सोशल मीडिया की ये टुच्ची हरकतें वास्तविक आनंद और असल मित्रों से आपको दूर करतीं हैं। अव्वल तो जो आपके साथ जीवित, साक्षात, परिजन हैं उनके साथ सुख भोगें। किसने आपको इन पर विश किया, लाईक किया, कमेन्ट किया छोड़ें। इनके चक्कर में आप उन्हें भी खो रहे हैं जो आपके अपने हैं, आपके प्यार को, आपको
प्यार करने को तरस रहे हैं और आपकी ऊंगलियां इस निर्जीव मशीन को सहला रही है। इसी मशीन में छोटों ने जान दे रखी है…। और बड़ों की जान ले रखी है।आप समझें ये केवल रिश्तों को बनाने का साधन है साधक नहीं। इसके केवल फायदों के लिए इस्तेमाल में ही समझदारी है। वर्ना घर-समाज की बर्बादी है… केवल बर्बादी....

सेहत / शौर्यपथ आपको सालों से सिर के नीचे तकिया लगाकर सोने की आदत है, और अगर आप सोचते हैं कि बगैर तकिये के सोने से गर्दन में दर्द हो सकता है, तो आप गलत हैं। बल्कि बगैर तकिये किे सोने से आपको कई तरह के शारीरिक और मानसिक लाभ हो सकते हैं। यदि आप अब तक अनजान हैं, तो जानिए बगैर तकिये के सोने से होते हैं कौन से 5 फायदे -
1 यदि आप अक्सर पीठ, कमर या आसपास की मांसपेशि‍यों में दर्द महसूस करते हैं, तो बगैर तकिये के सोना शुरू कीजिए। दरअसल यह समस्या रीढ़ की हड्डी के कारण होती है, जिसका प्रमुख कारण आपका सोने का तरीका है। बगैर तकिये के सोने पर रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहेगी और आपकी यह समस्या कम हो जाएगी।

2 सामान्य तौर पर गर्दन और गंधों के अलावा पिछले हिस्से में दर्द आपके तकिये के कारण होता है। बगैर तकिये के सोने पर इन अंगों में रक्त संचार बेहतर होगा और आप दर्द से निजात पा सकेंगे।
3 कई बार गलत तकिये का इस्तेमाल आपको मानसिक समस्या भी दे सकता है। यदि तकिया कड़क है तो यह आपके मस्तिष्क पर बेवजह दबाव बना सकता है जिससे मानसिक विकार की संभावना बढ़ जाती है।

4 विशेषज्ञों का मानना है कि बगैर तकिये के सोना आपको निर्बाध रूप से अच्छी नींद लेने में मदद करता है, और आप बेहतर गुणवत्ता के साथ आरामदायक नींद ले पाते हैं, जिसका असर आपके मूड और स्वास्थ्य पर पड़ता है।

5 यदि आप नींद में अपना चेहरे तकिये की तरफ मोड़कर या तकिये में मुंह डालकर सोते हैं तो यह आदत आपके चेहरे पर झुर्रियां पैदा कर सकती है। इसके अलावा यह तरीका आपके चेहरे पर घंटों तक दबाव बनाए रखता है जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है, और चेहरे की समस्याएं उभरती हैं।

 

मनोरंजन / शौर्यपथ / मशहूर संगीतकार वाजिद खान का निधन हो गया है। उनके निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है।

वाजिद खान को लेकर हस्तियों से लेकर उनके समर्थक तक शोक जाहिर कर रहे हैं। वाजिद ने अपने भाई साजिद के साथ मिलकर कई फिल्मों में संगीत दिया है। साजिद-वाजिद अभिनेता सलमान खान के सबसे करीबी रहे। उनकी कई हिट फिल्मों के अलावा विदेशों में होने वाले कॉन्सर्ट में भी वे सलमान के साथ रहते थे। साजिद-वाजिद की जोड़ी को सलमान खान ने अपनी फिल्मों में खूब मौके दिए थे।

खबरों के मुताबिक वाजिद खान किडनी की बीमारियों से पीड़ित थे और उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 42 वर्षीय वाजिद खान को मुंबई के चेंबुर में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ महीने पहले ही उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी, लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। कुछ दिन पहले ही जांच में कोरोना संक्रमित भी पाया गया था।
वाजिद के भाई साजिद ने पीटीआई से कहा कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। उन्होंने कुछ दिन पहले वाजिद को कोविड-19 होने की पुष्टि होने की जानकारी भी दी।

खबरों के मुताबिक रविवार शाम को उनकी हालत बिगड़ गई और तमाम कोशिशों के बाद भी डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए, क्योंकि किडनी की समस्या के कारण उनका इम्युनिटी लेवल बहुत कम हो गया था।
बॉलीवुड हस्तियों ने जताया शोक : वाजिद के निधन पर कई बॉलीवुड हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक जताया है। अभिनेता वरुण धवन ने ट्‍वीट में लिखा- 'वाजिद खान भाई मेरे और मेरे परिवार के बेहद करीब थे। वे आसपास रहने वाले सबसे सकारात्मक लोगों में से एक थे। हम आपको याद करेंगे वाजिद भाई। संगीत के लिए धन्यवाद।'

फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने वाजिद खान के निधन पर शोक जताया है। प्रियंका चोपड़ा ने ट्वीट किया, दुखद समाचार। एक बात जो मुझे हमेशा याद रहेगी वो है वाजिद भाई की हंसी। हमेशा मुस्कुराते रहते थे। बहुत जल्द चले गए। उनके परिवार और शोक व्यक्त करने वाले लोगों के प्रति मेरी संवेदना। आपकी आत्मा को शांति मिले मेरे दोस्त।
इन हिट फिल्मों में दिया संगीत : वाजिद खान ने सलमान खान की फिल्म 'दबंग', 'वांटेड', 'वीर', 'नो प्रॉब्लम', 'गॉड तुस्सी ग्रेट हो', 'पार्टनर' सहित कई और फिल्मों में गाना भी गाया है। साजिद-वाजिद की जोड़ी ने 'एक था टाइगर', 'दबंग', 'दबंग2', 'दबंग 3', 'पार्टनर', 'सन ऑफ सरदार', 'राउड़ी राठौर', 'हाउसफुल 2' जैसी हिट फिल्मों में संगीत दिया था।

      धर्म संसार / शौर्यपथ / गंगा दशहरा पर्व सनातन संस्कृति का एक पवित्र त्योहार है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था।
गंगा दशहरा के दिन पवित्र नदी गंगा में स्नान करने से मनुष्य अपने पापों से मुक्त हो जाता है। स्नान के साथ-साथ इस दिन दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस साल कब है गंगा दशहरा पर्व और हिन्दू धर्म में क्या है इस खास पर्व का महत्व।
कब है गंगा दशहरा?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा पर्व प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 1 जून 2020, सोमवार को है। इसलिए गंगा दशहरा इस साल 1 जून को मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा मुहूर्त

दशमी तिथि आरंभ: 31 मई 2020 को शाम 05:36 बजे से
दशमी तिथि समापन: 1 जून 2020 को दोपहर 02:57 बजे तक
मां गंगा का शुभ मंत्र
नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम:

अर्थ - हे भगवती, दसपाप हरने वाली गंगा, नारायणी, रेवती, शिव, दक्षा, अमृता, विश्वरूपिणी, नंदनी को को मेरा नमन।
गंगा दशहरा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, गंगा मां की आराधना करने से व्यक्ति को दस प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। गंगा ध्यान एवं स्नान से प्राणी काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट, परनिंदा जैसे पापों से मुक्त हो जाता है। गंगा दशहरा के दिन भक्तों को मां गंगा की पूजा-अर्चना के साथ दान-पुण्य भी करना चाहिए। गंगा दशहरा के दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दोगुना फल की प्राप्ति होती है।
मां गंगा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, मां गंगा को स्वर्गलोक से धरती पर राजा भागीरथ लेकर आए थे। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने भागीरथ की प्रार्थना स्वीकार की थी। लेकिन गंगा मैया ने भागीरथ से कहा था कि पृथ्वी पर अवतरण के समय उनके वेग को रोकने वाला कोई चाहिए अन्यथा वे धरती को चीरकर रसातल में चली जाएंगी और ऐसे में पृथ्वीवासी अपने पाप से मुक्त नहीं हो पाएंगे। तब भागीरथ ने मां गंगा की बात सुनकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रभु शिव ने गंगा मां को अपनी जटाओं में धारण किया।

           धर्म संसार / शौर्यपथ / श्रीकृष्ण कहते हैं कि हम कलियुग में एक ऐसा अवतार लेंगे जिसमें शरीर तो कृष्ण का ही होगा परंतु हृदय राधा का होगा। यह सुनकर राधा कहती हैं कि अहा कितना आनंद आएगा जब राधा की भांति दरदर होकर केवल कृष्ण-कृष्ण पुकारते फिरोगे। यह सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं हां, वही करूंगा। वही करूंगा। चैतन्य के रूप में नवद्वीप से लेकर वृंदावन तक कृष्ण कृष्ण पुकारता जाऊंगा।

इसके बाद चैतन्य महाप्रभु को अपने दो साथियों के साथ हरि कीर्तन करते हुए बताया जाता है। फिर से श्रीकृष्ण राधा से कहते हैं कृष्ण कृष्ण पुकारता जाऊंगा। ताकि तुम्हारी तरह कृष्ण प्रेम में तड़प कर देख सकूं। यह सुनकर राधा कहती हैं कि यदि उस तड़प का पूरा आनंद लेना है तो एक काम करिए। तब कृष्ण पूछते हैं, क्या? फिर राधा कहती हैं मुझे मुरली बजाना सिखा दीजिए। इस पर श्रीकृष्ण कहते हैं क्या करोगी? तब राधा कहती हैं कि जब आप विरह व्यथा से पीड़ीत होंगे तो आपकी तरह वृंदावन में चैन से बैठकर मुरली बजाऊंगी। जिसकी ध्वनि सुनकर आप भी मेरी तरह बैचेन हो जाएंगे।
फिर उधर, गोकुल के यमुना किनारे श्रीकृष्ण और राधा को पुन: बताया जाता है। राधा कहती हैं मुझे भी मुरली बजाना सिखाओ। तब कृष्ण कहते हैं कि मुरली नहीं है। यह सुनकर श्रीकृष्ण के हाथ से मुरली लेकर राधा कहती हैं फिर ये क्या है? इस पर कृष्ण कहते हैं ये तुम्हारे काम की नहीं, तुम्हे तो ऐसी मुरली चाहिए जो केवल कृष्ण को जगाए। कृष्ण की मुरली बजेगी तो सारे ब्रह्मांड को जगा देगी। फिर एक तुम ही नहीं और न जाने प्रेम की कितनी ही आत्माएं इस मुरली के स्वरों में बंधकर खिंची चली आएंगी। अगर ऐसा हुआ तो तुम क्या करोगी? फिर उन सबको संभालना तुम्हारे बस में नहीं होगा।
यह सुनकर राधा उठकर खड़ी हो जाती है और कहती हैं ये तुम्हारा अहंकार है कान्हा। राधा जैसा प्रेम तुमसे और कौन करेगा? जो इस प्रकार मतवाली होकर लोकलाज, रिश्ते-नाते सब छोड़-छाड़कर तुम्हारे पीछे फिरेंगी। यह सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं कि अब अहंकार तुम कर रही हो राधे। याद रखो अहंकार प्रेम का शत्रु होता है।


तब राधा कहती हैं कि जिसे तुम अहंकार कह रहे हो वह प्रेम का अधिकार है और जो सबसे अधिक प्रेम करेगी वह अवश्य अपना अधिकार मांग सकती हैं। यह सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं कि प्रेम में मांगना नहीं देना होता है राधे। तब राधा कहती हैं कि ये सब दार्शनिक बातें रहने दो। तुम्हें अभिमान हैं ना अपनी दूसरी प्रियतमाओं पर तो बजाओ अपनी मुरली और बुला लो उन सबको। आज हो जाए सबके प्रेम की परीक्षा।
ऐसा कहकर राधा श्रीकृष्ण के आसपास एक गोला बना देती हैं और कहती हैं कि इस वृत्त के अंदर वही पैर धर सकेंगी जो तुमसे मेरी तरह प्रेम करती हों अन्यथा यहीं भस्म हो जाएगी। तब श्रीकृष्ण राधा की ओर गौर से देखते हैं तो राधा कहती हैं कि देखते क्या हो बजाओ मुरली और बुला लो उन सबको। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि फिर सोच लो। राधा कहती हैं सोच लिया।

यह सुनकर श्रीकृष्ण अपने अधरों कर मुरली को रखकर आंखें बंद कर ऐसी मुरली बजाते हैं कि राधा कि सभी सखियां बेसुध होकर अपना स्थलू शरीर छोड़ कान्हा के पास यमुना पर पहुंच जाती हैं। यह देखकर राधा आश्चर्य से देखती हैं कि ये सखियां तो यहां आ रही हैं। वे सभी आकर उस वृत्त (गोले) के आसपास एकत्रित होकर कान्हा की मुरली सुनती रहती हैं।
राधा यह देखकर गोले के आसपास अपनी शक्ति से आग उत्पन्न कर देती हैं, लेकिन वह सभी सखियां आग को पार करके कान्हा के और नजदीक पहुंच जाती हैं। यह देखकर राधा की आंखों से आंसू झरने लगते हैं। कुछ क्षण में आग लुप्त हो जाती है। राधा कृष्ण के चरणों में हाथ जोड़कर बैठ जाती हैं और कहती हैं मुझे क्षमा कर दो कान्हा। मैंने भूल से तुम पर केवल अपना ही अधिकार समझा था। आज मेरे अहंकार टूट गया। राधा हार गई।
यह सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं कि इन्हें ध्यान से देखो। ये ललीता, विशाखा, उत्तरा सभी मानती हैं कि ये तुमसे अधिक प्रेम करती हैं। ये सब मुझे अपना पति मानती हैं, लेकिन ये सभी वास्तव में तुम ही हो राधा। प्रभु अपनी माया से राधा को दिखाते हैं कि ये सभी सखियां तुम ही हो। प्रभु कहते हैं कि राधा और श्रीकृष्ण के सिवाय इस संसार में कुछ नहीं। तब राधा कहती हैं ‍कि एक चीज है और वो है प्रेम। राधा और कृष्‍ण का प्रेम। यह सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं आज हम तुमसे फिर हार गए राधा।

इसके बाद दोनों एक अंधे व्यक्ति के भजन सुने में डूब जाते हैं।

दूसरी ओर अक्रूरजी से गर्ग ऋषि हंसते हुए कहते हैं कि अच्छा देवी देवकी ने ऐसा कहा कि उसका छोटा अनपढ़ ही अच्‍छा। वो गय्या चराएगा और मुरली ही बजाएगा। यह सुनकर अक्रूरजी कहते हैं जी गुरुदेव ऐसा ही कहा उन्होंने। तब गर्ग मुनि कहते हैं कि वाह वाह वाह, कैसी गूढ़ बात कहती उन्होंने। आप इसका अर्थ समझे?
यह सुनकर अक्रूरजी कहते हैं कि दोनों राजकुमारों को अपने वंश और अपने देश को ध्यान में रखकर वही काम करने चाहिए जिससे राजकुमारों का उत्तरदायित्व पूरा हो। यह सुनकर गर्ग मुनि कहते हैं कि श्रीकृष्ण केवल राजकुमार ही नहीं। कुछ और भी हैं। आप उनके उत्तरदायित्व को समझ सकते हैं? अक्रूरजी जो विद्या और जो ज्ञान आप उन्हें सिखाना चाहते हैं वह सब उनकी मुरली की धुन में छुपा हुआ है।


लेकिन अक्रूरजी यह बात नहीं मानते और कहते हैं कि उनका धर्म ये आज्ञा नहीं देता है कि वो एक काल्पनिक विश्वास का सहारा लेकर इस प्रकार अकर्मण्य होकर केवल हाथ पर हाथ धरे अच्छा समय आने की प्रतीक्षा करते रहें। तब गर्ग मुनि कहते हैं कि आपकी बात भी सही है। आप जैसा कर्मयोगी केवल मनुष्य की शक्ति पर ही विश्वास रखकर अपना कर्म निर्धारित करता है। परंतु हम जैसे भक्त केवल उसकी शक्ति पर भरोसा रखकर ही कर्म करते हैं जो मनुष्य को भी शक्ति देता है।

फिर अक्रूरजी कहते हैं कि गुरुदेव मैं समझता हूं कि दोनों राजकुमार अब किशोरावस्था में हैं। अब उन्हें कंस से टक्कर लेने के लिए अपनी पूरी तैयारी शुरु कर देना चाहिए। इसलिए मैं आपकी सेवा में आया हूं कि आप ही वसुदेवजी को आदेश दे सकते हैं कि अब राजकुमारों का समय यूं गय्या चराने में बर्बाद न किया जाए। यह सुनकर गर्ग मुनि कहते हैं कि उनका समय बर्बाद नहीं हो रहा अक्रूरजी। ये समय तो उनकी प्रेम लीला का है। मानव को ये सिखना है कि प्रेम के बिना मानव का जीवन अधूरा है। गर्ग मुनि कहते हैं कि श्रीकृष्ण पूर्णावतार हैं वे समय आने पर राजनीति भी सिखाएंगे और युद्ध भी करेंगे। निर्माण और संहार करना भी सिखाएंगे।
अक्रूरजी को गर्ग मुनि की बात समझ में नहीं आती है। वे कहते हैं कि जरासंध, बाणासुर और कंस जैसे लोग मिलकर इस धरती को नरक बना दें उससे पहले उनकी शक्तियों का अंत कर देना चाहिए। तब गर्ग मुनि कहते हैं कि उसका समय तो आने दीजिए? यह सुनकर अक्रूरजी कहते हैं कि वह समय कब आएगा? गर्ग मुनि कहते हैं कि बस आने ही वाला है लेकिन अभी तो प्रभु की प्रेम लीला जारी है। विनाश की लीला आरंभ करने से पहले वे मनुष्य को यह संदेश देना चाहते हैं कि अंतत: प्रेम ही सृष्टि का आधार है और वहीं जगत का सार है।
फिर से उस अंधे को कीर्तन करते हुए बताया जाता है। कीर्तन सुनकर गर्ग मुनि कहते हैं कि आह कवि की परिकल्पना में उस परम सत्य की कैसी व्याख्या है। अक्रूजी जी वास्तव में कवि की दूरदृष्टि ही समय की सीमाओं को लांघकर उस परम सत्य को देख सकती हैं।...जय श्रीकृष्णा।

          नजरिया /शौर्यपथ / पूरा विश्व इस वक्त कोविड-19 से जूझ रहा है। ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां रुकी हुई हैं। विभिन्न प्रकार की समस्याओं से लगभग सभी देश जूझ रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यहां पर प्रवासी मजदूरों की समस्या जबरदस्त रूप में उभरकर सामने आई है। ये मजदूर अलग-अलग प्रांतों से मुख्यत: तीन राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में आ रहे हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या अभी तक उत्तर प्रदेश में 26 लाख लोगों के आने की है। सबका ध्यान सरकार पर है कि वह इनके लिए क्या कर रही है। आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो चुके हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2017 बताता है कि देश में लगभग 14 करोड़़ मजदूर मौसमी या चक्रीय स्वरूप के हैं। यही मजदूर कोविड-19 के बाद आर्थिक पुनर्गलन में अहम भूमिका निभाएंगे, जैसाविश्व आर्थिक मंच कहता है। ये मजदूर अर्थव्यस्था के तीनों सेक्टर- कृषि, उद्योग और सेवा में अपना योगदान देते हैं। सेवा क्षेत्र में ये कूड़ा उठाने से लेकर सड़क-भवन निर्माण, मलबा ढोने तक के काम में शामिल हैं। औद्योगिक क्षेत्र में माल ढोने से लेकर उत्पादित वस्तुओं को लादने तक में ये अपना योगदान देते हैं, तो वहीं कृषि क्षेत्र मे बुआई, कटाई और उत्पादित फसलों की ढुलाई इत्यादि का काम करते हैं। इनके शारीरिक योगदान से ही अर्थव्यवस्था में रोजगार और उत्पादन संभव है। ये अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इनके बिना तो अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही टूट जाएगी।
सवाल यह है कि मजदूर आखिर क्यों सड़क पर आए? पहला कारण तो यही है कि राज्य सरकारों ने उनकी क्रय-शक्ति पर ध्यान ही नहीं दिया। कोविड से पहले वे जहां थे, वहीं उनके रहने, खाने व उनकी क्रय-शक्ति बनाए रखने की व्यवस्था होनी चाहिए थी। परंतु ऐसा नहीं हुआ। और जो कुछ किया भी गया, वह उन्हें रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था।
दूसरा कारण राजनीतिक है। कुछ सत्तासीन पार्टियों को लगता है कि प्रवासी मजदूर उनको वोट तो देते नहीं, इसीलिए इनका पलायन होने दो। उन्हें शायद यह भी लगता है कि इनके चले जाने से स्थानीय वोट बैंक को संतुष्टि भी मिलेगी और रोजगार के अवसर भी होंगे। लेकिन इससे नुकसान स्थानीय राज्यों का भी है, क्योंकि सामान ढोने वालों, सड़कें बनाने वालों की कमी पड़ जाएगी। इसके सामाजिक पहलू की भी पड़ताल की जानी चाहिए। प्रवासी मजदूर जहां वर्षों से रह रहे थे, वहां उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती चली गई। इनका हिस्सा उस राज्य के रोजगार, आय, जमीन, मकान आदि में बढ़ता चला गया। इस वजह से वह स्थानीय जनता नाराज होने लगी, जो इन्हें सिर्फ मजदूर के रूप में देखना चाहती थी। इस तबके की नाराजगी भी प्रवासियों को झेलनी पड़ी है।
ऐसी स्थिति में सरकारों को मजदूरों तक सामाजिक व वित्तीय सुरक्षा के साथ-साथ तत्काल नकदी पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए। केंद्र सरकार ने इस दिशा में पीएम किसान योजना, मनरेगा व अन्य योजनाओं के जरिए महत्वपूर्ण कदम उठाए भी हैं। ऐसी आपदा के समय त्वरित निर्णय और तीव्र कार्यशैली का काफी महत्व होता है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश सरकार अपनी समकक्ष सरकारों से काफी आगे दिख रही है। प्रदेश सरकार ने 353 करोड़ रुपये का एक त्वरित राहत पैकेज जारी किया है, जिससे 30 लाख से भी अधिक श्रमिक लाभान्वित होंगे। यूपी लौट रहे प्रवासी मजदूरों को मुख्यमंत्री लगातार यह भरोसा दे रहे हैं कि प्रदेश में आने वाले निवेश के जरिए वह उनके रोजगार व सामाजिक सुरक्षा की समुचित व्यवस्था करेंगे। यदि उत्तर प्रदेश ऐसे श्रमिकों को लेकर अपनी योजना में कामयाब रहा, तो उसके पास दूसरे राज्यों में काम कर रहे अपने श्रमिकों का भी पूरा ब्योरा होगा और जब कभी भी कोई आपदा आएगी, तो वह उसके हिसाब से प्लान कर सकेगी। मानव संपदा के सकारात्मक इस्तेमाल से प्रदेश की तस्वीर बदली जा सकती है।
अन्य राज्य सरकारें भी केंद्र के साथ मिलकर मजदूरों के लिए योजनाएं बना रही हैं। कोरोना के कारण राजस्व को पहुंचे भारी नुकसान की भरपाई के लिए भी वे तरकीबें निकालने में जुटी हैं। जाहिर है, इस विकट संकट से निपटने के लिए त्वरित निर्णय और दीर्घकालिक रणनीति बनाने की जरूरत है। अब सोचना उन राज्यों को भी होगा, जहां से श्रमिकों का पलायन हुआ है, वे अपनी अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे कामगारों का भरोसा कैसे जीतेंगे?
(ये लेखक के अपने विचार हैं) शक्ति कुमार, चेयरपर्सन, सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज ऐंड प्लानिंग, जेएनयू

 

          सम्पादकीय  लेख /शौर्यपथ / देश में पांचवें लॉकडाउन का लागू होना उतना ही जरूरी हो गया था, जितना लॉकडाउन में ढील देना। कड़ाई और ढील की मिली-जुली व्यवस्था ही समय की मांग है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी इसी मजबूरी की ओर संकेत करते हुए चेताया है कि देश खुल गया है, अब ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। वाकई सतर्कता आज प्राथमिकता है, तभी हम न केवल अपने कार्य-व्यापार को आगे बढ़ा पाएंगे, स्वयं को सुरक्षित रखने में भी कामयाब होंगे। जाहिर है, लॉकडाउन पांच पिछले लॉकडाउन की तरह नहीं है। अब केवल कंटेनमेंट जोन में ही लॉकडाउन रखना अनिवार्य होगा। साथ ही, इस बार राज्यों की भूमिका वाकई बहुत बढ़ गई है। उन्हें अपने स्तर पर बड़े फैसले करने हैं। मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार इत्यादि राज्यों ने तो लॉकडाउन को 30 जून तक बढ़ाने का फैसला कर लिया है। कुछ राज्य 15 जून तक ही लॉकडाउन के पक्ष में हैं। आज कुछ राज्य ज्यादा चिंतित हैं, तो समझा जा सकता है। पिछले लॉकडाउन की अगर हम चर्चा करें, तो 14 दिनों में ही संक्रमण के लगभग 86 हजार मामले सामने आए हैं। आंकड़ों को अलग से देखें, तो चिंता होती है, लेकिन दूसरे देशों से तुलना करें, तो अपेक्षाकृत संतोष होता है। हमारा यह संतोष कायम रहना चाहिए।
यह चर्चा जारी रहेगी कि जब देश में 500 मामले भी नहीं थे, तब बहुत कड़ाई से लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन जब मामले दो लाख के करीब पहुंचने लगे हैं, तब लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। जब केंद्र और राज्य सरकारें ढील पर विचार कर रही थीं, तब 30 मई को संक्रमण के मामलों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज हुआ है। अब एक दिन में 8,000 से ज्यादा मामले आने लगे हैं, तो आने वाले दिनों में क्या होगा? मरने वालों की संख्या भी 5,000 के पार जा चुकी है। ऐसे में, जब धर्मस्थल, रेस्तरां, होटल, शॉपिंग मॉल, स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे, तब क्या होगा? जब सड़कों पर सार्वजनिक वाहन दौड़ने लगेंगे, फिर क्या होगा? धर्म और शिक्षा के मंदिर देश में हमेशा से भीड़ भरे रहे हैं। ये हमारे समाज के सबसे कमजोर मोर्चे हैं, जहां संचालकों-प्रबंधकों को विशेष रूप से चौकस रहना होगा। धर्मस्थल के संचालकों की ओर से आ रहे दबाव को समझा जा सकता है, पर वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित रखना अच्छे संस्कार, सभ्यता की नई निशानी होगी। धर्म प्रेरित मानवता भी हमें एक-दूसरे की चिंता के लिए प्रेरित करती है। हम सभी न चाहते हुए भी एक-दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं।
कोरोना के संदर्भ में अनेक लोगों को अब यह नहीं पता चल रहा है कि उन्हें कोरोना किससे लगा? घर से निकलने वाला एक आदमी अगर अनेक लोगों के संपर्क में आएगा, तो यह पता लगाना उत्तरोतर कठिन होता जाएगा कि कोरोना की कौन-सी शृंखला आगे बढ़ रही है। लॉकडाउन पांच के समय देश ऐसी अनेक तरह की नई चुनौतियों की ओर बढ़ रहा है। संदिग्ध लोगों की निगरानी का काम हाथ-पैर फुला देगा। बेशक, अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार हम देखेंगे और देश के लोगों को राहत देने के लिए यह अपरिहार्य है। ध्यान रहे, हर जगह पुलिस या सरकार खड़ी नहीं हो सकती, हमें स्वयं अनुशासित नागरिक बनकर अपनी और अपने पास के लोगों की पहरेदारी करनी है। यह अपनी ऐसी फिक्र करने का समय है, जिसमें सबकी फिक्र शामिल हो।

 

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