November 22, 2024
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खस्ताहाल निगम में एसी कमरे में बैठने की तैयारी में निगम के मंत्री , बिना निविदा कर दिए लाखो के कार्य Featured

दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में कांग्रेस को २० सालो बाद सत्ता मिली है प्रदेश में कांग्रेस की सर्कार होने व भाजपा के कई उम्मीदवारों के निर्दलीय मैदान में उतरने की वजह से दुर्ग निगम में कांग्रेस की सरकार बनी . कांग्रेस की सत्ता वापसी होते ही कांग्रेस नेताओ में पहले महापौर की रेस शुरू हुई जो कुछ ही दिनों बाद धीरज बाकलीवाल के रूप में महापौर निर्वाचित होने के बाद राजनितिक घमासान का अंत हुआ .
महापौर की रेस में नाम नहीं अआने के कारण कांग्रेस के दिग्गज नेता मदन जैन का विरोध रहा वही कांग्रेस से तकिया पारा वार्ड के अब्दुल गनी भी महापौर के चयन के समय दुर्ग राजनीती के रणनीतिकार राजिव वोरा से जबरदस्त विवाद हुआ विवाद का विडिओ वाइरल होते ही शहर की जनता को लगा कि अब्दुल गनी बगावती तेवर अपना सकते है किन्तु निगम के मंत्री मंडल की घोषणा होते ही शहरी सरकार में पी डब्ल्यूडी का पद अब्दुल गनी के पास आ गया और भाजपा से कांग्रेस में प्रवेश करने वाली जयश्री जोशी को जिनके पास सभापति सहित पीदाब्ल्युडी विभाग के कार्य का अनुभव था प्रशासन विभाग दे दिया गया .
सत्ता में आते ही कांग्रेस के मंत्रिमंडल का कार्यालय एम्आईसी भवन की कायाकल्प शुरू होने का कार्य प्रारंभ हो गया . सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले सिर्फ पोताई का कार्य किये जाने की बात चली किन्तु धीरे धीरे कार्य का रूप बदलता गया और शहरी सरकार के मंत्री विभागों के कार्य से ज्यादा अपने कार्यालय की खूबसूरती की तरफ ध्यान देने लगे , अब कार्य सिर्फ पोताई से नहीं पुट्टी पेंट तक पहुंचा , पुट्टी पेंट के बाद वाल डिजाईन के कार्य की रूप रेखा बनी , इन सब कार्यो के बाद पुरे एमआईसी में नए परदे लगाने की बात सामने आ गयी ( ऐसा नहीं कि पुराने परदे फट गए या बहुत पुराने हो गए थे किन्तु सत्ता का खेल ऐसा चला कि सब होता गया ) नए परदे लगने के बाद सभी दरवाजो में एक और कांच के दरवाजे लगने की बात उठी जिसे भी संकट ( कोरोना आपदा ) काल में पूर्ण कर लिया गया . अगर सूत्रों की माने तो अब मंत्रिमंडल अपने कार्यालय में एयर कंडीशन लगाने की जुगत में लगा है हो सकता है जल्द ही ये कार्य भी मूर्त रूप ले ले .
अनुमान के मुताबिक एक कार्यालय में कम से कम लाख रूपये का खर्च का अनुमान है . खैर कांग्रेस की सरकार है मंत्री कांग्रेस के है तो हो सकता है केबिन में सोफा भी लग जाए टीवी भी लग जाए शासन के खर्चे में आखिर सत्ता २० सालो बाद आयी है . ये अलग बात है कि नए मंत्रियो में महत्तवपूर्ण पद पर आसीन मंत्री ( शहरी सरकार ) विभाग के कार्यो से अनजान है या फिर ऐसा कोई कार्य अभी तक इन मंत्रियो द्वारा नहीं हुआ जो जनता कि नजर में आये आज भी निगम में ठेकेदार भुगतान के लिए चक्कर लगा रहे है , आज भी शहर की आम जनता अपनी समस्यायों के लिए घूम रही है , आज भी निगम के कई ठेकेदार स्तर हीं निर्माण कर रहे है और मंत्रियो के करीबी होने का लाभ उठा रहे है , आज भी निगम के इंजिनियर स्थल जाँच की अपेक्षा ठेकेदारों के बातो पर भरोसा क्र बिल भुगतान कर रहे है , आज भी निगम के अधिकारी कर्मचारियों से गाली गलौच कर रहे है , आज भी शहर में अवैध रूप से निर्मित दुकानों पर आम जनता को कार्यवाही का इंतज़ार है , आज भी शहर कि जनता अच्छे शासन की राह तक रही है , आज भी सडको की हालत बद से बद्दतर है , आज भी कई इलाको में पानी कि समस्या बनी हुई है , आज भी गरीबो पर अतिक्रमण और कार्यवाही की मार बनी हुई है , आज भी बड़े व्यापारी सीना तान कर सडको पर सामान फैला कर व्यापार कर रहे है , आज भी निगम को राजस्व की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है पर कोई बात नहीं आम जनता तो होती ही है परेशानियों से जीवन बिताने के लिए . वर्तमान में सबसे ज्यादा जरुरी है स्तरहीन कार्य से एमआईसी बिल्डिंग के रूप का कायाकल्प करना .वही कार्य आज निगम में हो रहा है आपदा के समय भी निगम प्रशासन इन कार्यो में कलगा हुआ है और इन कार्यो की जिम्मेदारी निगम के प्रभारी ईई मोहन पूरी गोस्वामी के पास है . निगम ईई से इस कार्य के लिए हुए निविदा की बात पुझी गयी तो टाल मटोल जवाब ही प्राप्त हुआ . विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक ही ठेकेदार को यह काम दिया जा रहा काम के स्तर हीं की जानकारी देने पर निगम के प्रभारी ईई ने सुधार की बात तो कही है किन्तु कितना सुधार होगा ये कहना मुश्किल ही है क्योकि भ्रस्टाचार की शिकायत पर अभी तक तो कार्यवाही नहीं हो पाए फिर इन कार्यो की कैसे कार्यवाही होगी जबकि ठेकेदार और ईई गोस्वामी की काफी घनिष्टता बाते जा रही है क्योकि राशन वितरण के समय भी ईई गोस्वामी द्वारा अपने पसंदीदा ठेकेदार को ही कई राशन सामग्री लाने का जिम्मा दिया हुआ था इस बात के पुख्ता प्रमाण ठेकेदार और ईई के बीच अनेकोनेक फोन काल ही सिद्ध कर सकते है ऐसे में क्या निगम आयुक्त बर्मन एमआईसी के कार्यो की निष्पक्ष जाँच करवाएंगे या ये मामला भी अन्य मामलो की तरह दब जायेगा ?

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