August 03, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

दुलदुला, कुनकुरी और तपकरा में करेंगे विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 21 जून को जशपुर जिले के रणजीता स्टेडियम में आयोजित राज्य स्तरीय अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस अवसर पर वे जिले के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन भी करेंगे।
मुख्यमंत्री  साय जशपुर में नालंदा परिसर का भूमिपूजन करेंगे। दुलदुला विकासखंड में विभिन्न कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास, कुनकुरी के गिनाबहार में मातृ एवं शिशु अस्पताल और सलियाटोली (कुनकुरी) में नालंदा परिसर के लिए भूमिपूजन करेंगे। इसके अलावा वे कुनकुरी के सद्भावना भवन में ठाकुर समाज के द्वारा आयोजित सामाजिक कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे। तपकरा में मुख्यमंत्री साय तहसील भवन का शुभारंभ करेंगे और वन विभाग के कार्यक्रम में भी भाग लेंगे।

"स्वच्छता अभियान के कर्मचारी बना दिए गए बाबू! नियमों की उड़ रही धज्जियां"

– शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट

दुर्ग। क्या नगर निगम अब कर्मचारियों की मनमानी से चलेगा या चुने हुए जनप्रतिनिधियों के निर्देशों से? यह सवाल आज दुर्ग निगम के कर्मचारियों के मन में गूंज रहा है। कारण है – महापौर अलका बाघमार द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों की अनदेखी और अधिकारियों की कार्यशैली में गहराई से जमी उदासीनता।
  हाल ही में सामने आया मामला न केवल एक कर्मचारी की पदस्थापना से जुड़ा है, बल्कि यह सीधे-सीधे शहरी प्रशासन की गंभीर चूक और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का उदाहरण भी बन चुका है।

महापौर का निर्देश... और उसका उल्लंघन!

मामला जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पंजीयन शाखा से जुड़ा है, जहां पिछले दो वर्षों से मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत नियुक्त एक कर्मचारी कार्यालयीन कार्य में सलग्न है – जबकि मिशन क्लीन सिटी के कर्मचारियों को शुद्धत: फील्ड ड्यूटी (साफ-सफाई एवं नगर व्यवस्था) के लिए ही नियुक्त किया गया है।
  महापौर अलका बाघमार ने इसे गंभीर मानते हुए उक्त कर्मचारी को मूल कार्यक्षेत्र (फील्ड ड्यूटी) में वापस भेजने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के सक्षम अधिकारी धर्मेश मिश्रा को दिए। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से आज तक उस कर्मचारी की पदस्थापना वहीं की वहीं बनी हुई है।

जब इस पर स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेश मिश्रा से जानकारी मांगी गई तो उनका उत्तर था – "कर्मचारी को नियंत्रित स्थान पर भेज दिया गया है।"
लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है – संबंधित कर्मचारी अब भी जन्म-मृत्यु पंजीयन शाखा शाखा में कार्यरत है। तो क्या अधिकारी झूठ बोल रहे हैं? या फिर महापौर के निर्देश अब महज कागजों तक सीमित रह गए हैं?

नियमों की धज्जियां, प्रशासन की चुप्पी

स्वच्छ भारत मिशन जैसे महत्वपूर्ण अभियान के कर्मचारी यदि कार्यालयों में भृत्य की भूमिका में बैठाए जाएंगे, तो न तो मिशन सफल होगा और न ही प्रशासन पर जनता का विश्वास बच पाएगा। नगर निगम का यह रवैया साफ तौर पर यह संकेत देता है कि यहां या तो नियमों की समझ नहीं है, या फिर नियमों की धज्जियां उड़ाना अब सामान्य चलन बन गया है।

एक चिंगारी से उठेगा आंदोलन?

इस खुलासे के बाद निगम के अन्य मिशन क्लीन सिटी कर्मचारी भी अब अंदरखाने सक्रिय हो गए हैं। जिनकी शैक्षणिक योग्यता बेहतर है, वे भी अब फील्ड की जगह कार्यालयों में पदस्थापना की मांग करने लगे हैं। यह स्थिति अगर आगे भी बनी रही, तो यह न केवल प्रशासनिक असंतुलन को जन्म देगी, बल्कि एक बड़े असंतोष और आंदोलन की भूमि भी तैयार करेगी।

प्रश्न जनता का, जवाब प्रशासन का...?

क्या निगम में महापौर के निर्देशों का कोई औचित्य नहीं बचा?
क्या अधिकारी जानबूझकर नियमों को तोड़ रहे हैं?
और क्या नगर निगम का प्रशासन अब "जुगाड़ व्यवस्था" से संचालित होगा?
शहर अब जवाब मांग रहा है। प्रशासन को यह तय करना होगा कि वह नियमों के साथ चलेगा या चुप्पी की चादर ओढ़े रहेगा।

मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत, कर्मचारियों द्वारा मुख्य रूप से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और निपटान का कार्य किया जाता है। इसके अतिरिक्त, वे सूखा और गीला कचरा अलग-अलग एकत्र करते हैं, और कचरे को सॉलिड एंड लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट (एसएलआरएम) केंद्रों में अलग-अलग करके रिसाइकिलिंग उद्योगों को बेचते हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मिशन क्लीन सिटी का उद्देश्य न केवल शहरों को साफ रखना है, बल्कि सफाई कर्मचारियों के जीवन को भी बेहतर बनाना है.

बच्चों को सिक्का, पिन, सुई, कांच, छोटी गिट्टी या छोटी वस्तुओं से दूर रखें-डॉ. प्रशांत सिंह
कोरिया/शौर्यपथ /बच्चों को सिक्का, पिन, सुई, कांच, छोटी गिट्टी या छोटी वस्तुओं से दूर रखें-डॉ. प्रशांत सिंहनगर पालिका शिवपुर-चरचा के वार्ड क्रमांक 13 में एक मासूम बच्चे की जान पर उस समय बन आई, जब खेल-खेल में उसके गले में एक सिक्का फंस गया। गला अवरुद्ध होने के कारण बच्चा गंभीर अवस्था में पहुंच गया। लेकिन समय पर की गई चिकित्सकीय कार्रवाई से उसकी जान बच गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वार्ड क्रमांक 13 निवासी राजेश विश्वकर्मा के 7 वर्षीय पुत्र सार्थक ने अनजाने में खेलते बच्चों को सिक्का, पिन, सुई, कांच, छोटी गिट्टी या छोटी वस्तुओं से दूर रखें-डॉ. प्रशांत सिंहसमय एक सिक्का निगल लिया, जो उसके गले में जाकर फंस गया। बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर नगर पालिका उपाध्यक्ष राजेश सिंह ने तत्काल डॉक्टर को फोन कर सूचना दी कि बच्चे की हालत बेहद नाजुक है और उसे तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता है।
सूचना मिलते ही सिविल सर्जन व अधीक्षक डॉ. आयुष जायसवाल के मार्गदर्शन में डॉ. योगेंद्र चौहान एवं उनकी चिकित्सा टीम जिला अस्पताल, बैकुंठपुर लेकर आए बच्चे की तत्काल जांच कर उपचार शुरू किया। टीम की त्वरित कार्रवाई और दक्षता से गले में फंसे सिक्के को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया। बच्चे की हालत अब स्थिर है।
इस घटना के बाद जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रशांत सिंह ने अभिभावकों से अपील की है कि वे छोटे बच्चों को सिक्का, पिन, सुई, कांच, छोटी गिट्टी या किसी भी प्रकार की छोटी वस्तुओं से दूर रखें, क्योंकि ये जानलेवा साबित हो सकती हैं। चिकित्सकों ने सलाह देते हुए कहा है कि छोटे बच्चों की निगरानी हमेशा रखें। ऐसी छोटी वस्तुएं बच्चों की पहुंच से दूर रखें। किसी आकस्मिक स्थिति में बिना देरी चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें।

एक लाख से अधिक राशि का लगा जुर्माना
कोण्डागांव/शौर्यपथ /कृषि उपज मंडी समिति कोण्डागांव क्षेत्रान्तर्गत मंडी समिति के अधिकारी सचिव श्री सुरेश कुमार सिंह के नेतृत्व व मार्गदर्शन में निरीक्षण दल द्वारा वाहनों की सघन जांच निरीक्षण दौरान मक्का के अवैध परिवहन पर कार्यवाही की गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार 17 जून 2025 को ग्राम कोन्नापुर तजादूर निवासी श्री राजकुमार को जिले के समीपवर्ती प्रांत उड़ीसा से लगे हुए ग्राम अनतपुर में वाहन क्रमांक टीएन5 एए 8098 में 500 बोरा एवं ग्राम बड़े घोड़सोड़ा से फर्म प्रिया ट्रेडर्स को वाहन क्रमांक ओडी 02 एवी 7510 में 500 बोरा में अधिसूचित कृषि उपज मक्का का परिवहन बगैर मंडी कागजात व दस्तावेज के अभाव में परिवहन करते पाये जाने पर मंडी अधिनियम 1972 की धारा 23 के तहत् जप्ती अभिग्रहण की कार्यवाही करते हुए पुलिस थाना अनतपुर में उपज सहित वाहन पुलिस अभिरक्षा में सौंपा गया। उक्त प्रकरण का मंडी अधिनियम 1972 को धारा 19(4) के तहत शासन द्वारा निर्धारित कुल मूल्य आधारित देय शुल्कों का पांच गुना मंडी फीस कृषक कल्याण शुल्क, निराश्रित शुल्क तथा अधिनियम की धारा 53 के तहत प्रशमन समझौता शुल्क ली गई। जप्ती प्रकरण पर मंडी अधिनियमानुसार कार्यवाही करते हुए कुल एक लाख 2 हजार 80 रूपए की राशि संबंधित व्यपारियों से वसूली गई। सत्र 2025-26 में अद्यतन की स्थिति में कुल 07 प्रकरण पंजीबद्ध किया गया, जिसमें 2737 बोरा अनुमानित वजन 1642.20 क्विंटल कुल मूल्य 35 लाख 37 हजार 780 रूपए पर मंडी अधिनियम 1972 की धारा 19 (4) प्रावधानों के तहत कार्यवाही कर प्रकरण निराकृत की गई है।

   बेमेतरा/शौर्यपथ /बेमेतरा जिले में 15 जून से 30 जून 2025 तक धरती आबा जनभागीदारी अभियान के अंतर्गत राष्ट्रव्यापी जागरूकता सह लाभ संतृप्ति शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। यह अभियान भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शासकीय योजनाओं की पूर्ण संतृप्ति एवं जनजागरूकता के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक शासन की सभी व्यक्तिगत हकों  का लाभ बिना किसी बाधा के पहुंचाया जा सके।
  बेमेतरा जिले में चार प्रमुख आदिवासी बहुल गांव—ग्राम झालम (जनपद बेमेतरा), बुड़ेरा और कोरवाय (जनपद साजा) तथा बोईकछार (जनपद नवागढ़) को इस अभियान के तहत चिन्हित किया गया है। यहां पर ग्राम पंचायत या शासकीय भवनों में दो दिवसीय शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
   ग्राम झालम में 16 एवं 17 जून को शिविर संपन्न हुआ, जिसमें जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत समग्र जनहित सेवाएं एक ही स्थान पर मुहैया कराई गईं। शिविर में 27 आयुष्मान भारत कार्ड बनाए गए जिससे ग्रामीणों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा का मार्ग प्रशस्त हुआ। साथ ही, 65 आधार कार्ड (नवीन व अद्यतन) तैयार किए गए। इसके अलावा 12 राशन कार्ड आवेदन, 18 श्रम कार्ड आवेदन, 5 जाति प्रमाण पत्र, तथा 6 निवास प्रमाण पत्र के लिए भी आवेदन प्राप्त हुए।
  शिविर में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री अभिषेक जायसवाल की निगरानी में विभागीय अधिकारियों ने स्थल पर दस्तावेज सत्यापन कर त्वरित सेवाएं दीं। जनजागरूकता रैली ने भी ग्रामीणों में योजनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया
  आगामी शिविर ग्राम बुड़ेरा (19-20 जून), बोईकछार (23-24 जून), एवं कोरवाय (26-27 जून) में आयोजित किए जाएंगे। इन शिविरों में लाभार्थियों को आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, सिकल सेल स्क्रीनिंग, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि, उज्जवला योजना, पेंशन योजनाएं, महिला बाल विकास की योजनाएं, जैसे सुकन्या समृद्धि योजना, बाड़ी विकास, जल जीवन मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, व्यक्तिगत शौचालय, विद्युत कनेक्शन, कौशल विकास और मुद्रा लोन जैसी बहुआयामी सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
   कलेक्टर  रणबीर  शर्मा ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से शासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि योजनाओं की पहुंच केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि वे प्रभावी रूप से जरूरतमंदों तक पहुंचें। धरती आबा जनभागीदारी अभियान न केवल प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है बल्कि यह आदिवासी अंचलों में सशक्तिकरण, सहभागिता और समावेशी विकास की दिशा में उठाया गया एक ठोस और दूरदर्शी कदम भी है।
   यह अभियान “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” की भावना को साकार करने की दिशा में बेमिसाल पहल बनकर उभर रहा है।

शासन की जनहितकारी योजनाओं से बच्चों को मिल रहा नया जीवन
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ में कुपोषण के खिलाफ एक नई क्रांति की शुरुआत हो रही है। भूख और कुपोषण की बेड़ियां टूट रही हैं, और बच्चों की आंखों में उम्मीद की चमक साफ दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सुपोषित छत्तीसगढ़ का सपना अब हकीकत बन रहा है। उनका कहना है, हर बच्चा स्वस्थ हो, यही सच्चा सुशासन है। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के मार्गदर्शन में यह संकल्प अब धरातल पर उतर रहा है।
दुर्ग की 77 ग्राम पंचायतों को कुपोषण मुक्त बनाने का लक्ष्य
दुर्ग जिले की 77 ग्राम पंचायतों को कुपोषण मुक्त बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में ग्राम पंचायत करेला की कहानी प्रेरणादायक है। कुछ महीने पहले, करेला के आंगनबाड़ी केंद्र 1 में पंजीकृत बालक यक्ष मध्यम कुपोषण से जूझ रहा था। उसका वजन मात्र 9.8 किलोग्राम था, और वह घर का खाना छोड़कर अस्वस्थ पैकेटबंद भोजन पर निर्भर था।
मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना ने बदली तस्वीर
मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के तहत यक्ष का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ, जिसने उसके जीवन में बदलाव की शुरुआत की। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती दुर्गेश्वरी वर्मा और पर्यवेक्षक श्रीमती ममता साहू ने यक्ष के माता-पिता को पोषण का महत्व समझाया और घरेलू तरीकों से पौष्टिक भोजन तैयार करने की विधि सिखाई। ग्राम सरपंच डॉ. राजेश बंछोर ने पोषण खजाना योजना के अंतर्गत दाल, गुड़, और मूंगफली जैसी पौष्टिक सामग्री उपलब्ध कराई। जिससे यक्ष की सेहत में अभूतपूर्व बदलाव आया।नियमित आंगनबाड़ी केंद्र में भेजे जाने के बाद यक्ष में खाने की रुचि जागी। समूह भोजन के माहौल, सुबह अंकुरित अनाज, रेडी-टू-ईट पोषण आहार और माँ के स्नेह से तैयार भोजन ने उसकी सेहत को नई दिशा दी। आज यक्ष का वजन बढ़कर 11.5 किलोग्राम और लंबाई 89 सेंटीमीटर हो गई है। वह अब पूरी तरह सुपोषित है। उसकी चमकती आँखें और चेहरे पर खिलती मुस्कान न केवल उसके स्वास्थ्य, बल्कि नए छत्तीसगढ़ के उज्ज्वल भविष्य की गवाही दे रही हैं।
परिवार ने जताया शासन का आभार
यक्ष के परिवार ने भावुक होकर शासन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, समय पर मिली इस मदद ने हमारे बच्चे को नया जीवन दिया। अगर यह सहायता नहीं मिलती, तो शायद हमारा यक्ष आज भी कमजोर और बीमार होता।
सुपोषित छत्तीसगढ़ की दिशा में बढ़ता कदम
यक्ष की कहानी केवल एक बच्चे की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के उन तमाम बच्चों की है, जिनके लिए शासन की योजनाएं जीवन में नई रोशनी ला रही हैं। कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ का यह अभियान न केवल बच्चों की सेहत सुधार रहा है, बल्कि एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की नींव भी रख रहा है।

रायपुर/शौर्यपथ /कलेक्टर से मिलकर यश की आगे की पढ़ाई की चिंता अब दूर हो गई है। जिला कलेक्टोरेट परिसर मुंगेली में आज आयोजित जनदर्शन के दौरान एक ऐसा भावुक दृश्य देखने को मिला। लोरमी विकासखंड के ग्राम रजपालपुर निवासी सातवीं कक्षा के छात्र यश कुमार ने कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार के सामने पहुंचकर करुण स्वर में कहा ‘सर, मेरे माता-पिता मुझे छोड़कर चले गए हैं, कृपया मेरी स्कूल फीस माफ कर दीजिए।’ छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत यश जब महज चार वर्ष का था, तब उसके माता-पिता ने उसे छोड़ दिया। तब से उसके चाचा उसकी देखभाल कर रहे हैं, किन्तु कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण यश की पढ़ाई में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।
     कलेक्टर ने यश की पीड़ा को न केवल गहराई से महसूस किया, बल्कि मानवीय संवेदनशीलता का परिचय देते हुए तत्काल संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि यश को निकटवर्ती छात्रावास में प्रवेश दिलाकर उसकी पढ़ाई की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने भावनात्मक स्वर में कहा कि ‘अबयह मेरा बच्चा है। इसकी शिक्षा में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि शासन की मानवीयता का जीवंत उदाहरण था, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि जब प्रशासन संवेदना से जुड़ता है, तभी असली परिवर्तन संभव होता है। कलेक्टर की इस पहल से यश की आंखों में शिक्षा और आत्मनिर्भरता का सपना पुनः जाग उठा। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक श्री भोजराम पटेल, अतिरिक्त कलेक्टर श्रीमती निष्ठा पाण्डेय तिवारी, अपर कलेक्टर श्री जी.एल. यादव एवं श्रीमती मेनका प्रधान सहित संबंधित अधिकारीगण मौजूद रहे।

 रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा श्रमिकों एवं उनके परिजनों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं के माध्यम से श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लगातार आर्थिक मदद दी जा रही है। इसी सिलसिले में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल अन्तर्गत पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों को श्रम विभाग अंतर्गत संचालित योजना मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के अंतर्गत टॉप टेन में आने वाले बच्चों को 1,00,000 (एक लाख रूपये) प्रोत्साहन राशि से लाभान्वित किया जाता है।
     श्रम पदाधिकारी ने बताया कि श्रम विभाग में संचालित छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल अंतर्गत जांजगीर चांपा जिले के विकासखंड बम्हनीडीह के ग्राम कुम्हारीकला निवासी श्रीमती सीता बाई का रेजा कुली प्रवर्ग में पंजीयन था। श्रीमती सीता बाई के प्रथम पुत्री पायल कुमारी राज ने माध्यमिक शिक्षा मण्डल रायपुर कक्षा 10वीं में मेरिट स्थान में 6वां स्थान प्राप्त किया है। जिसे योजना के तहत नवीन सर्किट हाऊस, सिविल लाईन रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय, श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन एवं भवन एवं अध्यक्ष अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा  पायल कुमारी राज को चेक के माध्यम से 1,00,000 (एक लाख रूपये) प्रोत्साहन सहायता राशि से लाभान्वित किया गया।

पति की स्मृतियों संग अब सुमित्रा जी रहीं हैं सम्मान और सुकून का जीवन
रायपुर/शौर्यपथ /जांजगीर-चांपा जिले के जनपद पंचायत बलौदा अंतर्गत ग्राम पंचायत बिरगहनी (च) की श्रीमती सुमित्रा पटेल के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई। यह योजना उनके दिवंगत पति स्व. लखनलाल पटेल के अधूरे सपनों को साकार करने वाली बनी, जिससे आज वे एक सुरक्षित और पक्के मकान में सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर रही हैं।
स्व. लखनलाल पटेल का परिवार बेहद ही साधनहीन था और उनकी रोजी-रोटी की एकमात्र सहारा मजदूरी थी। स्वयं की खेती की जमीन नहीं होने के कारण उनका परिवार वर्षों तक एक कच्चे और जर्जर मिट्टी के घर में रह रहा था। जीवनभर मेहनत करने के बावजूद पक्का मकान बनाना केवल एक सपना बनकर रह गया था।
वर्ष 2024-25 में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत उन्हें पात्र पाते हुए 1 लाख 20 हजार रुपये की सहायता राशि किश्तों में उनके खाते में हस्तांतरित की गई। इस योजना के माध्यम से श्री लखनलाल और उनकी पत्नी सुमित्रा ने मिलकर अपने सपनों का मजबूत पक्का घर तैयार किया।
दुर्भाग्यवश घर पूर्ण होने के कुछ समय बाद ही श्री लखनलाल का आकस्मिक निधन हो गया। अब सुमित्रा पटेल उसी मकान में अपने पति की स्मृतियों के सहारे जीवन यापन कर रही हैं। उनका कहना है कि, सरकार की इस योजना ने हमें वह दिया जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी। यह घर अब मेरे जीवन का सहारा है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ ही उन्हें महात्मा गांधी नरेगा के तहत मजदूरी कार्य, उज्ज्वला योजना से गैस कनेक्शन तथा स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय जैसी सुविधाएं भी प्राप्त हुई हैं।
श्रीमती सुमित्रा पटेल ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह योजना हम जैसे गरीब परिवारों के लिए आशा की किरण है, जिससे हमें जीवन में स्थायित्व और सम्मान मिला है।

रायपुर/शौर्यपथ /हर किसी का सपना होता है एक पक्का घर और जब यह सपना साकार होता है तो ज़िंदगी में नई उम्मीदें और सुकून भर जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है जशपुर जिले के बगीचा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत पण्ड्रापाठ के बुचू राम का जिनका वर्षों पुराना सपना प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना के माध्यम से अब हकीकत बन चुका है।
बुचू राम पहले अपने पुराने, कच्चे और जर्जर मकान में पत्नी और बच्चों के साथ कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे थे। बरसात के मौसम में टपकती छत, चारों ओर पानी और असहज माहौल ने उनका जीवन कठिन बना रखा था। सीमित आय और कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण वह खुद का पक्का मकान बनाने की कल्पना भी नहीं कर पा रहे थे।
लेकिन साल 2023-24 में प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना के अंतर्गत उन्हें मकान निर्माण के लिए स्वीकृति मिली। ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने उनके दस्तावेज जुटाकर ऑनलाइन पंजीयन कराया और कुछ ही समय बाद उनके खाते में पहली किस्त की राशि पहुंच गई। बुचू राम ने बताया कि शुरुआत में उन्हें विश्वास नहीं हुआ, लेकिन बैंक जाकर जब खाते में राशि देखी तो आंखों में खुशी के आंसू आ गए।
सरकारी सहायता और मनरेगा की मजदूरी मिलाकर उन्होंने अपना पक्का मकान तैयार किया। अब वे अपने परिवार के साथ न केवल सुरक्षित और मजबूत छत के नीचे रह रहे हैं, बल्कि बरसात के मौसम में भी बिना किसी चिंता के चैन की नींद ले पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य में प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना का लाभ दूरस्थ अंचलों के जरूरतमंद लोगों तक भी पहुंच रहा है। इस योजना ने बुचू राम जैसे अनेक लोगों को सम्मान से जीवन जीने का अवसर दिया है।
बुचू राम ने मुख्यमंत्री और भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा, जिस घर की उम्मीद मैंने छोड़ दी थी, वह आज मेरे सामने खड़ा है। सरकार ने मेरी अंधेरी जिंदगी में उजाला ला दिया है।

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