September 06, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

राजनांदगांव/दुर्ग/शौर्यपथ/
   क्षेत्र के औद्योगिक और आर्थिक विकास की आड़ में पर्यावरण और जनस्वास्थ्य को दांव पर लगाने का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। कल्याणी इस्पात लिमिटेड के विस्तार प्रस्ताव को लेकर 28 अगस्त 2025 को ग्राम अंजोरा में आयोजित लोक सुनवाई में ग्रामीणों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय प्रतिनिधियों ने गहरी आशंका जताई।
  कंपनी ने ग्राम कोपेडीह एवं अंजोरा में स्थापित अपने इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट की क्षमता को दोगुने से अधिक बढ़ाने और परियोजना क्षेत्रफल को 38.68 हेक्टेयर से 84.021 हेक्टेयर तक विस्तारित करने का प्रस्ताव रखा है। कंपनी का दावा है कि इससे रोजगार और विकास को गति मिलेगी। परंतु ग्रामीणों का कहना है कि विकास के इन बड़े वादों के पीछे छिपा है प्रदूषण, स्वास्थ्य संकट और स्थानीय लोगों की अनदेखी।
  लोक सुनवाई में लोगों ने स्पष्ट कहा कि अक्सर कंपनियां शुरुआत में रोजगार, स्वास्थ्य और विकास के बड़े वादे करती हैं, लेकिन अनुमति मिलने के बाद स्थानीय जनता को दरकिनार कर दिया जाता है। प्रदूषण और बीमारियों से जूझते लोग आंदोलन करते रह जाते हैं, जबकि विभागीय प्रक्रियाओं की आड़ में कंपनियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
   गंभीर आरोप यह भी लगाए गए कि कल्याणी इस्पात द्वारा ग्रामीण समर्थन हासिल करने के लिए मोटी रकम और अपने कुछ कर्मियों को स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बीच खड़ा किया गया है। ठीक वैसे ही जैसे चुनाव के समय नेता जनता को वादों के पुलिंदों से बहलाकर बाद में भूल जाते हैं।
  सबसे गंभीर तथ्य यह है कि विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार अभी पर्यावरण विभाग से पूर्ण अनुमति भी प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन कंपनी ने क्षेत्र में कार्य शुरू कर दिया है। यह असंवैधानिक है और नियमों की खुली अवहेलना है। सवाल यह उठता है कि जो कंपनी शुरुआत से ही कानून तोड़ रही है, उस पर आगे भरोसा कैसे किया जा सकता है?
  ग्रामीणों ने कहा कि यह परियोजना विकास की जगह क्षेत्र में विनाश लाएगी। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे लालच से ऊपर उठकर जनता की आवाज़ बनें और ऐसी कंपनियों का विरोध करें, जिनके मंसूबे क्षेत्र के पर्यावरण और स्वास्थ्य को संकट में डालते हैं।
  जनता की उम्मीद अब प्रशासन और शासन से है कि वे इस गंभीर मामले को नजरअंदाज न करें और नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनी पर कड़ी कार्रवाई करें।

   शौर्यपथ सम्पादकीय /  भारतीय राजनीति में नेताओं द्वारा अमर्यादित, अपमानजनक और विवादास्पद भाषा का प्रयोग एक गंभीर समस्या के रूप में उभरता जा रहा है। यह प्रवृत्ति अब लगभग सभी प्रमुख दलों के नेताओं में दिखाई देने लगी है। इसके परिणामस्वरूप न केवल लोकतंत्र की गरिमा प्रभावित हो रही है, बल्कि समाज में वैमनस्य और ध्रुवीकरण भी बढ़ रहा है।

अमर्यादित भाषा: तथ्य और सत्यता

अमर्यादित भाषा या अपमानजनक टिप्पणियां अक्सर विपक्षी दलों, महिलाओं, जातियों, धर्मों या क्षेत्रीय समुदायों को निशाना बनाती हैं। बीते वर्षों में ऐसी घटनाओं की संख्या सैकड़ों में रही है, जिन पर मीडिया और सोशल मीडिया में तीखी आलोचना सामने आती है।

बीजेपी नेताओं द्वारा महिलाओं, विपक्षी नेताओं और समुदायों पर की गई टिप्पणियों की पुष्टि विभिन्न समाचार रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्ट्स से होती रही है। कैलाश विजयवर्गीय, रमेश बिधुड़ी और अश्विनी चौबे की टिप्पणियां इसके उदाहरण हैं।

कांग्रेस नेताओं की भाषा भी कई बार प्रधानमंत्री, भाजपा नेताओं और महिलाओं को लक्ष्य बनाती रही है। राहुल गांधी की "वोटर अधिकार यात्रा" में पीएम मोदी व उनकी मां को लेकर विवादित टिप्पणी, बाबू जंडेल की धार्मिक टिप्पणी और अजय राय की सेक्सिस्ट टिप्पणी इसका हिस्सा रही हैं।

आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं द्वारा भी जातिवादी और तीखी भाषा का प्रयोग सामने आया है। गोपाल इटालिया द्वारा "नीच" शब्द का इस्तेमाल, अमनतुल्लाह खान की टिप्पणियां और प्रवक्ताओं द्वारा पत्रकारों को धमकाने जैसी घटनाएं चर्चा में रही हैं।

अन्य दलों जैसे तृणमूल कांग्रेस (TMC), डीएमके (DMK), समाजवादी पार्टी (SP) आदि के नेताओं की अमर्यादित भाषा भी क्षेत्रीय, धार्मिक और जातीय अपमान या धमकियों के रूप में सामने आती रही है। महुआ मोइत्रा, दयानिधि मारन, शिवाजी कृष्णमूर्ति और संजय राउत इसके उदाहरण हैं।

मीडिया एवं समाज की प्रतिक्रिया

इन घटनाओं पर मीडिया ने लगातार आलोचना की है, वहीं सोशल मीडिया पर तीखी चर्चाएं होती रही हैं। विपक्षी दलों द्वारा कार्रवाई की मांग बार-बार उठती है, लेकिन राजनीतिक संस्कृति में इस प्रवृत्ति का सामान्यीकरण हो चुका है। यही कारण है कि ठोस कार्रवाई बहुत कम दिखाई देती है।

कानूनी और संस्थागत दृष्टिकोण

नीतिगत स्तर पर भारत सरकार और चुनाव आयोग ने चुनाव अभियान के दौरान अभद्र भाषा पर रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश बनाए हैं। सुप्रीम कोर्ट और अन्य संस्थाओं ने भी समय-समय पर संज्ञान लिया है, किंतु क्रियान्वयन और कानून के असर में अपेक्षित सुधार नहीं दिख रहा है।

आगे की राह

राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं और नेताओं को समाज की भावना, संविधान और लोकतांत्रिक गरिमा का सम्मान रखते हुए बयान देने चाहिए। आलोचना और विरोध लोकतंत्र का हिस्सा हैं, किंतु उन्हें मर्यादित भाषा में व्यक्त करना ही उचित है। यही दृष्टिकोण देशहित और सामाजिक सौहार्द बनाए रख सकता है।

इस प्रकार, भारतीय राजनीति में अमर्यादित भाषा का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है और यह लोकतांत्रिक ताने-बाने को कमजोर कर रहा है। सभी दलों के नेताओं को व्यक्तिगत मान-मर्यादा और संविधान की सीमाओं का सम्मान करना होगा, ताकि राजनीति की गरिमा संरक्षित रह सके।

शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव का धमतरी प्रवास और रायपुर में समीक्षा बैठक
धमतरी सर्किट हाउस में मिला गॉड ऑफ ऑनर, शिक्षा व्यवस्था सुधार पर कड़े निर्देश

धमतरी/रायपुर / शौर्यपथ /
 छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री एवं दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव मंगलवार  2 सितंबर को धमतरी प्रवास पर रहे। धमतरी सर्किट हाउस पहुंचने पर उन्हें गॉड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। इस दौरान सामाजिक एवं कर्मचारी संगठनों, यादव समाज, भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से उन्होंने आत्मीय भेंट कर संवाद किया। मंत्री यादव ने उनकी मांगों और क्षेत्रीय विकास के मुद्दों पर सार्थक चर्चा करते हुए आश्वासन दिया कि जनहित सर्वोपरि रखा जाएगा।
   प्रवास के दौरान मंत्री यादव ने माँ विंध्यवासिनी (बिलई माता) मंदिर पहुंचकर देवी चरणों में नमन किया और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि व मंगलमय जीवन की प्रार्थना की। यादव समाज और स्थानीय भाजपा परिवार द्वारा किए गए आत्मीय स्वागत और स्नेह से वे अभिभूत नजर आए।
  इस अवसर पर भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती रंजना डिपेंद्र साहू, जिलाध्यक्ष प्रकाश बैस, जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सार्वा, महापौर रामू रोहरा, पूर्व विधायक इंदरचंद चोपड़ा, जिला महामंत्री राकेश साहू सहित पवन गजपाल, भागवत यादव, सोहन यादव, मनोज यादव, कैलाश सोनकर एवं बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
  
रायपुर में विभागीय समीक्षा बैठक
  धमतरी प्रवास के बाद राजधानी रायपुर लौटकर मंत्री गजेंद्र यादव ने लोक शिक्षण संचालनालय की विभागीय समीक्षा बैठक ली। बैठक में हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी परीक्षाओं के परिणाम सुधारने के लिए ठोस प्रयासों पर जोर दिया गया।
  उन्होंने अधिकारियों को स्कूलों की नियमित मॉनिटरिंग करने, पठन-पाठन की गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी रखने तथा शिक्षकों को आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। साथ ही निःशुल्क गणवेश, पाठ्यपुस्तक, सरस्वती साइकिल योजना और शिक्षा का अधिकार अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने पर बल दिया।
  बैठक में रजत जयंती समारोह के तहत पुस्तक वाचन दिवस, बाल पंचायत, एल्युमिनी मीट, शिक्षक दिवस और प्रदर्शनी जैसे आयोजनों की रूपरेखा पर भी चर्चा की गई। जिलों से शिक्षकों की संपूर्ण जानकारी और रिक्त पदों का विवरण शीघ्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए ताकि शिक्षा व्यवस्था को समयबद्ध रूप से सुदृढ़ किया जा सके।


मंत्री ने कहा
 “शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ की परीक्षाओं के परिणाम पूरे देश के लिए एक मिसाल होंगे।” – गजेंद्र यादव, स्कूल शिक्षा मंत्री

  रायपुर / शौर्यपथ / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईआईएमएस) रायपुर ने शुक्रवार को राष्ट्रीय फार्माकोलॉजी दिवस का आयोजन किया। यह दिवस भारतीय फार्माकोलॉजी के जनक माने जाने वाले कर्नल सर रमनाथ चोपड़ा की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया गया।
  कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने किया। उन्होंने कहा कि कर्नल चोपड़ा ने भारत में फार्माकोलॉजी को एक वैज्ञानिक विधा के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अवसर पर डीन (एकेडमिक्स) प्रो. (डॉ.) एली मोहापात्रा भी मौजूद रहे।
  इस आयोजन में पं. जेएनएम मेडिकल कॉलेज, अभिषेक मिश्रा मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, श्री बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसबीआईएमएस) और रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के फार्माकोलॉजिस्ट्स भी शामिल हुए। इससे विभिन्न संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग को नई दिशा मिली।

फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) नितिन गायकवाड़ ने स्वागत भाषण में दिवस की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। इसके बाद अतिथियों ने कर्नल चोपड़ा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर औपचारिक उद्घाटन किया।
  वैज्ञानिक व्याख्यान श्रृंखला में डॉ. योगेंद्र केचे ने कर्नल चोपड़ा के जीवन और योगदान पर विचार रखे। डॉ. सूर्यप्रकाश धनैरिया ने आवश्यक औषधियाँ और दवाओं के तर्कसंगत उपयोग विषय पर व्याख्यान देते हुए इनके सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्व को रेखांकित किया। वहीं, डॉ. उषा जोशी ने स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान में फार्माकोलॉजिस्ट्स की भूमिका विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
  कार्यक्रम का समापन आयोजन सचिव एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आलोक सिंह के आभार प्रदर्शन के साथ हुआ। उन्होंने सभी अतिथियों, वक्ताओं, शिक्षकों, छात्रों और सहयोगी संस्थानों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम की सफलता में डॉ. पुगझेंथन टी., डॉ. प्रफुल्ल थावरे, डॉ. समीर उत्तमराव खसबगे, विभाग के रेज़िडेंट्स (एसआर व जेआर) और कार्यालयीन स्टाफ की भूमिका को विशेष रूप से सराहा गया।
  यह आयोजन न केवल कर्नल सर रमनाथ चोपड़ा के योगदान को नमन था, बल्कि फार्माकोलॉजी के क्षेत्र में तर्कसंगत दवा उपयोग, रोगी सुरक्षा और अनुसंधान की आवश्यकता पर भी बल देता है। एआईआईएमएस रायपुर ने इस अवसर पर स्वास्थ्य सेवा में उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।

  रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज दंतेवाड़ा जिले के प्रवास के दौरान जिला कार्यालय के डंकनी सभाकक्ष में बाढ़, आपदा एवं राहत कार्यों की समीक्षा की। इस बैठक में दंतेवाड़ा के अलावा बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिलों के कलेक्टर एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री टंकराम वर्मा, वन मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री श्री केदार कश्यप, बस्तर सांसद श्री महेश कश्यप, क्षेत्रीय विधायक श्री चैतराम अटामी तथा जिला पंचायत अध्यक्ष श्री नंदलाल मुड़ामी भी उपस्थित थे।
  मुख्यमंत्री साय ने विगत 26 एवं 27 अगस्त को हुई अतिवृष्टि से हुई हानि तथा प्रशासन द्वारा चलाए गए राहत कार्यों की जानकारी बैठक के माध्यम से ली। उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रशासनिक अमलों द्वारा त्वरित कार्रवाई की गई, जो सराहनीय है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों से हुई चर्चा से यह स्पष्ट हुआ कि प्रशासनिक तत्परता एवं त्वरित कार्रवाई से वे संतुष्ट हैं।


  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बीते माह आई इस प्राकृतिक आपदा और विभीषिका से जो जन-धन एवं अधोसंरचना की क्षति हुई है, वह अपूरणीय है। यह संतोष की बात है कि जिला प्रशासन द्वारा फौरी तौर पर बचाव एवं राहत कार्य के लिए कदम उठाए गए। साथ ही शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने एक दिन का वेतन दान स्वरूप दिया, जो अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आई बाढ़ आपदा से चारों जिलों में 115 करोड़ रुपये की विभिन्न अधोसंरचनाओं को क्षति हुई है। इनकी मरम्मत के लिए राज्य शासन द्वारा हर संभव सहयोग किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने गैर-शासकीय एवं स्वैच्छिक संगठनों के कार्यों की भी सराहना की।
  मुख्यमंत्री ने बैठक में सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि चारों जिलों में स्थिति सामान्य होने तक राहत एवं स्वास्थ्य शिविर आवश्यकतानुसार जारी रखें। उन्होंने कहा कि प्रशासन निरंतर प्रभावितों के संपर्क में रहे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सतत जारी रखे। इसके लिए लगातार कैंप लगाकर ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच की जाए तथा उन्हें समसामयिक सलाह देते हुए आवश्यक दवाएं और स्वास्थ्य सेवाएं तत्काल उपलब्ध कराई जाएं। मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को राहत राशि अविलंब जारी करने के भी निर्देश दिए।
  बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह ने निर्देशित किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित न होने पाए। इसके लिए कार्यपालन अभियंता तत्काल प्रस्ताव केंद्रीय कार्यालय को प्रेषित करें। साथ ही केशकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग के सुधार कार्य हेतु तात्कालिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
  इस दौरान सचिव आपदा प्रबंधन श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने पशु-हानि पर दी जाने वाली मुआवजे की राशि के लिए नए निर्देशों के अनुसार आवंटन देने हेतु कलेक्टरों को निर्देशित किया। स्वास्थ्य विभाग की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार डोर-टू-डोर सर्वे कराया जाए। साथ ही स्वास्थ्य अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि इन क्षेत्रों में मलेरिया, टाइफाइड एवं जलजनित रोग पनपने न पाएं। उन्होंने पेयजल के सभी स्रोतों में क्लोरीनेशन कराने और उसका परीक्षण करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
 इससे पहले दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिलों के कलेक्टरों ने निर्धारित एजेंडा अनुसार बाढ़ से हुई क्षति और जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए राहत कार्यों की क्रमवार जानकारी दी। बैठक में अतिवृष्टि से प्रभावित ग्रामों, क्षतिग्रस्त पुल-पुलियों, सड़कों, बाधित विद्युत आपूर्ति एवं मोबाइल नेटवर्क की स्थिति प्रस्तुत की गई। साथ ही जन-धन हानि, बाढ़ में बह गए घरों एवं मवेशियों के बारे में संख्यात्मक एवं तथ्यात्मक आंकड़े पीपीटी के माध्यम से साझा किए गए।
 इसके अलावा जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए राहत एवं बचाव कार्य, प्रभावितों का रेस्क्यू कर उन्हें राहत कैंपों में ठहराना, तात्कालिक उपचार उपलब्ध कराना और खाद्य सामग्री वितरित करने की जानकारी भी दी गई। बताया गया कि सर्वाधिक क्षति नदी-नालों के किनारे स्थित ग्रामों के निवासियों को हुई है, परंतु समय पर प्रशासनिक राहत उपलब्ध कराई गई।
  बैठक में बस्तर संभाग के संभागायुक्त श्री डोमन सिंह, आईजी बस्तर श्री सुंदरराज पी, दंतेवाड़ा कलेक्टर श्री कुणाल दुदावत, सुकमा कलेक्टर श्री देवेश ध्रुव, बीजापुर कलेक्टर श्री संबित मिश्रा, जिला पंचायत बस्तर के सीईओ श्री प्रतीक जैन सहित एसपी एवं जिला स्तर के अधिकारीगण मौजूद थे।

  राजनांदगांव / शौर्यपथ / भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय अंचलों में सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए संचालित आदि कर्मयोगी अभियान के तहत जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण वैष्णव ने श्री रजवाड़ा होटल एण्ड रेस्टोरेंट में डिस्ट्रिक्ट प्रोसेस लैब का शुभारंभ किया। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण वैष्णव ने कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। जिसका उद्देश्य जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों तक शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाना और विभिन्न विभागों की प्रत्येक योजना से गांव के अंतिम व्यक्ति को जोडऩा है। इसके लिए शासकीय  अधिकारी-कर्मचारी, आदि कर्मयोगी, व्यावसायिक कार्यकर्ता सहित अन्य सहयोगी, अशासकीय संस्था, स्वसहायता समूह, सामाजिक कार्यकर्ता, ग्रामीण युवा साथी बनकर गांव के अंतिम व्यक्ति तक एक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। उन्होंने सभी से आदि कर्मयोगी अभियान को सफल बनाने के लिए सहयोग की अपील की।
आदि कर्मयोगी अभियान के जिला प्रभारी श्री सुशील कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर 20 लाख आदि कर्मयोगी भारत में तैयार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में 1 लाख 33 हजार आदि कर्मयोगी तैयार किए जाएंगे। उन्होंने कर्तव्यनिष्ठ और उत्तरदायी शासन स्थापित करने कहा। सहायक आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग सुश्री दीक्षा गुप्ता ने बताया कि आदि कर्मयोगी अभियान के तहत आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग राजनांदगांव द्वारा तीन दिवसीय डिस्ट्रिक्ट प्रोसेस लैब में जिला स्तर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, राजस्व विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, महिला बाल विकास विभाग, कृषि विभाग तथा अशासकीय संस्थाओं के चयनित 28 प्रतिभागी शामिल हो रहे है। इस अवसर पर प्रशिक्षण प्रदायकर्ता श्री यशवंत वर्मा, श्री दीपक ठाकुर, सुश्री रेणुका कन्नौजे, श्री किशोर माहेश्वरी, श्री वीरेंद्र वैष्णव, श्री दिलीप कुमार, श्री अमितेश सिंह परिहार तथा अधीक्षक श्री पुरेंद्र, श्री प्रशांत, श्री मोहनीस, श्री निखिल, सुश्री विनीता, सुश्री जया एवं सुश्री स्मृति उपस्थित थे।

रायपुर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का बड़ा निर्णय, 100 पंपों से होगी शुरुआत

रायपुर/शौर्यपथ / सड़क हादसों में लगातार बढ़ती मौतों को देखते हुए रायपुर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने एक महत्वपूर्ण और जनहितकारी कदम उठाया है। अब रायपुर में 1 सितंबर से बिना हेलमेट दोपहिया चालकों को पेट्रोल नहीं मिलेगा।
  एसोसिएशन ने इसे एक जागरूकता अभियान के रूप में शुरू करने का फैसला लिया है। प्रारंभिक चरण में रायपुर जिले के लगभग 100 पेट्रोल पंपों पर इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा। इसके बाद जिले के सभी 320 पंपों पर इसे विस्तार दिया जाएगा और आगे चलकर प्रदेश के अन्य जिलों में भी यह व्यवस्था लागू होगी। इस संबंध में एसोसिएशन पहले ही उप मुख्यमंत्री अरुण साव और कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह को ज्ञापन सौंप चुका है।
"ताकि न जाए किसी की जान" – अखिल धगट
  एसोसिएशन के अध्यक्ष अखिल धगट ने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि सड़क हादसों में होने वाली अनावश्यक मौतों को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि शुरुआत के कुछ दिनों तक लोगों को समझाकर पेट्रोल दिया जाएगा और उन्हें हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित किया जाएगा। अगली बार यदि वे बिना हेलमेट आएंगे तो पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।
  धगट ने स्पष्ट किया कि इस अभियान का मकसद जुर्माना या दंड नहीं, बल्कि जन-जागरूकता है। उन्होंने कहा— "हमें यह सुनिश्चित करना है कि हेलमेट न पहनने के कारण कोई भी अपनी जान न गंवाए। जब तक लोगों में हेलमेट पहनने की आदत स्थायी रूप से नहीं बन जाती, यह अभियान जारी रहेगा।"

जनहितकारी कदम
  विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े कम करने में मदद करेगी बल्कि लोगों में सड़क सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारी और अनुशासन भी बढ़ाएगी। यह अभियान सरकार की रोड सेफ्टी पॉलिसी को भी मजबूत आधार देगा।
 जनता की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए रायपुर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का यह कदम एक ऐतिहासिक और जनहितकारी निर्णय के रूप में देखा जा रहा है।

  दुर्ग / शौर्यपथ / विगत दिनों ग्राम मर्रा क्लॉक पाटन में गोड़वाना समाज की मातृशक्ति सशक्तिकरण, जागरूकता, एकजुटता के उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमती नोमिन ठाकुर जिला पंचायत सदस्य, श्री श्यामल दास मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला अंत्यावसायी विभाग दुर्ग, श्री पुरुषोत्तम प्रसाद क्षेत्राधिकारी जिला अंत्यावसायी विभाग दुर्ग, श्रीमती दीपमाला जैन जनपद सदस्य, श्रीमती ममता अरमो अध्यक्ष महिला प्रभाग दुर्ग, श्री मुकेश देवांगन सरपंच, श्री राकेश ठाकुर समाजसेवी उपस्थित थे।
कार्यक्रम शुभारंभ आदिशक्ति यूड़श्येव की पूजा अर्चना अतिथियों के द्वारा किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये श्री राकेश ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में गोंड़वाना की मातृशक्तियों को स्वरोजगार की दिशा में आगे आने की आवश्यकता है। इसके लिये जरूरी है। समाज की मातृशक्ति जागरूक एवं एकजुट हो जिससे स्व-सहायता समूह बनाकर शासन की योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर पहुंचाया जाये।
श्री श्यामल वास ने कहा कि शासन की विभिन्न स्वरोजगार योजना जो बैंकों के माध्यम से संघालित की जा रही है। उन योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े युवाओं को मिले जिससे उनका जीवन-यापन का स्तर ऊंचा हो सके। योजनाओं में अनुदान लाभ के साथ-साथ विभाग द्वारा प्रधानमंत्री अभ्युदय कौशल विकास योजनांतर्गत वर्तमान में सोलर पैनल इस्टालेशन, सीएनसी टर्निंग, सिलाई कढ़ाई, कम्प्यूटर हार्डवेयर जैसे ट्रेडों में निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण प्रदाय किया जा रहा है। जिससे युवाओं में कौशल का विकास में और उन्हें विभिन्न अंतराष्ट्रीय व राष्ट्रीय कंम्पनियों में नियोजित किया जा सकें।
श्रीमती नोमिन ठाकुर ने सिलाई मशीन मिलने पर बधाई देते हुये प्रसन्नता व्यक्त कर आगे भी महिलाये आगे आकर महिला सशक्तिकरण के लिये साथ जुड़कर काम करने की बात कहीं अंत में उपस्थित अतिथियों द्वारा स्वरोजगार हेतु ऋण के रूप में सिलाई मशीन व अन्य योजना के चेक का वितरण किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती टोमिन नेताम एवं आभार श्रीमती किरण नेताम ने किया स्वरोजगार से तांभावितों में श्रीमती रोशनी नेताम, श्रीमती रूखमणी ठाकुर, श्रीमती कोमल, कु. शालिनी, रानू चाई, कीर्ति ठाकुर, महेश्वरी, केशर, निकिता, किरण, पूजा, तृष्णा, चंचल, टिकेश्वरी, नंदिनी, त्रिलोका, कु. भूमिका, गीता देशलहरे, माता महिलांग, कु. खुशीमती, कु. भारती, कु. सविता, भामेश्वरी, कु. पूष्पांजली देशलहरे शामिल है।

कृषि मंत्री दिल्ली जाकर नड्डा से गुहार लगाते हैं, खाली हाथ लौटकर कहते हैं, खाद की कोई कमी नहीं है ?

रायपुर/ शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में अभूतपूर्व खाद संकट, डीएपी और यूरिया की कालाबाजारी को भाजपा प्रायोजित त्रासदी करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है भाजपा सरकारों की दुर्भावना पूर्वक नीतियों के चलते ही ऐसी परिस्थिति निर्मित हुई है। सरकार के द्वारा खाद सब्सिडी में लगातार कटौती, उर्वरक क्षेत्रों का निगमीकरण, निजी करण और नियंत्रणमुक्त करने की वजह से ही आज छत्तीसगढ़ के किसान खाद के लिए तरस रहे हैं। प्रदेश के किसान खरीफ सीजन शुरू होने से 3 महीना पहले, फरवरी में ही अपनी डिमांड सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से सरकार तक पहुंचा चुके थे, लेकिन यह सरकार समय पर न रैक की व्यवस्था करा पाई, न ही सोसाइटी में भंडारण। अब तो फसल के निर्णायक ग्रोथ का समय आ गया है, अब भी खाद नहीं मिल पाएगा तो उत्पादन कैसे होगा?
   प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि धान का कटोरा कहलाने वाला छत्तीसगढ़, भाजपा सरकार की दुर्भावना के चलते हैं उर्वरक संकट से जुझ रहा है। सरकारी समितियों के गोदाम खाली है, किसान सुबह से शाम तक कतार में खड़े होकर खाली हाथ लौटने मजबूर हैं। खाद के अभाव में खरीफ फसल की वृद्धि रूक गई है। सत्ता के संरक्षण में जमाखोर, कोचियों, बिचौलियों और कालाबाजारी करने वाले किसानों को खुलेआम लूट रहे हैं। 1350 का डीएपी खुले बाजार में 2000 रुपए तक बिक रहा है, 266 रुपए के यूरिया के लिए किसानों से 1000-1200 तक वसूला जा रहा है। किसान कर्जदार हो रहे हैं, लेकिन सरकार केवल विज्ञापनों में झूठे दावे करके किसानों की समस्या से किनारा कर रही है।
   प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा सरकार का चरित्र छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्यायपूर्ण है। एक तरफ छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री दिल्ली जाकर नड्डा से खाद उपलब्ध कराने गुहार लगाते हैं, और जब केंद्र सरकार की उपेक्षा से सुनवाई नहीं होती तो खाली हाथ वापस छत्तीसगढ़ लौटकर कहते हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है। उर्वरक सप्लाई के सरकारी दावे केवल कागजी हैं। केंद्र सरकार की दुर्भावना और उपेक्षा पर परदेदारी करने सरकार झूठे दावे करके किसानों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है। सरकार के दोहरे रवैए के खिलाफ पूरे प्रदेश में किसान उद्वेलित हैं।

लगभग 94 प्रतिशत किसानों ने कराया पंजीयन
जिले में मिशन मोड में कृषक पंजीयन के लिए किया गया कार्य

      राजनांदगांव / शौर्यपथ / कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने खरीफ विपणन वर्ष 2024- 25 के लिए एग्रीस्टेक के तहत कृषक पंजीयन हेतु राजस्व, कृषि एवं सहकारी विभाग को निर्देश दिए थे। इसी कड़ी में आज कृषक पंजीयन के अंतिम दिवस जिले के लगभग 94 प्रतिशत किसानों ने कृषक पंजीयन करा लिया है। कुल 1 लाख 17 हजार 512 किसानों ने एग्रीस्टेक के अंतर्गत कृषक पंजीयन कराया है। जिले में कृषि विभाग द्वारा मिशन मोड में कृषक पंजीयन के लिए कृषक जोड़ो अभियान चलाया गया था। जिले में एग्रीस्टेक पोर्टल फॉर्मर रजिस्ट्री के तहत कृषक पंजीयन के लिए कृषक जोड़ो अभियान के तहत लगातार कृषकों का पंजीयन कराने के लिए जागरूक किया गया। छूटे हुए किसानों का पंजीयन कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करते हुए पाम्प्लेट, पोस्टर के माध्यम से भी जानकारी दी गई।
शेष किसानों का पंजीयन तकनीकी दिक्कतों का कारण नहीं हो सका है। जिसमें फार्मर रजिस्ट्री वेबपोर्टल में अपलोड डाटा वर्तमान में राजस्व रिकार्ड के डाटा जैसे क्रय-विक्रय, फौती नामांतरण, बंटवारा नामांतरण के पश्चात् एंट्री, भूमि स्वामी के नाम का मिलान नहीं होने, महिला कृषकों के जमीन रिकार्ड में पिता का नाम एवं आधार कार्ड में पति का नाम दर्ज होने के कारण एवं अन्य तकनीकी कारणों से शेष कृषकों का पंजीयन नहीं हुआ है। शीघ्र ही छुटे हुए किसानों का पंजीयन भी हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि जिले में पूर्व वर्ष में धान बिक्री करने वाले किसानों की संख्या 1 लाख 25 हजार 610 है। जिसमें से 1 लाख 17 हजार 512 किसानों ने एग्रीस्टेक के अंतर्गत कृषक पंजीयन कराया है।

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