August 06, 2025
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    शौर्यपथ /घर पर नन्हे मेहमान के आते ही दादी-नानी ही नहीं घर का हर बुजुर्ग व्यक्ति माता-पिता को बच्चे की अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए सलाह देने लगता है। इसी सलाह में से एक सलाह माता-पिता को यह भी दी जाती है कि अपने नवजात शिशु को 6 महीने से पहले पानी नहीं पिलाना है। लेकिन क्या आप इस सलाह के पीछे की असल वजह जानते हैं और क्या है बच्चे को पानी पिलाने का सही समय। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब, जिनके बारे में माता-पिता को जरूर पता होना चाहिए।
क्यों 6 महीने बाद ही शिशु को पिलाया जाता है पानी?
नवजात बच्चों को शुरू के 6 महीने अलग से पानी पिलाने की जरुरत नहीं होती हैं। उनके लिए उनकी मां का दूध ही काफी होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मां के दूध में ही 80 प्रतिशत पानी होता है, जो उसे सभी जरुरी पोषण और हाइड्रेशन देता है। इसके अलावा जो बच्चे फॉर्मूला मिल्क पीते हैं उनका शरीर भी हाइड्रेट रहता है। यही वजह है कि कम से कम 6 महीने बाद ही बच्चों को पानी पिलाने की सलाह दी जाती है। ध्यान रखें पतला फॉर्मूला मिल्‍क पिलाने या ज्यादा पानी पिलाने की वजह से बच्चे की तबियत खराब हो सकती है।
पानी पिलाने का सही समय क्या है?
विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चा जब ठोस आहार खाना शुरू कर दे तो उसे पानी पिलाना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए आप बच्चों के हाथ में सिपर पकड़ा सकते हैं।
कैसे पता करें बच्चे की बॉडी है हाइड्रेट-
अगर बच्चा 24 घंटे में 6 से 8 बार पेशाब कर रहा है, तो इसका मतलब उसे पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है।

      आस्था /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी आदि के नामों से भी जाना जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी 4 नवंबर को है। इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह भी किया जाता है। देवउठनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आगे पढ़ें देवउठनी एकादशी व्रत कथा...
एक राजा के राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे। प्रजा तथा नौकर-चाकरों से लेकर पशुओं तक को एकादशी के दिन अन्न नहीं दिया जाता था। एक दिन किसी दूसरे राज्य का एक व्यक्ति राजा के पास आकर बोला महाराज! कृपा करके मुझे नौकरी पर रख लें। तब राजा ने उसके सामने एक शर्त रखी कि ठीक है रख लेते हैं। किन्तु रोज तो तुम्हें खाने को सब कुछ मिलेगा पर एकादशी को अन्न नहीं मिलेगा।
उस व्यक्ति ने उस समय 'हां' कर ली, पर एकादशी के दिन जब उसे फलाहार का सामान दिया गया तो वह राजा के सामने जाकर गिड़गिड़ाने लगा- महाराज! इससे मेरा पेट नहीं भरेगा। मैं भूखा ही मर जाऊंगा। मुझे अन्न दे दो।
      राजा ने उसे शर्त की बात याद दिलाई, पर वह अन्न छोड़ने को राजी नहीं हुआ, तब राजा ने उसे आटा-दाल-चावल आदि दिए। वह नित्य की तरह नदी पर पहुंचा और स्नान कर भोजन पकाने लगा। जब भोजन बन गया तो वह भगवान को बुलाने लगा- आओ भगवान! भोजन तैयार है। उसके बुलाने पर पीतांबर धारण किए भगवान चतुर्भुज रूप में आ पहुंचे और प्रेम से उसके साथ भोजन करने लगे। भोजन करके भगवान अंतर्धान हो गए और वह अपने काम पर चला गया।
     15 दिन बाद अगली एकादशी को वह राजा से कहने लगा कि महाराज मुझे दुगुना सामान दीजिए। उस दिन तो मैं भूखा ही रह गया। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि हमारे साथ भगवान भी खाते हैं। इसीलिए हम दोनों के लिए ये सामान पूरा नहीं होता।
यह सुनकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। वह बोला मैं नहीं मान सकता कि भगवान तुम्हारे साथ खाते हैं। मैं तो इतना व्रत रखता हूं, पूजा करता हूं, पर भगवान ने मुझे कभी दर्शन नहीं दिए।
      राजा की बात सुनकर वह बोला महाराज! यदि विश्वास न हो तो साथ चलकर देख लें। राजा एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया। उस व्यक्ति ने भोजन बनाया तथा भगवान को शाम तक पुकारता रहा, परंतु भगवान न आए। अंत में उसने कहा- हे भगवान! यदि आप नहीं आए तो मैं नदी में कूदकर प्राण त्याग दूंगा।
    लेकिन भगवान नहीं आए, तब वह प्राण त्यागने के उद्देश्य से नदी की तरफ बढ़ा। प्राण त्यागने का उसका दृढ़ इरादा जान शीघ्र ही भगवान ने प्रकट होकर उसे रोक लिया और साथ बैठकर भोजन करने लगे। खा-पीकर वे उसे अपने विमान में बिठाकर अपने धाम ले गए। यह देख राजा ने सोचा कि व्रत-उपवास से तब तक कोई फायदा नहीं होता, जब तक मन शुद्ध न हो। इससे राजा को ज्ञान मिला। वह भी मन से व्रत-उपवास करने लगा और अंत में स्वर्ग को प्राप्त हुआ।
वउठनी एकादशी कल. नोट कर लें शुभ मुहूर्त, पारण समय, पूजा- विधि, सामग्री की पूरी लिस्ट
     कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने का शयन काल पूरा करने के बाद जागते हैं। देवउठनी एकादशी  के दिन माता तुलसी के विवाह का आयोजन भी किया जाता है। इसी दिन से भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं और इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट-
देवउठनी एकादशी डेट- 4 नवंबर, शुक्रवार
मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 03, 2022 को 07:30 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 04, 2022 को 06:08 पी एम बजे
पारण समय-
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 5 नवंबर, 06:27 ए एम से 08:39 ए एम
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 05:06 पी एम
एकादशी पूजा- विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट
श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
पुष्प
नारियल
सुपारी
फल
लौंग
धूप
दीप
घी
पंचामृत
अक्षत
तुलसी दल
चंदन
मिष्ठान
सुबह 06:35 बजे से शुरू हो रहे देवउठनी एकादशी के चौघड़िया मुहूर्त, आप भी जान लें सभी जरूरी बातें
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे प्रबोधिनी एकादशी या देवुत्थान एकादशी भी कहते हैं। इस दिन चातुर्मास का समापन होता है क्योंकि इस तिथि को भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह के योग निद्रा से बाहर आते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
देवउठनी एकादशी तिथि 2022-
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 03 नवंबर, गुरुवार को शाम 07 बजकर 30 मिनट से हो रहा है। इस तिथि का समापन अगले दिन 04 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर होगा। देवउठनी एकादशी 04 नवंबर 2022 को है।
देवउठनी एकादशी के चौघड़िया मुहूर्त-
चर - सामान्य: 06:35 ए एम से 07:57 ए एम
लाभ - उन्नति: 07:57 ए एम से 09:20 ए एम
अमृत - सर्वोत्तम: 09:20 ए एम से 10:42 ए एम
शुभ - उत्तम: 12:04 पी एम से 01:27 पी एम
लाभ - उन्नति: 08:49 पी एम से 10:27 पी एम
एकादशी पूजा- विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
हरि प्रबोधिनी एकादशी कल, भगवान विष्णु त्यागते हैं निद्रा, सुख- शांति के लिए करें ये खास उपाय
हरि प्रबोधिनी एकादशी 4 नवम्बर दिन शुक्रवार को मनायी जायेगी। भगवान विष्णु ने शंखासुर का वध कर धरती को पाप से मुक्त किया था। एकादशी व्रत से रोग के साथ मानसिक व आर्थिक कष्ट दूर होता है। व्रतधारियों को शनिवार को दस बजे के पूर्व पारण करना होगा।

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को हरि प्रबोधिनी देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष शुक्रवार के दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी है। गन्ने के खेत में जाकर गन्ने की पूजा कर स्वयं भी सेवन करना चाहिए। एकादशी व्रती को चाहिए की दशमी के दिन एकाहार करें।

उस दिन तेल के जगह घी का प्रयोग करें। नमक में सेंधा, अन्न में गेंहू का आटा व शाक में वहुविजी का परित्याग करें। रात्रि काल में आहार लेने के बाद शेषसायी भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए शयन करें। बताया कि एकादशी के दिन प्रातः स्नान के बाद शालिग्राम की मूर्ति या भगवान विष्णु की धातु या पत्थर की मूर्ति के समक्ष बैठकर उनका ध्यान करते हुए निम्न मन्त्र ...उतिष्ठ,उतिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रा जगतपते। त्वैसुप्ते जगत्सुप्तम जाग्रिते त्वै जाग्रितं जगत। मन्त्र पढ़ते हुए मूर्ति के समक्ष घण्टा व शंख की ध्वनि कर भगवान को जगाने की मुद्रा करें। कारण यह कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को भगवान विष्णु ने शंखासुर का वध कर के शयन किया था।
पुनः कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागृत हुए थे। भगवान विष्णु को जल से स्नान कराकर पञ्चामृत स्नान कराकर पीत चन्दन, गंधाक्षत ( अक्षत के जगह सफ़ेद तिल का प्रयोग करें ), पुष्प, धूप, दीप आदि से षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन कर उन्हें वस्त्रादि अलंकार से विभूषित करें। मिष्ठान या तुलसी पत्र युक्त पञ्चामृत का भोग लगावें व अपने प्रसाद ग्रहण करें। यथा संभव ॐ नमो नारायणाय मन्त्र का जप भी करें। सायं काल फलाहार करें। रात्रि जागरण का भी विधान है, जो अपने सामर्थानुसार करें। उस दिन अपनी चित्त वृत्ति को सांसारिक विषयों से हटाकर भगवान का कीर्तन करें। तीसरे दिन किसी ब्राह्मण या विष्णु भक्त को पारणा कराने के बाद स्वयं भी पारणा करें। पारणा समय प्रातः 10 बजे के पूर्व करें।
सायं काल भोजन आदि करके हरि का ध्यान करते हुए शयन करें। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को लेने के लिए भगवान विष्णु के पार्षद स्वयं आते हैं। यमराज के दूत उनका स्पर्श नहीं कर सकते है। उस व्यक्ति को भगवान मोक्ष प्रदान करते हैं। इहलौकिक, सुख भी देते है। मानसिक व आर्थिक कष्ट दूर होता है तथा रोगों का शमन होता है। अतः इस व्रत को आठ वर्ष से लेकर अस्सी वर्ष तक के स्त्री व पुरुष को करना चाहिए।

   टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ /जब दो लोग प्यार में होते हैं तो उन्हें अपने पार्टनर की सभी अच्छी बुरी आदतें पसंद होती हैं। लेकिन समय के साथ कई बार कुछ आदतों के साथ रिश्ता पाना थोड़ा मुश्किल लगने लगता है। जिसकी वजह से मन में खटास और रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है। ऐसे में अगर आप भी रिलेशनशिप में हैं और जल्द ही अपने पार्टनर के साथ शादी का प्लान बना रहे हैं तो उसकी इन बातों पर गौर करना न भूलें। आइए जानते हैं वो कौन सी बातें हैं जिनपर गौर करने के बाद ही आपको शादी जैसा बड़ा फैसला लेना चाहिए।    
कमिटमेंट से कतराए: अगर कोई लड़की वाकई आपके साथ अपना जीवन देखती है तो वह शादी के प्रस्ताव मात्र से ही खुश हो जाएगी। लेकिन आपकी गर्लफ्रेंड अगर शादी के विचार पर ठंडी प्रतिक्रिया देती है, तो यह आपके लिए पहला संकेत हो सकता है कि आप इस रिश्ते को लेकर गंभीर नहीं है।
पल-पल की रखें खबर: अगर आपकी पार्टनर आपके पल-पल की खबर रखती है, जैसे क्‍या कर रहे हैं, किसके साथ हैं आदि, तो हो सकता है उसे आपके ऊपर पूरा भरोसा न हो या फिर यह उसके प्‍यार दिखाने और जताने का तरीका हो, लेकिन ऐसा नेचर असुरक्षित महसूस होने का भी संकेत हो सकता है, जो शादी के बाद और अधिक बढ़ सकता है।  
मतभेद: अगर आपकी गर्लफ्रेंड की राय आपसे जुदा है तो यह भी भविष्‍य की ओर संकेत हो सकता है कि आपका रिश्ता लंबा नहीं चलने वाला है।
आपके परिवार को तवज्‍जो न देना: एक अच्‍छा साथी आपको आपके सभी दोस्‍तों और परिवारजनों के साथ स्‍वीकार करता है। लेकिन आपकी गर्लफ्रेंड अगर आपको आपके दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों से अलग करने की कोशिश करती है, तो इस बात की आशंका बनी रहती है कि शादी के बाद उसका व्यवहार और अधिक उग्र हो जाए।
प्‍यार में सौदा नहीं : एक अच्‍छा साथी हमेशा अपने पार्टनर को उसी रूप में पसंद करता है जैसे आप असल में हैं। लेकिन आपकी गर्लफ्रेंड अगर हमेशा आपको आपके लुक, आपके बर्ताव और कमियों पर ताना मारती रहती है तो संभावना है कि वह शादी के बाद भी अपना ये बर्ताव नहीं बदलेगी। जो बाद में आप दोनों के बीच झगड़े का कारण बन सकता है।

  आस्था /शौर्यपथ /कार्तिक पूर्णिमा इस साल 8 नवंबर को है। कार्तिक मास को सभी महीनों में बेहद शुभ व फलदायी माना गया है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान व दान करने से इस पूरे महीने के गए पूजा-पाठ के बराबर फल मिलता है। कार्तिक महीना भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। जानें कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त व महत्व-
कार्तिक पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि 07 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी, जो कि 08 नवंबर को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। पूर्णिमा तिथि के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त शाम 04 बजकर 31 मिनट तक है। दान करने का शुभ समय 8 नवंबर को सूर्यास्त से पहले तक है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व-
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध से प्रसन्न होकर देवताओं ने काशी में दिये जलाए थे। इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर नदी में स्नान का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग से देवतागण भी आकर गंगा में स्नान करते हैं। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। अगर आपका गंगा स्नान के लिए जाना संभव नहीं है तो घर पर ही पवित्र जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन कैसे करें दीपदान-
कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में किसी नदी या तालाब में दीपदान करने का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में किसी नदी या तालाब में दीपक प्रज्वलित करें। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीप दान करने से घर में खुशहाली व सुख-समृद्धि आती है।
इस दिन गन्ने का मंडप सजाकर की जाती है तुलसी और भगवान विष्णु की पूजा
देवोत्थान एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। देवोत्थान एकादशी पर्व चार नवंबर को मनाया जाएगा। भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। घरों में देवोत्थान भगवान की आकृति बनाई जाएगी। इस गन्ने का मंडप सजाते हैं और शाम दिए जलाकर देवताओं को उठाया जाता है।
इसके साथ ही उठो देव जागो देव का गीत गाया जाता है। साथ में शाम में शकरकंद, सिंघाड़े आदि से पूजन होगा। सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। स्थाइस दिन तुलसी पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी पूजा करने से सभी संकट हट जाते हैं।
इस दिन तुलसी की विशेष पूजा होती है, खासतौर पर उन्हें सुहाग का सामान और चुनरी अर्पित किया जाता है।इसलिए घर में तुलसी के नियम को मानने चाहिए। तुलसी को हमेशा जल अर्पित करने से बिल्कुल भी मुंह झूठा न करें। मान्यता है कि तुलसी में सूर्योदय के समय जल अर्पित करना सर्वोत्तम माना जाता है. इस बात का भी खास ख्याल रखें कि तुलसी के पौधे में जरूरत से ज्यादा जल अर्पित नहीं करना चाहिए.
- शास्त्रों में तुलसी के पत्तों को चबाकर न खाने और रात के समय तुलसी न तोड़ने की सलाह दी जाती है।

    शौर्यपथ /दुनिया भर में हर साल  2 नवंबर को विश्व प्रजनन दिवस मनाया जाता है। यह खास दिन बांझपन और प्रजनन से जुड़ी समस्याओं को लेकर लोगों का इलाज और जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। ऐसे में आज इस खास दिन डॉ. गरिमा साहनी, (को-फाउंडर एवं गायनेकोलॉजिस्ट, प्रिस्टीन केयर) से जानते हैं लोगों के बीच फेमस बांझपन से जुड़े 5 ऐसे मिथक और उनकी असल सच्चाई के बारे में।  
बांझपन पर बात करते हुए डॉ. गरिमा साहनी कहती हैं कि डॉक्टर के क्लिनिक से बाहर इस विषय में कोई खुलकर बात नहीं करता क्योंकि दंपत्ति अपने बांझपन को लेकर अक्सर शर्म महसूस किया करते हैं। गोपनीयता के कारण इस मामले में अन्य लोग अंधेरे में रहते हैं। ऐसे में बांझपन से जुड़े कुछ मिथक लोगों द्वारा निर्णय लिए जाने की क्षमता को प्रभावित करने लगते हैं। यदि किसी दंपत्ति को गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है या उन्हें बांझपन की शिकायत है, तो यह बहुत चिंता का और कभी-कभी शर्म का विषय बन जाता है। लेकिन यह जानकारी होना आवश्यक है कि बांझपन एक आम समस्या है और यह शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारणों से हो सकता है। बांझपन से अनेक मिथक जुड़े हुए हैं।
मिथक 1: बांझपन मुख्यतः महिलाओं का दोष है।
सच्चाई-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के मुताबिक बांझपन के एक तिहाई मामले पुरुषों के प्रजनन की समस्याओं के कारण होते हैं, एक तिहाई महिलाओं के प्रजनन की समस्याओं के कारण और एक तिहाई दोनों में समस्याओं या फिर अज्ञात कारणों से होते हैं। इसलिए बांझपन महिला की समस्या नहीं, बल्कि महिला-पुरुष दोनों की समस्या हो सकती है।
मिथक 2: 35 साल से ज्यादा उम्र की महिला गर्भधारण नहीं कर सकती।
सच्चाई-यह बहुत आम मिथक है। यद्यपि महिलाओं का प्रजनन काल टीनेज की उम्र से शुरू होता है और तीस साल पूरे होने तक चलता है, लेकिन कई महिलाएं उसके बाद भी स्वस्थ गर्भ धारण करती हैं।
मिथक 3: गर्भनिरोध के इस्तेमाल से बांझपन हो सकता है।
सच्चाई-गर्भनिरोधक गोली से प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक या सकारात्मक, कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। महिला की सामान्य माहवारी गोली लेना बंद करने के एक या दो माह के अंदर फिर से शुरू हो जाती है। लेकिन यदि गर्भनिरोध बंद करने के तीन महीने के अंदर माहवारी फिर से सामान्य रूप से शुरू नहीं होती, तो स्त्रीरोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
मिथक 4: यदि पुरुष का स्खलन होता है, तो वह बांझ नहीं है।
सच्चाई-वास्तव में पुरुष के बांझपन को पहचानना इतना आसान नहीं है। अधिकांश पुरुषों में बांझपन की समस्या का कोई भी संकेत प्रकट नहीं होता। पुरुषों में बांझपन का कारण शुक्राणुओं की संख्या कम होना हो सकता है, जिसकी लोग कल्पना करते हैं। लेकिन शुक्राणुओं की गति और शुक्राणुओं का आकार भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अनेक अध्ययनों में सामने आया है कि जो पुरुष ज्यादा शारीरिक मेहनत वाले काम करते हैं या जो दो या उससे ज्यादा दवाईयां लेते हैं, उनके शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है, तथा उच्च रक्तचाप से शुक्राणुओं के आकार पर बुरा असर पड़ सकता है।
मिथक 5: अनियमित माहवारी के कारण बांझपन हो सकता है।
सच्चाई-अनियमित मासिक चक्र बहुत आम है। नींद में बाधा पड़ने, तनाव और व्यायाम की दिनचर्या से हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है, जो माहवारी के चक्र को नियंत्रित करते हैं। यदि आपको अनियमित चक्र के बारे में चिंता है, तो देर न करते हुए स्त्रीरोग विशेषज्ञ का परामर्श लें, यह खासकर तब बहुत जरूरी है, जब आपको तीन से चार माह तक माहवारी न हुई हो।

     सेहत /शौर्यपथ /सर्दियों के मौसम में बाजार में हरी मेथी आना शुरू हो जाती हैं। मेथी में प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए, सी, के, बी, मैंगनीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर और पानी होता है। इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी को ज्यादातर हर भारतीय रसोई में अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है। खाने में स्वाद जोड़ने, डायबिटीज को नियंत्रित करने से लेकर कब्ज से राहत दिलाने तक, मेथी के बीज आपकी त्वचा, बालों और ओवरऑल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर दीक्षा भावसार सवालिया ने अपने लेटेस्ट इंस्टाग्राम पोस्ट में मेथी के कुछ गजब के फायदे और इस्तेमाल करने के तरीकों के बारे में बताया है। जानिए-
मेथी के आयुर्वेदिक फायदे
- यह भूख और पाचन में सुधार करता है। इसी के साथ ये ब्रेस्ट मिल्क के फ्लो भी बढ़ाता है।
- यह मधुमेह को नियंत्रित करता है और कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर में सुधार करता है।
- बालों के झड़ने, भूरे बालों और यूरिक एसिड के लेवल  को कम करता है। ब्लड के लेवल में सुधार करता है (एनीमिया का इलाज करता है) और रक्त को डिटॉक्सीफाई करने में भी मदद करता है।
- यह वात विकारों जैसे नसों का दर्द, लकवा, कब्ज, पेट में दर्द, सूजन, शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द (पीठ दर्द, घुटने के जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन) में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- यह कफ विकारों जैसे खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, छाती में जमाव और मोटापे को दूर करने में मदद करता है।
- मेथी गर्म होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल ब्लडफ्लो विकारों जैसे नाक से खून बहना, भारी पीरियड फ्लो आदि में नहीं करना चाहिए।
कैसे इस्तेमाल करे
मेथी के पत्ते- खाने में (सब्जी, सूप, पराठा, चीला, जूस के लिए)
मेथी के बीज-
- 1-2 चम्मच बीजों को रात भर भिगो दें और अगली सुबह इनका सेवन करें।
-1 चम्मच मेथी के बीज का चूर्ण दिन में दो बार खाने से पहले या रात को सोते समय गर्म पानी के साथ लें। दोनों समान रूप से फायदेमंद हैं।
- बीजों का पेस्ट बना लें और इसे दही/एलोवेरा जेल/पानी में मिलाकर स्कैल्प पर लगाने से डैंड्रफ, बालों का झड़ना, सफेद बाल कम हो जाते हैं।
- गुलाब जल से तैयार मेथी का पेस्ट लगाने से काले घेरे, मुंहासे, मुंहासों के निशान और झुर्रियों को कम करने में मदद मिलती है।

       टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ/ ब्रेड के बनने के तरीके को लेकर अक्सर चर्चा होती है। कुछ लोग आज भी इस बात को मानते हैं कि ब्रेड का आटा लगाने के लिए पैरों का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि आधुनिकता के इस दौर में अब हर चीज को बनाने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें हैं। लेकिन फिर भी कुछ लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते हैं। और वह ब्रेड ही नहीं खाते। वहीं जैन धर्म का पालन कर रहे लोग भी इससे दूर रहते हैं। क्योंकि ब्रेड बनाने के लिए यीस्ट का इस्तेमाल किया जाता है।
यीस्ट (Yeast) जिसे आम बोलचाल की भाषा में खमीर  के नाम से जाना जाता है। इसे ज्यादातर चीजों में इस्तेमाल किया जाता है, ये खाने की चीजों को फुलाने के काम  आता है। यह एक तरह की फंजाई है जो चीजों को फरमेन्ट करने के काम आती है। ऐसे में अगर आप भी यीस्ट से बनी चीजों से दूर रहते हैं तो घर में ब्रेड बना सकते हैं। यहां सीखिए बिना यीस्ट के कैसे बनती है जैन ब्रेड-
जैन ब्रेड बनाने के लिए आपको चाहिए...
दही
चीनी
दूध
मैदा
बेकिंग पाउडर
नमक
ऑलिव ऑयल
इनो
कैसे बनाएं ब्रेड
- इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में दही लें और फिर इसमें डालें। दोनों चीजों को अच्छे से मिक्स करें। जब तक की शक्कर अच्छे से घुल न जाए।
- जब शक्कर अच्छे से मिक्स हो जाए तो इसमें दूध डालें और फिर उसे भी अच्छे से मिक्स करें। ऑलिव ऑयल डालें और फिर मिक्स करें।
- अब ब्रेट बनाने वाले टिन को तैयार करें और उसे भी ऑयल से कोट करें।
- अंत में इनो और थोड़ा सा पानी डाल कर एक्टिवेट करें और मिश्रण में अच्छे से मिक्स करें।
- अब इस मिश्रण को टिन में डालें और फिर बेक करें।
- 15 से 20 मिनट में आपकी ब्रेड तैयार हो जाएगी। इससे कट करें और फिर इस्तेमाल करें। स्टोर करने के लिए इसे पूरी तरह से ठंडा करें और फिर ब्रेड बॉक्स में रखें।
 

खाना खजाना / शौर्यपथ /गुड़ की रोटी बनाने के लिए सामग्री-
गेहूं आटा- 1 कप
बेसन- 3 टी स्पून
तेल-जरुरत के अनुसार
गुड़- आधा कटोरी
तिल- 3 टी स्पून

गुड़ की रोटी बनाने की विधि-
गुड़ की रोटी बनाने के लिए सबसे पहले तिल साफ करके धीमी आंच पर सेक लें। जब तिल हल्के सुनहरे होने लगे तो उन्हें मिक्सर में डालकर दरदरा पीस लें। अब कड़ाही में 3 टी स्पून तेल डालकर उसमें बेसन को मीडियम आंच पर हल्का भूरा होने तक भूनें। बेसन भूनने के बाद गुड़ को कूटकर उसके बारीक टुकड़े करके एक गहरे तले वाले बर्तन में भुने हुए बेसन, तिल के साथ डाल दें। अब तीनों चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करके उसकी पीठी तैयार कर लें।

अब एक बर्तन में आटा लेकर उसमें थोड़ा सा पानी और चुटकीभर नमक डालकर मिक्स करते हुए आटा गूंथ लें। इस आटे से लोइयां बनाकर उसे थोड़ा सा बेल लें। लोई के ऊपर गुड़ की पीठी की एक लोई रखें और उसके बाद आटे की एक ओर लोई को बढ़ा कर पीठी के ऊपर रखें। अब हल्के हाथों से इन्हें बेल लें और एक तवे पर रोटी डालकर उसे बिना घी लगाए दोनों तरफ से सेंक लें। इस तरह एक-एक करके गुड़ की पीठी से सारी रोटियां बना लें।आप इस रोटी को घी के साथ दिन में स्नैक्स के तौर पर भी खा सकते हैं।

   ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /सेहत के साथ ही ब्यूटी के लिए आंवला काफी फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है। आज  आंवला नवमी है और इस खास दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और उसी के नीचे खाना पकाया जाता है। इसी खास अवसर पर हम बता रहे हैं आंवला से बनने वाले 2 हेयर पैक के बारे में जो बालों को लंबा करने में मदद करते हैं। देखिए-
1) मेथी और आंवला
मेथी के बीज बालों के रोम में ब्लड फ्लो में सुधार करके बालों की ग्रोथ को बूस्ट करते हैं। चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि मेथी बालों की ग्रोथ को बढ़ावा देती है। इसे बनाने के लिए आपको चाहिए आंवला पाउडर, मेथी पाउडर और गुनगुना पानी।
सभी चीजों को एक कटोरे में रखें और तब तक मिलाएं जब तक आपको एक चिकना मिश्रण न मिल जाए। इसके लिए प्लास्टिक या कांच के कटोरे का इस्तेमाल करें। इस मिश्रण को रात भर भीगने दें और फिर अगली सुबह इस मिश्रण को अपने स्कैल्प और बालों पर लगाएं।
एक बार जब आपके स्कैल्प और बाल पूरी तरह से ढक जाएं, तो मास्क को लगभग 20 मिनट के लिए लगा रहने दें। फिर अपने बालों को ठंडे पानी और माइल्ड सल्फेट-फ्री शैम्पू से धोएं। इस पैक का इस्तेमाल हफ्ते में एक या दो बार करें।
2) करी पत्ता और आंवला
करी पत्ते एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी बैक्टीरियल, एंटिफंगल और एंटीऑक्सिडेंट हैं। ये स्कैल्प के हेल्थ में सुधार करते हैं और बालों के झड़ने को कम करते हैं। इसके लिए आपको चाहिए करी पत्ता, आंवला, नारियल का तेल।
इसे बनाने के लिए पैन में नारियल का तेल गर्म करें और उसमें कटा हुआ आंवला और करी पत्ता डालें।
तेल को ब्राउन होने तक गर्म करें। फिर आंच बंद कर दें और तेल को ठंडा होने के लिए अलग जगह रख दें। फिर इसमें से करी पत्ता और आंवला हटाएं और स्टोर करें। इसे अपने स्कैल्प और बालों पर 15 मिनट तक लगाएं। इससे हल्की मालिश करें। इसे लगाने के बाद 30 मिनट तक इंतजार करें। फिर माइल्ड सल्फेट-फ्री शैम्पू और गुनगुने पानी से धोएं।

      टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /आज के समय में मोटापा सिर्फ व्यस्क लोगों के लिए ही समस्या नहीं बना हुआ है, बल्कि बच्चे भी अब इससे प्रभावित होने लगे हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी आजकल मोटापे का शिकार होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ रहा है। जरूरत से ज्यादा मोटापा न सिर्फ आपको लिए कई रोगों का न्योता लेकर आता है बल्कि आपके बच्चे के आत्मविश्वास को भी गहरी चोट पहुंचाता है।  इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों के बढ़ते वजन पर नियंत्रण किया जाए। आइए जानते हैं कैसे।
खान-पान में करे बदलाव: बच्चों की डाइट में कुछ बदलाव करके उनका वजन कंट्रोल किया जा सकता है। ऑयली फूड, जंक फूड, चॉकलेट जैसी चीजें बच्चों को कम दें। यह सारी चीजें भी उनके बढ़ते वजन का कारण बन सकती हैं। अपने बच्चे को ऐसा फूड खिलाएं जिसमें कैलोरीज कम मात्रा में हो। एक साथ ज्यादा खाना देने की बजाय आप उन्हें छोटे-छोटे मिल्स दे सकते हैं।
आउटडोर एक्टिविटिज : अगर आपका बच्चा भी अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर गेम खेलकर बिताता है, तो उसे आउटडोर एक्टिविटिज के लिए घर से बाहर लेकर जाए।  आउटडोर गेम्स खेलने से बच्चों का स्क्रीन टाइम कम होने के साथ उनका वजन भी कम होगा।
सोने का टाइम सेट करें: बच्चे का सोने का टाइम सेट करें, क्योंकि बढ़ते वजन का एक कारण समय पर नींद ना लेना भी है। आजकल बच्चे फोन या लैपटॉप पर वक्त बेवक्त बैठे रहते हैं, जिसके कारण वह पर्याप्त नींद नहीं ले पाते और उनका वजन बढ़ने लगता है।
हाइड्रेट रखें: बच्चों को कम से कम 10 से 12 गिलास पानी पीने की आदत डालें। शरीर में पानी की कमी न होने से शरीर न केवल हाइड्रेट रहगा है बल्कि वजन भी नियंत्रित रहता है।  
बाहर के खाने को कहें नो: अगर आप बच्चे का वजन कम करना चाहते हैं, तो बाहर के खाने को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का प्रयास करें। अगर बच्चा बाहर की कोई चीज खाना चाहता है, तो उसे घर पर ही बनाएं। घर पर बनाई जाने वाली फूड आइटम का कैलोरी काउंट अपेक्षाकृत कम होता है।

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