August 04, 2025
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      ब्यूटी टिप्स / शौर्यपथ /मेकअप का काम आपके फीचर्स की कमियों को छिपाना होता है। वहीं खूबसूरती को हाइलाइट करना भी। होंठ चेहरे का प्रॉमिनेंट फीचर होते हैं। आप इनका शेप नहीं बदल सकते लेकिन मेकअप से इन्हें मनचाहा इल्यूजन जरूर दे सकते हैं। कई ऐक्ट्रेसस के ट्रांसफॉर्मेशन पर गौर करेंगे तो उनके होंठों में बदलाव साफ दिखाई देगा। आपको इसके लिए कॉस्मेटिक सर्जरी की जरूरत नहीं है। कुछ मेकअप ट्रिक्स अपनाकर आप पतले होंठों को खूबसूरत दिखा सकते हैं।
स्क्रबिंग से करें शुरुआत
लिप मेकअप की शुरुआत होंठों को एक्सफोलिएट करने से करें। अगर आपके लिप्स रूखें और पपड़ीदार हैं तो ये और पतले होने का इल्यूजन देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इनसे ज्यादा लाइट रिफलेक्ट नहीं होती। इसलिए सबसे पहले इनको अच्छी तरह एक्सफोलिएट करें। इसके लिए आप गीले होंठों पर टूथब्रश से साफ कर सकते हैं। या फिर गीली टॉवल से भी। आप स्क्रब का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर मलाई में चीनी मिलाकर होममेड स्क्रब बना लें।
लगाएं लिप बाम
जब आप लिप मेकअप नहीं कर रहीं तो होठों पर लिप बाम लगाने की आदत डालें। लिपस्टिक लगाने से पहले भी लिप बाम या मॉइश्चराइजर लगा लें। लिप मेकअप की शुरुआत लिप लाइनर से करें। होंठों को थोड़ा मोटा दिखाना है इसलिए बाहर की ओर आइटलाइन करें। बाद में इसको हल्के स्मज कर लें। अब नीचे के होंठ पर थोड़ा डार्क लिप कलर लगाएं। ऊपर वाले होंठ पर उससे थोड़ा लाइट कलर। इसके बाद लिप ब्रश से लिप कलर को ब्लेंड कर लें।
लिपग्लॉस है जरूरी
होंठों के बीच यानी क्यूपिड बो पर थोड़ा सा हाइलाइटर लगा लें इससे लिप्स थोड़े मोटे दिखेंगे। उंगली से हाइलाइटर लगाएं और ब्लेंड कर लें ताकि अलग से चमके नहीं। आखिर में लिप ग्लॉस लगाना न भूलें इससे होंठ बड़े दिखते हैं।

      ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /आपको अगर सर्दी ज्यादा लगती है, तो आपको कुछ चीजें डाइट में जरूर शामिल करनी चाहिए। जैसे सर्दियों के मौसम में आपको अलसी के बीज यानी फ्लेक्स सीड्स जरूर खाने चाहिए। अलसी के बीज कई पोषक तत्व और मिनरल्स से भरपूर होते हैं। इसमें हेल्दी फैट, विटामिन सी, ई, के, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। आइए, जानते हैं अलसी को खाने के बेस्ट तरीके और इसके फायदे-
वेट लॉस में कारगर
आपको अगर वजन कम करना है, तो भी फ्लेक्स सीड्स आपके लिए बहुत कारगर हैं। अलसी के बीजों का सुबह-शाम सेवन करने से आपका वजन तेजी से कम होता है। साथ ही शरीर से एक्सट्रा फैट हटाने में भी यह बहुत कारगर है।
एंटी एजिंग
आपको अगर 35 साल की उम्र के बाद ही अपनी स्किन पर उम्र का असर दिखने लगा है, तो आप फ्लेक्स सीड्स को डाइट में जरूर शामिल करें क्योंकि इसमें एंंटी एजिंग प्रॉपर्टीज होती है। कई स्किन प्रॉब्लम्स को ठीक करने में भी यह कारगर है।
दिल की बीमारियों को दूर रखता है
आपको अगर दिल की बीमारियों का खतरा रहता है। जैसे, अगर आप सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते थक जाते हैं, तो आपको अपनी डाइट में अलसी के बीज जरूर शामिल करने चाहिए। इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल रहता है। ब्लड फ्लो सही रहता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा टल जाता है।
वेजिटेरियन हैं, तो जरूर खाएं
मछली और सी फूड्स में ओमेगा-3 पाया जाता है लेकिन वेजिटेरियन लोग इन चीजों को नहीं खाते इसलिए उनके शरीर में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड नहीं पाता जाता है। ऐसे में आपको अलसी के बीज जरूर खाने चाहिए।
कैसे खाएं
-आप रात भर के लिए अलसी के बीजों को पानी में भिगा दें। इसके बाद इसे सुबह उठकर खाली पेट खा लें।
-इसके अलावा भी आप अलसी के बीजों को रोस्ट कर सकते हैं। इसे रोस्ट करके इसका पाउडर बना लें और पानी पीने के बाद इसे सुबह खाएं।

         सेहत टिप्स/शौर्यपथ /मौसम में बदलाव होते ही व्यक्ति सबसे पहले सर्दी-जुकाम से परेशान होता है। ठंड के मौसम में कंजस्‍टेड चेस्‍ट की वजह से सांस लेने की परेशानी, खांसी, सर्दी और बहती नाक जैसे समस्याएं व्यक्ति के लिए परेशानी का सबब बनने लगती हैं। अगर बदलते मौसम में आप भी इन सब समस्याओं से परेशान रहते हैं तो अपने रूटिन में शामिल करें संतरे के छिलके से बनी चाय।
संतरे के छिलके से बनी चाय विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, फ्लेवोनोइड और कुछ फ़ाइटोकेमिकल्स से भरपूर होती है, जो न सिर्फ आपकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाकर आपको सर्दी-खांसी से दूर रखती हैं बल्कि आपके बढ़ते वजन को भी कंट्रोल करने में मदद करती है। तो आइए जान लेते हैं कैसे बनाई जाती है संतरे की चाय और क्या हैं इसे पीने से सेहत को मिलने वाले फायदे।
संतरे के छिलके की चाय कैसे बनाएं-
संतरे के छिलके की चाय बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में ताजे या सूखे संतरे के छिलकों के साथ दालचीनी पाउडर या दालचीनी की छड़ी डालकर उबाल लें। इसके बाद एक पैन को ढक्कते हुए करीब 10 मिनट तक पानी को उबलने दें। आपकी संतरे की चाय बनकर तैयार है। आप इसे एक कप में डालकर गर्मागरम पी लें। आप चाहे तो इस चाय में शहद भी मिला सकते हैं। इसके अलावा, ग्रीन या ब्‍लैक टी में भी संतरे के छिलके मिलाने से उसके गुणों के साथ स्वाद भी बढ़ जाता है।
संतरे की चाय के फायदे
वेट लॉस- संतरे का छिलका आपके मेटाबॉलिज्‍म रेट को बढ़ाकर आपके फैट बर्निंग रेट को भी बढ़ाता है। जिससे व्यक्ति को शरीर के एक्‍सट्रा फैट को बर्न करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट पाचन को अच्छा बनाए रखने में भी मदद करते हैं।
दिल की सेहत का रकें ध्यान- संतरे के छिलके में फ्लेपरिडिन नामक फ्लेवोनॉइड होता है, जो ब्‍लड प्रेशर और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। यह चाय पीने से तेजी से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
कोल्‍ड-फ्लू में मददगार- रिसर्च के अनुसार, संतरे के छिलके से बनी चाय व्यक्ति के प्रतिरक्षा और मेटाबॉलिज्‍म को बढ़ावा देने में मदद करती है। इसके अलावा, इसका सेवन करने से यह आपको कोल्‍ड-फ्लू से निपटने में मदद मिलती है। यह आपको बंद नाक और सर्दी-खांसी में भी मदद करती है।

   टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /लंबा दिखने के लिए हील्स पहनना जरूरी होता है। वहीं भले ही हील्स और स्टिलेट्टो आकर्षक और प्यारे लगते हों लेकिन यह बाद में बहुत दर्द और ऐंठन का कारण बनते हैं। ऐसे में अगर आप हील्स पहनना पसंद नहीं करती हैं तो आप अपने ड्रेसिंग स्टाइल में कुछ बदलाव करने के बाद लंबी दिख सकती हैं। आइए कुछ तरीकों को जानते हैं।
बिना हील्स के कैसे दिखें लंबा
पहने इस तरह की पैंट
अगर आपकी लंबाई कम है और आप बिना हील्स के लंबा दिखना चाहती हैं तो स्ट्रेट फिट पैंट पहनें। इस तरह की पैंट्स आपकी मांसपेशियों को आराम देती हैं, इसी के साथ ये आपके ब्लड फ्लो को बेहतर बनाती हैं। स्ट्रेट पैंट टग इन प्लेन शर्ट के साथ अच्छी लगती हैं और ये शरीर को एक लंबा सिमेट्रिकल लुक पाने में मदद करती हैं।
हाई वेस्ट जींस
कॉलेज जाना हो या फिर डेट पर, अगर आप अपनी रोजाना की जींस के साथ हाइट की समस्या को लेकर असहज महसूस करती हैं, तो अपनी अलमारी को अपडेट करें। इसके लिए एक-दो हाई वेस्ट जींस खरीदें। हाई वेस्ट जींस पैरों को लंबा दिखाने में मदद करती हैं।
वर्टिकल स्ट्राइप ड्रेस
अक्सर फैशन शोज में मॉडल्स लॉन्ग और वर्टिकल स्ट्राइप ड्रेस, शर्ट और पैंट में नजर आती हैं। स्ट्राइप्स में हाइट की समस्या छुप जाती है और बिना हाई हील्स को पहने हुए भी आपकी लंबाई सही दिखती है।
स्किन टोन जूतों को चुनें
सही ड्रेस सही बेल्ट और सही जूते आपके लुक को खास बनाते हैं। अगर आप मिनी हेमलाइन के साथ एक आकर्षक ड्रेस को चनते हैं, तो आप अपनी अलमारी में स्किनटोन रंग के जूते को चुनें। इस रंग के जूतों को अपनी आउटफिट के साथ पहनने से आपके नियमित शेप को अच्छी हाइट मिलेगी।

   सेहत टिप्स /शौर्यपथ /सीजनल फल और सब्जियां हेल्थ के लिए बहुत अच्छे होते हैं। सर्दियों का मौसम आ रहा है। इस मौसम में अमरूद खूब खाए जाते हैं। अमरूद हेल्थ के लिए काफी अच्छा होता है। इसमे विटामिन सी, ऐंटीऑक्सीडेट्स, पोटैशियम, फाइबर्स होते हैं। यह खाने में भी काफी टेस्टी होता है। हालांकि कम लोग जानते हैं कि अमरूद की पत्ती भी इसकी तरह गुणकारी होती है। लोग इसकी पत्ती की चाय बनाकर पीते हैं। कुछ लोग पत्तियों को सुखाकर इसका पाउडर भी पानी के साथ लेते हैं। यहां जानें अमरूद की पत्ती के फायदे।
ब्लड शुगर करता है लो
एक स्टडी के मुताबिक, अमरूद की पत्ती की चाय पीने से खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल कम होता है। यह असर दो घंटे तक रहता है। वहीं एक और स्टडी में सामने आया कि टाइप 2 डायबीटीज के मरीजों को जब अमरूद की पत्ती की चाय पिलाई गई तो खाने के बाद उनका ब्लड शुगर 10 फीसदी से ज्यादा काम हुआ।
पीरियड पेन में फायदेमंद
अगर पीरियड पेन की समस्या है तो अमरूद की पत्तियां काम आ सकती हैं। अमरूद की पत्ती का एक्सट्रैक्ट मेंस्ट्रुअल पेन में आराम देता है। एक स्टडी के मुताबिक, इसका असर पेन किलर से ज्यादा होता है।
डायरिया में करती है फायदा
अमरूद की पत्ती दस्त में भी फायदेमंद होती है। अगर आपको डायरिया है तो पत्ती का अर्क ले सकते हैं। इससे दस्त जल्दी ठीक होंगे। कई स्टडीज में पता चला है कि अमरूद की पत्ती ऐंटी माइक्रोबियल होती है। यह आपकी आंत में मौजूद नुकसान पहुंचाने वाले माइक्रोब्स को खत्म करती है।
ऐंटी कैंसर गुण
अमरूद की पत्ती को ऐंटी कैंसर भी माना जाता है। कुछ टेस्ट-ट्यूब्स स्टडी में यह बात सामने आई है कि अमरूद की पत्तियां कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकती हैं। इसमें पावरफुल ऐंटी ऑक्सीडेंट्स होत हैं जो कि सेल डैमेज को रोककर इन्हें कैंसरस होने से रोकते भी हैं।
इम्यूनिटी करे दुरुस्त
अमरूद की तरह इसकी पत्ती में भी विटामिन सी होता है। यह विटामिन इम्यूनिटी मजबूत रखता है। पत्तियां ऐंटी माइक्रोबियल होती हैं तो इन्फेक्शंस से भी बचाव करती हैं।
पीएं चाय या लें पाउडर
अमरूद की पत्ती को सुखाकर पानी में उबालकर और शहद मिलाकर चाय के रूप में पी सकते हैं। वहीं आप पत्ती का पाउडर बनाकर रख सकते हैं। इसे आप सलाद, सूप वगैरह में मिला सकते हैं। इसके अलावा गुनगुने पानी के साथ भी ले सकते हैं।

  आस्था/शौर्यपथ /मध्य प्रदेश का शहर उज्जैन काफी खूबसूरत है। इस शहर को सात मोक्ष प्रदान करने वाले शहरों में से एक कहा जाता है। यहां राजा भर्तृहरि की गुफा है और इसी के साथ ये भी माना जाता है कि उज्जैन में भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं। यहां ज्यादातर लोग महाकालेश्वर मंदिर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अगर आप महाकालेश्वर मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं तो यहां जानिए कि आखिर उज्जैन तक किस तरह पहुंचा जाए।
दिल्ली से उज्जैन कैसे पहुंचे
भारत की राजधानी दिल्ली से हर हर जगह आप आसानी से पहुंच सकते हैं। हर जगह यहां से जुड़ी हुई है। ऐसे में अगर आप उज्जैन जा रहे हैं तो बस, ट्रेन, फ्लाइट या फिर कार से यहां जा सकते हैं। बात करें सबसे सस्ते ट्रैवल करने के तरीके कि तो आपको ट्रेन से ट्रैवल करना चाहिए। नॉर्मल ट्रैन में सफर करते हैं तो आपको 22 घंटे लग सकते हैं। हालांकि अगर किसी सुपरफास्ट ट्रेन में जाते हैं तो सफर की टाइमिंग कम हो जाएगी। इसक अलावा कम दिन में आना जाना करना है तो आप फ्लाइट से जा सकते हैं। दिल्ली से आपको आसानी से देवी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट की फ्लाइट मिल जाएगी। हालांकि यहां से आपको कैब करनी होगी।
इंदौर से उज्जैन
मध्य प्रदेश की चाट का मजा लेना चाहते हैं तो आप इंदौर जाएं। और फिर यहां से उज्जैन के लिए जा सकते हैं। इंदौर से उज्जैन तक जाने में सिर्फ 1 घंटा 15 मिनट लगते हैं। इंदौर से उज्जैन पहुंचने का सबसे सस्ता तरीका बस है जो 1 घंटे 20 मीनट का समय लेती है। वहीं सबसे फास्ट तरीके से पहुंचना है तो आप कैब भी ले सकते हैं।
उज्जैन घूमने का सबसे अच्छा समय
उज्जैन घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है। इस समय पर मौसम सुहावना होता है। गर्मियों के मौसम में उज्जैन काफी गर्म हो सकता है, उस समय पर यहां का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक होता है।

 खाना खजाना /शौर्यपथ /चाय के साथ कुछ लोग नमकीन या फिर बिस्किट खाना पसंद करते हैं। लेकिन आप चाहें तो कुछ खास स्नैक्स बनाकर रख सकते हैं। लोगों को चाय के साथ सर्व करने के लिए नमकीन, चिप्स और पापड़ी ज्यादातर घरों में बनती हैं। ऐसे में आप मेथी मठरी बनाकर रख सकते हैं। अलग तरह से बनी गईं ये मेथी मठरी स्वाद में काफी अच्छी लगती हैं। कभी चाय के साथ कुछ हल्का खाने का मन हो तो आप मेथी मठरी खा सकते हैं। ये घर का बना हेल्दी स्नैक्स है, जो खाने में बहुत टेस्टी लगता है। यहां देखें इसे बनाने की रेसिपी-
क्रिस्पी मेथी मठरी बनाने के लिए आपको चाहिए...
मेथी
गेहूं का आटा
सूजी
देसी घी
अजवायन
तिल
काली मिर्च पाउडर
देगी मिर्च पाउडर
हींग
कॉर्नफ्लोर
कैसे बनाएं
- ️क्रिस्पी मेथी मठरी बनाने के लिए मेथी को साफ करके काट लें और धो लें।
- अब सबसे पहले एक पैन में घी गर्म करें और फिर इसमें साफ की हुई मेथी को भून लें।
- अब एक बर्तन में आटा और सूजी डालें। फिर इसमें मॉइन के लिए घी डालें।
- अब इसमें अजवायन, तिल, काली मिर्च पाउडर, देगी मिर्च पाउडर और हींग डालें और अच्छे से पानी डालकर आटा डाल लें।
- फिर कॉर्नफ्लोर और पिघले हुए घी को मिलाकर एक स्लरी बना लें।
- अब आटे में से लोई लें और फिर इसे गोल आकार में बेल लें। अब इसमें कॉर्नफ्लोर की स्लरी लगाएं। और फिर इसमें कॉर्नफ्लोर पाउडर डालें।
- इसे चोकोर आकार में फोल्ड करें और फिर दोबारा बेल लें। इसे लंबाई में बेल लें और फिर काट लें।
-अब तेल गर्म करें और फिर इसमें सभी मठरी को सेक लें। इसे एक बर्तन में निकालें और फिर जब
ठंडा हो जाए तो इसे कंटेनर में स्टोर करें। 

    सेहत टिप्स /शौर्यपथ /सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है। फिलहाल तो मौसम में हल्की ठंडक है लेकिन धीरे-धीरे ये ठंड बढ़ने वाली है। ऐसे में कुछ लोग ऐसे हैं जो ऊनी कपड़े पहनने के बाद भी ठंड सहन नहीं कर पाचे हैं। इस तरह के लोगों को मौसम में बदलाव होती ही अपनी डायट में कुछ बदलाव करने चाहिए। डायट में उन चीजों को रखें जो शरीर को गर्म रखने में आपकी मदद करें। यहां कुछ चीजों के बारे में बताया है, जो सर्दी में आपके शरीर को गर्म रखती हैं।
अदरक की चाय पिएं
ठंड के दिनों में अदरक की चाय आपको अंदर से गर्मी का एहसास करा सकती है। ये पाचन के लिए अच्छा माना जाता है, इसी के साथ ये थर्मोजेनेसिस को उत्तेजित करता है। यह एक डायफोरेटिक भी है, जो आपके शरीर को गर्म करने में मदद करेगा।
कॉफी पीएं
कॉफी में मौजूद कैफीन आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है, जिससे आपके शरीर का तापमान बढ़ सकता है। तकनीकी रूप से, आइस्ड कॉफी अच्छी होती है क्योंकि इसमें कैफीन ज्यादा होता है। हालांकि,  एक कप गर्म कॉफी पीने से भी आपको फायदा मिलेगा।
शकरकंदी से मिलते हैं फायदे
शकरकंदी को पचाने के लिए बहुत एनर्जी की जरूरत होती है, जिससे आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी और पोटेशियम की मात्रा ज्यादा होती है। इसी के साथ ये आंखों की हेल्थ के लिए भी अच्छे होते हैं।
पानी से बेहतर कुछ नहीं!
सर्दी में अपने शरीर को गर्म रखने का एक आसान तरीका पानी पीना है। पानी आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है। डिहाईड्रेशन के कारण आपका तापमान गिर जाता है, जिससे हाइपोथर्मिया हो सकता है।
बटरनट स्क्वैश  है बेहतरीन
बटरनट स्क्वैश शरीर को गर्म करने का एक पौष्टिक तरीका है। यह एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन, मिनरल्स और दूसरे पोषक तत्वों से भरा होता है। विटामिन सी और पोटेशियम का हाई लेवल आपकी इम्यूनिटी को बढ़ावा देते हैं और डायट्री फाइबर आपके पाचन तंत्र को हेल्दी रखने में मदद करते हैं।
केला रखेगा शरीर को गर्म
केले में विटामिन बी और मैग्नीशियम होता है, जो आपके थायरॉयड और अधिवृक्क ग्रंथियों के ठीक से काम करने के लिए जरूरी है। ये ग्रंथियां शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। ये आपके मूड को भी बूस्ट कर सकता है।

   सेहत टिप्स/शौर्यपथ /खानपान की गलत आदतों से लेकर आपका लाइफस्टाइल तक शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ा देता है। शरीर में बढ़ता यूरिक एसिड का स्तर किसी प्रकार की बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक प्रकार का हार्मोनल इंबैलेंस है। कई ऐसे खाद्य पदार्थ है जिसका सेवन शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा देता है इसलिए इसे नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। बहुत से लोग इसे लेकर चिंतित रहते हैं। तो चलिए इसका उपाय ढूंढते हैं और एक्सपर्ट से जानते हैं, आखिर किस तरह इस समस्या को नियंत्रित   रखा जा सकता है।
यूरिक एसिड बढ़ने से आपका खून एसिडिक हो जाता है और साथ ही इस वजह से कई अन्य स्वास्थ्य जोखिमों की संभावना भी काफी बढ़ जाती है।
पहले जानते हैं आखिर क्या है यूरिक एसिड
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव में नेफ्रोलॉजी और किडनी प्रत्यारोपण विभाग के निदेशक और सीनियर डॉ. सलिल जैन कहते हैं कि हमारा यूरिन यूरिक एसिड से बना होता है। इसलिए जब हम यूरिन पास करते हैं, तो साथ ही यूरिक एसिड भी शरीर से बाहर निकल जाता है। यूरीन प्रोटीन का एक फॉर्म है जिसके टूटने से यूरिक एसिड बनता है।
यह प्रोटीन मीट और मशरूम जैसे खाद्य पदार्थों में अधिक मात्रा में पाया जाता है। वहीं जब शरीर मे अधिक मात्रा में यूरिक एसिड बनने लगता है तो यह ब्लड में शामिल हो जाता है। जिस वजह से शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए बढ़ती यूरिक एसिड को समय रहते नियंत्रित करना बहुत जरूरी है।
इन स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकता है बढ़ता यूरिक एसिड
किडनी से जुड़ी समस्या
हड्डी से जुड़ी समस्या और जोड़ों में दर्द
हार्ट से जुड़ी समस्या
ब्लड प्रेशर
डायबिटीज
फैटी लीवर
हेल्थ कोच एवं न्यूट्रीशनिस्ट नेहा रंगलानी ने शरीर में बढ़ते यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने के कुछ जरूरी उपाय बताए हैं। तो चलिए जानते हैं, आखिर किस तरह इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।
ये 6 फूड्स आपके लिवर को मजबूत बनाकर यूरिक एसिड को कंट्रोल करते हैं
1. अजवाइन
अजवाइन और अजवाइन का पानी यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने का एक प्रभावी उपाय हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति यूरिक एसिड बढ़ गया है तो उन्हें नियमित रूप से सुबह उठकर खाली पेट या फिर खाना खाने के आधे घंटे के बाद एक गिलास अजवाइन का पानी पीना चाहिए।
2. हल्दी
हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट, करक्यूमिन और पॉलीफेनॉल मौजूद होता है। इसके साथ ही इसकी एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबायोटिक प्रॉपर्टी शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित रखती हैं। इसके साथ ही यह ब्लड प्रेशर को भी संतुलित रखने में मदद करता है।
3. नींबू
नींबू का रस शरीर से कैलशियम कार्बोनेट को रिलीज करने में मदद करता है। ऐसे में यह यूरिक एसिड को पानी और अन्य प्रकार के कंपाउंड में तोड़ देता है। जिस वजह से खून में बहुत कम मात्रा में एसिड रह जाते हैं और यह शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है।
4. बेरीज
बेरीज में एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी पाई जाती है। इसी के साथ यह शरीर में बढ़ते यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने में मदद करता है। वहीं इसमें मौजूद प्रॉपर्टी जोड़ों के दर्द से राहत पाने में भी आपकी मदद कर सकती हैं।
5. ब्रोकोली
ब्रोकली को शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को संतुलित रखने और इन्फ्लेमेशन को कम करने के लिए जाना जाता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी मौजूद होता है, जो यूरिक एसिड की बढ़ती मात्रा को नियंत्रित रखने के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है।
6. ग्रीन टी
ग्रीन टी का सेवन यूरिक एसिड को कम करने में मदद करता है। वहीं इसमे मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी खून में यूरिक एसिड को बढ़ने से रोकता है।
शरीर में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें
नेहा रंगलानी के अनुसार यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी होना जरूरी है। इसके लिए आमला, कीवी, अमरूद, खट्टे फल जैसे कि नारंगी और नींबू के साथ ही हरी, लाल और पीली शिमला मिर्च को अपनी डाइट में शामिल करें। यह सभी विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही इनमें कई ऐसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो आपके शरीर में यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने में मदद करता हैं।
आर्टिफिशियल स्वीटनर्स और रिफाइंड शुगर से परहेज रखने की सलाह देती है नेहा रंगलानी
रिफाइंड शुगर, आर्टिफिशियल स्वीटनर और अन्य प्रकार की कैंडी और टॉफी में मौजूद शुगर शरीर में ब्रेकडाउन होकर प्यूरीन रिलीज करता है। जिस वजह से शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता हैं। वहीं हम अपनी नियमित डाइट में कई ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं जिनमें प्राकृतिक रूप से शुगर मौजूद होता है। जिसकी अधिकता शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा देता है।
वहीं सॉफ्ट ड्रिंक और अन्य प्रकार के रिफाइंड शुगर से युक्त ड्रिंक्स बॉडी पर अन्य खाद्य पदार्थों में मौजूद फ्रुक्टोज की तुलना में जल्दी रिएक्ट करती हैं। रिसर्च की माने तो यह शरीर में जाकर ब्लड शुगर लेवल को ट्रिगर कर देता हैं। वहीं यूरिक एसिड का स्तर भी काफी तेजी से बढ़ता है।
प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज रखें
बढ़ते यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने के लिए न्यूट्रीशनिस्ट शराब, एनिमल प्रोटीन और सीफूड से परहेज रखने की सलाह देती हैं। इसी के साथ नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार शराब के नियमित सेवन से शरीर में प्यूरीन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है जो यूरिक एसिड के स्तर को काफी तेजी से बढ़ता है।
इसके साथ ही खून में भी यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है, इसलिए शराब के सेवन को सीमित रखने की कोशिश करें। वहीं एनिमल प्रोटीन और सीफूड के सेवन को भी सीमित रखें।

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / बच्चों को अच्छी परवरिश देना हर माता पिता के लिए उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। लेकिन यह जिम्मेदारी उन पैरेंट्स के लिए थोड़ी और कठिन बन जाती है, जहां मां और पिता दोनों वर्किंग होते हैं। जीं हां, ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर वर्किंग पैरेंट्स अपने बच्चों को महंगे, खिलौने और अच्छा लाइफस्टाइल तो दिला देते हैं लेकिन अपने बच्चों के साथ गुजारने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता। जिसकी वजह से वो कई बार साइकॉटिक डिप्रेशन तक का शिकार बन सकते हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है साइकॉटिक डिप्रेशन, इसके लक्षण और बचाव के उपाय।
क्या है साइकॉटिक डिप्रेशन:
साइकॉटिक डिप्रेशन मनोरोग से जुड़ी एक बीमारी है, जिसका समय पर इलाज न होने पर यह काफी गंभीर हो सकती है। इस रोग से पीड़ित होने पर बच्चों के मन में नकारात्मक ख्याल आने लगते हैं। उसे यह लगने लगता है कि उससे जीवन में कुछ नहीं हो पाएगा, उसकी लाइफ असफलता से घिरी हुई है। इस तरह के नकारात्मक ख्याल बच्चे को अंदर ही अंदर परेशान करने लगते हैं।
साइकॉटिक डिप्रेशन के मुख्य कारण-
साइकॉटिक डिप्रेशन का सबसे बड़ा कारण आजकल का लाइफस्टाइल है। बड़े लोगों की ही तरह बच्चे भी अपने जीवन में कई तरह के प्रेशर से होकर निकलते हैं। उदाहरण के लिए समय पर होमवर्क खत्म करने के साथ पढ़ाई करना। जिसकी वजह से कई बार बच्चा खेलकूद के लिए भी समय नहीं निकाल पाता है और नकारात्मक बातें सोचने लगता है।
इसके विपरीत जो बच्चे खेलते हैं वो हमेशा खुश रहते हैं, उनका शरीर थकता है और उन्हें अच्छी नींद आती है। इस तरह के बच्चों के पास कुछ भी नेगेटिव सोचने का समय नहीं होता है। लेकिन जिन बच्चों के पैरेंट्स वर्किंग होने की वजह से बेहद व्यस्त रहते हैं उन्हें अपना ज्यादा समय अकेले रहकर ही गुजारना पड़ता हैं और वो परेशान रहते हैं। ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों के लिए थोड़ा समय निकालना चाहिए, जिससे बच्चे अपने मन की बात उनसे साझा करके खुद को हल्का महसूस करें।  
साइकॉटिक डिप्रेशन के मुख्य लक्षण-
-पीड़ित बच्चा अपने ही दोस्तों से जलन महसूस करने लगता है।
-इस रोग से पीड़ित बच्चा हमेशा नकारात्मक ख्याल रखता है, ऐसा बच्चा खुश नहीं रहता है।
-इस रोग से पीड़ित बच्चा खेलना-कूदना बंद कर देते हैं।
-बच्चे किसी से बात नहीं करेंगे, न पैरेंट्स, न पड़ोसियों, न दोस्तों से
बच्चे अकेला रहने के लिए घर में ही अपनी जगह तलाशेंगे।
-बड़ों का सम्मान नहीं करेंगे, ठीक से बात भी नहीं करेंगे।
-छोटी-छोटी बातों पर भाई-बहन या फिर पैरेंट्स सहित अन्य के साथ लड़ेंगे।
-ठीक से पढ़ाई भी नहीं करेंगे
-खाने पीने में बच्चों का मन नहीं लगेगा
ऐसे करें बचाव-
साइकॉटिक डिप्रेशन से बच्चों को बचाए रखने के लिए बच्चों की हर एक्टिविटी पर नजर रखें। यदि उनमें बताए गए किसी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा जितना संभव हो बच्चों से बात करें। यदि बच्चा आपका कुछ बोलता भी है तो उसकी बातों को अनसुना न करें। बच्चों को खेलकूद के साथ जो वो करना चाहता है उसकी छूट दें। बच्चों को सही व गलत के बारे में बताएं। बीमारी के लक्षण दिखते ही मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।

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