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रसोई टिप्स /शौर्यपथ /क्या आप सुबह उठकर अक्सर यह सोचते हैं कि ब्रेकफास्ट में क्या बनाएं? अगर आपका जवाब हां है, तो हम आपको बता रहे हैं कुछ कमाल के ऑप्शन्स। आपको बस यह करना है कि चावल को रात भर भिगाकर पानी में रखना है। फिर इसे मिक्सी में बारीक पीस लें। अब आपको सुबह इससे ब्रेकफास्ट के लिए टेस्टी रेसिपीज बनानी है। आइए, जानते हैं चावल से कैसे बनाएं ब्रेकफास्ट।
चावल-आलू चीला
इस डिश को बनाने के लिए आपको आलू को घिसना है। इसके बाद चावल के मिक्सचर में इसे मिला लें। साथ ही नमक, काली मिर्च, हरा धनिया भी इसमें डाल दें। अब पैन में घी डालें और मिक्सचर फैलाकर चीला बना लें। धीमी आंच पर पकाकर चीला तैयार करें।
चावल के कटलेट
इसे बनाने के लिए इसी तरह से मिक्सचर तैयार कर लें। अब उबले हुए आलू लेकर इसे हथेलियों पर दबाकर चपटा करें। अब इसे चावल के मिक्सचर में डीप करें और इसे पैन पर डालक कटलेट तैयार कर लें।
चावल-सूजी उत्तपम
इंस्टेंट उत्तपम बनाने के लिए आपको चावल में बारीक कटे प्याज और टमाटर डालने हैं। फिर इसमें नमक, मिर्च और आई भी डाल दें। अब इसमें दो चम्मच सूजी भी मिला लें। इसे अच्छी तरह मिलाकर उत्तपम तैयार कर लें।
चावल-बेसन पकौड़े
आप पकौड़े भी बना सकते हैं। इसके लिए पालक को काटकर बेसन में मिलाएं। अब इसमें चावल का मिक्सचर डालकर इसे तेल में तल लें। गोल्डन ब्राउन होने पर निकाल लें। आपके चावल और बेसन के पकौड़े तैयार हैं। चटनी के साथ सर्व करें।
शौर्यपथ /घर और बच्चों की जिम्मेदारी सभंलाना आसान काम नहीं होता। परेशानी तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब मियां और बीवी दोनों वर्किंग होते हैं। अगर आप भी पति-पत्नी दोनों वर्किंग हैं और आपका बच्चा घर में अकेला रहता है तो आपको कुछ बातों पर जरूर गौर करना चाहिए। इन बातों की अनदेखी करने पर आपका परिवार मुसीबत में पड़ सकता है। आइए जानते हैं वो कौन सी बातें हैं जिसे हर कामकाजी माता-पिता को अपने बच्चे को घर में अकेला छोड़ने से पहले ध्यान रखना चाहिए। जिससे आपकी चिंता कुछ हद तक कम हो सकती है।
1- अगर आपकी फेमिली छोटी है और आप दोनों पति-पत्नी वर्किंग हैं तो अपने बच्चे को घर पर अकेला छोड़ने की जगह कोई विश्वासनीय आया बच्चे का ध्यान रखने के लिए रखें। आया का पुलिस वेरिफिकेशन जरूर करवाएं ताकि आपको उसके बारे में सही जानकारी पता हो।
2- वर्किंग पैरंट्स बच्चे को घर पर अकेला छोड़ने से पहले अपने घर पर कैमरा जरूर लगवा लें। ताकि आपको अपनी गैरमौजूदगी में घर के साथ बच्चे की भी पूरी अपडेट मिल सके।
3- अगर बाहर नौकरी करना जरूरी है तो किसी बड़े-बुजुर्ग के साथ रहें। परिवार में बड़े सदस्य होने के कारण बच्चों को मां-बाप की कमी नहीं खलती।
4- अगर आप दोनों वर्किंग हैं और आपको लगता है कि आप अपने बच्चे को उचित समय नहीं दे पा रहे हैं तो उन्हें छुट्टी के दिन या किसी खास मौके पर कहीं न कहीं घुमाने जरूर ले जाएं। बच्चों के बर्थडे पर उनके दोस्तों के साथ मस्ती करें, स्कूल की हर एक्टिविटी में अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज करवाएं।
5- वर्किंग पैरेंट्स के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि अपने बच्चों के साथ वार्तालाप बनाए रखें, उनकी जरूरतों को समझें व पूरा करने की कोशिश करें।
6-बच्चे के पास मोबाइल जरूर छोड़ें ताकि वो आपको समय-समय पर सूचित करता रहे और आप भी वक्त-वक्त पर उसकी खोज-खबर लेते रहे।
7-बच्चे को दरवाजा बंद करना और खोलने की ट्रेनिंग जरूर दें। उसे ये भी बताएं कि ऊपर की कुंडी लगाने की जगह वो नीचे की कुंडी लगाया करें।
8-बच्चों को समझाएं कि वो जब घर में अकेले हों तो किसी भी अनजान व्यक्ति के लिए दरवाजा न खोलें, न ही उससे किसी तरह की बातचीत करें।
आस्था /शौर्यपथ /हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की तृतीय तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागन औरतें अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। इस दिन महिलाएं माता पार्वती पूजा करती है और उनसे सदा सुहागन रहने की कामना करती है। इस व्रत को पूरे विधि विधान से करने से माता पार्वती प्रसन्न होती है।
पूजा की विधि-
1.इस दिन सिबह उठकर स्नान कर, साफ सुथरे वस्त्र धारण करें।
2. सौभाग्य सुंदरी तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
3. छोटी पूजा की चौकी पर लाल त पीले रंग के वस्त्र बिछा कर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा विराजमान कर दें।
4. पूजा में माता पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं।
5. इस दिन पूरे विधि- विधान से व्रत का पालन कर माता की पूजा करें।
6. पूजा के समय ॐ उमाये नमः मंत्र का जाप करें। इस दिन नौ ग्रहों की पूजा करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
7. माता पार्वती को रोली, कुमकुम, चावल के साथ सुपारी अर्पित करें।
इस साल सौभाग्य सुंदरी व्रत 11 नंवबर को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि किसी कुंवारी कन्या की कुंडली में किसी तरह का कोई वैवाहिक दोष मौजूद है तो इस व्रत का का पालन करने से सभी तरह के दोष दूर हो जाते हैं। सौभाग्य सुंदरी तीज को महिलाओं के लिए वरदान के रूप में माना जाता है।
सेहत टिप्स/शौर्यपथ /जांघ की मांसपेशियां मजबूत होना पर्सनैलिटी के साथ हमारी स्टेबिलिटी के लिए भी जरूरी हैं। बॉडी के मूवमेंट और शरीर का वजन उठाने के लिए जांघों की फिटनेस काफी मायने रखती है। बॉडी के अलग-अलग हिस्सों के लिए अलग तरह की एक्सरसाइज होती हैं। अगर आप जिम जाते हैं तो इंस्ट्रक्टर से बात करके किसी भी बॉडी पार्ट पर फोकस कर सकते हैं। अगर आप जिम न जाकर घर पर ही जांघों की चर्बी कम करना चाहते हैं तो यहां कुछ एक्सरसाइजेज हैं जो आपके काम आ सकती हैं।
करें साइकलिंग
आपके घर के आसपास जगह हो तो आप साइकलिंग कर सकते हैं। इससे आपके लेग्स टोन्ड होंगे। अगर साइकल नहीं है तो आप लेटकर साइकलिंग करें।
सीढ़ियां चढ़ें
सीढ़ियां चढ़ने से आपकी जांघों की मसल्स की अच्छी एक्सरसाइज होती है। हर सीढ़ी के साथ हम शरीर को ऊपर उठाते हैं। इससे थाई मसल्स का अच्छा वर्कआउट होता है।
करें ये एक्सरसाइज
छत की ओर चेहरा करते हुए फर्श पर लेट जाएं। दोनों हथेलियों को जमीन पर रखें। अब पैरों को जमीन से 30 डिग्री पर उठाएं। इन्हें 5 सेकेंड्स हवा में रोके रहें। अब पैर वापस नीचे ले आएं। यह प्रक्रिया 10 बार दोहराएं।
डायट भी अहम
एक्सरसाइज के अलावा ओवरऑल वजन घटाने में आपकी डायट का भी अहम रोल होता है। आप खाने में प्रोटीन और फाइबर ज्यादा लें तो चर्बी घटाने में मदद मिलेगी। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। खाने में सब्जियां और फल शामिल करें। रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और चीनी कम करें।
ये आसन हैं काम के
आप अंजनेयासन, सेतुबंध आसन या वीरभद्र योगासन की प्रैक्टिस करे हिप्स और थाइज का फैट कम कर सकते हैं।
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /प्रकृति ने हमें ऐसे कई पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियों प्रदान कराई हैं। जिससे समग्र स्वास्थ्य को कई सारे फायदे हो सकते हैं। ऐसे ही कुछ पेड़ पौधे हमारे गार्डन में भी मौजूद हैं। जिनके लाभों से हम परिचित नहीं हैं या ये कहें कि पूरी जानकारी नहीं हैं। तो चलिए आज हम आपको ऐसे ही औषधीय पौधों के बारे में बताएंगे, जिनका इस्तेमाल कर आप कई सारी समस्याओं से निजात पा सकती हैं।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर दीक्सा भावसार सावलिया, समय-समय पर हमें आयुर्वेद और उसके लाभ से परिचित कराती रहती हैं। आज हमें ऐसे ही प्लांट के बारे में बता रही हैं जो आपके लिए बेहद फायदेमंद है।
यहां हैं वे 4 औषधीय पौधे जो बदलते मौसम में आपकी सेहत की रक्षा कर सकते हैं
1. तुलसी
तुलसी का पौधा लगभग हम सभी के घर में होता है। तुलसी को यहां धार्मिक मान्यताओं की वजह से पूजा जाता है। वहीं, इसके औषधीय गुणों के कारण कई बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी के पौधे से सकारात्मकता भी रहती है।
कैसे करें सेवन- तुलसी का सेवन आप चाय, काढ़े और इसके पत्तों को चबाकर भी कर सकते हैं।
कैसे है लाभकारी
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में।
वजन नियंत्रित रखने में। सिर दर्द से राहत
सर्दी, जुकाम और बुखार में आराम।
खांसी और गले में खराश में कमी।
डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद।
2. एलोवेरा
एलोवेरा के औषधीय गुणों से लगभग हम सभी वाकिफ हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीसेप्टिक, एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, विटामिन ए, फोलिक एसिड और अन्य कई सारे गुण हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।
कैसे करें सेवन- एलोवेरा का इस्तेमाल जूस बनाकर, स्किन और बालों पर इससे आप सीधे लगा सकते हैं। बालों को कंडीशनर करने के लिए भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं।
कैसे है लाभकारी
मुहांसों के लिए।
बालों की संबंधित परेशानियों से राहत पाने के लिए।
घाव भरने के लिए।
सूजन को दूर करने के लिए।
हृदय रोग से बचाव के लिए।
कोलेस्ट्रॉल में भी एलोवेरा फायदेमंद है
3. मेथी
भारत में वर्षों से मेथी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता रहा है। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण शामिल होते हैं। इसके साथ है इसमें फास्फोरस, कैल्शियम और आयरन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
कैसे करें सेवन- मेथी का इस्तेमाल आप पराठे में, सब्जी में और अन्य व्यंजन में भी कर सकते हैं।
कैसे है लाभकारी
पाचन तंत्र को तंदुरुस्त रखने के लिए।
जोड़ो में होने वाले दर्द से निजात पाने के लिए।
बेड कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए।
डायबिटीज से राहत पाने के लिए।
4. सौंफ
लोग अक्सर खाना खाने के बाद सौंफ खाना पसंद करते हैं। और यह लगभग हर घर में मौजूद भी होती है। इसका इस्तेमाल घरेलू औषधि की तरह किया जाता है। इसमें एंटीओबेसिटी, गेस्ट्रोप्रोटेक्टिव और एंटी डायबिटीज जैसे गुण शामिल होते हैं। इन सभी गुणों की वजह से इसका सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है।
कैसे करें सेवन- सौंफ का सेवन चाय में कर सकते हैं। इसके साथ ही खाना खाने के बाद थोड़ी सी सौंफ खाने से खाना बच जाता है और गैस की समस्या नहीं होती है।
कैसे है लाभकारी
वजन को नियंत्रित रखने में।
पाचन और अपच की परेशानी से राहत।
ब्लड शुगर कंट्रोल रखने में।
एसिडिटी की समस्या से निजात।
टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ / जवां और बेदाग चेहरा यही तो चाहत होती है हर महिला की। भला हो भी क्यों न, हेल्दी और ग्लोइंग स्किन आपको और ज्यादा कॉन्फिडेंट लुक देती है। अगर आप भी चाहती हैं कि सभी आपकी स्किन की तारीफ करें, तो बस इसके लिए आपको अपने बगीचे से गुड़हल के फूल लाने हैं। ये फूल न सिर्फ आपके गार्डन की खूबसूरती बढ़ाते हैं, बल्कि आपके चेहरे पर भी निखार ला सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके फायदे और इस्तेमाल का तरीका।
पहले जानते हैं त्वचा के लिए गुड़हल के फायदे
1. एंटी एजिंग गुणों से भरपूर
हिबिस्कस का प्रयोग बढ़ती उम्र के लक्षण को कम करने के लिए किया जाता है। वर्ष 2017 में रिसर्चगेट द्वारा किये गए शोध के अनुसार, गुड़हल के फूल में एंटी-एजिंग और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण शामिल होते है, जो एजिंग की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।
2. शामिल होते हैं मॉइस्चराइजिंग गुण
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, गुड़हल के फूल में मॉइस्चराइजिंग गुण मौजूद होते हैं। यह गुण ड्राई स्किन को मॉइस्चराइज करके उसकी नमी को बनाए रखता है। हिबिस्कस का प्रयोग स्किन हाइड्रेशन में भी लाभकारी होता है।
3. एंटीफंगल गुणों से भरपूर
एनसीबीआई द्वारा पब्लिश रिसर्च में जिक्र मिलता है कि हिबिस्कस फाइब्रोब्लास्ट्स (कोशिकाएं जो कोलेजन का उत्पादन करती हैं) के प्रसार में सुधार करता करता है और घाव तेजी से भरने लगता है। इसके साथ ही इसमें एंटीफंगल गुण भी शामिल होता है जो घाव को फंगल इंफेक्शन से बचाव में भी सहायता करता है।
अब जानते हैं इस्तेमाल का तरीका
1. दही के साथ हिबिस्कस
एक बाउल में एक चम्मच गुड़हल का पाउडर और एक चम्मच दही को मिक्स करें और एक पेस्ट बना लें। यदि पेस्ट बहुत ज्यादा गाढ़ा है तो आप इसमें गुलाब जल की कुछ बूंदे मिलाए। इस पैक को पुरे फेस लगभग 20 मिनट के छोड़ दें। फिर सादा पानी से चेहरा साफ कर लें। इस पैक को आप सप्ताह में 1 से 2 बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
2. एलोवेरा के साथ गुड़हल
एक चम्मच हिबिस्कस का पाउडर और एक चम्मच एलोवेरा जेल को एक कटोरी में मिक्स करें अब इसमें आवश्यकतानुसार पानी या गुलाब जल मिलाए। इस पैक को पुरे फेस लगभग 20 मिनट के छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से चेहरा साफ कर लें। इस पैक को आप सप्ताह में 1 बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
3. शहद के साथ हिबिस्कस
एक चम्मच गुड़हल का पाउडर और एक चम्मच शहद को एक बाउल में मिलाए अब इसमें गुलाब जल की कुछ बूंदे मिक्स करें। इस पैक को पुरे फेस लगभग 20 मिनट के छोड़ दें। फिर गुनगुने पानी से चेहरा साफ कर लें। इस पैक को आप सप्ताह में 1 बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
. लैवेंडर के साथ गुड़हल
एक कटोरी में एक चम्मच हिबिस्कस का पाउडर, दो चम्मच दही और तीन से चार बूंद लैवेंडर ऑयल को मिलाएं। इस फेसपैक को लगभग 15 से 20 मिनट के चेहरे पर लगाए। फिर पानी से चेहरा साफ कर लें। इस पैक को आप हफ्ते में 1 से 2 बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
सेहत टिप्स / शौर्यपथ /मखाने में मौजूद पोषक तत्वों के कारण लोग इसे व्रत में भी खाना पसंद करते हैं। मखाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल, कैल्शियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन जैसे कई गुण पाए जाते हैं। इतना ही नहीं मखाने में कैलोरी की मात्रा बहुत कम पाई जाती है। जिसकी वजह से लोग इसे अपनी वेट लॉस जर्नी में भी शामिल करते हैं। सेहत के लिए इतना फायदेमंद होने के बावजूद क्या आप जानते हैं आखिर किन लोगों को मखाना खाने से परहेज करना चाहिए। आइए जानते हैं किन लोगों को मखाना फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है।
सेहत से जुड़ी इन समस्याओं के होने पर न खाएं मखाने-
गैस्ट्रिक समस्या: मखाने में फाइबर और प्रोटीन की उच्च मात्रा पाई जाती है, जिसकी वजह से यह पचने में अधिक समय लेता है। ऐसे में अगर आपको गैस्ट्रिक या ब्लोटिंग जैसी पेट से जुड़ी कोई परेशानी हो रही है तो मखाने का सेवन तुरंत बंद कर दें। मखाने का सेवन आपकी समस्या को और बढ़ा सकता है।
किडनी स्टोन: अगर आपको किडनी स्टोन की शिकायत है तो मखाने का सेवन बेहद सीमित मात्रा में या फिर ना ही करें। दरअसल, मखाने में कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसका अधिक सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाएगी और आपके स्टोन का आकार भी बढ़ सकता है।
कॉमन फ्लू: अगर आप कॉमन फ्लू, कोल्ड या डायरिया से जूझ रहे हैं, तो आपको मखानों का सेवन नहीं करना चाहिए। फ्लू में मखानों का सेवन आपकी तबीयत को खराब कर सकता है।
दस्त की समस्या: मखाना में मौजूद फाइबर दस्त पीड़ितों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। दरअसल, मखाने में मौजूद फाइबर का एक मुख्य काम बाउल मूवमेंट को बेहतर बनाना होता है। ऐसे में जब किसी व्यक्ति को कब्ज की समस्या होती है तो उसे फाइबर रिच फूड खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर आप पहले से ही दस्त से पीड़ित हैं तो मखाने का सेवन न करें। यह आपकी समस्या को और बढ़ा सकता है।
एलर्जी की समस्या: मखाना का ज्यादा सेवन करने से एलर्जी की समस्या हो सकती है। क्योंकि मखाने में स्टार्च मौजूद होता है, जिसके कारण आपके शरीर में भी स्टार्च की मात्रा बढ़ सकती है। ऐसे में मखाना खाने से कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो सकती है। इसलिए आप मखाने का सेवन सीमित मात्रा में करें।
सेहत टिप्स/शौर्यपथ /मौसम बदलते ही डेंगू बुखार का खतरा भी काफी बढ़ गया है। डेंगू रोग एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। संक्रमित होते ही इसके लक्षण 3 दिन से लेकर 14 दिनों के बीच तक बने रहते हैं। जिसकी वजह से रोगी को मांसपेशियों में दर्द, रैशेज, मितली, उल्टी, त्वचा पर लाल चकत्ते, ठंड के साथ तेज बुखार और जोड़ो में दर्द हो सकता है। डेंगू का इलाज समय पर न होने से रोगी की जान तक जा सकती है। हालांकि सही खानपान से इस बीमार को जल्दी ठीक भी किया जा सकता है। एक तरफ जहां, डेंगू में पपीते के पत्ते, बकरी का दूध, गिलोय आदि का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। वहीं कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिनका सेवन डेंगू रोगी को बिल्कुल नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं उनके बारे में।
मसालेदार खाना- डेंगू रोगी को मसालेदार भोजन खाने से बचना चाहिए। इस तरह का भोजन डेंगू ट्रीटमेंट के असर को कम कर सकता है। मसालेदार भोजन करने से व्यक्ति के पेट में गैस, एसिडिटी की समस्या हो सकती हैं। जो डेंगू की तकलीफ को और बढ़ा देती हैं।
जंक फूड- तला-भूना और जंक फूड सेहत के लिए वैसे भी नुकसानदायक होता है। ऐसे में डेंगू रोगी को इस तरह के काने से वैसे भी दूर रहना चाहिए। इस तरह का खाना खाने से व्यक्ति का ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है। साथ ही डेंगू से रिकवरी में भी देरी हो सकती है।
नॉनवेज से रहें दूर- डेंगू के मरीजों को नॉनवेज खाने से भी परहेज करना चाहिए। नॉनवेज पकाते समय इसमें कई तरह के मसाले इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके अलावा नॉनवेज पचने में भी अधिक समय लेता है। जो मरीज की दिक्कत को और बढ़ा सकता है। ऐसे में रोगी को गुनगुने पानी के साथ खूब सारी हेल्दी लिक्विड डाइट को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
कॉफी- डेंगू होने पर कॉफी जैसी कैफीन वाली ड्रिंक्स को पीने से शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है। जिससे प्लेटलेट्स में रिकवरी नहीं होती और डेंगू गंभीर बन सकता है।
एल्कोहॉल- डेंगू से पीड़ित व्यक्ति भूलकर भी एल्कोहॉल का सेवन न करें। शराब पीने से शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है। जिसके कारण रोगी को लो प्लेटलेट्स की समस्या हो सकती है। ऐसे में आप डेंगू होने पर अपने प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए नारियल पानी का सेवन कर सकते हैं।
खाना खजाना /शौर्यपथ /आपने दूध और ब्रेड का ब्रेकफास्ट तो कई बार किया होगा लेकिन क्या आपने कभी इसे एक प्रॉपर डिश की तरह खाया है? आज हम आपको बनाना सिखा रहे हैं मिल्की ब्रेड की रेसिपी। यह मिल्की ब्रेड बच्चों को खासतौर पर पसंद आएगी। आपका बच्चा अगर दूध पीने में आना-कानी करता है, तो भी आप इस डिश को बनाकर उन्हें खिला सकते हैं। आप स्पेशल मौकों पर भी इसे स्वीट डिश के रूप में बना सकते हैं। आइए, जानते हैं कैसे बनाएं मिल्की ब्रेड की रेसिपी।
मिल्की ब्रेड बनाने की सामग्री
व्हाइट या ब्राउन ब्रेड
चीनी
दूध
ड्राय फ्रूट्स
ट्रूटी फ्रूटी
कस्टर्ड पाउडर
मक्खन
मिल्की ब्रेड बनाने की विधि
इस डिश को बनाने के लिए आप ब्राउन या व्हाइट कोई भी ब्रेड ले सकते हैं। अब आप एक पैन लें। इसमें दो चम्मच मक्खन डालें। अब इसमें दो ब्रेड डालकर उन्हें सेंक लें। अब आपको इसमें एक गिलास दूध डालना है। याद रखें की ब्रेड को अपनी जगह से हिलाएं नहीं। दोनों ब्रेड को सेंकने के बाद एक के ऊपर एक रख दें। अब दूध को पकने दें। अब आधा चम्मच कस्टर्ड पाउडर लेकर इसे आधा कप दूध में मिलाएं। अब इसे पैन में डाल दें। अब इसमें आधे चम्मच से कम चीनी डालें। इसे अच्छी तरह पककर गाढ़ा होने दें। आपको धीमी आंच पर ही इसे पकाना है। अब इसके ऊपर ड्राय फ्रूट्स या ट्रूटी फ्रूटी डाल दें। आपकी मिल्की ब्रेड तैयार है। इसे बच्चों को खिलाएं और खुद भी खाएं। बच्चों को यह रेसिपी बेहद पसंद आएगी। आप चाहें तो इसमें इलायची पाउडर भी एड कर सकते हैं।
आस्था /शौर्यपथ /आज से अगहन का महीना शुरू हो गया है। इस महीने मां लक्ष्मी और शंख की इस महीने में शंख पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण की इस महीने में पूजा अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी पूजा और शंख पूजा इस महीने में सुख समृद्धि लाती है।
दरअसल शंख और मां लक्ष्मी का खास नाता बताया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दोनों समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे, इसलिए शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है। इसी कारण लक्ष्मी पूजा में शंख को भी खासतौर से रखते हैं। इस महीने बाल गोपाल की पूजा, उनका कीर्तन आदि उत्तम होता है।
ये श्रीकृष्ण का प्रिय महीना है। पुराणों में लिखा है कि अगहन मास में व्रत-उपवास और विशेष पूजन करने से श्रीकृष्ण की कृपा मिलती है। अगहन मास में भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी के साथ ही भोग लगाना चाहिए। इसके बाद कृं कृष्णाय नम:, ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय, ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय या ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाएं। उनकी आरती के बाद परिक्रमा करें। प्रसाद अर्पित करें।
सेहत /शौर्यपथ /हेल्दी डायट की बात करें तो इनमें हरी सब्जियां, फल और नट्स की गिनती खासतौर पर होती है। नट्स में भी बादाम का नाम लिस्ट में टॉप पर आता है। बादाम में अनगिनत पोषक तत्व होते हैं जो कि शरीर की कई जरूरतों को पूरा करते हैं। बादाम लोग स्नैक्स के तौर पर या मिठाई, खीर, ड्रिंक्स मे डालकर पीते हैं। वहीं बहुत से लोग बादाम को भिगाकर, इनके छिलके को हटाकर खाते हैं। ऐसा करना आपको थोड़ा झंझट का काम लग सकता है लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो बादाम खाने का यही बेस्ट तरीका है।
पोषक तत्वों का खजाना है बादाम
बादाम में विटामिन ई, फाइबर, मैग्नीशियम, प्रोटीन, मैग्नीज, कॉपर, फॉस्फोरस जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। ये सारे पोषक तत्व शरीर में पहुंचकर इसे रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं और आपको स्वस्थ रखते हैं। कई गंभीर रोगों में भी बादाम के फायदे सामने आ चुके हैं। ये वजन कम करने से लेकर कैंसर और डायबीटीज का खतरा भी कम करते हैं। जानें भीगे बादाम खाने के फायदे...
भिगाने से मिलते हैं ज्यादा हेल्थ बेनिफिट्स
जब आप बादाम को भिगाकर खाते हैं तो इन्हें पचाना आसान होता है। बादाम में ऐंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर्स होते हैं जो कि भिगाने के बाद ज्यादा असर दिखाते हैं।
भिगाने से दूर होता है फाइटिक एसिड
अगर आप बादाम को बिना भिगाए खा लेते हैं तो इनका फाइटिक एसिड इन्हीं में रह जाता है। इससे बादाम के जरूरी पोषक तत्व शरीर अवशोषित नहीं कर पाता। बिना भीगे बादाम का जिंक और आयरन भी शरीर ठीक से उपयोग में नहीं ला पाता।
वजन घटाने में मिलती है मदद
बादाम भिगाकर खाने से लाइपेज एंजाइम निकलता है। यह मेटाबॉलिजम बढ़ाता है जिससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
सुबह के वक्त खाना है बेस्ट
टाइमिंग की बता करें तो आप कभी भी अपनी सुविधा के हिसाब से खा सकते हैं। हालांकि सुबह के वक्त 4-5 भीगे और छिले बादाम खाने से आपको ज्यादा फायदे मिलेंगे।
स्किन के लिए भी अच्छा
बादाम ब्लड शुगर कंट्रोल करता है, दिमाग को मजबूत रखता है, कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करता है साथ ही स्किन के लिए भी अच्छा होता है। बादाम में विटामिन ई होता है, जो एंटी एजिंग माना जाता है। इसे खाने से ग्लोइंग स्किन मिलती है।
टिप्स /शौर्यपथ / खूबसूरत बालों से लेकर ग्लोंइग त्वचा तक, मछली खाने के आपने कई फायदे सुने होंगे। मछली खाने के शौकीन लोग इसे कई तरह से पकाकर खाते हैं। मछली न सिर्फ खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है बल्कि सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। स्वाद और सेहत के लिए इतनी फायदेमंद होने के बावजूद कई लोग मछली में मौजूद छोटे और बारीक कांटों की वजह से इसे खाने से परहेज करते हैं। जी हां, कई बार मछली खाते समय पता ही नहीं चलता कि कब कांटा मुंह में जाकर गले में फंस गया है। ऐसे में अगर आप पहली बार मछली खा रहे हैं या कोई बच्चा मछली खा रहा है तो उसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ती है। आइए जानते हैं अगर कभी मछली खाते समय उसका कांटा गले में फंस जाएं तो तुरंत इस समस्या से निजात पाने के लिए कौन से 3 उपाय करने चाहिए।
चावल का गोला-
अगर आपके गले में मछली का कांटा फंस गया है तो उबले हुए चावल आपकी समस्या को दूर करने का एक अच्छा उपाय हो सकते हैं। गले में कांटा फंसने पर आप तुरंत भात का एक गोला बनाकर इसे मुंह में रखकर बिना चबाएं निगल लें। आप देखेंगे आपको तुरंत अपनी समस्या से छुटकारा मिल गया है। अगर 1 बार में यह नुस्खा काम न करें तो 2 से 3 बार ऐसा करें।
केला-
जब कभी मछली खाते समय उसका कांटा आपके गले में फंस जाएं तो केला खाने से काफी राहत मिल सकती है। ऐसे समय में आप केले का टुकड़ा बिना चबाएं सीधे ही निगल लें। कांटा अपने आप ही निकल जाएगा।
डॉक्टर से करें संपर्क-
अगर इनमें से कोई भी उपाय आपके काम नहीं आ रहा है तो आपको बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए, देर करने पर आपकी समस्या बढ़ सकती है।
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने का फैसला किसी भी उम्र में लें, ये लेट नहीं होता। ऐसा करके आप अपनी जिंदगी के आने वाले साल बेहतर बना सकते हैं। अपनी बायलॉजिकल क्लॉक को धीमा करने और लंबी उम्र जीने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं। आपको क्या करना है, इसके साथ इन बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि क्या नहीं करना। हेल्दी रहने के लिए जहां हरी सब्जियां, फल, दालें, ड्राई फ्रूट्स नट्स खाना फायदेमंद है। वहीं कुछ गलत आदतें आपकी इस मेहनत पर पानी फेर सकती हैं। यहां जानें स्वस्थ और लंबी जिंदगी के लिए आपको यहां बताए गए कुछ काम छोड़ देने चाहिए।
जहर हैं ये सफेद चीजें
बात खाने-पीने से शुरू करें तो कुछ सफेद चीजें आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती हैं। इनमें चीनी, ज्यादा नमक और मैदा का नाम सबसे ऊपर आता है। चीनी शरीर का इन्फ्लेमेशन बढ़ाती है वहीं ज्यादा नमक भी हेल्थ के लिए अच्छा नहीं। अगर आप प्रोसेस्ड फूड खाते हैं जिसमें ज्यादा सोडियम, ज्यादा सैचुरेटेड फैट, ज्यादा चीनी और कम फाइबर्स हैं तो आप अपना शरीर आगे के लिए डैमेज कर रहे हैं।
पूरे दिन बैठे रहना
आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोगों के पास वक्त की कमी की शिकायत रहती है। पूरा दिन काम के लिए बैठते हैं बचा समय टीवी या मोबाइल के स्क्रीन में जाता है। यह एक तरह से आत्मघाती कदम है। 2011 की एक स्टडी में सामने आ चुका है कि हर दिन अगर आप 15 मिनट भी एक्सरसाइज करते हैं तो आपके जीवन के तीन साल बढ़ जाते हैं। सबसे अच्छा तरीका है आप तेज-तेज चलकर ब्रिस्क वॉक करना शुरू करें।
सिगरेट, तंबाकू और शराब
सिगरेट, शराब और तंबाकू लोगों को अडिक्ट बनाती हैं। हालांकि दुनिया में कोई भी ऐसी लत नहीं जिसे छोड़ा न जा सके। ये आदतें न सिर्फ आपकी जिंदगी के साल कम करती हैं बल्कि आपकी लाइफ क्वॉलिटी भी बिगाड़ती हैं। भले आप लंबे वक्त से सिगरेट और तंबाकू लेते रहे हैं लेकिन जब भी छोड़ते हैं उसी दिन से आपका कैंसर रिस्क कम हो जाता है।
गुस्सा
गुस्सा आना एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन किसी बात को बेवजह बढ़ाना या लंबे वक्त तक दिल में रखना आपकी मानसिक और शारीरिक हेल्थ के लिए ठीक नहीं। ऐसा करने से शरीर में कई हानिकारक केमिकल्स रिलीज होते हैं जो आपकी सेहत पर असर डालते हैं। अपनी ही भलाई के लि सही, माफ करना सीखें।
नींद पूरी न करना
कई रिसर्चेज से ये बात सामने आ चुकी है कि जो लोग 5 घंटे से कम नींद लेते हैं उन्हें दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है। कम नींद आपकी बॉडी क्लॉक को डिस्टर्ब करती है। इससे शरीर के हॉरमोन्स का बैलेंस भी बिगड़ता है। सोते वक्त आपकी बॉडी के अंदर रिपेयरिंग चलती है। सेल रिपेयर से लेकर कई इम्यून फंक्शंस सोते वक्त ज्यादा ऐक्टिव रहते हैं। लिहाजा 7 से 8 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है।
तनाव लेना
थोड़ा-बहुत स्ट्रेस सिचुएशंस को हैंडल करने में मदद करता है लेकिन कई बार स्ट्रेस नई समस्या की वजह बन सकता है। तनाव के दौरान हमारा शरीर फाइट और फ्लाइट मोड में होता है। इस दौरान कॉर्टिसॉल हारमोन रिलीज होता है। शरीर में कॉर्टिसॉल बढ़ना आपकी सेहत बिगाड़ सकता है। जीवन में तनाव कम से कम लेने की कोशिश करें। अगर आप इसमें कमजोर हैं तो प्रोफेशनल मदद ले सकते हैं।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / बच्चे के जन्म लेते ही उसके लिए सबसे पहला उपहार झूला ही आता है। घंटों तक बच्चे को गोद में लेकर बैठने की उलझन से भले ही झूला आपको निजात दिला देता हो लेकिन क्या आप जानते हैं, बच्चे को झूले में सुलाने की आदत अनजाने में ही आपके बच्चे की सेहत को नुकसान पहुंचा रही होती है। एक रिसर्च के मुताबिक, छोटे बच्चों को झूले पर नहीं सुलाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि झूले की सतह ऊपर-नीचे होती है, जिसकी वजह से बच्चों के सोने का पोश्चर प्रभावित हो सकता है। यदि बच्चे को झूले में सुलाया जाए तो सिर के आगे की तरफ झुकने के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत भी महसूस हो सकती है। इस रिसर्च को विस्तार से पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक करें। इसके अलावा डॉक्टर्स की मानें तो अगर बच्चे के सोने का तरीका गलत होता है तो उन्हें सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) की समस्या भी हो सकती। ऐसे में आइए जानते हैं बच्चों को झूले में सुलाने के क्या होते हैं नुकसान।
बच्चों को झूले में सुलाने के नुकसान-
विकास पर पड़ता है बुरा असर-
छोटे बच्चों को झूले में सुलाने से उनके विकास पर बुरा असर पड़ सकता है। बता दें, ज्यादातर समय बच्चे को झूले पर सुलाने से उनकी दूसरी गतिविधियां रुक सकती हैं, जिससे उनके विकास पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर बच्चे को झूले की जगह किसी सपाट स्तर पर सुलाया जाए तो वह न केवल गतिविधियों को करने के लिए आजाद रहेंगे बल्कि इससे घुटने के बल चलने की आदत से छुटकारा और हड्डियों में मांसपेशियों का विकास दोनों अच्छे से होगा।
मांसपेशियां हो सकती हैं कमजोर -
बच्चे को झूले पर सुलाने से उनकी मांसपेशियां कमजोर हो सकती है। मांसपेशियों के कमजोर होने पर बच्चे ना अपनी गर्दन को सीधा रख पाते हैं और ना ही अपने सिर को सहारा दे पाते हैं। ऐसे में जब हम बच्चे को किसी सपाट जगह पर सुलाते हैं तो इससे बच्चों की गर्दन को सहारा मिलता है।
प्लेगियोसेफली पोजिशनल की समस्या-
बच्चों को ज्यादा समय तक झूले में सुलाने से उन्हें प्लेगियोसेफली पोजिशनल की समस्या हो सकती है। इस समस्या में बच्चे का सर एकदम चपटा महसूस होने के साथ बच्चे की सिर की गतिविधियां भी कम होने लगती हैं। जिसकी वजह से बच्चा अपना सिर चारों तरफ ठीक से नहीं घुमा पाता है।
घुटन की समस्या-
बच्चे को ज्यादातर समय झूले पर लिटाने से उन्हें घुटन की समस्या भी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पालने में सुलाने की वजह से बच्चे के सिर के वजन का दबाव उसकी गर्दन पर पड़ सकता है। जिससे बच्चे को गर्दन से जुड़ी समस्या भी हो सकती है।
खट्टी डकार-
झूले पर लिटाने से बच्चे को खट्टी डकार यानी एसिड रिफ्लक्स की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। कई बार बच्चा लुढ़कते हुए झूले पर पेट के बल लेट जाता है। ऐसे में लंबे समय तक ऐसी ही स्थिति में रहने से उसे खट्टी डकार की समस्या हो सकती है।