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- ग्राम टेड़ेसरा की बालिकाओं ने लोकवाणी सुनी
- राजनांदगांव की श्रीमती रेणुका सोनी एवं श्रीमती रितु सिन्हा ने मुख्यमंत्री से अपनी बातें साझा की
राजनांदगांव / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी को आज विकासखंड राजनांदगांव के ग्राम टेड़ेसरा की बालिकाओं, बुजुर्ग एवं महिलाओं ने सुना। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं की उन्नति और उनकी सूझबूझ का विस्तार बहुत उम्मीद जगाने वाला है। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रदेश में 20 लाख 2 हजार गरीब परिवारों की 1 लाख 85 हजार महिलाएं स्व सहायता समूह से जुड़ गई है और एक से बढ़कर एक कार्य किए जा रहे है। अपनी मौलिकता, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कौशल, और संसाधनों का उपयोग जिस खूबसूरती से कर रहे हैं, उसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम है। वास्तव में आप लोगों ने मातृशक्ति शब्द को सार्थक करके दिखाया है। साढ़े 3 हजार बहने बैंक सखी के रूप में चलता-फिरता बैंक बन गई है। उन्होंने बताया कि महिला स्वसहायता समूह की प्रतिभा, लगन और मेहनत को देखते हुए, नये बजट में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और सी-मार्ट स्टोर्स जैसी नई अवधारणाा को शामिल किया है। छत्तीसगढ़ में छोटी-छोटी पूंजी और थोड़ी-थोड़ी उद्यमिता को मिलाकर एक नई आर्थिक क्रांति का जन्म होगा। यह आर्थिक क्रांति विकास का एक टिकाऊ मॉडल होगा।
विकासखंड राजनांदगांव के मोर मयारू संगी लोक संस्कृति ग्राम टेड़ेसरा के संचालक नरेन्द्र साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत सामान्य जोड़े के लिए सहायता राशि 15 हजार रूपए से बढ़ाकर 25 हजार रूपए और दिव्यांगजनों के लिए 50 हजार रूपए से बढ़ाकर 1 लाख रूपए की है। मुझे यह जानकारी आज मिली और बहुत खुशी हुई। श्रीमती गोमती बाई साहू ने कहा कि बालिकाओं के लिए रोजगार के बहुत अच्छे अवसर है। यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। स्कूल में अध्ययनरत बालिका पूनम कुर्रे ने बताया कि वे डॉक्टर बनाना चाहती हैं और लोकवाणी सुनकर उन्हें अच्छा पढऩे एवं मेहनत करने की प्रेरणा मिली है। वहीं खिलेश देशमुख एवं तिलेश साहू ने बताया कि वे नर्स बनना चाहती हैं। लोकवाणी सुनकर बुजुर्ग माता श्रीमती प्रेमवती साहू, सारिका कंवर, योगिता साहू, मधु साहू साहित अन्य बच्चों ने हार्दिक खुशी जाहिर की।
राजनांदगांव जिले के शीतला मंदिर वार्ड 25 की श्रीमती रेणुका सोनी ने भी अपनी बातें मुख्यमंत्री से साझा की-
श्रीमती रेणुका सोनी ने बताया कि जब वे गर्भवती थी, तब उन्हें खून की कमी थी और उन्हें अपने होने वाले बच्चे की चिंता थी। कोरोना वायरस की वजह से शहर में लॉकडाऊन था और खाने-पीने के सामान के लिए दिक्कत आ रही थी। ऐसे मुश्किल समय में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के माध्यम से आंगनबाड़ी की दीदी हमारे घर तक आकर सुखा राशन देने लगी। जिससे मुझे बहुत राहत मिली और मेरी चिंता दूर हुई। आंगनबाड़ी वाली दीदी समय-समय मेरे घर आकर मेरे स्वास्थ्य की भी जानकारी लेती थी। आपकी इस योजना से मैं लाभान्वित हुई। जिसका परिणाम यह है कि मेरे घर एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ है और मैं स्वस्थ हूं। इसके लिए आपका हृदय से धन्यवाद और आभार कि ऐसे कठिन समय में आपने हम माताओं का ध्यान रखा।
डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम रामपुर की श्रीमती रितु सिन्हा ने मुख्यमंत्री से अपने मन की बात साझा की-
श्रीमती रितु सिन्हा ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से मुझे बहुत फायदा मिला है। उन्होंने बताया कि जब वे गर्भवती थी। तब उन्हें खून की कमी थी। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीदी कोरोना काल में सुखा राशन देती थी। जिससे खून की कमी दूर हुई और एक स्वस्थ्य बच्चे का जन्म हुआ है। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से मेरे घर-आंगन में खुशहाली बिखर गई। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को गाड़ा-गाड़ा बधाई दी।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /कभी-कभी ऐसा होता है कि हमें बहुत तेज भूख लग जाती है और हम उस वक्त हमें जो भी उपलब्ध होता है, वो खाने लग जाते हैं लेकिन ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक तेज भूख लगने पर कुछ ऐसी चीजें है, जिन्हें नहीं खाना चाहिए।आइए, जानते हैं कौन-सी हैं वो चीजें-
अमरुद
अमरुद एक ऐसा फल है, जिसे अलग-अलग स्थितियों में खाने पर अलग-अलग परिणाम देखने को मिलते हैं यानी अगर आप सर्दियों में सुबह के वक्त खाली पेट अमरुद खाएंगे, तो आपको पेट दर्द की शिकायत हो सकती है। वहीं, गर्मी में खाली पेट अमरूद खाएंगे, तो यह फायदा देता है। ऐसे में आपको खाली पेट अमरूद नहीं खाना चाहिए।
सेब
सर्दियों में खाली पेट सेब खाने से बीपी बढ़ सकता है, अगर सुबह सबसे पहले यानी बिना कुछ खाए आप सेब खा लेते हैं, तो इस दिक्कत का सामना आपको करना पड़ सकता है लेकिन गर्मी में आप खाली पेट सेब खा सकते हैं।
टमाटर
टमाटर की तासीर गर्म होती है। इसे आप सर्दी के मौसम में तो खाली पेट खा सकते हैं लेकिन गर्मी के मौसम में ऐसा करने पर पेट में या सीने में जलन की समस्या हो सकती है। आपको सुबह के समय टमाटर खाने से परहेज करना चाहिए।
चाय-कॉफी
चाय या कॉफी को खाली पेट पीने से बचना चाहिए।आप चाय या कॉफी को बिस्किट, ब्रेड के साथ ले सकते हैं लेकिन खाली पेट या तेज भूख लगने पर सिर्फ चाय-कॉफी न लें, इससे आपके पेट में गैस बन सकती है।
दही
बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें दही फायदे की जगह पर हानि पहुंचा देती है।ऐसे में दही को सुबह के समय खाली पेट खाने से बचना चाहिए, वर्ना आपकी सेहत बिगड़ सकती है।
योग /शौर्यपथ / बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें मोटापे की समस्या ज्यादा परेशान नहीं होते लेकिन उनकी हिप्स, थाइस, टमी के आसपास चर्बी जम जाती है, जिसकी वजह से वो फिट नहीं नजर आते।ऐसे में जिम जाने की बजाय ज्यादातर लोग घरेलू उपाय या वर्कआउट करके इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं। आप भी अगर इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे आसन जिन्हें अपनाकर आप अपनी हिप्स की चर्बी कम कर सकते हैं-
तितली आसन (बटर फ्लाई)
-तितली आसन करने के लिए आप सुखासन में बैठ जाएं, अपनी सांस को नॉर्मल करें। अब धीरे-धीरे दोनों पैरों के तलुओं को एक-साथ मिलाएं और दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाते हुए दोनों पैर के पंजे मुट्टी में होल्ड कर लें।
-अब दोनों पैरों को तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे मूव करें। आप यह आसन हर दिन 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं। इससे पेल्विक मसल्स को टोन करने में मदद मिलती है। हिप और थाई का फैट कम होता है। पेट पर चढ़ी चर्बी हट जाती है और बैक पेन में आराम मिलता है।
-यह आसन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होनेवाली समस्याओं से निजात दिलाता है। जैसे क्रैंप्स, अनियमितता, लोअर बॉडी पार्ट में तेज दर्द और बेचैनी। लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि महिलाओं को यह आसन पीरियड्स के दौरान नहीं करना चाहिए। इस समय में आप केवल वॉक करें।
-तितली आसन पैरों की और खासतौर पर जांघों की मसल्स को मजबूत बनाता है। इससे घुटनों पर एक्स्ट्रा दबाव नहीं पड़ता और वेट कंट्रोल में रहने से आप अच्छा और एनर्जेटिक फील करते हैं।
मलासन (स्क्वॉट पोजिशन)
-स्क्वॉट पोजिशन को मलासन के रूप में जाना जाता है। इस आसन को करने के लिए आप एक स्थान पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने पैरों के बीच एक से डेढ़ फीट का गैप बनाएं और घुटनों से पैर मोड़कर कुर्सी पर बैठने की पोजिशन मेंटेन करके रखें।
-फोटो में आप देख सकते हैं कि आपको ना तो कुर्सी पर बैठना है और ना घुटनों के बल बैठना है। आप स्क्वॉट पोजिशन में खुद को जितनी देर हो सके होल्ड करें। यह प्रक्रिया आपको 15 से 20 बार दोहरानी है। आप इसके 2 से 3 सेट एक बार में कर सकते हैं। हर सेट के बीच 10 से 15 सेकंड का ब्रेक लें।
कोई भी आसन करते हुए ध्यान रखना चाहिए कि पेट भर खाने के तुंरत बाद भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि आसन और भोजन के बीच 2-3 घंटे का फासला जरूर होना चाहिए।
खाना खजाना / शौर्यपथ / आप अगर ग्लोइंग स्किन के साथ सेहतमंद रखना चाहते हैं, तो टमाटर को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। टमाटर विटामिन-सी से भरपूर होता है। आज हम आपको एक यूनिक डिश बताने जा रहे हैं, जिसे खाकर आपको बहुत मजा आएगा। इस डिश का नाम है फ्राइड टोमैटो सलाद-
सामग्री :
6 टमाटर
1 टीस्पून काली मिर्च पाउडर
1 टीस्पून चाट मसाला
1 टेबलस्पून नींबू का रस
1 टेबलस्पून हरा धनिया
1 टेबलस्पून ऑलिव ऑयल
नमक स्वादानुसार
विधि :
सबसे पहले सभी टमाटर को बीच से काटकर पीस कर लें।
मीडियम आंच पर पैन में तेल डालकर गरम करने के लिए रख दें।
इसमें टमाटर डालकर फ्राई करें।
फिर काली मिर्च पाउडर, चाट मसाला और नमक मिला लें।
तैयार है फ्राइड टोमैटो सलाद
नींबू का रस और हरा धनिया डालकर सर्व करें।
खाना खजाना /शौर्यपथ / गर्मियों के शुरू होते ही लंच हो या डिनर भोजन के साथ रायते खाने का मन हर किसी का करता है। आपने भी भोजन के साथ परोसने के लिए आज तक कई तरह के रायते बनाए होंगे, पर क्या आपने कभी अपनी किचन में मेथी का रायता ट्राई किया है। जी हां मेथी का रायता सेहत में फायदेमंद होने के साथ-साथ स्वाद में भी बेहद लाजवाब होता है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं कैसे बनाया जाता है यह टेस्टी रायता।
मेथी रायता बनाने के लिए सामग्री-
-1/2 कप मेथी के पत्ते
-1 कप दही
-1 टी स्पून लहसुन कटा हुआ
-1 हरी मिर्च कटी हुई
-1/2 टी स्पून जीरा
-स्वादानुसार काला नमक
-तड़के के लिए तेल
-गार्निश करने के लिए चाट मसाला
मेथी रायता बनाने की विधि-
मेथी रायता बनाने के लिए सबसे पहले कढ़ाई में तेल गर्म करके उसमें जीरा और लहसुन डालकर भून लें।जब लहसुन की कच्ची महक हट जाए तो कढ़ाई में मेथी के पत्ते डालकर तेज आंच पर एक मिनट के लिए और पकाएं। इसके बाद इसमें हरी मिर्च डालकर आंच बंद कर दें। इसे थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। अब दही में थोड़ा सा नमक डालकर उसे अच्छी तरह फेंट लें। जब दही थोड़ा पतला हो जाए तो इसमें मेथी लहसुन मिश्रण डालकर अच्छी तरह मिला लें। अब रायते में थोड़ा सा चाट मसाला डालकर गार्निश करें।
आस्था /शौर्यपथ / जो कोई वास्तुशास्त्री यह कहता है कि मंदिर के पास नहीं रहना चाहिए उसे यह भी समझना होगा कि तीर्थ स्थलों में असंख्य मंदिर होते हैं और वहां के घर या मकान सभी किसी न किसी मंदिर के पास ही होते हैं। उन सभी लोगों का जीवन बुरा नहीं है बल्कि सामान्य जीवन की तरह ही चल रहा है। इससे यह सिद्ध होता है कि मंदिर के पास रहना बुरा नहीं है।
मंदिर के पास आध्यात्मिक वातावरण रहने के कारण मन और चित्त में निर्मलता बनी रहती है। दरअसल, मंदिर के पास आपका घर होने से आपके भीतर आध्यात्मिक बल बढ़ेगा और यह आपको हर संकट से बचाएगा। घर मंदिर के पास हो तो डरने की जरूरत नहीं, बल्कि मंदिर के पास ही घर बनाना चाहिए। बस, घर बनाते वक्त किसी वास्तुशास्त्री से मिलकर यह जान लें कि घर मंदिर के किस दिशा में बनाएं, कितनी दूरी पर बनाएं या यदि कोई छाया वेध हो रहा है तो उसका क्या समाधान है? यह जान लें।
1. मंदिर के पास रहने का आपको सिर्फ एक ही नुकसान हो सकता और वह यह कि आपको दिनभर मंदिर की गतिविधियों का सामना करना होगा। यदि आप शांतिप्रिय हैं तो मंदिर की घंटियों को अपने लिए शांति का साधन बना सकते हैं या अशांति की, यह आपके दिमाग पर निर्भर करता है। अक्सर लोग यह तर्क देते हैं कि धार्मिक स्थानों के आसपास रहने वाले वहां बजने वाली घंटी, शंख, ध्वनि विस्तारक यंत्र, शोरगुल, भीड़ इत्यादि के कारण परेशान रहते हैं।
2. कहते हैं कि प्रात:काल मंदिर की 'छाया' भवन पर पड़ना 'शुभ नहीं' होता है। ऐसा भवन देवताओं की कृपा से वंचित रह जाता है। दरअसल, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण को जानना जरूरी है। मंदिर ही नहीं, कोई भी यदि बड़ा भवन है और उसकी छाया प्रात:काल आपके भवन पर पड़ रही है तो आप सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने से वंचित रह जाएंगे।
3. मंदिर ही नहीं, घर पर किसी वृक्ष, भवन, ध्वजा, पहाड़ी, स्तूप, खंभे आदि की छाया 2 पहर से ज्यादा लगभग 6 घंटे मकान पर पड़ती है तो वास्तुशास्त्र में उसे छाया वेध कहते हैं। अत: अगर मंदिर की ध्वजा की ऊंचाई से दो गुनी जगह छोड़कर घर बना हो तो दोष नहीं लगता। यहां यह जानना जरूरी है कि सिर्फ मंदिर के कारण दोष उत्पन्न नहीं होता, बल्कि आपके घर के पास बने ऊंचे भवनों की दिशा के कारण भी दोष होता है।
4. अत: मंदिर के पास घर का होना अशुभ नहीं है बल्कि यह तय होना चाहिए कि मंदिर की किस दिशा में आपका घर है और कितनी दूरी पर है? यह भी कहा जाता है कि शिवजी के मंदिर से लगभग 750 मीटर की दूरी में निवास हो तो कष्ट होता है। विष्णु मंदिर के 30 फीट के घेरे में मकान हो तो अमंगल होता है। देवी मंदिर के 180 मीटर में घर हो तो रोगों से पीड़ा होती है और हनुमानजी के मंदिर से 120 मीटर में निवास होने पर तो दोष होता है। इसका भी वास्तुशास्त्री समाधान बताते हैं कि फिर कितनी पास या दूर रहना चाहिए? यह निर्भर करता है मंदिर की ऊंचाई और चौड़ाई पर।
5. समरांगन वास्तुशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार भवन की किसी भी दिशा में 300 कदम की दूरी पर स्थित शिव मंदिर के प्रभाव अशुभ होते हैं। भवन के बाईं ओर स्थित दुर्गा, गायत्री, लक्ष्मी या किसी अन्य देवी का मंदिर अशुभ होता है। भवन के पृष्ठ भाग में भगवान विष्णु या उनके किसी अवतार का मंदिर होना भी गंभीर वास्तुदोष होता है। रुद्रावतार भगवान हनुमानजी का मंदिर भी शिव मंदिर की तरह वास्तु दोषकारक होता है। भगवान भैरव, नाग देवता, सती माता, शीतलामाता आदि के मंदिर यदि भूमि और गृहस्वामी के कद से कुछ छोटे हों, तो उनका वास्तुदोष नहीं होता।
6. घर की जिस दिशा में शिव मंदिर हो, उस दिशा की ओर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है। लेकिन यदि शिव मंदिर घर के ठीक सामने हो, तो घर की मुख्य दहलीज में तांबे का सर्प गाड़ देना चाहिए।
7. घर की जिस दिशा में शिव मंदिर हो, उस दिशा की ओर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है।
8. यदि शिव मंदिर घर के ठीक सामने हो, तो घर की मुख्य दहलीज में तांबे का सर्प गाड़ देना चाहिए।
9. यदि भगवान भैरवनाथ का मंदिर यदि ठीक सामने हो तो कौवों को अपने मुख्य द्वार पर रोज रोटी खिलानी चाहिए।
10. यदि किसी देवी मंदिर के कारण उत्पन्न वास्तुदोष है तो उस देवी के अस्त्र के प्रतीक की स्थापना प्रमुख द्वार पर करनी चाहिए अथवा उसका चित्र लगाया जा सकता है। यदि देवी प्रतिमा अस्त्रहीन हो, तो देवी के वाहन का प्रतीक द्वार पर लगाएं।
11. भगवती लक्ष्मी का मंदिर हो, तो द्वार पर कमल का चित्र बनाएं या भगवान विष्णु का चित्र लगाकर उन्हें नित्य कमल गट्टे की माला पहनाएं।
12. यदि मंदिर भगवान विष्णु का हो, तो भवन के ईशान कोण में चांदी या तांबे के आधार पर दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना कर उसमें नियमित जल भरना व उसका पूजन करना चाहिए। यदि प्रतिमा चतुर्भुज की हो, तो मुख्य द्वार पर गृहस्वामी के अंगूठे के बराबर पीतल की गदा भी लगानी चाहिए।
13. यदि भगवान विष्णु के अवतार राम का मंदिर हो, तो घर के मुख्य द्वार पर तीरविहीन धनुष का दिव्य चित्र बनाना चाहिए।
14. भगवान कृष्ण का मंदिर हो, तो ऐसी स्थिति में एक गोलाकार चुंबक को सुदर्शन चक्र के रूप में प्रतिष्ठित करके स्थापित करना चाहिए।
15. यदि किसी अन्य अवतार का मंदिर हो, तो मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाना चाहिए। पंचमुखी हनुमान का एक अच्छा-सा चित्र सभी तरह के वास्तु का शमन कर देता है।
शौर्यपथ / चमेली को संस्कृत में सौमनस्यायनी, जनेष्टा, जाति, सुमना, चेतिका, हृद्यगन्धा, राजपुत्रिका कहते हैं और अंग्रेजी में जैस्मिन कहते हैं। चमेली तो आमतौर पर सभी जगह पाई जाती है। इसका पौधा 10 से 15 फुट की ऊंचाई तक पहुंच जाता है। इसके सफेद रंग फूल मार्च से जून माह के बीच खिलते हैं। इसे घर के आसपास कहीं भी लगाया जा सकता है। हिमालय का दक्षिणावर्ती प्रदेश चमेली का मूल स्थान है।
चमेली मुख्यत: दो प्रकार की होती है। जैस्मिन ग्रैंडिफ्लोरम लिन्न और जैस्मिन हुमाइल लिन्न फ्लावर (स्वर्णयूथिका)। इसके और उप प्रकार होते हैं। जैस्मिन ग्रैंडिफ्लोरम के फूल सफेद होते हैं। जैस्मिन हुमाइल लिन्न के फूल पीले सुंगन्धित होते हैं। यहां चमेली के फायदे की जनकारी। चमेली की बेल होती है और पौधा भी। इसकी कली लंबी डंडी की होती है और फूल सफेद रंग के होते हैं।
1. चमेली का उपयोग इत्र, सेंट, परफ्यूम, साबुद, क्रीम, तेल, शैम्पू आदि बनाने में करते हैं।
2. इसके फूल आंगन में सुबह सुबह बिछ जाते हैं तो घर और परिवार भी खुशियों से भर जाता है।
3. यह फूल भी चमत्कारिक और अद्भुत है। इसके घर आंगन में होने से आपके विचार और भाव में धीरे-धीरे बदलाव होने लगेगा। आपकी सोच सकारात्मक होने लगेगी।
4. चमेली फूल के कई औषधिय गुण होते हैं। इसका तेल भी बनता है। यह चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए बहुत ही उपयोगी होता है।
5. चमेली के फूलों की खुशबू से दिमाग की गर्मी दूर होती है। सिर दर्द में चमेली के पत्ते के इस्तेमाल से लाभ मिलता है।
6. कान में अगर दर्द हो और कान से मवाद निकलती हो तो चमेली के पत्तों का उपयोग किया जाता है।
7. मुंह के रोग, मुंह की दुर्गंध और छाले में भी चमेली के पत्तों के रस का उपयोग किया जाता है। चमेली के और भी कई सारे औषधि गुण भी है।
8. हनुमानजी को चमेली का तेल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। हनुमानजी को हर मंगलवार या शनिवार सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करना चाहिए। नियमित रूप से हनुमानजी को धूप-अगरबत्ती लगाना चाहिए। हार-फूल अर्पित करना चाहिए। हनुमानजी को चमेली के तेल का दीपक नहीं लगाया जाता बल्कि तेल उनके शरीर पर लगाया जाता है। ऐसा करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
9. चमेली का रस पीने से वात और कफ में काफी आराम मिलता है। यह शरीर को चुस्त-दुरुस्त और मन को प्रसन्न रखती है।
10. चर्म
रोग में भी चमेली लाभदायक होती है।
धर्म संसार /शौर्यपथ /14 मार्च 2021, रविवार से खरमास लग रहा है। खरमास में खास तौर पर भगवान सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करने का महत्व है। इसके साथ ही धार्मिक तीर्थस्थलों पर स्नान एवं दान आदि करने का भी विशेष महत्व पुराणों में बताया गया है। इस मास में आने वाली सभी तिथियों पर अलग-अलग चीजों का दान करने से जीवन की सभी परेशानियों तथा समस्त कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानें खरमास में हर दिन की तिथि के अनुसार किन चीजों का दान करना चाहिए। अवश्य पढ़ें-
खरमास की तिथियां एवं दान करने की चीजें -
प्रतिपदा (एकम, पड़वा, प्रथम तिथि) के दिन घी से भरा चांदी का पात्र दान करें, इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी।
द्वितीया के दिन कांसे के पात्र में सोना रखकर दान करें, आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
तृतीया तिथि के दिन चने का दान करने से जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
चतुर्थी तिथि के दिन खारक का दान करने से लाभ प्राप्त होता है।
पंचमी तिथि के दिन को गुड़ का दान करने से चारों तरफ से मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
षष्ठी तिथि के दिन औषधि का दान देने से रोग, विकार दूर होते हैं।
सप्तमी तिथि के दिन लाल चंदन के दान से बल मिलता है और बुद्धि बढ़ती है।
अष्टमी तिथि के दिन रक्त चंदन का दान करने से पराक्रम बढ़ता है।
नवमी तिथि के दिन केसर का दान करें, आपका भाग्योदय होगा।
दशमी तिथि के दिन कस्तूरी का दान करें, इससे मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।
एकादशी तिथि के दिन गोरोचन के दान से बुद्धि बढ़ती है।
द्वादशी तिथि के दिन शंख का दान करने से धन में वृद्धि होती है तथा धन लाभ मिलता है।
त्रयोदशी तिथि के दिन किसी मंदिर में घंटी का दान करने से पारिवारिक सुख मिलता है।
चतुर्दशी तिथि के दिन सफेद मोती दान करने से मनोविकार दूर होते हैं।
पूर्णिमा तिथि के दिन रत्न का दान करना चाहिए इससे जातक को अपार धन की प्राप्ति होती है।
अमावस्या तिथि के दिन आटा दान अवश्य करना चाहिए, इससे सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी।
जो मनुष्य के खरमास के दिनों में तथा इसके अलावा भी उपरोक्त तिथियों पर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट नष्ट होते हैं तथा वह सुखमयी जीवन व्यतीत करता है।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / धूप में जाने से अगर आपकी त्वचा झुलस गई है या ग्लो चला गया है, तो इसके लिए आपको कोई महंगी क्रीम लेने की जरुरत नहीं है। आप नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करके भी स्किन टेनिंग से मुक्ति पा सकते हैं। आइए, जानते हैं कैसे पाएं टेनिंग से मुक्ति-
टमाटर
टमाटर को मैश कर लें और इस पेस्ट को चेहरे पर अच्छे से लगाएं। इसें 15 मिनट तक ऐसे ही लगे रहने दें और फिर पानी से धो लें। इस तरीके को हफ्ते में दो बार दोहराएं। ये स्किन से टैनिंग को दूर कर उसे ब्राइटर और ग्लोइंग बनाएंगा।
बेसन
थोड़े से बेसन में चुटकी भर हल्दी मिला लें। एक बर्तन लें और उसमें तीन छोटे चम्मच बेसन, एक चम्मच ओलिव ऑयल और नींबू का रस मिलाएं। इसमें चुटकी भर हल्दी भी मिला लें। इन सब को अच्छे से मिलाएं और चेहरे पर लगाएं। इसे 15 मिनट तक लगा रहने दें और फिर कम गर्म पानी से धो लें। ऐसा हफ्ते में दो बार करें।
शहद
एक छोटे चम्मच शहद में दो चम्मच दही मिलाएं। इन्हें अच्छे से मिलाकर चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। अब कम गर्म पानी से चेहरा धो लें। बेहतर रिजल्ट के लिए ऐसा रोजाना करें।
एलोवेरा जेल
सोने से पहले एलोवेरा को स्किन पर जरूर लगाएं। इसकी पतली लेयर को चेहरे पर लाएं और अगली सुबह धोएं। बेहतर रिजल्ट के लिए ऐसा रोजाना करें।
खीरा
खीरे को अच्छे से ब्लैंड कर लें और इसके जूस को दूध में मिला लें। इसके पेस्ट को चेहरे और हाथों पर लगाएं। इसे 15 से 20 मिनट तक लगा रहने दें और धो लें। ऐसा दिन में दो बार करें और जल्द ही बेहतर रिजल्ट पाएं।
खाना खजाना /शौर्यपथ /चटनी खाने के स्वाद को दुगुना कर देती है। खासतौर पर अगर सब्जी अच्छी नहीं बनी है, तो आप स्वादिष्ट चटनी से रोटी खा सकते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं नारियल और दही की चटनी। आइए, जानते हैं रेसिपी-
सामग्री :
1/2 कप नारियल (कद्दूकस किया हुआ)
4 टेबलस्पून भुनी हुई चने की दाल
4 टेबलस्पून दही
1/2 इंच अदरक
2 हरी मिर्च
10-12 करी पत्ता
1 टीस्पून राई
1 चुटकी हींग
नमक स्वदानुसार
तेल जरूरत के अनुसार
पानी जरूरत के अनुसार
विधि :
सबसे पहले एक बर्तन में दही को अच्छी तरह से फेंट लें।
अब ग्राइंडर जार में नारियल, चना दाल, अदरक, हरी मिर्च, नमक और पानी डालकर पेस्ट बना लें।
चटनी को दही में डालकर अच्छी तरह से फेंट लें।
मीडियम आंच पर पैन में तेल डालकर गर्म करने के लिए रखें।
इसमें राई, करी पत्ता और हींग डालकर हल्का भून लें।
तड़के के भुनने के बाद इसे चटनी के ऊपर डाल दें।
तैयार है नारियल-दही की चटनी। डोसा, इडली आदि के साथ सर्व कर इसका लुत्फ उठाएं।
आस्था /शौर्यपथ / शनिवार का ग्रह शनि ग्रह है। शनिवार की प्रकृति दारुण है। यह भगवान भैरव और शनि का दिन है। शनि हमारे जीवन में अच्छे कर्म का पुरस्कार और बुरे कर्म के दंड देने वाले हैं। कहते हैं कि जिसका शनि अच्छा होता है वह राजपद या राजसुख पाता है। यदि कुंडली में शनि की स्थिति निम्निलिखित अनुसार है तो शनिवारका व्रत करना चाहिए। आओ जानते हैं कि किसे शनिवार का व्रत रखना चाहिए।
1. यदि आपकी राशि मकर और कुंभ है तो आपको शनिवार का उपवास करना चाहिए।
2. यह ग्रह तुला में उच्च और मेष में नीच का होता है। यदि आपका शनि नीच का है तो आपको भी शनिवार का उपवास करना चाहिए।
3. यदि आपकी कुंडली में शनि सातवें भाव या ग्यारहवें भाव में या शनि मकर, कुंभ और तुला में है तो कोई बाद नहीं परंतु इसके अलावा किसी भाव में है तो शनिवार का उपवास करना चाहिए।
4. शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षति ग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। यदि ऐसा है तो आपको शनिवार का उपवास करना चाहिए।
5 . अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है। समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी है तो आपको शनिवार के उपवास करना चाहिए।
6. यदि आपको लगाता है कि शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है तो भी आपको शनिवार का उपवास करना चाहिए।
7. यदि कुंडली में किसी भी प्रकार से पितृदोष है तो भी आपको शनिवार का उपवास करना चाहिए।
8. यदि आप बुरा कार्य और बुरे कर्म करते हैं और अब सुधरना चाहते हैं तो आपको शनिवार के उपाय के साथ ही शनिवार का व्रत रखना चाहिए।
9. शनि यदि कुंडली में सूर्य या केतु के साथ स्थिति है तो भी आपको शनिवार के उपवास करना चाहिए।
10. यदि आप जीवन में किसी तरह से भी मृत्यु तुल्य कष्ट नहीं चाहते हैं तो उपाय के सात ही शनिवार का व्रत रखना चाहिए।
शनि को यह पसंद नहीं : शनि को पसंद नहीं है जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दाँतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना। शनि के मूल मंदिर जाने से पूर्व उक्त बातों पर प्रतिबंध लगाएं।
उपाय : सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें। शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ, और जूता दान देना चाहिए। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावे। छायादान करें, अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसो का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापो की क्षमा मांगते हुए रख आएं। दांत साफ रखें। अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।
सावधानी : कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें। उपरोक्त उपाय भी लाल किताब के जानकार व्यक्ति से पूछकर ही करें।
सेहत /शौर्यपथ /हमारे घर में रखी वस्तुएं हमारे जीवन पर, सेहत पर और मानसिक स्थिति पर बहुत गहरा असर डालती है। वास्तु अनुसार घर में कई तरह की नकारात्मक वस्तुएं होती है जिसका हमें पता ही चलता है। ऐसी वस्तुओं को घर से बाहर निकाल देना चाहिए या उन्हें उचित स्थान पर रखना चाहिए। आओ जानते हैं ऐसी ही 10 तरह की वस्तुओं के नाम जिनसे घर का वातावरण हो जाता है विशैला।
1. दवाइयां : घर में एंटीबॉयोटिक दवा या दवाइयों के लिए उचित स्थान होना चाहिए। हर कहीं दवाइयां बिखरी पड़ी नहीं रहना चाहिए। इससे आपके दिमाग में नेगेटिव बनी रहती है और इससे वातारवण भी अशुद्ध रहता है। ऐसा लगता है जैसे बीमार लोगों का घर है।
2. एसिड की बोतल : कई बार लोग टॉयलेट या वॉशरूम साफ करने के लिए एसिड की बोतल खरीदकर लाते हैं। यह बहुत ही हानिकारक वस्तु है। यदि आपको यह जांचना ही कि यह कितनी खराब है तो आप इस बोतल को तुलसी के पौधे या अन्य किसी पौधे के पास रख कर देख लें। 10 से 15 दिन में फर्क पता चल जाएगा। यह बोतल जहां भी रखी रहती है वहां के आसपास का वातावरण खराब कर देती है।
3. टॉयलेट क्लिनर शोप : यह भी एसिड की बोतल जैसा ही असर करता है। इसे भी टॉयलेट में उचित स्थान पर ही दूर रखा रहना चाहिए।
4. फिनॉयल की बोतल : यह भी एसिड की बोतल जैसा ही असर करता है। इसे भी उचित स्थान पर ही दूर रखा रहना चाहिए।
5. कीटनाशक : किसान घरों में कीटनाशक खाद या दवाइयां होती हैं जो कि बहुत ही खतरनाक होती है। इन्हें भी उचित स्थान पर ही रखें।
6. जहरीले रसायन : कई घरों में मच्छर मारने, चूहा मारने और अन्य तरह के कीड़े मकोड़े मारने की जहरीली दवाएं होती हैं। इन्हें अच्छे से पैक करके उचित स्थान पर ही रखना चाहिए।
7. अधिक बल्ब : कई घरों में अधिक रोशनी के लिए ढेर साले बल्ब लगा दिए जाते हैं। प्रकाश की अधिकता के चलते भी आंखों के अलावा भी मस्तिष्क को बहुत नुकसान होता है।
8. एयर फ्रेशनर : कार या घर में भीनी भीनी सुगंध फैलाने के लिए रूम फ्रेशनर या एयर फ्रेशनर का उपयोग किया जाता है। यदि एयर फ्रेशनर किसी रसायन से बने हैं तो यह बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक सिद्ध हो सकते हैं।
9: प्लास्टिक का सामान : आजकल प्लास्टिक का प्रचलन बढ़ गया है। आटे का डब्बा, रोटी का डब्बा, चम्मच, चाय का डब्बा, पानी की बोतल, मसाले आदि के छोटे-छोटे डब्बे आदि कई सामान प्लास्टिक के आने लगे हैं। प्लास्टिक की थेलियां भी बहुत से घरों में इकट्ठी करके रखी जाती है। घर में यदि प्लास्टिक है तो यह उर्जा का कुचालक होता है। आपके घर का वातावरण बदल जाएगा और इससे आपके भीतर का उत्साह समाप्त होकर निराशा में बदल जाएगा। यह संकट को आमंत्रित करने का अच्छा साधन है। वैज्ञानिक कहते हैं कि प्लास्टिक कैंसर का भी कारण बन सकता है।
10. नॉन स्टिक पॉटरी : इसमें तेल की बचत होती है परंतु इस पर कैमिकल की कोटिंन होती है जो सेहत के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है।
इसके अलावा घर में ऐसी कई हानिकारक वस्तुएं होती है जिसके घर में रखें होने से घर का वातावरण विशैला बन जाता है। यह स्थूल रूप से दिखाई नहीं देता लेकिन हवा का गुण धर्म इससे बदल जाता है। ऐसे कई वस्तुएं हैं जो हमारे आसपास बिखरी पड़ी रहती है। सभी तरह की हानिकारक वस्तुओं के लिए एक स्थान नियुक्त होना चाहिए और वह भी ऐसा जहां वे सुरक्षित रखी हों। ऐसी वस्तुओं के लिए अलग से लकड़ी या लोहे का एक बॉक्स बनवाएं और उसमें रखें जो किचन और बेडरूम से दूर हो।
धर्म संसार /शौर्यपथ / हिंदू धर्मशास्त्रों में शनि अमावस्या का दिन बड़ा ही पवित्र माना गया है। अत: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है। वर्ष 2021 में यह तिथि शनिवार, 13 मार्च 2021 को पड़ रही है। इस दिन यूं तो तेल में बनी सामग्री शनिदेव को अर्पित की जाती है। शनिवार के दिन अमावस्या होने के कारण शनैश्चरी अमावस्या का योग बन रहा है।
फाल्गुन अमावस्या पूजन के मुहूर्त-
शुक्रवार 12 मार्च, 2021 को 15:04:32 से अमावस्या आरंभ होगी तथा शनिवार, 13 मार्च, 2021 को 15:52:49 पर अमावस्या समाप्त होगी।
शनिवार, शनि अमावस्या, शनि प्रदोष ऐसे अवसर हैं जब शनि महाराज को प्रसन्न किया जा सकता है। सामान्य समय में शनि की शुभता के लिए यह 10 उपाय किए जा सकते हैं। आइए जानें 10 सरलतम उपाय-
1. दोनों समय भोजन में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें।
2. शनिवार के दिन बंदरों को भुने हुए चने खिलाएं और मीठी रोटी पर तेल लगाकर काले कुत्ते को खाने को दें।
3. यदि शनि की अशुभ दशा चल रही हो तो मांस-मदिरा का सेवन न करें।
4. प्रतिदिन पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
5. घर के किसी अंधेरे भाग में किसी लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें तांबे का सिक्का डालकर रखें।
6. शनि ढैया के शमन के लिए शुक्रवार की रात्रि में 8 सौ ग्राम काले तिल पानी में भिगो दें और शनिवार को प्रातः उन्हें पीसकर एवं गुड़ में मिलाकर 8 लड्डू बनाएं और किसी काले घोड़े को खिला दें। आठ शनिवार तक यह प्रयोग करें।
7. शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करें। पहली रोटी उसे खिलाएं, सिंदूर का तिलक लगाएं, सींग में मौली (कलावा या रक्षासूत्र) बांधे और फिर मोतीचूर के लड्डू खिलाकर उसके चरण स्पर्श करें।
8. प्रत्येक शनिवार को वट और पीपल वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पूर्व कड़वे तेल का दीपक जलाकर शुद्ध कच्चा दूध एवं धूप अर्पित करें।
9. शनिवार को ही अपने हाथ के नाप का 29 हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको मांझकर(मसलकर) माला की तरह गले में पहनें।
10. यदि शनि की साढ़ेसाती से ग्रस्त हैं तो शनिवार को अंधेरा होने के बाद पीपल पर मीठा जल अर्पित कर सरसों के तेल का दीपक और अगरबत्ती लगाएं और वहीं बैठकर क्रमशः हनुमान, भैरव और शनि चालीसा का पाठ करें और पीपल की सात परिक्रमा करें।
शौर्यपथ / प्रतिवर्ष मार्च माह के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस (डब्ल्यूकेडी) मनाया जाता है। वर्ष 2021 में यह दिन 11 मार्च, गुरुवार को मनाया जा रहा है। यह विश्वभर में किडनी रोग और उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव को कम करने और उसके बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस दिन की शुरुआत की गई। किडनी से जुड़ी बीमारियों की अगर समय रहते पहचान नहीं की गई तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।
किडनी हमारे शरीर का वह अंग है जो गंदगी बाहर निकालने का काम करती हैं। दोनों किडनियों में छोटे-छोटे लाखों फिल्टर होते हैं जिन्हें नेफरोंस कहते हैं। नेरोफेंस हमारे खून को साफ करने का काम करते हैं। किडनी में किसी प्रकार की समस्या होने पर शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते जिससे कई रोग पैदा हो सकते है।
इन रोगों से बचने के लिए आइए, जानते हैं 7 ऐसे लक्षण जो किडनी के खराब होने का संकेत देते हैं -
1 युरिनरी फंक्शन में बदलाव : सबसे पहला लक्षण जो उभर कर आता है वह है युरिनरी फंक्शन में बदलाव। किडनी में किसी प्रकार की समस्या के चलते पेशाब के रंग, मात्रा और कितने बार पेशाब आती है, इन चीजों में बदलाव आने लगते है।
2 शरीर में सूजन आना : जब किडनियों की कार्यप्रणाली में कोई दिक्कत आती है तो शरीर से बाहर न निकलने वाली गंदगी और तरल पदार्थ समस्याएं उत्पन्न करते हैं। जिनसे शरीर में सूजन आ जाती है। यह सूजन हाथों, पैरों, जोड़ों, चेहरे और आंखों के नीचे हो सकती है। अगर आप अपनी त्वचा को उंगली से दबाएं और डिम्पल थोड़ी देर तक बने रहें तो डॉक्टर के पास जाने में देर न करें।
3 चक्कर आना और कमजोरी : जब किडनियों की कार्यप्रणाली में अवरोध होता है, तो आपको चक्कर आने की अशंका बढ़ जाती है। पूरे समय आप थकावट महसूस करते हैं और कमजोरी का एहसास होता है। ये लक्षण खून की कमी और गंदगी के शरीर में जमा होने से उत्पन्न हो सकते हैं।
4 पीठ दर्द का कारण न समझ पाना : आपकी पीठ और पेट के किनारों में बिना वजह दर्द महसूस होना, किडनी में इंफेक्शन या किडनी संबंधी बिमारियों के लक्षण हो सकते हैं।
5 स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना : अचानक त्वचा का फटना, रेशेज होना, अजीब लगना और बहुत ज्यादा खुजली महसूस होना शरीर की गंदगी के एकत्रित होने के परिणाम हो सकते हैं। किडनी के निष्प्रभावी हो जाने से शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस की मात्रा प्रभावित होती है, जिससे अचानक से बहुत ज्यादा खुजली होने लगती है। आमतौर पर स्वस्थ त्वचा भी फटने लगती है, खुरदुरी हो जाती है और खुजली होती है।
6 उल्टियां आना : किडनी से जुड़ी समस्याओं के परिणामस्वरूप उल्टी आने जैसे लक्षण आम बात हो जाते हैं। इसके अलावा गैस से जुड़ी समस्याएं हर सुबह सामने आती हैं। अगर आप उल्टी के दवाईयां लेने के बाद भी समस्या को जस की तस पाएं तो फौरन डॉक्टर से पूरा चेकअप करवाएं ।
7 ठंड लगना : अच्छे मौसम के बावजूद अजीब-सी ठंड लगना और कभी-कभी ठंड लगकर बुखार भी आ जाना भी इसके लक्षणों में शामिल है। आपके तापमान अधिक होने पर भी ठंड का एहसास हो तो डॉक्टर की सलाह बेहद जरूरी है।
Herbal Tea
सेहतमंद रहने के लिए शरीर का अंदर से साफ और मजबूत होना बेहद जरूरी है। हमारी किडनी शरीर को अंदर साफ रखती है। लेकिन हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम भी उसका ध्यान रखें और उसे समय-समय पर डिटॉक्स करते रहें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कुछ हर्बल चाय के बारे में जिसका नियमित सेवन कर आप अपने लिवर और किडनी को डिटॉक्स कर सकते हैं।
गुड़हल की यह चाय आपके लिवर को स्वस्थ व सुरक्षित रखती है और अवांछित तत्वों को बाहर करने में मदद करती है। इसका नियमित सेवन आपको लिवर संबंधी बीमारियों से दूर रखता है।
दालचीनी की चाय किडनी और लिवर को साफ यानी डिटॉक्स करने के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इससे आप अपनी सुबह की शुरुआत कर सकते हैं।
चुकंदर की चाय एक बेहतरीन किडनी क्लींजर है और यह आपके लिवर के स्वास्थ्य को भी बेहतर करेगा। चुकंदर का रस एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो फ्री रेडिकल्स को दूर करता है। यह गुर्दे की पथरी को बाहर निकालने में भी मदद करता है।
औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन न सिर्फ किडनी को डिटॉक्स करने में मदद करता है, बल्कि इससे सूजन की समस्या भी दूर होती है। वहीं हल्दी ब्लडप्रेशर को कम करती है, जो गुर्दे की बीमारी का दूसरा प्रमुख कारण है।
यही नहीं, यह किडनी के कार्य को भी बेहतर करती है। लेकिन गर्मी में हल्दी की चाय शरीर में ज्यादा गर्मी कर सकती है, ऐसे में गर्मी के मौसम में इसका सेवन न करना ही ठीक माना जाता है।