April 25, 2025
Hindi Hindi

भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई इस्पात संयंत्र के ब्लास्ट फर्नेस बिरादरी ने अपने धमाकेदार परफॉरमेंस को जारी रखते हुए पहली बार 19030 टन हॉट मेटल का उत्पादन कर सेल स्तरीय नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इससे पूर्व 2 मार्च, 2021 को 18,540 टन हॉट मेटल का उत्पादन कर एक नया सेल स्तरीय कीर्तिमान रचने में कामयाबी हासिल की थी। जिसे 4 मार्च, 2021 को 19,030 टन हॉट मेटल का उत्पादन कर पुन: एक नया सेल स्तरीय कीर्तिमान रचने में कामयाबी हासिल की। विदित हो कि सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के ब्लास्ट फर्नेस बिरादरी ने अपने उत्कृष्ट निष्पादन के कीर्तिमान को नई ऊंचाई देते हुए इस वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही में पांचवी बार 18000 टन से अधिक हॉट मेटल का उत्पादन किया है। शानदार प्रदर्शन के लिए सेल व संयंत्र प्रबंधन के कार्यपालकों व वरिष्ठ अधिकारीगणों ने भिलाई बिरादरी को विशेष रूप से बधाई दी। इस बेहतरीन निष्पादन के लिए निदेशक प्रभारी सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र श्री अनिर्बान दासगुप्ता ने ब्लास्ट फर्नेस टीम व उनके सहयोगी विभागों के कार्मिकों व अधिकारियों को बधाई देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले दिनों में हॉट मेटल उत्पादन में यह वृद्धि जारी रहेगी। हमें और कई कीर्तिमान देखने को मिलेंगे।
इस महत्वपूर्ण कीर्तिमान के लिए ब्लास्ट फर्नेस की पूरी टीम और उनसे जुड़ी शॉप्स और विभागों के लोगों को बधाई देते हुए, ईडी (वक्र्स) श्री राजीव सहगल, ने विश्वास व्यक्त किया कि जब प्रत्येक व्यक्ति समग्र लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हो जाए तो पूरी टीम अपने इनोवेटिव प्रयासों के साथ तेजी से सफलता की ओर आगे बढ़ती है। एक सफल टीम वर्क के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक सदस्य उसे दिए गये टारगेट को सफलतापूर्वक पूर्ण करे। आज भिलाई की टीम ने पुन: अपनी उत्कृष्टता सिद्ध की है। यह विशेष अवसर है जब टीम भिलाई ने एक महत्वपूर्ण मिल का पत्थर पार करते हुए अपने कार्य-कुशलता व समग्र कार्यक्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया है। प्रत्येक उपलब्धि हमें नये उपलब्धि हेतु प्रेरित करती है। आने वाले दिनों में कई और मील के पत्थर पार किए जायेंगे और टीम भिलाई उम्मीदों को पूरा करने में सक्षम होगी। भिलाई इस्पात संयंत्र ने हमेशा ही एक टीम की तरह आगे बढ़ा है और ये टीमवर्क ही भिलाई की ताकत है।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष में सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के प्रदर्शन का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा है। 14 जनवरी 2021 को, जब प्लांट ने 18,208 टन का हॉट मेटल उत्पादन दर्ज किया, तो 14 अगस्त 2010 को बनाए गए 18,182 टन के दस साल पुराने रिकॉर्ड को तोडऩे में कामयाबी हासिल की और सेल में एक नया बेंचमार्क स्थापित किया था। इसी क्रम में 17 फरवरी 2021 को ब्लास्ट फर्नेस ने 18,287 टन के एक नए उच्चतम रिकॉर्ड के साथ अपने प्रदर्शन के ग्राफ को ऊंचा उठाने में सफल हुआ है। इसी प्रकार सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के ब्लास्ट फर्नेसों ने एक बार फिर 28 फरवरी 2021 को 18,320 टन हॉट मेटल तथा 2 मार्च, 2021 को 18,540 टन हॉट मेटल उत्पादन कर एक नया दैनिक रिकॉर्ड कायम किया। उल्लेखनीय है कि सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र हॉट मेटल के निष्पादन में नित नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

खाना खजाना /शौर्यपथ /100 ग्राम साबूदाना, 500 ग्राम आलू, 50 ग्राम राजगिरा आटा, 100 ग्राम मोरधन आटा, 1 टुकड़ा अदरक, 5-7 हरी मिर्च, तेल 200 ग्राम, नमक स्वादानुसार।
फिलिंग्स की सामग्री :
खोपरा बूरा, 50 ग्राम मूंगफली दाने सिकें हुए, 8-10 काजू की कतरन, किशमिश, 1/2 चम्मच चारोली, 2-3 हरी मिर्च, 1/2 चम्मच लाल मिर्च, हरा धनिया, 1 नीबू का रस।
विधि :
सबसे पहले साबूदाने को गला दें। आलू को उबाल कर छील लें। अब आलू को मसल कर उसमें भीगा हुआ साबूदाना, मोरधन और राजगिरे का आटा, नमक, पिसी अदरक-मिर्च का पेस्ट डालकर आटे की तरह गूंथ कर मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण की बड़ी-बड़ी लोई बना लें।
भरावन तैयार करने के लिए मूंगफली के दाने दरदरे पिस लें। उसमें खोपरा बूरा, बारीक कटी हरी मिर्च, काजू की कतरन डालें और किशमिश, चारोली, नीबू का रस, हरा धनिया और नमक डालकर मिक्स कर लें। अब दाने के पूरे मिश्रण के अपनी पसंद के साइज के अनुसार गोले बनाकर रख लें।
तत्पश्चात गूंथे हुए आटे की एक लोई लें। उसे हथेली पर रखकर गोल आकार देते हुए कटोरी जैसी बना लें और भरावन सामग्री के मिश्रण का एक गोला आटे की कटोरी में रखें और ऊपर से मुंह बंद कर दें। अब उसको गरम तेल में कुरकुरे लाल होने तक तल लें।
तैयार चटपटे शाही बफ बड़े को हरी चटनी या दही के रायते के साथ गरमा-गरम परोसें। खाने में लाजवाब इन बड़ों का टेस्ट आपको अवश्य पसंद आएगा।

टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /दमकती त्वचा पाना
कौन नहीं चाहेगा? हम सभी
केमिकल युक्त प्रोडक्ट का इस्तेमाल करके एक निखरी और
बेदाग त्वचा पानें के लिए हर संभव प्रयास करते रहते हैं। हालांकि, जिन चीजों पर हम ध्यान नहीं देते हैं। वो है, दमकती त्वचा पाने के प्राकृतिक तरीके। एक पौष्टिक आहार न केवल आपके शरीर को अंदर से बल्कि बाहर से भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। विशेष रूप से, स्वस्थ त्वचा पाने के लिए सब्जी और फलों के रस का सेवन सबसे प्रभावी और बेहतरीन तरीकों में से एक है।

आखिर जूस आपकी त्वचा को ग्लो देने में कैसे मदद करते है आइए जानते हैं।

अधिकांश सब्जियों और फलों में फाइबर और अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो आपकी
त्वचा और बालों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इनमें एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं। पौष्टिक सब्जियों और फलों के जूस के सेवन से आप ग्लोंइग स्किन की तमन्ना पूरी कर सकते है।
इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे जूस के बारे में बता रहें है जिनके सेवन से आप चमकती त्वचा आसानी से पा सकते है।

गाजर और चुकंदर का रस-
गाजर और चुकंदर का रस आपकी त्वचा के लिए अमृत है अब आप सोच रहें होंगे वो कैसे? दरअसल, चुकंदर में कई पोषक तत्व पाएं जाते है। इसे पावर पैक कहना गलत नहीं होगा। जो
रक्त को शुद्ध करने के लिए जाने जाते हैं। चुकंदर के रस के नियमति सेवन से आपकी चमकदार और बेदाग त्वचा की ख्वाहिश पूरी हो सकती हैं। वहीं गाजर में विटामिन ए होता है जो मुंहासों, झुर्रियों, और असमान त्वचा की रंगत जैसी त्वचा संबंधी परेशानियों
को खत्म करने में मदद करता है।

ककड़ी का रस-
आपने त्वचा को हेल्दी रखने के लिए खीरे के रस के उपयोग के बारे में तो खूब सुना होगा। खीरे का रस आपकी त्वचा को मॉइश्चराइज करने में मदद करता है, जिससे आपकी त्वचा बेदाग नजर आने लगती है। वहीं जब आप खीरे के रस का सेवन करना शुरू करते है, तो यह आपकी त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करता है, और त्वचा में नेचुरल चमक आती है।
ताजा टमाटर का रस-
टमाटर एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होता है। जो बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करने के लिए मदद करता है। जैसे झुर्रियां और महीन रेखाएं, टमाटर के जूस के सेवन से
आपके पोर्स सिकोड़ने लगते है, वहीं यदि आपकी त्वचा में टैनिंग हो गई है, तो टमाटर का रस बहुत उपयोगी होता है।

शौर्यपथ / क्या आपके दांतों में भी पीलेपन की समस्या रहती है, जिस वजह से किसी से बात करते हुए आपके आत्मविश्वास में कमी आती है? अगर हां, तो जरूरी है कि इस समस्या से निजात पाएं। हम आपके लिए लाए हैं दांतों के पीलेपन से छुटकारा पाने का कारगर नुस्खा।
सेब के सिरके के बारे में आपने जरूर सुना होगा। वैसे तो इसके कई आश्चर्यजनक फायदे है, लेकिन फिलहाल बात करते हैं कि कैसे ये आपके दांतों का पीलापन हटा सकता है।
* सेब का सिरका गहराई और कोमलता के साथ आपके दांतों की आंतरिक सफाई करने में सक्षम होता है।
* इससे आपके अम्लीयता होने पर भी पीएच की समानता बनी रहती है, और दांत पहले से अधि‍क साफ, सफेद और चमकदार दिखाई देते हैं।
* इतना ही नहीं, यह आपके मसूढ़ों को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है।
* इस सिरके से अपने दांत चमकाने के लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। बस लगभग एक कप पानी में आधा चम्मच सेब का सिरका लें और अपने टूथब्रश की सहायता से दांतों पर इससे तब तक ब्रश करें, जब तक आपके दांत पूरी तरह से साफ न हो जाएं। दांतों के दाग हटने के साथ ही धीरे-धीरे आपके दांतों पर चमक भी आ जाएगी।
लेकिन इसे इस्तेमाल करने से पहले आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा या यूं कहें कि इन नियमों का ध्यान रखना होगा। जानिए कौन-सी हैं वे बातें -
1 सेब का सिरका इस्तेमाल करते समय बॉटल को अच्छी तरह से हिलाएं, तभी इस्तेमाल करें।
2 बगैर पानी में घोले इसका इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है, क्योंकि यह प्राकृतिक अम्ल है।
3 इसका अत्यधि‍क प्रयोग करने से परहेज करें, साथ ही दिन में एक बार से ज्यादा इसका इस्तेमाल न करें। अन्यथा यह आपके दांतों की सतह को नुकसान पहुंचा सकता है।

सेहत /शौर्यपथ /आज की दिनचर्या को देखते हुए पेट की समस्या आम हो गई है। कभी बदहजमी तो कभी पेट फूलने जैसी समस्या लोगों को परेशान करते रहती है। और वैसे भी कहा जाता है कि अगर आपका पेट स्वस्थ है तो आप हमेशा सेहतमंद रहेंगे। चूंकि अधिकतर परेशानी आपके पेट के खराब होने पर ही होती है और जब भी हमारा पेट खराब हो तो हल्का-फुल्का खाने की सलाह दी जाती है।
अब जब लाइट खाने की बात निकली है तो क्या आपने कभी दही-चावल के बारे में सुना है? क्या आप जानते हैं कि इन्हें साथ खाने पर आपको कई सेहत लाभ हो सकते हैं? अगर आप इसके फायदे से अनजान हैं तो इस लेख को जरूर पढ़ लीजिए, क्योंकि दही और चावल आपकी सेहत लाभ के साथ-साथ आपकी स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद है। तो आइए जानते हैं इसके बेहतर लाभ।
जानिए दही-चावल खाने के सेहत पर और क्या-क्या लाभ होते हैं?
* आप चाहते हैं कि वजन न बढ़े तो चावल जब पक जाए तो उसका मांड जरूर निकाल दें। अब इस चावल में दही मिलाकर खाएं। इसमें आप थोड़ा-सा नमक और मिर्च पाउडर भी मिला सकते हैं। इस तरह से आप लगातार दही और चावल खाएंगे तो 1 से 2 महीने में वजन कम होने लगेगा।

* चावल मैग्नीशियम और पोटैशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो पेटदर्द को कम करने में मदद करता है।
* दही और चावल पेट में ठंडक बनाए रखने में मदद करता है। इसका सेवन गर्मियों में जरूर करना चाहिए।
* दही-चावल खाने से पाचन मजबूत होता है।
* दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स प्रतिरक्षा या इम्युनिटी में सुधार करने में मदद करता है और शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। इसलिए आप जितना अपने खाने में चावल और दही को शामिल करेंगे, आपको कई शारीरिक लाभ होंगे।
* दही-चावल खाने से पेट साफ रहता है और कब्ज की समस्या से भी राहत मिलती है।

धर्म संसार /शौर्यपथ / भगवान श्रीकृष्‍ण के कारण हजारों लोगों ने ज्ञान प्राप्त किया था। ज्ञान प्राप्त करने का अर्थ है मोक्ष के मार्ग के दर्शन करना और उसी पर चल पड़ना। हालांकि ऐसे में कई लोग थे जो श्रीकृष्ण के पास होते हुए भी कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाए क्योंकि श्रीकृष्ण और उन लोगों के बीच अहंकार या स्वयं ज्ञानी होने की दीवार थी। आओ जानते हैं कि श्रीकृष्‍ण के कारण कौन लोग मोक्ष प्राप्त कर गए।
मोक्ष प्राप्त करना अर्था कैवल्य ज्ञान, संबोधि प्राप्त करना होता है। मुक्ति और मोक्ष में फर्क होता है। यहां उन लोगों की बात नहीं जिनका श्रीकृष्ण ने उद्धार किया था या जो पिछले जन्म में देवलोक में थे। जैसे भीष्म पितामह देवलोक के एक वसु थे। विदुर स्वयं ही धर्मराज के अंश थे।
1. अष्ट सखियां : श्रीराधा रानी तो स्वयं संबुद्ध अर्थात मोक्ष प्राप्त कर चुकी महिला थीं। परंतु उनकी अष्ट सखियों ने ही श्रीकृष्‍ण और राधा के संग रहकर मोक्ष प्राप्त किया था। हालांकि कहते हैं कि ललिता नाम की सखी इससे चूक गई थी और तब उसने कई जन्मों के बाद मीरा या स्वामी हरिदास के रूप में जन्म लेकर मोक्ष प्राप्त किया था।
2. उद्धव : उद्धव श्रीकृष्ण के चाचा देवभाग के लड़के थे जो आयु में श्रीकृष्ण से थोड़े बड़े थे। उनका असली नाम बृहदबल था। उनके पिता का नाम 'उपंग' कहा गया। बाल्यकाल में ही उन्हें देवताओं के गुरु बृहस्पति ने अपना शिष्य बना लिया था। देवगुरु बृहस्पति से उन्हें ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हुई और वे निरंतर प्रभु के निराकार और निर्गुण रूप की उपासना करते रहते थे। वे खुद को ब्रह्मज्ञानी समझते थे। श्रीकृष्ण और राधा के सत्य जानकर ज्ञान से प्रेम मार्ग बन गए थे। इसके बाद श्रीकृष्ण ने उद्धव को योग मार्ग का उपदेश दिया। यह उपदेश उद्धव गीता या अवधूत गीतार्ध के नाम से प्रसिद्ध है। कृष्ण के इच्छा से उद्धव बदरिकाश्रम चले गए और वहीं तपस्या करते हुए उन्होंने अपनी देह त्याग दी थी।
3. सुदामा : सुदामा श्रीकृष्ण के मित्र थे और वे उनके परम भक्त भी थे, क्योंकि सुदामा जान गए थे कि श्रीकृष्ण कोई और नहीं स्वयं भगवान विष्णु है। सुदामा की भक्ति के कारण सुदामा मोक्ष प्राप्त कर गए थे।
4. अन्य लोग : भगवान श्रीकृष्ण के भक्ति के कालांतर में हजारों लोगों के मोक्ष प्राप्त किया। सुदामा से लेकर सुरदास तक उनके भक्तों की अनंत सूची है।
श्रीकृष्‍ण राधा की सखी ललिता के 7 रहस्य जानकर चौंक जाएंगे
श्रीकृष्ण के बचपन के कई मित्र थे जैसे मनसुखा, मधुमंगल, श्रीदामा, सुदामा, उद्धव, सुबाहु, सुबल, भद्र, सुभद्र, मणिभद्र, भोज, तोककृष्ण, वरूथप, मधुकंड, विशाल, रसाल, मकरन्‍द, सदानन्द, चन्द्रहास, बकुल, शारद, बुद्धिप्रकाश आदि। बचपन में यह सभी गोकुल और वृंदावन की गलियों में माखन चोरते और उधम मचाते थे। बाल सखियों में चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा आदि के नाम लिए जाते हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सखियों के नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा। कुछ जगह ये नाम इस प्रकार हैं- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और सुदेवी। कुछ जगह पर ललिता, विशाखा, चम्पकलता, चित्रादेवी, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और कृत्रिमा (मनेली)। इनमें से कुछ नामों में अंतर है। आओ
जानते हैं श्रीकृष्‍ण की सखी ललिता के बारे में रोचक जानकारी।
1. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रीजी राधारानी की 8 सखियां थीं। अष्टसखियों के नाम हैं- 1. ललिता, 2. विशाखा, 3. चित्रा, 4. इंदुलेखा, 5. चंपकलता, 6. रंगदेवी, 7. तुंगविद्या और 8. सुदेवी। राधारानी की इन आठ सखियों को ही "अष्टसखी" कहा जाता है। श्रीधाम वृंदावन में इन अष्टसखियों का मंदिर भी स्थित है। इस सखियों में सबसे करीबी ललिता था।
2. कहते हैं कि ललिता भी श्रीकृष्ण से उतना ही प्रेम करती थी जितान की राधा, परंतु ललिता ने अपने प्रेम को कभी भी अभिव्यक्त नहीं किया था।
3. राधा और श्रीकृष्ण के प्रेम और निकुंज लीलाओं की साक्षी थीं ललिता। ललिता ने राधा का हर मौके पर साथ दिया था। ललिताजी का राधारानी की सहचरी के अतिरिक्त खंडिका नायिका के रूप में भी चित्रंण होता है, मतलब सेविका के रूप में राधा माधव के साथ आती हैं, और कभी-कभी नायिका बनकर कृष्णजी के साथ विहार करती हैं।
4. कहते हैं कि स्वयं भगवान शिव ने भी ललिता से 'सखीभाव' की दीक्षा प्राप्त की थी। ललिताजी ने शिवजी से कहा था कि रासलीला में श्रीकृष्‍ण के अतिरिक्त किसी पुरुष को प्रवेश नहीं है तब शिवजी को भी सखी बनना पड़ा था।
5. कई लोग यह भी मानते हैं कि मीरा के रूप में ललिता ने ही जन्म लेकर श्रीकृष्‍ण भक्ति का प्रचार प्रसार किया था। भक्त सुरदासजी ने ललिता के बारे में अपनी रचनाओं में बहुत कुछ लिखा है। यह भी कहा जाता है कि भक्त सुरदासजी श्रीकृष्‍ण के काल में किसी और नाम से जन्में थे और तब भी वे अंधे ही थे। उस काल में वे यादवकुल के गुरु से मिले थे।
6. माना जाता है कि अकबर के समय में राधा रानी की सखी ललिता ने स्वामी हरिदास के रूप में अवतार लिया था। स्वामी हरिदास वृन्दावन के निधिवन के एकांत में अपने दिव्य संगीत से प्रिया-प्रियतम (राधा-कृष्ण) को रिझाते थे। बांके बिहारी नाम से वृन्दावन में मंदिर स्थित है जिसकी स्थापना स्वामी हरिदास ने की थी। तानसेन भी उनके संगीत और गायन के बहुत ही ज्यादा प्रभावित थे।
7. मथुरा जिले में बरसाना के ऊंचागाव में ललिता अटोर नामक पहाड़ी पर ललिता का भव्य मंदिर है। इस मंदिर की जन्मोत्सव परंपरा के अनुसार 2021 में ललिताजी को हुए 5249 वर्ष हो चुके हैं।

भिलाई / शौर्यपथ /.भिलाई इस्पात संयंत्र के एसएमएस.3 ने बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस.1 ;कन्वर्टर 1द्ध के रिफ्रेक्टरी लाइनिंग लाइफ में एक नया मील का पत्थर हासिल किया। एसएमएस.3 ने 3 मार्च को 7000 हीट्स का निरंतर उत्पादन कर बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस.1 के रिफ्रेक्टरी लाइनिंग लाइफ का एक नया कीर्तिमान रच कर इस महती रिकॉर्ड को हासिल करने में कामयाबी प्राप्त की।
यह उल्लेखनीय है कि बीएसपी के एसएमएस.3 ने अपने दूसरे कैम्पेन में ही 7000 हीट्स का निरंतर उत्पादन कर रिफ्रेक्टरी लाइनिंग लाइफ का एक नया कीर्तिमान स्थापित कर नया बेंचमार्क स्थापित किया।
विदित हो कि बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस में मैग्नेशिया कार्बन ब्रिक्स की लाइनिंग लगी होती है। इस ब्रिक्स की खासियत यह है कि यह 1700 डिग्री सेंटिग्रेड तक के उच्च तापमान को सहने योग्य होने के साथ ही यह स्लैग अटैक को भी सहन करती है। बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस के कुछ क्षेत्र अत्यधिक तापमान के कारण खराब हो जाता है। अत: इसके जीवनकाल को ब?ाने हेतु इन क्षेत्रों की लेजर प्रोफाइल मेजरमेंट मशीन के माध्यम से इसकी बड़े ही सूक्ष्म ढंग से मॉनीटरिंग की गई तथा आवश्यकतानुसार सुधारात्मक हॉट रिपेयर किया गया।
विदित हो कि 31 मार्च 2018 को एसएमएस.3 के बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस.1 को लाइट.अप कर प्रारंभ किया गया था। वर्तमान में एसएमएस.3 अपने प्रारंभिक चुनौतियों से पार पाते हुए नित नये कीर्तिमान स्थापित करते हुए ब?े तेजी से अपने मापित क्षमता की ओर अग्रसर हो रहा है। उल्लेखनीय है कि 7000 हीट्स के निरंतर उत्पादन के पश्चात भी इस बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस.1 के इस लाइनिंग में उत्पादन जारी है।

दुर्ग / शौर्यपथ / प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने आठ प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारियों की पदस्थापना की है, जिसको लेकर छत्तीसगढ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने सामान्य प्रशासन को पत्र लिखकर इन आठ जिलों में योग्य और वरिष्ठतम जिला शिक्षा अधिकारी की पदस्थापना करने की मांग किया गया था, जिसको लेकर अब सामान्य प्रशासन विभाग ने अवर सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर प्रकरण पर परीक्षण कर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने और की गई कार्यवाही की जानकारी आवेदक यानि क्रिष्टोफर पॉल को देने का निर्देश दिया है।
सामान्य प्रशासन के स्थायी निर्देश दिनांक 04 अगास्त 2011 के अनुसार वरिष्ठ के रहते कनिष्ठ को चालू कार्यभार नही सौंपा जाना है और छग स्कूल स्कूल सेवा ;शैक्षिक एंव प्रशासनिक संवर्ग भर्ती तथा पदोन्नति नियम 2019 के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी के पद उप संचालक संवर्ग प्राचार्य प्रथम श्रेणी के समकक्ष अधिकारी को ही पदस्थ किये जाने का प्रावधान हैए, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा कनिष्ठ अधिकारियों को जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थ कर दिया गया है, जबकि इन अधिकारियों से वरिष्ठतम अधिकारी स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यरत है।
इनको दिया प्रभार
आशोक नारायण बंजारा प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर, प्रवास सिंग बघेल प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी दुगग्, राजेश कर्मा प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी दंतेवाड़ा, श्रीमती रजनी नेलशन प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी धमतरी, श्रीमती मधुलिका तिवारी प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी बेमेतरा, एमआर मंडावी प्रभाारी जिला शिक्षा अधिकारी नारायणपूर, राजेश कुमार झा प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जगदलपुर और परसराम चंद्राकर प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी महासंमुद शामिल है।
हो सकती है बड़ी कार्यवाही
सामान्य प्रशासन के स्थायी निर्देश 04 अगस्त 2011 के अनुसार इन आठ प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारियों की पदस्थापना की जांच नियमानुसार किया गया तो इन प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारियों के ऊपर गाज गिर सकता है क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग में कई उप.संचालक और कई प्रथम श्रेणी के प्राचार्य कार्यरत है और यह प्रथम श्रेणी के अधिकारी है और जिन आठ व्यक्तियों को प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार सौंपा गया है वे सभी द्वितीय श्रेणी के अधिकारी है।
छत्तीसगढ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी का पद उप संचालक ;संवर्गद्ध के समकक्ष अधिकारी का पद है एवं उसी संवर्ग के अधिकारी को ही पदस्थ किये जाने का प्रावधान हैए लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा विभाग में मूल संवर्ग ;उप संचालकद्ध के प्रथम श्रेणी अधिकारी के रहते हुए द्वितीय श्रेणी अधिकारी को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार सौंपा जाना स्कूल शिक्षा विभाग और सामान्य प्रशासन के स्थायी निर्देशों और छग स्कूल सेवा ;शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्गद्ध 0

        सेहत /शौर्यपथ /सेहत से जुड़ी एक मशहूर कहावत है ‘इलाज से बेहतर बचाव है’। यह बात पूरी तरह सही भी है कि किसी बीमारी की चपेट में आने के बाद इलाज कराने से बेहतर है कि ऐसे उपाय किए जाएं, जिससे कि आप किसी बीमारी की चपेट में न आ सकें। आज हम आपको ऐसे ही घरेलू उपाय बता रहे हैं जिन्हें अपनाने से आप बीमारियों से बचे रहेंगे।
खराश या सूखी खांसी के लिए अदरक और गुड़
गले में खराश या सूखी खांसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है।
दमे के लिए तुलसी और वासा
दमे के रोगियों को तुलसी की 10 पत्तियों के साथ वासा (अडूसा या वासक) का 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दें। लगभग 21 दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ जाता है।
भूख नहीं लगती, तो मुनक्का हरड़ और चीनी
भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें) , हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पांच छह ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें।
मौसमी खांसी के लिए सेंधा नमक
सेंधे नमक की लगभग एक सौ ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएं। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खांसी, विशेषकर बलगमी खांसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें।
बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल
10 ग्राम कपूर, 200 ग्राम सरसों का तेल-दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों चीजें मिलकर एक रस होकर घुल जाए। तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, मांसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।
बैठे हुए गले के लिए मुलेठी का चूर्ण
मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुंह में रखकर सो जाएं। सुबह तक गला साफ हो जाएगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है।
फटे हाथ पैरों के लिए सरसों या जैतून का तेल
नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है।
सर्दी बुखार और सांस के पुराने रोगों के लिए तुलसी
तुलसी की 21 पत्तियां स्वच्छ खरल या सिलबट्टे ( जिस पर मसाला न पीसा गया हो ) पर चटनी की तरह पीस लें और से 10 से 30 ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन महीने तक खाएं। याद रहे कि दही खट्टी न हो। यदि दही माफिक न आए, तो एक - दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि सुबह खाली पेट लें। आधा एक घंटे के बाद नाश्ता ले सकते हैं ।
मुंह और गले के कष्टों के लिए सौंफ और मिश्री
भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुंह की अनेक बीमारियां और सूखी खांसी दूर होती है। साथ ही बैठी हुई आवाज खुल जाती है, गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है।
जोड़ों के दर्द के लिए बथुए का रस
बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक - चीनी आदि कुछ न मिलाएं। इसके लेने के आगे पीछे दो - दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।

टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / दूध उबालते समय अगर बर्तन में उसका तला लग जाए तो दूध में से जलने की बदबू आने लगती है। ऐसे में महिलाओं के पास उसे फेंकने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है। जले दूध की बदबू न सिर्फ आपकी खीर या चाय का स्वाद खराब कर देती है बल्कि आपका मूड भी ऑफ हो जाता है। अगर अब कभी आपके साथ ऐसा हो तो अपना मूड ऑफ करने की जगह ये 3 आसान किचन टिप्स फॉलो करके दूध से जले की महक को हटाएं। आइए जानते हैं आखिर क्या हैं ये 3 मजेदार किचन टिप्स।
दालचीनी-
अगर दूध ज्‍यादा जल गया है और उसमें से बहुत तेज जलने की महक आ रही है तो आप सबसे पहले दूध को एक साफ बर्तन में पलट दें। इसके बाद देसी घी में दालचीनी की 1 इंच लंबी 2 स्टिक डालकर उसे गर्म करके दूध में डालकर रख दें। ऐसा करने से दूध जलने की महक काफी हद तक कम हो जाएगी। आप इस दूध का इस्‍तेमाल रबड़ी बनाने में कर सकती हैं।
तेज पत्‍ता-
जले दूध की महक दूर करने के लिए सबसे पहले उसे एक दूसरे साफ बर्तन में पलटकर अलग रख दें। अब एक कढ़ाई में 1 छोटा चम्‍मच देसी घी गर्म करके उसमें 1 तेज पत्‍ता, 1 छोटी इलायची, 1 बड़ी इलायची और 2 -3 लॉन्‍ग फ्राई करें। इसके बाद इस मिश्रण को दूध के ऊपर 4-5 घंटे पड़े रहने दें। थोड़ी देर आप देखेंगे कि दूध से जले की महक खत्‍म हो गई है।
पान के पत्‍ते-
पान के पत्‍ते न सिर्फ मुंह का स्वाद बदलने के काम आते हैं बल्कि इनकी मदद से आप जले दूध की महक से भी निजात पा सकते हैं। अगर किसी दिन घर में दूध जल जाए तो आप उसमें पान का पत्‍ता डाल कर इसकी महक को खत्‍म कर सकती हैं। याद रखें कम जले हुए दूध में 1 से 2 पान के पत्‍ते और ज्‍यादा जले हुए दूध में 4 से 5 पान के पत्‍ते इस्तेमाल करें। इन पत्‍तों को दूध में आधा घंटा डालकर निकाल लें। ऐसा करने से दूध से जले की महक हट जाएगी।

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)