October 24, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

साभार  - श्री शिवराज सिंह चौहान
शौर्यपथ लेख / भारतीय राजनीति में नरेन्‍द्र मोदी के उदय को विशेषाधिकार के पारंपरिक लेंस से नहीं समझा जा सकता। राजनीतिक वंशों में पले-बढ़े अनेक नेताओं के विपरीत, मोदी और उनकी नेतृत्व शैली ज़मीन से उभरी है, जिसने उनके संघर्ष, वर्षों से ज़मीनी स्तर पर किए गए कार्यों और सरकार के विभिन्न स्तरों पर प्राप्‍त व्‍यवहारिक अनुभवों से आकार लिया है। उनका करियर मात्र एक व्यक्ति के उत्थान को ही प्रदर्शित नहीं करता, बल्कि यह भारत में अभिजात वर्ग द्वारा संचालित राजनीति की नींव के लिए एक चुनौती भी है।
  वडनगर के एक साधारण परिवार में जन्मे मोदी का बचपन ज़िम्मेदारी और सादगी से भरपूर रहा। बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए चैरिटी स्टॉल लगाने से लेकर स्कूली छात्र के रूप में जातिगत भेदभाव पर आधारित नाटक लिखने तक, उन्होंने अल्‍पायु में ही संगठनात्मक कौशल और सामाजिक सरोकार का अद्भुत मिश्रण प्रदर्शित किया। उन्होंने वंचित सहपाठियों के लिए पुरानी किताबें और वर्दियाँ इकट्ठा करने के अभियान भी चलाए, जो इस बात का प्रारंभिक संकेत था कि वह नेतृत्व को किसी विशेषाधिकार के रूप में नहीं, बल्कि सेवा के रूप में देखते हैं। इन छोटे-छोटे प्रयासों ने उनके द्वारा सार्वजनिक जीवन में अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण का पूर्वाभास करा दिया।
   उनकी मूलभूत प्रवृत्तियाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में और भी प्रखर हुईं, जहाँ साधारण कार्यकर्ताओं को ग्रामीणों से घुलने-मिलने, उनके जैसा जीवन व्‍यतीत करने और अपने आचरण के जरिए उनका विश्वास अर्जित करने का प्रशिक्षण दिया जाता था। एक युवा प्रचारक के तौर पर मोदी ने बिल्‍कुल वैसा ही किया। अक्सर बस या स्कूटर से गुजरात भर में यात्रा करते हुए, और भोजन व आश्रय के लिए ग्रामीणों पर निर्भर रहते हुए, उन्होंने साझा कठिनाइयों और संघर्षों के माध्यम से सभी वर्गों का विश्वास अर्जित किया। इस अनुशासन ने उन्हें उन लोगों के रोज़मर्रा के सरोकारों से जुड़े रहने में मदद की, जिनकी वे सेवा करना चाहते थे, और इसी ने उन्हें संकटकाल में संगठित, बड़े पैमाने पर कदम उठाने की आवश्‍यकता पड़ने पर प्रभावी ढंग से नेतृत्व करने के लिए भी तैयार किया।
  ऐसा ही एक संकट 1979 में मच्छू बांध के टूटने से आया था, जिसमें हज़ारों लोग मारे गए थे। 29 वर्षीय मोदी ने तुरंत स्वयंसेवकों को पालियों में संगठित किया, राहत सामग्री का प्रबंध किया, शवों को निकाला और परिवारों को सांत्वना दी। कुछ साल बाद, गुजरात में सूखे के दौरान, उन्होंने सुखड़ी अभियान का नेतृत्व किया, जो पूरे राज्य में फैल गया और लगभग 25 करोड़ रुपये मूल्‍य का भोजन वितरित किया गया। दोनों ही आपदाओं में, उन्होंने बिल्‍कुल आरंभ से ही बड़े पैमाने पर राहत प्रयास शुरू किए, जिससे उनके उद्देश्य की स्पष्टता, उनके सैन्य-शैली के संगठन और उनका इस आग्रह का परिचय मिला कि नेतृत्व का अर्थ केवल प्रतीकात्मकता नहीं, बल्कि सेवा है।
  इन शुरुआती घटनाओं ने जहाँ एक ओर लोगों को संगठित करने की उनकी क्षमता को परखा, वहीं आपातकाल ने दमन के दौर में उनके साहस की परीक्षा ली। मात्र 25 वर्ष की आयु में, एक सिख के वेश में, उन्होंने पुलिस निगरानी से बचने की कोशिश कर रहे कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच संवाद कायम रखा। इस ज़मीनी नेटवर्क ने क्रूर शासन के विरुद्ध प्रतिरोध को जीवित रखा, जिससे उन्हें एक कुशल संगठनकर्ता के रूप में ख्याति मिली।
  इन्‍हीं कौशलों का उपयोग जल्द ही चुनावी राजनीति में भी किया गया। भाजपा - गुजरात के संगठन मंत्री के रूप में, उन्होंने पार्टी का विस्तार नए समुदायों तक किया, जिनमें राजनीतिक विमर्श में हाशिए पर पड़े लोग भी शामिल थे। उन्होंने विविध पृष्ठभूमियों के नेताओं को तैयार किया, ज़मीनी स्तर पर समर्थन जुटाया और पूरे गुजरात में लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा जैसे बड़े आयोजनों की योजना बनाने में मदद की। बाद में, विभिन्न राज्यों के प्रभारी के रूप में उन्होंने बूथ स्तर तक मज़बूत पार्टी तंत्रों का निर्माण किया।
  साल 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होने पर उन्होंने ये सबक शासन में लागू किए। उदाहरण के लिए, पदभार ग्रहण करने के चंद घंटे बाद ही उन्होंने साबरमती में नर्मदा का जल लाने के विषय में एक बैठक बुलाकर इस बात का संकेत दिया कि निर्णायक कार्रवाई उनके प्रशासन को परिभाषित करेगी। उनका दृष्टिकोण शासन को एक जन आंदोलन बनाना था, जहाँ प्रवेशोत्सव ने स्कूलों में नामांकन को प्रोत्साहित किया, कन्या केलवणी ने बालिकाओं की शिक्षा का समर्थन किया, गरीब कल्याण मेलों ने कल्याण को नागरिकों तक पहुँचाया, और कृषि रथ ने कृषि सहायता को किसानों के खेतों तक पहुँचाया। नौकरशाहों को दफ्तरों से निकालकर कस्बों और गाँवों तक भेजा गया। उनका मानना है कि शासन लोगों तक वहाँ पहुँचे जहाँ वे रहते हैं, न कि केवल मीटिंग कक्षों तक सीमित रहे।
  उनके प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद गुजरात में किए गए प्रयोग राष्ट्रीय आदर्श बन गए। स्वच्छता अभियानों के उनके अनुभव ने स्वच्छ भारत मिशन का रूप लिया, जहाँ उन्होंने प्रतीकात्मकता को सामूहिक कार्रवाई में बदलने के लिए स्वयं झाड़ू उठाई। डिजिटल इंडिया, जन-धन योजना और अन्य पहल शीर्ष से शुरू किए गए कार्यक्रम नहीं थे, बल्कि जमीनी स्तर पर बिताए उनके वर्षों से प्राप्त सीखों पर आधारित जन-आंदोलन थे। इन्‍होंने जन-भागीदारी के उनके दर्शन को मूर्त रूप दिया, जहाँ शासन तभी कारगर होता है, जब नागरिक निष्क्रिय प्राप्तकर्ता न बने रहकर, स्‍वयं भागीदार बनें। मोदी जैसे नेता और जनता के बीच दशकों से विकसित इसी विश्वास ने आज के भारत में नीति को साझेदारी में बदल दिया है।
  दशकों से, मोदी बैठकों में होने वाली बहसों से नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर जीवंत संपर्क की बदौलत लोगों की ज़रूरतों को समझने और उन्हें पूरा करने के तरीकों को जानने की दुर्लभ सहज प्रवृत्ति प्रदर्शित करते आए हैं। यह प्रवृत्ति कठोर प्रशासनिक अनुभव के साथ मिलकर उनकी राजनीति को परिभाषित करती है।
  मूलभूत रूप से, उनके जीवन और नेतृत्व ने भारतीय राजनीति के केवल अभिजात वर्ग से संबद्ध होने की धारणा को नए सिरे से परिभाषित किया है। वह योग्यता और परिश्रम का प्रतीक बन चुके हैं तथा वह शासन को जनसाधारण के और करीब ले आए हैं। उनकी राजनीतिक शक्ति सत्ता को जनता से जोड़ने में निहित है। ऐसा करके, उन्होंने भारतीय राजनीति को एक नया रूप दिया है, जो आम नागरिक के संघर्षों और भावनाओं पर आधारित है।

 

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से सपना हुआ साकार

जिंदगी में आया बदलाव, योजना बनी उम्मीद की नई किरण

रायपुर / शौर्यपथ /

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत भारत का हर घर ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा और इसका फायदा भारत को होगा। इस योजना के वजह से  रोजगार के अवसर भी ज्यादा बढ़ेंगे और इसकी वजह से नई नौकरियां भी निकलेगी। पीएम सूर्य घर योजना के तहत जिस घर में सोलर पैनल लगाए जाएंगे, उस घर की बिजली 24 घंटे रहेगी । इस घर में बिजली की कोई भी कटौती नहीं होगी।  प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने रायगढ़ के कृष्णा वाटिका निवासी रामेश्वर सिंह के जीवन में बड़ा बदलाव ला दिया है। जहाँ पहले उन्हें हर माह 3,000 रुपए से अधिक का बिजली बिल चुकाना पड़ता था, वहीं अब उनके घर का बिजली खर्च लगभग शून्य हो गया है। 

पीएम सूर्य घर योजना के लिए सब्सिडी का प्रावधान
मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले रामेश्वर सिंह के लिए बिजली का बढ़ता खर्च हमेशा चिंता का कारण था। गर्मी के दिनों में कूलर और पंखों की अधिक खपत से बिजली बिल 3,000 रुपए से ऊपर पहुँच जाता था, जिससे उनके घरेलू बजट पर अतिरिक्त बोझ पड़ता था। इसी बीच उन्हें प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के बारे में पता चला। इस योजना के तहत शासन छत पर सोलर पैनल लगाने के लिए आकर्षक सब्सिडी दे रही है। उन्होंने बताया कि एक किलोवाट सोलर प्लांट पर 45 हजार, 2 किलोवाट पर 90 हजार और 3 किलोवाट पर एक लाख 8 हजार रुपए की अनुदान राशि दी जा रही है।  यह जानकारी उनके लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई और उन्होंने तुरंत इस योजना के लिए आवेदन किया।

बिजली विभाग पर निर्भर नहीं रहकर पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गया
आवेदन के बाद टीम ने रामेश्वर सिंह के घर का निरीक्षण किया, बिजली की खपत का आकलन किया और उनकी ज़रूरत के हिसाब से सोलर सिस्टम लगाने की सलाह दी। सरकारी सब्सिडी और आसान प्रक्रिया के कारण कुछ ही हफ्तों में उनके घर की छत पर सोलर पैनल लग गए। यह सोलर पैनल रामेश्वर सिंह के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ। जहां पहले हर महीने बिजली का बिल 3,000 रुपए से ज़्यादा आता था, अब यह खर्च लगभग शून्य हो गया है। इस बचत का उपयोग वे अब अपने परिवार की अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर पा रहे हैं। रामेश्वर सिंह अब बिजली विभाग पर निर्भर नहीं हैं और पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गए हैं। उनके घर की छत पर लगे ये सोलर पैनल न केवल उनकी बिजली की जरूरतें पूरी कर रहे हैं, बल्कि स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके वे पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान दे रहे हैं।

रामेश्वर सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुक्त बिजली योजना ने हमारे जीवन की सबसे बड़ी चिंता को खत्म कर दिया। अब हम बिना किसी परेशानी के बिजली का उपयोग कर रहे हैं और पर्यावरण की रक्षा में भी सहयोग दे रहे हैं। रामेश्वर सिंह की यह कहानी इस बात का एक और उदाहरण है कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना कैसे लोगों को बिजली के भारी-भरकम बिल से राहत देकर उन्हें आत्मनिर्भर और पर्यावरण-हितैषी बनने में मदद कर रही है। यह योजना कई जिंदगियों में बड़ा बदलाव ला रही है।

 

रायपुर / शौर्यपथ /

साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली सविता का सपना था कि वह बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाए और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारें। महिला ग्राम संगठन से जुड़कर उन्हें बैंक लिंकेज, समूह से 50 हजार रुपए और पीएम मुद्रा लोन से 1 लाख रुपए का सहयोग मिला। इस राशि से बकरी पालन शुरू करते हुए उन्होंने आर्थिक मजबूती की नई राह पकड़ी।

    सरकार की योजनाओं ने महिलाओं की जिंदगी बदलने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। जशपुर जिले के दुलदुला ब्लॉक के ग्राम छेड़डाड़ की श्रीमती सविता रजक इसकी उत्कृष्ट मिसाल हैं। बिहान योजना और पीएम मुद्रा लोन के सहारे उन्होंने बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया और आज अपने पैरों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भर बनकर गांव की अन्य महिलाओं का हौसला बढ़ा रही हैं।

    वर्तमान में सविता को बकरी पालन से हर माह लगभग 10 हजार रुपए की आय हो रही है। वह इस आय से बच्चों की पढ़ाई और घर-परिवार की जरूरतें पूरी कर रही हैं। साथ ही, व्यवसाय को आगे बढ़ाने के प्रयास भी कर रही हैं। सविता को अन्य योजनाओं का भी लाभ मिला है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से रसोई गैस, प्रधानमंत्री आवास योजना से पक्का घर और महतारी वंदन योजना के तहत प्रतिमाह 1,000 रुपए की आर्थिक मदद उनके जीवन स्तर में सुधार लाई है। आज सविता का परिवार खुशहाल है। बच्चों की पढ़ाई निर्बाध चल रही है। रसोई में गैस चुल्हे के माध्यम से खाना बनाना आसान हो गया है, और लकड़ी के झंझट से मुक्ति मिली है। प्रधानमंत्री आवास योजना से पक्के घर की सुरक्षा है और महीने की एकमुश्त सहायता उनके आत्मविश्वास को मजबूती देती है। उनका कहना है कि बिहान योजना और पीएम मुद्रा लोन से मिला सहयोग उनके जीवन को नई दिशा देने वाला साबित हुआ। महिलाएँ सिर्फ घर तक सीमित रहने वाली नहीं, वे अपने परिवार और समाज की अर्थव्यवस्था बदल सकती हैं।

    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और राज्य सरकार के प्रति आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि इन योजनाओं ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया। आज सविता रजक न केवल अपने परिवार की जिम्मेदारी मजबूती से निभा रही हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं।

विशेष-लेख
  • श्री नसीम अहमद खान, उप संचालक जनसंपर्क

रायपुर / शौर्यपथ /

छत्तीसगढ़: विकास की नई उड़ान

छत्तीसगढ़ ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे करते हुए विकास यात्रा का नया अध्याय लिखा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत 2047 के संकल्प के अनुरूप राज्य सरकार ने विकसित छत्तीसगढ़ का रोडमैप तय किया है। छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में प्रदेश की जीडीपी को दोगुना कर 75 लाख करोड़ तक पहुँचाना है, जिससे प्रत्येक नागरिक की आय में दस गुना वृद्धि हो सके।

छत्तीसगढ़: विकास की नई उड़ान

नई उद्योग नीति ने छत्तीसगढ़ को निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बना दिया है। अब तक लगभग 6.65 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित हुआ है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ-साथ स्पीड ऑफ डूइंग बिजनेस को भी प्राथमिकता दी गई है। एमएसएमई स्टार्टअप और नई टेक्नॉलॉजी आधारित उद्योगों को विशेष बढ़ावा दिया जा रहा है। कोरबा जिले के पॉवर एवं मेटल सेक्टर से लेकर दुर्ग-राजनांदगांव के इंडस्ट्रियल कॉरिडोर तक नए औद्योगिक केंद्र विकसित हो रहे हैं।

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहाँ लिथियम ब्लॉक की सफलतापूर्वक नीलामी की गई। छत्तीसगढ़ राज्य ऊर्जा उत्पादन में तेजी से प्रगति कर रहा है। अभी हम विद्युत उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर हैं। राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता 30 हजार मेगावॉट है और वर्ष 2030 तक यह क्षमता देश में प्रथम स्थान पर पहुँच जाएगी। 

छत्तीसगढ़ तेजी से सोलर क्रांति की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना सर्वाधिक लोकप्रिय योजना बन गई है। बड़ी संख्या में लोग अपने घरों की छत पर सोलर पैनल लगाकर इसका लाभ उठाने लगे है। वर्ष 2027 तक 5 लाख घरों में सोलर पैनल के माध्यम से मुफ्त बिजली की व्यवस्था का लक्ष्य रखा गया है। 

छत्तीसगढ़ में रेलवे नेटवर्क, राष्ट्रीय राजमार्ग, एयरपोर्ट और इंटीरियर कनेक्टिविटी पर तेजी से काम हो रहा है। राजधानी रायपुर, नया रायपुर और भिलाई को मिलाकर स्टेट कैपिटल रीजन विकसित किया जा रहा है, जो भविष्य में 50 लाख आबादी की जरूरतें पूरी करेगा।

राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है। धान के साथ-साथ कोदो, कुटकी, रागी जैसी मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है। कृषक उन्नति योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सिंचाई पम्पों को निःशुल्क बिजली की उपलब्धता एवं कृषि कल्याण के अन्य कार्यक्रमों से किसान सशक्त हो रहे हैं। लघु वनोपज आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। इससे न केवल वनवासियों की आय बढ़ी है बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित हुए हैं।

बीते डेढ़ साल में छत्तीसगढ़ में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। दूरस्थ इलाकों में स्कूल, मोबाइल कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं। आयुष्मान भारत योजना से गरीब और जरूरतमंद परिवारों को निःशुल्क इलाज मिल रहा है। बच्चों और युवाओं के कौशल विकास के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं।

राज्य सरकार ने सुशासन को अपनी सर्वाेच्च प्राथमिकता बनाई है। ऑनलाइन सेवाओं के विस्तार से नागरिक घर बैठे राजस्व, पेंशन और प्रमाण पत्र जैसी सेवाएँ प्राप्त कर रहे हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अनेक सुधार किए गए हैं।

छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए विशेष योजनाएँ लागू की गई हैं। कल्चर पार्क और फिल्म सिटी की स्थापना की पहल के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। खेलों के क्षेत्र में नए स्टेडियम और प्रशिक्षण केंद्रों का विकास युवाओं को नए अवसर प्रदान कर रहा है।

छत्तीसगढ़ आज आत्मविश्वास के साथ विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में बढ़ रहा है। सड़क, रेल, उद्योग, ऊर्जा, कृषि, शिक्षा-स्वास्थ्य, सुशासन और सांस्कृतिक सहित हर क्षेत्र में संतुलित विकास हो रहा है। यह यात्रा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन से ही संभव हुई है। छत्तीसगढ़ सरकार का संकल्प 2047 तक राज्य को देश के अग्रणी और आत्मनिर्भर राज्यों में शामिल करना है।

 

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के प्रयासों से जशपुर बन रहा खेलों का नया केंद्र, 

तेजी से सुविधाएं की जा रही है विकसित

रायपुर / शौर्यपथ /

दो करोड़ 83 लाख रूपए की लागत के बगीचा में स्वीकृत हुए आधुनिक इनडोर बैडमिंटन स्टेडियम का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। इस स्टेडियम में वुडन फ़्लोरिंग युक्त दो बैडमिंटन कोर्ट होंगे। साथ ही खिलाडि़यों के लिए ड्रेसिंग रूम, बैठने की व्यवस्था और अन्य आवश्यक सुविधाएँ भी विकसित की जाएँगी। क्षेत्रवासियों और खिलाडि़यों ने इस पहल पर गहरी प्रसन्नता व्यक्त की है। उनका कहना है कि अब उन्हें बड़े शहरों जैसी खेल सुविधाएँ अपने ही क्षेत्र में उपलब्ध होंगी, जिससे  बेहतर खिलाड़ी उभर के सामने आएंगे।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जशपुर जिले में खेल प्रतिभाओं को पहचान और उन्हे बेहतर अवसर दिलाने की दिशा में प्रदेश सरकार दूरदर्शी सोच के साथ निरंतर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि जिले के खिलाड़ी राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी चमक बिखेरें और देश व राज्य का नाम रौशन करें। मुख्यमंत्री श्री साय के निर्देश पर ही खेल मैदानों और आवश्यक अधोसंरचनाओं के निर्माण की लगातार स्वीकृति दी जा रही है। साथ ही निर्माण भी कार्य सतत् रूप से जारी है। 

खेल ग्राउंड और जरूरी अधोसरंचना के निर्माण को निरंतर मिल रही हैं स्वीकृतियाँ
आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले के खिलाडि़यों ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से तीरंदाजी, ताईक्वांडों, तैराकी, एथेलेटिक्स और हॉकी में शानदार प्रदर्शन कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी  प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने जिले को खेल की दुनिया में एक अलग पहचान दिलाने दृढ़संकल्पित है। उनके प्रयास स्वरूप सन्ना में आधुनिक सुविधाओं से लैस तीरंदाजी अकादमी और कुनकुरी में अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की स्वीकृति मिली है। रणजीता स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ ग्रास और एलईडी डिस्प्ले लगाने की घोषणा की गई है। जिला मुख्यालय जशपुर में एस्ट्रो टर्फ हाकी मैदान के पास बैडमिंटन कोर्ट का निर्माण कार्य जारी है। इसके साथ ही मयाली में एडवेंचर स्पोर्ट्स संचालित है। 

जशपुर के घोलेंग में फुटबॉल स्टेडियम के निर्माण के लिए भूमि का चिन्हांकन किया जा चुका है। इसके अलावा नगरीय क्षेत्र से लेकर गांव तक के स्टेडियम व खेल के मैदानों की जीर्णाेद्धार की निरंतर स्वीकृति दी जा रही है। 

खिलाडि़यों, नागरिकों ने मुख्यमंत्री का जताया आभार
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और खेल प्रेमियों का कहना है कि मुख्यमंत्री श्री साय ने हमेशा खेलों को समाज और युवाओं के विकास का माध्यम माना है। उनकी प्राथमिकताओं में खेल सुविधाओं का विस्तार और ग्रामीण अंचलों तक खेल अधोसंरचना उपलब्ध कराना शामिल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जशपुर के खिलाड़ी अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए और अधिक तैयार हो पाएंगे। यह पहल जिले में खेल संस्कृति को नई पहचान दिलाएगी और आने वाली पीढि़यों को खेलों के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करेगी।

रायपुर / शौर्यपथ /
जनसंपर्क विभाग की सहायक संचालक श्रीमती रीनू ठाकुर के निधन से शासन-प्रशासन एवं विभागीय परिवार में शोक की लहर है। अपने सरल स्वभाव, कर्त्तव्यनिष्ठा और संवेदनशील कार्यशैली के कारण वे सभी की प्रिय रही थीं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि “श्रीमती ठाकुर अपनी कर्त्तव्यपरायणता, सौम्य व्यक्तित्व और मधुर व्यवहार के कारण विभागीय परिवार में विशिष्ट स्थान रखने वाली अधिकारी थीं। उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन सदैव पूर्ण समर्पण और निष्ठा से किया। उनके कार्य के प्रति प्रतिबद्धता अनुकरणीय रही है।” मुख्यमंत्री ने ईश्वर से प्रार्थना की कि दिवंगत आत्मा को शांति और शोकाकुल परिवार को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी रजवाड़े ने भी श्रीमती ठाकुर के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि “श्रीमती ठाकुर ने महिला एवं बाल विकास विभाग में भी अपनी सेवाएँ दी थीं। उनका सरल स्वभाव, कर्त्तव्यनिष्ठा और संवेदनशीलता हमेशा याद रखी जाएगी। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें।”
इस दुखद घड़ी में शौर्यपथ दैनिक समाचार परिवार भी श्रीमती रीनू ठाकुर के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करता है और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उनके परिवार को यह आघात सहन करने की शक्ति मिले।
जनसंपर्क विभाग सहित पूरे शासकीय जगत ने एक कर्मठ, संवेदनशील और समर्पित अधिकारी को खो दिया है।

रायपुर / शौर्यपथ /

सीसरिंगा से महलंग सहसपुर मार्ग के लिए 6.91 करोड़ की मंजूरी

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी सोच और विकास के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम है कि जशपुर जिले को एक और बड़ा तोहफ़ा मिला है। राज्य सरकार ने सीसरिंगा से महलंग होकर सहसपुर तक 6.5 किलोमीटर लंबे सड़क निर्माण कार्य के लिए 6 करोड़ 91 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है।

बरसात में कीचड़ भरे रास्ते और गर्मियों में धूल से परेशान ग्रामीणों को अब सुविधा और सुरक्षित परिवहन की सौगात मिलेगी। स्कूली बच्चों, मरीजों और किसानों को होने वाली समस्याएं काफी हद तक समाप्त हो जाएंगी। नई सड़क के बनने से क्षेत्र में सुगम आवागमन एवं स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान होगी। किसानों की फसलें और ग्रामीण उत्पाद अब तेजी से बाजार तक पहुंच पाएंगे। इसके साथ ही व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

राज्य शासन के द्वारा दी गई इस स्वीकृति से क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में खुशी की लहर है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस सड़क से विकास की गति तेज होगी और जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव आएगा।

रायपुर / शौर्यपथ /

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने मणिपुर में असम राइफल्स पर हुए कायरतापूर्ण हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। इस हमले में छत्तीसगढ़ के बस्तर के वीर सपूत राइफलमैन रंजीत कश्यप सहित दो जवानों ने अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राष्ट्र शहीद जवानों के अदम्य साहस और बलिदान को सदैव स्मरण रखेगा। उन्होंने शहीदों को कोटि-कोटि नमन करते हुए शोकाकुल परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि इस कठिन घड़ी में राज्य सरकार शोकसंतप्त परिवारों के साथ खड़ी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे वीर जवानों का यह त्याग हम सबको देश की रक्षा और एकता के मार्ग पर और अधिक दृढ़ संकल्पित करता है।

मुख्यमंत्री गुरु श्री तेगबहादुर सिंह जी की 350वीं शहादत शताब्दी पर नगर कीर्तन यात्रा में हुए शामिल

रायपुर / शौर्यपथ /

मुख्यमंत्री गुरु श्री तेगबहादुर सिंह जी की 350वीं शहादत शताब्दी पर नगर कीर्तन यात्रा में हुए शामिल

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय आज राजधानी रायपुर के सेरीखेड़ी में गुरु श्री तेगबहादुर सिंह जी की 350वीं शहादत शताब्दी के अवसर पर आयोजित नगर कीर्तन यात्रा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गुरु श्री तेगबहादुर सिंह जी ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। यह हमारा सौभाग्य है कि आज छत्तीसगढ़ की धरती पर आयोजित कीर्तन यात्रा का दर्शन कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री गुरु श्री तेगबहादुर सिंह जी की 350वीं शहादत शताब्दी पर नगर कीर्तन यात्रा में हुए शामिल

मुख्यमंत्री श्री साय ने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेककर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी की अगुवाई कर रहे पंच प्यारों का सम्मान भी किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को पवित्र सिरोपा और कृपाण भेंट की गई।

मुख्यमंत्री गुरु श्री तेगबहादुर सिंह जी की 350वीं शहादत शताब्दी पर नगर कीर्तन यात्रा में हुए शामिल

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए बड़े सौभाग्य और गर्व का विषय है। आज हम नगर कीर्तन यात्रा के दर्शन कर रहे हैं, जो गुरु तेगबहादुर जी की 350वीं शहादत शताब्दी के अवसर पर असम के गुरुद्वारा धुबरी साहिब से प्रारंभ होकर देश के अनेक स्थानों से होते हुए छत्तीसगढ़ पहुँची है। लगभग 10 हजार किलोमीटर की यात्रा तय कर यह नगर कीर्तन यहां पहुँचा है। हमारे प्रदेशवासियों के लिए यह ऐतिहासिक क्षण और पुण्य अवसर है कि हमें इस यात्रा का स्वागत करने और इसमें भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी की शहादत के बारे में हम सभी भलीभांति जानते हैं। वे मुगलों के सामने कभी नहीं झुके और अपने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। आज भी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब गुरु तेगबहादुर जी की शहादत का अमर प्रतीक है। हम गुरु तेगबहादुर जी को नमन करते हैं।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों की शहादत भी अद्वितीय है। साहिबजादों ने मुगलों के सामने झुकने के बजाय धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने साहिबजादों की इस वीरता को नमन करते हुए हर वर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी वीर बाल दिवस को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है।

इस अवसर पर विधायक श्री सुनील सोनी, सीएसआईडीसी के अध्यक्ष श्री राजीव अग्रवाल, छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री अमरजीत सिंह छाबड़ा, छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री संजय श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ नि:शक्तजन वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष श्री लोकेश कांवड़िया, छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती वर्णिका शर्मा, पूर्व विधायक श्री कुलदीप जुनेजा, डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना, श्री बलदेव सिंह भाटिया, श्री गुरचरण होरा, गुरुद्वारा कमेटियों के प्रमुखजन सहित बड़ी संख्या में सिख धर्म के अनुयायी एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।

दीपक वैष्णव की खास रिपोर्ट | शौर्य पथ | कोंडागांव

कोंडागांव बस स्टैंड स्थित नेशनल हाइवे पर गुरुवार 17 सितम्बर की दोपहर एक गंभीर घटना ने यातायात व्यवस्था की पोल खोल दी। एक बिना नंबर प्लेट की बुलेरो ने लापरवाही से चलते हुए एक दोपहिया वाहन चालक को ठोकर मार दी। हादसे के बाद यह सामने आया कि बुलेरो चालक के पास न तो कोई दस्तावेज था और न ही वाहन पर आगे-पीछे नंबर प्लेट।
   सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे कोतवाली में पदस्थ एएसआई भूपेंद्र बघेल ने न तो मामले की गंभीरता को समझा और न ही मोटर वाहन अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई की। उल्टा बुलेरो चालक को मौके से ही छोड़ दिया गया। गवाहों के मुताबिक, गलती बुलेरो चालक की थी, लेकिन पुलिस ने न तो वाहन ज़ब्त किया, न ही चालक पर चालान किया। इस लापरवाही के चलते आरोपी चालक मौके से फरार हो गया।

पीड़ित परिवार की मजबूरी
  हादसे में घायल टू-व्हीलर चालक के परिजन अस्पताल में भर्ती थे। इस कारण पीड़ित ने विवाद में समय गंवाने के बजाय सीधे अस्पताल जाना उचित समझा। बुलेरो चालक से नुकसान की भरपाई मांगने पर जब उसने पैसे देने से इनकार किया, तो पीड़ित निराश होकर अपने परिवार के पास चला गया।

उठते सवाल
  कोंडागांव जिला यातायात व्यवस्था में सुधार की बातें तो खूब होती हैं, लेकिन बिना नंबर–नेमप्लेट वाले वाहन खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं। पुलिस विभाग की जिम्मेदारी यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित कराने की है, मगर जब मौके पर मौजूद एएसआई ही नियमों को अनदेखा कर दें, तो सवाल उठना लाज़मी है—

क्या एएसआई को मोटर वाहन अधिनियम की जानकारी नहीं?
या फिर जानबूझकर बिना कार्रवाई किए वाहन को छोड़ दिया गया?

कानून क्या कहता है?

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 39 और 192 के अनुसार:बिना नंबर प्लेट वाहन चलाना गैरकानूनी है।पहली बार पकड़े जाने पर ₹5,000 तक का जुर्माना।बार-बार अपराध करने पर ₹10,000 तक का जुर्माना व जेल की सजा।पुलिस को ऐसे वाहन को ज़ब्त करने का अधिकार।

क्यों है नंबर प्लेट ज़रूरी?
  नंबर प्लेट वाहन की पहचान होती है। हादसा, अपराध या आपात स्थिति में यह सबसे अहम कड़ी होती है। बिना नंबर की गाड़ियां अक्सर अवैध कारोबार, तस्करी या आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल होती रही हैं।

निष्कर्ष :कोंडागांव का यह मामला केवल एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि पुलिस विभाग की लापरवाही का आईना है। बिना नंबर प्लेट की बुलेरो को छोड़ना न सिर्फ मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि यह सड़क सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी भी है। सवाल उठता है कि क्या पुलिस ऐसे मामलों में भी सिर्फ अनदेखी कर देगी, या फिर जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी?

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