November 22, 2024
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

दुर्ग । शौर्यपथ । नगरी निकाय चुनाव अब कुछ समय ही शेष बचे हैं ऐसे में दुर्ग नगर पालिका निगम की इस कार्यकाल की अंतिम सामान्य सभा 25 अक्टूबर को निगम परिसर के भवन में आयोजित हुआ । बाकलीवाल की शहरी सरकार के इस अंतिम सामान्य सभा में ऐसे कई मौके आए जब प्रदेश सरकार के ही भाजपा के सदस्यों ने निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठाएं । 

दुर्ग शहर की अवस्था पर लगातार भाजपा के पार्षद और कांग्रेस के पार्षदों ने निगम अधिकारियों को घेरा परंतु इस अंतिम सामान्य सभा में भारतीय जनता पार्टी के पार्षद अरुण सिंह ने हाल ही में हुए ठेका प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और निगम अधिकारियों को संदेह के कटघरे में खड़ा कर दिया वहीं इस कार्यपाली पर कहीं ना कहीं दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव के हस्तक्षेप की ओर भी स्पष्ट इशारा हो गया । 

मामला इस प्रकार है कि हाल ही में निगम में विकास कार्यों के लगभग 8.50 करोड़ के कार्यों का ठेका हुआ था जिस पर लगभग हजार आवेदन जमा हुए थे परंतु किसी की भी रसीद नहीं काटी अंतिम दिनों तक रसीद नहीं कटने के कारण 3 अक्टूबर की तारीख को बढ़ाकर 10 अक्टूबर कर दिया गया 10 अक्टूबर शाम तक भी रसीद नहीं काटी और प्रपत्र जमा करने वाले रसीद कटवाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटते रहे परंतु यह रसीद नहीं काटी कुछ ठेकेदारों ने इसकी शिकायत जिला कलेक्टर को भी की थी जिसमें विधायक के करीबी माने जाने वाले और पूर्व के कार्यकाल में सदा विवाद में रहने वाले कार्यपालन अभियंता मोहनपुरी गोस्वामी की संलिप्तता पर सवाल उठाए गए थे वहीं 25 अक्टूबर के सामान्य सभा में पार्षद अरुण सिंह ने निविदा प्रक्रिया पर कार्यपालन अभियंता आरके जैन एवं जूनियर इंजीनियर करण यादव के द्वारा की जा रही मनमानी पर सवाल उठाए वहीं इनकी मनमानी के चलते शासन को हुए करोड़ों के नुकसान की बात कही। 

  लगभग हजार आवेदन आने के बावजूद भी रसीद नहीं काटने से शासन को 5 से 6 लाख के राजस्व का नुकसान हुआ वही काम के बंटवारे में अपने मनपसंद ठेकेदारों को काम देने के मामले में पांच प्रतिशत कमीशन और 8% अधिक रेट पर काम देने से राज्य सरकार को राजस्व का लगभग करोड़ रूपया का नुकसान होने की बात कही । दुर्ग निगम में ऐसे मौके बहुत ही कम आए हैं जब above रेट पर निविदा जारी हुई अगर निष्पक्ष प्रतियोगिता के साथ कार्य वितरण होता तो लगभग 8.50 करोड़ के विकास कार्यों में 10 से 15% बिलों में कार्य का वर्णन होता है जिससे राज्य शासन को एक से डेढ़ करोड़ रुपए का लाभ होता परंतु above रेट जाने से राज्य सरकार को नुकसान हुआ । पार्षद अरुण सिंह ने खुले मंच पर इन दो अधिकारियों द्वारा कमीशन के इस खेल की बात कही गई और उक्त कार्यों को निरस्त कर स्वच्छ प्रतियोगिता के साथ कार्य की बात कही । 

  पार्षद अरुण सिंह द्वारा जब करण यादव जूनियर इंजीनियर का नाम लिया गया तो सभा स्थल में एक साथ कई तरफ से आवाज उठने लगे कि करण यादव विधायक गजेंद्र यादव का दामाद है ऐसे में सामान्य सभा के बाद शहर में यह चर्चा है कि निगम के कार्यों में और ठेका देने के कार्यों में विधायक गजेंद्र यादव की मर्जी चल रही है । विधायक गजेंद्र यादव की निगम में हस्तक्षेप की चर्चा काफी महीनों से चल रही थी विधायक गजेंद्र यादव के करीबी व्यक्ति को कचरा परिवहन के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान पूर्व में भी हो चुका है ऐसे में निगम में बदहाल स्थिति की जिम्मेदारी के ऊपर अब विधायक गजेंद्र यादव के ऊपर भी सवाल उठने लगे हैं । 

     देखना यह है कि प्रदेश की विष्णु देव साय सरकार द्वारा सुशासन की जो बात कही जा रही है उस सुशासन पर क्या विधायक गजेंद्र यादव संज्ञान लेकर विवादित निविदा प्रक्रिया को निरस्त कर एक स्वच्छ निविदा प्रक्रिया के लिए अधिकारियों को निर्देशित करते हैं या फिर यह प्रक्रिया निरंतर बढ़ती ही रहेगी । 

   वहीं चर्चा यह यह भी है कि अगर इस तरह से विकास के कार्यों की निविदा में विधायक गजेंद्र यादव की मनमानी चलती रही और राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान होता रहा तो आने वाले निकाय चुनाव में भाजपा पार्षदों को अपने वार्ड में जनता के सामने जाने में कई तरह की परेशानियों का और सुशासन की बात करने वाले भाजपा को वोट मांगने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा । यह तो आने वाला समय ही बताया कि भ्रष्टाचार कि आच में घिरे हुए इस निविदा मामले पर विधायक गजेंद्र यादव किस प्रकार संज्ञान लेते हैं ? बरहाल यह तो स्पष्ट हो गया कि विधायक महोदय के दामाद निगम में कार्यरत है और कार्यों पर उनकी नजर है । वही 8.5 करोड़ के कार्यों का 5% कमीशन का मामला भी सबके सामने आ चुका हैं जो कि जांच का विषय है ।

   राजनांदगांव/शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड राजनांदगांव के कैलाश नगर स्थित पूर्वी जोन उपकेन्द्र में सुरक्षित ढंग से कार्य करने हेतु विद्युत कर्मियों के लिए ‘‘सेफ्टी ड्रिल ट्रेनिंग’’ कार्यषाला का आयोजन किया गया। राजनांदगांव क्षेत्र के मुख्य अभियंता श्री शिरीष सेलट के निर्देशानुसार कार्यपालन अभियंता श्री आर.के. गोस्वामी,  सहायक अभियंता श्री रोहित मंडावी व कनिष्ठ अभियंता सुश्री नेहा गढ़पायले के द्वारा तकनीकी एवं ठेका कर्मचारियों को सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए कार्य करने एवं लाइन मेन्टेनेंस तथा एरियर्स रिकवरी के उपायों के विषय में जानकारी दी गयी। उन्होने कि ज्यादातर हादसे छोटी-छोटी लापरवाही से होते हैं, इसलिए बचाव के साधनोें का पूरा उपयोग कर ही बिजली का कार्य करना चाहिये। उन्होंने कहा कि थोड़ी से लापरवाही से जान जा सकती है इसलिए विद्युत सुरक्षा के बुनियादी सिद्धांतों को समझकर और पालन करके ही विद्युतीय दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं।
        कैलाश नगर स्थित विद्युत कार्यालय में आयोजित इस कार्यशाला में अधिकारियों ने कहा सुरक्षा का मूलमंत्र है, कि एक सेफ्टी जोन बनाकर कार्य करें। विद्युत लाइनों पर कार्य करने के पूर्व विधिवत परमिट लेकर सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग करते हुए एबी स्वीच को ओपन कर लाइन को डिस्चार्ज कर लेवें, और यह भी सुनिश्चित कर लेवें कि किसी अन्य उपकेन्द्र से इस लाइन पर विद्युत प्रदाय तो नहीं किया जा रहा है यदि ऐसा है तो उसे दूसरे छोर से भी नो बैकफीड परमिट अवश्य ले तथा लाइन को बंद करावें। मोबाइल के माध्यम से कदापि परमिट ना लें। समस्त तकनीकी कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरणों एवं उपायों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विद्युत सुरक्षा के बुनियादी सिद्धांतों को समझकर और पालन करके ही विद्युतीय दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं। सुरक्षा उपकरणों की नियमित तौर से जांच करें और खराब होने पर तत्काल बदलें।
       पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के अधिकारियों ने विद्युत कर्मियों से कहा कि अधिकारियों ने सुरक्षा उपकरण जैसे डिस्चार्ज राड, सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, टेस्टर, दस्तानों आदि के सुरक्षात्मक उपयोग के बारे में विस्तार से बताते हुए कर्मचारियों के द्वारा किस प्रकार इनका उपयोग करना है इनको प्रायोगिक तौर से दिखाया गया। इस दौरान तकनीकी कर्मचारियों द्वारा भी अपने सुरक्षा संबंधित अनुभव एवं कार्य के दौरान आने वाले परेशानियों को भी साझा किया गया।

जनकल्याण के लिए हो आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग: राष्ट्रपति
रायपुर एम्स छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा के लिए वरदान: राज्यपाल श्री रमेन डेका
छत्तीसगढ़, मध्य भारत का मेडिकल हब बनने की ओर अग्रसर: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का द्वितीय दीक्षांत समारोह
   रायपुर/शौर्यपथ / राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु ने आज एम्स रायपुर के द्वितीय दीक्षांत समारोह में संस्थान के 10 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं पदोपाधि तथा 514 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मेडिकल प्रोफेशनल का कार्य अत्यंत जिम्मेदारी भरा होता है, उनके निर्णय जीवन रक्षा से जुड़े होते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां से उत्तीर्ण चिकित्सक एवं पैरा मेडिकल छात्र इस जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व का निर्वहन पूरी तन्मयता और क्षमता के साथ करेंगे। उन्होंने उपाधि एवं पदोपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देेते हुए उनके स्वर्णिम भविष्य की कामना की। इस अवसर पर राज्यपाल श्री रमेन डेका, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, एम्स रायपुर के अध्यक्ष प्रो. जॉर्ज ए डिसूजा, एम्स के कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ लेफ्टिनेंट जनरल अशोक कुमार जिंदल सहित एम्स रायपुर के चिकित्सक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि जब आप सबने मेडिकल को अपना कार्यक्षेत्र चुना होगा, तो आपके मन में दया और संवेदना का भाव रहा होगा। आपको यह हमेशा याद रखना होगा कि दया, करूणा, संवेदना मानवीय मूल्य को मजबूत बनाते हैं। इसलिए हमेशा अपने कार्य क्षेत्र में इन जीवन मूल्यों के साथ कार्य करें।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि भारत सरकार देश के सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए प्रयास कर रही है। पिछले एक दशक में देशवासियों को यूनिवर्सल हेल्थ कार्ड प्रदान करने के लिए अनेक कदम उठाए गए। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बड़ी संख्या में नागरिक लाभान्वित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री जन औषधि योजना से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाई उपलब्ध हो रही है। पिछले 10 वर्षों में मेडिकल कॉलेज, एमबीबीएस और पीजी की सीटों में भी बढ़ोतरी हुई है। नए एम्स भी स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि एम्स रायपुर उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के साथ-साथ कुपोषण को दूर करने तथा सिकलसेल क्लिनिक का संचालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का उपयोग जनकल्याण के लिए किया जाना चाहिए। एम्स रायपुर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चलित क्लीनिकल डिसीज और सपोर्ट सिस्टम पर भी कार्य कर रहा है। इससे दूर दराज के क्षेत्र के डॉक्टरों को आपातकालीन स्थितियों में रियल टाइम मदद तथा सामुदायिक स्वास्थ्य में सुधार होगा। हमने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। आपके कार्य विकसित राष्ट्र बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
राज्यपाल श्री रमेन डेका ने इस अवसर पर सभी स्नातक छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और उनके सफल करियर की कामना की। उन्हांेने कहा कि आज से आप, लोगों के लिए आशा की किरण होंगे। उन्होंने एम्स रायपुर की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संस्थान ने छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरे देश में स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की है। एम्स रायपुर का 2024 में राष्ट्रीय रैंकिंग में 38वां स्थान प्राप्त करना इसकी एक मिसाल है। इस संस्थान ने छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्य प्रदेश के लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने का कार्य किया है। कोविड-19 महामारी के दौरान यहां के मरीजों को मिले उच्च-स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की भी उन्होंने प्रशंसा की। राज्यपाल ने आयुष्मान भारत योजना जैसी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन की सराहना की और कहा कि इस योजना ने संस्थान की गरिमा को और बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का छत्तीसगढ़ की 3 करोड़ जनता की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि यह गौरव की बात है कि इस आदिवासी प्रदेश में स्थित मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थाओं की प्रतिभाएं आपकी उपस्थिति में दीक्षा पूरी कर रही है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में देश की लगभग सभी ख्यातनाम संस्थाएं स्थित हैं। ये संस्थाएं राज्य के भविष्य को रास्ता दिखाने वाली मशालें हैं। इनमें से ज्यादातर संस्थाएं यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की रूचि और पहल पर छत्तीसगढ़ को मिली हैं। एम्स रायपुर छत्तीसगढ़ के साथ-साथ महाराष्ट्र और ओडिशा के लोगों के लिए भी वरदान है। इस संस्थान ने अपनी व्यवस्था और विशेषज्ञता के लिए पूरे देश में नाम कमाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना हमारी प्राथमिकता है। राज्य में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भर्तियां बड़े पैमाने पर की जा रही हैं। अस्पताल भवनों को बेहतर बनाया जा रहा है। आधुनिक उपकरणों की व्यवस्था भी की जा रही है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायपुर और सिम्स बिलासपुर में भवन विस्तार तथा सुविधाओं का विकास शुरू कर दिया गया है। प्रदेश के 4 नये मेडिकल कॉलेजों के भवनों के निर्माण के लिए 1020 करोड़ 60 लाख रुपए का प्रावधान कर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी में भी कराने का निर्णय लिया है, इससे विशेष रूप ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों के लिए मेडिकल शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे। छत्तीसगढ़ को मध्य भारत का मेडिकल हब बनाने में अपना योगदान देने के लिए हमारे शासकीय अस्पताल भी पूरी तरह तैयार हैं। हम राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं को दुर्गम क्षेत्रों के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में एम्स रायपुर के अध्यक्ष प्रो. जॉर्ज ए डिसूजा ने स्वागत भाषण तथा कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ लेफ्टिनेंट जनरल अशोक कुमार जिंदल ने एम्स रायपुर का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

नई दिल्ली/शौर्यपथ /देश के जाने माने बिजनेसमैन रतन टाटा का हाल ही में निधन हो गया था. बिजनेसमैन रतन टाटा के निधन के बाद लोगों के दिलों में यही सवाल आ रहा था कि आखिर उनके जाने के बाद अब उनकी 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति किसे मिलने जा रही है. रतन टाटा की वसीयत अब सामने आ गई है. रतन टाटा ने अपने से जुड़े कई लोगों को संपत्ति का हिस्सेदार बनाया है. TOI में छपी खबर के अनुसार रतन टाटा ने अपनी संपत्ति में भाई जिमी टाटा, सौतेली बहन शिरीन और डिएना जीजीभॉय,  हाउस स्टाफ से जुड़े कुछ लोगों को हिस्सेदार बनाया है. साथ ही अपने फाउंडेशन का जिक्र किया है.
शांतनु नायडू को क्या मिला
टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने लंबे समय से सहयोगी रहे शांतनु नायडू को भी अपनी वसीयत में शामिल किया है. टाटा ने आरएनटी कार्यालय में महाप्रबंधक नायडू के वेंचर गुडफेलो में अपनी हिस्सेदारी भी छोड़ दी है. साथ ही उन्होंने नायडू के शिक्षा के लिए लोन को भी माफ कर दिया है. बता दें कि ‘गुडफेलो' 2022 में शुरू की गई वरिष्ठ नागरिकों के लिए सदस्यता-आधारित साहचर्य सेवा है.
कौन है शांतनु नायडू
कॉर्नेल विश्वविद्यालय से एमबीए करने वाले शांतनु नायडू रतन टाटा के बेहद ही करीबी लोगों में से एक थे. नायडू साल 2017 से टाटा ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं. शांतनु नायडू टाटा समूह में काम करने वाले अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं.
रतन टाटा के पास थी कितनी संपत्ति
    रतन टाटा अपने पीछे करीब 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं
    अलीबाग में दो हजार वर्ग फुट का बंगला.
    मुंबई के जुहू में दो मंजिला मकानृ.
    350 करोड़ रुपये की एफडी.
    टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 0.83 फीसदी हिस्सेदारी.
    करीब 20 से लेकर 30 गाड़ियां.
वसीयत में टीटो का भी रखा ध्यान
रतन टाटा ने अपने जर्मन शेफर्ड डॉग टीटो की देखभाल करने की जिम्मेदारी अपने रसोइए राजन शॉ को दी है. वसीयत में उन्होंने टीटो की देखभाल करने के लिए अच्छी खासी रकम छोड़ी है. टीटो को रतन टाटा ने कुछ महीने ही गोद लिया था. इसके अलावा रतन टाटा ने वसीयत में अपने वफादार बटलर सुब्बैया के लिए भी कुछ हिस्सा छोड़ा है, जिसे वो लंबे समय से जानते थे.
बता दें टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का नौ अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.

नई दिल्ली/शौर्यपथ /दिवाली और छठ पूजा के त्योहारों के दौरान यात्रियों की सुविधा के लिए उत्तर रेलवे ने विशेष तैयारी की है. इस साल उत्तर रेलवे ने 3144 फेरे त्योहार विशेष ट्रेनें (Special trains) चलाने की घोषणा की है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक हैं. इसके अलावा दिल्ली के सभी रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था में वृद्धि की गई है.
त्योहार पर विशेष ट्रेनों के फेरे
उत्तर रेलवे ने दिवाली और छठ पूजा के दौरान यात्रियों की सुविधा के लिए 3144 फेरे त्योहार विशेष ट्रेनें चलाने की घोषणा की है. इन ट्रेनों में से 85% पूर्व दिशा में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम जाने वाले यात्रियों के लिए चलाई जाएंगी.
अतिरिक्त यात्री वहन क्षमता का प्रावधान
उत्तर रेलवे ने दिवाली और छठ पूजा के दौरान सुगम और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए 26 अक्टूबर से 7 नवंबर तक विशेष ट्रेनों के 195 फेरे चलाने की योजना बनाई है. इन 13 दिनों में उत्तर रेलवे प्रत्येक दिन दिल्ली एरिया से 65 ट्रेनों का संचालन करेगी, जबकि पिछले साल इन 13 दिनों में 59 ट्रेनों का संचालन हुआ था. इन दिनों में लगभग एक लाख 20 हजार यात्रियों को अतिरिक्त बर्थ उपलब्ध होंगी.
भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम
उत्तर रेलवे ने दिवाली और छठ पूजा के दौरान भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 16 पर पहली बार अनारक्षित यात्रियों के सुगम एवं सुरक्षित प्रवेश के लिए, कतार में लगने के लिए अलग प्लेटफार्म प्रवेश द्वार का निर्माण किया गया है. इसके अलावा, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, आनंद विहार टर्मिनल और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर सभी विभागों के नामित कर्मचारियों द्वारा संचालित एक सुसज्जित मिनी-नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा.
सुरक्षा व्यवस्था
उत्तर रेलवे ने स्टेशनों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है. नई दिल्ली, आनंद विहार टर्मिनल, दिल्ली जंक्शन और हज़रत निजामुद्दीन पर 1340 (2023 में 1156 थे) अतिरिक्त आरपीएफ/आरपीएसएफ कार्मिक, डॉग स्क्वॉड की तैनाती की जाएगी. सभी प्रवेश द्वारों पर बैगेज स्कैनर/मेटल डिटेक्टर, लैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर, सभी प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा जवानों की तैनाती, एफओबी और प्लेटफार्मों पर मेगा माइक और नायलॉन की रस्सियां की व्यवस्था की जाएगी.
नई दिल्ली, आनंद विहार टर्मिनस और दिल्ली जंक्शन में अतिरिक्त 126 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. बेहतर संचार के लिए कर्मचारियों को अतिरिक्त 100 वाकी-टॉकी, 100 लाउड हेलर, 5 वीएचएफ सेट उपलब्ध कराए जाएंगे. कर्मचारियों को अतिरिक्त 1500 चमकदार जैकेट उपलब्ध कराए जाएंगे. बम निरोधक दस्ते, यातायात व्यवस्था के लिए दिल्ली पुलिस के संबंधित डीसीपी के साथ समन्वय किया जा रहा है.

खाना खजाना /शौर्यपथ / बच्चों के टिफिन में ऐसा क्या दें जिसे वो पूरा खत्म कर लें और मजे से खाएं. ये टेंशन हर उस मां को होती है जो अपने बच्चे को स्कूल भेजते समय उनका टिफिन पैक करती है. अक्सर ये टेंशन होती है कि बच्चों को ऐसा क्या दिया जाए जो हेल्दी होने के साथ टेस्टी भी हो. बता दें कि आज हम आपको एक ऐसी ही पौष्टकता सेभरपूर रेसिपी बताएंगे जिसे आप अपने बच्चों को अलग-अलग फिलिंग्स के साथ बनाकर दे सकते हैं. हम आपको बताएंगे टेस्टी रैप बनाने की रेसिपी.
आलू चना रैप बनाने की रेसिपी
सामग्री
    आलू
    प्याज
    चने
    धनिया के पत्ते
    मटर
    टॉर्टिलाज
    ऑलिव ऑयल
    जीरा
    हल्दी
    गरम मसाला
    शहद
    ऑयल स्प्रे
    काले तेल
आलू रैप रेसिपी
आलू चना रैप बनाने के लिए सबसे पहले अवन को 180°C पर गरम कर के इसमें बेकिंग पेपर लगाकर ट्रे को रख दें. अब उबले हुए आलू को अच्छे से मैश कर के कुछ देर के लिए रख दें. अब एक पैन में ऑलिव ऑयल को गर्म करें इसमें कटा हुआ प्याज डालकर नर्म होने तक पकाएं. इसके बाद इसमें 1  चम्मच जीरा, आधा चम्मच हल्दी और दो चम्मच गरम मसाला डालकर अच्छे से मिक्स कर दीजिए. मसालों के साथ प्याज को मिलाकर कुछ देर तक भून लीजिए. अब मैश्ड आलू को प्याज के साथ मिला लें. इसमें 3 बड़े चम्मच पानी को डालने के साथ ही इसमें चने, शहद, मटर के दाने, हरा धनिया डालकर अच्छी तरह से मिला लें. अब इस मिक्सचर को टॉर्टिला रैप पर अच्छे से फिल करें. इन टॉर्टिला को अवन ट्रे पर रखें और तेल लगाकर 10 मिनट तक बेक कर लें. हरा धनिया के साथ गार्निश कर के टिफिन में पैक कर दें. आपके बच्चे इसे बहुत ही मजे से खाएंगे.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /देसी घी को अगर भारतीय किचन की जान कहा जाए तो ऐसा कहना शायद गलत नहीं होगा. अपने पोषक तत्वों से भरपूर होने के ही साथ ये खाने का स्वाद भी बढ़ाता है. स्वाद और सेहत से भरपूर देसी घी का तड़का किसी भी सब्जी या दाल में एक अलग स्वाद जोड़ता है. इसके साथ ही देसी घी में बने पराठे, पूरी और देसी घी लगी रोटी का भी अपना एक अलग स्वाद होता है. अब जब हम सभी जानते हैं कि देसी घी हमारे खाने में कितना खास है. इस वजह से कई लोग इसे अपने घर में स्टोर कर के रखते हैं. इसका ढेर सारा स्टॉक जमा कर लेते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करना सही भी है या नही. क्या देसी घी भी कभी एक्सपायर हो सकता है? अगर आपके मन में भी कुछ ऐसे ही सवाल हैं तो आइए इस कंफ्यूजन को दूर करते हैं.
क्या देसी घी भी कभी एक्सपायर होता है?  
क्या आपके मन में भी कभी ये सवाल आया है कि देसी घी भी कभी एक्सपायर या खराब हो सकता है. तो इसका जवाब है हां, जिस तरह से बाकी चीजें खराब होती हैं ठीक उसी तरह से देसी घी भी खराब हो सकता है. बाजार से लाए गए देसी घी में एक्सपायरी डेट लिखी होती है. वो टाइम ही इसे यूज करने का सही समय होता है. वहीं जो देसी घी आप घर पर बनाते हैं वो भी खराब होता है. जब देसी घी की महक बदलने लगे और स्वाद बदलने लगे तो समझ जाएं कि वो खराब हो गया है.
कैसे करें स्टोर
बता दें कि अगर आप देसी घी को सही तरीके से स्टोर करते हैं तो वो 3 साल तक भी खराब नहीं होता है. इसके लिए आपको देसी घी को एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करके रखना चाहिए. इसमें हवा ना पहुंचने से ये लंबे समय तक खराब होने से बचा रहता है. इसके साथ ही कोशिश करें कि देसी घी को हमेशा कांच के कंटेनर में ही स्टोर कर के रखें. इसके अलावा आप देसी घी को फ्रिज में स्टोर कर के भी रख सकते हैं.
आप चीजों को लंबे समय तक और सही तरीके से स्टोर कर के रख सकते हैं. लेकिन फायदा उसी में है जब आप चीजों को कम मात्रा में बनाएं और समय रहते उनका इस्तेमाल कर लें.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / आंवला जूस सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. इसमें विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर, और कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. आंवले के जूस का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अगर आप एक महीने तक नियमित रूप से आंवला जूस का सेवन करते हैं तो इससे आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं. आइए जानते हैं 1 महीने तक अगर आप लगातार आंवला जूस का सेवन करते हैं तो आपको क्या लाभ मिलेगा.
1. स्ट्रांग इम्यूनिटी
आंवले में विटामिन C की उच्च मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर शरीर को संक्रमण से लड़ने में सहायक है. रोजाना आंवला जूस पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
2. बेहतर डाइजेशन
आंवला जूस का सेवन पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है. यह कब्ज, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं को दूर करता है और आंतों की सफाई करता है.
3. ग्लोइंग स्किन
आंवला जूस पीने से त्वचा में चमक आती है और दाग-धब्बे कम होते हैं. यह एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है, जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है, जिससे स्किन लंबे समय तक जवां दिखती है.
4. वेट लॉस
आंवला जूस मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है. एक महीने तक आंवला जूस का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है.
5. बालों के लिए फायदेमंद
आंवला जूस में मौजूद पोषक तत्व बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं, बालों के झड़ने की समस्या कम करते हैं और बालों को घना, चमकदार बनाते हैं.
कैसे करें सेवन:
    आंवला जूस को सुबह खाली पेट पीना फायदेमंद माना जाता है.
    अगर जूस का स्वाद कड़वा या तीखा लगता है, तो इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पी सकते हैं.
    ध्यान रखें कि इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें, क्योंकि इससे पेट में जलन या एसिडिटी हो सकती है.
    नियमित रूप से आंवला जूस का सेवन सेहत के लिए लाभकारी है. यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, त्वचा को निखारता है, और कई गंभीर बीमारियों से भी बचाने में सहायक है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह की अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है. दिवाली दीपों का पर्व है जिसमें रोशनी से हर गली-मोहल्ले जगमगाते नजर आते हैं. दिवाली की रात मां लक्ष्मी  और भगवान गणेश का पूरे मनोभाव से पूजन किया जाता है. इस साल 31 अक्टूबर के दिन दिवाली मनाई जा रही है. माना जाता है कि लक्ष्मी-गणेश की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है सो अलग. इस दिन घर में मां लक्ष्मी के कदमों की छापलगाने की भी विशेषता होती है. ऐसे में जानिए किस तरह दिवाली पर फर्श पर मां लक्ष्मी के कदमों की छाप लगाई जाए जिससे घर-परिवार को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो.
मां लक्ष्मी के कदमों की छाप कहां लगाएं
माना जाता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी के कदम घर पर लगाने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है. मां लक्ष्मी घर आती हैं तो अपने साथ सुख-समृद्धि और खुशहाली भी लाती हैं. घर में धन-वैभव आने लगता है और आर्थिक दिक्कतें दूर रहती हैं. मां लक्ष्मी के कदमों की छाप आमतौर पर बाजार से खरीदकर लाई जाती है.
मां लक्ष्मी के कदम घर के मंदिर की ओर जाते हुए लगाने चाहिए. इस तरह कदम लगाना बेहद शुभ माना जाता है. मंदिर की ओर जाते हुए मां लक्ष्मी के कदम लगाना इस ओर संकेत करता है कि माता घर में प्रवेश कर रही हैं और घर के मंदिर में विराजमान होने आ रही हैं. मां लक्ष्मी घर के मंदिर में रहती हैं तो घर-परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं जिससे घर में बरकत आती है.
घर पर मां लक्ष्मी के जो कदम लगाए जा रहे हैं वो लाल, गुलाबी, पीले या हरे रंग के हो सकते हैं. रंग-बिरंगे कदम लगाना भी शुभ माना जाता है.
कहां नहीं लगाने चाहिए मां लक्ष्मी के कदम
बहुत से लोग मां लक्ष्मी के कदमों को सजावट की तरह इस्तेमाल करते हैं. सजावट करने के लिए ज्यादातर लोग घर के मुख्यद्वार पर मां लक्ष्मी के कदमों की छाप लगा देते हैं परंतु इसे सही नहीं माना जाता है. मां लक्ष्मी के कदमों को मुख्य द्वार पर लगाने से जाने-अनजाने लोग कदमों पर पैर रख सकते हैं. इसे मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है और इससे मां लक्ष्मी क्रोधित हो सकती हैं. वहीं, बाथरूम या कूड़ेदान के पास भी मां लक्ष्मी के कदम नहीं लगाने चाहिए.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / 5 दिनों तक चलने वाले दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना करने के साथ ही मां लक्ष्मी  को प्रसन्न करने के लिए लोग घर में कोई नई चीज खरीद कर लाते हैं. इस दिन सोना , चांदी  या पीतल खरीदने का महत्व होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग पहले से ही करोड़पति हैं वो लोग धनतेरस पर अपने घर ऐसी कौन सी चीज लाते हैं जिससे मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती है और साल भर उन पर पैसों की बरसात होती है. तो चलिए हम आपको बताते हैं सोना चांदी के अलावा करोड़पति लोग अपने घर में धनतेरस के दिन ऐसा क्या लाते हैं जिसे आप भी खरीद सकते हैं.
एक छोटी सी चम्मच धनतेरस पर ले आएं घर
धनतेरस पर अधिकतर लोग सोने चांदी के आभूषण सिक्के या अन्य चीजें खरीदते हैं. लेकिन करोड़पति लोग अमीर होने के बावजूद भी धनतेरस पर एक छोटी सी चम्मच जरूर खरीदते हैं. हालांकि, इस चम्मच का इस्तेमाल खाने में नहीं किया जाता है, बल्कि इस चम्मच को तिजोरी में रखना बहुत उत्तम माना जाता है. कहते हैं ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं और साल भर धन की कमी घर में नहीं होती है और तो और धन में बढ़ोतरी होती है. आप अपनी सुविधा अनुसार चांदी, पीतल या स्टील का चम्मच भी खरीद कर ला सकते हैं और धनतेरस पर इसकी पूजा करने के बाद इसे तिजोरी में रखें.
कब मनाया जाएगा धनतेरस का त्योहार
दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से ही होती है और धनतेरस का त्योहार इस बार 29 अक्टूबर 2024 के दिन मनाया जाएगा.  इस दिन घरों में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के साथ ही भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है, साथ ही कुबेर देव को भी पूजा जाता है. आप अपने घर में एक चौमुखी आटे का दीपक जरूर जलाएं और धनिया के बीज, कौड़ी, चम्मच और एक झाड़ू अवश्य खरीद कर लाएं. कहते हैं धनतेरस के दिन ये चीजें खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और हमेशा अपने भक्तों पर धन की वर्षा करती हैं.

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