October 24, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

जगदलपुर, शौर्यपथ। राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।

यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।

यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार—जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG शामिल हैं—समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है—एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।

मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।

यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे।” उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों से समाज निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे।

कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे।

‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।

भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के गन्ना उत्पादक किसानों को 11.09 करोड़ रुपये का बोनस भुगतान

रायपुर / शौर्यपथ /

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के सतत प्रयासों एवं किसान हितैषी दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा द्वारा जिले के गन्ना उत्पादक किसानों को दीपावली पर्व के अवसर पर बड़ा आर्थिक लाभ प्रदान किया गया है। कारखाना प्रबंधन द्वारा पिछले पेराई सत्र में गन्ना विक्रय करने वाले किसानों को शासन की ओर से 11.09 करोड़ रुपये का बोनस भुगतान किया गया है। यह बोनस भुगतान उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के विशेष पहल एवं प्रयासों से संभव हुआ है। उनके नेतृत्व में किसानों के हितों को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध भुगतान और बोनस वितरण सुनिश्चित किया गया है।

भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा ने पेराई सत्र 2024-25 के दौरान किसानों से खरीदे गए गन्ने का 115.44 करोड़ रुपये का संपूर्ण भुगतान कर प्रदेश की सभी शुगर मिलों में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि कारखाने की पारदर्शी कार्यप्रणाली, कुशल प्रबंधन एवं सहकारिता की सुदृढ़ भावना का परिचायक है। दीपावली से पूर्व किसानों को बोनस भुगतान प्राप्त होने से पूरे जिले के कृषक समुदाय में हर्ष एवं उत्साह का वातावरण व्याप्त है। बोनस राशि के भुगतान न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाएगी, बल्कि किसानों का विश्वास को और अधिक मजबूत करेगी।

दुर्ग। शौर्यपथ। दीपावली से ठीक पहले बुधवार रात शहर के प्रमुख पटेल चौक पर भयानक हादसा हुआ, जहाँ नगर निगम के कचरा ट्रक ने स्कूटी सवार तीन लोगों को रौंद…

संपादकीय लेख: 25 वर्षी युवा लोकगायिका मैथिली ठाकुर अब बिहार की राजनीति के नए चेहरे के रूप में उभर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें दरभंगा जिले की अलीनगर विधानसभा सीट से टिकट दिया है, और इस तरह उनकी सार्वजनिक यात्रा संगीत मंच से राजनीतिक मंच तक पहुंच गई है

     ।मैथिली ठाकुर ने कहा है कि वे "राजनीति खेलने नहीं, बल्कि परिवर्तन लाने" आई हैं । लेकिन सवाल यह है कि क्या एक युवा कलाकार, जिसके पास राजनीतिक अनुभव नगण्य है, एक ऐसे लोकतांत्रिक तंत्र का सुचारु संचालन कर पाएगा जहाँ विकास नीतियों, प्रशासनिक दृष्टिकोण और जनता की उम्मीदों की कसौटी पर हर निर्णय परखा जाता है?राजनीति बनाम लोकप्रियताभारतीय राजनीति में यह नया प्रयोग नहीं है कि कला या खेल के मंच से आए प्रतिष्ठित चेहरे चुनावी अखाड़े में कदम रखते हैं।

राजेश खन्ना से लेकर अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर से गौतम गंभीर और कंगना रनौत तक — सबने अपने-अपने क्षेत्र की प्रसिद्धि को जनसेवा में बदलने की कोशिश की, लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यही रहा कि लोकप्रियता क्या प्रशासनिक दक्षता में बदल सकती है?

अक्सर देखा गया है कि ऐसे जनप्रतिनिधियों की पहचान क्षेत्रीय विकास से अधिक पार्टी की रणनीतिक छवि या प्रचार शक्ति के रूप में रह जाती है।युवा ऊर्जा और राजनीतिक अनुभव का द्वंद्वमैथिली ठाकुर की लोकप्रियता मिथिला और बिहार भर में निर्विवाद है। वे ब्राह्मण समुदाय से आने वाली लोकगायिका हैं, जिनके गीतों में संस्कृति, भक्ति और लोक परंपराओं की सुगंध है । यह सामाजिक सम्मान उन्हें वोटों में बदलने में मदद दे सकता है।

लेकिन विधानसभा का दायित्व केवल भावना और करिश्मे से नहीं निभाया जा सकता।

विकास योजनाओं की मांग, बजट आवंटन, नौकरशाही से संवाद और स्थानीय जनहित परियोजनाओं की निगरानी — ये सभी ऐसे कार्य हैं जिनके लिए अनुभव, संगठन और गहरी राजनीतिक समझ की आवश्यकता होती है।राजनीतिक दलों की रणनीति और जनता का हितराजनीतिक दलों का यह प्रयास होता है कि वे जनआकर्षण वाले चेहरों को टिकट देकर अपने वोटबैंक को मजबूत करें। बीजेपी का भी यही दांव इस बार मैथिली ठाकुर के नाम पर है ।

ऐसे में यह जोखिम भी बना रहता है कि किसी सेलिब्रिटी प्रत्याशी की भूमिका केवल पार्टी की सीट संख्या बढ़ाने तक सीमित रह जाए, जबकि जनता के असल मुद्दे – बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और सिंचाई – पीछे छूट जाएं।

इस प्रवृत्ति में लोकतंत्र की आत्मा कमजोर पड़ती है, क्योंकि व्यक्ति का जनाधार भावनाओं पर टिका होता है, न कि नीतियों के ठोस क्रियान्वयन पर।जनसेवा या जनआकर्षण?अलीनगर विधानसभा का जातीय और सामाजिक समीकरण जटिल है। यहां मुस्लिम और ब्राह्मण वोटर निर्णायक माने जाते हैं ।

मैथिली ठाकुर का संगीत से जुड़ा सामाजिक सामंजस्य उन्हें एक पुल का प्रतीक बना सकता है, बशर्ते उनकी प्राथमिकता जनसेवा हो, न कि केवल छवि-प्रबंधन।

यदि वे वास्तव में क्षेत्र की मूलभूत आवश्यकताओं — महिला सशक्तिकरण, युवाओं के लिए रोजगार तथा सांस्कृतिक संरक्षण — के लिए योजनाबद्ध कार्य करती हैं, तो वे राजनीति के भीतर लोकसंस्कृति की नई परिभाषा गढ़ सकती हैं।

अन्यथा, वे भी उसी पंक्ति में आ जाएंगी जहाँ कई नामचीन चेहरे केवल चुनावी चमक बनकर रह गए।निष्कर्ष: लोकतंत्र में जिम्मेदारी प्रसिद्धि से बड़ी हैजिस प्रकार मंच पर एक कलाकार अपनी मधुरता से आत्माओं को छूता है, उसी प्रकार एक विधायक को जनता के जीवन को वास्तविक सुधारों से स्पर्श करना होता है।

मैथिली ठाकुर की राजनीतिक यात्रा यदि संवेदनशीलता, पारदर्शिता और सक्रियता से भरी रही तो वे नई पीढ़ी की प्रेरणा बन सकती हैं।

अन्यथा, राजनीति में उनका प्रवेश भी सिर्फ एक और "सेलिब्रिटी प्रयोग" बन जाएगा — जहाँ कला की गरिमा और लोकतंत्र की गहराई, दोनों ही प्रचार की परतों में ढक जाएंगी ।

1.11 लाख रूपये की कर चुकी हैं बिक्री

  गौरेला पेंड्रा मरवाही / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्प को पूरा करने की दिशा में स्वसहायता समूह की महिलाएं अपनी योगदान दे रहीं हैं। दीपावली पर्व के अवसर पर कलात्मक दीयों और पूजा सामग्री का निर्माण करके स्थानीय हाट बाजारों में बिक्री करके समृद्ध हो रहीं हैं। जिला प्रशासन एवं ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से पेंड्रा जनपद की पांच महिला स्वसहायता समूहों की 12 महिलाएं मिलकर अब तक 70 हजार मिट्टी के दीये तैयार कर लिए हैं। इसके साथ ही अगरबत्ती, बाती एवं तोरण तैयार कर स्थानीय बाजारों-कोटमी, नवागांव और कोड़गार हाट बाजार में बेच रही हैं। समूह द्वारा निर्मित दीये रायपुर में आयोजित सरस मेला में भी प्रदर्शित किया गया है और बेचे भी जा रहे हैं। समूह द्वारा अब तक 1 लाख 11 हजार 500 रूपये की दीयों एवं पूजा सामग्री का बिक्री की जा चुकी है।
   समूह की सदस्य ग्राम झाबर निवासी श्रीमती क्रांति पुरी ने बताया कि इस काम से उन्हें करीब 9 हजार रुपये का मुनाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की दिवाली उनके लिए बहुत खास बन गई है और वे इस आय से काफी खुश हैं। ब्लॉक मिशन प्रबंधक सुश्री मंदाकिनी कोसरिया ने जानकारी दी कि इस कार्य से सीधे तौर पर पांच महिला स्वसहायता समूहों के परिवारों को आर्थिक लाभ मिल रहा है। इससे महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में भी सक्षम हो रही हैं। यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन कर रही है, बल्कि परंपरागत दीयों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है। मिट्टी के दीयों की बिक्री से जहां महिलाओं की आमदनी बढ़ी है, वहीं पर्यावरण के लिए भी अनुकूल विकल्प है।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में बस्तर वन मंडल के आसना में राज्य के पहले वन विज्ञान केन्द्र की स्थापना की जायेगी। राष्ट्रीय कैम्पा मिशन भारत सरकार द्वारा इसकी स्वीकृति दे दी गई है। राष्ट्रीय कैम्पा की 23वीं क्रियान्वयन समिति की बैठक में पायलट बेसेस पर झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़िसा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में एक-एक वन विज्ञान केन्द्र शुरू करने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ में बस्तर के आसना में वन विज्ञान केन्द्र शुरू होगा। इसके संचालन, प्रशिक्षण और पाठ्यक्रमों के निर्धारण के लिए मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर वृत्त की अध्यक्षता में प्रदेश स्तरीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इस समिति में 8 विषय विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है।

वन विज्ञान केन्द्र की सलाहकार समिति में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. गिरिश चंदेल सहित जशपुर के श्री राजेश गुप्ता, शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजीवन कुमार, रायपुर के श्री गिरीश कुबेर, श्री राजीव शर्मा, डॉ. एम.एल. नायक, श्री सुबोध मनोहर पांडे और पूणे महाराष्ट्र के डॉ. राहुल मुंगीकर को शामिल किया गया हैै। सरगुजा वृत्त के मुख्य वनसंरक्षक भी समिति के सदस्य होंगे। बस्तर के वन मंडलाधिकारी को समिति का सदस्य सचिव मनोनित किया गया है। समिति में नामांकित विषय विशेषज्ञों को वन विज्ञान केन्द्र के संचालन, प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम निर्धारण में सहयोग के लिए किसी प्रकार का मानदेय या वेतन नहीं दिया जायेगा।

मैदानों में दिखा जोश, अनुशासन और सौहार्द का अनोखा संगम — 126 खिलाड़ियों ने लिया हिस्सा

दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम क्षेत्र में आयोजित सांसद खेल महोत्सव 2025 का समापन उत्साह, ऊर्जा और उमंग से भरे माहौल में हुआ।
दो दिवसीय इस आयोजन में शहर के विभिन्न मैदानों पर आधुनिक और पारंपरिक खेलों की झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर श्रीमती अलका बाघमार ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा —

“खेल न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं बल्कि मन को दृढ़ बनाते हैं। युवा पीढ़ी को खेलों से जुड़कर अनुशासन, आत्मविश्वास और टीम भावना को अपनाना चाहिए। खेल समाज में एकता और सहयोग का प्रतीक हैं।”

? मैदानों में जोश और प्रतिस्पर्धा का माहौल

महोत्सव का आयोजन महात्मा गांधी स्कूल मैदान, सुराना कॉलेज मैदान और रविशंकर स्टेडियम में किया गया।
दो दिनों तक मैदानों में खिलाड़ियों और दर्शकों की गूंज से पूरा नगर खेलमय बना रहा।
आधुनिक खेलों में वॉलीबॉल, कुश्ती, वेटलिफ्टिंग, योगासन, एथलेटिक्स (100 व 400 मीटर दौड़) जैसी प्रतिस्पर्धाएँ हुईं,
जबकि पारंपरिक खेलों में कबड्डी, खो-खो, गेड़ी (पुरुष वर्ग), फुगड़ी और सुरीली कुर्सी (महिला वर्ग) ने दर्शकों का मन मोह लिया।

? तीन आयु वर्गों में हुआ रोमांचक मुकाबला

प्रतियोगिताओं को तीन आयु वर्गों में विभाजित किया गया —
18 वर्ष तक, 18 से 40 वर्ष तक, और 40 वर्ष से अधिक आयु समूह।
हर वर्ग में खिलाड़ियों ने उत्साह और खेल भावना से हिस्सा लिया।
एकल खेलों में बोरा दौड़, पैदल चाल, 100 मीटर दौड़ जैसी प्रतियोगिताएँ हुईं,
जबकि टीम स्पर्धाओं में रस्साकशी, फुटबॉल, कबड्डी और वॉलीबॉल के मुकाबलों ने रोमांच बढ़ा दिया।

? विजेताओं की उपलब्धियाँ

दो दिवसीय खेल पर्व में कुल 126 खिलाड़ियों ने भाग लिया और 95 खिलाड़ियों ने जीत दर्ज की।

वेटलिफ्टिंग: 8 बॉयज, 6 गर्ल्स

कुश्ती: 12 बॉयज, 5 गर्ल्स (कुल 31 विजेता)

खो-खो: 54 प्रतिभागी

कबड्डी: 35 खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन

वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने यह संदेश दिया कि —

“खेल उम्र नहीं, बल्कि उत्साह की पहचान हैं।”

? समापन समारोह में सम्मान और प्रेरणा के स्वर

15 अक्टूबर को आयोजित समापन समारोह में महापौर अलका बाघमार ने सभी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा —

“खेलों के माध्यम से व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से सशक्त बनता है, बल्कि आत्मविश्वास, अनुशासन और सहयोग की भावना भी विकसित करता है। ऐसे आयोजन समाज में नई ऊर्जा का संचार करते हैं।”

इस अवसर पर उपायुक्त मोहेंद्र साहू, कार्यपालन अभियंता विनीता वर्मा, गिरीश दीवान, संजय ठाकुर, हरिशंकर साहू, विनोद मांझी, मोहित मरकाम, पंकज साहू, विकास दमाहे, प्रेरणा दुबे सहित नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

? खेल भावना से सराबोर रहा दुर्ग नगर

दो दिनों तक दुर्ग नगर के मैदानों में उत्सव जैसा माहौल रहा।
हर ओर से यही संदेश गूंजता रहा —

“खेल से खिलते हैं सपने, और जीतता है आत्मविश्वास।”

सांसद खेल महोत्सव 2025 ने यह साबित किया कि जब युवा मैदान में उतरते हैं,
तो पूरा शहर उत्सव और प्रेरणा के रंगों में रंग जाता है।

भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और नक्सल हिंसा से जनता परेशान : सुशील आनंद शुक्ला

रायपुर / शौर्यपथ (राजनीती)
  प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा की साय सरकार ने अपने दो वर्षों के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की जनता को निराश किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की उपलब्धि केवल पिछली कांग्रेस सरकार की जनहितैषी योजनाओं को बंद करने तक सीमित है।

“जनता की योजनाएँ दुर्भावना से की गईं बंद” — कांग्रेस
शुक्ला ने कहा कि साय सरकार ने जनता के हित में चलाई जा रही अनेक योजनाओं को दुर्भावनापूर्ण तरीके से बंद किया।
उनके अनुसार, बंद की गई योजनाओं में शामिल हैं —
  बिजली बिल हाफ योजना, राजीव मितान योजना, गोधन न्याय योजना, बेरोजगारी भत्ता, रीपा, मुख्यमंत्री कर्ज माफी, सिंचाई कर माफी, महिला समूह ऋण माफी, सीएम आदिवासी परब सम्मान निधि, सीएम छत्तीसगढ़ी परब सम्मान निधि, कोदो-कुटकी-रागी खरीदी योजना, नरवा-गरवा-घुरवा-बारी, मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय, मुख्यमंत्री महतारी दुलार, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन, धरसा विकास योजना, शहरी गरीबों को पट्टा व आवास, छत्तीसगढ़िया ओलंपिक और मुख्यमंत्री सुपोषण योजना।
कांग्रेस नेता ने कहा कि “साय सरकार जनता के कल्याण की नहीं बल्कि योजनाएँ बंद करने की सरकार बन गई है।”

“भ्रष्टाचार और कुशासन हावी, कानून-व्यवस्था चरमरा गई”
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा की विष्णुदेव साय सरकार अपने दो साल में विफल साबित हुई है।उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में भ्रष्टाचार और कुशासन का दौर चल रहा है —
“साय सरकार के दो साल में विष्णु का सुशासन तो दूर, खुद विष्णु की सरकार कहीं दिख ही नहीं रही।”
उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि एसपी और कलेक्टर कार्यालय तक जला दिए गए, हत्या और मॉब लिंचिंग की घटनाएँ बढ़ गई हैं।
राजधानी रायपुर में छह बार गोलीबारी की घटनाएँ हुईं, वहीं गौ तस्करी, लूट, डकैती और चाकूबाजी के मामलों में तेज़ी आई है।
महिलाओं और बच्चियों पर अपराध बढ़े
  कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराधों में चिंताजनक वृद्धि हुई है —
पोटाकेबिन में बच्ची की जलकर मौत, अबोध बच्ची का माँ बनना, नारायणपुर में छात्राओं से छेड़खानी जैसी घटनाएँ राज्य में घट चुकी हैं।
उन्होंने कहा, “राज्य में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं, अपराधी बेलगाम हो चुके हैं।”

नक्सल घटनाओं पर सरकार मौन
शुक्ला ने कहा कि नक्सलवाद के मोर्चे पर भी सरकार पूरी तरह असफल रही है।
“दो साल में नक्सली घटनाएँ लगातार बढ़ी हैं, लेकिन सरकार ने अब तक कोई घोषित नक्सल नीति नहीं बनाई। रोज़ हत्याएँ हो रही हैं और सरकार केवल बयानबाज़ी तक सीमित है।”

किसानों, गरीबों और उपभोक्ताओं को झटका
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा सरकार का 18 लाख आवास देने का वादा अधूरा रह गया,
राशन वितरण में कटौती की गई और बिजली कटौती फिर शुरू हो गई।
भूमि रजिस्ट्री के गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत छूट खत्म कर दी गई, जबकि रजिस्ट्री शुल्क में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी जारी रखी गई।
उन्होंने कहा कि राज्यभर में किसान आत्महत्याओं की घटनाएँ बढ़ी हैं, विशेष रूप से राजनांदगांव, बस्तर, बिलासपुर और महासमुंद जिलों से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं।

कांग्रेस का निष्कर्ष
शुक्ला ने कहा —“साय सरकार ने जनता का विश्वास तोड़ा है। योजनाएँ बंद कर, किसानों और युवाओं को निराश कर, कानून-व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। यह सरकार जनहित नहीं, दुर्भावना की सरकार है।”

ट्रिपल इंजन की सरकार सफाई कर्मियों का वेतन नहीं दे पा रही

           रायपुर/शौर्यपथ / नगर निगम रायपुर के सफाई कर्मचारियों के वेतन की मांग को लेकर आंदोलन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि महापौर मीनल चौबे का ट्रिपल इंजन की सरकार में सब कुछ बेहतर होने का दावा खोखला साबित हुआ है। दीपावली तिहार के समय में निगम के सफाई कर्मचारी वेतन की मांग को लेकर सड़क पर प्रदर्शन कर रहे, चक्का जाम कर रहे, दो-दो महीने से वेतन नहीं मिलने का आरोप लगा रहे हैं, यह बेहद चिंता का विषय है, लगातार निगम से संबंधित ठेकेदार सफाई कर्मचारी सामान सप्लायर भुगतान को लेकर शिकायत कर रहे हैं लेकिन शिकायत का कोई हल नही निकल रहा है।
  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि महापौर मीनल चौबे त्योहार के समय निगम की अव्यवस्थाओं को सुधारने के बजाय जापान घूम में है। और इधर निगम के सफाई कर्मचारी वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। क्या यही ट्रिपल इंजन का विकास है? दीपावली के समय रात में सड़क अंधेरे से पटा हुआ है, सड़क में गड्ढे हैं, नालिया बज-बजा रही है, सफाई व्यवस्था चरामरा गई है। ठेला पसरा लगाने वालों के समान को जप्ती किया जा रहा है। क्या यही सुशासन है?
  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि निकायों में सफाई कर्मियों, ठेकेदारों सामान सप्लायरों का भुगतान तत्काल किया जाए ताकि वह भी दीपावली का त्यौहार मना सके। निगम गरीबों के ठेला, खोमचा दुकानों को तोड़ना, सामानों को जप्त करना बंद करें।

अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ‘छोटू’ ने भेंट स्वरूप तलवार प्रदान कर लिया आशीर्वाद

भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई ट्रक ट्रेलर ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ‘छोटू’ ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष आदरणीय डॉ. रमन सिंह से उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर सौजन्य भेंट की।
  इस अवसर पर श्री सिंह ने उन्हें जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रेषित कीं और उपहार स्वरूप एक प्रतीकात्मक तलवार भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
  मुलाकात के दौरान भिलाई ट्रक ट्रेलर ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के संरक्षक गनी खान, सुधीर सिंह ठाकुर, महेन्द्र सिंह, अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ‘छोटू’, कार्यकारिणी अध्यक्ष अनिल चौधरी, महासचिव मलकीत सिंह, उपाध्यक्ष मुन्ना सिंह, सचिव बलजीन्दर सिंह, कोषाध्यक्ष जोगा राव, तथा सदस्य दिलीप खटवानी, शाहनवाज कुरैशी, निर्मल सिंह, सुनील चौधरी, अमित सिंह, सुनील यादव, वाजिद अंसारी, प्रेम सिंह, विनय अग्रवाल, संतोष सिंह, रोशन लाल वर्मा, यश सिंह, सोम सिंह, यशराज सिंह, राम धनि यादव एवं संजय शर्मा उपस्थित रहे।
 इस सौहार्दपूर्ण अवसर पर डॉ. रमन सिंह ने सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों का आभार व्यक्त किया और कहा कि परिवहन क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने संगठन को अपने कार्यों में निरंतर प्रगति एवं सफलता की शुभकामनाएँ दीं।
  मुलाकात के दौरान एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने डॉ. रमन सिंह के साथ स्मृति चित्र भी लिए।

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