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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
हर जिले में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य शिक्षा और स्थानीय युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर
रायपुर / शौर्यपथ /
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की एक और महत्वपूर्ण घोषणा को राज्य सरकार ने मूर्त रूप दे दिया है। राज्य के 9 नए नर्सिंग कॉलेजों के भवन निर्माण के लिए 78 करोड़ 15 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। यह निर्णय छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य शिक्षा और कौशल विकास को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
प्रदेशभर में खुलेंगे 9 नर्सिंग कॉलेज
प्रत्येक नर्सिंग कॉलेज के भवन निर्माण के लिए 8 करोड़ 68 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। ये कॉलेज दंतेवाड़ा, बैकुंठपुर, बीजापुर, बलरामपुर, जशपुर, रायगढ़, धमतरी, जांजगीर-चांपा और नवा रायपुर (अटल नगर) में स्थापित किए जाएंगे।
इन संस्थानों की स्थापना से दूरस्थ और जनजातीय अंचलों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए द्वार खुलेंगे।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा —
“हमारा उद्देश्य है कि प्रदेश के हर युवा को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य शिक्षा मिले और हर जिले में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार हो।
9 नए नर्सिंग कॉलेजों की स्वीकृति स्वास्थ्य शिक्षा क्षेत्र में नया अध्याय जोड़ेगी। यह पहल युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के अवसर बढ़ाएगी।”
स्वास्थ्य मंत्री की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा —
“मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा को नई दिशा देने वाला कदम उठाया है।
9 नए नर्सिंग कॉलेजों की स्वीकृति से प्रदेश के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता के बेहतर अवसर मिलेंगे।”
वित्त मंत्री का मत
वित्त मंत्री ओ. पी. चौधरी ने कहा — “मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रही है। 9 नए नर्सिंग कॉलेजों के लिए 78 करोड़ 15 लाख रुपए की स्वीकृति इस प्रतिबद्धता का प्रतीक है कि सरकार युवाओं के लिए अवसर सृजन और सेवा क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए समर्पित है।”
यह निर्णय प्रदेश के स्वास्थ्य शिक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के साथ-साथ जनसेवा और कौशल विकास की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को और दृढ़ करता है। यह पहल छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य सेवाओं और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने की दिशा में अग्रसर करेगी।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य शासन के वित्त विभाग ने आज 5000 शिक्षकों के पदों पर भर्ती की सहमति प्रदान कर दी है। यह निर्णय मुख्यमंत्री श्री साय की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने प्रदेश के शैक्षणिक ढांचे को मज़बूत बनाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शिक्षा किसी भी राज्य की प्रगति की नींव होती है, और छत्तीसगढ़ सरकार का उद्देश्य है कि हर बच्चे तक ज्ञान और अवसर दोनों पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह भर्ती न केवल शिक्षण व्यवस्था को गति देगी बल्कि युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी सृजित करेगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने वित्त विभाग द्वारा दी गई सहमति को ‘नए छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कदम’ बताया। 5000 पदों हेतु शिक्षा विभाग शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ करेगा। इन पदों की पूर्ति से ग्रामीण एवं आदिवासी अंचलों में शिक्षकों की कमी काफी हद तक दूर होगी, जिससे शिक्षण की निरंतरता और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
राज्य शासन ने पिछले कुछ महीनों में शिक्षा सुधार से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। विद्यालय भवनों के निर्माण, डिजिटल शिक्षा सामग्री के प्रसार, और शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश में शिक्षकों की कमी लंबे समय से एक प्रमुख चुनौती रही है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की उपलब्धता सीमित थी। नई भर्ती से इन क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे बच्चों को अब अपने ही गाँव और क्षेत्र में बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। साथ ही, यह पहल प्रदेश में शिक्षण के स्तर को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने में सहायक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार शिक्षा को सर्वांगीण विकास का आधार मानते हुए लगातार निवेश कर रही है। स्कूल इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण से लेकर छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन और छात्र हितैषी योजनाओं तक, सरकार का फोकस हर स्तर पर शिक्षा के दायरे को व्यापक बनाना है। शिक्षकों की यह नई भर्ती उसी दीर्घकालिक दृष्टि का हिस्सा है, जो ‘विकसित छत्तीसगढ़’ के विज़न को साकार करने की दिशा में अग्रसर है। इस निर्णय से जहाँ शिक्षा प्रणाली को नई ऊर्जा मिलेगी, वहीं हजारों युवाओं के सपनों को साकार करने का मार्ग भी खुलेगा। यह पहल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में ‘शिक्षित, सक्षम और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगी।
"मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी की मंशा के अनुरूप शिक्षा को राज्य की शीर्ष प्राथमिकता बनाया गया है। वित्त विभाग द्वारा 5000 शिक्षकों के पदों की भर्ती की सहमति देना इसी संकल्प का हिस्सा है। शिक्षा में किया गया प्रत्येक निवेश प्रदेश के भविष्य में किया गया निवेश है। इस निर्णय से स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी होगी, ग्रामीण व आदिवासी अंचलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ेगी और हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए शिक्षा जैसे मूलभूत क्षेत्र को संसाधन उपलब्ध कराना हमारी सरकार की जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता दोनों है।" - वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी
"शिक्षा राज्य के विकास की सबसे सशक्त आधारशिला है। हमारी सरकार का संकल्प है कि छत्तीसगढ़ के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और हर विद्यालय में योग्य शिक्षक उपलब्ध हों। वित्त विभाग द्वारा 5000 शिक्षकों के पदों पर भर्ती की सहमति उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। यह निर्णय न केवल शिक्षा के क्षेत्र को सशक्त करेगा, बल्कि प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा।" - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रवास की तैयारियों का लिया व्यापक जायज़ा: सभी तैयारियाँ निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूर्ण करने अधिकारियों को दिए निर्देश
रायपुर / शौर्यपथ /
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी छत्तीसगढ़ प्रवास के मद्देनज़र मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज नवा रायपुर में विभिन्न कार्यक्रम स्थलों का निरीक्षण कर तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छत्तीसगढ़ आगमन राज्य के लिए गौरव का अवसर है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस दौरान प्रत्येक व्यवस्था उत्कृष्टता का प्रतीक बने और प्रदेश की संस्कृति, आत्मगौरव एवं प्रगति की झलक हर स्थल पर दृष्टिगोचर हो।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्थलों का किया निरीक्षण
मुख्यमंत्री साय ने सबसे पहले नवा रायपुर स्थित सत्य साईं हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा, सभागार व्यवस्था, मंच और आमंत्रित अतिथियों के बैठने की व्यवस्था का जायजा लिया।
इसके पश्चात मुख्यमंत्री साय प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ध्यान केंद्र पहुँचे, जहाँ उन्होंने प्रधानमंत्री के प्रस्तावित कार्यक्रम की बिंदुवार समीक्षा की। उन्होंने ध्यान केंद्र के सभागार, मेडिटेशन रूम एवं बाहरी परिसर का निरीक्षण करते हुए सभी व्यवस्थाओं को समय पर पूर्ण करने के निर्देश दिए।
ट्राइबल म्यूज़ियम बनेगा जनजातीय अस्मिता का प्रतीक
मुख्यमंत्री साय ने शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय जनजातीय समाज की वीरता, बलिदान और अस्मिता का अमर प्रतीक बनेगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि संग्रहालय के प्रत्येक अनुभाग को इस प्रकार तैयार किया जाए कि वह आगंतुकों को छत्तीसगढ़ के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली अध्याय से गहराई से परिचित करा सके। उन्होंने प्रदर्शनी दीर्घाओं, मल्टीमीडिया गैलरी, स्मृति कक्ष और बाहरी परिसर की व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की।
राज्योत्सव स्थल बनेगा छत्तीसगढ़ की उपलब्धियों का दर्पण
मुख्यमंत्री साय ने नवा रायपुर स्थित राज्योत्सव स्थल का भी दौरा किया और तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने मुख्य मंच, पार्किंग क्षेत्र, विभागीय डोम, प्रदर्शनी दीर्घा, वीआईपी दीर्घा और आमजन के लिए बनाए गए मार्गों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि राज्योत्सव छत्तीसगढ़ की उपलब्धियों, संस्कृति और आत्मविश्वास का उत्सव है, इसलिए यह आयोजन उत्कृष्टता की नई मिसाल बने।
मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी कार्य निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरे किए जाएँ और सुरक्षा, स्वच्छता तथा आमजन की सुविधा से जुड़े सभी बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाए।
इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, मुख्य सचिव विकास शील, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, सचिव राहुल भगत सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान बनेगा ‘जशपुर जम्बूरी 2025’
छत्तीसगढ़ के जशपुर में सजेगा ‘जशपुर जम्बूरी 2025’ — रोमांच, संस्कृति और परंपरा का अद्भुत उत्सव
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ का पर्वतीय और हरियाली से आच्छादित जिला जशपुर एक बार फिर उत्सव, संस्कृति और रोमांच का केंद्र बनने जा रहा है। यहाँ आगामी 6 से 9 नवम्बर 2025 तक आयोजित होने वाले ‘जशपुर जम्बूरी 2025’ में प्रदेश और देशभर से पर्यटक प्रकृति की गोद में रोमांचक अनुभवों, जनजातीय परंपराओं और सामुदायिक उत्सव के रंगों का आनंद लेंगे। यह आयोजन प्राकृतिक सौंदर्य, जनजातीय परंपराओं और आधुनिक रोमांच का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा।
प्रकृति की गोद में चार दिन का उत्सव
जशपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, झरनों, पहाड़ियों और हरे-भरे जंगलों के कारण पहले से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इन चार दिनों में यह जिला उत्साह, उमंग और अनूठे अनुभवों का जीवंत मंच बन जाएगा। देशभर से आने वाले सैलानी यहां रोमांचक खेलों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और जनजातीय लोकपर्वों की रंगीन झलक का आनंद लेंगे।
हॉट एयर बलून और पैरामोटरिंग का रोमांच
इस वर्ष का सबसे बड़ा आकर्षण रहेगा हॉट एयर बलून और पैरामोटरिंग शो, जिसमें प्रतिभागी मधेश्वर पहाड़ियों के ऊपर से उड़ान भरकर जशपुर की भव्यता को नई ऊँचाई से देख सकेंगे। नीले आसमान और हरी वादियों का यह संगम एक अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।
कयाकिंग, एटीवी और मोटर बोटिंग से मिलेगा एडवेंचर का आनंद
फेस्टिवल में कयाकिंग, मोटर बोटिंग और एटीवी राइड्स जैसी गतिविधियाँ रोमांच प्रेमियों को अपनी सीमाओं को परखने का अवसर देंगी। झरनों की धारा में कयाकिंग और जंगलों के बीच मिट्टी के रास्तों पर एटीवी चलाने का रोमांच हर आगंतुक के लिए यादगार रहेगा।
फॉरेस्ट ट्रेकिंग और प्राकृतिक अनुभव
प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष फॉरेस्ट ट्रेकिंग ट्रेल्स तैयार की गई हैं। घने पेड़ों के बीच, फूलों की महक और पक्षियों की चहचहाहट में चलना जशपुर की जैव विविधता से गहरा जुड़ाव कराएगा। यह पर्यावरण और पर्यटन के बीच सामंजस्य का प्रतीक है।
खुले आसमान तले स्टार गेज़िंग सेशन्स
रात्रिकालीन आयोजनों में स्टार गेज़िंग सेशन्स विशेष आकर्षण होंगे। तारों से सजे जशपुर के निर्मल आसमान में सैकड़ों नक्षत्रों को निहारने का अनुभव आगंतुकों को अद्भुत शांति और विस्मय का एहसास कराएगा।
लोककला, संगीत और बोनफायर नाइट्स से सजेगा हर शाम का माहौल ,हर शाम बोनफायर नाइट्स में जनजातीय लोकनृत्य, संगीत और हँसी से भरी संध्याएँ होंगी। पारंपरिक गीतों की धुन और आग की लपटों के बीच साझा होती मुस्कानें इस आयोजन को आत्मीयता का नया अर्थ देंगी।
फेस्टिवल में स्थानीय व्यंजनों का विशेष स्टॉल आकर्षण का केंद्र रहेगा। स्थानीय पारंपरिक पकवानों के स्वाद से पर्यटक छत्तीसगढ़ की मिट्टी की असली महक महसूस करेंगे।
‘जशपुर जम्बूरी’ केवल एक पर्यटन आयोजन नहीं, बल्कि जनजातीय गौरव और सांस्कृतिक आत्मसम्मान का उत्सव भी है। पारंपरिक हस्तशिल्प, लोककला प्रदर्शनी और आदिवासी परिधानों की झलक इस आयोजन को विशिष्ट बनाएगी।जशपुर प्रशासन और पर्यटन विभाग ने पर्यटकों की सुविधा के लिए ठहरने, खानपान, सुरक्षा और स्वच्छता की संपूर्ण व्यवस्था की है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी बढ़ेगी पहचान
इस आयोजन में देशभर से एडवेंचर प्रेमी, फोटोग्राफर, ट्रैवल ब्लॉगर और इनफ्लुएंसर भाग लेंगे, जिससे जशपुर की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल माध्यमों से और सशक्त होगी।
"हमारा प्रयास है कि जशपुर की प्रकृति और संस्कृति को राष्ट्रीय पहचान मिले। जशपुर जम्बूरी 2025’ न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को प्रखर करेगा, बल्कि पर्यटन, उद्यमिता और सामुदायिक सहभागिता को नई ऊर्जा देगा। यह आयोजन राज्य के लिए गौरव और विकास दोनों का प्रतीक बनेगा। ऐसे आयोजन न केवल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए अवसर भी पैदा करते हैं। जशपुर के लोग जितने सादगीपूर्ण हैं, उतने ही उत्साही और साहसी भी हैं।
‘जशपुर जम्बूरी’ जैसे आयोजन इस क्षेत्र की पहचान को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित कर रहे हैं। यह फेस्टिवल छत्तीसगढ़ को ‘एडवेंचर टूरिज्म हब’ के रूप में आगे बढ़ाएगा।" - मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय
पटना। शौर्यपथ ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन, यानी महागठबंधन—दोनों में कई प्रमुख और क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं। यहां दोनों गठबंधनों की पार्टियों का हाल का ब्यौरा प्रस्तुत है:
एनडीए (NDA) गठबंधन में शामिल पार्टियां
भारतीय जनता पार्टी (BJP)
जनता दल (यूनाइटेड) [JDU]
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) – जीतन राम मांझी की पार्टी
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) [LJP (RV)] – चिराग पासवान की पार्टी
राष्ट्रीय लोक जनतांत्रिक मोर्चा (रालोमो) – उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी
वर्तमान चुनाव में एनडीए में कुल 5 प्रमुख पार्टियां शामिल हैं।
इंडिया (I.N.D.I.A.)/महागठबंधन में शामिल पार्टियां
राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
कांग्रेस (INC)
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) [CPI (ML)]
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) – मुकेश सहनी की पार्टी
महागठबंधन/इंडिया में फिलहाल 4 मुख्य पार्टियां सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, जिनमें वीआईपी की भी हाल ही में आमद हुई है।
अतिरिक्त जानकारी
दोनों गठबंधनों में क्षेत्रों के अनुसार कुछ छोटी पार्टियां और वैकल्पिक गठबंधन, सीटों के बंटवारे व स्थानीय समीकरण से भी जुड़ सकते हैं।
हालिया चुनावी समझौतों के कारण गठबंधनों में आंशिक बदलाव संभावित रहते हैं, किंतु ऊपर दी गई सूची वर्तमान हालत पर आधारित है।
पटना। शौर्यपथ ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीतिक लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है। इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) ने पहली बार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री के रूप में पेश करते हुए चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है। कांग्रेस के दिग्गज अशोक गहलोत की मौजूदगी में सार्वजनिक मंच पर गठबंधन के सभी दल—आरजेडी, कांग्रेस, वामदलों और वीआईपी के नेताओं—ने महागठबंधन की एकजुटता पर मुहर लगाई।
इस बार महागठबंधन ने सामाजिक संतुलन साधने के लिए EBC, यादव, मुस्लिम और निषाद-मल्लाह वर्गों को जोड़ने का रणनीतिक दांव चला है। टिकट बंटवारे में कांग्रेस, आरजेडी, वाम दल और वीआईपी के उम्मीदवारों ने अपने-अपने परंपरागत आधार के साथ नई जातीय परतें जोड़ दी हैं, जिससे गठबंधन की ताकत कई गुना हो गई है। दूसरी ओर एनडीए पर आरोप लगे हैं कि वह महाराष्ट्र की तर्ज पर चुनाव जीतते ही मुख्यमंत्री बदलने की योजना बना रही है। विपक्ष का कहना है कि नीतीश कुमार का यह ‘आखिरी चुनाव’ होगा और उन्हें चुनाव बाद दरकिनार किया जा सकता है।
महागठबंधन ने महिलाओं की स्थिति, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था और गरीब वर्ग की चिंता को चुनावी नरेटिव का हिस्सा बनाया। इंडिया गठबंधन के संदेश में साफ तौर पर यह झलक रहा है कि बिहार को एक नई शुरुआत की जरूरत है, और जनता को मुख्यमंत्रियों के चेहरों... और वादों के बीच धोखे में नहीं रहना चाहिए।
यह चुनाव अब केवल वोटों की नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरण, असली मुद्दों और नेतृत्व की प्रामाणिकता की लड़ाई बन गया है। सभी दल अपनी रणनीति के साथ मैदान में हैं, लेकिन महागठबंधन की सामूहिक घोषणा और लक्ष्य अब बिहार की जनता को बदलाव की उम्मीद दे रही है।
✍️ संपादकीय विश्लेषण
दुर्ग। लोकतंत्र की जड़ें तभी मजबूत होती हैं जब सत्ता में बैठे लोग जनसेवा को प्राथमिकता दें और नैतिकता को अपना आदर्श बनाएं। परंतु विडंबना यह है कि आज राजनीति में नैतिकता का स्थान स्वार्थ ने ले लिया है। चुनाव के समय नेता जनता के द्वार पर हाथ जोड़कर सेवा का वादा करते हैं, लेकिन पद मिलते ही वही नेता जनसेवा के वादों को भुलाकर सरकारी तंत्र और संसाधनों के दुरुपयोग में लग जाते हैं।
सरकारी बंगले, जो प्रशासनिक जरूरतों और सार्वजनिक सेवा से जुड़े पदाधिकारियों के लिए आरक्षित होते हैं, आज राजनीतिक रसूख की पहचान बन गए हैं। नेताओं के लिए बंगले केवल निवास नहीं, बल्कि शक्ति प्रदर्शन के प्रतीक बन चुके हैं। और यही प्रवृत्ति लोकतंत्र की आत्मा पर सबसे गहरा आघात करती है।
? दुर्ग का उदाहरण: सम्मानित नाम के पीछे उठते सवाल
दुर्ग शहर का राजनीतिक इतिहास साक्षी है कि स्वर्गीय हेमचंद यादव का नाम आज भी सम्मान और सेवा के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। उनका मिलनसार स्वभाव, सरल व्यक्तित्व और जनता से जुड़ाव ने उन्हें जननेता के रूप में स्थापित किया था।
परंतु अफसोस की बात यह है कि उनके जाने के वर्षों बाद भी, उनके नाम पर आवंटित सरकारी बंगले पर आज भी उनके परिजनों का कब्जा बना हुआ है — जबकि कोई संवैधानिक या सरकारी पद उनके पास नहीं है।
यह स्थिति केवल एक बंगले की नहीं, बल्कि नैतिकता की दीवारों में लगी दरार का प्रतीक है।
क्योंकि जहां जनता के लिए उपलब्ध सुविधाएं सीमित हैं, वहीं सत्ता की निकटता से लाभान्वित परिवार सरकारी संपत्ति को निजी उपयोग में बनाए रखते हैं।
⚖️ जब एक पूर्व मंत्री ने दी थी मिसाल...
प्रदेश की राजनीति में पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने एक बार नैतिक उदाहरण प्रस्तुत किया था। विधायक रिकेश सेन द्वारा उनके बंगले के आवंटन की प्रक्रिया शुरू होते ही उन्होंने बिना किसी विवाद या टकराव के बंगला तत्काल खाली कर दिया।
यही वह राजनीतिक संस्कार था जो दिखाता है कि लोकतंत्र में पद से बड़ा नैतिक कर्तव्य होता है।
लेकिन आज जब जीत हेमचंद यादव जैसे युवा नेता, जिनकी पहचान अभी भी स्वर्गीय हेमचंद यादव की विरासत पर टिकी है, उसी सरकारी बंगले पर कब्जा बनाए रखते हैं, तो यह सवाल उठना लाजिमी है —
क्या यह वही "नैतिकता" है जिसकी बातें नेता जनता के सामने करते हैं?
?️ बंगला या प्रतीक — राजनीति का असली चेहरा
सरकारी बंगले की दीवारें केवल ईंट-पत्थर की नहीं होतीं, वे जनता के विश्वास की नींव होती हैं।
जब कोई नेता सरकारी संपत्ति पर पद छोड़ने के बाद भी कब्जा जमाए रखता है, तो यह जनता के विश्वास का दुरुपयोग है। यह वही जनता है जिसने उन्हें सम्मान, पहचान और पद सब कुछ दिया।
यदि जीत हेमचंद यादव वास्तव में अपने पिता की प्रतिष्ठा और सम्मान को जीवित रखना चाहते हैं, तो उन्हें चाहिए कि वे नैतिकता के आधार पर बंगले को स्वयं मुक्त करें।
यही कदम यह साबित करेगा कि वे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को केवल नाम से नहीं, बल्कि आचरण से भी जीवित रखे हुए हैं।
?️ निष्कर्ष:
लोकतंत्र में नैतिकता और आदर्श केवल भाषणों का विषय नहीं होने चाहिए, बल्कि वह आचरण में उतरने चाहिए।
सरकारी संपत्तियों पर कब्जा, चाहे किसी भी दल या व्यक्ति द्वारा किया गया हो, जनता के संसाधनों का दुरुपयोग है — और यह जनसेवा नहीं, सत्ता-सेवा का प्रतीक है।
आज जरूरत है कि जीत हेमचंद यादव जैसे युवा नेता उदाहरण पेश करें —
और दिखाएं कि नैतिकता की बात केवल कहने के लिए नहीं, निभाने के लिए होती है।
पटना। शौर्यपथ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का एक नया और दिलचस्प चेहरा अब सामने आ रहा है—जहां छत्तीसगढ़ के दो यादव नेता अलग-अलग खेमों से बिहार की सियासत में मोर्चा संभाले हुए हैं। भाजपा से छत्तीसगढ़ के मंत्री गजेंद्र यादव और कांग्रेस से विधायक देवेंद्र यादव दोनों ही अपनी-अपनी पार्टियों के लिए बिहार के यादव वोट बैंक को साधने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
यादव समुदाय, जो कि बिहार की कुल आबादी का लगभग 14.26 प्रतिशत हिस्सा है, हर चुनाव में सत्ता की कुंजी साबित होता है। इसलिए इस बार दोनों राष्ट्रीय दलों ने अपने यादव नेताओं को बिहार के मैदान में उतारकर एक तरह से ‘यादव बनाम यादव’ सियासी संघर्ष की नींव रख दी है ।
गजेंद्र यादव को भाजपा नेतृत्व ने बिहार में एनडीए के पक्ष में यादव वोटों को आकर्षित करने की प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी है। वे न केवल प्रदेश के एकमात्र यादव मंत्री हैं, बल्कि संगठन और प्रचार की कमान भी संभाले हुए हैं। वहीँ कांग्रेस के लिए देवेंद्र यादव, जो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और बिहार चुनाव के सह प्रभारी भी हैं, लगातार बिहार में महागठबंधन को धार देने के लिए सक्रिय हैं। देवेंद्र यादव पर पार्टी में टिकट वितरण को लेकर विवादों के बावजूद कांग्रेस का विश्वास बरकरार है ।
छत्तीसगढ़ का ये यादव समीकरण बिहार में सिर्फ यादव वोट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों राज्यों की सियासत पर असर डालने लगा है। भाजपा की तरफ से गजेंद्र यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी रणनीति का "संगठनिक स्तंभ" माना जा रहा है, वहीं कांग्रेस में देवेंद्र यादव की भूमिका “भूपेश बघेल टीम” के हिस्से के रूप में देखी जा रही है—जो संगठन पुनर्जीवन का प्रयास कर रही है।
राजनीतिक रणनीतिकारों के अनुसार, बिहार की इस ‘यादव बनाम यादव’ जंग का असर ना केवल नीतीश-तेजस्वी समीकरण पर पड़ेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ के राजनीतिक शक्ति-संतुलन को भी नया आयाम देगा। गजेंद्र यादव जहां भाजपा के लिए “यादव समुदाय का सेतु” बनना चाहते हैं, वहीं देवेंद्र यादव कांग्रेस के लिए “वोटर पुनःसंयोजन का प्रतीक” बनने की दिशा में काम कर रहे हैं।
बिहार चुनाव 2025 न केवल प्रदेश की सत्ता का फैसला करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि यादव राजनीति की आवाज किस खेमे से अधिक गूंजेगी—गजेंद्र या देवेंद्र?
पटना। शौर्यपथ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चुनावी समीकरणों में अप्रत्याशित बदलाव दिखाई देने लगे हैं। नामांकन पत्रों की जांच के बाद कई प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के पर्चे निरस्त कर दिए गए हैं, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई है।
चुनाव आयोग की जानकारी के अनुसार, पहले चरण में 121 सीटों पर कुल 1314 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा था, जिनमें से 315 नामांकन रद्द कर दिए गए। वहीं दूसरे चरण की 122 सीटों के लिए हुई जांच में 519 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज हुए हैं ।
प्रमुख उम्मीदवार जिनके पर्चे रद्द हुए
मौजूदा राजनीतिक समीकरणों में सबसे बड़ा झटका राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को लगा है। कैमूर जिले की मोहनिया सीट से आरजेडी प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दिया है। आयोग ने पाया कि श्वेता सुमन उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की मूल निवासी हैं और बिहार निर्वाचन सूची में उनका नाम दर्ज नहीं था। इस वजह से उनका नामांकन अमान्य करार दिया गया ।
सुगौली विधानसभा (मोतिहारी) से विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रत्याशी शशि भूषण सिंह का नामांकन अधूरी दस्तावेज़ी प्रक्रिया के चलते निरस्त हुआ है। वहीं मढ़ौरा (सारण) सीट से एनडीए घटक लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार सीमा सिंह का पर्चा भी तकनीकी कारणों से खारिज कर दिया गया ।
इसके अलावा वाल्मीकिनगर (पश्चिमी चंपारण) से जनसुराज पार्टी के दीर्घ नारायण प्रसाद, लालगंज (वैशाली) से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की सीमा सुंदरी देवी, डेहरी (रोहतास) से बसपा के धनजी कुमार, और चिरैया (पूर्वी चंपारण) से आरएलजेपी के सलाउद्दीन समेत कई प्रत्याशियों के नामांकन भी खारिज हुए हैं ।
सियासी असर और दलों की रणनीति
आरजेडी और वीआईपी दोनों के लिए यह स्थिति झटका साबित हो रही है क्योंकि तीनों प्रभावित सीटें पहले से ही उनके लिए महत्वपूर्ण मानी जाती थीं। अब महागठबंधन को इन सीटों पर नए चेहरों की तलाश करनी होगी जबकि एनडीए की ओर से एलजेपी(आर) को भी मढ़ौरा सीट पर नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है ।
निष्कर्ष
6 और 11 नवंबर को मतदान और 14 नवंबर को मतगणना से पहले नामांकन निरस्त होने की इस स्थिति ने बिहार की सियासत में नया मोड़ ला दिया है। चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में पर्चे रद्द होना अभूतपूर्व है और इसका असर कई सीटों पर मुकाबले की दिशा तय कर सकता है
रणवीरपुर में ग्राम सेमरहा के बच्चों संग साझा किया दीपोत्सव का आनंद, कहा — ‘इनकी मुस्कान ही मेरा सच्चा उत्सव’
कबीरधाम / शौर्यपथ।
दीपावली के शुभ अवसर पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने अपने गृह ग्राम रणवीरपुर में प्रेम, स्नेह और जनसेवा की भावना के साथ दीपोत्सव मनाया। इस दौरान ग्राम सेमरहा के बच्चों का विधायक भावना बोहरा के निवास पर आगमन हुआ, जहाँ उनका पारंपरिक तिलक लगाकर, मिठाई खिलाकर और स्नेहपूर्वक स्वागत किया गया। बच्चों के साथ भोजन करने और दीपावली का उत्सव मनाने के दौरान पूरे परिसर में उल्लास और खुशी का माहौल रहा।
विधायक भावना बोहरा ने बताया कि उन बच्चों के चेहरों पर खुशी और मुस्कान देखकर मन को संतोष और आत्मिक सुख की अनुभूति हुई। उन्होंने कहा —
“इन बच्चों को जीवन में एक नई दिशा देने और उनका उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने का अवसर मुझे मिला, यह मेरे लिए गर्व की बात है। मैं सदैव इनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करती रहूंगी, क्योंकि ये सभी बच्चे मेरे परिवार का हिस्सा हैं।”
उन्होंने कहा कि हर त्योहार पर वह अपने इन बच्चों के साथ समय बिताने का प्रयास करती हैं ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की कमी महसूस न हो। दीपावली पर पटाखों, रोशनी और मिठाइयों के बीच बच्चों के चेहरों की चमक ही उनके लिए सबसे बड़ी खुशी रही।
जनसेवा ही भावना सेवा सुविधा केंद्र में मिला जनस्नेह
दीपावली के अवसर पर रणवीरपुर स्थित ‘जनसेवा ही भावना सेवा सुविधा केंद्र’ में विधायक भावना बोहरा को क्षेत्रवासियों द्वारा स्नेहिल शुभकामनाएँ और बधाइयाँ दी गईं। उन्होंने हृदय से सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जनता का यह स्नेह और विश्वास उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन और पंडरिया विधानसभा के विकास के लिए निरंतर कार्य करने की प्रेरणा देता है।
इस अवसर पर उन्होंने कबीरधाम जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 12 के सदस्य रोशन दुबे और प्रमोद मानिकपुरी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ भी दीं।
विधायक ने माँ लक्ष्मी से प्रार्थना करते हुए कहा कि प्रदेश और क्षेत्र के हर परिवार में सुख, समृद्धि और संपन्नता बनी रहे। उन्होंने सभी नागरिकों को दीपावली की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यह पर्व हर घर में नई ऊर्जा और उजाला लेकर आए।
पंडरिया में ‘सीता रसोई’ का उद्घाटन — सेवा की नई मिसाल
दीपावली के शुभ अवसर पर विधायक भावना बोहरा ने पंडरिया में “सीता रसोई” का उद्घाटन किया और संचालक, दानदाताओं व समर्थकों को इस जनसेवा की नेक पहल के लिए बधाई दी।
उन्होंने कहा —
“यह केवल एक रसोई नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा और समुदाय की एकजुटता का प्रतीक है। माँ सीता के नाम से प्रेरित यह रसोई त्याग, सेवा और समर्पण के मूल्यों को जीवंत करती है। यहाँ हर भूखे पेट को भोजन और हर व्यक्ति को सम्मान मिलेगा।”
सीता रसोई का उद्देश्य क्षेत्र में निराश्रित और जरूरतमंद लोगों को भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। विधायक ने इसे समाज में मानवीय संवेदना को सशक्त करने वाली पहल बताया।
दीपावली की सौहार्दपूर्ण शुभकामनाएँ
विधायक भावना बोहरा ने कहा —
“दीपावली का यह पावन पर्व सबके जीवन में प्रकाश, आरोग्य और समृद्धि लेकर आए। प्रेम, सौहार्द और सेवा की भावना ही इस त्योहार का सच्चा संदेश है।”
उन्होंने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे भी अपने परिवार और समाज के साथ नई उमंग, उत्साह और खुशियों के साथ दीपावली मनाएँ तथा जरूरतमंदों को भी अपनी खुशियों में शामिल करें।
#शुभदीपावली ? — सेवा और स्नेह से आलोकित दीपोत्सव का संदेश पंडरिया से पूरे प्रदेश के लिए।
स्वास्थ्य शिक्षा और सेवाओं को नई दिशा — निविदा दरों की स्वीकृति के बाद जल्द शुरू होगा निर्माण
रायपुर / शौर्यपथ।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राज्य में चार नए शासकीय मेडिकल कॉलेजों सहित कुल छह महत्वपूर्ण निर्माण परियोजनाओं के लिए निविदा दरों को अनुमोदित किया गया है।
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) के नया रायपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित 51वीं संचालक मंडल बैठक में इन परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई। इन सभी परियोजनाओं की कुल लागत 1,390 करोड़ रुपए से अधिक है। इस निर्णय से प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को नई गति मिलेगी।
बैठक में चार नए मेडिकल कॉलेजों की भवन निर्माण परियोजनाओं के लिए निम्नानुसार निविदा दरों को स्वीकृति दी गई —
मनेंद्रगढ़ मेडिकल कॉलेज – ₹323.03 करोड़
कबीरधाम मेडिकल कॉलेज – ₹318.27 करोड़
जांजगीर-चांपा मेडिकल कॉलेज – ₹318.27 करोड़
गीदम मेडिकल कॉलेज – ₹326.53 करोड़
इन कॉलेजों के निर्माण से प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा का दायरा बढ़ेगा और युवाओं को डॉक्टर बनने के अधिक अवसर मिलेंगे।
इसके अलावा मनेंद्रगढ़ में 220 बिस्तर वाले अस्पताल भवन के निर्माण हेतु ₹28.48 करोड़ तथा बिलासपुर के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और अस्पताल भवन के निर्माण हेतु ₹79.52 करोड़ की निविदा दर को भी मंजूरी दी गई है।
इन छह परियोजनाओं की निविदा दरों को स्वीकृति मिलने के बाद अब इनके निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ होंगे। इनके पूर्ण होने पर प्रदेश की जनता को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ मिलेंगी, जिससे बड़े शहरों पर उपचार की निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आएगी।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा, “नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से न केवल चिकित्सा शिक्षा का दायरा बढ़ेगा बल्कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता भी सुदृढ़ होगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की संवेदनशील सोच और दूरदर्शी नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा मिल रही है। प्रदेश के हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुँचाना हमारी प्राथमिकता है।”
सीजीएमएससी की 51वीं संचालक मंडल बैठक में अध्यक्ष दीपक म्हस्के, स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया, सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक रितेश अग्रवाल, वित्त विभाग, जीएसटी विभाग और कॉर्पोरेशन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में परियोजनाओं के क्रियान्वयन की समयसीमा, गुणवत्ता मानकों और पारदर्शिता पर विशेष बल दिया गया। निर्णय लिया गया कि निर्माण कार्य समयबद्ध रूप से और उच्च गुणवत्ता मानकों के साथ पूर्ण किए जाएंगे।
इन मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के शुरू होने से प्रदेश के युवाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा के नए अवसर खुलेंगे और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी बढ़ेगा। साथ ही ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ सुलभ होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ में ऐसा स्वास्थ्य ढाँचा विकसित हो, जहाँ हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण और सुलभ चिकित्सा सुविधा मिले। राज्य सरकार जनता के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।”
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
