
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर आज सुप्रसिद्ध लोक गायिका सुश्री मैथिली ठाकुर के सुमधुर भजनों से राममय हो गया।छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती वर्ष 2025 के अंतर्गत आयोजित उत्कृष्टता अलंकरण समारोह के अंतर्गत आयोजित सांस्कृतिक संध्या के कार्यक्रम में सुश्री मैथिली ठाकुर ने प्रभु श्रीराम के भक्ति भाव से ओतप्रोत एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। अपने गायन के दौरान उन्होंने "श्रीराम को देखकर जगत जननी नंदनी...", "मेरे झोपड़ी के भाग खुल जाएंगे...", "मेरे राम की कृपा से सब काम हो रहा है..." जैसे भजनों को मधुर और मनमोहक स्वर में प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर उपस्थित जनसमूह भक्ति में लीन हो गया।विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मुख्य मंच से लोक गायिका सुश्री मैथिली ठाकुर को शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री रमेन डेका, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत सहित सांसदों एवं विधायकगणों ने भव्य सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया।
प्रदेश को शीघ्र मिलेंगे 851 नए एंबुलेंस:प्रधानमंत्री जन मन योजना के अंतर्गत विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए होगी एंबुलेंस की विशेष व्यवस्था
रायपुर/शौर्यपथ /प्रदेश के कोने-कोने तक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुदृढ़ीकरण हेतु राज्य सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। भरोसेमंद चिकित्सा सुविधा आमजन तक पहुँचाने की दिशा में उठाया गया यह कदम ऐतिहासिक है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज अपने निवास परिसर से मैदानी स्वास्थ्य अमले के लिए 151 वाहनों को हरी झंडी दिखाकर विभिन्न जिलों के लिए रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इन वाहनों के माध्यम से बस्तर और सरगुजा क्षेत्र के सुदूर अंचलों में भी लोगों को समय पर प्रभावी उपचार मिल सकेगा। यह 'स्वस्थ छत्तीसगढ़' की दिशा में एक सशक्त पहल सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त और सुलभ बनाने की दिशा में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है। पुराने, अनुपयोगी हो चुके वाहनों को स्क्रैप कर उनकी जगह अत्याधुनिक नए वाहन शामिल किए गए हैं। यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन, समयबद्ध निरीक्षण और निगरानी को भी गति प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जिला और विकासखंड स्तर पर कार्यरत अधिकारियों एवं मैदानी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए उपलब्ध कराए जा रहे वाहनों से नियमित निरीक्षण, स्वास्थ्य शिविरों की निगरानी, दूरस्थ अंचलों तक त्वरित पहुँच और आपातकालीन परिस्थितियों में समयबद्ध हस्तक्षेप संभव हो सकेगा। इससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों का संचालन अधिक प्रभावी और गतिशील होगा तथा राज्य में स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली और अधिक सक्रिय, उत्तरदायी और परिणामोन्मुखी बनेगी। यह पहल प्रदेश के संपूर्ण स्वास्थ्य तंत्र को गति देने का कार्य करेगी।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों को ये वाहन चरणबद्ध रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रथम चरण में बस्तर और सरगुजा संभाग के 12 जिलों को ये वाहन भेजे जा रहे हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि शीघ्र ही प्रदेश में 851 नवीन एंबुलेंस सेवाएं शुरू की जाएंगी, जिनमें से 375 एंबुलेंस 108 आपातकालीन सेवाओं के लिए, 30 एंबुलेंस ग्रामीण चलित चिकित्सा इकाइयों के लिए तथा 163 ‘मुक्तांजली’ शव वाहन निःशुल्क सेवा के अंतर्गत दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जनजातीय समुदायों के उत्थान हेतु समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में प्रधानमंत्री ‘जन मन योजना’ के तहत विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए 30 एंबुलेंस की व्यवस्था भी शीघ्र की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब वर्षा ऋतु जैसे चुनौतीपूर्ण समय में भी राज्य सरकार घर-घर स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के अपने संकल्प को पूरी तत्परता से पूर्ण कर सकेगी। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और इस दिशा में निरंतर प्रतिबद्धता दोहराई।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार पूरी क्षमता के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में निरंतर कार्यरत है। उन्होंने स्वास्थ्य अधोसंरचना को मजबूत बनाने हेतु सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी तथा मैदानी स्वास्थ्य अमले को इस विशेष सौगात के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
इस अवसर पर सीजीएमएससी के अध्यक्ष श्री दीपक म्हस्के, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष श्री सलीम राज, स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री अमित कटारिया, आयुक्त डॉ. प्रियंका शुक्ला सहित बड़ी संख्या में अधिकारीगण एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।
रायपुर /शौर्यपथ /नक्सलवाद से प्रभावित बस्तर अंचल का एक नाम जो आज उम्मीद और बदलाव की मिसाल बनकर उभरा है – वह है माडवी अर्जुन। सुकमा जिले के अति-दुर्गम और माओवादी हिंसा से वर्षों त्रस्त रहे पूवर्ती गांव के इस बालक ने जवाहर नवोदय विद्यालय, पेंटा (दोरनापाल) में छठवीं कक्षा में चयन पाकर इतिहास रच दिया है। यह केवल एक छात्र की जीत नहीं, बल्कि उस उम्मीद का संकेत है जो अब बस्तर के कोने-कोने में अंकुरित हो रही है।
माडवी अर्जुन जिस पूवर्ती गांव का रहने वाला है , दरअसल वह नक्सलियों के कमांडर हिड़मा का पैतृक गांव है। एक दौर था, जब पूवर्ती नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। यहाँ माओवादी जन अदालत लगाकर आतंक और ग्रामीणों भाग्य का फैसला सुनाते थे। अब वही पूवर्ती गांव, शिक्षा और विकास के नए सूरज की किरणें देख रहा है। अर्जुन की इस उपलब्धि ने यह दिखा दिया है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, अगर अवसर और मार्गदर्शन मिले तो सफलता जरूर मिलती है।
अर्जुन वर्तमान में बालक आश्रम सिलगेर में पढ़ाई कर रहा था। उसके घर में न बिजली है, न पक्की छत। उसके माता-पिता खेती और मजदूरी कर किसी तरह घर चलाते हैं। फिर भी, अर्जुन ने कठिन परिस्थितियों को पीछे छोड़ते हुए अपनी मेहनत और आश्रम शिक्षकों के समर्पण से यह उपलब्धि अर्जित की।
बीते डेढ़ वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान ने बस्तर के दूरस्थ क्षेत्रों में परिवर्तन की नींव रखी है। पूवर्ती जैसे क्षेत्र जहां पहले सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं, अब वहां सड़क निर्माण, सुरक्षा बलों के कैंप, गुरुकुल विद्यालय, स्वास्थ्य सेवाएं और उचित मूल्य दुकानें शुरू हो चुकी हैं।
पूवर्ती में अब बच्चों की पढ़ाई के लिए सुरक्षा बलों की देखरेख में चल रहे गुरुकुल ने एक प्रेरणादायी माहौल देना शुरू किया है। अर्जुन की सफलता इसी सतत प्रयास की पहली बड़ी उपलब्धि है।
जिला कलेक्टर देवेश ध्रुव ने कहा कि पूवर्ती जैसे दुर्गम और माओवाद प्रभावित गांव से नवोदय विद्यालय में चयन, न केवल अर्जुन की मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह जिले की शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का भी संकेत है। हम हर बच्चे को आगे बढ़ाने का मौका देना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि माडवी अर्जुन की सफलता छत्तीसगढ़ की बदलती तस्वीर का प्रतीक है। यह उस नव-छत्तीसगढ़ की झलक है, जहाँ अंधेरे की जगह अब उजाले की बातें हो रही हैं। पूवर्ती जैसे गांव से राष्ट्रीय स्तर के नवोदय स्कूल तक का सफर दर्शाता है कि हमने जो बीज शिक्षा, सुरक्षा और विकास का बोया है, वह अब फल देने लगा है। अर्जुन को मेरी ओर से ढेरों बधाई और शुभकामनाएं। अब पूवर्ती क्षेत्र से केवल एक अर्जुन नहीं, हजारों अर्जुन निकलेंगे और छत्तीसगढ़ के भविष्य को संवारेंगे। राज्य सरकार हर बच्चे के सपनों को पंख देने के लिए कटिबद्ध है।
माडवी अर्जुन की यह यात्रा केवल एक छात्र की कहानी नहीं, बल्कि यह उस बदलाव की दास्तान है, जिसे बस्तर जी रहा है। नक्सलवाद की दीवारें अब दरक रही हैं और शिक्षा की रोशनी बस्तर के घर-आंगनों में फैल रही है।बदलते बस्तर की यह शुरुआत है। अब अर्जुनों की कतार लगेगी और पूवर्ती जैसे गांव विकास की नई इबारत लिखेंगे।
बिलासपुर तीन लाख से दस लाख जनसंख्या श्रेणी में देश का दूसरा और कुम्हारी 20-50 हजार की आबादी वाले शहरों में देश का तीसरा सबसे साफ शहर
सुपर स्वच्छता लीग में छत्तीसगढ़ के तीन शहरों ने बनाई जगह, रायपुर राज्य का प्रॉमिसिंग स्वच्छ शहर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत नगरीय निकायों को दी बधाई
रायपुर/शौर्यपथ /केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में छत्तीसगढ़ के सात शहरों ने अपनी स्वच्छता की चमक बिखेरी है। बिल्हा नगर पंचायत 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों में अब देश का सबसे साफ-सुथरा शहर बन गया है। स्वच्छ सर्वेक्षण में 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में बिल्हा ने देशभर में प्रथम स्थान हासिल किया है। तीन लाख से दस लाख जनसंख्या वाले शहरों में बिलासपुर को पूरे देश में दूसरा और 20 हजार से 50 हजार आबादी वाले शहरों में कुम्हारी को तीसरा स्थान मिला है।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में इन तीनों नगरीय निकायों के साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्य के कुल सात नगरीय निकायों को पुरस्कृत किया। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री अरुण साव, संबंधित निकायों के महापौर, अध्यक्षों और अधिकारियों ने ये पुरस्कार ग्रहण किए। केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल और केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री तोखन साहू भी पुरस्कार समारोह में शामिल हुए।
भारत सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में अंबिकापुर, पाटन, विश्रामपुर और रायपुर ने भी राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है। स्वच्छ सर्वेक्षण में पहली बार शामिल नई श्रेणी 'स्वच्छता सुपर लीग' (एसएसएल) में अंबिकापुर, पाटन और विश्रामपुर ने जगह बनाई है। यह सम्मान उन शहरों को दिया गया, जो पिछले तीन वर्षों में कम से कम एक बार शीर्ष तीन में रहे हैं और वर्तमान वर्ष में शीर्ष 20 शहरों में शामिल हैं। अंबिकापुर ने 50 हजार से तीन लाख जनसंख्या श्रेणी में तथा पाटन और विश्रामपुर ने 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में एसएसएल में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। इनके अतिरिक्त, राजधानी रायपुर को छत्तीसगढ़ का 'प्रॉमिसिंग (Promising) स्वच्छ शहर' का पुरस्कार मिला है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी विजेता नगरीय निकायों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि राज्य के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने इन शहरों में स्वच्छता के प्रति नागरिकों, स्थानीय निकायों और प्रशासन के सामूहिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ये पुरस्कार राज्य के अन्य शहरों को भी अपने शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए प्रेरित करेंगे।
उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने भी आज पुरस्कृत नगरीय निकायों को बधाई दी और कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए केवल एक सम्मान ही नहीं, बल्कि स्वच्छता के प्रति निरंतर प्रयासों का प्रमाण है। आने वाले समय में अन्य नगरीय निकायों को भी स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होंगे। शहरी सरकारों से लेकर राज्य और केंद्र की सरकार शहरों को स्वच्छ, सुंदर और सुविधापूर्ण बनाने के लिए कई नवाचारों के साथ सतत काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप प्रदेश में हुआ स्कूल और शिक्षक युक्तियुक्तकरण
रायपुर/शौर्यपथ /शिक्षा की गुणवत्ता और सुगमता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता और नीति-आधारित दृष्टिकोण के साथ संपन्न की गई है। इस प्रक्रिया में शिक्षकों के किसी भी पद को समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ और संगठित किया गया है।
राज्य में युक्तियुक्तकरण से पहले की स्थिति अत्यंत असंतुलित थी। प्रदेश में शून्य दर्ज संख्या वाली 211 शालाएं संचालित थीं, जिनमें कुछ में शिक्षक पदस्थ भी थे। इसके अतिरिक्त, 453 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल तथा हायर सेकेण्डरी शालाएं शिक्षक विहीन थीं। साथ ही, 5936 शालाएं एकल शिक्षकीय थीं, जिनमें सभी स्तर की शालाएं सम्मिलित थीं। यह स्थिति निःसंदेह शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही थी।
वहीं दूसरी ओर, कुछ प्राथमिक शालाओं में अनुचित शिक्षक-संख्या की अधिकता देखी गई — 8 प्राथमिक शालाओं में 15 से अधिक शिक्षक, 61 में 10 से 14 शिक्षक, तथा 749 प्राथमिक शालाओं में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत थे। पूर्व माध्यमिक स्तर पर भी यही असंतुलन था — 9 शालाओं में 15 या उससे अधिक, 90 में 10 से 14, तथा 1641 पूर्व माध्यमिक शालाओं में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत पाए गए।
प्रदेश में कई स्थानों पर एक ही परिसर में प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी शालाएं अलग-अलग प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित थीं, जिससे प्रबंधन में भी जटिलताएँ उत्पन्न हो रही थीं। इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं, 01 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित दूसरी शालाओं के समानांतर संचालित थीं। शहरी क्षेत्रों में यह स्थिति और भी अधिक घनत्व वाली थी — 500 मीटर से कम दूरी पर 30 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं संचालित थीं। इस असमानता को समाप्त करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के उद्देश्यों को धरातल पर लागू करने के लिए युक्तियुक्तकरण आवश्यक था।
प्रथम चरण — विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण
इस प्रक्रिया के पहले चरण में, शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों और निर्देशों के आधार पर विकासखंड स्तर पर युक्तियुक्तकरण योग्य विद्यालयों का चयन किया गया, जिसे जिला स्तरीय समिति द्वारा परीक्षण एवं अनुशंसा उपरांत शासन को भेजा गया। इसके आधार पर कुल 10538 विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण किया गया, जिसमें 10372 एक ही परिसर में संचालित विद्यालय, 133 ग्रामीण क्षेत्र की 01 कि.मी. से कम दूरी की शालाएं, तथा 33 शहरी क्षेत्र की 500 मीटर से कम दूरी वाली शालाएं सम्मिलित हैं।
द्वितीय चरण — शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण
शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण हेतु अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन एवं गणना प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्रावधानानुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत की गई।इन शिक्षकों को काउंसिलिंग प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय तथा विषयवार आवश्यकता वाली शालाओं में समायोजित किया गया।
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप कुल 15165 शिक्षकों एवं प्राचार्यों का समायोजन किया गया जिससे पूर्व में 453 शिक्षक विहीन शालाएं अब पूर्णतः शिक्षक युक्त हो गई हैं।5936 एकल शिक्षकीय शालाओं में से अब केवल 1207 प्राथमिक शालाएं शिक्षक अनुपलब्धता के कारण शेष हैं।
इस प्रक्रिया में कोई भी पद समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि प्रत्येक विद्यालय के लिए आवश्यक शिक्षक संख्या का निर्धारण शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार दर्ज संख्या के अनुपात में किया गया है।
भविष्य में यदि किसी विद्यालय की दर्ज संख्या में वृद्धि होती है, तो वहां शिक्षकों की व्यवस्था स्वीकृत पदों के अनुसार की जाएगी।
कोण्डागांव/शौर्यपथ /कलेक्टर एवं जिला साक्षरता मिशन प्राधिकरण कोंडागाँव के अध्यक्ष श्रीमती नूपुर राशि पन्ना की अध्यक्षता में मंगलवार को संयुक्त जिला कार्यालय के सभा कक्ष में जिला साक्षरता मिशन प्राधिकारण की उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। कलेक्टर ने सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों को साक्षरता दर बढ़ाने में जरूरी सहयोग एवं समन्वय के निर्देश दिए। जिले में पहली बार विभिन्न विकासखंडों के कक्षा 8वीं 10वीं एवं 12वीं के चार छात्र छात्राओं ने 10 असाक्षर को साक्षर कर मार्च 2025 की साक्षरता की महा परीक्षा में सम्मिलित कर उत्तीर्ण कराया और अपने मुख्य परीक्षा में बोनस अंक के 10 अतिरिक्त अंक अर्जित किये। बैठक में जिला पंचायत सीईओ एवं जनपद पंचायत सीईओ को सचिव एवं रोजगार सहायकों को सहयोग देने कॉलेज के छात्र-छात्राओं, राष्ट्रीय सेवा योजना तथा एनसीसी के विद्यार्थियों से सर्वे कार्य में सहयोग एवं स्वयंसेवी शिक्षक की भूमिका निभाने का निर्देश दिया। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का सर्वे कार्य में सहयोग एवं स्वयंसेवी शिक्षक की भूमिका निभाने हेतु निर्देश जारी करने कहा गया। इसी तरह श्रम विभाग के असाक्षर श्रमिकों को एवं आदिम जाति विकास विभाग समाज कल्याण विभाग श्रम विभाग कृषि एवं पशुपालन खेल विभाग कौशल विकास जैसे सभी विभागों को उनके असाक्षर हितग्राहियों को उल्लास योजना से जोड़ने की निर्देश दिए गए। जिला परियोजना अधिकारी श्री वेणुगोपाल राव ने बताया कि इस वर्ष राज्य से जिला को 50000 शिक्षार्थियों तथा 5000 स्वयंसेवी शिक्षकों का सर्वे करने एवं उसका उल्लास एप में प्रविष्टि करने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत पांच घटकों का समावेश किया गया है, इसमें बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान महत्वपूर्ण जीवन कौशल जैसे वित्तीय कानूनी डिजिटल पर्यावरण मतदाता साक्षरता एवं सतत शिक्षा शामिल है। जिले के पुरुष साक्षरता दर 67.45 प्रतिशत एवं महिला साक्षरता दर 45.37 प्रतिशत है तथा जिला का साक्षरता दर 56.21 प्रतिशत है। वर्ष 2025-26 के लिए प्राप्त लक्ष्य 15000 शिक्षार्थियों का सर्वे कर उल्लास एप में प्रविष्टि की जाएगी तथा माह मार्च 2026 की साक्षरता के महापरीक्षा में सम्मिलित होंगे। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक को ग्राम या वार्ड प्रभारी बनाया गया है तथा उनके मार्गदर्शन में संस्था के समक्ष शिक्षक सर्वे कार्य व उल्लास एप में प्रविष्टि का कार्य जुलाई 2025 तक संपन्न करेंगे। सभी विभाग प्रमुख ग्राम वार्ड के प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक को सहयोग प्रदान करने के लिए अमले को निर्देशित करेंगे। इसके साथ ही उल्लास केन्द्रों को आकर्षक बनाने एवं स्मार्ट क्लास के अंतर्गत सभी को ऑडियो विजुअल सामग्री प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं। इस बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती भारती प्रधान एवं डीएमसी श्री ईमेल सिंह बघेल भी उपस्थित थे।
बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा-सुकमा में शासन की रणनीति सफल — दूरस्थ अंचलों में भी पहुँच रही स्वास्थ्य सेवा
सक्रिय निगरानी, घर-घर स्क्रीनिंग और सामुदायिक भागीदारी से गढ़ा नया स्वास्थ्य मॉडल
रायपुर /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान (12वां चरण) की अब तक की प्रगति से स्पष्ट है कि राज्य शासन की घर-घर स्क्रीनिंग रणनीति और सक्रिय जनसंपर्क के माध्यम से मलेरिया की जड़ पर प्रहार किया जा रहा है। 25 जून से 14 जुलाई 2025 तक हुए सर्वेक्षण में 1884 मलेरिया पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गई, जिनमें से 1165 मरीज (61.8%) बिना लक्षण वाले थे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि हमारी सरकार की नीति स्पष्ट है—बीमारी की प्रतीक्षा मत करो, बीमारी से पहले पहुँचो। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा कि यह अभियान राज्य को मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक साबित होगा।
कुल 1,39,638 लोगों की मलेरिया जांच की गई। 1884 लोग पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से 1165 (61.8%) बिना किसी लक्षण के थे — यानी यदि ये स्क्रीनिंग नहीं होती, तो संक्रमण आगे बढ़ता। कुल मामलों में से 75% से अधिक बच्चे हैं, जो विशेष रूप से संवेदनशील वर्ग हैं। 92% से अधिक मलेरिया केस Plasmodium falciparum (Pf) प्रकार के हैं — जिसकी त्वरित पहचान से गंभीर जटिलताओं को टाला गया।
दंतेवाड़ा जैसे दूरस्थ और भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण जिले में 12.06% लक्ष्य प्राप्ति दर और 706 मलेरिया पॉजिटिव मामलों की पहचान एक बड़ी सफलता है। खास बात यह है कि इनमें से 574 मरीज बिना लक्षण वाले (Asymptomatic) थे, जिन्हें शासन की सक्रिय रणनीति के कारण समय रहते उपचार उपलब्ध कराया गया। यह दिखाता है कि जंगल क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य तंत्र की पहुँच, निगरानी, और सेवा वितरण प्रभावशाली तरीके से हो रहा है।
सुकमा में 15,249 व्यक्तियों की जांच के दौरान 372 मलेरिया पॉजिटिव केस मिले, जिनमें से 276 मरीज बिना लक्षण वाले थे। यह आँकड़ा स्पष्ट रूप से बताता है कि शासन की प्रो-एक्टिव स्क्रीनिंग के चलते साइलेंट संक्रमण के चक्र को तोड़ा जा रहा है। जनजातीय क्षेत्रों में भी मेडिकल एक्सेस और सामुदायिक भागीदारी के चलते संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा रहा है — यह प्रशासन की रणनीतिक सफलता है।
मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के 12वें चरण अंतर्गत 27266 घरों में स्क्रीनिंग टीमों की पहुँच हुई। 1247 गर्भवती महिलाओं की जाँच की गई, जिनमें से मात्र 10 पॉजिटिव पाई गईं – यानी केवल 0.08%। LLIN (लार्ज लास्टिंग मच्छरदानी) का उपयोग 92% घरों में सुनिश्चित हुआ। Indoor Residual Spray कवरेज 68.73% तक पहुँचा। 614 घरों में मच्छर लार्वा मिलने पर त्वरित कार्रवाई की गई।
यह अभियान दर्शाता है कि स्वास्थ्य सेवा सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि जागरूकता, समयबद्धता और पहुँच का नाम है। शासन द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से स्क्रीनिंग, मच्छर नियंत्रण, जागरूकता और फॉलोअप व्यवस्था के संयुक्त प्रयास से ही संभव हो सका है कि 61.8% बिना लक्षण वाले मरीजों को इलाज मिला और संक्रमण की कड़ी टूट सकी।
छत्तीसगढ़ सरकार आने वाले समय में इस मॉडल को और विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि राज्य को मलेरिया मुक्त बनाना सिर्फ लक्ष्य नहीं, बल्कि वास्तविकता बने।
छात्रों की शिकायतों और तनाव प्रबंधन पर विश्वविद्यालय विशेष रूप से ध्यान दें
राज्यपाल ने ली शासकीय विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक
रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रमेन डेका ने आज प्रदेश के सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियोें की बैठक लेकर विश्वविद्यालयों के कामकाज की समीक्षा की। उन्होंने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए रिक्त पदों पर भर्ती की कार्रवाही को प्राथमिकता से करने कहा। उन्होंने सभी कुलपतियों से कहा है कि वे डीन स्टूडेंट वेलफेयर को सक्रिय करें और विद्यार्थियों की शिकायतों पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए समय पर निराकरण सुनिश्चित करें। राज्यपाल ने सोशल मीडिया के इस दौर में छात्रों के तनाव प्रबंधन पर भी विशेष बल दिया है।
राजभवन के कांफ्रेंस हॉल में आज आयोजित बैठक में राज्यपाल डेका ने विभिन्न बिंदुओं पर समीक्षा की। श्री डेका ने कहा कि विश्वविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। विश्वविद्यालयों में स्थाई रजिट्रार नियुक्त हो। आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रमों की संख्या बढ़ाए जिससे विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ेगी। बैठक में राज्यपाल ने कहा कि जब रिक्त पदों पर समय पर भर्ती होगी और प्रमोशन होंगे तब ही छत्तीसगढ़ के प्रोफेसर को कुलपति बनने का अवसर मिल सकेगा। बैठक में उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों से रिक्त पदों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि लंबे समय से टीचिंग स्टाफ की भर्ती नहीं होने से शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय नेक ग्रेडिंग प्राप्त करे और गुणवत्ता में सुधार लाए। राज्यपाल ने प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए सभी टीचिंग स्टाफ को वापस बुलाने के निर्देश दिए।
डेका ने कृषि विश्वविद्यालय को निर्देश दिए कि किसानो को पारंपरिक फसल के स्थान पर लाभप्रद फसल के लिए प्रोत्साहित करें। टमाटर के विपणन पर विशेष ध्यान देने कहा ताकि उन्हें खराब होने से बचाया जा सके। खाद्य उत्पादन और आपूर्ति में संतुलन होना चाहिए। उद्यानिकी विश्वविद्यालय को स्व-सहायता समूहों के साथ मिलकर कार्य करने कहा गया। राज्यपाल ने कुलपतियों से कहा कि वर्ष में एक बार एलुमिनाई मीट (पूर्व छात्रों का सम्मेलन) करंे। कुलपतियों से कहा गया है कि वे कॉलेजों का आकस्मिक निरीक्षण करंे और साल में दो बार प्राचार्यों के साथ बैठक करंे। विश्वविद्यालयों को रिसर्च एवं डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की जानकारी लेते हुए कहा कि कुलपति अपने अधिनष्ठ कॉलेजों के प्राचार्याे को इसकी संपूर्ण जानकारी दें। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए सभी कुलपति आपस में बैठक कर अपने सुझाव और अनुभव साझा करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों, विशेष कर व्यवसायिक और तकनीकी विश्वविद्यालयों में नवाचार को बढ़ावा देने और युवाओं को स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहित करने पर बल दिया।
बैठक के प्रारंभ में राज्यपाल के सचिव डॉ. सी. आर. प्रसन्ना ने समीक्षा बैठक के मुख्य बिन्दुओं की जानकारी दी। विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने बारी-बारी से प्रेजेंटेशन दिया। बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त डॉ. संतोष देवांगन, राजभवन की उप सचिव श्रीमती हिना अनिमेष नेताम सहित सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने ‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान पर आधारित पुस्तिका का किया विमोचन
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज विधानसभा परिसर स्थित अपने कक्ष में ‘मोर गांव मोर पानी’ महाअभियान पर आधारित पुस्तिका का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रारंभ किए गए इस विशेष अभियान ने जल संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में अभूतपूर्व चेतना उत्पन्न की है। विमोचन कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, प्रमुख सचिव पंचायत श्रीमती निहारिका बारीक, आयुक्त मनरेगा और संचालक प्रधानमंत्री आवास योजना श्री तारण प्रकाश सिन्हा सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ग्राम पंचायतों की सक्रियता और जनता की स्वप्रेरित भागीदारी के चलते यह अभियान अब एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है। लोग स्वेच्छा से जल संरक्षण जैसे पुनीत कार्यों से जुड़ रहे हैं, जो सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है। उन्होंने कहा कि पुस्तिका में राज्य की विभिन्न पंचायतों द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों और नवाचारों को संकलित किया गया है, जो अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अभियान के अंतर्गत सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों के माध्यम से जल संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रदेश की 11,000 से अधिक ग्राम पंचायत भवनों की दीवारों पर भूजल स्तर अंकित किया गया है, जिससे लोगों में जल के महत्व को लेकर व्यावहारिक चेतना जागृत हुई है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों की भूमिका जल संरक्षण को जन-भागीदारी से जोड़ने में महत्वपूर्ण रही है, और यह चेतना आने वाले समय में और भी व्यापक स्वरूप लेगी।
उल्लेखनीय है कि ‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान के तहत रैली, दीवार लेखन जैसे माध्यमों से व्यापक स्तर पर जनसामान्य को जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील और जागरूक किया गया है। 626 क्लस्टर्स में आयोजित प्रशिक्षणों के माध्यम से 56,000 से अधिक प्रतिभागियों को जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए तैयार किया गया है।
अभियान में GIS तकनीक का उपयोग कर जल संरक्षण कार्यों की प्रभावी योजना बनाई जा रही है, जबकि जलदूत ऐप के माध्यम से खुले कुओं का जल स्तर मापा जा रहा है। इसके अतिरिक्त, परकोलेशन टैंक, अर्दन डैम, डिफंक्ट बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर जैसे संरचनात्मक उपायों के माध्यम से जल पुनर्भरण और संरक्षण के स्थायी प्रयास किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायतों के यह प्रयास छत्तीसगढ़ को जल संरक्षण के राष्ट्रीय मॉडल के रूप में स्थापित करेंगे।
स्टील उद्योगों के लिये राहत, घरेलु उपभोक्ताओं के लिए संरक्षण, कृषि पंपों पर नहीं पड़ेगा बोझ
रायपुर/शौर्यपथ/मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2025-26 हेतु घोषित बिजली टैरिफ में मात्र 1.89 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो कि विगत वर्षों में न्यूनतम वृद्धि में से एक है। यह निर्णय जनसुनवाई की प्रक्रिया के बाद पारदर्शी ढंग से लिया गया है और इसे घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर स्टील और रोलिंग मिल उद्योगों तक ने सराहा है।
आम उपभोक्ताओं को राहत, किसानों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि घरेलू विद्युत दरों में केवल 10 से 20 पैसे तक की मामूली वृद्धि की गई है, जबकि कृषि पंप उपभोक्ताओं के लिए 50 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है — जिसका सीधा असर किसानों पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह राशि शासन द्वारा सब्सिडी के रूप में पहले से अग्रिम भुगतान की जा रही है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि छत्तीसगढ़ के कृषक वर्ग पर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार न पड़े। सरकार किसानों के हितों की पूरी तरह से रक्षा कर रही है।
उद्योगों को बढ़ावा — स्टील इंडस्ट्री की दरों में कटौती
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने उद्योगों को प्रतिस्पर्धात्मक बनाए रखने हेतु मिनी स्टील, रोलिंग मिल और फेरो एलॉय जैसे ऊर्जा-गहन उद्योगों की दरों में कटौती की है। यह निर्णय उद्योगों के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बेहतर आपूर्ति और घटती हानियाँ: गुणवत्तापूर्ण वितरण प्रणाली की दिशा में अग्रसर छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में औसतन 23.85 घंटे/दिन और ग्रामीण क्षेत्रों में 23.45 घंटे/दिन बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। विशेष रूप से कृषि फीडरों में 18 घंटे प्रतिदिन की आपूर्ति दी जा रही है, जो देश के सभी राज्यों में सर्वाधिक आंकड़ों में शामिल है। तकनीकी और वाणिज्यिक हानि को 2020-21 में 23.14% से घटाकर 2024-25 में 13.79% किया गया है। यह उपलब्धि दक्ष संचालन, पारदर्शी व्यवस्था और तकनीकी सुधारों का प्रमाण है।
अधोसंरचना विकास के लिए बड़ा निवेश, कोरबा में 1320 मेगावॉट का नया प्लांट
वर्तमान टैरिफ में केपिटल इन्वेस्टमेंट प्लान का भी समावेश है जिसके अंतर्गत ट्रांसमिशन कंपनी के लिए ₹2433 करोड़, डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के लिए ₹3977 करोड़ और जनरेशन कंपनी के लिए ₹2992 करोड़ का प्रावधान है। कोरबा में 1320 मेगावॉट के प्लांट की स्थापना का कार्य भी प्रारंभ हो चुका है, जिसकी लागत ₹15,800 करोड़ है। इससे छत्तीसगढ़ भविष्य में ऊर्जा-सरप्लस राज्य बनेगा और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
सौर ऊर्जा की ओर एक कदम: घरेलू उपभोक्ताओं के लिए डबल अनुदान योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत 3 किलोवाट तक के संयंत्रों पर ₹78,000 तक केंद्र सरकार से अतिरिक्त 2 किलोवाट तक के संयंत्रों पर ₹30,000 तक राज्य शासन से अनुदान दिया जाएगा। यह योजना छत्तीसगढ़ के घरेलू उपभोक्ताओं को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में क्रांतिकारी पहल है।
ऊर्जा के क्षेत्र में 3 लाख करोड़ रुपये के करार, आएगी रोजगार क्रांति
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि पॉवर कंपनी/शासन द्वारा 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के करार किए गए हैं, जिससे आने वाले समय में ऊर्जा उत्पादन और रोजगार दोनों के क्षेत्र में क्रांति आएगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि हमारी प्राथमिकता है कि बिजली उपभोक्ताओं को न केवल निर्बाध आपूर्ति मिले, बल्कि वह गुणवत्तापूर्ण, सस्ती और टिकाऊ हो। वर्तमान और भावी योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ ऊर्जा के क्षेत्र में राष्ट्रीय मानक स्थापित करेगा।
ऑपरेशन सिन्दूर पर छत्तीसगढ़ की जनता को गर्व: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जताया प्रधानमंत्री के प्रति आभार
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कुशल रणनीति और नेतृत्व क्षमता को पूरे देश ने देखा है। यह केवल एक मिशन नहीं था, बल्कि भारत की ताकत, संकल्प और वैश्विक नेतृत्व क्षमता का जीवंत प्रमाण है। श्री साय आज विधानसभा में ऑपरेशन सिन्दूर के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने समस्त छत्तीसगढ़वासियों की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को ऑपरेशन सिन्दूर के सफल संचालन के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता को इस ऑपरेशन की सफलता पर गर्व है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब ऐसा राष्ट्र बन चुका है जो अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी परिस्थिति में, किसी भी सीमा तक जाकर, त्वरित, निर्णायक और प्रभावी कार्यवाही करने में सक्षम है। ऐसे अभियान केवल सैन्य या कूटनीतिक सफलता का प्रतीक नहीं होते, बल्कि वे संपूर्ण राष्ट्र की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व का दृष्टिकोण स्पष्ट है — हर भारतीय का जीवन बहुमूल्य है, चाहे वह देश में हो या विदेश में। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस ऑपरेशन के केंद्र में समन्वय और निर्णय क्षमता की जो धुरी रही, वह हैं - प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी। प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय भागीदारी, व्यक्तिगत निगरानी और स्पष्ट निर्देशों के कारण ही यह मिशन समयबद्ध, सुरक्षित और सफलतापूर्वक सम्पन्न हो पाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना की बात करते हैं, तो ऐसे मिशन हमें यह विश्वास दिलाते हैं कि भारत केवल अपने नागरिकों की ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए भी कर्तव्यनिष्ठ है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत की साख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नई ऊंचाइयों को स्पर्श कर रही है। ऑपरेशन गंगा, ऑपरेशन कावेरी, ऑपरेशन देवी शक्ति, और अब ऑपरेशन सिन्दूर — भारत ने बार-बार यह सिद्ध किया है कि वह वैश्विक संकटों में मूक दर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय संकट-निवारक राष्ट्र है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहलगाम की वीभत्स घटना के पश्चात हमारे प्रदेश के सपूत स्वर्गीय दिनेश मिरानिया का पार्थिव शरीर भी लौटकर आया। मैंने स्वयं उनके परिवार की पीड़ा को देखा। हमारी बहन ने अपनी आँखों के सामने अपना सुहाग उजड़ते देखा — यह पीड़ा कितनी गहरी है, यह पूरा सदन समझ सकता है। आतंकियों ने उन्हें केवल इस कारण मार डाला कि वे नहीं चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर, जो भारत का अभिन्न अंग है, उसमें अन्य प्रांतों के नागरिकों की आवाजाही हो सके। उन्हें धर्म देखकर मारा गया। देश भर की माताओं-बहनों के बिलखने की तस्वीरें सामने आईं और इनके साथ पूरा देश रोया। यह एक ऐसी अमानवीय घटना थी, जिसमें सम्पूर्ण मानवता तार-तार हो गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां आतंकवादियों ने निर्दोष लोगों का रक्त बहाया, वहीं भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई में इस बात का विशेष ध्यान रखा कि पाकिस्तान के आम नागरिकों को कोई क्षति न पहुँचे। हमारे नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत किसी को छेड़ता नहीं, परंतु छेड़ने वालों को छोड़ता भी नहीं। ऑपरेशन सिन्दूर के माध्यम से भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि हम प्रत्येक रक्त की बूँद का हिसाब लेते हैं। जिन आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया, वे संसद हमले, मुंबई हमले, अक्षरधाम हमला और पुलवामा जैसी भीषण घटनाओं में लिप्त थे। भारत ने आतंकवाद को शह देने वाले देशों को विश्व मंच पर बेनकाब किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत ने सदैव शांति को प्राथमिकता दी है, परंतु संप्रभुता पर किसी भी प्रकार का हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उसका माकूल उत्तर दिया जाएगा। जो देश आतंकवादियों की भाषा बोलते हैं, वे आज वैश्विक मंचों पर अलग-थलग पड़ चुके हैं — इसका श्रेय भारतीय नेतृत्व की अडिग इच्छाशक्ति को जाता है। पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बेनकाब करने हेतु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जिस प्रकार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में भेजा, वह भारतीय लोकतंत्र की सुंदरता और “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की भावना का आदर्श उदाहरण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उन्हें यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। उनके व्यक्तित्व में संकल्प, समन्वय और संवेदनशीलता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। रक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु प्रधानमंत्री जी ने जो सतत परिश्रम किया, उसका प्रभाव हमें ऑपरेशन सिन्दूर में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला। यह ऑपरेशन 140 करोड़ देशवासियों की एकजुटता और अखंडता का प्रतीक बन चुका है और सदा स्मरणीय रहेगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर केवल आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई नहीं, बल्कि यह नारी सम्मान और शक्ति का भी प्रतीक है, मातृशक्ति को समर्पित एक ऐतिहासिक सैन्य-संकल्प है।
दुर्ग, छत्तीसगढ़/ शौर्यपथ / दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के विधायक गजेंद्र यादव की अनूठी पहल ने शहर के नागरिकों में छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र को देखने की उत्सुकता बढ़ा दी है। विधायक यादव शहर की जनता को सीधे विधानसभा की कार्यवाही का साक्षी बनने का अवसर प्रदान कर रहे हैं, जिससे उनमें अपनी सरकार और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को करीब से समझने की ललक जगी है।
इस कड़ी में, 14 जुलाई को दुर्ग जैन समाज के सदस्यों ने विधायक गजेंद्र यादव के साथ विधानसभा सत्र की कार्यवाही का अवलोकन किया और प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ समय बिताया। इसके बाद, भाजपा कार्यकर्ताओं को भी यह अवसर मिला जब विधायक यादव ने चांदी शीतला मंदिर मंडल के सदस्यों को विधानसभा सत्र दिखाने की व्यवस्था की।
विधायक गजेंद्र यादव की इस अभिनव पहल के बाद, अब शहर के अन्य समाजों और विभिन्न मंडल प्रतिनिधियों में भी विधानसभा सत्र देखने की लालसा बढ़ गई है। सभी यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें भी छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही को प्रत्यक्ष देखने का सौभाग्य मिलेगा। मानसून सत्र के बचे हुए दिनों में किस समाज या मंडल को यह अवसर प्राप्त होगा, इसको लेकर शहर में चर्चाएं तेज़ हैं।
पिछले सत्र में भी दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव के साथ शहर के कई नागरिकों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने विधानसभा सत्र की कार्यवाही का लाभ उठाया था। अब यह लालसा और उम्मीद हर वर्ग में जागृत हो चुकी है, और सभी को अपनी बारी का बेसब्री से इंतजार है कि कब उन्हें विधायक गजेंद्र यादव के सानिध्य में छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र देखने का सौभाग्य मिलेगा।
इसी बीच, दुर्ग शहर के पत्रकार समुदाय में भी यह चर्चा का विषय बन गया है कि उन्हें भी प्रदेश सरकार की विधानसभा सत्र की कार्यवाही देखने का यह महत्वपूर्ण अवसर मिलना चाहिए। हर व्यक्ति प्रदेश सरकार की विधानसभा सत्र की कार्यवाही देखने का इच्छुक होता है, और ऐसे में यह पहल हर ओर उम्मीद और आशा की किरण जगा रही है।
दुर्ग / शौर्यपथ राजनैतिक विश्लेषण /
कांग्रेस नेता और पूर्व साडा उपाध्यक्ष बृजमोहन सिंह पिछले डेढ़ महीने से जेल में हैं। सोशल मीडिया पर एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ की गई टिप्पणियों के आधार पर उन पर कार्रवाई हुई है और मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में यह कहना व्यर्थ होगा कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष, लेकिन इस प्रकरण ने कांग्रेस के भीतर एक नई बहस छेड़ दी है।
बृजमोहन सिंह भिलाई में एक जाना-पहचाना नाम हैं और कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस संगठन की ओर से जिस तरह की अनदेखी देखने को मिली है, वह कई जमीनी कार्यकर्ताओं को हैरान कर रही है। पिछले डेढ़ महीने में संगठन ने उनके समर्थन में कोई ऐसा कदम नहीं उठाया है, जो चर्चा का विषय बने।
यह भी सच है कि सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी राजनीतिक मामलों से जुड़ी नजर आ रही है, लेकिन इसके बावजूद संगठन का मौन धारण करना कई कार्यकर्ताओं के मनोबल को कमजोर कर रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अब यह चर्चा आम हो गई है कि जब एक जाना-पहचाना चेहरा और संगठन के लिए समर्पित कार्यकर्ता की अनदेखी हो सकती है, तो आम कार्यकर्ताओं का क्या होगा।
सोशल मीडिया पर कई कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं, जिससे उम्मीद है कि बड़े नेता उनकी बातों पर ध्यान देंगे। इस स्थिति में भाजपा संगठन की एकता और कार्यकर्ताओं के प्रति सक्रियता की मिसाल दी जा रही है। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने के लिए लगातार प्रयासरत रहती है और उन्हें सफलता भी मिलती है। कोई भी संगठन कार्यकर्ताओं के जोश के बिना आगे नहीं बढ़ता और कांग्रेस में दिख रहा यह लचीलापन एक बार फिर यह साबित करने के लिए काफी है कि पार्टी अभी भी चाटुकारों की फौज में ही मस्त है और नेतृत्व भी इन्हीं की चाटुकारिता से प्रसन्न है।
ऐसी स्थिति में भविष्य में कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं का पार्टी से मोहभंग होना कोई बड़ी बात नहीं होगी। यह घटना उस समय की याद दिलाती है जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी और पाटन क्षेत्र में शराब दुकान को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ विवाद हुआ था। उस समय तत्कालीन सांसद विजय बघेल ने सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया और कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहने का संदेश दिया था। बृजमोहन सिंह के मामले में ऐसी कोई पहल नजर नहीं आ रही है।
कांग्रेस के भीतर से उठ रही ये आवाजें संगठन की निष्क्रियता और नेतृत्व की उदासीनता की ओर इशारा कर रही हैं। क्या कांग्रेस अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी नहीं होगी? यह सवाल वर्तमान समय में संगठन के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
शौर्यपथ दैनिक समाचार का यह स्पष्ट मानना है कि भारत के हर नागरिक को संविधान और न्यायपालिका का पूर्ण सम्मान करना चाहिए। सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की अभिव्यक्ति करते समय संवैधानिक मर्यादाओं और न्यायिक प्रक्रियाओं का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। न्यायालय में विचाराधीन मामलों में अंतिम निर्णय आने तक निष्कर्ष निकालना अनुचित होगा। अत: इस पूरे मामले को निष्पक्ष दृष्टि से देखा जाना चाहिए, और साथ ही राजनीतिक संगठनों को भी अपने कार्यकर्ताओं के प्रति उत्तरदायी भूमिका निभानी चाहिए।