February 06, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

शौर्यपथ/ बिजनेस डेस्क

पीएम किसान स्कीम में किसानों को खास तौर पर फायदा देने के लिए केंद्र सरकार ने एक फैसला लिया है। इसके तहत अब पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम से किसान क्रेडिट कार्ड को जोड़ा जाएगा और उन्हें सस्ता लोन दिया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, 45 लाख किसानों को क्रेडिट कार्ड दिए जाने की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है, जबकि 25 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी कर दिया गया है।

शौर्यपथ/ मनोरंजन
बालीवुड के 'डिस्को डांसर' यानी मिथुन चक्रवर्ती के बारे में तो लोग काफी कुछ जानते हैं, लेकिन उनके परिवार के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। खासकर उनकी बेटी दिशानी और मिमोह के अलावा दो और बेटों की। मिथुन ने 1982 में एक्ट्रेस योगिता बाली से शादी की। योगिता बाली से मिथुन के तीन बेटे हैं, जबकि बेटी दिशानी को उन्होंने गोद लिया है।

24 साल पहले कूड़े के ढेर में मिली थी मिथुन की बेटी, बच्ची के रोने की आवाज सुन घर ले आया था

धमतरी /नगरी/ शौर्य पथ

अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के निर्देशानुसार  सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी ध्रुव एवं सिहावा विधानसभा के कांग्रेसियों ने कोरोना महामारी की इस आपातकाल मे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्वीटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम के माध्यम से आज दोपहर 11 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक स्पीक अप इंडिया सोशल मीडिया अभियान के तहत केंद्र सरकार से माँग कि वे सभी आर्थिक रूप से कमज़ोर व जरूरतमंदों के खातों में तुरंत ही *दस हज़ार* रुपय कि राशी डाले जिससे वे आर्थिक रूप से संभल सकें  साथ ही केंद्र सरकार पूरे देश में *न्याय योजना* को लागू करे , जिसके तहत आर्थिक रूप से कमज़ोर हर व्यक्ति के खाते में अगले *6 महीनों* तक *7500 रुपये* डाले जावें इस दौरान सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी ध्रुव जी ने इस सोशल मीडिया अभियान को एक डिजिटल रैली की तरह बताया जिसके द्वारा कांग्रेसियों ने किसानों एवं मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए केन्द्र सरकार से विभिन्न मांगों को पूरा करने के लिए अपील किया  अंत मे छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश के किसानों को किसान न्याय योजना से 5700 करोड़ों रुपये की राशि किसानों को दिए जाने को लेकर सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी ध्रुव, एल एल ध्रुव ,विधायक प्रतिनिधि रुद्रप्रताप नाग, भूषण साहू, माखन भरेवा, चंद्रेश ठाकुर, सचिन भंसाली एवं अन्य उपस्थित कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।

धमतरी/ नगरी /शौर्यपथ

आज सुबहा नगरी के बोराई थाना के अंतर्गत रतावा के पास जंगल मे एक अज्ञात व्यक्ति की लाश मिलने से क्षेत्र मैं सनसनी फैल गई
लाश को देखने से कोई बाहरी व्यक्ति नजर आ रहा है जिसकी उम्र लगभग 45 से 50 वर्ष के बीच की हो सकती है।
फिलहाल बोराई पुलिस को खबर कर दी गई है। लाश रतावा के फारेस्ट नाका से लगभग 100 मीटर दूरी पर है।
ज्ञात हो कि इस मार्ग पर उड़ीसा,आंध्रप्रदेश के लिए माल गाड़िया व अन्य गाड़ियों की आवाजाही लगी रहती है कहीं इन्ही गाड़ियों के सम्बंधित कोई तो नही है इस बात की चर्चा चल रही है।
फिलहाल जांच के बाद ही मामला स्पष्ट हो पायेगा।
अज्ञात शव के शिनाख्त नही हो पाने व परिजनों के अभाव में सर्वधर्म सेवा समिति नगरी के युवाओं ने अंतिम क्रिया कर्म कर सद्गति प्रदान की।
सर्व धर्म सेवा समिति नगरी के सन्नी छाजेड़ , रोशन साहू एवं बिनासिल्ली केम्प के जवान के साथ रतावा के सरपंच, सचिव एवं ग्रामीणों द्वारा अज्ञात शव का दाह संस्कार किया ।
सर्व धर्म समिति के सदस्यों द्वारा पूर्व में भी इसी तरह लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार किया जाता रहा है।

दुर्ग। शौर्यपथ । जिले के नवनियुक्त कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने आज पदभार ग्रहण किया। उन्होंने निवर्तमान कलेक्टर श्री अंकित आनंद से पदभार गृहण किया। डा. भूरे इससे पूर्व मुंगेली जिले में कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। डा. भूरे वर्ष 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। डा. भूरे मूल रूप से महाराष्ट्र से हैं। उन्होंने अपनी एमबीबीएस की डिग्री महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस नाशिक से ली है।

नजरिया / शौर्यपथ /भारत आज एक बडे़ मानवीय और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। बड़ी संख्या में उन मजदूरों का पलायन हुआ है,…
सम्पादकीय लेख / शौर्यपथ / यह एक ऐसी गिनती है, जिसको गिनने की बदकिस्मती से हम बच नहीं सकते और इसके आंकडे़ रोज हमारी चिंताओं…
मेलबॉक्स / शौर्यपथ /चीन बदमाशी कर रहा है। पूरी दुनिया को कोरोना संकट में डालने के बाद भी वह आंखें तरेर रहा है। अपने ऊपर…

रायपुर / शौर्यपथ / वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने कहा कि जब भाजपा ने प्रश्न पूछने का सिलसिला शुरू किया ही है तो उन्हें केंद्र सरकार से भी प्रश्न पूछना चाहिए कि इस देश की आत्मा श्रमिकों की स्थिति जायजा केंद्र सरकार ने क्यों नहीं लिया?
बिस्सा ने कहा कि कचरे की तरह ट्रेनों की बोगियों में जिन गरीबों को भरकर लाया जा रहा है क्या वह उन्हें इंसान नहीं मानती? बिना वजह श्रमिक स्पेशल ट्रेने तीन दिन देर से गंतव्य स्थान पर पहुंच रही है, क्यों नहीं रेलवे मंत्री अपनी जवाबदारी लेते हुए इस्तीफा देते?
ट्रेनों में सफर कर रहे श्रमिक पानी और भूख की कमी के कारण दम तोड़ रहे हैं केंद्र सरकार क्यों उस पर मौन है? हाहाकारी तरीके से नोटबंदी की तरह आकर एक झटके में देश को बंद कर दिया यह फिक्र क्यों नहीं की कि गरीब का क्या होगा?
बिस्सा ने कहा कि झूठ की बुनियाद पर कल्पना की इमारत खड़ी की जा सकती है लेकिन जो गरीब आज असहाय हालत में है उसके दुख दर्द को दूर किये बिना केंद्र सरकार द्वारा राज्यों पर जिम्मेदारी डालना गलत है।

      दुर्ग / शौर्यपथ / कोरोना आपदा के कारण शहर सहित देश दो महीनो के लॉक डाउन में जिन्दगी गुजार दी . कोरोना का संक्रमण से दुर्ग शहर अभी अछुता ही है और जन जीवन लॉक डाउन में मिली ढील के साथ सुचारू रूप से चल रहा है . इस कोरोना आपदा के दरमियान सुखा राशन वितरण की पहल दुर्ग विधायक और निगम महापौर द्वारा की गयी जिसके उपरान्त दुर्ग निगम के सभी पार्षदों की पार्षद निधि पहले २ लाख फिर बाद में २ लाख की स्वीकृति की गयी साथ ही विधायक व महापौर के द्वारा भी निधि दी गयी लगभग २ करोड़ ६० लाख रूपये की कीमत का सुखा राशन का वितरण दुर्ग निगम क्षेत्र में किया गया साथ ही कई संस्थाओ द्वारा भी सुखा राशन का दान निगम को किया गया .. राशन वितरण और खरीददारी का सारा जिम्मा निगम के एक ही अधिकारी प्रभारी ईई गोस्वामी के हांथो में निगम प्रशासन ने सौपा .
कई सामानों में हुआ प्रति नग एक से दो रूपये का खेल ..
राशन वितरण में शक्कर , आंटा , साबुन , चाय पत्ती , मसाला , तेल ,चावल , दाल , आलू , प्याज आदि जरुरत की वस्तुए वार्ड के ज़रूरतमंदों लोगो को दी गयी . कोरोना आपदा में शासन के पैसे का इससे अच्छा उपयोग नहीं हो सकता था किन्तु इन वस्तुओ के खरीददारी में किन मानको का उपयोग किया गया वही सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का खेल है आइये हर सामान के कीमतों का आंकलन करते है जिसके बारे में आम जनता को भलीभांति ज्ञात होगा ही कि कैसे एक अधिकारी द्वारा सोयाबीन की बड़ी के एक रूपये से दाल के १० रूपये तक का घोटाला किया गया ....

साबुन में एक से ढेढ़ रूपये प्रति नग में गड़बड़ी
निगम प्रशासन द्वारा एक लोकल साबुन की खरीदी की गई जिसकी प्रिंट कीमत ही 5 रुपये थी जबकि बड़ी बड़ी कम्पनी जो जीएसटी व सभी शासकीय टेक्स भुगतान के बाद भी 4 रुपये थोक भाव मे मिल जाती है किंतु निगम के ज़िम्मेदार अधिकारी द्वारा उसकी तय खरीदी मूल्य 5 रुपये ही दर्शायी गई खरीदी की संख्या हज़ारों नग थी वैसे ही नहाने के साबून और डिटर्जेंट पाऊडर में भी यही खेल चला । शौर्यपथ समाचार द्वारा जब इस बात को उजागर किया गया तब कपड़ा धोने के साबुन घड़ी साबुन और डिटर्जेंट को राशन के थैले में जगह मिली किन्तु तब तक साबुन के खेल में हज़ारों के बारे न्यारे हो गए ।
आलू प्याज में भी खूब चला खेल
सूखा राशन में आलू प्याज भी पेकिंग कर दिया गया । विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आलू प्याज की तय मात्रा की खरीदी पहले ही हो गई किन्तु प्रतिदिन के पेकिंग में अलग अलग कीमत अंकित कर आलू प्याज में भी हजारों का खेल हो गया ।
चावल दाल में चली अंधाधुन कमाई
सूखा राशन के पैकेट में चावल व दाल भी दिया गया कई पार्षदों के पैकेट में उसना चावल पालिस वाला भी वितरित किया गया जिसकी बाजार कीमत 24-25 रुपये है किंतु यहां भी चावल की कीमत प्रति पैकेट में 36 रुपये प्रति किलो अंकित की गई । वही मिक्स दाल जो बाजार में 55-57 रुपये प्रति किलो आसानी से चिल्हर भाव मे मिलता है की कीमत पैकेट में 70 रुपये अंकित की गई यानी एक किलो पर ही 10 से 12 रुपये का खेल हुआ ।
तेल की कीमत में बदलाव
एक ही कम्पनी के तेल की कीमत कभी 86 तो कभी 88 रुपये दर्शाए गए यह भी निगम के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा हजारों के वारे न्यारे की संभावना व्यक्त की जा रही है क्योंकि तेल प्रति पैकेट ही दिया गया और सूखा राशन के वितरण की संख्या एक दो नही हजारों में थी ।
निम्न स्तर के चाय पत्ती में भी कमाई
सूखा राशन के पैकेट में निम्न स्तर के लोकल चाय पत्ती के वितरण में भी हज़ारों के वारे न्यारे हुए है और इन सामनो की खरीददारी की जिम्मेदारी भी प्रभारी ईई और निगम के सर्वेसर्वा मोहन पूरी गोस्वामी की थी ये वही मोहन पूरी गोस्वामी है जिन पर दीपावली में अपने खास मीडिया कर्मियों को लिफाफा देने का आरोप एक दैनिक समाचार पत्र में लगा था ।
सोयाबीन बड़ी में भी लगा दिए 4 रुपये प्रति पैकेट का चूना (80 ग्राम प्रति पेकेट )
   निगम के सूखा राशन में सोयाबीन बड़ी और मुर्रा का भी वितरण किया गया । बाज़ार में अच्छी क्वालिटी का सोयाबीन बड़ी 1170 से 1200 रुपये बोरी (20 किलो ) आसानी से मिलता है किंतु निगम प्रशासन द्वारा यहां भी 4 रुपये की हेरा फेरी का अंदेशा है । प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम के ईई ने अपने खासमखास व्यक्ति को इसकी जिम्मेदारी दी और यहां भी बड़ी घोटाला हो गया । शहर के नए महापौर बाकलीवाल राशन के भी व्यापारी है इस तरह से हुए राशन घोटाले में शहर की आम जनता का शक सीधे महापौर बाकलीवाल की तरफ जाता है किन्तु निगम की कार्यप्रणाली को करीबी से जानने वाले ही अच्छी तरह समझ सकते है कि निगम आयुक्त बर्मन के आदेश के अनुसार खरीदी का पेकिंग का सारा कार्य ईई मोहनपुरी गोस्वामी के जिम्मे है . प्राप्त जानकारी के अनुसार अब जब सुखा राशन वितरण का कार्य खत्म हो गया तो बिलिंग के कार्य के लिए डमी एजेंसी का सहारा लिया जा रहा है . जो सिर्फ बिलिंग का कार्य करेगी जबकि असली ठेकेदार कोई और है . कोरोना आपदा के पैसे की बंदरबाट होना निगम प्रशासन के कार्य प्रणाली और लचर व्यवस्था को दर्शाता है . क्या निगम आयुक्त बर्मन इन सब बातो से अनजान है या फिर किसी अनदेखी लाभ के कारण मौन है . अगर आयुक्त बर्मन इन सब बातो से अनजान है महापौर बाकलीवाल इन सब बातो से अनजान है तो समाचार के माध्यम से प्रकाशित खबर के आधार पर मामले की निष्पक्ष जाँच कर दोषी अधिकारी और फर्जी ठेकेदारों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही कर आम जनता को ये सन्देश दे कि प्रशासन निष्पक्ष होकर बिना लालच के कार्य कर रहा है .

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