October 31, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ


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नई दिल्ली/ शौर्यपथ / सीएए के विरोध में दिल्ली के यमुना पार में हुए दंगों में पाकिस्तान कनेक्शन की जानकारी मिली है। आईबी और एनआईए को यह जानकारी दी गई है। दिल्ली पुलिस के दावों के मुताबिक फरवरी में जो दंगे हुए थे वो एकाएक नहीं बल्कि एक साजिश के तहत किये गए थे। जांच में सामने आया है कि दंगे में खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक- ए- इंसाफ की बड़ी भूमिका थी। इसके कहने पर ये साजिश रची गयी थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस एक सप्लीमेंट्री चार्ज शीट देगी।

पाकिस्तान तहरीक- ए- इंसाफ की स्टूडेंट विंग ने भारत की छवि को विश्व में खराब करने के लिए सोशल मीडिया पर दंगा कराने की बड़ी साजिश रची थी। इसी के तहत जफराबाद मेट्रो स्टेशन पर महिलाओं का धरना सहित मस्जिद की तोडफ़ोड़ के वीडियो सोशल मीडिया पर भेजे गए थे जिसके बाद ये दंगे भड़के।

अब तक कि जांच के तहत इंसाफ स्टूडेंट विंग ने भारत में दंगे भड़काने के मकसद से दंगे के वक्त महज 16 दिन में तीन हजार से अधिक नए ट्वीटर हैंडल्स बनाए और उसके जरिये हजारों की संख्या में भारत के खिलाफ पोस्ट शेयर किए थे।

ताहिर को बनाया मोहरा 
आम आदमी पार्टी से निलंबित हो चुके पार्षद ताहिर हुसैन को सोशल मीडिया के जरिये जोड़ा गया था। दिल्ली पुलिस इस मामले में अब ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह की धारा लगाकर जांच करेगी।

3562 ट्वीटर एकाउंट सहित फेसबुक पर 372 वीडियो थे बने

दंगों के दौरान 16 दिनों में ही इंसाफ स्टूडेंट विंग ने 3582 नए ट्वीटर अकाउंट बनाए और अलग-अलग फर्जी हैशटैग के जरिये दुनियाभर में भड़काऊ पोस्ट करने शुरू कर दिए। इसके अलावा 372 भड़काऊ वीडियो भी बनाये गए थे। जिसमें ये संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं। इस साजिश के जरिये अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान की छवि को खराब करने की कोशिश की।

शौर्यपथ / कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में आतक फैला रखा है . कोरोना इलाज का कोई वेक्सिन अभी तक तैयार नहीं हुआ है . दुनिया भर के वैज्ञानिक कोशिश में लगे हुए है . कोरोना से दुनिया के ताकतवर देश अमेरिका की स्थिति बिगड़ चुकी है लगातार मौते और संकर्मित व्यक्तियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है . कोरोना से बचने का इलाज सफाई और सोशल डिस्टेंस ही है . हो सकता है कि दुनिया को अब कोरोना के साथ ही जीना पड़ सकता है .
मानव जाति परेशानियों का सामना करते हुए जिन्दगी जीने के उपाय खोज ही लेती है और यही हो रहा है वर्तमान में .
भारत जैसा विशाल देश १३० करोड़ की जनसँख्या वाले देश में वर्तमान में कोरोना मरीजो की संख्या ८० हजार के पार तो पहुँच गयी किन्तु इन विकत परिस्थिति में भी भारत जीने के तरीके निकाल ही लेता है . कोरोना के संकट से आर्थिक हानि तो हुई ही है और बेरोजगारी का आलम भी उच्च स्तर पर है किन्तु इतने नकारात्मक स्थिति में अगर सकारात्मक दृष्टी से देखा जाए तो ऐसे कई बाते हुई है संकट के इस काल में जो एक स्वप्न की तरह प्रतीत होता था किन्तु अब यतार्थ हो गया है .
क्या कभी ऐसा सोंचा गया था कि रात की जगमगाहट और रंगीन दुनिया के बैगर कई उच्च वर्ग रह सकता है किन्तु ये सत्य हो गया लोच्ज्क डाउन के लगभग दो माह हो गए पर ऐसा कोई भी मामला सामना नहीं आया जो ये कहे कि रात की रंगीनी का आनंद नहीं लेने से जिन्दगी नरक बन गयी . बिना पिज्जा के , बिना माल जाए , बिना नाईट पार्टी किये , बिना लॉन्ग ड्राइव का आनंद लिए , बिना ग्रुप पार्टी किये , बिना सन्डे पार्टी किये भी जिन्दगी चल रही है और बहुत अच्छी चल रही है . हालाँकि कोरोना संकट में भारत की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गयी किन्तु आत्म निर्भर योजना के तहत केंद्र सरकार के लाखो हजारो करोड़ के पैकेज से जिन्दगी की पटरी पर लाने की कोशिश केंद्र सरकार राज्य सरकारों की मदद से कर रही है . जिन्दगी फिर सामान्य स्थिति पर आ जाएगी .
इस कोरोना संकट में भारत की नदिया शुद्ध और साफ़ हो गयी , प्रदूषित शहरो से प्रदुषण की मानक कम हो गयी , भारतीय संस्कृति के परिचायक राम राम ( एक दुसरे का अभिवादन ) का प्रचालन फ़ैल गया , रात्री के समय होने वाले जुर्म कम हो गए , साफ़ सफाई के विशेष ध्यान से छोटी मोटी बीमारियों में कमी आ गयी , व्यक्ति अपने परिवार को समय देने लगा , घर में स्वर्ग सार्थक होने लगा , पड़ोसियों से सम्बन्ध में नजदीकिय आयी , सुबह का वातावरण स्वकक्ष लगने लगा , इंसान अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने लगा .
सोंचिये कोरोना संकट के समय कार्य की और व्यापार की जो समय सीमा तय हुई है उस तय सीमा को अगर सर्वकालिक लागू कर दिया जाए तो भारतीय संस्कृति जो दुनिया की सबसे पुराणी संस्कृति है एक बार फिर आचरण में आ जाएगी और जीवन कितना सरल हो जाएगा ...

शौर्यपथ धर्म / पृथ्वी में कई परजतायो के जीव जंतु का वास है . हमारी धरती में कई जिव जंतु ऐसे ही है जो लुप्त की कगार पर है . जिव जन्तुओ की कई प्रजातियों का वास ये धरती अनेक रोचक तथ्यों को अपने गर्भ में छुपाये हुए है . कई जीव तो ऐसे हैं जो करोड़ों सालों से इस धरती पर अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं. उनमें से ही एक है कछुआ. कहा जाता है कि बहुत ही शांत और शर्मीला जीव होता है. यह धरती पर करोड़ों सालों से अपना अस्तित्व बनाए हुए है. कछुआ जहरीला नहीं होता . आज हम आपको कछुआ के बारे में ही कुछ रोचक बातें बताएंगे.

कछुआ के बारे में 15 रोचक तथ्य

कछुए पिछले 20 करोड़ सालों से धरती पर कायम हैं. वैज्ञानिकों ने इसका अंतिम जीवाश्म खोज निकाला है जो कि 12 करोड़ साल पुराना है. आपको बता दें कि ये सांप, छिपकली, मगरमच्छ और पक्षियों से पहले धरती पर आए थे.
विश्व में हर साल 23 मई को अंतर्राष्ट्रीय कछुआ दिवस के रूप में मनाया जाता है. सभी रेंगने वाले और कवच वाले जीव, जो Cheloni परिवार के हैं उन्हें Turtle कहा जाता है और स्थानीय कछुओं को Tortoise कहते है.
आपको बता दें कि Turtle की 318 से भी ज्यादा प्रजातियां पृथ्वी पर पाई जाती हैं. इनमें से कुछ जमीन पर रहती है और कुछ पानी में रहती है. लेकिन ये दुख की बात है कि Turtle की कुछ प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर है.

  Turtle जहरीले नहीं होते हैं और ना ही इनके काटने पर जहर निकलता है. Turtle के लिंग का पता लगाना आसान नही होता है. इसलिए इनका लिंग पता करने का सबसे आसान तरीका इनका कवच है. Male Turtle Female से थोड़े लंबे होते हैं और इनकी पूंछ भी Female से लंबी ही होती है.
कछुए जितने गर्म मौसम में रहते हैं उनका कवच उतने ही हल्के रंग का होता है और जो Turtle ठंडे इलाकों में रहते हैं उनका कवच गहरे रंग का होता है.
प्राचीन रोमन मिलिट्री, कछुओं से बहुत प्रभावित हुई थी. सेना के जवानों ने कछुए से ही लाइनें बनाना और अपनी ढाल को सिर के ऊपर रखना सीखा था ताकि लड़ाई के दौरान दुश्मन के वार से बचा जा सके.
ये तो आपको पता ही होगा कि कछुए अंडे देते हैं. Female Turtle पहले मिट्टी खोदती है फिर एक बार में 1 से 30 अंडे देती है. इन अंडो से बच्चे निकलने में करीब 90 से 120 दिन का समय लगता है.
कछुए को Sex करने के लिए इनकी छाती का कवच बहुत अहम भूमिका निभाता है. Female का कवच बिल्कुल सीधा और Male का कवच थोड़ा घुमावदार होता है.
क्या आपको पता है कि कछुओं के मुंह में दांत नहीं होते, बल्कि एक तीखी प्लेट की तरह हड्डी का पट्ट होता है जो भोजन चबाने में इनकी सहायता करता हैं.
कछुआ जब अपने कवच में छुपता है तो उसे अपने फेफड़ों की हवा निकालनी पड़ती है. ऐसा करते हुए आप उसे सांस छोड़ते हुए सुन भी सकते है.
साल 1968 में सेवियत संघ का पहला यान चांद का चक्कर लगाकर वापिस धरती पर लौटा था. इस यान में कछुओं को बैठा कर भेजा गया था. वापिस आने पर जब कछुओं का निरिक्षण किया गया तो पता चला कि कछुओं के वजन में 10% की कमी आई है.
आपको बता दें कि कछुए Cold Blood के जीव होते है. ठंड में इनका शरीर जम जाता है और ये शीतनिंद्रा में चले जाते है.
कुछ खास तरह के कछुए अपने Butts से भी सांस ले सकते हैं.
समुंद्री कछुओं का कवच बहुत Sensitive होता है. वो अपने कवच पर लगने वाली हर रगड़ और खरोंच को महसूस कर सकते है.


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    रायपुर / शौर्यपथ लेख / डॉ रमन सिंह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री जिन्होंने १५ साल छत्तीसगढ़ पर राज किया . छत्तीसगढ़ में चाउर वाले बाबा से लेकर दारु वाले बाबा तक का सफ़र किया . छत्तीसगढ़ में खनिज का अकूत भण्डार है , छत्तीसगढ़ देश के पिछड़े राज्यों की गिनती में आने का श्री अगर डॉ सिंह को दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी १५ साल सत्ता में रहने के बाद भी डॉ साहब ने छत्तीसगढ़ में रोजगार के कोई बड़े कार्य किये हो ऐसा प्रतीत नहीं होता . अगर छत्तीसगढ़ में बड़े स्तर पर रोजगार होता तो छत्तीसगढ़ राज्य से इतने मजदुर पलायन नहीं करते . छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अपनी बोली को खुले रूप में कहने पर भी शर्म करते थे डॉ रमन के राज में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी , धान के बोनस का वादा , स्तरहीन मोबाइल वितरण , टेबलेट वितरण , नान घोटाला जैसे कई घोटाले उजागर हुए . प्रदेश में असली मायने में देखा जाए तो छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों का राज २०१८ के बाद आया जब छत्तीसगढ़ी बोली बड़े शान से कही जाने लगी .
वर्तमान में कोरोना संकट सिर्फ छत्तीसगढ़ पर ही नहीं पुरे विश्व पर आया हुआ है और प्रदेश के साथ देश के मुखिया भी इस संकट से निपटने के लिए प्रयासरत है . प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली का ही असर है कि छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन के लगभग ५० दिनों बाद जिन्दगी पत्री पर दौड़ने लगी है छोटे बड़े सरे व्यापार खुल रहे है बाहर से आने वालो पर कड़ी नजर राखी जा रही है संदेह की स्थिति में तुरंत इलाज मुहैय्या कराई जा रही है अधिकारी कर्मचारी लगातार क्षेत्र पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है प्रदेश में ऐसी कोई दुर्घटना नहीं हुई जो चर्चा का विषय बने भूख से छत्तीसगढ़ में किसी की मौत हुई हो वर्तमान संकट में ऐसा भी नहीं हुआ , संक्रमण से किसी की मौत हुई हो ऐसा भी नहीं हुआ , प्रवासी राज्यों के परिवारों को भी कोई तकलीफ हुई हो ऐसा भी कही नहीं दिखा . प्रदेश सरकार की निरंतर कोशिश है कि प्रदेश के मूल निवासी ही नहीं अन्य राज्यों के निवासी जो छत्तीसगढ़ में है उनकी भी फ़िक्र है छत्तीसगढ़ से पलायन करने वाले कम ही नजर आ रहे है एवं छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से आने वाले निरंतर आ रहे है . प्रदेश सर्कार अन्य प्रदेशो में फसे हुए श्रमिको को लाने का निरंतर प्रयास कर रही है जो लगातार सफल भी हो रही है साथ ही छत्तीसगढ़ से गुजरने वालो श्रमिको के लिए भी भोजन की व्यवस्था जगह जगह की जा रही है इसके लिए राजमार्ग पर विभिन्न स्थानों में केम्प लगाए गए है .
देश में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जहा कोरोना के मरीज की संख्या ५९ है और स्वस्थ होने वालो की संख्या ५५ एवं कुल मौते की संख्या नगण्य . छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिको के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है ऐसे में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को संकट के समय छत्तीसगढ़ के श्रमिक जो अन्य राज्यों में फसे है उन्हें लागे की पहल करनी चाहिए और केंद्र की भाजपा सरकार से निवेदन करना चाहिए कि गुजरात , उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लाखो की संख्या में फसे श्रमिको का ख्याल रखे व उन्हें सकुशल छत्तीसगढ़ जल्द से जल्द भेजने की व्यवस्था करे . ऐसा करके डॉ सिंह छत्तीसगढ़ के श्रमिको का हित करते हुए एक नेक कार्य करने के लिए पहचाने जा सकते है . वर्तमान स्थिति में छत्तीसगढ़ के हर जनप्रतिनिधि का कर्तव्य है कि छत्तीसगढ़ में संकट से जंग लड़ना और जीतना इसमें सभी के सहयोग की ही अपेक्षा है ना कि राजनीती करण की .

    नई दिल्ली / एजेंसी / वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत दूसरी किश्त के बारे में जानकारी दी. उन्होंने प्रवासी मज़दूरों के लिए अगले दो महीने तक मुफ़्त राशन की घोषणा की और बताया कि अपने राज्यों में लौटे मज़दूरों के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को 11 हज़ार करोड़ रुपये की राशि दी है. इस किश्त में प्रवासी मज़दूरों, रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों, छोटे किसानों और ख़ुद का रोज़गार करने वालों को प्रमुखता दी गई.
नौ चरणों में किए गए इन ऐलानों में से तीन प्रवासी मज़दूरों, एक रेहड़ी-पटरी विक्रेताएं और अपना रोज़गार करने वाले लोगों और दो छोटे किसानों और एक हाउसिंग सेक्टर के लिए थे.
प्रवासी मज़दूरों के लिए मुख्य ऐलान
अगले दो महीनों तक सभी प्रवासी मज़दूरों को मुफ़्त अनाज दिया जाएगा. इस योजना का लाभ उन मज़दूरों को भी मिलेगा जो खाद्य सुरक्षा क़ानून के दायरे में नहीं आते और जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. ऐसे आठ करोड़ प्रवासी मज़दूरों के लिए 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
अगले दो महीनों तक हर प्रवासी मज़दूर परिवार को पांच-पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो चना मिलेगा. इस योजना को लागू कराने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है.
'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के तहत मज़दूर चाहे देश के किसी भी कोने में हों, वहां के राशन डिपो से अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं. इसका फ़ायदा उन सभी प्रवासी मज़दूरों को मिल पाएगा जो रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं.
जो प्रवासी मज़दूर अपने राज्यों में वापस गए हैं, उनकी मदद करने के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च किए जा चुके हैं.
प्रवासी मज़दूरों और शहरी ग़रीबों को कम कीमत पर किराए के मकान मिल सके, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इसका इंतज़ाम किया जाएगा. राज्य सरकारें और उद्योगपति भी इसमें अपना योगदान करेंगे. इसके लिए सरकार ने मार्च 2021 तक का लक्ष्य रखा है. यह व्यवस्था पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत की जाएगी.
असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले सिर्फ़ 30 फ़ीसदी मज़दूर ही न्यूनतम वेतन का फ़ायदा उठा पाते हैं. पूरे देश में एक जैसा न्यूनतम वेतन लागू किया जाएगा ताकि क्षेत्रीय असमानता दूर हो. इसे क़ानूनी रूप दिया जाएगा.
मज़दूरों को अपॉइंटमेंट लेटर (नियुक्ति पत्र) दिया जाएगा. साल में एक बार उनका हेल्थ चेकअप अनिवार्य होगा और ख़तरनाक परिस्थितियों में काम करने वाले मज़दूरों का सामाजिक सुरक्षा स्कीमों के ज़रिए ध्यान दिया जाएगा.
मज़दूरों की दिहाड़ी 182 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है. नाबार्ड (नेशनल बैंक फ़ॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलेपमेंट) ने ग्रामीण और सहकारी बैंकों को 29,500 करोड़ रुपये की मदद दी है. 25 लाख किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं. तीन करोड़ किसानों तक मदद पहुंचाई गई है. सरकार लॉकडाउन में भी लगातार काम कर रही है.

रेहड़ी-पटरी वालों और किसानों के लिए मुख्य ऐलान
रेहड़ी-पटरी वालों और घरों में काम करने वालों के लिए पांच हज़ार करोड़ रुपये की सहयोग राशि का ऐलान. इससे हर व्यक्ति को 10 हज़ार रुपये तक का कर्ज़ मिल सकेगा. सरकार इस योजना को एक महीने के भीतर लॉन्च कर देगी. लगभग 50 लाख लोगों को इसका फ़ायदा मिलेगा.आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये के कैंपा फ़ंड का ऐलान. इस योजना को अर्ध शहरी इलाकों में भी लागू किया जा सकता है. तीन करोड़ के लगभग छोटे और सीमांत किसानों के लिए 30 हज़ार करोड़ रुपये की अतिरिक्त सुविधा का ऐलान. ये धनराशि नाबार्ड द्वारा दिए जाने वाले 90 हज़ार करोड़ रुपये से अलग है. क्षेत्रीय और सहकारी बैंक ये मदद किसानों तक पहुंचाएंगे. किसानों के लिए 30 हज़ार एडिशनल इमर्जेंसी वर्किंग कैपिटल फ़ंड बनाए जा रहे हैं. दो लाख करोड़ रुपये की राशि किसानों, पशुपालन और मछली के व्यवसाय में लगे लोगों को रियायती दर पर कर्ज़ देने के लिए निर्धारित की गई है.

हाउसिंग और मध्य वर्ग के लिए मुख्य ऐलान
मुद्रा शिशु ऋण श्रेणी में आने वालों के लिए 1 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये अब तक ख़र्च किए गए हैं. इससे लगभग तीन करोड़ लोगों को 1500 करोड़ रुपये का फ़ायदा मिलेगा. उनके ब्याज़ में दो फ़ीसदी का ख़र्च केंद्र सरकार उठाएगी.
हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए मध्यम आय वर्ग को 70 हज़ार करोड़ का बढ़ावा देने वाली योजना का ऐलान किया जाता है. इस योजना को 31 मार्च, 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. लगभग ढाई लाख लोगों को इसका फ़ायदा मिलेगा.
ब्रीफ़िंग की कुछ अन्य प्रमुख बातें
पिछले दो महीनों में कृषि क्षेत्र के लिए 86,000 करोड़ के बराबर राशि के 63 लाख लोन मंज़ूर किए गए. मार्च-अप्रैल का महीना खेती और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए सरकार ने ये फ़ैसला लिया.
तीन करोड़ के लगभग किसानों ने कम दरों पर दिए जाने वाले लोन का फ़ायदा उठाया है.
केंद्र सरकार अपने ख़र्चे पर शहरों में रहने वाले बेघर लोगों को तीन वक़्त का खाना दे रही है. 2.33 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को पंचायतों में काम मिला है.
कोरोना संकट के दौरान 12 हज़ार स्वयंसेवी समूहों ने तीन करोड़ से ज़्यादा मास्क और 1.2 लाख लीटर सैनिटाइज़र बनाया. पिछले दो महीनों में शहरी ग़रीबों की मदद के लिए 7,200 नए स्वयंसेवी समूह बनाए गए.
इससे पहले बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. इसके तहत लघु उद्योगों को तीन लाख करोड़ रुपये लोन बिना गारंटी देने की बात कही गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश के नाम सम्बोधन में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और अलग-अलग वर्गों के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था.

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर लाॅकडाउन में अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों का आने का सिलसिला लगातार जारी है। मुख्यमंत्री की विशेष पहल पर अब तक कुल 29 स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था की जा चुकी है।
इन स्पेशल ट्रेनों में अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों, छात्रों, संकटापन्न और चिकित्सा की आवश्यकता वाले व्यक्तियों की छत्तीसगढ़ वापसी वापसी का सिलसिला बीते 11 मई से शुरू भी हो गया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले श्रमिकों किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। स्पेशल ट्रेन पहुचनें पर राज्य के निर्धारित स्टेशनों में थर्मल स्क्रीनिंग, भोजन पानी तथा उन्हें अपने गंतव्य स्थान पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था भी संबंधित जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है। ग्राम पंचायतों में इन श्रमिकों के लिए क्वारेंटाइन सेंटरों बनाए गए हैं। गांव पहुंचने पर इन सेन्टरों में श्रमिकों के रहने और भोजन का इंतजाम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देशन पर श्रम विभाग के अधीन गठित छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा अभी तक नोडल अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 9 ट्रेनों में आने वाले 11 हजार 946 श्रमिकों के लिए छह रेल्वे मण्डलों को कुल 71 लाख 93 हजार 230 रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है।
इन 29 स्पेशल ट्रेनों में अहमदाबाद गुजरात से बिलासपुर के लिए दो ट्रेन, अमृतसर पंजाब से बिलासपुर-चांपा, लखनऊ उत्तरप्रदेश से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, नम्बूर विजयावाड़ा आन्ध्रप्रदेश से बिलासपुर, लिगंमपल्ली हैदराबाद तेलंगाना से बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और विरामगम अहमदाबाद से बिलासपुर-चांपा ट्रेनों में श्रमिकों की वापसी सकुशल अपने घर वापसी हो चुकी हैं। अधिकारियों ने बताया कि आगामी दिनों में जो स्पेशल ट्रेन प्रस्तावित हैं उनमें 15 मई को लखनऊ उत्तरप्रदेश से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, खेड़ा नाडियाड गुजरात से बिलासपुर-चांपा और दिल्ली से बिलासपुर ट्रेनों का छत्तीसगढ़ आगमन प्रस्तावित है। इसी तरह 16 मई को साबरमती अहमदाबाद गुजरात से बिलासपुर-चांपा, कानपुर उत्तरप्रदेश से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, दुर्ग और भोपाल से रायपुर, बिलासपुर ट्रेन आएगी। 17 मई को लखनऊ उत्तरप्रदेश से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, इलाहाबाद उ.प्र. से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, दुर्ग, वाइजैग आन्ध्रप्रदेश से रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर, चांपा तथा खेड़ा नाडियाड गुजरात से रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर और चांपा स्टेशन ट्रेन पहंुचेगी। 18 मई को मुज्जफरपुर बिहार से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, हैदराबाद तेलंगाना से दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, इलाहाबाद उ.प्र. से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, दुर्ग और विरामगम अहमदाबाद गुुजरात से भाटापारा बिलासपुर, चांपा स्टेशन स्पेशल ट्रेन का आगमन होगा। श्रमिक स्पेशल ट्रेन में 19 मई को मेहसाणा गुजरात से बिलासपुर-चांपा, दिल्ली से बिलासपुर, रायपुर, पूणे महाराष्ट्र से दुर्ग, रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर ट्रेन पहुचेंगी। 20 मई को लखनऊ उ.प्र. से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, पूणे महाराष्ट्र से दुर्ग, भाटापारा, बिलासपुर, चांपा, 21 मई को मुम्बई महाराष्ट्र से दुर्ग, रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर, पूणे महाराष्ट्र से दुर्ग, भाटापारा, बिलासपुर, चांपा और 22 मई को बैंगलौर कर्नाटक से दुर्ग, रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर स्टेशन ट्रेन पहुंचेगी।
राज्य सरकार ने इन ट्रेनों में सफर के लिए ऑनलाइन लिंक भी जारी किया है
http:cglabour.nic.in/covid19MigrantRegistrationService.aspx
इस लिंक में एप्लाई कर लोग इन ट्रेनों के माध्यम से छत्तीसगढ़ वापस आ सकेंगे। इसके अलावा 24 घंटे संचालित हेल्पलाइन नम्बर 0771-2443809, 91098-49992, 75878-21800, 75878-22800, 96858-50444, 91092-83986 तथा 88277-73986 पर संपर्क किया जा सकता है।

प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डाल रही है
मुख्यमंत्री ने केन्द्र से किया मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह
मनरेगा के कृषि से जोड़ने से लोगों को बारिश में भी मिलेगा रोजगार,
कृषि उत्पादन लागत होगी कम और उत्पादन भी बढ़ेगा

    रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाने के लिए लॉकडाउन जैसे संकट के समय में श्रमिकों को मनरेगा, आदिवासियों को लघु वनोपज संग्रहण तथा किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से उनकी जेब में पैसा डालने का काम कर रही है। हमारा प्रदेश धीरे धीरे सामान्य कामकाज की ओर अग्रसर हो रहा हैं। कल की कैबिनेट की बैठक में ऐसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं जो राज्य में आर्थिक गतिविधियों को और तेज करेंगे।
बैठक में हमने एक निर्णय लिया जिसका क्रियान्वयन हम अपने स्वप्न दृष्टा नेता पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी की पुण्य तिथि के दिन 21 मई से प्रारंभ करेंगे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना बहुत ही दूरगामी निर्णय है और छत्तीसगढ़ के किसानों को इस संकट की घड़ी में संजीवनी प्रदान करने वाला निर्णय है। पूरे देश में कहीं भी किसानों के हित में इतना महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया है। हमने राज्य के किसानों से वादा किया था कि उन्हें उनकी उपज का पूरा दाम मिलेगा। लोगों ने इसमें कई अड़चने लगाई, अवरोध पैदा किये लेकिन हमने जो कहा था वो निभाया है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हम राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और कृषि आदान सहायता हेतु खरीफ 2019 में पंजीकृत एवं उपार्जित रकबे के आधार पर धान, मक्का और गन्ना फसल के लिए 10 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से अनुदान राशि सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर करेंगे। इसके लिए हमने बजट में 5100 करोड़ रूपए का प्रावधान भी किया है। इस योजना के तहत राज्य के 18 लाख 75 हजार किसानों को लाभ मिलेगा। यहीं नही खरीफ 2020 से आगामी वर्षो में दलहन और तिलहन फसलों के पंजीकृत और अधिसूचित रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को आदान सहायता अनुदान के रूप में देंगे। अनुदान लेने वाला किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लगाया हो और इस साल धान के स्थान पर योजना के तहत शामिल अन्य फसल लगाता हैं तो ऐसी स्थिति में किसानों को प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जायेगी ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डालने का काम कर रही है। लोगों की जेब में पैसा आने से इसका असर व्यापार और व्यवसाय पर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था बराबर संचालित होती रहेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केन्द्र सरकार से मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह किया है। मनरेगा के काम बारिश तक चलेंगे। यदि मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाता है तो लोगों को इससे निरंतर रोजगार मिलेगा, कृषि की लागत कम होगी और कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा। श्री बघेल ने कहा कि आम जनता, सामाजिक संगठनों और सेवा भाव से काम कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों के सहयोग से कोविड-19 संक्रमण को रोकने में प्रदेश में काफी हदतक सफलता मिली है।
इसके साथ ही हमने उत्कृष्ठ हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के शालाओं का संचालन पंजीकृत सोसायटी के माध्यम से करने का निर्णय लिया है। लगभग 40 उत्कृष्ट शालाएं प्रारंभ की जाएंगी। विकासखण्ड मुख्यालयों में 10वीं के बाद 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए आईटीआई का रोजगारपरक सर्टिफिकेट कोर्स आरंभ करने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना वायरस (कोविड-19) से बचाव के उपायों के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन के फलस्वरूप बसों के दो माह और ट्रकों के एक माह के टैक्स की राशि माफ कर दिया गया है। राज्य सरकार सभी शहरी परिवारों को दो कमरों का पक्का आवास देने के लिए 40 हजार अतिरिक्त आवास बनाएगी। इसके साथ ही अब किराएदारों को भी योजना में समाहित करते हुए न्यूनतम दर पर आवास उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि लॉकडाउन की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश के सामान्य परिवारों (ए.पी.एल.) को भी रिफाइन्ड आयोडाईज्ड नमक पीडीएस की दुकानों से 10 रूपए प्रति किलो की दर से अधिकतम दो किलो नमक प्रति राशनकार्ड प्रति माह एक जून से प्रदान किया जाएगा। इससे राज्य के 9.04 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। राज्य सरकार द्वारा जमीनों की खरीदी-बिक्री की शासकीय गाइडलाईन की दरों में 30 प्रतिशत की छूट को पूरे साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में केवल 4 एक्टिव कोरोना पाजीटिव मरीज हैं। कुल 59 पाजीटिव मरीजों में से 55 स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट चुके हैं। कोरोना से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई हैं। छत्तीसगढ़ में ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 93 प्रतिशत से अधिक हैं। राज्य में अभी तक कुल 27 हजार 339 सैम्पल टेस्ट किए गए हैं। राज्य में 28 हजार 759 व्यक्तियों को क्वारेंटाइन में रखा गया है। अन्य राज्यों से लौटने वाले मजदूरों के लिए गांवों में ही 16,499 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए है। सीमावर्ती क्षेत्रों में कुल 623 क्वारेंटाइन सेंटर बनाये गये हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार की जानकारी मिलते ही बचाव की तैयारियां प्रारंभ कर दी थी। 27 जनवरी को हमने सभी जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर दी थी। 28 जनवरी से एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग प्रारंभ कर दी थी और एक फरवरी को पहले आइसोलेशन अस्पताल ने काम करना प्रारंभ कर दिया था। हमने स्वस्फूर्त निर्णय लेते हुए किसी भी राज्य से पहले 21 मार्च को छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाएं सील कर दी और 22 मार्च को राज्य में लाकडाउन की घोषणा की। वर्तमान में प्रतिदिन जांच क्षमता 1200 सैंपल प्रतिदिन हो गयी हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब कोटा से छात्रों को लाने की बात चल रही थी तभी मैंने श्रमिकों को वापस लाने की केन्द्र सरकार से मांग की थी और कहा था कि ट्रेनों की व्यवस्था की जाए अब ट्रेनें आना शुरू हो गई है। श्रमिकों की वापसी के लिए मई का महीना काफी महत्वपूर्ण है। अगले महीने से बारिश शुरू हो जाएगी तब आने वाले श्रमिकों के क्वारेंटीन में बाहर रखने के इंतजाम में दिक्कत आएगी क्योकि संसाधन सीमित है। बाहर से आने वाले श्रमिकों की बड़ी संख्या की तुलना में स्कूलों और आंगनबाड़ियों की संख्या कम है।
लॉक-डाउन में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में औसतन लगभग 23 लाख मजदूूर काम कर रहे हैं। लॉकडाउन में वनोपज संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर हैं। देश के कुल वनोपज संग्रहण का 99 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ ने ही किया हैं। श्री बघेल ने कहा कि राज्य के 56.48 लाख गरीब परिवारो को अप्रैल, मई और जून, तीन माह का राशन, प्रति परिवार एक क्विंटल पांच किलोग्राम निःशुल्क प्रदान किया गया हैं। स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ‘पढ़ाई तुंहर दुआर‘ वेबपोर्टल प्रारंभ। अब तक 21 लाख 26 हजार छात्र और 1.88 लाख शिक्षक पंजीकृत है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य में जरूरततंद परिवारों के लिए राहत और कल्याणकारी योजनाओं के संचालन तथा सामान्य कामकाज को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 30 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाये। उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि औद्योगिक नीति में इमेचवाम चवसपबल के तहत बायो एथेनॉल उत्पादन इकाईयों के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ में धान का उत्पादन आने वाले वर्षों में बढ़ेगा। सरप्लस धान हर वर्ष बढ़ेगा। इसका उपयोग बायो एथेनॉल के उत्पादन में किया जा सकेगा।

अवदेश टंडन की रिपोर्ट 

   जांजगीर चांपा / शौर्यपथ / मालखरौदा ब्लॉक के भड़ोरा निवासी जो आपने आप को किसी ब्लॉक पोस्ट पोर्टल के सम्पादक कहने वाले कथित ब्लॉक पोस्ट के पत्रकार भूपेंद्र लहरे जांजगीर चांपा जिले के मालखरौदा जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत भडोरा निवासी भूपेंद्र लहरे के खिलाफ आज दिनांक 14 मई 2020 को शिवसेना जिला ईकाई जाँजगीर चापा द्वारा जिला अध्यक्ष ओमकार सिंह गहलोत के नेतृत्व में पुलिस अधीक्षक जाँजगीर को ज्ञापन सौपा गया है .
   जिसमें शिवसेना द्वारा भूपेंद्र लहरे के खिलाफ उचित जांच कर कार्यवाई करने की मांग किया गया है। शिवसेना ने अपने पत्र में लिखा है भूपेंद्र लहरे द्वारा कुछ दिन पहले मालखरौदा के एक पत्रकार के खिलाफ अश्लील शब्दो का प्रयोग करते हुये एक न्यूज़ चलाया था आपने ब्लॉक पोस्ट पोर्टल( भूमि एक्सप्रेस) में चलाया था, इस न्यूज़ मे उन्होने मालखरौदा के हर छोटी से बड़ी समाचारो को कवरेज करने वाले और जनता की आवाज उठाने वाले पत्रकार को बदनाम करने के मकसद से ऐसा फर्जी न्यूज़ चलाया गया था, चूंकि उसके द्वारा चलाये गये न्यूज़ मे कोई सत्यता नही है और इससे सही कार्य करने वाले पत्रकार को धूमिल करने की कोशिश किया गया है इन सबके साथ शिवसेना ने भूपेंद्र लहरे के खिलाफ जांच कर उचित कार्यवाई करने की मांग किया गया है वहीं जब शिकायत वाला मामला जब ब्लॉक पोस्ट के कथित पत्रकार भूपेंद्र लहरे को सूचना मिली तो कथित पत्रकार भूपेंद्र लहरे ने आपने स्टेटस में दे डाली धमकी को

     दुर्ग / शौर्यपथ / वर्तमान में लॉक डाउन ३ का समय चल रहा है लॉक डाउन ३ में केंद्र ने राज्यों के प्रवासी मजदूरो के गृह नगर लौटने की अनुमति दे दी अनुमति मिलते ही लाखो की संख्या में मजदुर अपने गृह ग्राम लौट रहे है . ये मजदुर निजी साधनों ट्रको / बसों / टैक्सी आदि साधनों के द्वारा सड़क मार्ग से अपने गृह ग्राम जा रहे है . लॉक डाउन के तीसरे चरण में सरकार द्वारा नरमी बरती जा रही है ऐसे में इन श्रमिको के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के मंशा अनुरूप कोई भूखा ना रहे के सोंच को सार्थक करते हुए दुर्ग जिले में राष्ट्रिय राजमार्ग में कुम्हारी टोल प्लाजा एवं बाफना टोल प्लाजा में निशुल्क भोजन की व्यवस्था की गयी है जो सुबह ९ बजे से रात १० बजे तक अनवरत ज़ारी है . भोजन देते समय सोशल डिस्टेंस का ख़ास ध्यान रख कर राहगीरों को भोजन एवं पौष्टिक पेय दिया जा रहा है .
      लॉकडाउन में फंसे हजारों की संख्या में मजदूर वापस अपने मूल निवास स्थान लौट रहे है। इन मजदूरों को नेशनल हाइवे में बाफना टोल प्लाजा के पास जिला के कांग्रेस जनों के द्वारा निशुल्क भोजन और पेयजल की व्यवस्था की गई है। इंदर ढाबा के पास पंडाल लगाया गया है जहाँ से आज लगभग 1500 यात्रियों को निशुल्क भोजन के पैकेट प्रदान की गई। ट्रक, बस, ऑटो, मोटर सायकिल में मुंबई से अधिकतर मजदूर छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, बंगाल लौट रहे है। उन्हें भोजन का पैकेट और पानी पाउच दिया जा रहा है। आज देवकर, परपोड़ी, बेरला, खैरागढ़ जाने वाले पैदल यात्रियों के लिए गाड़ी की व्यवस्था कर उन्हें गन्तव्य स्थान की ओर भेजा गया। यात्रियों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंश का पालन करने की नसीहत भी दी गई। आज के व्यवस्था में सहयोग प्रदान करने वालो में प्रदीप चौबे, प्रतिमा चंद्रकार, लक्ष्मण चंद्रकार, राजेश यादव, आर एन वर्मा, निर्मल कोसरे, नीलेश चौबे, मुकेश चंद्रकार, अजय गोलू गुप्ता, अजय शर्मा, क्षितिज चंद्रकार, संदीप श्रीवास्तव, दीपक चावड़ा, अनिल जैन, निखिल खिचरिया, अशोक बघेला, विनय गुप्ता, विमल यादव, राजा विक्रम बघेल, सन्नी साहू, मालिक, गोपाल देवांगन, राजकुमार, दीपक जैन, चंद्र मोहन गभने, सिद्धार्थ कोटवानी, संजय यादव, गुरदीप सिंह भाटिया आदि उपस्थिति प्रदान कर यात्रियों सेवा कर रहे है।

    दुर्ग / शौर्यपथ / भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित देश की विकास को गति प्रदान करने वाले 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज में आज वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी ने देश के गरीबों, प्रवासी मजदूरों व किसानों के लिए बड़ी राहत देने वाला घोषणा किया है। मोदी सरकार का यह ऐलान गांव, गरीब, किसान, मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कारगर साबित होगा।
सांसद सरोज पाण्डेय ने कहा कि किसानों के लिए मार्च-अप्रैल में 63 लाख कृषि कर्ज दिए गए। ये 86 हजार 600 करोड़ के थे। इससे किसानों को फायदा हुआ। किसानों के लिए इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम को 31 मई तक जारी रहेगी यानी छोटे किसानों के लिए कर्ज पर ब्याज में छूट की स्कीम 31 मई तक बढ़ा दी गई है।
छोटे किसानों के लिए 30,000 करोड़ का अतिरिक्त फंड नाबार्ड के जरिए तुरंत रिलीज किया जाएगा। ताकि रबी की फसलों की बुवाई का काम तेजी से हो सके। इससे 3 करोड़ किसानों को फायदा होगा।
2.5 करोड़ किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं हैं। किसान क्रेडिट कार्ड योजना का विस्तार किया जाएगा। इसमें फिशरीज और एनिमल हस्बैंडरी किसान को भी शामिल किया जाएगा। उन्हें रियायती दरों पर 2 लाख करोड़ के कर्ज दिए जाएंगे।
  प्रवासी मजदूरों के लिए भी बहुत बड़ी राहत का एलान किया गया है 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए फ्री राशन की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया हैं। प्रति व्यक्ति 5-5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो चना प्रति परिवार दिया जाएगा।
         प्रवासी किसी भी राशन कार्ड कार्ड से किसी भी राज्य की किसी भी दुकान से खाद्य सामग्री ले सकेंगे। वन नेशन वन राशन कार्ड अगस्त से लागू किया जाएगा। जो अप्रवासी मजदूर अपने राज्यों में लौटे हैं, उनके लिए भी योजनाएं हैं। केंद्र सरकार इस पर अब तक 10 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं। इसके तहत 1.87 हजार ग्राम पंचायतों में काम हुआ है। जो मजदूर अपने घरों में लौटे हैं, वे वहीं रजिस्टर कर काम ले सकते हैं।
मनरेगा के तहत मजदूरी 182 रुपए से बढ़ाकर 200 रुपए कर दी गई है। प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों को सस्ते किराए पर मकान दिलवाने की योजना लागू की जाएगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इसे शामिल किया जाएगा। इस वैश्विक महामारी कोरोना में लॉकडाउन के चलते रोजाना रेहड़ी लगाने वालों को सबसे ज्यादा नुकसान तथा परेशानी हुई है 50 लाख स्ट्रीट वेंडरों को 05 हजार करोड़ की स्पेशल क्रेडिट सुविधा मिलेगी। इस योजना के तहत स्ट्रीट वेंडरों को 10 हजार रुपए तक का तत्काल लोन दिया जाएगा।
         छोटे व्यवसायियों को राहत पहुंचाने के लिए मुद्रा शिशु लोन के तहत 50 हजार तक के लोन पर 2% इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम का लाभ 12 महीने दिया जाएगा। 3 करोड़ लोगों को सबवेंशन स्कीम का फायदा होगा। आदिवासी इलाकों, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़े, इसके लिए 6000 करोड़ के कैम्पा फंड का इस्तेमाल किया जाएगा।
मोदी सरकार की इस घोषणा से देश के सबसे मेहनतकश गरीब मजदूरों एवं किसानों को एक बहुत बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान होगी।


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