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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि (03 अप्रैल) पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज एक नाम नहीं, बल्कि भारतमाता की आत्मा में रचा-बसा वह स्वाभिमान हैं, जिन्होंने स्वराज्य का स्वप्न देखा और उसे यथार्थ में परिणत किया। वे साहस, संकल्प और राष्ट्रभक्ति की सजीव प्रतिमूर्ति थे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शिवाजी महाराज भारतीय संस्कृति, नीति और नेतृत्व के अमिट प्रतीक हैं। उन्होंने न केवल धार्मिक सहिष्णुता, जनकल्याण और न्यायप्रिय शासन की अद्वितीय मिसाल प्रस्तुत की, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि एक सच्चा शासक केवल तलवार से नहीं, नीति, मूल्य और जनसेवा से पहचाना जाता है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आज जब देश नए भारत के निर्माण की दिशा में बढ़ रहा है, तब शिवाजी महाराज की सोच, उनका साहस और स्वराज्य का दर्शन हमारे लिए प्रेरणापुंज बन सकता है। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज के जीवन से हमे यह प्रेरणा मिलती है कि जब संकल्प अडिग हो और ध्येय राष्ट्रहित, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।
मुख्यमंत्री साय ने युवाओं को प्रेरित किया कि शिवाजी महाराज के राष्ट्रप्रेम के आदर्श का अनुसरण करते हुए राष्ट्र की उन्नति में अपनी ऊर्जा, प्रतिभा और समय को समर्पित कर सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहभागी बनें।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में ₹16,390 करोड़ का जीएसटी संग्रह, दर्ज की गई 18 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि अपने नाम की है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य ने कुल ₹16,390 करोड़ का जीएसटी राजस्व संग्रह कर देशभर में सबसे अधिक 18 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की है। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ को जीएसटी राजस्व वृद्धि के मामले में पूरे देश में पहले स्थान पर स्थापित करती है। इस क्रम में महाराष्ट्र 16% और तमिलनाडु 15% की वृद्धि दर के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
मार्च 2025 में पहली बार ₹2000 करोड़ से अधिक का मासिक संग्रह
मार्च 2025 में छत्तीसगढ़ को SGST मद में ₹1,301.09 करोड़ की प्राप्ति हुई, जो कि मार्च 2024 की तुलना में 72 प्रतिशत अधिक है। यह पहली बार है जब राज्य ने SGST संग्रह में ₹1000 करोड़ का आंकड़ा पार किया है।
मार्च 2025 में ही IGST मद में ₹756.73 करोड़ प्राप्त हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। इस प्रकार मार्च 2025 में कुल जीएसटी संग्रह ₹2,057.82 करोड़ रहा, जो मार्च 2024 के ₹1,443.66 करोड़ की तुलना में 43 प्रतिशत की प्रभावशाली मासिक वृद्धि दर्शाता है। जीएसटी आने के बाद छत्तीसगढ़ ने पहली बार एक माह में कुल जीएसटी राजस्व में 2000 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार किया है।
बेहतर प्रशासन, तकनीक का समावेश और सतत निगरानी से मिली ऐतिहासिक सफलता
यह उल्लेखनीय प्रगति राज्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन और वित्त मंत्री ओ पी चौधरी के दिशानिर्देश पर वाणिज्यिक कर विभाग में किए गए व्यापक सुधार, नवाचार और नई कार्यसंस्कृति का प्रत्यक्ष परिणाम है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वाणिज्यिक कर मंत्री श्री ओ. पी. चौधरी के मार्गदर्शन में विभाग ने जीएसटी प्रशासन को अधिक सक्रिय, पारदर्शी और परिणामोन्मुख बनाने हेतु निर्णायक कदम उठाए हैं।
नॉन-फाइलर्स पर नियंत्रण
रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले व्यापारियों की निरंतर निगरानी एवं संवाद के माध्यम से अनुपालना दर में बड़ा सुधार हुआ है। नॉन-फाइलर्स की संख्या 15 प्रतिशत से घटकर मात्र 6 प्रतिशत रह गई है।
फर्जी पंजीकरण की जांच
28,000 से अधिक व्यवसायों का भौतिक सत्यापन किया गया, जिनमें से 4, 252 फर्मों, जो कुल फर्मों का लगभग 15% है, को फर्जी पाया गया। इससे कर अपवंचन पर प्रभावी अंकुश लगा और कर अनुपालना में वृद्धि हुई।
डेटा एनालिटिक्स आधारित कार्रवाई
वर्षभर में डेटा एनालिटिक्स के आधार पर 313 मामलों में लेखा पुस्तकों की जांच कर ₹45.13 करोड़ की वसूली की गई।
वहीं, 77 प्रतिष्ठानों की तलाशी/निरीक्षण से ₹47.35 करोड़ की अतिरिक्त राशि प्राप्त हुई।
सेक्टर विश्लेषण और इंटर-डिपार्टमेंटल समन्वय
जीएसटी विभाग द्वारा सेक्टर आधारित विश्लेषण और इंटर डिपार्टमेंटल डेटा का उपयोग करते हुए 49 संभावित कर अपवंचन क्षेत्रों की पहचान की गई जिससे ₹101 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया गया।
सरकारी विभागों से बेहतर अनुपालन
मार्च 2025 में किए गए विशेष प्रयासों के तहत शासकीय विभागों द्वारा जीएसटीआर-7 रिटर्न दाखिल करवाकर इनके सप्लायर्स से ₹37 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व एकत्रित किया गया।
व्यापक व्यापारी संपर्क अभियान
राज्य भर में ऐसे 36,847 व्यापारियों से संपर्क किया गया, जिन्होंने या तो शून्य रिटर्न दाखिल किया था या व्यवसाय में नकारात्मक वृद्धि दर्शाई थी, जिससे कर अनुपालन में बढ़ोतरी सुनिश्चित हुई। इन सभी ठोस और तकनीक आधारित उपायों का प्रत्यक्ष परिणाम है कि छत्तीसगढ़ आज देश में जीएसटी वृद्धि में शीर्ष स्थान पर है।
भविष्य के लिए डिजिटल और एआई-आधारित रणनीति तैयार
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन और वित्त मंत्री ओ पी चौधरी के मार्गदर्शन में जीएसटी विभाग अब डिजिटल ट्रैकिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी प्रणाली और उन्नत अनुपालन तंत्र को लागू कर, आने वाले वर्षों में भी छत्तीसगढ़ को देश में अग्रणी स्थिति में बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
"छत्तीसगढ़ की यह ऐतिहासिक उपलब्धि केवल आंकड़ों की उपलब्धि नहीं, बल्कि ईमानदारी, पारदर्शिता और जनभागीदारी पर आधारित सुशासन की पहचान है। हमारी सरकार ने टैक्स प्रशासन को जनकेंद्रित और टेक्नोलॉजी-संचालित बनाकर यह सिद्ध किया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो राजस्व भी बढ़ता है और विश्वास भी। हम इसी गति को बनाए रखते हुए छत्तीसगढ़ को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और समावेशी विकास का मॉडल बनाएंगे।"
नई दिल्ली। शौर्यपथ।बहुचर्चित मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने पंजाब पुलिस के चार पूर्व पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया है. न्यायाधीश राकेश कुमार गुप्ता की अदालत में सुनाए गए फैसले में आरोपियों को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली से संबंधित आरोपों में दोषी पाया गया.
दोषी करार दिए गए अधिकारी:
तत्कालीन एसएसपी मोगा दविंदर सिंह गरचा
तत्कालीन एसपी (हेडक्वार्टर) मोगा परमदीप सिंह संधू
तत्कालीन एसएचओ, थाना सिटी मोगा रमन कुमार
तत्कालीन एसएचओ, पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह
अदालत ने दविंदर सिंह गरचा और पी.एस. संधू को भ्रष्टाचार रोकथाम (पीसी) एक्ट की धारा 13(1) और 13(2) के तहत दोषी ठहराया है. इसी तरह रमन कुमार और अमरजीत सिंह को पीसी एक्ट और आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी करार दिया गया है. इसके अलावा अमरजीत सिंह को आईपीसी की धारा 384 और 511 के तहत भी दोषी ठहराया गया है.
हालांकि, अदालत ने अकाली नेता बरजिंदर सिंह उर्फ मखन और सुखराज सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया है. अदालत ने दोषियों को सजा सुनाने के लिए 4 अप्रैल की तारीख तय की है. इस मुकदमे की पैरवी सीबीआई के सरकारी वकील अनमोल नारंग ने की थी.
कैसे पहुंची जांच सीबीआई तक?
शुरुआत में यह मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद सीबीआई ने दर्ज किया था. 11 दिसंबर 2007 के आदेशानुसार जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. अदालत ने राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव का हवाला देते हुए राज्य पुलिस की निष्पक्ष जांच करने की क्षमता पर सवाल उठाया था. इसके बाद सीबीआई ने पीसी एक्ट 1988 की धारा 7, 13(2) और आईपीसी की धारा 384, 211 और 120B के तहत एफआईआर दर्ज की थी.
क्या थे आरोप?
जांच के दौरान पता चला कि दविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, अमरजीत सिंह और रमन कुमार ने सरकारी अधिकारी होने के नाते अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ मखन और अन्य लोगों के साथ मिलकर अवैध आर्थिक लाभ लेने की साजिश रची. उन्होंने कथित तौर पर झूठी एफआईआर दर्ज करवाईं और निर्दोष लोगों को केस से बाहर निकालने के लिए रिश्वत ली. इस साजिश में झूठे हलफनामे का भी इस्तेमाल किया गया.
गवाहों की भूमिका
इस मुकदमे के दौरान मनप्रीत कौर को सरकारी गवाह बनाया गया, लेकिन बाद में अदालत ने उसे विरोधी घोषित कर दिया, जिसके चलते उसके खिलाफ अलग से कानूनी कार्रवाई शुरू हुई. इसके अलावा रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह बाठ ने सरकारी गवाह के रूप में गवाही दी. वहीं, एक अन्य आरोपी मनजीत कौर की मुकदमे के दौरान मौत हो गई, जिससे उसके खिलाफ कार्रवाई रोक दी गई.
नक्सलियों के द्वारा पक्का आवास बनाने की अनुमति नहीं दी जाती थी
सुरक्षा कैंप लगने से बदलने लगी गांव की तस्वीर
बीजापुर / शौर्यपथ / नक्सलवाद का काला धुँध साफ होने के साथ नक्सल प्रभावित गाँवों में विकास की रोशनी पहुंचने लगी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बीजापुर जिले ग्राम पंचायत धरमारम, जहां आजादी के बाद पहला पक्का आवास बना है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला श्रीमती गुंडी बुचमा का पक्का आवास बनकर तैयार है।
पति की मृत्यु के बाद भी श्रीमती गुंडी बुचमा ने हिम्मत नहीं हारी आतंक और भय के माहौल में उसने अपने बेटे को शिक्षा से जोड़े रखा। वर्तमान में केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना में श्रीमती गुंडी बुचमा का आवास बनकर तैयार है। क्षेत्र में श्रीमती गुंडी बुचमा का आवास आजादी के 77 वर्ष बाद सच्ची आजादी का एहसास करा रही है।
श्रीमती गुंडी बुचमा के आवास की कहानी इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है चूंकि ग्राम पंचायत धरमारम माओवाद से प्रभावित गांव होने के कारण शासकीय योजनाओं का संचालन कठिन था। आजादी केे 77 वर्ष बाद भी आंतक और भय में ग्रामीण जीने को मजबूर थे। नक्सल प्रभाव के कारण ग्राम पंचायत में पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भी ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही थी।
श्रीमती गुंडी बुचमा एक अकेली महिला जो अपने बच्चे को खेती-बाड़ी कर पालन-पोषण कर रही थी। अपने बच्चे को दूसरे पंचायत में भेज कर 12वीं तक पढ़ाया, जो की उनके लिए एक उपलब्धि है।
गांव में सुरक्षा कैंम्प लगने के साथ माओवाद का अंधियारा भी छटने लगा। वित्तीय वर्ष 24-25 में ग्राम पंचायत के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिली। शुरूआत में ग्रामीण डर की वजह से आवास निर्माण करने में डर रहे थे। समय के साथ श्रीमती गुंडी बुचमा ने आवास का निर्माण प्रारंभ किया। वर्तमान में उनका पक्का छत वाला आवास बनकर तैयार हो गया है।
श्रीमती गुंडी बुचमा के पुत्र का कहना है कि माओवाद के डर से किसी तरह झोपड़ी में बिना बिजली, सड़क, पानी के जीवन कट रहा था। अब हमारा पक्का आवास बन गया है। सुरक्षा कैम्प लगने के साथ धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रही हैं। मैं शासन प्रशासन का धन्यवाद करता हूं।
रायपुर / शौर्यपथ / कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के खिलाफ सीबीआई का एफआईआर भाजपा के डर को दिखाता है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भूपेश बघेल से भाजपा का डर कोई नया नहीं है। ज़ब भूपेश बघेल पीसीसी अध्यक्ष थे तब रमन सरकार उनके पीछे राज्य की एजेंसियो को लगा कर रखी थी।
उनके पैतृक गांव में खेत को नापने रमन सरकार ने भरी बरसात में राजस्व का पूरा दल भेजा था तथा भिलाई स्थित उनके मकान को नापने के लिए दल भेजा। उनको, उनकी स्व माता जी, पत्नी को ई ओ डब्ल्यू में बैठाया।
उनके खिलाफ सीडी का झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा। सीडी मामले में उनके खिलाफ सीबीआई जांच करवाया जिसमें सीबीआई की अदालत ने डिस्चार्ज कर दिया। उनके पुत्र को आधारहीन मामले पूछताछ करने थाने बुलवाया। मुख्यमंत्री रहते बदनाम करने उनके सहयोगियों के खिलाफ ईडी सीबीआई की रेड मरवाया। एक ड्राइवर के कथित बयान के आधार पर उनके खिलाफ ईडी ने आधारहीन प्रेस नोट जारी कर महादेव एप्प मामले में झूठा आरोप लगाया। सरकार जाने पर ईओडब्ल्यू में झूठा मुकदमा दर्ज कराया। उसी के आधार पर अब सीबीआई से एफआईआर करवाया है। प्रदेश की जनता भाजपा के षडयंत्र को समझ रही है। आने वाले चुनाव में भाजपा के षडयंत्रो का जवाब जनता देगी।
जन सुरक्षा और विकास योजनाओं पर हुई विस्तृत चर्चा
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ शासन के कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि सुगम यातायात के लिए जिले के मुख्य मार्गों में ब्लॉक स्पॉट का चिन्हांकन करने तथा खराब हुए सड़कों को ठीक करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जहां सड़कें ज्यादा खराब हो गई हैं उसे जल्द से जल्द मरम्मत कराना सुनिश्चित करें, जिससे की आमजनों को आवागमन में परेशानी न हो। नेताम ने राष्ट्रीय राजमार्ग-343 के संबंध में चर्चा करते हुए निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिये। साथ ही सड़क निर्माण के लिए हो रहे पेड़ कटाई के कार्य में अधिक मानव संसाधन लगाकर जल्द पूरा करने को कहा। उन्होंने सड़क दुर्घटना में कमी लाने के लिए सीट बेल्ट, हेलमेट अनिवार्य रूप से लागू करने के निर्देश भी दिये। कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम के मुख्य आतिथ्य में आज संयुक्त जिला कार्यालय बलरामपुर-रामानुजगंज के सभाकक्ष में जिला खनिज संस्थान न्यास अंतर्गत शासी परिषद के जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा), सड़क सुरक्षा समिति की आयोजित बैठक सम्पन्न हुई।
जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति: केंद्रीय योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के दिये निर्देश
जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में मंत्री श्री रामविचार नेताम ने केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं की गहन समीक्षा करते हुए योजनाओं की प्रगति पर बिंदुवार चर्चा की। उन्होंने योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये। बैठक में मनरेगा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) सहित अन्य प्रमुख योजनाओं की समीक्षा की।
सांसद श्री चिंतामणि महाराज ने अपने संबोधन में स्थानीय बोली के प्रोत्साहन पर जोर देते हुए कहा कि अधिकारी बैठक में इन क्षेत्रीय बोली का प्रयोग करें। उन्होंने योजनाओं का सही तरीके से प्रचार-प्रसार कर गांव में रहने वालों आमजनों तक लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करें। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य करने के भी निर्देश दिये। साथ ही उन्होंने अधूरे निर्माण कार्यों को शीघ्र पूर्ण कर आमजनों को शासन की योजनाओं का लाभ देने को कहा। श्री महाराज ने कहा कि सभी विभाग आपसी समन्वय से बेहतर कार्य करते हुए जनप्रतिनिधियों को क्षेत्र के विकास कार्यों की सतत् जानकारी उपलब्ध कराएं।
खनिज न्यास संस्थान के निमार्ण कार्यों की प्रगति ली जानकारी
जिला खनिज न्यास संस्थान अंतर्गत निमार्ण कार्यों की समीक्षा करते हुए मंत्री श्री रामविचार नेताम ने इस वित्तीय वर्ष हेतु कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये। साथ ही उन्होंने पिछले वर्ष के स्वीकृत कार्यों में पूर्ण हुए कार्यों की इसकी जानकारी ली। बैठक में कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा ने जिला खनिज संस्थान न्यास और दिशा समिति से जुड़ी जानकारी के साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 के महत्वपूर्ण कार्य एवं आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के कार्ययोजना के अनुमोदन तथा गतिविधियों की जानकारी दी।
जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर ने जिला खनिज संस्थान न्यास अंतर्गत डीएमएफ अंतर्गत प्राप्ति एवं व्यय की राशि की जानकारी, डीएमएफ के कार्यों सहित महत्वपूर्ण कार्यों के संबंध में जानकारी प्रदान की। साथ ही बताया कि क्षेत्र अंतर्गत पेयजल आपूर्ति, पर्यवारण संरक्षण, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला व बाल विकास, कौशल विकास व आजीविका, स्वच्छता, कृषि, पशुपालन के क्षेत्र में प्राथमिकता से कार्य कराया जाएगा।
इस दौरान सरगुजा सासंद श्री चिंतामणि महाराज, विधायक सामरी श्रीमती उद्देश्वरी पैंकरा, विधायक प्रतापपुर श्रीमती शकुंतला पोर्ते, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती हीरामुनी निकुंज, कलेक्टर श्री राजेंद्र कटारा, पुलिस अधीक्षक श्री बैंकर वैभव रमनलाल, जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर/शौर्यपथ बिलासपुर के कोनी इलाके में रहने वाली रंजिता पटेल हमेशा से आत्मनिर्भर बनना चाहती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिल रही थी, जिससे वह हताश रहने लगी। लेकिन उसकी जिंदगी तब बदली जब उसने मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के बारे में सुना। रंजिता ने इस योजना के अंतर्गत जनरल ड्यूटी असिस्टेंट का कोर्स करने का फैसला किया। प्रशिक्षण के दौरान, उसने मरीजों की देखभाल, अस्पताल में आवश्यक प्रक्रियाएं और चिकित्सा उपकरणों के सही उपयोग के बारे में सीखा।
रंजिता को प्रशिक्षण पूरा करने के बाद एक निजी अस्पताल में नौकरी मिल गई। पहले जहां वह बेरोजगार थी और अपने परिवार की आर्थिक मदद नहीं कर पा रही थी, वहीं अब वह हर महीने एक अच्छी सैलरी कमाने लगी। उसकी इस सफलता ने न केवल उसे बल्कि उसके पूरे परिवार को खुशी दी। रंजिता कहती है, अगर यह योजना नहीं होती तो शायद मैं आज भी बेरोजगार होती। इस योजना ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया और मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाया। इससे मेरे सपनों को पंख मिल गया है।
रीता यादव, ऋतु यादव और द्रौपदी निषाद ने भी इसी योजना के तहत जनरल ड्यूटी असिस्टेंट का प्रशिक्षण प्राप्त किया और आज वे विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत हैं। ऋतु यादव बताती हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी नौकरी मिल जाएगी। अब मैं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने में योगदान दे रही हूं। वहीं, रामेश्वर निषाद, जिन्होंने राजमिस्त्री का प्रशिक्षण प्राप्त किया, कहते हैं, अब मैं खुद का व्यवसाय चला रहा हूँ और अपने परिवार को बेहतर जीवन दे पा रहा हूँ। यह योजना मेरे जैसे युवाओं के लिए वरदान साबित हुई है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार समाज के हर वर्ग के कल्याण और आत्मनिर्भरता के लिए लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के अलावा, राज्य सरकार ने कई अन्य योजनाओं को लागू किया है। इन योजनाओं का उद्देश्य समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना और उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाना है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का मानना है कि हर युवा को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलना चाहिए ताकि वे अपने भविष्य का निर्माण कर सकें और छत्तीसगढ़ की समृद्धि में योगदान दे सकें। उनके इस विजन को साकार करने के लिए सरकार ने कई रोजगारोन्मुखी योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें से मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना एक महत्वपूर्ण कदम है।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना राज्य के युवाओं को विभिन्न व्यवसायों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर बढ़ाना है। 14 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के युवा इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। वे युवा जो स्कूली या कॉलेज शिक्षा छोड़ चुके हैं और रोजगार की तलाश में हैं, वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। प्रशिक्षण पूरी तरह से निःशुल्क है और प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जाता है। योजना के अंतर्गत जनरल ड्यूटी असिस्टेंट, ब्यूटी पार्लर कोर्स, सिलाई प्रशिक्षण, डाटा एंट्री ऑपरेटर, असिस्टेंट इलेक्ट्रिशियन, राजमिस्त्री, डेस्कटॉप पब्लिकेशन, सोलर पैनल ऑपरेटर, जल वितरण संचालक आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।
छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना से बिलासपुर जिले के 596 युवाओं को इस वर्ष कौशल प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है। कई युवाओं ने नौकरी हासिल की, तो कुछ ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद युवाओं को रोजगार मेलों और प्लेसमेंट कैंपों के माध्यम से नौकरी के अवसर प्रदान किए जाते हैं। रंजिता अब आगे नर्सिंग का कोर्स करना चाहती है ताकि वह और भी बेहतर नौकरी प्राप्त कर सके। वह चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लड़कियां इस योजना का लाभ उठाएं और आत्मनिर्भर बनें। मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना ने रंजिता जैसी कई लड़कियों की जिंदगी बदली है।
रायपुर /शौर्यपथ /राज्यपाल रेमन डेका ने आज अपने बालोद प्रवास के दौरान संयुक्त जिला कार्यालय के जनदर्शन कक्ष में जिले की विभागीय गतिविधियों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान डेका ने खेल गतिविधियों में जिले का नाम रोशन करने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों से बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाया। राज्यपाल डेका ने जिले के खिलाड़ियों को उनके इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कठिन परिश्रम एवं लगन के साथ खेल के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल कर जिले, प्रदेश एवं देश का नाम रोशन करने को कहा। इस अवसर पर राज्यपाल श्री डेका ने समाज कल्याण विभाग की ओर से टेकापार निवासी दिव्यांगपुसउराम साहू और बोरिद निवासी श्रीमती पूर्णिता आलेन्द्र को इलेक्ट्रिक व्हील चेयर प्रदान की।
राज्यपाल डेका ने जिले में संचालित जल जतन योजना के तहत् फलस चक्र परिवर्तन कर धान के बदले दलहनी, तिलहनी फसल लेने वाले सनौद निवासी किसान ध्रुवराम साहू से बातचीत की। किसान ध्रुवराम साहू ने राज्यपाल को जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग द्वारा आयोजित चौपाल में जब उन्हें धान की खेती करने से होने वाले हानि के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने अपना मन बदल लिया और इस साल धान के बदले 05 एकड़ में चना और 05 एकड़ में मक्का की फसल ली है, यह उनके लिए लाभप्रद सिद्ध हुआ है। इसके साथ ही स्वसहायता समूह की सक्रिय महिलाएं श्रीमती आशा सागर और ज्योति साहू ने जानकारी दी कि वे सभी महिलाएं गांव-गांव जाकर लोगों को पानी बचाने की समझाईश दे रही हैं। इस दौरान उन्होंने सिद्धी स्व सहायता समूह, जय मां पहाड़ो वाली स्व सहायता समूह, नवदीप स्व सहायता समूह, बैंक सखी श्रीमती मालती साहू सहित अन्य महिलाओं से चर्चा की और उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों और इससे होने वाली आमदनी के संबंध में जानकारी ली। इस अवसर पर स्व सहायता समूह की महिलाओं ने राज्यपाल डेका को समूह द्वारा तैयार की गई सामग्री भेंट की। राज्यपालडेका ने अंर्तजातिय विवाह करने वाले राजेन्द्र यादव एवं उनकी पत्नी को विभागीय योजना के तहत् 02 लाख 50 हजार रूपये का चेक भी प्रदान किया। इस अवसर पर आईजी श्री रामगोपाल गर्ग, कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल, पुलिस अधीक्षक एस.आर भगत के अलावा अन्य जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
आश्रम-छात्रावासों में बिजली, पानी तथा शौचालय की व्यवस्था करने के निर्देश
आयुक्त श्री एल्मा ने कोण्डागांव जिले में संचालित आश्रम-छात्रावासों की स्थिति की समीक्षा की
रायपुर/शौर्यपथ /आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग के आयुक्त श्री पी.एस. एल्मा ने कोण्डागांव जिले में संचालित आश्रम-छात्रावासों, संस्थाओं और एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में आयुक्त श्री एल्मा ने एकलव्य विद्यालयों में बिजली, पानी सहित शौचालयों की स्थिति की अद्यतन जानकारी ली। उन्होंने भवनविहीन आश्रम-छात्रावासों की स्थिति पर चर्चा करते हुए सभी संस्थानों में बरसात से पहले आवश्यक मरम्मत कार्य पूर्ण करने तथा शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
आयुक्त श्री एल्मा ने कहा कि आश्रम-छात्रावासों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य रूप से कराएं और हेल्थ कार्ड में इसका रिकॉर्ड संधारित हो। उन्होंने कन्या छात्रावासों में सुरक्षा को लेकर महिला होमगार्ड की तैनाती सुनिश्चित करने तथा पुरुष कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक लगाने के भी निर्देश दिए। जहां महिला नगर सैनिक उपलब्ध नहीं हैं, वहां रात्रिकालीन सुरक्षा के लिए महिला चैकीदार की व्यवस्था करने को कहा। बैठक में डिप्टी कलेक्टर एवं प्रभारी सहायक आयुक्त सुश्री निकिता मरकाम सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
दंतेवाड़ा के गीदम में मेडिकल कॉलेज भवन निर्माण के लिए 299.85 करोड़ की मिली प्रशासकीय स्वीकृति
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के स्पष्ट निर्देश हैं कि शासन की प्रत्येक योजना का लाभ राज्य की जनता तक पहुँचे और सभी संसाधनों का उपयोग जनहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए किया जाए। मुख्यमंत्री की इस जनकेंद्रित सोच के अनुरूप अब डीएमएफ (जिला खनिज संस्थान न्यास) की राशि का जनहित में लोगों को गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में उपयोग प्रारंभ हो गया है।
इसी क्रम में दंतेवाड़ा जिले की डीएमएफ शासी परिषद की बैठक में गीदम में नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय भवन निर्माण कार्य हेतु ₹299 करोड़ 85 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। यह स्वीकृति क्षेत्रीय स्वास्थ्य ढांचे को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस महत्वपूर्ण परियोजना के क्रियान्वयन के लिए लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन) को कार्य एजेंसी नियुक्त किया गया है। सीजीएमएससी नियमानुसार राज्य शासन एवं पीडब्ल्यूडी मैनुअल के प्रावधानों के तहत निविदा प्रक्रिया, कार्यादेश और निर्धारित समय सीमा का पालन सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में यह पहल न सिर्फ गीदम और दंतेवाड़ा क्षेत्र के लोगों को अपने निवास के समीप उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराएगी, बल्कि यह संपूर्ण बस्तर अंचल के स्वास्थ्य सेवा तंत्र को भी एक नई दिशा देगी।
यह निर्णय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की जनकेंद्रित सरकार की उस अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसमें विकास, विश्वास और पारदर्शिता को समान रूप से महत्व देते हुए राज्य के प्रत्येक नागरिक के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प झलकता है।
जिला निर्माण समिति के माध्यम से निर्माण कार्यों का होगा बेहतर क्रियान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों में गुणवत्ता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य शासन ने एक निर्णायक कदम उठाते हुए नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर एवं नारायणपुर जिलों में निर्माण कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु "जिला निर्माण समिति" के गठन की स्वीकृति प्रदान की है।
मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट कहा है कि भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जनता के पैसे से चलने वाले कार्यों में गुणवत्ता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इसी तारतम्य में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जिला निर्माण समिति के गठन के सम्बन्ध में आदेश जारी किया गया है। यह समिति निर्माण कार्यों के बेहतर क्रियान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिए गठित की गई है। समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर रहेंगे। जिले के पुलिस अधीक्षक, सीईओ जिला पंचायत, डीएफओ, लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री, जिला कोषालय अधिकारी एवं संबंधित कार्य के जिला प्रमुख अधिकारी समिति के सदस्य रहेंगे।
जिला निर्माण समिति का कार्य क्षेत्र संपूर्ण राजस्व जिला होगा।
कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति वर्तमान नियमों के तहत् सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी की जाएगी। जिला निर्माण समिति के माध्यम से किए जाने वाले कार्यों का निर्धारण जिला कलेक्टर द्वारा किया जायेगा। जिन कार्यों को 3 बार ऑनलाईन निविदा आमंत्रित करने के बाद भी, इच्छुक ठेकेदार उपलब्ध नहीं होने के कारण पूरा कराया जाना संभव न हो, ऐसे अत्यावश्यक तथा अपरिहार्य निर्माण कार्यों को जिला निर्माण समिति के माध्यम से कराया जायेगा। जिले के जो ब्लॉक गहन रूप से नक्सल प्रभावित नहीं है उनमें जिला निर्माण समिति के माध्यम से यथासंभव कार्य नहीं कराया जाने के निर्देश हैं। स्थानीय निधि जैसे की डीएमएफ/सीएसआर इत्यादि मद से कराए जाने वाले कार्यों में भी सर्वप्रथम कार्य एजेंसी जैसे की पीडब्लूडी/ आरईएस/पीएमजीएसवाई इत्यादि को ही क्रियान्वयन एजेंसी नियुक्त किया चाहिए ना की जिला निर्माण एजेंसी को। इन एजेंसी के द्वारा अगर कार्य निष्पादन नहीं हो पाता है, लगातार 3 बार निविदा में कोई भाग नहीं लेता है तब वैसी परिस्थिति में ही कार्य स्थानीय निधि से जो कराए जाने है, में जिला निर्माण एजेंसी को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया जा सकता है।
समिति के माध्यम से रूपये 10.00 करोड़ तक का कार्य कराया जा सकेगा। अपरिहार्य तथा अत्यावश्यक निर्माण कार्यों को जिला निर्माण समिति से कराये जाने के संबंध में ई-टेण्डर द्वारा निविदा आमंत्रित की जायेगी। जिला निर्माण समिति द्वारा एक कार्य को निर्माण की सुविधा की दृष्टि से दो अथवा दो से अधिक भागों में विभाजित किया जा सकेगा, जैसे-पुल-पुलियों के कार्य सहित सड़क निर्माण का कार्य स्वीकृत हो, तो सड़क कार्य के लिये अलग ठेकेदार तथा पुल-पुलियों के लिये अलग-ठेकेदार नियुक्त करने की छूट होगी। सड़क की लंबाई अधिक होने अथवा पुल-पुलियों की संख्या अधिक होने की स्थिति में सड़क को दो अथवा दो से अधिक भागों में बांटने तथा अलग-अलग पुल-पुलियों के लिये भी अलग-अलग एजेंसी नियुक्त करने की छूट होगी, किन्तु एक कार्य को छोटे-छोटे टुकडों में विभाजित करते समय समिति द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि समग्र रूप से कार्य की गुणवत्ता एक जैसी रहे तथा अलग-अलग टुकड़ों में कराए गए कार्यों के लागत मूल्य में समानता रहे। यदि कार्य को अलग अलग-अलग टुकड़ों में कराया जाता है तो यह ध्यान रखा जाए कि विगत तीन वर्षों में जिले में विभिन्न विभागों के द्वारा कराए गए समान प्रवृत्ति के कार्य के दर से अधिक नहीं हो।
कार्यों का निरीक्षण, पर्यवेक्षण तथा मूल्यांकन का कार्य लोक निर्माण विभाग या कलेक्टर द्वारा निर्धारित किसी सक्षम तकनीकी अधिकारी के द्वारा किया जायेगा।
पारदर्शिता को मिलेगा संस्थागत ढाँचा: दरों की समुचितता और प्रतिस्पर्धात्मकता की जाएगी सुनिश्चित
निविदा स्वीकार करने वाला प्राधिकारी निविदाओं को स्वीकार करने से पहले दरों की उचितता के बारे में खुद को संतुष्ट करेगा। दरों की उचितता का आंकलन मुख्य रूप से उचित दरों के आधार पर किया जाएगा, निविदा स्वीकार करने वाला प्राधिकारी निविदाओं पर निर्णय लेते समय पिछले तीन महीनों की अवधि के भीतर बुलाए गए कार्यों की समान प्रकृति की निविदाओं की दरों का उल्लेख कर सकता है। समान कार्यों का अर्थ है प्रकृति, मात्रा, विनिर्देशों और स्थान में समान कार्य, जो बहुत करीब है।
दरों की उचितता की जांच के लिए औचित्य कथन तैयार किया जाएगा। इस विधि में श्रम, सामग्री, माल ढुलाई आदि की बाजार दरों को ध्यान में रखते हुए दरों का विस्तृत विश्लेषण तैयार करना शामिल है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में यह पहल न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाएगी, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास को गति देने के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार भी करेगी।
राज्य शासन के विकास, विश्वास और पारदर्शिता के मूल सिद्धांतों को सशक्त करने की दिशा में मुख्यमंत्री साय की यह रणनीति एक निर्णायक कदम है।