August 03, 2025
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शौर्यपथ

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नई दिल्ली / शौर्यपथ / देश में कोरोना के तेज़ी से बढ़ते आकड़ों और व्यापारियों और सर्विस सेक्टर पर इसके बढ़ते असर के बीच वेदर फोरकास्टिंग एजेंसी स्काईमेट वेदर ने ऐलान किया कि इस साल के दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन के दौरान देश में ओवरआल बारिश अच्छी और नार्मल रहेगी. आर्थिक संकट के इस दौर में करोड़ों किसानों के लिए यह राहत की खबर है. हालांकि स्काईमेट ने आशंका जताई है कि उत्तर भारत के मैदानी भागों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में मॉनसून सीजन में बारिश कम होने की आशंका है.
इस साल भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन के दौरान देश में बारिश सामान्य से कुछ बेहतर होने का पूर्वानुमान है. प्राइवेट वेदर फोरकास्टिंग एजेंसी स्काईमेट वेदर ने मंगलवार को महत्वपूर्ण पूर्वानुमान जारी किया. Skymet के मॉनसून पूर्वानुमान के अनुसार दक्षिण मानसून 2021 के चार महीनों जून, जुलाई, अगस्त और सितम्बर के दौरान बारिश पिछले दस साल के औसत की 103% होने की संभावना है. यानी जून से सितम्बर 2021 के बीच बारिश नार्मल और अच्छी होने का पूर्वानुमान है.
हालांकि मॉनसून के क्षेत्रीय प्रदर्शन पर Skymet का अनुमान है कि उत्तर भारत के मैदानी भागों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पूरे सीजन में बारिश कम होने की आशंका है. आंतरिक कर्नाटक में भी मानसून के प्रमुख महीनों जुलाई और अगस्त में इसके कमज़ोर प्रदर्शन यानी कम बारिश की आशंका है.

दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन के दौरान देश में ओवरआल औसत से ज्यादा बारिश संकट से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है. इस बीच वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 2020-21 में GST और नॉन-जीएसटी नेट रेवेन्यू कलेक्शन 10.71 लाख करोड़ रहा है जो 2019-20 के मुकाबले 12.3% ज्यादा है. साफ़ है कि अर्थव्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया जारी है.
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने से कहा कि "स्काईमेट ने जो पूर्वानुमान जारी किया है, यह अच्छी खबर है देश की अर्थव्यवस्था के लिए. भारत की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक मानसून पर निर्भर करती है. अगर मॉनसून अच्छा आएगा तो फसल अच्छी होगी. किसानों के हाथ में अच्छा पैसा होगा तो इससे उनका परचेसिंग पावर बढ़ेगा और इससे अर्थव्यवस्था को भी सपोर्ट मिलेगा."
कोरोना संकट की वजह से कमजोर पड़ी अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटी भारत सरकार के लिए भी औसत से बेहतर बारिश का पूर्वानुमान एक राहत की खबर है. लेकिन जिस तरह से देश में कोरोना वायरस के मामले अप्रत्याशित तरीके से बढ़ते जा रहे हैं और महामारी का साया अर्थव्यवस्था पर गहराता जा रहा है उससे लगता है कि सरकार को इस संकट के खिलाफ जंग कई मोर्चों पर लड़नी होगी.

नई दिल्ली / शौर्यपथ / भारतीय समुद्री एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन के भीतर पिछले हफ्ते अमेरिका द्वारा नौसैनिक ऑपरेशन करने को लेकर हुए मतभेद में अमेरिका ने अपना सुर फिर नीचे किया है. भारतीय अनुमति के बिना की गई गतिविधि को लक्षद्वीप के निकट अंजाम दिया गया था, जिसे लेकर भारत ने राजनयिक माध्यमों से तुरंत विरोध दर्ज कराया था.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "7 अप्रैल को अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े में शामिल पोत USS जॉन पॉल जोन्स ने हिन्द महासागर में रूटीन फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन ऑपरेशन किया था... यह ऑपरेशन अंतरराष्ट्रीय कानूनों तथा समुद्री स्वतंत्रता के लिए लम्बे समय से जारी अमेरिकी समर्थन को प्रदर्शित करता है..."

प्रवक्ता ने कहा, "हम समूचे भारत-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा समेत बहुत से मु्ददों पर भारत के साथ साझीदारी की कद्र करते हैं..."

विध्वंसक पोत USS जॉन पॉल जोन्स ने लक्षद्वीप के निकट फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन ऑपरेशन किया था, जो भारतीय समुद्री सुरक्षा नीति के खिलाफ था, क्योंकि नीतियों के अनुसार, इस तरह के अभ्यास के लिए भारत से पूर्वानुमति लिया जाना आवश्यक है. अमेरिकी सातवें बेड़े के पब्लिक अफेयर्स ने एक बयान में कहा था कि इस तरह के अभ्यासों के लिए भारत द्वारा अनुमति मांगे जाने के लिए कहना अंतरराष्ट्रीय कानूनों से मेल नहीं खाता.

भारत ने इसके जवाब में कहा था कि समुद्री कानूनों को लेकर संयुक्त राष्ट्र समझौते के मुताबिक कोई देश किसी भी अन्य देश की सहमति के बिना उसके EEZ में सैन्य अभ्यास नहीं कर सकता है.


रविवार को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेन्टागन के प्रेस सचिव जॉन एफ. किर्बी ने विध्वंसक पोत USS जॉन पॉल जोन्स द्वारा किए गए अभ्यास को 'मासूम आवाजाही' करार दिया था, और संकेत दिए थे कि सैन्य अभ्यास नहीं किया गया.
समुद्री मामलों से जुड़ा हालिया मतभेद कतई असामान्य है, क्योंकि भारत तथा अमेरिका क्वाड ग्रुपिंग से सदस्य हैं, जो अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों पर फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन के प्रति कटिबद्ध हैं. क्वाड ग्रुपिंग में भारत और अमेरिका के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं.

नई दिल्ली / शौर्यपथ / वॉशिंगटन अमेरिका के खुफिया समुदाय ने संसद से कहा कि इस साल सैनिकों को हटाए जाने के बावजूद चीन-भारत सीमा पर ‘अधिक' तनाव बना हुआ है. उसने कहा कि चीन अपनी बढ़ती ताकत दिखाने तथा पड़ोसी देशों को विवादित क्षेत्र पर अपने दावों समेत अपनी प्राथमिकताओं को बिना किसी विरोध के स्वीकार करने के लिए विवश करने के वास्ते सभी हथकंडे आजमाना चाहता है.
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय (ओडीएनआई) ने अमेरिकी संसद को दी अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा कि चीन विदेश में अपनी आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य मौजूदगी का विस्तार करने के लिए अरबों डॉलर के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का प्रचार करता रहेगा.
'डिस्इंगेजमेंट की प्रक्रिया के बावजूद तनाव'
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में सत्ता में आने के बाद अरबों डॉलर की बीआरआई परियोजना शुरू की थी. इस परियोजना का मकसद दक्षिणपूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जमीन तथा समुद्र मार्गों से जोड़ने का है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस साल कुछ सैनिकों की वापसी के बावजूद चीन-भारत के बीच अधिक तनाव बना हुआ है. विवादित सीमा क्षेत्रों में मई 2020 से चीनी सेना की मौजूदगी, दशकों में अब तक की सबसे गंभीर तनावपूर्ण स्थिति है और इसके चलते 1975 के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा पर पहली जानलेवा झड़प हुई.'
इसमें कहा गया है, ‘फरवरी तक कई दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों ने विवादित सीमा के कुछ इलाकों से सेनाओं तथा सैन्य उपकरणों को हटाया.' रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपनी बढ़ती ताकत को दिखाने तथा पड़ोसी देशों को विवादित क्षेत्र तथा ताइवान पर संप्रभुत्ता के दावों समेत अपनी प्राथमिकताओं को बिना किसी विरोध के स्वीकार करने के लिए विवश करने के वास्ते सभी हथकंडे आजमाना चाहता है.
'ताइवान को घेरता रहेगा चीन'
चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से सैन्य और आर्थिक प्रभाव बढ़ा रहा है जिससे क्षेत्र में विभिन्न देशों के बीच चिंता पैदा हो गई है. उसके दक्षिण चीन सागर तथा पूर्वी चीन सागर दोनों में गंभीर क्षेत्रीय विवाद हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ताइवान पर एकीकरण के लिए दबाव बढ़ाता रहेगा और अमेरिका-ताइवान के बीच बढ़ते रिश्तों की निंदा करता रहेगा. दरअसल, चीन ताइवान को एक बागी प्रांत की तरह देखता है जिसका एकीकरण होना चाहिए, चाहे इसके लिए उसे बलप्रयोग क्यों न करना पड़े.
अमेरिकी खुफिया समुदाय ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि खींचतान बढ़ेगी, क्योंकि बीजिंग ने ताइपे को अंतरराष्ट्रीय तौर पर अलग-थलग और आर्थिक समृद्धि के लिए चीन पर निर्भर दिखाने की कोशिशें तेज कर दी हैं तथा वह इस द्वीप के आसपास सैन्य गतिविधि बढ़ा रहा है.'
ओडीएनआई ने कहा कि चीन ‘टीका कूटनीति' के जरिए अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करेगा जिसके तहत वह उन देशों को कोविड-19 टीके उपलब्ध कराएगा जिनसे उसे फायदा लेना है. चीन कोविड-19 का टीका बना रहा है.
उसने कहा, ‘चीन अमेरिका की प्रौद्योगिक प्रतिस्पर्धा के लिए सबसे बड़ा खतरा बना रहेगा. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों और वाणिज्यिक एवं सैन्य प्रौद्योगिकी को निशाना बनाती है. साथ ही चीन अपनी प्रौद्योगिकी क्षमताओं को बढ़ाने के वास्ते जासूसी और चोरी के लिए विभिन्न हथकंडों का इस्तेमाल करता है.'

नई दिल्ली /शौर्यपथ / काहिरा स्‍वेज नहर में फंसे विशाल जहाज, जिसके कारण करीब एक सप्‍ताह तक दुनियाभर का व्‍यापार थमकर रह गया था, कोर्ट के आदेश पर को जब्‍त कर लिया है. स्‍वेज नहर के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि विशाल जहाज के मालिकों की ओर से $900 मिलियन डॉलर की राशि दिए जाने के बाद भी इस जहाज को छोड़ा जाएगा. गौरतलब है कि दो लाख टन का एमवी Ever Given नाम का विशाल जहाज पिछले माह स्‍वेज नहर में फंस गया था.
Ever Given के फंसे होने के कारण दूसरे मालवाहक जहाजों को अन्य रूट लेना पड़ रहा था, जिससे ज्यादा समय लग रहा था. इस नहर से रोज अरबों डॉलर का कारोबार होता है. ऐसे में जहाज के फंसने से वैश्विक परिवहन तथा व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ा था. करीब छह दिनों की कड़ी मशक्‍कत के बाद मिस्र के अधिकारी और अंतरराष्‍ट्रीय विशेषज्ञ इस फंसे जहाज को निकालने में सफल रहे थे.
मेरीटाइम डाटा कंपनी लॉयड्स के अनुसार, करीब चार फुटबॉल फील्‍ड के फंसने के कारण एशिया और यूरोप के बीच रोजाना करीब $9.6 बिलियन डॉलर के माल के ट्रांसपोटेशन में बाधा आई. जलमार्ग के बंद होने से मिस्र को ही करीब 12 से 15 मिलियन डॉलर के राजस्‍व का रोजाना नुकसान हुआ. एक स्‍थानीय समाचार पत्र ने स्‍वेज नहर के अथॉरिटी चीफ ओसामा राबी के हवाले से बताया कि एमवी Ever Given को 900 मिलियन डॉलर का मुआवजा न देने के कारण जब्‍त किया गया है.' जापानी फर्म Shoei Kisen Kaisha के स्‍वामित्‍व वाले इस शिप का तकनीकी प्रबंधन जर्मन कंपनी संभाल रही है. एक अन्‍य सूत्र ने AFP को बताया कि नुकसान को लेकर कंपनी, इंश्‍योरेंस फर्म और केनाल अथॉरिटी के बीच बातचीत चल रही है

नई दिल्ली / शौर्यपथ / पश्चिम बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी की रणनीति साफ़ है. उन्‍होंने ख़ासतौर पर इस चुनाव में महिला मतदाताओं को चुना है.ममता को मालूम है कि महिला मुख्यमंत्री होने के नाते महिलाओं में उनके प्रति एक ख़ास आकर्षण है. यही वजह है कि वह अपनी रैलियों में महिलाओं को ख़ासी तौर पर संबोधित करती है. एक तो ममता बनर्जी की रैली बांग्ला भाषा में होती है और आप मानें या न मानें यहां पश्चिम बंगाल में भाषा एक ज़रूर मुद्दा है आपको कई ऐसे लोग मिल जाएंगे जो आपको सीधे तौर पर कहेगें कि हिंदी जानी नाय यानि उन्हें हिंदी नहीं आती, खासकर महिलाएं, यही वजह है कि ममता जब रैली में आती है तो महिलाओं से सीधे संवाद करने की कोशिश करती है वो बांग्ला में बोलती है वो बांग्‍ला बनाम अन्य का मुद्दा भी उठाती है. महिलाओं से पूछती है कि उन्होंने, उनके लिए जो काम की है उसका फ़ायदा उन्हें मिल रहा है या नहीं मिल रहा है और महिलाएं इसका जवाब भी 'ममता दीदी' को देती हैं इसलिए ममता बनर्जी की रणनीति साफ़ है उन्हें लगता है कि उन्हें अधिक संख्या में महिला वोट मिलें, अधिक संख्या में अल्पसंख्यक वोट भी लें और थोड़ी संख्या में बहुसंख्यक लोगों या कहें बचे हुए हिंदू वोट मिलें तो उनका एकबार फिर से मुख्यमंत्री बनना तय हो सकता है.
यही नहीं, ममता बनर्जी अपने भाषण में राजवंशी समुदाय, मतुआ समुदाय और गोरखा समुदाय का उल्लेख ज़रूर करती हैं. वे लोगों को बताती हैं कि उन्होंने, इनके लिए क्या क्या काम किए हैं. ये एकतरह से देखा जाए तो ममता बनर्जी अपने रैली में बांग्ला बनाम अन्य का मुद्दा बनाने से नहीं चूकती हैं वे बांग्ला बनाम बाहरी का जिक्र अपने भाषणों में करती हैं. वे भाषणों में कहती हैं कि वह बंगाल को गुजरात नहीं बनने देंगी, वे बंगाल को उत्तर प्रदेश नहीं बनने देंगी. यानी साफ़ है कि ममता बनर्जी वही काम कर रही हैं जो काम कुछ सालों पहले तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किया करते थे, जब वह गुजरात के चुनाव को गुजरात की अस्मिता से जोड़ते थे. आज पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी इस चुनाव को बंगाल की अस्मिता से जोड़ रही है और उसे वहीं बनाने की कोशिश कर रही हैं
ममता बनर्जी को मालूम है कि यहां पर पश्चिम बंगाल में जो हिंदी बोलने वाले लोग हैं वो अधिकतर BJP के साथ हैं. चाहे आप हावड़ा की बात करें या फिर हुबली या फिर कोलकाता की बात करें, इन इलाकों में बडी संख्या में हिंदी बोलने वाले लोग हैं. ये लोग प्रमुख रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश से आते हैं जिनमें में BJP ने अच्छी पैठ बना ली है. साथ ही BJP ने नॉर्थ बंगाल का जो इलाक़ा है, वहां पर भी BJP की पकड़ है ख़ास तौर पर राजबंसी, मतुआ और गोरखा समुदाय है उसमें. BJP के इसी 'कांबिनेशन' को तोड़ने के लिए ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यक और महिला वोटरों पर अपनी पकड़ बनाए रखने की रणनीति अपनाई है. ममता बनर्जी की रैली में 'खेला होबे' के नारे लगते हैं, फ़ुटबॉल होता है, महिलाओं के लिए ख़ासा आकर्षण होता है 'खेला होबे' का गाना. ख़ासकर जब 'खेला होबे' बजता है तो उस पर महिलाएं खूब नाचती हैं और बाद में दीदी जो है वो लोगों को 'बाहरी बनाम बंगाली' का मुद्दा छेड़ देती हैं.
ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस की एकमात्र स्टार प्रचारक हैं. आप कह सकते हैं कि वे कप्तान भी हैं, कोच भी वही हैं, सेंटर फॉरवर्ड भी वही हैं और गोलकीपर भी वही हैं. यही वजह है कि ममता बनर्जी लोगों को बताती हैं कि कैसे वे एक अकेली महिला, BJP के ख़िलाफ़ लड रही हैं. BJP के तमाम संसाधनों के ख़िलाफ़ वे संघर्ष कर रही है और इसी आधार पर वह लोगों से वोट मांग रही हैं निश्चित रूप से लोग उसको पसंद भी करते हैं और उनकी रैलियों में भीड भी जुटती है और लोग खूब तालियां भी पीटते हैं. ममता को मालुम है कि उन्हें महिला और अल्पसंख्यकों का बहुमत वोट और अन्य समाज का थोड़ा वोट मिले तो वो फिर से सत्ता में आ सकती हैं. दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने ममता पर प्रचार न करने का प्रतिबंध लगाया, उससे भी ममता के पक्ष में लोगों के मन में एक सहानुभूति पैदा हुई है जिसका फायदा भी तृणमूल कांग्रेस को मिलेगा. मगर सबसे बडा सवाल वही है कि बंगाल में 'खेला होबे' या फिर 'परिबोरतन होबे..'

नई दिल्ली / शौर्यपथ /हरिद्वार देश में कोरोना के मामलों में तेजी से हो रहे इजाफे के चलते उत्‍तराखंड के हरिद्वार में चल रहा कुंभ संभवत: आज समाप्‍त घोषित किया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार, अखाड़ा परिषद और संतों के साथ बुधवार को देर शाम सरकार की बातचीत होगी. सरकार बातचीत में हालात के मद्देनजर संतों से लौट जाने की अपील कर उन्हें मनाने की कोशिश करेगी. कुंभ में आज सबसे बड़ा स्‍नान था, इसके बाद अप्रैल माह में एक और स्‍नान है.
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच बैसाखी और मेष संक्रांति के पर्व पर महाकुंभ के तीसरे और मुख्य शाही स्नान में बुधवार को अखाड़ों के साधु-संतों ने मुख्य स्नान घाट ‘हर की पैड़ी' पर अपार उत्साह के साथ गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई. पवित्र स्नान पर्व पर हरिद्वार और ऋषिकेश के विभिन्न गंगा घाटों पर लाखों की संख्‍या में आम श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर कुंभ का पुण्य लाभ कमाया. बुधवार तड़के स्नान का क्रम शुरू हो गया था. दोपहर 12 बजे तक करीब आठ-दस लाख लोग गंगा में डुबकी लगा चुके थे.
गौरतलब है कि हरिद्वार में मंगलवार को कोरोनावायरस के 594 नए मामले दर्ज किए गए. इसके साथ ही शहर में सक्रिय मरीजों की संख्या 2,812 पहुंच गई. सोमवार को हरिद्वार में 408 कोरोना के नए मरीज सामने आए थे. वहीं पूरे उत्तराखंड की बात करें तो पिछले 24 घंटे में 1925 मामले और 13 मौत दर्ज की गईं. बता दें, हरिद्वार में इस वक्त महाकुंभ चल रहा है. जहां एक ओर कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश में कहर मचाया हुआ है, वैक्सीन और अस्पतालों में बेड की कमी पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर हरिद्वार में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.

शौर्यपथ / शोधकर्ताओं ने आंखों की खराब हो चुकी रोशनी को ठीक करने के लिए एक सरल व किफायती पद्धति विकसित की है और विशेषज्ञों का कहना है कि नया तरीका आंखों की ऐसी समस्याओं के इलाज में व्यापक बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है।
एक भारतीय चिकित्सक और ब्रिटेन स्थित एक शोधकर्ता ने संयुक्त रूप से इस पद्धति को विकसित किया है। भारत में हैदराबाद स्थित एल.वी. प्रसाद नेत्र संस्थान के नेत्र रोग विशेषज्ञ वीरेंद्र सांगवान और शेफील्ड विश्वविद्यालय में ऊतक इंजीनियर प्रोफेसर शीला मैकनील द्वारा किए गए इस अध्ययन में कॉर्निया की रक्षा करने वाली क्षतिगस्त कोशिकाओं के इलाज के लिए स्टेम सेल थेरेपी का उपयोग किया गया है।
शेफील्ड विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि भारत में मरीजों के लिए पहली बार 2012 में विकसित इस पद्धति का अब यहां खासा उपयोग किया जा रहा है तथा दुर्घटना या बीमारी से क्षतिग्रस्त आंखों के उपचार के क्षेत्र में इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।
हालांकि इस पद्धति की सफलता के बावजूद अन्य देशों के सर्जनों द्वारा इसे व्यापक रूप से नहीं अपनाया गया है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि यह पद्धति अन्य देशों में नेत्र सर्जनों द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीक के समान ही प्रभावी है और उसकी तुलना में नयी पद्धति पर सिर्फ 10 प्रतिशत खर्च आता है।

खेल /शौर्यपथ / इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के इतिहास में सबसे ज्यादा रन अभी तक विराट कोहली के बल्ले से निकले हैं। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के कप्तान विराट ने 193 मैचों में 39.13 की औसत से कुल 5911 आईपीएल रन बनाए हैं। आईपीएल में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में रोहित शर्मा ने मंगलवार को शिखर धवन और डेविड वॉर्नर को पीछे छोड़ते हुए टॉप-3 बल्लेबाजों में अपनी जगह बना ली है। रोहित ने मंगलवार को कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ 43 रनों की अहम पारी खेली और इसके साथ ही वह सबसे ज्यादा रन के मामले में वॉर्नर और धवन दोनों से ही आगे निकल गए।
वॉर्नर के खाते में 5257, जबकि शिखर धवन के खाते में 5282 आईपीएल रन दर्ज हैं। रोहित के खाते में अब 5292 आईपीएल रन हो गए हैं। उनसे आगे सुरेश रैना और विराट कोहली ही हैं। रैना के खाते में 5422 आईपीएल रन दर्ज हैं। रोहित ने केकेआर के खिलाफ 32 गेंद पर 43 रनों की पारी खेली और इस दौरान तीन चौके और एक छक्का लगाया। रोहित ने सूर्यकुमार यादव के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 76 रनों की साझेदारी निभाई।
केकेआर ने टॉस जीतकर मुंबई इंडियंस को बल्लेबाजी का न्योता दिया। मुंबई इंडियंस की पूरी टीम 20 ओवर में 152 रनों पर ऑलआउट हो गई। आंद्रे रसेल ने पांच विकेट झटके, जबकि सूर्यकुमार यादव मुंबई इंडियंस की ओर से 56 रन बनाकर बेस्ट स्कोरर रहे। जवाब में केकेआर 20 ओवर में सात विकेट पर 142 रन ही बना सका और 10 रन से मैच गंवा दिया। मुंबई इंडियंस की ओर से राहुल चाहर ने चार विकेट लिए और उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया।

मनोरंजन /शौर्यपथ / सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से उनके परिजन और फैंस लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर अक्सर सुशांत के नाम से टॉप ट्रेंड होते रहते हैं। फैंस जांच रिपोर्ट से लेकर आरोपियों को सजा दिलाने की मांग करते रहे हैं। अब उनकी जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘न्याय: द जस्टिस’ का टीजर रिलीज किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म सुशांत सिंह राजपूत को ट्रिब्यूट की गई है।

58 सेकेंड का टीजर
फिल्म का टीजर देखें तो काफी धमाकेदार है। टीजर की शुरुआत एक अभिनेता के निधन से होती है। जिसमें पंखे से झूलता हुआ एक फंदा दिखाया जाता है। इसके बाद अधिकारियों की जांच टीम पूछताछ करती है। वहीं ड्रग्स का मुद्दा भी शामिल किया गया है।

फिल्म में कई बड़े कलाकार
फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत की भूमिका अभिनेता जुबेर खान निभा रहे हैं जबकि रिया चक्रवर्ती के किरदार में श्रेया शुक्ला हैं। इसके अलावा फिल्म में कई बड़े नाम असरानी, अमन वर्मा, शक्ति कपूर, सुधा चंद्रनन, किरण कुमार, रजा मुराद और सोमी खान हैं।

11 जून को रिलीज होगी
फिल्म को दिलीप गुलाटी ने निर्देशत किया है जबकि इसके निर्माता सरला ए साराओगी और राहुल शर्मा हैं। फिल्म 11 जून को रिलीज की जाएगी। बता दें कि सुशांत की डेथ एनिवर्सिरी 14 जून को है।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत
34 वर्षीय सुशांत सिंह राजपूत बीते साल 14 जून को अपने मुंबई स्थित अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे। पहले मामले की जांच मुंबई पुलिस और पटना पुलिस कर रही थी। बाद में इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) भी जांच में जुट गई। ड्रग्स केस से मामला जुड़े होने के बाद बॉलीवुड के कई बड़े नामों से पूछताछ की जा जुकी है।

ब्यूटी टिप्स / शौर्यपथ / ऑयली स्किन वाले लोग जानते हैं कि वो हर ब्यूटी प्रॉडक्ट आंख बंद करके इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि घरेलू हो या बाजार के ब्यूटी ट्रिक्स उन्हें लगभग सारी ही चीजें फायदे की जगह साइडइफेक्ट्स दे देती हैं। ऐसे में कुछ भी इस्तेमाल करने से पहले वो काफी सोच-विचार करते हैं। आपकी या आपके किसी दोस्त की भी ऑयली यानी तैलीय त्वचा है, तो आप इन घरेलू फैसपैक को उन्हें सजेस्ट कर सकते हैं, जिससे कि उनके चेहरे पर नेचुरल निखार आ सके और वो भी बिना साइड इफेक्ट्स के-
मुल्तानी मिट्टी फैसपैक
मुल्तानी मिट्टी ऐसी चीज है जिसे आप बस पानी या गुलाब जल के साथ भी घोलकर हर दिन चेहरे पर लगाएं, तो फेस पर तेल आने की समस्या दूर होने लग जाएगी। वैसे इस पैक के असर को और बढ़ाना चाहते हैं तो इसमें नींबू का रस और दही मिलाया जा सकता है। आप इस फैसपैक को गर्मियों में इस्तेमाल करेगी, तो इसका असर ज्यादा होगा।
खीरे का फैसपैक
खीरे को कद्दूकस कर लें और उसमें एक टी-स्पून नींबू का रस मिलाएं। इस मिक्स को फ्रिज में रख दें और ठंडा हो जाने पर स्किन पर लगाएं। चाहे तो आप इसे आइस ट्रे में डालकर जमा सकती हैं और फिर क्यूब्ज से चेहरे की मसाज कर सकती हैं। ये दोनों तरीके आपको ऑयली स्किन से छुटकारा दिलाने के साथ ही पोर्स के साइज को भी छोटा करने में मदद करेंगे।
नीम फैसपैक
आपको नीम की पत्तियां धोकर पीस लेनी है, इसके बाद इसमें नीबू का रस मिला लें। आप इसे रोजाना न लगाएं बल्कि हफ्ते में तीन से चार बार लगा सकते हैं। इससे आपके चेहरे पर जितने भी दाग-धब्बे हैं, वो दूर हो जाएंगे। साथ ही दिनों-दिन आपका चेहरा निखरता जाएगा।
ओट्स, नींबू और शहद
एक कटोरी में नींबू का रस लें और उसमें शहद मिलाएं। ऊपर से ओट्स को ठीक से मिलाएं। अपनी स्‍किन पर इस पेस्‍ट को ठीक से लगाएं और कुछ देर के लिए सूखने दें। फिर इसे ठंडे पानी से धो लें। नींबू और शहद का मिश्रण ऑयली स्‍किन को तुंरत ठीक करता है। इससे चहरे पर फ्रेशनेस आती है और पोर्स अंदर से साफ होते हैं।
मसूर दाल फैसपैक
दो चम्मच मसूर की दाल का पाउडर लें और उसमें एक चम्मच दही व गुलाब जल मिलाएं। इस पैक को अच्छे से मिक्स करने के बाद चेहरे पर लगाएं। यह न सिर्फ ऑयली स्किन की समस्या को दूर करेगा बल्कि स्किन भी ज्यादा सॉफ्ट बन जाएगी।

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