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दुर्ग / शौर्यपथ / निगमायुक्त के निर्देश पर शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने लगातार कवायद जारी है । आज रविवार को मेडिकल वेस्ट के प्रति लापरवाही बतरने करने वाले ओम साई मेडिकल स्टोर्स के संचालक प्रकाश ठाकुर को निगम टीम ने रंगे हाथ पकड़ा गया और उसे ₹11500 का जुर्माना लगाया गया । संचालक द्वारा शिवनाथ नदी रोड गंजपारा में मेडिकल वेस्ट का कचरा दुकान के बाहर सड़क पर भी फेंक दिया गया था निगम टीम द्वारा देखे जाने पर नगर निगम स्वस्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता एव उनकी टीम ने जुर्माना लगा कर उन्हें सख्त हिदायत दी गई है ।
कचरे के लिए डस्टबिन रखने तथा एकत्र कचरा को नगर निगम की रिक्शा कचरा गाड़ी को दिये जाने कहा गया । कार्रवाही के दौरान सफाई दरोगा,राजू सिंह,सुरेश भारती, कपिल गोइर,शकील खोखर,बंटी के अलावा स्वस्थ्य विभाग टीम मौजूद थे । निगम आयुक्त इंद्रजीत बर्मन द्वारा शहर में संचालित हो रहे समस्त मेडिकल दुकाने क्लीनिक आदि से अपील कर कहा है की वह कोई भी मेडिकल वेस्ट शहर के किसी भी स्थान पर खुले में ना फेंके अन्यथा अधिक से अधिक राशि जुर्माना करने के साथ मेडिकल वेस्ट फेंकने वालों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध की जाएगी ।
उन्होंने कहा अपने मेडिकल व क्लीनिक का मेडिकल वेस्ट का निष्पादन करें और निगम की कचरा गाड़ी में उस वेस्ट को दें उन्होंने बताया शहर में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं इसके तहत समस्त वार्डों में सैनिटाइज करने के साथ ब्लीचिंग और दवाई का छिड़काव कचरा उठाने का कार्य प्राथमिकता से कराया जा रहा है अतः इस कार्य में नगर निगम को सहयोग प्रदान करें।
रायपुर / शौर्यपथ / घरेलु हिंसा को रोकने के लिए राजधानी पुलिस की चुप्पी तोड़ो मुहिम कारगर साबित हो रहा है। पुलिस ने यह अभियान महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने और उनकी शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए 29 अप्रैल को शुरू किया था। लॉकडाउन पीरियड में 50 दिन की सोशल डिसटेंसिंग से लोग घरों में रहने की वजह से तनावग्रस्त हो रहे हैं। इसका नतीजा घरेलू हिंसा के रुप में सामने आ रहाहै। घरेलू हिंसा के मामले लॉकडाउन शुरू होने के बाद से अचानक बढ़ गए हैं।
लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा को रोकने के लिए कॉल करने पर पीडि़तों के पास पुलिस की टीम पहुंच रही है। 1जनवरी 2020 से मार्च तक पुलिस के पास घरेलू हिंसा से जुड़े कुल 135 मामले आए थे। लेकिन केवल लॉकडाउन की अवधि 29 अप्रेल से 8 मई तक 10 दिन में 50 से ज्यादा नए प्रकरण पुलिस तक पहुंचे हैं।
अमृता सोरी, ए एस पी (इन्वेस्टीगेशनयूनिट फॉर क्राइम अगेंस्ट वीमेन –आईयूसीएडब्ल्यू) के नेतृत्व में चल रहे चुप्पी तोड़ अभियान से जुड़ी पुलिस टीम वर्ष2018 से 1500 पेंडिंग शिकायतों में कॉल कर प्रतिदिन 100 महिलाओं से संपर्क कर रही है। पुराने शिकायतों से जुड़ी पीडि़त 550 महिलाओं से संपर्क कर शिकायत दर्ज किए गए हैं और उनकी समस्याओं पर निराकरण के लिए चर्चा कर काउंसिलिंग भी करायी जा रही है।
इसके बाद भी मामला नहीं सुलझने पर पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर और 2 लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है। लॉकडाउन की अवधि में पीड़ित महिलाओं का थाना आकर शिकायत कर पाना संभव नहीं था इसलिए इस अभियान के तहत रायपुर पुलिस द्वारा पीड़ित महिलाओं को दूरभाष के माध्यम से संपर्क कर सहायता प्रदान की जा रही है।
रायपुर पुलिस द्वारा शुरुआत किये गए चुप्पी तोड़ अभियान को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही हैं। इस मुहिम के क्रियान्वयन हेतु अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,आई.यू.सी.ए.डब्ल्यू. रायपुर के पर्यवेक्षण में दो टीम गठित की गयी है जिसमें महिला थाना एवं महिला सेल प्रभारी द्वारा प्रकरणों का निराकरण किया जायेगा एवं इस अभियान के तहत पीड़ित महिलाओं से संपर्क करने के लिए ग्यारह बिंदुओं का प्रोफार्मा तैयार किया गया था। वहीं शिकायत बताने के लिए जारी नंबर पर टेलीफोन, और वाट्सअप मैसेज के माध्यम से घर बैठे दर्ज करा सकते हैं। यह नम्बर हैं: 0771-4247110, 9479190127 और व्हाट्सअप्प नम्बर है: 9479191250.
घरेलू हिंसा बढऩे को लेकर स्पर्श क्लीनिंक के मनोरोग चिकित्सक डॉ. अविनाश शुक्ला का कहना है इनमें नशे की पूर्ति नहीं होने से चिड़चिड़ापन और आर्थिक तंगी को प्रमुख माना जा रहा है। साथ ही लॉकडाउन के कारण लोग इन दिनों सामान्या से ज्याजदा तनाव में हैं। चाहे व्यापारी हो, श्रमिक हो लॉकडाउन से काम बंद होने से आर्थिक बोझ व कोरोना वायरस को लेकर स्वास्थ्य की चिंता के बीच सोशल डिसटेंसिंग में पुरुष वर्ग द्वारा घरों से बाहर नहीं निकलने से तनाव महसूस कर रहे हैं। घरों में 24 घंटे रहने से वक्त तो ज्यादा मिल रहा है परिवार के लिए लेकिन पति-पत्नी के बीच रिलेशनशीप में सौहाद्र नहीं है। छुटियों के बीच दूसरे शहर घूमने जाने का प्लान और बच्चों का स्कूल नहीं होने से दिनभर घर में माहौल उबाऊ होने लगा है। इस वजह से भी पति-पत्नी के बीच विवाद और झगड़े की स्थिति बन रही है।
मनोरोग चिकित्सक डॉ. शुक्ला ने बताया , कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉक डाउन की स्थिति ने सभी की दिनचर्चा को बदलकर रख दिया है। ऐसे में घरों में बढ़ते आपसी तनाव यानी घरेलू हिंसा को खत्म करने के लिए पति –पत्नी के बीच बातचीत के तौर तरीकों में कुछ नयापन का एहसास होना चाहिए। एक दूसरे के भावनाओं का आदर करना चाहिए। किसी बात पर ठेस लगने जैसे कठोर भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए। जो पत्नी को पसंद नहीं ऐसा कार्य बार-बार नहीं करना चाहिए। पत्नी् को बच्चों के सामने नहीं डांटना चाहिए बल्कि उनकी प्रशंसा करना चाहिए। जरुरत पड़े तो आपसी मतभेद को खत्म करने के लिए मैरीज काउंसलर से भी परामर्श लेना चाहिए।
रायपुर /शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने करोना को लेकर सवालिया निशान खड़े करते हुये कहा है कि देश सरकार से पूछना चाहता हैं कि हम भारत सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल साहब की बात मानें, जो कहते हैं कि पीक होगा ही नहीं; डॉक्टर गुलेरिया की बात मानें जो कहते हैं कि पीक जून-जुलाई में जाकर होगा या डॉक्टर वीके पॉल की बात मानें; जिन्होंने कहा था कि 16 मई को पीक होगा या मोदी जी आपके ऊपर हम भरोसा करें, जो आपने कहा था 24 मार्च को कि 21 दिन के बाद में हम कोरोना को हरा देंगे, महाभारत का युद्ध तो हमने 18 दिन में जीत लिया था? आज तो 21 दिन के दुगुने से ज्यादा दिन बीत गये हैं।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने 24 मार्च को सबसे पहला लॉकडाउन- लॉकडाउन फर्स्ट को अनाउंस किया था। उसके बाद दोबारा से 3 मई तक के लिए 14 अप्रैल को लॉकडाउन- की घोषणा की। 2 बार तो मोदी जी ने लॉक डाउन की घोषणा की लेकिन तीसरे लॉकडाउन की घोषणा के समय मोदी जी खुद टीवी पर नहीं आये बल्कि एक प्रेस रिलीज़ के माध्यम से 17 मई तक एक और लॉकडाउन 3.0 की घोषणा कर दी गयी।
त्रिवेदी ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश ने, कांग्रेस पार्टी ने, हम सब लोगों ने देश के प्रधानमंत्री के निर्णय का पालन किया है । कांग्रेस ने पूरे देश ने कहा है कि हम सब लोग देश के अंदर कोरोना के खिलाफ जो युद्ध है, उस युद्ध के अंदर हम सब इक्कट्ठे मिलकर हिस्सा लेंगे। संसार के अनेक देशों ने कोरोना से लड़ाई को जीता है । कई देशों ने बहुत जल्दी करोना पर काबू पाया है और अगर हम लोग उन मुल्कों को देखें कि उसमें क्या सक्सेफुल स्ट्रैटेजी थी, तो सबसे महत्वपूर्ण, सबसे बड़ी स्ट्रैटेजी जो उन लोगों ने अपनाई थी, उन मुल्कों में थी . वो यह थी कि उन्हें पता था कि ये कब पीक करेगा। उन्हें पता था कि यह लड़ाई कितनी लंबी है, किस हिसाब से उसकी तैयारी करनी है। किन्तु आज भारत में लॉकडाउन के लगभग 46-47 दिन हो गए हैं, फिर भी ऐसा स्पष्ट हो रहा है कि किसी को भी कुछ नहीं पता ही है।
कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री जी से, भारत सरकार से पूछा हैं कि हम किसकी बात पर विश्वास करें, क्योंकि 24 मार्च को जब मोदी जी ने सबसे पहले लॉकडाउन अनाउंस किया था, तो उन्होंने कहा था महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता था और मुझे सिर्फ 21 दिन चाहिएं। “21 दिन चाहिएं, हम कोरोना को हरा देंगे।” ये शब्द प्रधानमंत्री जी के थे और नीति आयोग के सदस्य प्रधानमंत्री जी को सलाह दे रहे हैं, टॉस्क फोर्स को सलाह दे रहे हैं, डॉक्टर वीके पॉल, उसी दिन उन्होंने एक ग्राफ को दिखाया था, जिसमें उन्होंने कहा था 16 मई तक केसेस जीरो हो जाएंगे । 16 मई के बाद हिंदुस्तान में कोई भी कोरोना के केस पॉजिटिव नहीं पाए जाएंगे।
एम्स दिल्ली के डॉक्टर गुलेरिया ने कहा है कि अभी पीक तो जून- जुलाई में आना है। डॉक्टर गुलेरिया, जो एम्स के डॉयरेक्टर हैं, हमारे देश का प्रीमियर इंस्टिट्यूट है, खुद पुलमोनोलोजिस्ट हैं, वो भी प्रधानमंत्री के टॉस्क फोर्स को अपना इनपुट देते हैं। तो अब हम डॉक्टर पॉल की बात को मानें, जिन्होंने कहा था कि 16 मई को ज़ीरो हो जाएगा या डॉक्टर गुलेरिया की बात मानें?
दोनों ही प्रधानमंत्री जी को सलाह देते हैं। लव अग्रवाल केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा है कि पीक होगा ही नहीं । उन्होंने सारी बातों को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा अब तो पीक होगा ही नहीं, हम बगैर पीक के चले जाएंगे जबकि देश में रोज के रोज केस बढ़ते जा रहे हैं।
आज हमारे देश में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अत्यंत असमंजस की स्थिति में, जहाँ भारत सरकार में ही कन्फ्यूजन है, भारत सरकार के सभी अधिकारी जो कि प्रधानमंत्री को एडवाइज करते हैं, अलग-अलग स्टेटमेंट सबके आ रहे हैं तो फिर हम किसकी बात पर विश्वास रखें? आज की संकट की घड़ी में यह इतनी खराब स्थिति है। जब सरकार को ही मालूम नहीं है कि क्या सच्चाई है, क्या वास्तविकता है, कितनी गंभीर समस्या है, कब ये खत्म होगी, कितना लंबा इसका इंतजार करना है, तो आप यह समझ सकते हैं कि हम लोगों में कैसे कॉन्फिडेंस आएगा कि सरकार अपनी तैयारियों के प्रति संवेदनशील है, सरकार अपनी तैयारियों के प्रति सीरियस है। बड़े दुख की बात है कि हमारे देश के अंदर जिन लोगों के हाथ में जो कर्णधार हैं, उन लोगों के हाथ में देश की लगाम है उन्हें ही अगर इस चीज का आईडिया नहीं है कि ये डिजीज किस तरह से आगे पैन आउट करेगा तो फिर हम खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी तैयारी सरकार कैसी कर रही है? जब सरकार को इस चीज का अंदेशा ही नहीं है, आईडिया ही नहीं तो देश सरकार पर कैसे भरोसा करे ???
भिलाई नगर / शौर्यपथ / अपने कार्यरत स्थल इत्यादि से घरों की ओर रवाना होने वाले मजदूर/श्रमिक जो पदयात्रा एवं साइकिल यात्रा करके जा रहे हैं उनके लिए नगर पालिक निगम भिलाई द्वारा श्रमिक सहायता केंद्र बनाया गया है जहां पर ऐसे मजदूर और श्रमिक पानी और सूखा नाश्ता करके थोड़ी देर आराम करके अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकते हैं! उपायुक्त तरुण पाल लहरें ने बताया कि नेहरू नगर गुरुद्वारा के पास श्रमिक सहायता केंद्र की स्थापना की गई है ताकि गंतव्य की ओर रवाना होने वाले श्रमिकों/मजदूरों को राहत प्रदान किया जा सके! दोपहर 2:00 बजे 8 श्रमिक मध्य प्रदेश छिंदवाड़ा की ओर तथा चार श्रमिक महाराष्ट्र की ओर साइकिल से जा रहे थे जिन्हें श्रमिक सहायता केंद्र में बुलाकर उनके हाथों को सैनिटाइज कर सूखा नाश्ता चना, मुर्रा, मिक्सचर और पानी दिया गया और जिनके पास मास्क उपलब्ध नहीं था उन्हें मास्क भी उपलब्ध कराया गया! इनके बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की गई है तथा छाया प्रदान करने टेंट लगाया गया है!
ऐसे लोगों की मदद करने दानदाता भी आ रहे हैं आगे जोन क्रमांक एक नेहरू नगर क्षेत्र के सहायक अभियंता सुनील दुबे ने बताया कि अपने गंतव्य की ओर रवाना होने वाले मजदूरों/श्रमिकों के लिए अर्जुन सचदेवा ने 10 कैरेट पानी बॉटल, और बहुत से पैकेट मिक्सचर के प्रदाय किए हैं!
भिलाई निगम क्षेत्र की जागरूक जनता सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहती है ऐसे समाज सेवी, संगठन या व्यक्ति भी इनकी सुखा नाश्ता, फल इत्यादि देकर मदद कर सकते हैं! सहायता केंद्र को बिल्कुल हाईवे के समीप बनाया गया है ताकि मजदूर एवं श्रमिकों को दूर से ही यह केंद्र दिखाई दे! 2 कर्मचारियों की ड्यूटी भी सहायता केंद्र में लगाई गई है!
मजदूरों ने कहा शुक्रिया भिलाई श्रमिक सहायता केंद्र में नाश्ता करने के बाद कुछ देर वही ठहरे मजदूरों ने कहा कि भिलाई निगम द्वारा सूखा नाश्ता, पानी, मास्क तथा टेंट की व्यवस्था की गई है जिसके लिए हम शुक्रिया अदा करते हैं!
नगर पालिक निगम भिलाई के महापौर एवं भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव तथा आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी की अभिनव पहल से सहायता केंद्र की स्थापना नेहरू नगर क्षेत्र में गुरुद्वारा के पास की गई है! जिससे अपने गंतव्य की ओर जाने वाले मजदूर एवं श्रमिकों को इस केंद्र में राहत मिल रही है!
भिलाई / शौर्यपथ / अमृत मिशन फेस टू के तहत नवनिर्मित हाउसिंग बोर्ड पानी टंकी और पाइप लाइन की टेस्टिंग का काम पूरा कर लिया गया है। साथ ही पानी की सप्लाई भी शुरू कर दी गई है। इस टंकी के निर्माण से हाउिसंगबोर्ड क्षेत्र के करीब 25 हजार परिवार लाभान्वित होंगे। क्षेत्र के हर परिवार को पानी मिल सके। इसके लिए तेजी से नल कनेक्शन भी दिया जा रहा है। अबतक 2600 नए उपभोक्ताओं को नल कनेक्शन दिया गया जा चुका है।
महापौर एवं भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव ने पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए थे। जिसके तारतम्य में अधिकारियों द्वारा शुद्ध पेयजल प्रदाय करने कार्य किया जा रहा है। वर्तमान समय में अधिकारी पहले नवनिर्मित हाउसिंग बोर्ड पानी टंकी की टेस्टिंग की। इसके बाद टंकी में पानी भरने के साथ ही अमृत मिशन योजना के तहत हाउसिंग बोर्ड एरिया में जो नई पाइप लाइन बिछाई गई हैं। उस पाइप लाइन की साफ-सफाई कार्य पूरा किया गया। नए पाइप और नई टंकी दोनों की पूरी तरह से एक टेस्टिंग करने के बाद क्षेत्र में पानी की सप्लाई शुरू कर दी गई है।
अधिकारियों ने बताया कि पानी सल्पाई शुरू होने से क्षेत्र की जनता में काफी हर्ष का माहौल है। लोगों के हर घर तक पानी पहुंचाई जा रही है। लाेगों के घरों में जब नल से पानी आना शुरू हुआ तो लोग बहुत खुश हुए। गौरतलब है कि महापौर व भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव के पहल से अमृत मिशन फेस 2 याेजना के तहत हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में अब लोगों को पानी की समस्या नहीं होगी। नव निर्मित हाउसिंगबोर्ड पानी टंकी की क्षमता 32 लाख लीटर की है। इसके अलावा हर घर तक पानी की सप्लाई की जा सके, इसके लिए नई वितरण पाइपलाइन लगभग 35 किलोमीटर तक बिछाई गई है। इस नई पाइप लाइन से नल कनेक्शन देने का काम भी जोरो से चल रहा है।
क्षेत्र में करीब 3500 घर है। इसमें से 2600 घरों में नए पाइप से कनेक्शन दिया जा चुका है और मात्र करीब 1000 घर बचे है। जिनके घरों में नल कनेक्शन का काम चल रहा है। इसमें से आधे से ज्यादा घर ऐसे है, जिनके नलों की शिप्टिंग की जानी है। यह काम भी जल्द पूरा कर लिया है।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / कलेक्टर मौर्य ने क्वारेनटाईन सेंटरों में विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए शिक्षा विभाग के शिक्षकों, सहायक शिक्षकों, शिक्षाकर्मियों सहित अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के लिए अनुविभागीय अधिकारियों राजस्व को अधिकृत किया है। कलेक्टर मौर्य ने आज इस संबंध में आज आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि जिला एवं पुलिस प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य विभाग द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
कलेक्टर मौर्य ने बताया कि अन्य प्रदेशों से नागरिक बड़ी संख्या में वापस आ रहे हैं। जिन्हें छात्रावास, स्कूल, सामुदायिक भवन, होटल आदि स्थानों पर बनाए गए क्वारेनटाईन सेंटरों में रखा जाएगा। क्वारेनटाईन सेंटरों में रखे गए व्यक्तियों की व्यवस्थाओं और देख रेख के लिए शिक्षा विभाग के शिक्षकों, सहायक शिक्षकों, शिक्षाकर्मियों सहित अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। कर्मचारियों की कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / कलेक्टर मौर्य एवं पुलिस अधीक्षक शुक्ला ने आज रेलवे स्टेशन में श्रमिक स्पेशल ट्रेन के तहत राजनांदगांव आने वाले श्रमिकों की व्यवस्था के लिए निरीक्षण किया। कलेक्टर मौर्य ने अधिकारियों को कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए रेलवे स्टेशन में सिढ़ीयों को निरंतर सेनेटाईज करने के निर्देश दिए। लाकडाउन के कारण छत्तीसगढ़ के श्रमिक, छात्रों, संकट में पड़े लोगों एवं चिकित्सा की जरूरत वाले व्यक्तियों की छत्तीसगढ़ वापसी के लिए छत्तीसगढ़ शासन की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन कन्फर्म किया गया है।
कलेक्टर कहा कि यह क्षेत्र अति संक्रमित होने की वजह से प्रतिबंधित क्षेत्र रहेगा। उन्होंने प्लेटफार्म एवं प्रतीक्षालय का निरीक्षण किया। उन्होंने रेलवे स्टेशन में बस की व्यवस्था, होर्डिंग लगाने एवं पुलिस एवं शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्टेशन में हेल्प डेस्क बनाया जाएगा, जहां आने वाले श्रमिकों को मदद रहेंगी। सूचना केन्द्र से सभी श्रमिकों को माइक से जानकारी दी जाएगी।
कलेक्टर ने कहा कि प्रतीक्षालय के समीप बस रहेंगी व जो श्रमिकों को रेलवे स्टेशन से रैन बसेरा तक पहुंचायेगी। रैन बसेरा में स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने रैन बसेरा का भी निरीक्षण किया। कलेक्टर श्री मौर्य ने कहा कि रैन बसेरा में शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई जाएगी।
सभी अधिकारी-कर्मचारी ड्यूटी के दौरान कोविड-19 से सुरक्षा के लिए आवश्यक सावधानी रखेगें। रैन बसेरा में श्रमिकों के लिए भोजन एवं आवास की व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर एडीएम श्री ओंकार यदु, एडीएम श्री हरिकृष्ण शर्मा, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती तनुजा सलाम, नगर निगम आयुक्त चन्द्रकांत कौशिक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी, एसडीएम राजनांदगांव मुकेश रावटे, एसडीएम डोंगरगांव विरेन्द्र सिंह सहित अन्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
देवेन्द्र कुमार बघेल की ख़ास रिपोर्ट
शौर्यपथ लेख / कोरोना संक्रमण के कारण पुरे देश में लॉक डाउन की घोषणा तो हो गयी किन्तु लॉक डाउन की घोषणा के बाद सरकार अपनी जिम्मेदारी का वहां करने में कई मामलो में असफल हुई . मजदूरो की भुखमरी और हिंसक घटना के सहित भूख से मौत के कई प्रकरण सामने आते गए और मामले के सामने आते ही आरोप प्रत्यारोप का दौर चलने लगा . आरोप प्रत्यारोप में ये भी भूल गए कि ऐसी घटना उन सरकारों के राज्यों में भी घटित हो रही है . हर प्रदेश से मजदुर अपने गृह नगर पहुँच रहे है और अव्यस्था के आलम में राज्य सरकारे घरती जा रही है . सभी अपने अपने दायित्व को पूरा करने का प्रचार तो कर रहे है किन्तु मजदूरो की मौते , भूखे पेट सैकड़ो किलोमीटर की यात्रा की खबरे सामने आ रही है .
लॉक डाउन के पहले चरण तक लोगो का विश्वास सरकार पर कायम रहा , परन्तु दूसरे और तीसरे चरण के लॉक डाउन ने लोगो को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वे अब , क्या करे ? क्योंकि मजदूरों के पास जमापूंजी खत्म हो चुकी थी ? परिवार भूख मरने की कगार पर पहुंच चुके था ? मकान मालिक लोगो को खदेड़ रहे थे या फिर उनसे किराया मांगा जा रहा था , मजदूरों को अब इस स्थिति में सीधे मौत दिखाई देने लगी थी ? और उन्होंने अपना और अपने परिवार की जान जोखिम में डाल कर जैसे बना वैसे ही पैदल घर की तरफ निकल पड़े , उन्होंने है नहीं सोचा कि उनके घर की दूरी हजारों किलोमीटर है , रास्ते में कई परेशानियों और संकटों का सामना करना पड़ेगा ? लेकिन मजदूर इन सब कि , परवाह किए बिना तप्ती धूप में सह परिवार निकल पड़े । महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास रेलवे ट्रैक पर 16 प्रवासी मजदूरों की मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई।सभी मजदूर मध्यप्रदेश जा रहे थे। हादसा औरंगाबाद में करमाड स्टेशन के पास हुआ। घटना उस वक्त हुई, जब मजदूर रेलवे ट्रैक पर सो रहे थे। 4 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताया है। मध्य प्रदेशऔर महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के परिजन को 5-5 लाख रु. की सहायता देने का ऐलान किया है।
मौत कब आई मजदूरों को पता ही नहीं चला ?
रेल मंत्रालय ने बताया कि घटना बदनापुर और करनाड स्टेशन के बीच की है। यह इलाका रेलवे के परभणी-मनमाड़ सेक्शन में आता है। 8 मई दिन शुक्रवार तड़के मजदूर रेलवे ट्रैक पर सो रहे थे। मालगाड़ी के ड्राइवर ने उन्हें देख लिया था, बचाने की कोशिश भी की, पर हादसा हो गया। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
ट्रेन से जाने कि तैयारी में थे मजदूर ?
मजदूर जालना की एसआरजे स्टील फैक्ट्री में काम करते थे। औरंगाबाद से 7 मई दिन गुरुवार को मध्य प्रदेश के कुछ जिलों के लिए ट्रेन रवाना हुई थी। इसी वजह से जालना से ये मजदूर औरंगाबाद के लिए रवाना हुए। रेलवे ट्रैक के बगल में 40 किमी चलने के बाद वे करमाड के करीब थककर पटरी पर ही सो गए। औरंगाबाद ग्रामीण एसपी मोक्षदा पाटिल ने बताया,‘‘हादसे में 14 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई। बाद में 2 और ने दम तोड़ दिया। एक की हालत गंभीर है। बचे 4 अन्य लोगों से बातचीत की जा रही है।’’ मृतक मध्य प्रदेश के शहडोल और उमरिया के हैं। सिंह गोंड (शहडोल) , निर्वेश सिंह गोंड (शहडोल) , बुद्धराज सिंह गोंड (शहडोल) , अच्छेलाल सिंह (उमरिया) , रबेंन्द्र सिंह गोंड (शहडोल) , सुरेश सिंह कौल (शहडोल) , राजबोहरम पारस सिंह (शहडोल) , धर्मेंद्र सिंह गोंड (शहडोल) , बिगेंद्र सिंह चैनसिंग (उमरिया) , प्रदीप सिंह गोंड (उमरिया) , संतोष नापित , बृजेश भैयादीन (शहडोल) , मुनीम सिंह शिवरतन सिंह, (उमरिया) , श्रीदयाल सिंह (शहडोल) , नेमशाह सिंह (उमरिया) , दीपक सिंह गौड़ (शहडोल) , जख्मी: सज्जन सिंह माखन सिंह धुर्वे (खजेरी)
अपने साथियों को खोने वाले मजदूर ने बताया- न पैसे मिल रहे थे, न पास बन पा रहा था, इसलिए पैदल ही निकल पड़े ?
लॉकडाउन के 45 दिन से ज्यादाबीत चुके थे। मजदूरी का काम भी बंद था। पैसा खत्म हो रहा था। ऐसे में महाराष्ट्र के जालना में रहने वाले 20 मजदूर पिछले कुछ दिन से घर जाना चाहते थे। इन्हें पता चला कि भुसावल या औरंगाबाद से मध्यप्रदेश के भोपाल के लिए ट्रेन मिल जाएगी। फिर क्या था सभी ने निकलने का फैसला लिया। सोचा था कि ट्रेन मिली तो ठीक नहीं तो पैदल ही घर तक का सफर किया जाएगा। सड़क पर पुलिस का पहरा था। इसलिए, ट्रेन की पटरियों का रास्ता चुना। यही, रास्ता उन्हें मौत तक ले गया। पैदल चलते-चलते औरंगाबाद में करमाड स्टेशन के पास पहुंच गए। इतना थक गए कि पटरियों पर ही लेट गए। सुबह मालगाड़ी की चपेट में आकर इनमें से 16 की मौत हो गई। इस हादसे में दोमजदूरवीरेंद्र सिंह औरसज्जन सिंह ने बतायाकी नींद टूटी तो उनके सामने उसके 16 साथियों की लाशें बिखरी हुई थीं।
ठेकेदार ने पैसा दिए बिना ही भाग गया
अपने साथी को खोने वाले मजदूर वीरेंद्र सिंह ने दिव्य मराठी को बताया, ‘‘ठेकेदार हमें पैसे दे पाने की स्थिति में नहीं था। वादा किया कि 7 मई को पैसे मिलेंगे। लेकिन 7 तारीख को भी पगार नहीं मिला। मध्यप्रदेश में हमारे परिवार को भी हमारी जरूरत थी। घर के लोग परेशान हो रहे थे। इसलिए हम एक हफ्ते से पास बनवाने की कोशिश में थे। दो-तीन बार कोशिश कर चुके थे, लेकिन मदद नहीं मिल पा रही थी।’’
मालगाड़ी के ड्राइवर ने हॉर्न बजाया था , लेकिन उसकी रफ्तार काफी तेज थी , फिर भी उसने ब्रेक मारने का प्रयास किया था ?
वीरेंद्र सिंह ने बताया,‘‘जब कोई रास्ता नहीं बचा तो हमने तय किया कि पटरियों के रास्ते हम सफर तय करते हैं। पहले औरंगाबाद पहुंचेंगे और वहां से आगे का रास्ता तय करेंगे। हम जालना से 7 मई दिन गुरुवार शाम 7 बजे रवाना हुए। कई किलोमीटर का रास्ता तय कर लिया। देर रात जब थक गए तो कुछ-कुछ दूरी पर हमारे साथी पटरियों पर बैठने लगे। मैंने कई साथियों से कहा कि पटरियों से दूर रहो। लेकिन जो साथी आगे निकल गए थे, वे पटरी पर लेट गए। उनकी नींद लग गई। हम पटरी से थोड़ा दूर थे, इसलिए बच गए। हमने मालगाड़ी को आते देखा। मालगाड़ी के ड्राइवर ने हॉर्न भी बजाया, लेकिन उसकी रफ्तार तेज थी। हमने आवाज दी, लेकिन तब तक सबकुछ खत्म हो चुका था। हम दौड़कर नजदीक पहुंचते तब तक मालगाड़ी गुजर चुकी थी।’’
हादसे के बाद मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने स्थानीय लोगों की सहायता से शव के टुकड़ों को इकट्ठा किया
इस हादसे में बाल-बाल बचे और हॉस्पिटल में भर्ती सज्जन सिंह ने बताया कि हमारी आंख लग गई थी। हम इतना थक गए थे कि मालगाड़ी की आवाज ही नहीं आई। हम लोग पटरी से थोड़ा दूर थे। हमने बैग पीठ पर लाद रखा था। बैग लादे ही हम उसके सहारे टिककर सो गए। जब मालगाड़ी गुजरी तो बैग खींचते हुए ले गई। जान तो बच गई, लेकिन चोटें आईं। जो साथी बैग सहित पटरी के बीच में थे, वे नहीं बच सके।
150 रोटियां और चटनी लेकर चले थे 20 मजदूर, 16 के लिए आखिरी सफर बन गया; आंख खुली तो करीब में रोटी और दूर - दूर तक लाशें दिखीं
जालना की एक सरिया फैक्ट्री। 45 दिन पहले लॉकडाउन के चलते यह बंद हो गई। रोज कमाने-खाने वाले मजदूरों को दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए। ज्यादातर यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के थे। नाम की जमापूंजी थी। किसी तरह महीनाभर काम चलाया। फिर सामाजिक संगठनों और सरकार के भरोसे। पेट भरने की ये मदद दो या तीन दिन में एक बार ही नसीब हो रही थी। इस बीच एक खबर आई। पता लगा कि सरकार दूसरे राज्यों के मजदूरों को घर भेजने के लिए औरंगाबाद या भुसावल से कोई ट्रेन चलाने वाली है। जालना से औरंगाबाद की दूरी 50 किमी है। मध्य प्रदेश के 20 मजदूर रेलवे ट्रैक से सफर पर निकल पड़े। पास कुछ था तो बस, 150 रोटियां और एक टिफिन चटनी। 16 के लिए यहयात्रा, अंतिम यात्रा साबित हुई। मजदूरों ने सोचा, घर पहुंच जाएंगे। गुरुवार शाम मिलकर 150 रोटियां बनाईं। एक टिफिन में चटनी भी थी। ताकि, सूखी रोटी मुंहसे पेट तक का सफर आसानी से कर सके। कुछ देर बाद सब भुसावल के लिए निकल पड़े। सभी की उम्र 21 से 45 साल के बीच थी। कुछ शहडोल के थे तो कुछ कटनी के। औरंगाबाद जिले के करमाड तक पहुंचे तो रात गहरी हो चली थी। सोचा, खाना खाकर कुछआराम कर लिया जाए। सज्जन सिंह इसी जत्थे में शामिल थे। वो बच गए। कहते हैं, “भूख लगी थी साहब। ट्रैक पर ही बैठकर खाना खाने लगे। हमें वो साफ और सुरक्षित लगा। खाना खत्म हुआ। कुछ चाहते थे कि सफर फिर शुरू किया जाए। कुछ का दिल कर रहा था कि थोड़ा सुस्ता लिया जाए। सहमति आराम करने पर बनी। भूखे पेट को रोटी मिली थी। इसलिए, पटरी का सिरहाना और गिट्टियां भी नहीं अखरीं। सो गए। नींद खुली तो भयानक मंजर था। मेरे करीब इंटरलाल सो रहा था। उसने मुझे खींच लिया। मैं जिंदा हूं।”
इसलिए हुई गलती ?
सज्जन आगे कहते हैं, “आंख खुली तो होश आया। देखा मेरा बैग ट्रेन में उलझकर जा रहा है। हमने सोचा था कि ट्रेनें तो बंद हैं। इसलिए, ट्रैक पर कोई गाड़ी नहीं आएगी। आसपास झाड़ियां थीं। लिहाजा, ट्रैक पर ही झपकी का ख्याल आया। ट्रेन जब रुकी तब तक तो सब खत्म हो चुका था। 16 साथियों के क्षत विक्षत शव ट्रैक पर पड़े थे। किसी को पहचान पाना मुश्किल था।” सज्जन के मुुताबिक, “ पहले तो लगा कि कोई बुरा सपना देखा है। पल भर में हकीकत पर यकीन हो गया। 20 में से चार जिंदा बचे। डर को थोड़ा दूर किया।ट्रैक से कुछ दूर बने एक घर पहुंचे। मदद मांगी। उन्होंने पानी पिलाया। फिर पुलिस को जानकारी दी।” आधे घंटे बाद पुलिस पहुंची। उसने अपना काम शुरू किया। रुंधे गले को संभालकर और भीगी आंखों को पोंछकर वीरेंद्र शांत आसमान की तरफ देखते हैं। फिर कहते हैं, “जिन लोगों के साथ कुछ घंटे पहले बैठकर रोटी खाई थी। अब उनकी लाशें मेरे सामने हैं। कुछ तो मेरे बहुत करीबी दोस्त थे। अब, क्या कहूंगा उनके घरवालों से? कैसे सामना करूंगा उनका? मेरा फोन, बैग सब गायब हैं। पीठ में चोट है। ये जख्म भर जाएगा। लेकिन, दिल में जो नासूर पैदा हो गया है, वो तो लाईलाज रहेगा। ताउम्र।” मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन प्रशासन के द्वारा सभी मृतकों की लाशों को , स्पेशल ट्रेन के माध्यम से उनके घर तक पहुंचवाया गया , और उन्हें सहायता राशि प्रदान की गई ।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की हालत और गंभीर बताई जा रही है.नारायणा अस्पताल के डॉक्टरों ने मेडिकल बुलेटिन जारी कर बताया है कि उनके लिए अगले 48 से 72 घंटे महत्वपूर्ण हैं.
यह खबर मिलते ही पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, जोगी कांग्रेस के धरमजीत सिंह अस्पताल पहुंचे और उन्होंने जोगी परिवार से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना. अस्पताल द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन में कहा गया है कि जोगी के दिमाग का सीटी स्कैन किया गया है. जिसमें उनके मस्तिष्क में सेरिब्रल एडिमा (दिमाग मे सूजन) पायी गयी है. उनका हृदय सामान्य हो गया है. अभी उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है. उनकी स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है. अगले 48 से 72 घंटे उनके लिए बेहद अहम हैं।
बता दें कि जोगी शनिवार को अपने निवास में गंगा इमली खा रहे थे. जिसका बीज उनके सांस नली में फंस गया. जिसकी वजह से पहले उन्हें रेस्पीरेट्री अरेस्ट और फिर कार्डियक अरेस्ट आया. जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में नारायणा अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने जोगी के सांस नली में फंसे इमली के बीज को निकाल दिया है.