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दुर्ग / शौर्यपथ / माननीय कार्यपालक अध्यक्ष छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देश एवं माननीय रामजीवन देवांगन कार्यवाहक जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन पर जिला कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोशल डिस्टेसिं को दृष्टिगत रखते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण न्याय सदन दुर्ग में ई-फाईलिंग संपर्क कांति सहायता केन्द्र का शुभारंभ किया गया है। इस सहायता केन्द्र के माध्यम से अधिवक्ता प्रकरण के सभी दस्तावेज ऑनलाईन जमा कर सकते है। दस्तावेज संबंधित कोर्ट को उपलब्ध हो जाएगा। इसके अतिरिक्त विडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से प्रकरण में जिरह कर सकेंगे।
कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए अधिवक्ताओं को न्यायालयीन कार्यवाही में सहयोग के तौर पर ई-फाईलिंग संपर्क क्रांति सहायता केन्द्र की शुरूवात की गई। ऐसे अधिवक्ता जिनके द्वारा एंड्राईड मोबाईल, कम्प्यूटर, स्केनर की सुविधा उपलब्ध नही है या वे उपयोग में नही लाते होगें। उनके सुविधा के लिए यह व्यवस्था की गई है। सहायता केन्द्र में तृतीय क्षेणी कर्मचारी प्रशांत दिल्लेवार, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अशोक यादव तथा पैरालीगल वॉलिटियर डुलेश्वर मटियारा को नामित किया गया है।
ई-फाईलिंग संपर्क क्रांति सहायता केन्द्र के संबंध में प्रस्तुत किये जाने वाले प्रकरण, उनकी कार्यवधि के संबंध में जानकारी हरीश अवस्थी, विशेष न्यायाधीश दुर्ग के द्वारा उपस्थित अधिवक्ताओं को बताया कि ई कमेटी द्वारा मोबाईल एप तैयार किए गए जिनके माध्यम से भी जानकारी सुलभ है इस एप के इंस्टालेशन की जानकारी न होने या किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता होने पर उसके संबंध में भी सहायता ई सेवा केन्द्र से प्राप्त की जा सकती है एवं उपलब्ध स्टाफ आपको एप इंस्टालेशन में मदद करेंगे। अधिवक्ता द्गद्घद्बद्यद्बठ्ठद्द.द्गष्शह्वह्म्ह्लह्य.द्दश1.द्बठ्ठ/ष्द्द में जाकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं, प्रक्रिया एक बार की होगी इसके पश्चात् अधिवक्ता 24&7 अपने घर बैठे प्रकरण दावा जवाब दावा आवेदन दस्तावेज इत्यादि प्रस्तुत कर सकते है दावा जवाब दावा आवेदन पत्र तथा दस्तावेज पीडीएफ फॉर्मेट में ए4 साईज के होने आवश्यक होंगे रजिस्टेशन उपरांत अधिवक्ता को अपनी यूजर आईडी तथा पासवर्ड प्राप्त हो जाता है तथा लॉर्ड मेक ए स्पेस भी प्राप्त हो जाता है जहां वह अपने दस्तावेज तैयार कर सकते हैं सहेज के रख सकते हैं तथा पश्चात में भी प्रस्तुत कर सकते है साथ ही साथ प्रकरण से होने वाली तमाम जानकारियां स्वयं उनके इस क्लाउड स्पेस में उपलब्ध होती रहती है।
शुभारंभ में दुर्ग मे ंपदस्थ न्यायाधीश श्रीमती शुभ्रा पचोरी, श्रीमती गरिमा शर्मा, अजीत कुमार राजभानु, श्रीमती पी.पॉल, मोहन सिंह कोर्राम, परिवार न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वासनिकर, गुलाब सिंह पटेल अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग, एवं राहूल शर्मा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग, कर्मचारीगण, पैरालीगल वॉलिटियर उपस्थित रहे। शुभारंभ के समय सभी उपस्थिति लोगो के द्वारा सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया।
भिलाई / शौर्यपथ / रेलवे कर्मचारी बनकर कर केन फिन होम लिमिटेड प्रायोजक केनरा बैंक से 22 लाख रुपए का आवास ऋण प्राप्त करने वाले दोषियों के खिलाफ सुपेला पुलिस ने अपराधिक मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने ऋण प्राप्ति के लिए छद्म नामों का प्रयोग किया है।
सुपेला थाना प्रभारी गोपाल बिष्ट ने बताया कि प्रार्थी विनायक सुखात्मे शाखा प्रबंधक केन फिन होम्स लिमिटेड ( प्रायोजक केनरा बैंक) सुपेला भिलाई ने हाउसिंग लोन के संबंध में आरोपीयों दोषपति श्रीधर, दोषपति इंदू व प्रणय साखरे के द्धारा फर्जी रजिस्ट्री दस्तावेज गलत नाम पता बता कर गृह लोन कुल राशि 22 लाख रूपये स्वीकृत कराकर आहरण कर उपयोग कर लेने के संबंध मे थाने मे एक लिखित शिकायत पत्र दिया गया है जिसकी तस्दीक जांच पर उक्त आरोपीगणों के द्धारा कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर गृह ऋण लेना पाया गया है जो अपराध धारा 419,420,467,468,471,120बी ताहि का अपराध घटित होना पाये जाने से अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया है। । बैंक शाखा द्वारा माह अप्रैल वर्ष 2018 में स्वीकृत एवं वितरित एक हाउसिंग ऋण प्रकरण ((लोन खाता क्रमांक - 253201000003) में हाउसिंग ऋण नए मकान खरीदने हेतु क्रमश: एन श्रीनिवास राव एवं एन इंदु को स्वीकृत एवं वितरित किए गए एवं प्रणय साखरे द्वारा ऋण की गारंटी ली गयी। ऋण प्रकरण बैंक के सामान्य हाउसिंग ऋण योजना के तहत दिया गया है । सर्वप्रथम एन श्रीनिवास राव द्वारा हमारी शाखा में आकार खुद को रेल्वे का कर्मचारी बताया गया तथा अपने लिए हाउसिंग ऋण की बात की गई । बैंक शाखा द्वारा ऋण हेतु पात्रता होने पर स्वीकृति की बात कहने पर उन्होने अपने पात्रता संबंधी प्रमाण जैसे फोटो, सैलरी स्लिप, फार्म 16, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेल्वे से जारी कर्मचारी पहचान पत्र आदि प्रस्तुत किया गया। ऋण संबंधित कार्य स्थल एवं निवास स्थल का भी भौतिक परीक्षण कराया गया था। ऋण स्वीकृति से पहले बैंक द्वारा निर्धारित सूचीबद्ध वकील आशुतोष मिश्रा, मोतीबाग चौक, रायपुर से सभी प्रकरणों में विधिक रिपोर्ट 12.04.2018) तथा सूचीबद्ध मूल्यांकनकर्ता श्री मेसर्स राव एवं खान एसोसिएट, घडी चौक, रायपुर से मूल्यांकन रिपोर्ट 16.04.2018 एवं 06.07.2018 प्राप्त किया गया ।इस शाखा द्वारा बैंक के दिशा निर्देशों के अनुसार प्रक्रिया का पालन कराते हुए उपरोक्त ऋण को स्वीकृत तथा उचित दस्तावेजीकरण के उपरांत संवितरित किया गया । 07 अगस्त 2019 इसी बीच सहकर्मी मुकुंद अग्रवाल पिता किशन अग्रवाल निवासी खुर्सीपार 19/03/2020 को दैनिक हिन्दी समाचार पत्र के द्वारा यह ज्ञात हुआ कि फर्जी दस्तावेजों के द्वारा रेल्वे कर्मचारियों के नाम पर विभिन्न बैंको से धोखाधउ़ी की गई है, तथा इसमें एन श्रीनिवास राव, एन इंदु एवं प्रणय साखरे का नाम भी शामिल था । धोखाधडी की आशंका को देखते हुए शाखा प्रबन्धक द्वारा आरोपी ऋणियों के ऑफिस तथा घर के पतों पर सत्यता जानने का प्रयास किया गया । छानबीन करने पर पाया गया कि उपरोक्त ऋणी रेल्वे कर्मी का वास्तविक नाम नहीं है, उन्होने बैंक से ऋण लेने के लिए दूसरे व्यक्ति की पहचान एवं नाम पते का इस्तेमाल किया है और उनके दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर अन्य लोगों ने बैंक ऋण प्राप्त किया है।
दुर्ग / शौर्यपथ / छत्तीसगढी संस्कृति में हर अनुष्ठान और परंपरा का उत्सवधर्मी पक्ष तो है ही, इससे भी बढकर यह अर्थतंत्र को सहेजने और बढाने के लिए प्रेरित है। ऐसे ही सबसे महत्वपूर्ण परंपरा जो ग्रामीण क्षेत्र में मनाई जाती थी, वो रोकाछेका की परंपरा है। खरीफ फसल लगाने से पूर्व सभी गौपालकों की बैठक गांव में ली जाती थी, उन्हें शपथ दिलाई जाती थी कि अपने मवेशी न छोडे, अपने गौठान में ही रखें ताकि फसल सुरक्षित रखे। यह सुंदर परंपरा धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही थी। इस परंपरा के गहरे महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजें जिससे हमारे लिए आर्थिक समृद्धि का भी रास्ता खुल सके।
इस संबंध में मुख्यमंत्री की मंशानुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में रोकाछेका की परंपरा को सहेजने एवं इसे आगे बढाने सभी सरपंचों को कहा गया है। कलेक्टर ने इस संबंध में रोकाछेका की परंपरा का जिक्र करते हुए लिखा है कि नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाडी योजना के अंतर्गत हम लोगों ने पशुधन संवर्धन के लिए गौठान बनाये हैं। चारागाह बनाये हैं। इसका उद्देश्य यह है कि मवेशी फसल खराब न करें। इस तरह सामूहिक गौठान के माध्यम से हमने ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा सिस्टम विकसित कर लिया है ताकि मवेशियों को एक ही जगह पर रखा जा सके, उनके चारे की व्यवस्था की जा सके और पशुधन संवर्धन भी हो सके। रोकाछेका इस प्रयास को दृर करने का एक अवसर हमें प्रदान करता है। कलेक्टर ने कहा कि रोकाछेका रस्म के माध्यम से सभी ग्रामीणों से शपथ दिलाएं कि वे अपने मवेशी गौठान में रखेंगे। रोकाछेका के माध्यम से अतीत में फसल की रक्षा मवेशियों से की जाती थी।
कलेक्टर का पत्र मिलने के पश्चात सभी सरपंचों ने 19 जून को आयोजित होने वाले रोकाछेका कार्यक्रम की तैयारियां शुरू कर दी हैं। ग्राम पतोरा की सरपंच श्रीमती अजिता साहू ने बताया कि रोकाछेका को बढावा देना बहुत अच्छा कार्य है। अगर हम ध्यान नहीं देंगे तो इस तरह की परंपराएं समाप्त हो जाएंगी और फसलों की सामूहिक सुरक्षा के लिए बनाया गया तंत्र भी खत्म हो जाएगा। अब एक बार सबके सामने शपथ लेने के बाद कोई भी अपने मवेशी को नहीं छोड़ पायेगा।
इसलिए दिया जा रहा है इसे बढावा
अगर एनजीजीबी योजना का सार देखें तो यह पशुधन संवर्धन और इसके माध्यम से कृषि के विकास से जुड़ा है। गौठानों में पशुओं को रखकर उनका संवर्धन तो कर ही पाते हैं इससे खडी फसल की रक्षा भी होती है। अगर रोकाछेका की बात करें तो यह एनजीजीबी के विचार को आगे बढाने का सबसे प्रमुख जरिया है। पशुधन को गौठान में सहेज लें, तो वो खडी फसल को नष्ट नहीं करेगा। पशुधन के लिए यदि चारागाह में चारा मिल जाए तो वो खडी फसल की ओर नहीं जाएगा। रोकाछेका में जो सामूहिक शपथ ली जाती है उससे सामुदायिक भावना भी दृर होती है और गांव के लोग मिलकर यह निर्णय करते हैं कि हमारे लिए फसल की सुरक्षा सबसे अहम है।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गड़करी को पत्र लिखकर उनसे छत्तीसगढ़ राज्य में निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्गों में निर्माण कार्यों की गति बढ़ाने और अंबिकापुर-भैसामुड़ा-वाड्रफनगर-धनगांव-बम्हनी-रेनुकुट मार्ग (छत्तीसगढ़ में लम्बाई 110 किलोमीटर) और रायगढ़-धरमजयगढ़ मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 149बी चांपा-कोरबा-कटघोरा मार्ग के उन्नयन एवं चौड़ीकरण कार्य की एन.एच.ए.आई. से शीघ्र स्वीकृति जारी करने का अनुरोध भी किया है। इस मार्ग के संबंध में मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि इस मार्ग के लिए आपके द्वारा स्वीकृति का आश्वासन दिया गया था। यह मार्ग छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी कोरबा को जोड़ता है एवं इस मार्ग पर यातायात घनत्व बहुत अधिक है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए एन.एच.ए.आई. से शीघ्र स्वीकृति जारी कराने का अनुरोध किया है।
राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 रायपुर से धमतरी मार्ग का निर्माण कार्य एन.एच.ए.आई के माध्यम से कराया जा रहा है। कार्य लगभग 2 वर्ष बंद रहने के बाद प्रारंभ किया गया है, परंतु कार्य की प्रगति अत्यंत धीमी है। उन्होंने कार्य की प्रगति बढ़ाने के लिए एन.एच.ए.आई को निर्देशित करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में जानकारी दी है कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 पत्थलगांव से कुनकुरी मार्ग की स्थिति बहुत ही खराब है। यह कार्य 4 वर्ष पूर्व प्रारंभ किया गया था, परंतु 2 वर्ष से अधिक समय से 25 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का यह भाग अत्यंत खराब एवं अधूरा है। अक्टूबर माह में इस संबंध में आग्रह किया गया था, परंतु अक्टूबर से अभी तक सड़क निर्माण की प्रगति अत्यंत धीमी है एवं माह मार्च 2020 से कार्य लगभग बंद है। यह मार्ग छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बाहुल्य जिला जशपुर से गुजरता है एवं झारखण्ड राज्य को जोड़ता है। श्री बघेल ने इस कार्य को शीघ्र पूर्ण कराने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 111 बिलासपुर-पतरापाली-कटघोरा मार्ग एन.एच.डी.पी. फेस-4 योजना में अनुमोदित है। बिलासपुर से पतरापाली के मध्य कार्य प्रगति पर है। परंतु पतरापाली से कटघोरा के मध्य मार्ग की हालत अत्यधिक खराब है एवं मुनगाडीह पुल निर्माणाधीन है। मुनगाडीह नाले पर क्षतिग्रस्त पुल के स्थान पर नये पुल का निर्माण एवं पतरापाली से कटघोरा मार्ग का संधारण कार्य वर्षाऋतु के पूर्व कराना अत्यंत आवश्यक है। श्री बघेल ने केन्द्रीय मंत्री से इसके लिए संबंधितों को निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में उल्लेख किया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 216 रायगढ़-सारंगढ़-सरायपाली मार्ग का निर्माण कार्य मार्च 2015 में प्रारंभ किया गया था। कार्य की प्रगति प्रारंभ से ही धीमी थी। यह कार्य पांच वर्ष के बाद भी अधूरा है। इस परियोजना के अंतर्गत महानदी पर 1.50 किलोमीटर लम्बा सेतु निर्माण एवं 22 किलोमीटर कांक्रीट रोड बनाया जाना शेष है, परंतु अक्टूबर 2019 से कार्य लगभग बंद है एवं पूर्व में किए गए कार्य में आई खामियों को सुधार भी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने उपरोक्त कार्य को शीघ्र पूर्ण कराने हेतु संबंधितों को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने अंबिकापुर-वाड्रफनगर उत्तरप्रदेश सीमा तक मार्ग के संबंध में पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी बाहुल्य जिले में अंबिकापुर-वाड्रफनगर मार्ग की लम्बाई 110 किलोमीटर है। यह मार्ग छत्तीसगढ़ राज्य के अंबिकापुर से बनारस (उत्तर प्रदेश) को जोडऩे वाला अंतर्राज्यीय महत्व का है। अंबिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 पर स्थित है एवं रेनुकुट राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 39 पर स्थित है एवं प्रस्तावित मार्ग पर यातायात घनत्व अधिक है। यह अंतर्राज्यीय मार्ग यातायात की दृष्टि से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने योग्य है। अत: अंबिकापुर-भैसामुड़ा-वाड्रफनगर-धनगांव-बम्हनी-रेनुकुट (छत्तीसगढ़ में लम्बाई 110 किलोमीटर) को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाना चाहिए। इसी तरह उन्होंने रायगढ़-धरमजयगढ़ मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने की मांग करते हुए पत्र में लिखा है कि रायगढ़-धरमजयगढ़ मार्ग की लम्बाई 72 किलोमीटर है। रायगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 200 पर स्थित है एवं धरमजयगढ़ भारतमाला योजना में सम्मिलित मार्ग बिलासपुर-उरगा-धरमजयगढ़-पत्थलगांव पर स्थित है। प्रस्तावित मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 200 को एवं भारतमाला योजना में प्रस्तावित बिलासपुर-उरगा-पत्थलगांव मार्ग को जोडऩे वाला महत्वपूर्ण मार्ग है। इस मार्ग पर यातायात घनत्व बहुत अधिक है एवं यह मार्ग छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी रायगढ़ से प्रारंभ होता है। अत: रायगढ़-धरमजयगढ़ मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री गड़करी से इन कार्यों के संबंध में शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा की है।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / डोंगरगढ़ विधायक भुनेश्वर सिंह बघेल ने कार्य का सुचारू रूप से संचालन के लिए सभी विभागों में ब्लॉकवार अपने प्रतिनिधि के नियुक्ति किये जिसमे राजनांदगाँव ब्लॉक से मुख्य प्रतिनिधि ओमप्रकाश साहू, लोक निर्माण विभाग सौरभ वैष्णव, कीर्तन नागपुरे, सहकारिता बैंक व सोसायटी गिरीश साहू, उत्तम देशलहरा, सिंचाई विभाग भागवत वर्मा, गोपाल साहू, स्वास्थ्य विभाग महेश वर्मा, डा. जयनारायण साहू, शिक्षा विभाग ललित चांदत्तारे, राजेश वर्मा, महिला एवं बाल विकास विभाग हंसा सिन्हा, दामिनी साहू, राजस्व विभाग राजेन्द्र यदु, टीकम यदु, वन विभाग अखिलेश दुबे, नेहरू साहू, कृषि विभाग रतन यादव, शिवकुमार साहू, जनपद पंचायत राजनांदगांव चंद्रेश वर्मा, खनिज विभाग दिलीप वर्मा, गीतालाल वर्मा, मीडिया प्रभारी ओमप्रकाश साहू, गंगाराम वर्मा, पुलिस विभाग घुमका गन्नू वर्मा, ओमप्रकाश साहू, पुलिस विभाग चिखली सफिल खान, गंभीर साहू, पुलिस विभाग लालबाग किशोर वर्मा, बिजली विभाग दिनेश पुराणिक, मंथिर साहू, डोंगरगढ़ विकासखंड में मुख्य प्रतिनिधि मुरली वर्मा, सहकारिता बैंक व सोसायटी फत्तू वर्मा, जगदेव साहू, सिंचाई विभाग गौकरण कोशरे, राजेश सिन्हा, स्वास्थ्य विभाग मधुसूदन सिन्हा, सोहेल खान, महिला एवं बाल विकास विभाग लक्ष्मी वर्मा, आरती वर्मा, लोक निर्माण विभाग राजूलाल वर्मा, गौकरण वर्मा, राजस्व विभाग भूपेन्द्र लिल्हारे, राजेन्द्र श्रीवास, वन विभाग सुरेश सिन्हा, छबिलाल कोसा, कृषि विभाग हेमंत वर्मा, लालाराम वर्मा, जनपद पंचायत डोंगरगढ़ कमलेश्वर वर्मा, खनिज विभाग दीपक वर्मा, उधेराम वर्मा, मीडिया प्रभारी नरोत्तम कुंजाम, वेदप्रकाश राजेकर, पुलिस विभाग डोंगरगढ़ भुनेश्वर साहू, शिशुपाल भारती, पुलिस विभाग मोहारा शत्रुहन साहू, बिजली विभाग उत्तम वर्मा, प्रदीप कुमार वैद, खैरागढ़ विकासखंड मुख्य प्रतिनिधि कोमलदास साहू, सहकारिता बैंक व सोसायटी जगत सेन, रामावतार नेताम, सिंचाई विभाग लीलाधर वर्मा, आनंदी चंदेल, स्वास्थ्य विभाग गौतमचंद जैन, डा. दिनेश सारथी, शिक्षा विभाग देवेश वर्मा, प्रकाश मंडावी, महिला एवं बाल विकास विभाग आरती महोबिया, रेखा रतैने, लोक निर्माण विभाग उधोराम वैष्णव, यादव राम गंधर्व, राजस्व विभाग भीखम सिन्हा, ओम झा, वन विभाग फुदुक राम वर्मा, विक्की छत्री, कृषि विभाग ओमप्रकाश वर्मा, प्रेमलाल कवर, जनपद पंचायत खैरागढ़ देवकांत यदु, खनिज विभाग वेदराम, साबित बंजारे, मीडिया प्रभारी डाकेशवर वर्मा, श्रावण चंदेल, पुलिस विभाग निखिल श्रीवास्तव, दयालु वर्मा ए की नियुक्ति किया गया।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / महापौर श्रीमती हेमासुदेश देशमुख ने शहर के मोहारा वार्ड पहुंची, जहां वे पूर्व निर्धारित पट्टा वितरित कार्यक्रम में शामिल हुई। सादे किंतु गरिमामय वातावरण और मेयर इन कौंसिल के प्रभारी सदस्य गणेश पवार, भागचंद साहू क्षेत्रीय पार्षद श्रीमती सरिता प्रजापति की मौजूदगी में झुग्गी- झोपड़ी में निवासरत् 34 लोगों को छत्तीसगढ़ शासन के राजीव गांधी आश्रय योजना 19 अंर्तगत अधिकार-पत्र (स्थाई पट्टा) का अपने करकमलों द्वारा वितरित किए।
इस अवसर पर श्रीमती सविता मंडावी, नीमा सोनी, कुमारी मंडावी, बुधराम, ओमप्रकाश मिश्रा और कौशल देवांगन आदि ने अपनी प्रतिक्रियाएं कुछ इस तरह से दी कि हम सभी लोग, कांग्रेस सरकार के दुख-सुख के साथी गरीबों के मसीहा छत्तीसगढ़ सरकार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त करतें है, जिन्होंने हम, झोपड़ी में निवासरत् लोगों की चिंता करते हुए जमीन का अधिकार पत्र आज शहर के प्रथम नागरिक महापौर श्रीमती हेमासुदेश देशमुख ने प्रदान किया और पट्टे के माध्यम से हमारे सपनों को पूरा किया। वहीं अपने उदगार में महापौर श्रीमती हेमा सुदेश देशमुख ने कहा कि भूखे को रोटी, प्यासे को पानी और बेघर को छत और उस घर का मालिकाना हक (स्थाई पट्टा) अधिकार पत्र मिल जाये तो सोने पर सुहागा हो जाता है तथा उस इंसान का जीवन धन्य हो जाता है जो उस जमीन पर बने मकान में तो रहता तो है, मगर हमेशा एक चिंता सताए रहती है कि कहीं हमारे बने बनाए मकान को प्रशासन के द्वारा बुलडोजर चलाकर तोड़ न दे इस भय के साये में जीने के लिए मजबूर होना पड़ता था मगर आज आप लोगों के आशियाने का अधिकार पत्र सौंपतें हुए मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि आपके माध्यम से मेरा सपना पूरा हो रहा है, और हम लोग बुलडोजर चलने के भय से मुक्त हो गए।
श्रीमती देशमुख ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद छत्तीसगढ़ की जनप्रिय भूपेश बघेल सरकार द्वारा झुग्गी-झोपड़ी में रहे-रहे लाखों लोगों की सुध लेकर गरीबों की चिंता दूर करते हुए प्रदेश भर में जमीन का अधिकार पत्र सौंपने, राजीव गांधी आश्रम योजना अंर्तगत सर्वे किया गया था, जिसका आज यह परिणाम है कि इस अधिकार पत्र के माध्यम से राज्य के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के लाखों झुग्गी-झोपडिय़ों में निवासरत् परिवारों को नियमानुसार उस मकान का अधिकार पत्र सौंपकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने आपके जमीन का पट्टा देकर आपके सपनों को चार चांद लगा दिये हैं। वहीं प्रदेश सरकार ने और एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि वादें निभाने वाली छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार। इस पट्टा वितरण कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पार्षद प्रतिनिधि अवधेश प्रजापति सहित वार्ड के नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
रायपुर /शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा के 57 लाख सदस्यों, हजारों पदाधिकारीयों और 15 वर्षीय सत्ता में लाभ के पदों पर रहे लोगों को भी पीएम केयर्स फंड पर भरोसा नहीं है। छत्तीसगढ़ में भाजपा द्वारा 57 लाख कथित कार्यकर्ताओं के विशाल संगठन से, केवल 25000 कार्यकर्ताओं द्वारा पीएम केयर्स फंड में दान दीया जाना यह साबित करता है कि भाजपा के लोगों को ही प्रधानमंत्री और उनके द्वारा बनाए गए पीएम केयर्स फंड दोनों पर ही भरोसा नहीं है। यह भी महत्वपूर्ण है कि छत्तीसगढ़ के संसाधनों पर पोषित जिन 25000 कार्यकर्ताओं और छत्तीसगढ़ की जनता द्वारा निर्वाचित सांसदों द्वारा, राज्य के हित को दरकिनार कर जिस पीएम केयर्स फंड में दान किया गया है, उस पीएम केयर्स फंड से राज्य को अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है। छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक एवं खनिज संसाधनों से संचालित उद्योगों,खदानों के सीएसआर का पैसा भी केंद्र सरकार द्वारा दबाव पूर्वक पीएम केयर्स फंड में डलवाया गया है। यह सारा धन किसी न किसी प्रकार से छत्तीसगढ़ के संसाधनों द्वारा अर्जित था, जो अब तक छत्तीसगढ़ के काम नहीं आ सका। साथ ही छत्तीसगढ़ की जनता द्वारा चुने गये 9 लोकसभा सदस्यों और 2 राज्यसभा सदस्यों सांसदों की भी प्राथमिक जिम्मेदारी अपने क्षेत्र की जनता के प्रति है, मगर इन 11 सांसदों ने दलगत राजनीति को छत्तीसगढ़ के हितों से अधिक महत्व दिया।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मजदूरों को ट्रेन से लाने का किराया, क्वॉरेंटाइन सेंटर का संचालन, भोजन, उपचार सब कुछ मुख्यमंत्री सहायता कोष द्वारा की गई है। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों को लगभग 24 करोड़ 50 लाख रू. कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए जारी किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री सहायता कोष के आय-व्यय की पूरी जानकारी पारदर्शिता के साथ जनता के सामने रखी गई है, मगर पीएम केयर्स फंड के आय व्यय की कोई भी जानकारी जनता को अब तक नहीं दी गई है। ले दे के पीएम केयर फंड के आडिट को विपक्ष दबाव के बाद मोदी सरकार ने स्वीकार किया है लेकिन यह अभी तक रहस्य बना हुआ है कि यह आडिट करेगा कौन? जनकल्याण के लिए लिए गये जनधन का सदुपयोग और पारदर्शिता अति आवश्यक है। जनता के पैसे का जनता को हिसाब देने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए, यदि आपकी नियत साफ है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा को तीन सवालों के जवाब देने चाहिये।
१.पीएम केयर्स फंड से छत्तीसगढ़ को अब तक आपदा राहत के लिए किस मद में मदद दी गई है ?
२.पीएम केयर्स फंड से छत्तीसगढ़ को कितनी राशि की मदद की गई
३. और पीएम केयर्स फंड से छत्तीसगढ़ में किसको मदद मिली है ?
प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा और मोदी सरकार की आपदा राहत की पूरी सोच भूख थकान और बदहाली से पीडि़त इंसानों की मदद की नहीं बल्कि मोदी जी के चंद पूंजीपति मित्रों को मुनाफा पहुंचाने और सरकारी कंपनियां सौपने की है। छत्तीसगढ़ की जनता ने भाजपा को लोकसभा चुनाव में नौ सांसद चुन कर दिए लेकिन आपदा काल में ये नेता छत्तीसगढ़ की जनता के प्रति अपने दायित्वों से मुंह चुरा रहे है। छत्तीसगढ़ के खदानों और उद्योगों के सीएसआर फंड का पैसा भी पीएम केयर फंड में भाजपा के नेताओं के द्वारा दबाव पूर्वक डलवाया गया है। मोदी सरकार की विश्वसनीयता संदिग्ध हो चली है और पीएम केयर फंड में अब वित्तीय पारदर्शिता आवश्यक है! छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने प्रदेश के सीएम रिलीफ फंड के आय-व्यय का हिसाब जनता के सामने रख दिया है अब भाजपा के सांसद और नेता यह बतायें कि पीएम केयर फंड से छत्तीसगढ़ को अब तक आपदा राहत के लिए क्या मदद की गयी है? पीएम केयर फंड से छत्तीसगढ़ में कितनी मदद की गयी है? पीएम केयर फंड से छत्तीसगढ़ में किसको मदद मिली है?
भाजपा कार्यकर्ताओं का विवरण जारी करते हुये प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा द्वारा 25000 कार्यकर्ताओं द्वारा पीएम केयर फंड में दान के दावों पर कांग्रेस ने तंज कसा है कि भाजपा कार्यकर्ताओं को भी पीएम केयर फंड में और मोदी जी पर विश्वास नहीं है। 300 मंडल भाजपा के जिनकी कम से कम 12 सदस्यीय कार्यकारणी होती है। भाजपा मंडल कार्यकारिणी को 3600 सदस्य पूरे प्रदेश में है। 27 जिले जिनमें 50 सदस्य जिला कार्यकारणी में है। 1350 जिला कार्यकारणी के सदस्य 300 भाजपा नेता निगम मंडल सहित अन्य लाभ के पदो में प्रति कार्यकाल रहे है। प्रदेश संगठन महिला मोर्चा, भाजयुमों और आनुषंगिक संगठन मिलाकर 10000 से अधिक पद है। 15 वर्षो में 5-5 साल के 3 कार्यकाल में भाजपा ने 30,000 से अधिक पदाधिकारियों को नेता बनाया। भाजपा सदस्य अलग है। प्रदेश संगठन के ही दावों के मुताबिक भाजपा के 57 लाख सदस्य बने थे। इन 57 लाख भाजपा कार्यकताओं में सिर्फ 25000 ने ही पीएम केयर फंड में दान किया। भाजपा तो पैसो वालों की पार्टी है। 15 साल तक पूरे प्रदेश में चले भाजपा नेताओं के कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार, घोटालों को सबने देख।
हेल्थ /शौर्यपथ / कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण लोगों को सामान्य से ज्यादा सोने का समय मिल रहा है। लोग ज्यादातर समय बिस्तर में बिता रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ बासेल द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि लोग 75 फीसदी लोग रोज सामान्य से 15 मिनट ज्यादा सो रहे हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने कहा कि नींद की अवधि बढ़ी है लेकिन नींद की गुणवत्ता में गिरावट आई है। 435 प्रतिभागियों पर 23 मार्च से 26 अप्रैल के बीच शोध किया गया।
सोशल जेटलैग की कमी-
शोधकर्ताओं का मानना है कि नींद की गुणवत्ता खराब होने के पीछे सबसे बड़ा कारण सोशल जेटलैग है। सोशल जेटलैग उस थकान को कहते हैं जो परिवार और दोस्तों के साथ समाज को दिए जाने वाले समय के कारण होती है। लॉकडाउन से पहले लोग सप्ताहांत में ज्यादा सोते थे, लेकिन अब लॉकडाउन में सोशल जेटलैग न होने से लोग ज्यादा सो रहे हैं।
सामाजिक मेल-मिलाप कम होने के कारण लोगों के नींद की गुणवत्ता खराब हो गई है। नींद का बार-बार टूटना, सोकर उठने के बाद भी थकान महसूस होना आदि नींद की गुणवत्ता कम होने के संकेत हैं। कई प्रकार की चिंताओं और आशंकाओं के कारण लोगों की नींद में व्यवधान पैदा हो रहा है।
खाना खजाना /शौर्यपथ / आप अगर मोमोज खाने के शौकीन हैं, तो आपको पनीर टिक्का मोमोज भी ट्राई करने चाहिए। आइए, जानते हैं कैसे बनाएं पनीर टिक्का मोमोज-
सामग्री :
गूंदने के लिए
मैदा- 1 कप ’ नमक- स्वादानुसार ’ पानी- आवश्यकतानुसार
भरावन के लिए
पनीर- 100 ग्राम
फ्रेश क्रीम- 1 चम्मच
तंदूरी मसाला- 1/2 चम्मच
गरम मसाला पाउडर- 1/2 चम्मच ’ जीरा पाउडर- 1/2 चम्मच
लाल मिर्च पाउडर- 1/2 चम्मच
चाट मसाला पाउडर- 1/2 चम्मच ’ नमक- स्वादानुसार
नीबू का रस- 1/2 चम्मच
विधि :
मैदा में नमक मिलाएं और आवश्यकतानुसार पानी की मदद से गूंद कर दो घंटे के लिए ढककर छोड़ दें। पनीर टिक्का वाला भरावन तैयार करने के लिए एक बरतन में पनीर के छोटे-छोटे टुकड़े, क्रीम, तंदूरी मसाला, जीरा पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, चाट मसाला, नमक और नीबू का रस डालकर मिलाएं और 15 मिनट के लिए छोड़ दें। पैन को मध्यम आंच पर गर्म करें और उसमें पनीर टिक्का मसाला डालकर तीन से चार मिनट तक पकाएं। गैस बंद करें और पनीर टिक्का मसाला को ठंडा होने दें। मोमो स्टीमर या इडली स्टीमर में पानी गर्म करने के लिए रख दें। गूंदे हुए मैदे से छोटी-छोटी लोई काटें और उन्हें बेल लें। उनमें एक-एक चम्मच तैयार भरावन डालें और मोमो को बना लें। भरे हुए मोमो को गीले सूती कपड़े से ढक दें ताकि मोमो सूखें नहीं। मोमो स्टीमर पर हल्का-सा तेल लगाएं और उसमें मोमो को रखकर दस से 15 मिनट तक पकाएं। चटनी के साथ गर्मागर्म खिलाएं।
शौर्यपथ / पूरी दुनिया में कहर बरपा रहे कोरोनावायरस का प्रकोप भारत में भी रोज बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि घर-घर में कोरोना पहुंचने लगा है। ऐसे में, बुजुर्गों और श्वांस व हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर के मरीजों को इस घातक वायरस के संक्रमण से बचाने की जरूरत है क्योंकि विशेषज्ञ कहते हैं कि फेफड़ा और दिल के मरीजों को कोरोना का खतरा डबल यानी दोगुना है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोनावायरस फेफड़ा और हृदय को क्षतिग्रस्त करता है, हालांकि राहत की बात है कि भारत में अभी इस वायरस से हृदय के क्षतिग्रस्त होने के ज्यादा मामले नहीं आ रहे हैं।
पद्मभूषण डॉ. नरेश त्रेहन ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “कोविड का संक्रमण मुंह, नाक से ही होकर फेफड़े में फैलता है उसे क्षतिग्रस्त करता है। ऑक्सीजन की कमी होने से रक्तवाहिनी में रक्त का थक्का जमने लगता है।” उन्होंने कहा कि सांस लेने में तकलीफ होने और शरीर में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हो जाती है।
ख्याति प्राप्त हृदय रोग विशेषज्ञ और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने भी बताया कि कोरोनावायरस फेफड़ा और हृदय को क्षतिग्रस्त करता है। हालांकि डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि भारत में अब तक हृदय क्षतिग्रस्त होने के मामले ज्यादा नहीं आ रहे हैं।
डा. अग्रवाल ने कहा, “भारत में कोरोवायरस संक्रमण के जो मामले आ रहे हैं उनमें लॉस ऑफ स्मेल या लॉस ऑफ टेस्ट या फीवर की शिकायतें ज्यादा मिल रही हैं।” मतलब कोरोना के ज्यादातर मरीजों में सूंघने व स्वाद लेने की शक्ति क्षीण होने या बुखार होने की शिकायतें ज्यादा मिल रही हैं।
आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमण का खतरा कितना बड़ा होगा? इस सवाल पर पद्मश्री डॉ. अग्रवाल ने कहा, “घर-घर में कोविड-19 फैल चुका है और जिस तरीके से लगातार फैल रहा है, अब मामले आने वाले दिनों में बढ़ जाएगी, यह चिंता की बात नहीं है, बल्कि इससे कैसे लोगों को बचाना है इस पर ध्यान देने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि यह सीरियस कोविड नहीं है, इसलिए मामले बढ़ भी जाते हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है।
डॉ. त्रेहन ने कहा कि बच्चों से ज्यादा बुजुगोर्ं को कोरोना का खतरा ज्यादा है क्योंकि बुजुगोर्ं में रोगप्रतिरोधी क्षमता कम होती है जबकि बच्चों में ज्यादा।
कोविड-19 सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस-2 (सार्स-सीओवी-2) के संक्रमण से होने वाली बीमारी है जो सबसे पहले चीन के वुहान शहर में फैली, लेकिन अब वैश्विक महामारी का रूप ले चुकी है और पूरी दुनिया में चार लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है और इसके संक्रमण के करीब 8० लाख मामले आ चुके हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोरोनावायरस संक्रमण के 3,32,424 मामले आ चुके हैं जिनमें से 952० लोगों की मौत हो चुकी हैं। आंकड़ों के अनुसार, कोरोना से संक्रमित हुए 169798 लोग स्वस्थ हो चुके हैं जबकि 1531०6 सक्रिय मामले हैं जिनका उपचार चल रहा है।
कोरोनावायरस संक्रमण से रिकवरी को लेकर पूछे गए सवाल पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वैज्ञानिक ने बताया कि रिकवरी इस बात पर निर्भर करती है कि आबादी में किस उम्र वर्ग के लोग ज्यादा हैं, जहां उम्रदराज लोगों की आबादी ज्यादा है वहां रिकवरी की दर कम है और कम उम्र के लोगों की आबादी जहां ज्यादा है वहां रिकवरी की दर अधिक है।
आईसीएमआर के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी), गोरखपुर के निदेशक एवं आईसीएमआर के रिसर्च मैनेजमेंट, पॉलिसी प्लानिंग एंड बायोमेडिकल कम्युनिकेशन प्रमुख डॉ. रजनीकांत श्रीवास्तव ने आईएएनएस से कहा कि कोविड-19 को लेकर घबराने की जरूरत नहीं बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत है।
कोरोना वायरस महामारी के दौरान वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग नकारात्मक विचारों को दूर रखने के लिए खाना पका रहे हैं, व्यायाम कर रहे हैं और पेड़-पौधों की देखभाल जैसे कामों में समय बिता रहे हैं। कई वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि उन्होंने जीवन में अपने खुद के परिजनों से परेशानियां और बुरे बर्ताव को झेला है, लेकिन कोविड-19 के प्रति अत्यंत संवेदनशील होने के जोखिम से उबरने की कोशिश उनकी जिंदगी का एक और कठिन दौर साबित हो रही है।
दुनियाभर में सोमवार को वृद्धजनों से बुरे बर्ताव के खिलाफ जागरुकता का दिवस मनाया जाएगा और इस बीच वृद्धाश्रमों में रहने वाले अनेक बुजुर्ग बता रहे हैं कि किस तरह वे कोरोना वायरस के संकट से निपट रहे हैं। दिल्ली के 'मान का तिलक वृद्धाश्रम में रहने वाली निर्मला आंटी, जिस नाम से वह अपने साथियों के बीच पहचान रखती हैं, खुद को खाना पकाने में व्यस्त रखती हैं।
65 साल की निर्मला आंटी ने कहा, ''मुझे खाना बनाना पसंद है और मैं रसोई में नियमित रूप से समय बिताती हूं। अगर बहुत गर्मी नहीं पड़ रही हो तो मैं बाहर बगीचे में बैठती हूं और सब्जियां काटने में मदद करती हूं। उन्होंने कहा, ''व्यस्त रहने से वो सारी नकारात्मक बातें दूर रहती हैं जो कभी-कभी मेरे मन में आ जाती हैं।
वृद्धाश्रम में रहने वाले वरिष्ठ नागरिक सैम खुद को सेहतमंद रखने के लिए कसरत करते हैं। 75 वर्षीय बुजुर्ग ने बताया, ''मैं खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए रोजाना व्यायाम और योग करता हूं। यहां रहने वाले सारे लोग सुबह मेरे साथ योग में शामिल होते हैं। उन्होंने कहा, ''हम बाद में कुछ मिनट का ध्यान करते हैं। इससे सब तरोताजा हो जाते हैं।
71 वर्ष के मदन वृद्धाश्रम की देखभाल करने वाले सहायकों के बच्चों को पढ़ाने में मदद करते हैं और उनके साथ लूडो तथा कैरम जैसे गेम खेलते हैं। गायत्री (₨67)को भजन सुनना पसंद है। वह कहती हैं, ''भजनों से मुझे बहुत शांति मिलती है और मन में कोई डर हो तो शांत हो जाता है। मैं किचन गार्डन की भी देखभाल करती हूं। हम यहां बहुत सारी सब्जियां उगाते हैं। मुझे इस बात का बहुत गर्व होता है कि हम जो चीजें उगाते हैं, उनसे खाने की कई सारी चीजें बनाते हैं।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक वृद्धाश्रम में रहने वाली शबनम (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि उन्होंने बेकरी का काम करना शुरू किया है ताकि मन लगा रहे। उन्होंने कहा, ''मुझे इसका बचपन से शौक था। हमारी एक बेकरी थी जिसमें मैं अपनी मां के साथ केक और पेस्ट्री बनाती थी। शादी के बाद मैं यह काम नहीं कर सकी।
72 साल की शबनम ने कहा कि महामारी के बीच तनाव और बेचैनी रहने के कारण इस वक्त यह काम करना सबसे मुफीद है। उन्होंने कहा, ''लॉकडाउन के बाद से मेरे बच्चों तक ने मुझसे मुलाकात नहीं की है। इसलिए कोई उम्मीद करना बेकार है। अब मैं यहां रहने वाले दूसरे लोगों के लिए कुकीज और केक बना रही हूं। उन्होंने कहा, ''अब मुझे जन्मदिन के केक बनाने के ऑर्डर भी मिलने लगे हैं।
67 साल की फरजाना (बदला हुआ नाम) इस वक्त में अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं। उन्होंने कहा, ''मैं हर सुबह लहसुन की गांठ खाती हूं और तेज-तेज टहलती हूं। मैं अपने कॉलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए केवल सेहतमंद खाना खाती हूं।
'विशिस एंड ब्लेसिंग्स एनजीओ तथा 'मान का तिलक वृद्धाश्रम की संस्थापक अध्यक्ष गीतांजलि चोपड़ा ने कहा कि यहां रहने वाले लोगों को उनकी उम्र और स्थिति के कारण वायरस का जोखिम बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, ''कई लोग हमारे पास तब आते हैं जब बहुत कमजोर हो जाते हैं। हम नियमित देखभाल और ध्यान देकर उनकी सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की कोशिश करते हैं।
धर्म संसार / शौर्यपथ / श्रीकृष्ण अकेले ही अखाड़े में उतर जाते हैं। कंस यह देखकर मुस्कुरा देता है। एक पहलवान श्रीकृष्ण के हाथ पकड़ लेता है तो कृष्ण उसे उठाकर नीचे पटक देते हैं। यह देखकर दूसरा पहलवान कृष्ण की ओर लपकता है और उनसे युद्ध करने लगता है। यह देखकर बलरामजी भी अखाड़े में उतरकर पहलवानों से युद्ध करने लगते हैं। फिर दोनों भाई मिलकर चार में से दोनों पहलवानों को उठा-उठाकर पटकने लगते हैं। यह देखकर नंदबाबा और अक्रूरजी सहित सभी जनता में हर्ष व्याप्त हो जाता है। कृष्ण और बलराम दोनों पहलवानों का वध कर देते हैं। कंस और चाणूर ये देखकर घबरा जाते हैं।
यह देखकर दूसरे दो बचे पहलवान भी हमला कर देते हैं। दोनों भाई मिलकर उन दोनों पहलवानों का भी वध कर देते हैं। फिर कृष्ण क्रोधित होकर कंस की ओर देखते हैं। दोनों भाई मिलकर चारों का वध करके अखाड़े में छाती तानकर खड़े हो जाते हैं।
यह देखकर कंस खड़ा होकर अपने सैनिकों से कहता है देखते क्या हो। इन दोनों के टूकड़े-टूकड़े कर दो। यह सुन और देखकर अक्रूजी हरहर महादेव कहते हुए अपनी तलवार निकाल कर लहराते हैं। वहां अफरा-तफरी मच जाती है। युद्ध शुरू हो जाता है। यह देखकर श्रीकृष्ण दौड़ते हुए कंस के पास पहुंच जाते हैं और उसे ललकारते हैं।
उधर, बलरामजी चाणूर से युद्ध करने लग जाते हैं। मंच के नीचे सभी यादव वीर कंस के सैनिकों से युद्ध करते रहते हैं।
कंस कहता है अच्छा हुआ तू स्वयं ही मेरे सामने आ गया। तब श्रीकृष्ण कहते हैं हम तो सदा से तेरे सामने थे कंस, केवल तुमने हमें पहचाना नहीं। हमनें तुझे बार-बार अपनी शरण में आने का अवसर प्रदान किया। अब तेरे पापों का घड़ा भर गया है कंस। ये तेरा अंतिम समय है। अभ भी फेंक दें अपनी ये खड़ग और हमारी शरण में आ जा। हम तुझे क्षमा कर देंगे कंस। यह सुनकर कंस कहता है, मूर्ख बालक कंस मर सकता है मगर झुक नहीं सकता।
यह सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं अच्छी बात है तो अब मृत्यु के लिए तैयार हो जाओ कंस।..इसके बाद श्रीकृष्ण पर वह खड़ग से वार करता है तो कृष्ण उसकी खड़ग पकड़कर उसके हाथ से छुड़ाकर उसे दूर फेंक देते हैं। उसका मुकुट भी गिर पड़ता है। फिर श्रीकृष्ण कंस को मारते और पटकते हुए मंच के नीचे ले जाते हैं। नीचे वे उसकी छाती पर चढ़कर उस पर मुक्के से वार करते हैं। फिर वे उसे पकड़कर उठाते हैं और मारते हुए अखाड़े के बीचोंबीच ले आते हैं। इस बीच अक्रूरजी के हाथों कंस के कई सैनिक और सैन्य प्रधान मारे जाते हैं और दूसरी ओर बलरामजी चाणूर का वध कर देते हैं।
अखाड़े में कंस को श्रीकृष्ण पटक-पटक कर मारते हैं और फिर उसे हवा में उछाल देते हैं। सभी ये दृश्य देखने लग जाते हैं और युद्ध रुक जाता है। लहूलुहान कंस उछलता हुए मंच की सीढ़ियों पर जा गिरता है। श्रीकृष्ण दौड़ते हुए वहां पहुंचते हैं और फिर अपनी दोनों मुठ्ठी बंद करके उसकी छाती पर वार करते हैं। कंस के मुंह से रक्त बहने लगता है और वह फिर श्रीकृष्ण को देखने लगता है तो उसे भगवान विष्णु नजर आते हैं और तभी वह अपने प्राण छोड़ देता है।
यह दृश्य देखकर सभी अचंभित और हर्षित हो जाते हैं। कुछ देर तक सन्नाटा छा जाता है। सभी श्रीकृष्ण की ओर हाथ जोड़े खड़े हो जाते हैं। आकाश में नृत्यगान प्रारंभ हो जाता है। फिर कंस की आत्मा निकलकर श्रीकृष्ण के चरणों में समा जाती है। देवता लोग श्रीकृष्ण पर फूल बरसाते हैं।
फिर नगर में श्रीकृष्ण का भव्य स्वागत होता है और उनकी जय जयकार होती है। सभी और गुंजने लगता है राजकुमार कृष्ण की जय, राजकुमार कृष्ण की जय। यह गुंज कारागार में बैठे देवकी और वसुदेव को सुनाई देती है तो उनके मन में प्रसन्नता छा जाती है। वे सुनते हैं कि ये गुंज हमारी नजदीक आ रही है। एकदम कारागार के नजदीक। कारागार के द्वार खुल जाते हैं सभी सैनिक कृष्ण और बलराम के समक्ष झुक जाते हैं।
श्रीकृष्ण कारागार में प्रवेश करते हैं तो सभी सैनिक उनकी जय-जयकार करते हुए भूमि पर लेट जाते हैं। सभी को आशीर्वाद देते हुए कृष्ण आगे बढ़ते हैं। देवकी और वसुदेवजी ये जयकार सुनकर अपने हृदय पर हाथ रखकर प्रसन्नचित होने लगते हैं। अंत में श्रीकृष्ण आशीर्वाद मुद्रा में उस कक्ष के द्वार पर पहुंचते हैं जहां देवकी और वसुदेवजी कैद रहते हैं। एक सैनिक उनके द्वार पर पहुंचने के पहले ही द्वार खोलता है तो देवकी और वसुदेवजी उठ खड़े होते हैं और द्वार की ओर देखने लगते हैं।
जैसे ही श्रीकृष्ण भीतर प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले दोनों की आंखें हर्षित हो श्रीकृष्ण के चरणों पर पड़ती है और फिर उनकी नजरें ऊपर उठते हुए श्रीकृष्ण के मुखमंडल पर पहुंच जाती है।
देवकी उन्हें देखकर रोने लगती हैं। श्रीकृष्ण की आंखों में भी आंसू झलक पड़ते हैं। वसुदेवजी भी खुशी से रोने लगते हैं। दोनों के हाथ और पैरों में बंधी हथकड़ी को देखकर बलराम और श्रीकृष्ण की आंखों में से आंसू झरझर बहने लगते हैं। देवकी उनको गले लगाने के लिए दोनों हाथ फैलाती हैं लेकिन श्रीकृष्ण रोते हुए उनके चरणों में गिर पड़ते हैं और उनके चरण पकड़ लेते हैं।
फिर देवकी उन्हें उठाती है तो वे घुटनों के बल हाथ जोड़कर खड़े होते हैं और फिर नंदबाब की ओर देखते हुए उनके चरणों में लेटे जाते हैं। उधर फिर देवकी बलराम को देखकर उसे बुलाती है तो बलरामजी भी आकर उनके चरणों में गिर जाते हैं। फिर श्रीकृष्ण माता के गले लगते हैं तो उधर बलरामजी वसुदेवजी के चरणों में नमन करते हैं। बलरामजी को वसुदेवजी गले लगा लेते हैं।
फिर श्रीकृष्ण हाथ जोड़कर कहते हैं कि मेरे कारण आप दोनों ने कितने दु:ख उठाए, इसके लिए मुझे क्षमा करना मैया। मुझे क्षमा करना पिताश्री। मैं इतने वर्षों तक आपकी कोई सेवा नहीं कर सका। लोग पुत्र पाते हैं तो बाल्यावस्था से लेकर किशोरावस्था तक उसकी बाल्य लीला का आनंद प्राप्त करते हैं। परंतु मेरी विवशता ने मुझे आपके चरणों से दूर कर दिया था। इसलिए मैं तो आपको वो सुख भी न दे सका। परंतु मैं भी तो तेरे लाड़-प्यार से वंचित रह गया मैया। मेरी भी बहुत हानि हुई है। यह सुनकर वसुदेवजी कहते हैं इसका दोषी मैं हूं पुत्र। मैं ही तुझे यहां से उठाकर दूसरे स्थान पर छोड़ आया। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि ये तो माया की विधान था जिसके कारण आपको पुत्र सुख का भी बलिदान करना पड़ा। वास्तव में दोषी तो मैं हूं जो इतने वर्षों तक अपने पुत्र धर्म को न निभा सका। उसके लिए आप हमें क्षमा कर देना। यह सुनकर वसुदेवजी कहते हैं क्षमा कैसे, अरे पुत्र रूप में तुम्हें पाकर तो हमारा ये जीवन धन्य हो गया।
तभी वहां अक्रूरजी और नंदबाबा पहुंच जाते हैं। वसुदेवजी उन्हें देखकर प्रसन्न हो जाते हैं। नंदबाबा और वसुदेवजी दोनों गले मिलते हैं। फिर नंदबाबा देवकी मैया को प्राणाम करते हुए कहते हैं, देवकी भाभी और कुमार वसुदेव आज, आज मैं आपको आपकी दोनों धरोहरें आपको सौंप रहा हूं। मुझे केवल इतना कहना है यदि इन दोनों के लालन-पालन में हमसे कोई भूल हो गई हो तो गांववाला समझकर हमें क्षमा कर देना।
यह सुनकर वसुदेवजी की आंखों में आंसू आ जाते हैं और देवकी माता कहती हैं, ये आप क्या कह रहे हैं नंद भैया। आपने इन दोनों की रक्षा करके जो कार्य किया है उसका ऋण हम जीवनभर नहीं उतार सकते। फिर नंदबाबा कहते हैं कि आते समय यशोदा ने मुझसे कहा कि था कि देवकी भाभी से कहना कि आपके लाल कि एक धाय समझकर उसकी सारी भूलों को क्षमा कर देना। यह सुनकर वसुदेवजी फिर से रोने लगते हैं। तब देवकी कहती हैं नहीं भैया, यशोदा धाय नहीं हैं। इतिहास में युगों तक लोग यशोदा को ही कृष्ण की मां कहेंगे। वही मेरे कृष्ण की असली मां है और सदा रहेगी। यह सुनकर श्रीकृष्ण की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
फिर अक्रूरजी सैनिकों से कहते हैं कि इनकी बेड़ियां काट दो। सैनिक वसुदेवकी बेड़ियां काटने लगते हैं। फिर बताया जाता है कि श्रीकृष्ण उस जगह पहुंचते हैं जहां कंस के पिता उग्रसेनजी कैद रहते हैं। उग्रसेन भी गले से लेकर पैरों तक हथकड़ियों से बंधे होते हैं। वे वहां पहुंचकर उग्रसेन को प्रणाम करके कहते हैं नानाश्री! मेरा प्रणाम स्वीकार करें। तब उग्रसेन पूछते हैं कौन हो तुम? तब श्रीकृष्ण कहते हैं, मैं देवकी माता और वसुदेवजी का पुत्र कृष्ण हूं। यह सुनकर उग्रसेनजी प्रसन्नता से उठते हैं और कृष्ण के चेहरे को हाथ लगाकर कहते हैं देवकी का पुत्र? मेरी देवकी का पुत्र? कृष्ण हां में गर्दन हिला देते हैं।
फिर उग्रसेनजी कहते हैं, नहीं उसका कोई भी पुत्र जीवित नहीं है। एक-एक करके कंस ने सभी को मार दिया है। तभी वहां बलराम के साथ अक्रूरजी आ जाते हैं और कहते हैं परंतु महाराज वह इसे नहीं मार सका। फिर अक्रूरजी हाथ जोड़ते हुए पास आकर कहते हैं, महाराज ये वही देवकी का आठवां पुत्र है जिसके लिए कंस को आकाशवाणी ने चेतावनी दी थी। और वह भविष्यवाणी आज सत्य हो गई। महाराज सत्य हो गई। यह सुनकर उग्रसेनजी आश्चर्य चकित होकर कहते हैं, सत्य हो गई, क्या कंस मारा गया?
तब अक्रूरजी कहते हैं हां महाराज। तब उग्रसेनजी क्रोधित होकर कहते हैं किसने मारा उसे? अक्रूरजी कहते हैं राजकुमार कृष्ण ने। उग्रसेनजी कहते हैं कृष्ण ने? क्या कृष्ण ने उसे मार दिया? अक्रूरजी कहते हैं हां महाराज। यह सुनकर उग्रसेनजी कहते हैं नहीं, ये ठीक नहीं हुआ। ये तुमने क्या किया कृष्ण, ये तुमने क्या किया। उसे मारकर तुमने मुझे मेरे अधिकार से वंचित कर दिया। उसे मृत्युदंड देने का अधिकार केवल मेरा था मेरा। ऐसे महापापी को जन्म देने का पाप मैंने किया था। उसका प्रायश्चित ये था कि उसकी हत्या मैं अपने हाथों से करता। इसी संकल्प को लेकर तो मैं इस घोर अंधकार में जीता रहा हूं। ऐसे जघन्य पापी को मारकर मुझे मुक्ति तो मिल जाती। यह कहकर वे रोने लगते हैं।
तब श्रीकृष्ण कहते हैं, नानाश्री वास्तव में वह आप ही का मनोबल था जिसकी शक्ति के कारण मैं उसे मार सका। वर्ना मैं एक छोटासा बालक, मुझमें इतनी शक्ति कहां थी नानाश्री। यह सुनकर उग्रसेनजी प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण के सिर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं, हां बेटा तेरी रगों में हमारे वंश का रक्त बह रहा है। इसीलिए तुने मेरा कर्तव्य पूरा किया। हमारे वंश ने कभी किसी पापी को क्षमा नहीं किया। तू भी ये बात सदा याद रखना। कंस को मारने के बाद नीति अनुसार अब उसके सिंघासन पर तेरा अधिकार है। राजा बनने के बाद यह बात हमेशा याद रखना की कंस की भांति सभी हत्यारे को कभी क्षमा न करना बेटा।
यह सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं परंतु मैं तो उस सिंघासन पर नहीं बैठूंगा नानाश्री। उस सिंघासन पर तो आपका अधिकार है। मथुरा के राजा महाराज उग्रसेन थे, हैं और महाराज उग्रसेन ही मथुरा के राजा रहेंगे। हम तो केवल दासों की भांति आपकी सेवा करते रहेंगे महाराज। यह सुनकर उग्रसेन आंखों में आंसूभरकर प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण के सिर पर हाथ रख देते हैं। अक्रूरजी भी यह सुनकर हाथ जोड़कर रोने लगते हैं। बलरामजी भी श्रीकृष्ण को नमस्कार करके मन ही मन अपने प्रभु को धन्य मानते हैं। द्वार पर खड़े सभी सैनिक महाराज उग्रसेन की जय-जयकार करने लगते हैं।
फिर से महाराज उग्रसेन को राज सिंघासन पर बिठाकर महर्षि गर्ग मुनि उनका अभिषेक करते हैं। सभा में देवकी, वसुदेव, अक्रूजी, नंदबाबा, श्रीकृष्ण, बलराम आदि सभी जन उपस्थित रहते हैं और राज्य में उत्सव प्रारंभ हो जाता है। जय श्रीकृष्णा ।
मेरी कहानी / शौर्यपथ / वह रक्त में कुछ खोज रहे थे। दिन-रात रक्त चिंतन करते अध्ययन की गहराई में उतर गए थे। जानते थे कि रक्त में कुछ है, लेकिन बहुत गौर करने पर भी सिवाय उसकी लालिमा के कुछ भी पल्ले नहीं पड़ता था। प्रयोगशाला में सैकड़ों नमूने जुटा लिए, सब रक्त एक समान लाल ही तो हैं, तो फिर ऐसा क्यों होता है कि किसी के शरीर में रक्त जाकर कामयाब हो जाता है और किसी की मौत हो जाती है। खून समान है, तो फिर क्यों होती है मौत? 32 की उम्र थी, लेकिन हजारों पोस्टमार्टम कर चुके थे, हर जगह यही खोज रहती थी कि आखिर रक्त का रहस्य क्या है? वह रह-रहकर बेचैन हो जाते, देर तक माइक्रोस्कोप के जरिए रक्त में झांकते रहते थे। उन दिनों ईसा का कैलेंडर बीसवीं सदी की दहलीज पर पहुंच चुका था। इंसानी सभ्यता को आगे बढ़ते इतनी सदियां बीत गई थीं, लेकिन लोग तब भी यही मानते थे कि इंसानों का खून दो तरह का होता है- अच्छा खून और गंदा खून। अच्छा खून निरोग रखता है, बेहतर इंसान गढ़ता है और गंदा खून बीमार कर डालता है, दुर्जन बनाता है। अच्छे लोगों में अच्छा खून और बुरे लोगों में गंदा खून रहता है, पर यह एक ऐसी सतही दलील थी, जो डॉक्टर को पचती नहीं थी। अत: यह जरूरी था कि रक्त को ढंग से पकड़कर उसका सही पता पूछा जाए।
और वो लम्हा आया, जब उन्होंने रक्त को नए नजरिये से कसौटी पर कसना शुरू किया। साल 1900 चल रहा था। जांचते-परखते एक दिन प्रयोगशाला में रक्त का राज खुलना शुरू हुआ। कमाल हो गया। ‘क’ लाल कोशिकाओं को ‘ख’ रक्त सेरम (रक्तोद) बूंदों से मिलाया, तो तत्काल रक्तकण एक-दूसरे से गुत्थमगुत्था हो गए, परस्पर दो-दो हाथ कर बैठे। रक्त के थक्के या गुच्छे बन गए, उनकी सहजता खत्म हो गई। दूसरी ओर, जब ‘क’ लाल कणों के साथ ‘ग’ सेरम बूंदों को मिलाया, तो दोनों ऐसे मिले, मानो कभी जुदा न थे।
डॉक्टर ने इस प्रयोग को दर्ज किया और सेहत की दुनिया में कायापलट के संकेत मिल गए। लेकिन साथियों ने कहा कि रक्त कणों का गुत्थमगुत्था होना किसी रोग का लक्षण है। जिससे रक्त लिया गया है, उसे कोई रोग होगा। फिर चुनौती मिली, तो डॉक्टर ने सेहतमंद लोगों के नमूने जुटाने शुरू किए। रक्त से रक्त का मेल कराने-जांचने का जुनून फिर प्रयोगशाला में नुमाया हुआ। फिर वही बात सामने आई, कुछ रक्त मिले, तो लड़कर खुद को ही बर्बाद कर गए और कुछ मिले, तो एक-दूजे के हो गए। नतीजे कड़ी-दर-कड़ी जुड़ते गए। बीमारी से थक्कों का कोई लेना-देना नहीं। जो रक्त परस्पर मिल नहीं रहे, वे लड़कर नष्ट हो जा रहे हैं। जो मिल रहे हैं, वे एक समान हैं। मतलब, सबका रक्त एक जैसा नहीं है। इन नतीजों से ही एक प्रश्न फूटा, तो फिर रक्त के कितने प्रकार हैं?
रक्त के रहस्य के पीछे जुनूनी डॉक्टर साहब फिर जुट गए। सैकड़ों नमूनों की जांच की, माइक्रोस्कोप में डाला और घंटों निहारा, परखा, दर्ज किया। सफलता पुकारने लगी, तो पूरी टीम को लगा दिया और दुनिया को बताया कि तीन तरह के रक्त समूह हैं- ए, बी और सी (बाद में सी ही ओ कहलाया)। अगले साल एक और नया रक्त समूह ‘एबी’ हाथ लग गया। डॉक्टर ने रक्त के मिलान या आदान-प्रदान का एक चार्ट बना दिया कि कौन-सा रक्त किससे मिल सकता है। रक्त का पूरा सच जान लेने का जुनून ऐसा था कि अभी भी संतोष न था, रक्त के मेल में समस्याएं आ ही रही थीं, तो समाधान के लिए एक अन्य वैज्ञानिक के साथ मिलकर आरएच फैक्टर की खोज हुई। रक्त का माइनस और प्लस तय हुआ। दुनिया शोध के स्तर पर जान गई कि आठ प्रकार के रक्त चार समूहों में होते हैं।
रोग प्रतिरक्षा विज्ञान के महारथी डॉक्टर कार्ल लेंड्सटेनर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। पोलियो वायरस की खोज सहित अनेक आविष्कारों में उनका अतुलनीय योगदान है। अपराध विज्ञान को भी उन्होंने सशक्त किया। उन्होंने बताया कि किसी भी सूखे रक्त की जांच से भी उसका समूह व प्रकार बताया जा सकता है, जिससे पीड़ित या अपराधी की पहचान में सुविधा हो सकती है।
डॉक्टर कार्ल लगातार रक्त के रहस्य को खोलते रहे। उनके आविष्कार की वजह से आगे चलकर रक्तदान के तौर-तरीके पुख्ता हुए। ब्लड बैंक की स्थापना संभव हुई। प्रथम विश्व युद्ध जब छिड़ा, तो हजारों सैनिक कार्ल की खोज की वजह से ही रक्तदान का लाभ लेकर सकुशल घर लौटे। उन्हें 1930 में नोबेल से सम्मानित किया गया। शोध के लिए खुद को समर्पित कर देने वाले इस महान डॉक्टर के जन्मदिन 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। बताते हैं कि जब उनकी मौत हुई, तब भी उनकी उंगलियों में एक परखनली थी। शायद दुनिया से जाते हुए भी वह रक्त में देख लेना चाहते थे और कुछ।
प्रस्तुति : ज्ञानेश उपाध्याय कार्ल लेंड्सटेनर नोबेल से सम्मानित डॉक्टर
नजरिया / शौर्यपथ / ‘जान है, तो जहान है’ से होते हुए हमारी लड़ाई अब ‘जान भी, जहान भी’ तक पहुंच गई है। कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं एकजुट होकर जो काम कर रही हैं, वह अपने आप में प्रशंसनीय है। ऐसे में, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् यानी आईसीएमआर की भूमिका स्वत: महत्वपूर्ण हो गई है। यह संस्था अपनी पूरी शक्ति से इस प्रयास में लगी हुई है कि जल्द से जल्द इस महामारी से निजात पाई जा सके। शुरुआत में वायरस संक्रमण पूरी तरह काबू में था, मगर लॉकडाउन खुलने की वजह से मामलों में वृद्धि हो गई। लॉकडाउन का एक मकसद यह भी था कि दूरदराज के इलाकों में चिकित्सा और जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। लिहाजा, अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाई गईं, जरूरी उपकरणों और ऑक्सीजन का इंतजाम किया गया। विभिन्न इलाकों में आइसोलेशन और क्वारंटीन की व्यवस्था की गई। इन सबसे संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली। मगर, सच यह भी है कि कोरोना ने गांव, गरीब और मजदूरों को सबसे अधिक प्रभावित किया है, जिसके कारण प्रवासियों का जो पलायन शुरू हुआ, उसमें कामगार, श्रमिकों की संख्या काफी अधिक रही। प्रवासियों के कारण संक्रमण का दायरा और संक्रमितों की संख्या, दोनों ही बढ़े। ऐसे में, यह जरूरी था कि देश के हर शहर में कोरोना का टेस्ट हो।
हालात की गंभीरता का संज्ञान लेकर ही प्रधानमंत्री ने शीघ्र फैसला लेते हुए एक के बाद एक राहत पैकेज की न केवल घोषणा की, बल्कि उन्हें हकीकत की जमीन पर उतारा भी। केंद्र के राहत अभियान को राज्य सरकारों ने अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मसलन, उत्तर प्रदेश में, जो आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है, एक लाख बेड तैयार कर लिए गए हैं। मार्च की शुरुआत में वहां मात्र एक लेबोरेटरी थी, जो आज बढ़कर 33 हो गई हैं और जिनको आईसीएमआर की देख-रेख में संचालित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में अब हर रोज 15 हजार से भी अधिक टेस्ट हो रहे हैं, जिनको जून के अंत तक 20 हजार प्रतिदिन कर लिया जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार ने भी इन योजनाओं को एक अभियान का रूप देकर कोरोना के खिलाफ जंग में अपना अहम योगदान दिया है। आज की तारीख में देश भर में 50 लाख से अधिक लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है और अब प्रतिदिन करीब 1.40 लाख लोगों की जांच की जा रही है।
आईसीएमआर ने कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ने के लिए देश को मजबूत बनाया है। देश के सुदूर इलाकों तक कोरोना टेस्टिंग लैब की स्थापना की गई है। लेह में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कोरोना टेस्टिंग लैब की स्थापना करके आईसीएमआर ने अपनी कार्य-क्षमता का बेहतर नमूना पेश किया है। इस संस्था ने देश में अब तक 877 कोरोना टेस्टिंग लैब की स्थापना की है, जिनमें वे इलाके भी शामिल हैं, जहां पर यात्रा करना भी कठिन है। हर जिले में कोरोना टेस्टिंग लैब स्थापित किए जाने के लक्ष्य को आईसीएमआर का साथ मिलने से प्रदेश स्तर पर टेस्टिंग क्षमता में विस्तार हुआ है। हालांकि, मीडिया में कुछ ऐसी खबरें भी हैं कि लोगों में आरटी-पीसीआर और एलाइजा टेस्ट को लेकर भ्रांतियां हैं। एलाइजा टेस्ट दरअसल जांच के लिए नहीं, बल्कि सर्वे के लिए है। यह सर्वे इस बात के लिए किया जा रहा है कि किसी समुदाय या किसी क्षेत्र में किस हद तक बीमारी फैल चुकी है, या 15 दिन पहले तक कितनी बीमारी फैली थी। एलाइजा टेस्ट शरीर में एंटीबॉडी की जांच करता है। जिनका यह टेस्ट पॉजिटिव होता है, उनके बारे में यह कह सकते हैं कि वह व्यक्ति बीमार हुआ था, पर उसके दूसरी बार बीमार होने की आशंका नहीं है। और जो आरटी-पीसीआर टेस्ट है, वह काफी संवेदनशील है। हमने सभी परीक्षणशालाओं को दिशा-निर्देश जारी किए हैं, और उन्हीं के हिसाब से देश भर में टेस्ट हो रहे हैं।
जाहिर है, टेस्टिंग के लिए लेबोरेटरी तैयार करने में आईसीएमआर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इस संस्था द्वारा प्लाज्मा थेरेपी, दवा आदि पर भी शोध किए जा रहे हैं। दवा की खोज के लिए भी हम प्रयासरत हैं। हमने वायरस को आइसोलेट करके वैक्सीन पर काम शुरू कर दिया है। बीमारी से लड़ने का काम हर स्तर पर हो रहा है और हमें लगातार इसमें सफलता भी मिल रही है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं) बलराम भार्गव, महानिदेशक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्