May 19, 2024
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आस्था /शौर्यपथ / त्रिपुर भैरवी की उपासना से सभी बंधन दूर हो जाते हैं। यह बंदीछोड़ माता है। भैरवी के नाना प्रकार के भेद बताए गए हैं जो इस प्रकार हैं त्रिपुरा भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, नित्याभैरवी, रुद्रभैरवी, भद्र भैरवी तथा षटकुटा भैरवी आदि। त्रिपुरा भैरवी ऊर्ध्वान्वय की देवता हैं।
1. माता की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। इन्हें षोडशी भी कहा जाता है। षोडशी को श्रीविद्या भी माना जाता है।
2. यह साधक को युक्ति और मुक्ति दोनों ही प्रदान करती है। इसकी साधना से षोडश कला निपुण सन्तान की प्राप्ति होती है। जल, थल और नभ में उसका वर्चस्व कायम होता है। आजीविका और व्यापार में इतनी वृद्धि होती है कि व्यक्ति संसार भर में धन श्रेष्ठ यानि सर्वाधिक धनी बनकर सुख भोग करता है।
3. जीवन में काम, सौभाग्य और शारीरिक सुख के साथ आरोग्य सिद्धि के लिए इस देवी की आराधना की जाती है। इसकी साधना से धन सम्पदा की प्राप्ति होती है, मनोवांछित वर या कन्या से विवाह होता है। षोडशी का भक्त कभी दुखी नहीं रहता है।
4. त्रिपुर भैरवी का मंत्र : मुंगे की माला से पंद्रह माला 'ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:' मंत्र का जाप कर सकते हैं। जाप के नियम किसी जानकार से पूछें।
देवी कथा : नारद-पाञ्चरात्र के अनुसार एक बार जब देवी काली के मन में आया कि वह पुनः अपना गौर वर्ण प्राप्त कर लें तो यह सोचकर देवी अन्तर्धान हो जाती हैं। भगवान शिव जब देवी को को अपने समक्ष नहीं पाते तो व्याकुल हो जाते हैं और उन्हें ढूंढने का प्रयास करते हैं। शिवजी, महर्षि नारदजी से देवी के विषय में पूछते हैं तब नारदजी उन्हें देवी का बोध कराते हैं वह कहते हैं कि शक्ति के दर्शन आपको सुमेरु के उत्तर में हो सकते हैं। वहीं देवी की प्रत्यक्ष उपस्थित होने की बात संभव हो सकेगी। तब भोले शिवजी की आज्ञानुसार नारदजी देवी को खोजने के लिए वहां जाते हैं। महर्षि नारदजी जब वहां पहुंचते हैं तो देवी से शिवजी के साथ विवाह का प्रस्ताव रखते हैं यह प्रस्ताव सुनकर देवी क्रुद्ध हो जाती हैं और उनकी देह से एक अन्य षोडशी विग्रह प्रकट होता है और इस प्रकार उससे छाया विग्रह 'त्रिपुर-भैरवी' का प्राकट्य होता है।

खाना खजाना /शौर्यपथ /घर में कोई पार्टी है या फिर नाश्ते में कुछ चटपटा खाने का मन कर रहा हो तो चिली पनीर आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। चिली पनीर एक स्वादिष्ट इन्डियन-चायनीज व्यंजन है जो स्टार्टर या नाश्ते में परोसा जाता है। तो आइए जान लेते हैं कैसे बनाई जाती है रेस्त्रां स्टाइल चिली पनीर रेसिपी।
चिली पनीर बनाने के लिए सामग्री-
-250 ग्राम पनीर
-1 कटा हुआ प्याज
-4 कटी हुई हरी मिर्च
-1 कटी हुई शिमला मिर्च
-2 कटी हुई हरी प्याज
-1 टी-स्पून बारीक कटा अदरक लहसुन
-2 टी-स्पून अदरक लहसुन पेस्ट
-50 ग्राम मैदा
-2 चम्मच मक्के का आटा
-1 चम्मच चिली सॉस
-1 चम्मच टोमेटो सॉस
-1 चम्मच सोया सॉस
-1/2 चम्मच काली मिर्च पाउडर
-50 ग्राम तेल
-स्वाद अनुसार नमक
-1/2 चम्मच हल्दी
-1 चम्मच गरम मसाला
चिली पनीर बनाने का तरीका-
चिली पनीर बनाने के लिए सबसे पहले एक कटोरे में मैदा, मक्के का आटा लेकर उसमें मिर्च और नमक स्वाद अनुसार डालकर मिलाएं। अब इसमें थोड़ा सा तेल पानी डाल कर इसका गाढ़ा पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में पनीर को चौकोर टुकड़ों में काटकर डालने के बाद उन्हें कुछ देर ऐसे ही छोड़ दें। अब एक पैन लेकर उसमें थोड़ा सा तेल डालकर पेस्ट में लिपटे पनीर को फ्राई करने के बाद पनीर के टुकड़ों को एक अलग बर्तन में निकाल लें।
अब उस तेल में बारीक कटा अदरक, लहसुन, प्याज, मिर्च शिमला मिर्च डालकर थोड़ी देर भून लें। इन्हें भुनने के बाद इसमें सोया सॉस, टोमेटो सॉस, ग्रीन चिल्ली सॉस, मिर्ची पाउडर, अदरक लहसुन का पेस्ट डालकर भून लें। इसमें थोड़ा सा पानी डालकर ग्रेवी को थोड़ी देर पकाएं। अब इसमें फ्राई किए हुए पनीर के टुकड़े डालकर मिक्स कर लें।

खाना खजाना /शौर्यपथ / अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो खाना खाने के बाद मीठा जरूर चखते हैं तो यह रेसिपी आपके लिए परफेक्ट है। जी हां मीठा खाने के शौकीन लोगों को रसमलाई बेहद पसंद होती है। सॉफ्ट रसमलाई बनाने की इस खास रेसिपी में न तो आपको पनीर की और ना ही छैने की जरुरत पड़ेगी। यह रसमलाई झटपट बनकर तैयार हो जाती है और स्वाद में मार्केट वाली रसमलाई से कम नहीं होती। तो आइए जानते हैं कैसे बनाई जाती है ब्रेड रसमलाई।
ब्रेड रसमलाई बनाने के लिए सामग्री-
-8 पीस ब्रेड
-2 गिलास दूध
-कन्डेंस्ड मिल्क
-चीनी
-तलने के लिए देसी घी
-काजू
-बादाम
-पिस्तां
-चिरौंजी
-केसर
-इलायची
ब्रेड रसमलाई बनाने की विधि-
ब्रेड रसमलाई बनाने के लिए सबसे पहले दूध को उबालकर उसमें केसर डालकर दूध को ढक दें। 2-3 मिनट बाद दूध में केसर का रंग आ जाएगा। केसर का रंग दूध में आने के बाद उसे दोबारा गर्म होने के लिए गैस पर रख दें। अब इसमें काजू, पिस्ता ,बादाम ,चिरौंजी डालकर दूध को धीमी आंच पर पकाते हुए इसमें कन्डेंस्ड मिल्क डालें। इसके बाद इसमें चीनी मिलाकर दूध को अच्छे से पकाएं। अब ब्रेड स्लाडइस को कटोरी या ग्लास से गोल-गोल काट लें। अब एक कढ़ाई में देसी घी गर्म करें। इसमें ब्रेड के गोल कटे हुए पीस गुलाबी होने तक सेक लें। अब तले हुए ब्रेड पीस को दूध में डालकर ठंडा होने के लिए फ्रिज में रख दें।

खाना खजाना /शौर्यपथ /समोसे, पकौड़े और खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए इमली और खजूर की चटनी बहुत ही स्वादिष्ट लगती है। आप में से कई लोगों ने इमली-खजूर की चटनी बनाई होगी, लेकिन आज हम आपको इस चटनी को कुछ अलग तरीके से बनाने की रेसिपी बता रहे हैं। आइए, जानते हैं कैसे बनाएं इमली-खजूर की चटनी-
सामग्री :
3 कप इमली
1 कप गुड़
1 कप खजूर ( कटे हुए)
1 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर
2 टीस्पून जीरा पाउडर
नमक स्वादानुसार
3 टेबलस्पून चीनी
4 कप पानी
विधि :
इमली-खजूर की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले मीडियम आंच पर एक बर्तन में पानी गर्म करें।
गर्म पानी में इमली, गुड़ और चीनी डालें।
ऊपर से लाल मिर्च पाउडर, जीरा पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
इसके बाद खजूर डालकर चलाएं और कुछ देर पकाते रहें।
पानी उबालने से इमली नरम हो जाएगी और गुड़ चीनी भी पिघल जाएगी।
अब इमली की गांठ तोड़ लें और करछी से अच्छे से मिलाएं।
खजूर, गुड़, इमली सभी को अच्छी तरह से पकाएं और चाशनी बना लें।
अगर जरूरत हो तो थोड़ा पानी मिला सकते हैं।
चटनी का गाढ़ापन देखते हुए गैस बंद कर दें।
एक बर्तन के ऊपर छलनी को रखें और मिश्रण को इसमें डाल दें ताकी इमली के बीज अलग हो जाए।
3 से 4 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं जब तक आपके पास इसका सूखा गूदा न बच जाए।
तैयार है इमली की स्वादिष्ट चटनी। आप इसे फ्रीजर में 2 महीने तक स्टोर करके भी रख सकते हैं।

सेहत /शौर्यपथ /खूबसूरत निखरी त्वचा पाने के लिए महिलाएं क्या कुछ नहीं करती हैं। महंगे पार्लर से लेकर क्रीम तक ट्राई करने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। ऐसे में अगर आपको 5 ऐसे उपायों के बारे में पता चले जिन्हें रोजाना करने से आपको पार्लर जैसा निखार और रिंकल फ्री स्किन घर बैठे ही मिल जाए तो ? जी हां और ये उपाय हैं ये 5 योगासन जो चेहरे की मसल्‍स को टोन करके आपके चेहरे को प्राकृतिक चमक देने में आपकी मदद करेंगे। आइए जानते हैं इनके बारे में।

हस्त उत्तानासन-
हस्त उत्तानासन करने के लिए सबसे पहले अपनी चटाई पर सीधे खड़े होकर सांस छोड़ें। अब एक श्वास के साथ धीरे-धीरे अपने हाथों को उठाएं और पीछे की ओर झुकना शुरू करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहें।अब सांस छोड़ते हुए इस आसन से बाहर आएं। ध्यान रखें हाई ब्‍लड प्रेशर के रोगियों को इस आसन को करने से बचना चाहिए।

पदानुष्ठान आसन-
पदानुष्ठान आसन करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े होकर श्वास लें। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए नीचे की ओर झुकें और अपने पैरों के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रुकें और श्वास लेते हुए धीरे-धीरे ऊपर आएं। अगर शरीर ज्यादा न झुक पा रहा हो तो उस सीमा तक जाएं, जिसमें आप सहज महसूस करते रहे हो। अब धीरे-धीरे खुद को फर्श को छूने की मुद्रा में लाते हुए अपनी पैर की अंगुली पकड़ें।

शलभासन-
शलभासन करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेटकर अपने पैरों और हाथों को फैलाएं। अब श्वास लेते हुए अपने हाथों और पैरों को उठाएं। इस बात को सुनिश्चित करें कि आप अपने घुटनों और कोहनी को मोड़ नहीं। कुछ समय के लिए इसी मुद्रा में रहें। ऐसा करते समय आप अपने चेहरे पर खून का प्रेशर अनुभव करेंगे। इस योगासन की मदद से दिमाग और चेहरे की तरफ खून का संचार अच्छा होता है।

अधोमुखश्वानासन-
अधोमुखश्वानासन करने के लिए सबसे पहले नीचे की ओर स्वान की तरह झुके। इसे करने के लिए वज्रासन की तरह चटाई पर बैठें। अपने हाथों को इस तरह सामने रखें कि आपकी पीठ फर्श के समानांतर हो।अब अपने पेल्विक एरिया को ऐसे छोड़ें और उठाएं कि आप एक पहाड़ी का आकार बना सकें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहे जब तक आप अपने चेहरे पर खून का प्रेशर महसूस नहीं करते हैं। इस मुद्रा से बाहर आने के लिए अपने घुटनों को मोड़कर वज्रासन में आकर सांस लें और सांस छोड़ें।

धनुरासन-
धनुरासन करने के लिए सबसे पहले अपने पेट के बल लेटकर अपने पैरों को ऐसे मोड़ें कि आप अपनी एड़ियों को पकड़ सकें। अब पेट पर आने वाले दबाव के साथ अपने शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से को अंदर की ओर उठाएं। ऐसा करते समय अपनी सांस को रोकते हुए कुछ देर इसी मुद्रा में रहें। सांस छोड़ें और इस मुद्रा को जारी रखें।

शौर्यपथ / जब बात सेहत का ख्याल रखने की आती है, तो हर व्यक्ति सतर्क हो जाता है। वैसे भी कोरोना काल में हर व्यक्ति अपने सेहत के प्रति जागरूक एंव सावधान हो गया है। लेकिन सेहतमंद जिंदगी के लिए जरूरी है। सही डाइट का होना। किसी भी बीमारी से बचाव के लिए हेल्दी डाइट का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो इसके लिए जरूरी है, बैलेंस्ड डाइट का सेवन करें। इसके साथ ही सुबह की शुरूआत एक ऐसी ड्रिंक के साथ करें जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी हैं। वो क्या है आइए जानते हैं
नींबू और अदरक

नींबू में विटामिन सी पाया जाता है। इससे इम्युन सिस्टम मजबूत होता है, जिससे बीमारियां दूर रहती है। वहीं अदरक में एंटी इन्फ्लेमेट्री गुण पाए जाते है। जिससे पाचन शक्ति दुरूस्त रहती है। इसलिए सुबह की शुरूआत नींबू और अदरक के पानी से जरूर करें।

चुकंदर और तुलसी

चुकंदर स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे विटामिन और मिनरल्स का स्टोर हाउस माना जाता है। वही तुलसी औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके सेवन से आप सेहतमंद रह सकते है। दिल को स्वस्थ्य बनाएं रखने के लिए चुकंदर का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
आंवला, हल्दी और काली मिर्च

आंवला स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद विटामिन सी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और बिमारियों से लड़के की शक्ति देता है। वहीं हल्दी एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाएं जाते हैं। वहीं काली मिर्च में पिपरिन नामक तत्व होता है जो फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है।

टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /घनी पलके आपकी आंखों की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। हर महिला की ख्वाहिश होती है की उनकी आंखें खूबसूरत और बड़ी नजर आए। जिसके लिए हम मेकअप का इस्तेमाल कर अपनी आंखों की पलकों को घना करते है,
लेकिन क्या आप जनाते हैं कि पलकों को लंबा और घना बनाने के लिए आपको मस्कारा या किसी ब्यूटी प्रोडक्ट की जरूरत नहीं है आप अपनी डाइट में कुछ चीजों को शामिल कर अपनी पलको को घना बना सकते है। आइए जानते हैं।
यदि आप अंडे का सेवन करते है, तो इससे आपकी आंखों की पलके लंबी होने लगती है। पलकें शरीर के कैरेटिन से बनती हैं, जिसे एक तरह का प्रोटीन माना जाता है, अधिक अमिनो एसिड वाला खाना खाने से आप शरीर में कैरेटीन की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
ड्राई फ्रूट्स के सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ होते है ये बात हम सभी जानते हैं।
ड्राई फ्रूट्स खाने से आपकी पलकें जल्दी ही लंबी होने लगती हैं। इसलिए इनका सेवन जरूर करें।
पलकों को लंबा बनाने की ख्वाहिश है, तो मशरूम खाना शुरू कर दीजिए। क्योंकि इसके सेवन से आपकी पलके लंबी और घनी होती है।
मशरूम में विटामिन B3 भरपूर मात्रा में होता है जिसे खाने से आपके शरीर का कैरेटीन बढ़ने लगता है। इसलिए मशरूम को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
जिन फलों और सब्जियों में विटामिन सी और विटामिन ए पाया जाता है, उनके नियमित
सेवन से आप घनी पलकें पा सकते है। पलकों को लंबा, घना और मजबूत बनाने के लिए आपको इन फलों का सेवन जरूर करना चाहिए, जिनमें विटामिन ए और सी होता है।
इसके अलावा आप रात में सोने से पहले ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल कर सकती है। इसके लिए आप सोने से पहले चेहरे को वॉश करके अपनी आंखों की पलकों पर ऑलिव ऑयल लगा सकते।

आस्था /शौर्यपथ / भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते थे। वहीं रहकर वे कई जगह आकाश मार्ग से भ्रमण करते थे। इस दौरान विशेष परि‍स्थितियों में जहां भी उन्होंने धरती पर कदम रखे, वहां उनके पैरों के निशान बन गए। भारत में ऐसे कई निशान हैं। भगवान शिव के पैरों के निशान के दर्शन करना अपने आप में अद्भुत अनुभव होता है। आओ, जानते हैं कि कहां-कहां भगवान शिव ने धरती पर अपने कदम रखे। उनमें से कुछ प्रमुख 6 पद चिन्हों के बारे में प्रस्तुत है संक्षिप्त में जानकारी।
1. श्रीलंका में शिव के पद : श्रीलंका में एक पर्वत है जिसे श्रीपद चोटी भी कहा जाता है। अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान इसका नाम उन्होंने आदम पीक रख दिया था। जैसे गोरीशंकर का नाम बदलकर एवरेस्ट रख दिया। हालांकि इस आदम पीक का पुराना नाम रतन द्वीप पहाड़ है। इस पहाड़ पर एक मंदिर बना है। हिन्दू मान्यता के अनुसार यहां देवों के देव महादेव शंकर के पैरों के निशान हैं इसीलिए इस स्थान को सिवानोलीपदम (शिव का प्रकाश) भी कहा जाता है।
यह पदचिन्ह 5 फिट 7 इंच लंबे और 2 फिट 6 इंच चौडे हैं। यहां 2,224 मीटर की ऊंचाई पर स्‍थित इस 'श्रीपद' के दर्शन के लिए लाखों भक्त और सैलानी आते हैं। यहां से एशिया का सबसे अच्छा सूर्योदय भी देखा जा सकता है। ईसाइयों ने इसके महत्व को समझते हुए यह प्रचारित कर दिया कि ये संत थॉमस के पैरों के चिह्न हैं। बौद्ध संप्रदाय के लोगों के अनुसार ये पद चिह्न गौतम बुद्ध के हैं। मुस्लिम संप्रदाय के लोगों के अनुसार पद चिह्न हजरत आदम के हैं। कुछ लोग तो रामसेतु को भी आदम पुल कहने लगे हैं।
सवाल यह उठता है कि इस क्षेत्र में इतने बड़े पद के चिह्न बुद्ध या संत थॉमस के कैसे हो सकते हैं? क्या उनके पैर एड़ी से लेकर अंगूठे या पंजों तक एक सामान्य आदमी के पैरों से पांच गुना बड़े थे?
इस पहाड़ के बारे में कहा जाता है कि यह पहाड़ ही वह पहाड़ है, जो द्रोणागिरि का एक टुकड़ा था और जिसे उठाकर हनुमानजी ले गए थे। श्रीलंका के दक्षिणी तट गाले में एक बहुत रोमांचित करने वाले इस पहाड़ को श्रीलंकाई लोग रहुमाशाला कांडा कहते हैं। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि वह द्रोणागिरि का पहाड़ था। द्रोणागिरि हिमालय में स्थित था। कहते हैं कि हनुमानजी हिमालय से ही यह पहाड़ उठाकर लाए थे, बाद में उन्होंने इसे (रहुमाशाला कांडा) को यहीं छोड़ दिया। मान्यताओं के अनुसार यह द्रोणागिरि पहाड़ का एक टुकड़ा है।
2. थिरुवेंगडू में है रुद्र पद : तमिलनाडु के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्‍वर का मंदिर है, जहां भगवान शिव के पद चिह्न हैं जिसे 'रुद्र पदम' कहा जाता है। यह क्षेत्र नागपट्टिनम जिले में कुम्भकोणम से 59 किलोमीटर, मइलादुतुरै से 23 किलोमीटर और श्रीकाली पूम्पुहार रोड से 10 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
3. जागेश्वर में हैं शिव के पद चिह्न : उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी पर लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में एक ऐसा स्थान है, जहां शिव के पद चिह्न को साक्षात देखा जा सकता है। मान्यता है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तब उनकी इच्छा शिवजी के दर्शन और उनके सान्निध्‍य में रहने की हुई, लेकिन शिवजी कैलाश पर्वत जाकर ध्यान करना चाहते थे। पांडव इसके लिए राजी नहीं हुए। तब शिवजी ने भीम से विश्राम करने के लिए कहा और वे चकमा देकर कैलाश चले गए। जहां से उन्होंने कैलाश के लिए प्रस्थान किया था वहां उनके एक पैर का चिह्न बना हुआ है।
कहते हैं कि उन्होंने अपना दूसरा पैर कैलाश मानसरोवर क्षेत्र में रखा था। हालांकि उस पैर के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वह कहां रखा था। यह निशान करीब 1 फुट लंबा है जिसमें अंगूठे और अंगुलियों के निशान भी स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। यह निशान पत्थर पर काफी गहरा बना हुआ है। जानकार लोग कहते हैं कि एड़ी का यहां दबाव होने के कारण यह पता चलता है कि दूसरा पैर उठा हुआ होगा। जब कोई पैर जोर से रखा जाता है तो पीछे की ओर गहरा निशान हो जाता है।
5,000 वर्ष पूर्व मोक्ष प्राप्ति के लिए पांडवों को शिवजी ने दर्शन दिए थे। भगवान शिव भीम के साथ काफी दिनों तक रहे और वे चाहते थे कि भीम और अन्य पांडव अब चले जाएं लेकिन पांडव जब इसके लिए राजी नहीं हुए तो भगवान शिव उन्हें चकमा देकर कैलाश चले गए थे। पद चिह्न के पास यहां भीम का एक मंदिर बना हुआ है। मंदिर में मूर्ति नहीं है। पहले यहां भीम की मूर्ति होती थी, लेकिन अब वह गायब हो गई या उसे कोई चुरा ले गया? यह कोई नहीं जानता। 8वीं सदी में एक राजा ने यह मंदिर बनवाया था। अग
4. शिव पद चिन्ह थिरूवन्नामलाई : शिव के यह निशान तमिलनाडु राज्य के थिरूवन्नामलाई में एक स्थान पर हैं।
5. रुद्रपद तेजपुर, असम : शिव के पैरों के यह निशान असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में स्थित है। यहां उनके दाएं पैर का निशान है।
6. शिवपद, रांची : झारखंड के रांची में पहाड़ी पर स्थित नाग मंदिर में स्थित है। तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के लिए यह मंदिर आकर्षण का केंद्र हैं जहां श्रावण माह में एक नाग मंदिर में ही डेरा डाल देता हैं। इसे देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
दरअसल, रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलो मीटर की दुरी पर ‘रांची हिल’ पर शिवजी का अति प्राचीन मंदिर स्थित है जिसे की पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर शहीद क्रांतिकारियों से भी जुड़ा हुआ है। पहाड़ी बाबा मंदिर का पुराना नाम टिरीबुरू था जो आगे चलकर ब्रिटिश हुकूमत के समय फांसी टुंगरी में परिवर्तित हो गया क्योकि अंग्रेजों के राज में देश भक्तों और क्रांतिकारियों को यहां फांसी पर लटकाया जाता था।
पहाड़ी बाबा मंदिर परिसर में मुख्य रूप से सात मंदिर है। भगवान शिव का मंदिर, महाकाल मंदिर, काली मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, हनुमान मंदिर और नाग मंदिर। पहाड़ी पर जितने भी मंदिर बने हैं उनमे नागराज का मंदिर सबसे प्राचीन है। माना जाता है की छोटा नागपुर के नागवंशियों का इतिहास यही से शुरू हुआ है। ऐसी मान्यता हैं कि यहां पर शिव ने अपने पैर रखे थे।

आस्था /शौर्यपथ /देशभर में जो ज्योर्तिलिंग है वे सभी स्वंभू है परंतु पत्थर के शिवलिंग के अलावा शिवलिंग कई प्रकार और पदार्थ या धातु से बनाए जाते हैं। शिवपुराण अनुसार भगवान विष्णु ने पूरे जगत के सुख और कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान विश्वकर्मा को अलग-अलग तरह के शिवलिंग बनाकर देवताओं को देने की आज्ञा दी थी। विश्वकर्मा जी ने अलग-अलग पदार्थों, धातु व रत्नों से शिवलिंग बनाए थे। सभी शिवलिंग को पूजने या उचित स्थान पर रखने का महत्व और उद्देश्य अलग अलग है। पारद शिवलिंग देश में कई स्थानों पर विराजित हैं। इसे पारदेश्वर महादेव कहते हैं। आओ जानते हैं पारद शिवलिंग के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. पारद को मरक्यूरी (Mercury) कहते हैं। यह पारा होता है। पारे के बारे में तो प्राय: आप सभी जानते होंगे कि पारा ही एकमात्र ऐसी धातु है, जो सामान्य स्थिति में भी द्रव रूप में रहता है। मानव शरीर के ताप को नापने के यं‍त्र तापमापी अर्थात थर्मामीटर में जो चमकता हुआ पदार्थ दिखाई देता है, वही पारा धातु होता है। पारद शिवलिंग इसी पारे से निर्मित होते हैं। पारे को विशेष प्रक्रियाओं द्वारा शोधित किया जाता है जिससे वह ठोस बन जाता है फिर तत्काल उसका शिवलिंग बना लिया जाता है। यह प्रक्रिया बड़ी ही जटिल रहती है।
देवता, असुर और मानव के लिए अलग-अलग हैं शिवलिंग, जानिए अद्भुत जानकारी
2. पारद शिवलिंग के महत्व का वर्णन ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवेवर्त पुराण, शिव पुराण, उपनिषद आदि अनेक ग्रंथों में किया गया है। रुद्र संहिता में यह विवरण प्राप्त होता है कि रावण रसायन शास्त्र का ज्ञाता और तंत्र-मंत्र का विद्वान था। उसने भी रसराज पारे के शिवलिंग का निर्माण एवं पूजा-उपासना कर शिवजी को प्रसन्न किया था।
3. पारद शिवलिंग अक्सर घर, ऑफिस, दूकान आदि जगहों रखा जाता है।
4. इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुखशांति और सौभाग्य प्राप्त होता हैं।
5. पारद शिवलिंग से धन-धान्य, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा, सुख आदि भी प्राप्त होते हैं।
6. नवग्रहों से जो अनिष्ट प्रभाव का भय होता है, उससे मुक्ति भी पारद शिवलिंग से प्राप्त होती है।
7. पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने से संतानहीन दंपति को भी संतानरत्न की प्राप्ति हो जाती है।
8. 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
9. पारद शिवलिंग बहुत ही पुण्य फलदायी और सौभाग्यदायक होते हैं।
10. पारद शिवलिंग से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

- ग्राम टेड़ेसरा की बालिकाओं ने लोकवाणी सुनी
- राजनांदगांव की श्रीमती रेणुका सोनी एवं श्रीमती रितु सिन्हा ने मुख्यमंत्री से अपनी बातें साझा की

राजनांदगांव / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी को आज विकासखंड राजनांदगांव के ग्राम टेड़ेसरा की बालिकाओं, बुजुर्ग एवं महिलाओं ने सुना। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं की उन्नति और उनकी सूझबूझ का विस्तार बहुत उम्मीद जगाने वाला है। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रदेश में 20 लाख 2 हजार गरीब परिवारों की 1 लाख 85 हजार महिलाएं स्व सहायता समूह से जुड़ गई है और एक से बढ़कर एक कार्य किए जा रहे है। अपनी मौलिकता, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कौशल, और संसाधनों का उपयोग जिस खूबसूरती से कर रहे हैं, उसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम है। वास्तव में आप लोगों ने मातृशक्ति शब्द को सार्थक करके दिखाया है। साढ़े 3 हजार बहने बैंक सखी के रूप में चलता-फिरता बैंक बन गई है। उन्होंने बताया कि महिला स्वसहायता समूह की प्रतिभा, लगन और मेहनत को देखते हुए, नये बजट में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और सी-मार्ट स्टोर्स जैसी नई अवधारणाा को शामिल किया है। छत्तीसगढ़ में छोटी-छोटी पूंजी और थोड़ी-थोड़ी उद्यमिता को मिलाकर एक नई आर्थिक क्रांति का जन्म होगा। यह आर्थिक क्रांति विकास का एक टिकाऊ मॉडल होगा।
विकासखंड राजनांदगांव के मोर मयारू संगी लोक संस्कृति ग्राम टेड़ेसरा के संचालक नरेन्द्र साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत सामान्य जोड़े के लिए सहायता राशि 15 हजार रूपए से बढ़ाकर 25 हजार रूपए और दिव्यांगजनों के लिए 50 हजार रूपए से बढ़ाकर 1 लाख रूपए की है। मुझे यह जानकारी आज मिली और बहुत खुशी हुई। श्रीमती गोमती बाई साहू ने कहा कि बालिकाओं के लिए रोजगार के बहुत अच्छे अवसर है। यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। स्कूल में अध्ययनरत बालिका पूनम कुर्रे ने बताया कि वे डॉक्टर बनाना चाहती हैं और लोकवाणी सुनकर उन्हें अच्छा पढऩे एवं मेहनत करने की प्रेरणा मिली है। वहीं खिलेश देशमुख एवं तिलेश साहू ने बताया कि वे नर्स बनना चाहती हैं। लोकवाणी सुनकर बुजुर्ग माता श्रीमती प्रेमवती साहू, सारिका कंवर, योगिता साहू, मधु साहू साहित अन्य बच्चों ने हार्दिक खुशी जाहिर की।
राजनांदगांव जिले के शीतला मंदिर वार्ड 25 की श्रीमती रेणुका सोनी ने भी अपनी बातें मुख्यमंत्री से साझा की-
श्रीमती रेणुका सोनी ने बताया कि जब वे गर्भवती थी, तब उन्हें खून की कमी थी और उन्हें अपने होने वाले बच्चे की चिंता थी। कोरोना वायरस की वजह से शहर में लॉकडाऊन था और खाने-पीने के सामान के लिए दिक्कत आ रही थी। ऐसे मुश्किल समय में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के माध्यम से आंगनबाड़ी की दीदी हमारे घर तक आकर सुखा राशन देने लगी। जिससे मुझे बहुत राहत मिली और मेरी चिंता दूर हुई। आंगनबाड़ी वाली दीदी समय-समय मेरे घर आकर मेरे स्वास्थ्य की भी जानकारी लेती थी। आपकी इस योजना से मैं लाभान्वित हुई। जिसका परिणाम यह है कि मेरे घर एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ है और मैं स्वस्थ हूं। इसके लिए आपका हृदय से धन्यवाद और आभार कि ऐसे कठिन समय में आपने हम माताओं का ध्यान रखा।
डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम रामपुर की श्रीमती रितु सिन्हा ने मुख्यमंत्री से अपने मन की बात साझा की-
श्रीमती रितु सिन्हा ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से मुझे बहुत फायदा मिला है। उन्होंने बताया कि जब वे गर्भवती थी। तब उन्हें खून की कमी थी। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीदी कोरोना काल में सुखा राशन देती थी। जिससे खून की कमी दूर हुई और एक स्वस्थ्य बच्चे का जन्म हुआ है। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से मेरे घर-आंगन में खुशहाली बिखर गई। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को गाड़ा-गाड़ा बधाई दी।

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