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रायपुर 0/ शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य सरकार लघु वनोपजों और वनौषधियों में वेल्यू एडीशन करने वाले उद्योगों को हर संभव मदद देगी। वेल्यू एडीशन से न केवल वनवासियों को लाभ होगा, अपितु उद्योगपतियों और व्यवसायियों को भी अच्छा फायदा होगा। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय में बस्तर, धमतरी, महासमुन्द, कांकेर, बालोद के उद्योगपतियों और व्यापारियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश उद्योगपति और व्यापारी वर्तमान में लघु वनोपजों की खरीदी करके बड़ी कम्पनियों को सप्लाई करते हैं। यदि वे लघु वनोपजों का वेल्यू एडीशन करें, तो इससे जहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं व्यापारियों को भी अच्छा लाभ होगा और राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वेल्यू एडीशन के लिए आगे आने वाले उद्योगपतियों और व्यापारियों को कोई अड़चन आती है, तो उसे दूर करने के लिए राज्य सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए उद्योगपति और व्यवसायी लघु वनोपज का संग्रह करने वाली समितियों से गुणवत्ता और मूल्य के बारे में चर्चा करें। वेल्यू एडीशन के प्लांट में इन लोगों को काम दें और फिनिशड प्रोडक्ट तैयार कर बड़ी कम्पनियों को दें या व्यापारिक संस्थाओं के माध्यम से इसकी मार्केटिंग कराएं। उन्होंने कहा कि अपनी फैक्ट्री में स्थानीय संग्राहकों को काम दें, इससे उन्हें रोजगार और आय का एक नया जरिया मिलेगा और व्यापारियों को भी लाभ होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत भू-भाग में वन है, यहां लघु वनोपज और वनौषधियां नैसर्गिक रूप से प्रचुर मात्रा मंे पायी जाती हैं। राज्य सरकार द्वारा 31 प्रकार की लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर संग्राहकों के माध्यम से की जा रही है। लाॅकडाउन के दौरान देश का लगभग 99 प्रतिशत लघु वनोपज का संग्रहण एवं खरीदी छत्तीसगढ़ में की गई, इससे वनवासियों को संकट के समय में भी बड़ा आर्थिक संबल मिला है। महिला स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को बड़ी संख्या में रोजगार मिला। तेंदूपत्ता का संग्रहण 4000 रूपए प्रति मानक बोरे की दर पर किया जा रहा है। महुआ का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 30 रूपए किया गया, इससे बाजार में 40 रूपए प्रति किलो पर भी महुआ बिका। लाॅकडाउन में बड़े पैमाने पर मनरेगा के काम प्रारंभ किए गए जिसमें औसतन 26 लाख लोगों को काम मिला। आदिवासियों को मनरेगा और वनोपजों के संग्रहण कार्य के जरिए आय का साधन मिला और वे इन कार्याें में व्यस्त हो गए। राज्य सरकार ने स्थानीय निवासियों के माध्यम से बांस कटाई कराने का फैसला किया और कटाई के रेट भी बढ़ाए, इससे भोपालपट्टनम में 20 साल बाद पहली बार बांस की कटाई हो सकी। बांस से ट्री गार्ड बनवाने का फैसला भी किया गया, स्थानीय लोगों द्वारा 25 हजार बांस से ट्री गार्ड तैयार किए गए, इससे भी उन्हें आमदनी हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों और वनवासियों को सतत रूप से आय का जरिया मिलते रहे, इसके लिए वन विभाग को जंगलों में इमारती लकड़ी की जगह चार चिरौंजी, इमली जैसे लघु वनोपज के वनों का रोपण करने के निर्देश दिए गए हैं। वन अधिकार पट्टा प्राप्त हितग्राहियों की जमीन में भी ऐसे पौधों का रोपण करने को कहा गया है। इन पौधों के बीच इंटर क्राॅपिंग के जरिए हल्दी, अदरक, तिखुर की खेती की जा सकती है। इससे वनवासियों को वर्ष भर आमदनी मिलती रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आंवला और चिरौंजी के वृक्ष को बिना नुकसान पहुंचाए आंवला और चिरौंजी की तोड़ाई के लिए तकनीक विकसित करनी होगी। जिससे इनके वृक्ष भी बचे रहें। उन्होंने कहा कि हर गांव में 3 से 5 एकड़ की जमीन पर गौठान विकसित किए जा रहे हैं, जहां फलदार वृक्षों के साथ-साथ लघु वनोपज और वन औषधियों के पौधे भी लगाए जा रहे हैं। गौठानों को राज्य सरकार आजीविका केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है। व्यवसायी इन केंद्रों से जुड़कर वहां काम कर रहे समूहों की सहायता से प्रोसेसिंग का काम प्रारंभ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गौठान आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में बड़े बदलाव का माध्यम बनेगा। खुले में मवेशी नहीं रहने से किसानों को दोहरी फसल लेने में भी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि गौठानों में पशु पालन और डेयरी का काम भी किया जा रहा है। गौठानों के प्रबंधन एवं संचालक के लिए व्यवसायी एवं उद्योगपति अपने अनुभव एवं ज्ञान से ग्रामीणों की मदद कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों का पहिया चलेगा तो लोगों को रोजगार मिलेगा इस बात का ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में लाॅकडाउन के दौरान लोगों को रोजगार देने की पहल की गई, अप्रैल से उद्योगों को प्रारंभ करने की अनुमति दी गई। इस दौरान छत्तीसगढ़ से देश में लगभग 90 प्रतिशत इस्पात की आपूर्ति की गई। चर्चा के दौरान उद्योगपतियों ने अपनी विभिन्न समस्याओं की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने उन पर गंभीरता पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर सर्वश्री मोहन भाई पटेल, मुकेश ढोलकिया, जीतेन्द्र चंद्राकर, सुरेश जैन, रोशन अग्रवाल, प्रमोद चंद्राकर और दीपक उपाध्याय सहित अनेक उद्योगपति चर्चा में शामिल हुए।
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे,
कुपोषित बच्चों में 13.79 प्रतिशत की आई कमी
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ और विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है। वर्ष 2019 में किये गये वजन त्यौहार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे, इनमें से मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं। इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है। जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है। बहुत ही कम समय में ही कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी का श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व सहित उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है।
छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरूआत की। राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे। इन आंकड़ों को देखे तो प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे। इनमें से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे। इन आंकड़ों को नयी सरकार एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ‘़ की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की है। अभियान की सफलता के लिए इसमें जन-समुदाय को भी शामिल किया गया है।
प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई। दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में लइका जतन ठउर जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया। जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई। इसकी सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अभियान को 2 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में लागू किया। इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है।
एनीमिया प्रभावितों को आयरन पोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जा रही है। प्रदेश को आगामी 3 वर्षों में कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास किये जा रहे हैं।
कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद किया गया है। ऐसी स्थिति में बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन के स्थान पर सूखा राशन वितरित करने की व्यवस्था की गई है। इसके तहत मई माह तक तीन लाख 47 हजार हितग्राहियों को सूखा राशन प्रदान किया गया है। विश्व बैंक ने भी आंगनाबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कोरोना वायरस के नियंत्रण के साथ ही टेक होम राशन वितरण कार्य की प्रशंसा की है। छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे सभी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित भवन में ठहराकर उनके टीकाकरण, आवश्यक दवाई, स्वास्थ्य परीक्षण की पुख्ता व्यवस्था भी की गई है।
कुपोषण प्रभावित बच्चों और महिलाओं को निःशुल्क काउंसलिंग और परामर्श सेंवाएं देने के साथ नियमित मॉनिटरिंग भी की जा रही है। सुपोषण रथ, शिविरों और परिचर्चा के माध्यम से जनजागरूकता के प्रयास भी हो रहे हैं। इसी की एक कड़ी के रूप में एनीमिया के स्तर और स्वास्थ्य सुधार के लिए बस्तर जिले में शुरू किये गए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान और स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत किचन गार्डन बागवानी को पोषण के लिए अनूठी राह बताते हुए यूनिसेफ ने सराहना की है।
दुर्ग / शौर्यपथ / जीवन के सरला रंग जीने के लिए दुर्ग के पूर्व मंत्री व कद्दावर नेता स्व. हेमचंद यादव आज भी दुर्ग की जनता के दिलोमें बसे हुए है . दुर्ग की जनता उनके योगदान को सदैव याद रखेगी . पूर्व मंत्री स्व. हेमचंद यादव के पुत्र जीत यादव भी पिता के विचारों का अनुसरण करते हुए उनकी राह पर चलते हुए सामजिक कार्यो में हमेशा आगे रहते है . कोरोना आपदा के समय भी सामर्थ्य अनुसार गरीब व मजबूर लोगो की मदद की प्रचार प्रसार की दुनिया से दूर पिता के कार्यो का अनुसरण किया .
रक्तदान के दिवस पर जीत हेमचंद यादव ने अपने इसी छोटे से प्रयास को आगे बढ़ाते हुए रक्तदान जैसे पुनीत कार्य का हिस्सा बने . जीत हेमचंद यादव ने कहा कि जीवन का हर क्षण और रक्त का हर कण अमूल्य है। आपका रक्त कई लोगों का जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
आम जनता से अपील करते हुए जीत यादव ने कहा कि आइए, स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के दिन हम संकल्प लें कि स्वयं रक्तदान करेंगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित और जागरूक करेंगे।
दुर्ग / शौर्यपथ / शहर के समग्र विकास के लिए विधायक अरुण वोरा ने लोनिवि द्वारा शहर में बनाए जा रहे 12 अतिरिक्त कोर्ट रूम, पॉलिटेक्निक कॉलेज में छात्र एवं छात्रा हॉस्टल व हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। जिसके अंतर्गत 6 करोड़ की लागत से जिला न्यायालय में 4 मंजिला कोर्ट रूम व मीटिंग हाल, 15 करोड़ की लागत से पॉलिटेक्निक कालेज दुर्ग में 50.50 सीटों वाले सर्वसुविधायुक्त बालक एवं बालिका प्रयास छात्रावास का निर्माण एवं 12 करोड़ से बन रहा हेमचंद यादव यूनिवर्सिटी का प्रशासनिक भवन शामिल है। विधायक वोरा ने कहा कि राज्य शासन द्वारा करोड़ों रु की राशि स्वीकृत की गई है जिससे आने वाले वर्षों में दुर्ग जिला मुख्यालय का स्वरूप बदलेगा।
मेट्रो सिटी की तर्ज पर स्वच्छ सुंदर व सुरक्षित सर्वसुविधायुक्त भवनों का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा पूर्ण किया जाएगा। गौरतलब है कि पोटिया में 9.6 एकड़ के क्षेत्र में विश्वविद्यालय केम्पस का निर्माण के अलावा छात्र छात्राओं की सुविधा को देखते हुए डायनिंग हाल, योगा रूम, लायब्रेरी, यूटिलिटी रूम सहित सर्वसुविधायुक्त प्रयास हॉस्टल का निर्माण भी पॉलिटेक्निक कालेज परिसर में जारी है। जिला न्यायालय में भीड़ के बढ़ते दबाव व न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोगों की मांग पर चार मंजिला कोर्ट लिप्ट सहित पुराने बिल्डिंग से अटैच कर बनाने का कार्य प्रारम्भ किया गया है। निरीक्षण के दौरान महापौर धीरज बाकलीवाल , लोनिवि अभियंता आर के राव मौजूद थे।
भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई इस्पात संयत्र के कार्मिक अपने सृजनशीलता व रचनाधर्मिता से अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। भिलाई के इस्पात बिरादरी के कई नवीनीकृत कार्यों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी धाक जमाई है। इसी कार्यकुशलता का परिचय दिया है बीएसपी के मानव संसाधन विकास विभाग के कार्मिकों ने। एचआरडी विभाग के कार्मिकों ने अपने सृजनशीलता के बल पर विभाग में बंद पड़े लेथ मशीन का आंतरिक संसाधनों से रिनोवेशन कर इसे नया जीवन दे दिया।
श्री दुबे ने किया उद्घाटन
एचआरडी विभाग के इस रिनोवेटेड लेथ मशीन का उद्घाटन सेल-बीएसपी के कार्यपालक निदेशक कार्मिक एवं प्रशासन एस के दुबे ने किया। इस अवसर पर महाप्रबंधक एचआरडी द्वय श्री सौरभ सिन्हा एवं श्री अरविन चंद गोयल तथा उप महाप्रबंधक संजीव श्रीवास्तव सहित विभाग के अधिकारी व कर्मचारीगण बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।
ईडी पी एंड ए ने थपथपाई पीठ
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री दुबे ने इस महत्वपूर्ण कार्य को संपादित करने वाले टीम के सृजनशील सदस्यों की सराहना की। उन्होंने टीम का उत्साहवर्धन करते हुए समूह के प्रत्येक सदस्य को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। साथ ही विभाग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को इस उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में वर्तमान कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसी प्रकार के और भी कार्य किए जायेंगे।
सृजनशील टीम के सदस्य
विदित हो सेल-बीएसपी के मानव संसाधन विकास विभाग में लगे एचएमटी लेथ मशीन में इलेक्ट्रिकल व मेकेनिकल की कई समस्याएँ आ रही थीं। जिसके फलस्वरूप पिछले कई वर्षों से यह मशीन बंद पड़ी थी। इसे पुन: चालू करने का चुनौतीपूर्ण कार्य एचआरडी विभाग के कार्मिक श्री राम निवास शर्मा, वरिष्ठ अनुदेशक (मेकेनिकल); श्री अजय कुमार तिवारी, वरिष्ठ अनुदेशक (मेकेनिकल); के देवराजू, वरिष्ठ अनुदेशक (इलेक्ट्रिकल) एवं संजय सिंह, वरिष्ठ अनुदेशक (स्टोर) की टीम ने हाथ में लिया। इस हेतु रिनोवेशन प्लान बनाया गया और इस एचएमटी लेथ का पुनुरूद्धार कार्य एचआरडी के महाप्रबंधक अरविन चंद गोयल एवं उप महाप्रबंधक संजीव श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया।
आतंरिक संसाधनों से हुई बचत
मानव संसाधन विकास विभाग के इस समूह ने इस लेथ में इलेक्ट्रिकल व मेकेनिकल समस्या का बारीकी से अध्ययन कर उसे आंतरिक संसाधनों के द्वारा ठीक करने में सफलता प्राप्त की। यदि इस लेथ के इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल कार्य को बाजार से करवाया जाता तो बड़ी धनराशि खर्च होती, जिसे एचआरडीडी की कार्यकुशल व समर्पित टीम ने आतंरिक संसाधनों से बिना किसी प्रकार के आर्थिक खर्च किए पूरा कर लिया। साथ ही विभाग और संयंत्र के लिए लागत नियंत्रण की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य किया।
अब जिला पंचायत के पौधरोपण के लिए कर रहीं ट्री गार्ड तैयार
बांस के प्रमोशन और इसे स्वसहायता समूहों के साथ जोडऩे की योजना को दुर्ग जिले में मिल रही सफलता
दुर्ग / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टर कांफ्रेंस के दौरान बांस के प्रमोशन के लिए कार्य करने के निर्देश दिए थे। दुर्ग जिले में बांस के ट्री गार्ड को स्वसहायता समूहों के माध्यम से बनवाकर उनकी आय भी बढाई जा रही है और न्यूनतम लागत में पौध संरक्षण का उद्देश्य भी पूरा हो पा रहा है। यह छोटी सी शुरूआत हुई है लेकिन बांस को लेकर किया जा रहा यह काम बहुत आगे जाएगा क्योंकि बांस को पेड की श्रेणी से हटाकर घास की श्रेणी में लाये जाने से इसके व्यावसायिक दोहन की संभावनाएं काफी बड गई हैं। इससे बांस के पौधे भी लगाए जा सकेंगे और बांस के काम में लगे बंसोड परिवारों को भी लाभ होगा।
सांकरा स्थित आजीविका केंद्र में यह कार्य बड़े पैमाने पर हो रहा है। यहां स्वसहायता समूहों की तीस महिलाएं बांस के ट्री गार्ड बनाने का काम कर रही हैं। वे एक हजार ट्री गार्ड भिलाई नगर निगम को उपलब्ध करा चुकी हैं। यह केवल शुरूआत है। अभी जिला पंचायत द्वारा बडे पैमाने पर पौधरोपण में इनके बनाये गए ट्री गार्ड का इस्तेमाल हो पाएगा। जिला पंचायत द्वारा इन महिलाओं को दस दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था। जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि हमारा लक्ष्य बउे पैमाने पर पौधरोपण करना है। हम सामूहिक फलोद्यान भी तैयार कर रहे हैं तथा अन्य तरह के पौधे लगा रहे हैं। इसमें वृहत्तर लाभ हो और लागत बिल्कुल कम हो, इस उद्देश्य से बांस के ट्री गार्ड उपयोगी साबित हुए। यह प्रकृति का ही उपहार है और प्रकृति में ही काम आ जाएगा। इसके साथ ही बांस के उत्पाद को लेकर महिलाओं की ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। चूंकि शासन के लिए पौधरोपण प्राथमिकता है अत: इन महिलाओं के लिए लगातार आय के अवसर बने रहेंगे। जय मां लक्ष्मी स्वसहायता समूह की अध्यक्ष नीरा सिंगौर ने बताया कि हम लोगों को सेरीखेडी में प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण प्राप्त करते ही हमें काम मिल गया।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष धमधा ब्लाक में भी स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने बडी मात्रा में ट्री गार्ड बनाये जिनका उपयोग हार्टिकल्चर डिपार्टमेंट ने किया था। अच्छा काम मिला, अब प्रकृति को भी सहेजेंगे- प्रशिक्षित होने भी कोई खर्च नहीं करना पड़ता । काम के लिए भी घूमना नहीं पड़ता। काम भी मिल गया और आर्डर भी मिलते चले गए। पहले थो?ा समय लगता था, अब ट्रेंड हो गए तो बहुत जल्दी करने लगे हैं। इतनी तेजी से आर्डर मिलेंगे, सोचा नहीं था।
शौर्यपथ /अगर आप वाईफाई या मोबाइल हॉटस्पॉट का उपयोग करते हैं और आपको लगता है कि कोई अन्य व्यक्ति आपके इंटरनेट डाटा में सेंध लगा रहा है तो मोबाइल एप आपके पहरेदार बन सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही खास एप के बारे में...
वाई-फाई इंस्पेक्टर एप
4.3 रेटिंग वाला यह एप मुफ्त में मौजूद है। इस एप का इस्तेमाल करके यूजर इस बात की जानकारी हासिल कर सकते हैं कि उनके वाई-फाई राउटर या हॉटस्पॉट से कितने लोगों ने अपना डिवाइस कनेक्ट कर रखा है। साथ ही उन डिवाइसों का नाम और उनका मैक एड्रेस भी इसमें दिखाई देगा। एप डेवलपर का दावा है कि यह एप्लीकेशन सभी जानकारी 30 सेकेंड के अंदर बताने में सक्षम है। यह एप एंड्रॉयड 2.3 जिंजरब्रेड ऑपरेटिंग सिस्टम या उससे ऊपर के वर्जन पर काम करता है। यह एप गूगल प्ले स्टोर पर Wifi Inspector नाम से उपलब्ध कराया गया है।
वाईफाई किल एप
वाईफाई किल एप्लीकेशन न सिर्फ दूसरों को वाईफाई हॉटस्पॉट से जुड़ने से रोकने में मदद करता है बल्कि आप किसी पब्लिक वाईफाई का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह उसकी स्पीड बढ़ाने का विकल्प भी देता है। यह एप गूगल प्लेस्टोर पर Free Wifi Kill reference नाम से उपलब्ध है। बता दें कि पब्लिक वाईफाई नेटवर्क में सुरक्षा संबंधित कई खामियां होती हैं। साथ ही वहां से डिवाइस में वायरस आने का खतरा भी ज्यादा होता है। अगर आपके आसपास कुछ लोग पब्लिक वाईफाई का इस्तेमाल करते हैं तो यह एप उन्हें डाटा चुराने से रोकता है। गौर करने वाली बात यह है कि वाईफाई किल सिर्फ रूट किए गए स्मार्टफोन के साथ काम करता है।
फिंग नेटवर्क टूल्स एप
गूगल प्लेस्टोर पर मौजूद Fing - Network Tools एप को अपने स्मार्टफोन या टैबलेट में इंस्टॉल करने के बाद यूजर जान सकते हैं कि आपके राउटर से कितने डिवाइस कनेक्ट हैं। फिंग में ‘मैन्यूफेक्चर’, ‘मैक’ और डिवाइस का आइकन दिखाई देता है। इसमें डिवाइस की हिस्ट्री भी देखी जा सकती है। साथ ही यह भी पता लगा सकते हैं कि कौन सी डिवाइस कब वाई-फाई राउटर से कनेक्ट हुई थी।
आज मोबाइल के बिना किसी का काम नहीं चलता है। मोबाइल ने कई तरह से काम आसान कर दिए हैं, लेकिन यह एक लत के समान भी हो चुका है। लोग फोन का इतना ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं कि अब तो रात को सोते-सोते मोबाइल देखते हैं और सुबह उठते ही पहला काम मोबाइल चेक करना होता है। लेकिन सुबह उठते ही मोबाइल का इस्तेमाल सेहत के लिए अच्छा नहीं है। साथ ही यह और भी तरह से नुकसान पहुंचाता है।
तनाव और चिंता
हमेशा अपने दिन की शुरुआत बिना किसी तनाव और चिंता के शांति से करना बेहतर होता है। अगर सुबह उठते ही मोबाइल हाथ में लिया तो फोन मैसेजेस, ई-मेल्स, रिमांडर, इंस्टाग्राम पोस्ट्स आदि से भरा होता है, जो चिंता और तनाव की वजह बन सकता है। नींद से उठते ही अगर सोशल मीडिया चेक करने लगते हैं तो दिमाग उसी में बंध जाता है और गैर-जरूरी जानकारियों से भर जाता है। दिन की शुरुआत तनाव और चिंता से करना सेहत के लिए ठीक कतई नहीं है।
चिड़चिड़ापन बढ़ता है
सुबह उठते ही मोबाइल फोन चेक करते हैं तो न चाहते हुए भी चिड़चिड़ापन आ जाता है। सुबह के रूटीन की शुरुआत मोबाइल से होने पर स्वभाव में बदलाव आ सकता है। इसका कारण यही है कि सुबह उठकर मोबाइल में अलग कोई ऐसी बात देख ली जो नकारात्मक है तो इसका सीधा असर मूड पर पड़ता है। बात-बात पर गुस्सा आना भी इसकी वजह से हो सकता है।
कार्यक्षमता पर असर
सुबह का पहला काम मोबाइल देखना हो तो नोटिफिकेशन देखने के बाद कई बाद दिमाग उसी विषय में सोचने लगता है। इससे दूसरे काम में मन नहीं लगता और ऐसा होने पर कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
डिप्रेशन की आशंका
रात को सोते समय भी मोबाइल और उठते समय भी मोबाइल देखने वालों के साथ तो स्थिति और खराब हो सकती है। नियमित रूप से ऐसा रूटीन फॉलो करने वाले डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं। इसकी वजह तुलना भी हो सकती है। सुबह उठते ही फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप स्टेटस आदि देख लेने से कई बार लोग तुलना में फंस जाते हैं। दूसरों की जीवनशैली देखकर परेशान हो जाते हैं और खुद से तुलना करने लगते हैं, जिसकी वजह से डिप्रेशन की स्थिति तक आ सकती है।
ये होना चाहिए सुबह का रूटीन
-अगर जरूरी काम न हो तो मोबाइल चेक करने की जगह सुबह की शुरुआत अन्य जरूरी कामों से करें। डॉ. मेधावी अग्रवाल का कहना है कि सुबह की दिनचर्या का व्यक्ति के मेटाबॉलिज्म पर काफी असर पड़ता है। मेटाबॉलिज्म को सही रखना मूड को ठीक करने और पूरे शरीर को ऊर्जावान रखने के लिए बहुत जरूरी है।
-एक अच्छी नींद के बाद सुबह उठने के बाद खाली पेट एक गिलास गर्म पानी में नींबू मिलाकर पिएं। इससे पाचन तंत्र साफ रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। नींबू में मौजूद तत्व मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं।
-व्यायाम को रोज का रूटीन बनाएं। योग, एरोबिक्स, वेट लिफ्टिंग या अन्य व्यायाम जो अच्छा लगता हो।
-मेडिटेशन भी रूटीन में शामिल करने पर दिमाग और मन शांत रहेगा।
-परिवार के साथ बैठकर अखबार पढ़ सकते हैं।
-सुबह की पूरी दिनचर्या करने के बाद ही मोबाइल देखें।
सेहत /शौर्यपथ / गर्मियों के मौसम में पाचन तंत्र की समस्याएं बढ़ने लगती हैं और कई लोगों एसिडिटी के शिकार होते हैं। अधिकांश लोगों को सीन में जलन की शिकायत रहती है। ज्यादातर खाली पेट रहने के कारण यह परेशानी पैदा होती है, क्योंकि खाली पेट रहने से एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है। वैसे तो अदरक खाने से पेट की जलन दूर होती है और रोजाना डाइट में अदरक को शामिल करने से पेट की कई बीमारियां दूर रहती हैं, फिर भी अदरक को सर्दी के मौसम में ही ज्यादा खाने का प्रचलन है। सवाल है कि क्या गर्मी के मौसम में भी इसका इस्तेमाल इतना प्रभावी होता है? ऐसा कोई अध्ययन नहीं है, जो यह कहता है कि अदरक केवल सर्दी के मौसम में ही फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के मुताबिक अदरक की सीमित मात्रा का सेवन करने से व्यक्ति को गर्मियों में भी इसके स्वास्थ्य संबंधी फायदे मिलेंगे।
अदरक में गर्म गुण होते हैं, जो शरीर के तापमान को बढ़ाता है। अदरक पाचन को बेहतर बनाने और कई समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है, लेकिन बड़े अनुपात में इसका सेवन करने से दस्त और लूज मोशन हो सकते हैं। इसलिए गर्मी में अदरक की कम मात्रा उचित है।
अदरक खराब पेट को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह जठरांत्र यानी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की मांसपेशियों को आराम देने में भी मदद करता है और इस तरह यह पेट की गैस और सूजन को रोकने में सहायक भी है। अपच जैसे पेट के विकारों के इलाज के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ अदरक के सेवन की सलाह देते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, कुछ निश्चित पैरामीटर हैं जो अदरक को विभिन्न मामलों में अस्वास्थ्यकर बनाते हैं। ऐसा नहीं है कि अदरक के केवल फायदे हैं। अगर इसे सही तरीके से न लिया जाए तो सेहत को भी नुकसान हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान अदरक का अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है। वहीं डायबिटीज के मरीज जो दवाएं भी ले रहे हैं, अगर वे अधिक मात्रा में अदरक का सेवन करते हैं, तो उनका ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है। जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है उन्हें भी अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए।
ये फायदे भी हैं गर्मी में अदरक की चाय पीने के :
भूख के लिए : गर्मी के मौसम में कम खाना खा पाते हैं, क्योंकि इस मौसम में भूख कम लगने लगती है। इसलिए अगर भूख नहीं लग रही है तो अदरक की चाय भूख बढ़ाने में मदद कर सकती है।
तनाव से राहत देता है : अदरक का तगड़ा स्वाद और इसके हीलिंग गुणों का मतलब है कि अदरक की चाय काम के लंबे और थकाऊ दिन के अंत में प्रभावी ढंग से तनाव का मुकाबला करने में सक्षम है।
वजन घटाने में मदद करता है : वजन कम करने के लिए गर्मियों का मौसम सबसे अच्छा है, क्योंकि इस मौसम में अधिक बार पसीना निकलता है और रोजमर्रा के कार्यों में अधिक ऊर्जा खर्च करते हैं। अदरक की चाय लेंगे तो तेजी से वजन घटाने का फॉर्मूला मिल जाएगा। बस इतना करना है कि फैट बर्न को तेज करने के लिए अपने भोजन से 15 मिनट पहले अदरक की चाय पीनी है।
खाना खजाना /शौर्यपथ /गर्मियों में ठंडे-ठंडे आम खाने का एक अलग ही मजा है, वहीं आम के अलावा मैंगो शेक और मैंगो आइसक्रीम डिशेज को भी लोग काफी पसंद करते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं मैंगो आइसक्रीम बनाने क सबसे आसान तरीका-
सामग्री-
एक कप दूध
3 कप क्रीम
1 कप आम , प्यूरी
1 कप आम , टुकड़ों में कटा हुआ
1 टेबल स्पून कस्टर्ड पाउडर
1 टेबल स्पून वनीला
1 कप चीनी
विधि-
कस्टर्ड को एक चौथाई कप दूध में मिलाकर एक तरफ रख दें।
बाकी बचे हुए दूध और चीनी को एक साथ गर्म कर लें। चीनी को पूरी तरह घुलने दे और इसमें उबाल आने दें।
जब इसमें उबाल आने लगे तो इसमें कस्टर्ड मिश्रण डालकर दोबारा उबाल आने दें, धीमी आंच पर एक मिनट पकाएं आंच बंद कर दें और इसे ठंडा होने दें।
इसमें मैंगो प्यूरी, टुकड़े, क्रीम और वनीला डालें। इसे अच्छे से मिलाकर टाइट ढक्कन वाले कन्टेनर में डालें।
पूरी तरह सेट होने के लिए फ्रिज में रखें, इसे बाहर निकाले और हैंड बीटर की मदद से फेंटे और वापस फ्रिजर में रख दें।
ढक्कन टाइट से बंद किया हुआ होना चाहिए, बर्फ की परत न आने दे। एक बार फिर से फेंटकर वापस फ्रिजर में सेट होने के लिए लगा दें।
खाना खजाना /शौर्यपथ / पकौड़े हो या पिज्जा खाने का जायका टमाटर केचप बढ़ा देता है। मार्केट में आपको कई वैरायटी के केचप मिल जाएंगे लेकिन अगर आप घर पर ताजे टमाटरों से केचप यानी रेड सॉस बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। आइए, जानते हैं आसन रेसिपी-
सामग्री :
1 किलो टमाटर-कटा हुआ लगभग
2 चम्मच कटा हुआ लहसुन
2 बड़े चम्मच चीनी
2 चम्मच नमक या स्वाद के लिए
1 टी स्पून गरम मसाला
1 चम्मच मिर्च पाउडर
2 बड़े चम्मच सिरका
1/4 चम्मच सोडियम बेंजोएट-मिश्रित पानी के साथ
उबला हुआ पानी
विधि :
टमाटर और लहसुन को नरम होने तक एक साथ मिलाएं।
एक सूप छलनी के माध्यम से Strain, करें या मिक्सी में पीसने के बाद भी छान सकते हैं।
इसे फिर से गैस पर चढ़ाएं और चीनी, नमक, गरम मसाला, मिर्च पाउडर और सिरका डालें और गाढ़ा होने तक पकाएं।
गर्मी से दूर, इसे प्रिजर्व करने के लिए इसमें सोडियम बेंजोएट घोल डालें और एयर टाइट कंटेंनर में स्टोर करें।
सेहत /शौर्यपथ / आपको अगर कोई स्नैक्स खाने का मन करता है, तो आप किशमिश खा सकते हैं। स्वाद के साथ सेहत के लिए भी किशमिश एक हेक्दी स्नैक्स माना जाता है। आइए, जानते हैं इसके फायदे-
किशमिश में फॉस्फोरस, कैल्शियम और पोटैशियम पाया जाता है जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है। बच्चों को किशमिश खिलाने से मस्तिष्क को पोषण मिलता है और यादाश्त मजबूत होती है। किशमिश में उच्च मात्रा में फाइबर होता है
कब्ज दूर करती है किशमिश
किशमिश खाने से कब्ज में बहुत फायदा मिलता है। इसे पानी में भिगाकर खाने से कब्ज दूर होती है। अगर आपको कब्ज, एसिडिटी और थकान की समस्या है, तो यह काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से जल्द आपको फायदा नजर आएगा।
खून की कमी दूर करने के लिए
किशमिश में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स पाया जाता है जिससे खून की कमी नहीं होती। आप में अगर खून की कमी है तो आप 7-10 किशमिश का सेवन रोजाना कर सकते हैं।
ब्लड प्रेशर
यदि आपके घर में किसी को उच्च रक्तचाप की समस्या है तो रात को आधे गिलास पानी में 8-10 किशमिश भिगो दें। सुबह उठकर बिना कुछ खाएं किशमिश के पानी को पी लें। आप चाहें तो भीगी हुई किशमिश को खा भी सकते हैं। इससे कुछ दिन में उच्च रक्तचाप की समस्या में आराम मिलेगा।
लिवर को सेहतमंद रखता है
प्रतिदिन किशमिश के पानी का सेवन करना आपके लिवर को सेहतमंद बनाए रखने और उसे सुचारू रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करने का काम भी करता है। साथ ही आपके मेटाबॉलिज्म के स्तर को नियंत्रित करने में भी सहायक है।
वजन बढ़ाने में मददगार
अगर आप अंडरवेट हैं और अपने वजन को बढ़ाना चाहते हैं, तो किशमिश आपकी मदद कर सकती है। किशमिश फ्रुक्टोज से भरपूर होती है, जो शरीर का वजन बढ़ाने में मदद कर सकती है।
खेल /शौर्यपथ / दिल्ली कैपिटल्स के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन का मानना है कि टीम पहले की तुलना में काफी मजबूत है और आईपीएल का खिताब जीतने के बेहद करीब है। शिखर को दिल्ली ने पिछले साल अपनी टीम में शामिल किया था और उन्होंने आईपीएल के पिछले सत्र में 16 मैचों में 521 रन बनाए थे। शिखर पहले सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलते थे। 34 साल के शिखर ने कहा, “कुछ सालों बाद दिल्ली की टीम में वापस आना सुखद है। दिल्ली हमेशा मेरा घर रहा है और दिल के काफी करीब रहा है।''
उन्होंने कहा, ''मेरे ख्याल से टीम पहले की तुलना में काफी मजबूत है और आईपीएल जीतने के काफी करीब है। मुझे यकीन है कि हम जल्द आईपीएल का खिताब जीतेंगे और प्रशंसकों को ट्रॉफी देंगे। वे इसके हकदार हैं, क्योंकि हमारे प्रशंसक हमेशा टीम का समर्थन करते हैं।”
परिवार वालों के साथ समय बिताकर इसे अवसर में बदल रहा हूं
कोरोना के कारण लॉकडाउन में क्रिकेट गतिविधियां ठप्प पड़ी हुई है और ऐसे में खिलाड़ी घरवालों के साथ समय बिता रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं महामारी के दौरान परिवार वालों के साथ समय बिताकर इसे अवसर में बदल रहा हूं। वह ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं और मुझे उनसे मिलने का काफी कम समय मिलता है, क्योंकि मुझे लगातार यात्रा करनी पड़ती है।”
मैदान पर वापसी के लिए इंतजार नहीं कर पा रहा
बल्लेबाज ने कहा, “मुझे खुशी है कि मैं अपने परिवार के साथ समय बिता रहा हूं और उनके करीब आ रहा हूं। हालांकि मैं दोबारा मैदान पर वापसी के लिए इंतजार नहीं कर पा रहा हूं। लेकिन इसके साथ ही मैं इस बात से दुखी नहीं हूं कि मैं घर में समय व्यतीत कर रहा हूं।”
अब खेलते समय कैमरे की तरफ देखकर जश्न मनाऊंगा
खाली स्टेडियम में खेलने के सवाल पर शिखर ने कहा कि दर्शकों के बिना खेलने से क्रिकेट बिल्कुल बदल जाएगा। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि दर्शकों के बिना खेलने से क्रिकेट बदल जाएगा। उदाहरण के तौर पर मैं खेलते समय कैमरे की तरफ देखकर जश्न मनाऊंगा, जिससे प्रशंसक मुझे टीवी पर देखें।”
कई बार चोट के कारण टीम से बाहर होना पड़ा
लंबे समय तक भारतीय टीम में शामिल रहने के बावजूद कई बार उन्हें चोट के कारण टीम से बाहर होना पड़ा है, लेकिन शिखर का मानना है कि सकारात्मक रहने से मुझे मदद मिली है। शिखर ने कहा, “मेरी इच्छाशक्ति बहुत मजबूत है और चोट से मुझे दुख नहीं होता। मैं हमेशा सकारात्मक रहता हूं क्योंकि यह आपको सुधार लाने में मददगार होता है। मुझे लगता है कि जरुरी है क्योंकि आपको अपने ऊपर भरोसा करना होता है।”
हम एक-दूसरे को अंडर-19 के दिनों से जानते हैं
रोहित शर्मा के साथ ओपनिंग करने पर उन्होंने कहा कि उन्हें रोहित के साथ संवाद करने में आसानी होती है। उन्होंने कहा, “हम एक-दूसरे को अंडर-19 के दिनों से जानते हैं और मैदान के अंदर तथा बाहर हमारी अच्छी दोस्ती है। उनके साथ संवाद करने में मुझे आसानी होती है, जिसका फायदा मैदान पर होता है। बल्लेबाजी करते वक्त अगर मुझे परेशानी होती है तो मैं उनसे बात करता हूं।”
भारतीय टीम एक परिवार की तरह
सलामी बल्लेबाज ने कहा, “सिर्फ मैदान पर ही नहीं बल्कि मैदान के बाहर भी ओपनिंग साझेदार और टीम के खिलाड़ियों के साथ बेहतर रिश्ते बनाए रखना जरुरी है। भारतीय टीम एक परिवार की तरह है। हम लगातार साथ में यात्रा करते हैं। करीब साल में 200 दिन साथ में रहते हैं, इससे एक दूसरे के साथ रिश्ते बनाने में आसानी होती है।”
आईसीसी टूर्नामेंट में शानदार रिकॉर्ड पर शिखर ने कहा, “हम इन टूर्नामेंटों के लिए अलग से तैयारी नहीं करता। मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने विश्वकप और चैंपियंस ट्रॉफी से पहले अपनी लय प्राप्त की। एक खिलाड़ी होने के नाते मैं प्रतिदिन खुद को तैयार करता हूं और हर दिन अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं। मुझे बेहद खुशी होती है कि मैं बड़े टूर्नामेंटों में टीम के लिए बेहतर प्रदर्शन कर पाता हूं।”
मनोरंजन / शौर्यपथ / कोरोना वायरल और लॉकडाउन में होने की वजह से फिल्म मेकर्स का अब OTT प्लेटफॉर्म्स पर अपनी फिल्में रिलीज करने का सिलसिला जारी है। फिल्म गुलाबो सिताबो के बाद अब विद्या बालन स्टारर फिल्म शकुंतला देवी बायोपिक का प्रीमियर अब सिनेमाघरों के बजाए अमेजन प्राइम वीडियो पर होने जा रहा है। इस फिल्म में विद्या, ह्यूमन कंप्यूटर मानी जाने वाली गणितज्ञ शकुंतला देवी के रोल में नजर आएंगी। खबरों की मानें तो शकुंतला देवी की रिलीज़ डेट भी फाईनल कर ली गई है। ये फिल्म 31 जुलाई को रिलीज़ हो रही है। हालांकि रिलीज डेट को लेकर फिल्म मेकर्स की तरफ से अभी तक कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया है।
आपको बता दें कि हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो ने इस बात का ऐलान कर बताया था कि शकुंतला देवी बायोपिक को 200 देशों और क्षेत्रों के खास मेम्बर्स के लिए विशेष रूप से प्रीमियर किया जाएगा।
बता दें कि ये फिल्म शकुंतला देवी के जीवन पर आधारित है, जो सेकंड के भीतर अविश्वसनीय रूप से कठिन से कठिन सवाल को चुटकी में सुलझा लेने के लिए प्रसिद्ध है। इस फिल्म में विद्या बालन संग सान्या मल्होत्रा ने भी काम किया है। सान्या इस फिल्म में शकुंतला देवी की बेटी की भूमिका निभाती हुई नजर आएंगी। साथ ही अमित साध और जिस्शु सेनगुप्ता भी अहम भूमिका में नजर आएंगे। शकुंतला देवी बायोपिक का निर्देशन अनु मेनन ने किया है और इसे लिखा भी उन्होंने ही है। इस फिल्म को सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स प्रोडक्शंस और विक्रम मल्होत्रा ने प्रोड्यूस किया है। कहानी को अनु मेनन और नयनिका महतानी ने लिखा है, जबकि डायलॉग इशिता मोइतरास ने लिखे हैं।