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रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि लगातार 15 साल भष्टाचार और कमीशनखोरी में डूबे रहे भारतीय जनता पार्टी के नेता अब तक अहंकार और आत्ममुग्धता की अवस्था से बाहर ही नहीं आ पा रहे है! तथ्यहिन और आधारहीन बयानबाजी करके वर्चुअल दुनिया में जीने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता अब वर्चुअल रैली का सहारा लेने की बात कर रहे हैं! असल बात यह है कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ना केवल प्रदेश के जनता का विश्वास खो चुकी है बल्कि अब भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता भी भारतीय जनता पार्टी पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
वर्मा ने कहा है कि विगत विधानसभा चुनाव 2018 के समय भारतीय जनता पार्टी के आंकड़ों के अनुसार ही छत्तीसगढ़ में लगभग 57 लाख मिस्ड कॉल कार्यकर्ता थे लेकिन भारतीय जनता पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव में केवल 40 लाख वोट प्राप्त हुए! अब विष्णुदेव साय ने नए सदस्य जोड़ने के बाद 30 हज़ार लोगों को वर्चुअल रैली में शामिल करने का लक्ष्य रखा है!
विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर सिमटनें के बाद लगातार दो उपचुनाव में भी करारी शिकस्त मिली! नगरी निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया! लगातार खिसकते जनाधार से भारतीय जनता पार्टी के नेता मानसिक दिवालियेपन की अवस्था में पहुंच चुके हैं! नान और धान घोटालो के गुनाहगारों को छत्तीसगढ़ की जनता जान भी चुकी है और समझ भी चुकी है! अंतागढ़ में लोकतंत्र का गला घोटने वाले असल गुनहगार भी बेनकाब हो चुके हैं! प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली के जिम्मेदारों को भी छत्तीसगढ़ की जनता ने पहचान लिया है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि 15 साल के कुशासन और 15 महीने के सुशासन में यह स्पष्ट हो चुका है की कौन सी सरकार जो 2100/- समर्थन मूल्य और ₹300/- बोनस के नाम पर लगातार किसानों से वादाखिलाफी करती रही और कौन सी सरकार है जिन्होंने न केवल तत्काल किसानों की ऋणमाफी की, बल्कि तमाम व्यवधानों और अड़ंगों के बीच धान का समर्थन मूल्य भी पूरे देश में सर्वाधिक ₹2500/- प्रति क्विंटल देने का काम किया है! आदिवासी परिवार को जर्सी गाय, किसानों को 5 एचपी के बिजली बिल माफ जैसे भाजपा के तमाम वादे केवल वचनपत्र तक ही सीमित रहे! वही डेढ़ साल के भीतर कांग्रेस द्वारा किए गए 36 में से 22 बड़े वादे पूरे कर भूपेश सरकार ने जनता का विश्वास जीता है!
आपदा काल में भी भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता कहीं भी जनता की सुविधा और मदद के लिए काम करते हुए नहीं दिखे! जनता के केयर की चिंता के बजाय भाजपा नेताओं को पीएम के केयर फंड की अधिक चिंता रही! आपदा काल में श्रमिकों की दुर्दशा, भूख और थकान के असल गुनाहगार केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेता अब उनसे माफी मांगने के बजाय कोरोना संक्रमण के लिए इन्हें ही जिम्मेदार ठहराने लगे हैं!
भाजपा अध्यक्ष द्वारा प्रदेश वापस लौटे श्रमिकों को छोटा आदमी कहां जाना भारतीय जनता पार्टी के पूंजीवादी मानसिकता को प्रमाणित करता है! असलियत यह है कि भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ताओं और स्थानीय जनाधार वाले नेताओं के हक का गला घोटने की प्रवृत्ति चरम पर है!
रमन सिंह के दागी चेहरे को छत्तीसगढ़ की जनता के साथ ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी पहचान लिया है और इसी लिए सीधे तौर स्वीकार करने से बच रही है! रामविचार नेताम, ननकीराम कंवर, कृष्णमूर्ति बांधी, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, विजय बघेल, प्रेम प्रकाश पांडे और केदार कश्यप जैसे नेताओं की उपेक्षा कर विष्णुदेव साय को अध्यक्ष बनाना भाजपा के अधिनायकवादी और पूंजीवादी मजबूरी को प्रमाणित करता है! छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी का रिमोट कंट्रोल रमन सिंह के हाथ में ही बनाए रखना भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की मजबूरी को ही साबित करता है!
आपदा के दौरान छत्तीसगढ़ के भारतीय जनता पार्टी के नेता, जनता की मदद करने के बजाय ग़लत बयानी कर उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं! प्रदेश के सीएसआर फंड विभिन्न माध्यमों से प्राप्त दान और सहयोग राशि के साथ ही भाजपा के सांसदों के वेतन और सांसद निधि का पैसा भी राज्य के हक को बाईपास करके इनके द्वारा पीएम केयर फंड में जमा कराया गया।
दुर्ग / शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस महामंत्री जितेन्द्र साहू ने बेेमेतरा जिले का दौरा कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्होंने सर्वप्रथम बेेमेतरा पहुंचकर मां भद्रकाली का आशीर्वाद प्राप्त किया फिर कांग्रेस भवन पहुंचकर जिला संगठन का प्रभार संभाला। अपने बेमेतरा प्रवास के दौरान प्रदेश कांग्रेस महामंत्री जितेन्द्र साहू ने जिलाधीश से मुलाकात की। इस दौरान कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए जा रहे प्रशासनिक उपायों और बाहर से आ रहे मजदूरों के बारे में उन्होने जानकारी ली। जिलाधीश को श्री साहू ने बेमेतरा में नये कांग्रेस भवन निर्माण हेतु जमीन आबंटन का प्रस्ताव सौंपा और किसानों को समय पर बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की ओर ध्यानाकर्षण कराया।
साहू ने कांग्रेस भवन पहुंचकर जिला अध्यक्ष समेत सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से संगठन की गतिविधियों के बारे में चर्चा की। इस दौरान विधायक आशीष छाबड़ा की मौजूदगी में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और पूर्व मंत्री डीपी धृतलहरे को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। पदाधिकारियों से चर्चा करते हुए जितेन्द्र साहू ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सर्वे में जनता की संतुष्टि के पैमाने पर देश में दूसरे क्रम में आने को गौरवशाली क्षण बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री बघेल के नेतृत्व में प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों विशेषकर मनरेगा के हत चल रहे कार्य की सराहना की। इसके अलावा बेमेतरा जिले में मंत्री रविन्द्र चौबे एवं विधायकद्वय, आशीष छाबड़ा व गुरुदयाल सिंह बंजारे के नेतृत्व में जनभावना के अनुरुप विकास की तेज रफ्तार की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की। बेमेतरा प्रवास के दौरान श्री साहू के साथ समाजसेवी मोन्टू तिवारी भी शामिल थे।
दुर्ग / शौर्यपथ राजनीती लेख / राजेन्द्र साहू दुर्ग का जाना पहचाना नाम . कांग्रेस के बड़े नेताओ में राजेन्द्र साहू की गिनती होती है . प्रदेश कांग्रेस सरकार के मुखिया के करीबी माने जाने वाले राजेन्द्र साहू का दुर्ग के युवा वर्ग में खासी पकड है . राजेन्द्र साहू वर्षो से कांग्रेस के सक्रीय कार्यकर्ता और संगठन में कई पदों पर कार्य कर चुके है . मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र पतन का प्रभारी पद का बखूबी निर्वहन कर चुके राजेन्द्र साहू वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस में महामंत्री के पद पर है . इन दिनों राजेन्द्र साहू केंद्र की नीतियों का विरोध करने में दुर्ग कांग्रेस के बड़े चेहरे बन गए है .
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने हुए ढेढ़ साल हो गया किन्तु राजेन्द्र साहू संगठन की राजनीती में ही समय देते रहे किन्तु पिछले कुछ दिनों से लगातार मिडिया के माध्यम से राजेन्द्र साहू लगातार केंद्र की मोदी सरकार की जनहित विरोधी नीतियों का लगातार विरोध कर रहे है और खबरों में छाए हुए है क्या सोशल मिडिया क्या प्रिंट मिडिया क्या इलेक्ट्रोनिक मिडिया हर क्षेत्र में लगातार कांग्रेस की तरफ से दुर्ग शहर में कांग्रेस की मुखर आवाज़ बन कर उभरे है .
राजेन्द्र साहू के यु अचानक सक्रीय होने से दुर्ग कांग्रेसियों सहित भाजपा में भी चर्चा का विषय है . वैसे तो वर्तमान में भिलाई निगम , रिसाली निगम ,और जामुल निगम में ही चुनाव होने वाले है किन्तु देखा जाए तो इन तीनो निकाय के किसी पद की दौड़ में राजेन्द्र साहू कही नहीं नजर आते . वही चर्चा का विषय है कि क्या ये भविष्य की तैयारी तो नहीं .
मुझे अच्छे से याद है कि २०१५ में जब हाल ही में छत्तीसगढ़ के विधान सभा चुनाव संपन्न हुए थे और प्रदेश में भाजपा की सरकार तीसरी बार बनी थी और मुख्यमंत्री बघेल तब नए प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाले थे और राजनंदगांव के घुमका क्षेत्र में सभा ली थी उसी सभा में उनके द्वारा इस आक्रामक तरीके से कांग्रेसियों का उत्साह वर्धन किया था मानो चुनाव ४ साल बाद नहीं चार दिन बाद हो . पद सँभालते ही तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने जिस तरह से पुरे छत्तीसगढ़ में सभाए लेनी शुरू कर दी थी और कार्यकर्ताओ को ऐसे तैयार कर रहे थे जैसे चुनाव अगले माह हो प्रदेश अध्यक्ष बनते ही तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान मुख्यमंत्री बघेल ने आक्रामकता के साथ प्रदेश सरकार के खिलाफ राजनितिक जंग का बिगुल बजा दिया था और उसी का परिणाम २०१९ की विधान सभा में कांग्रेस की बम्फर जीत का तोहफा था .
कुछ ऐसा ही नजारा आज उनके राजनैतिक शिष्य राजेन्द्र साहू में देखने को मिल रहा है . शहर में चर्चा का विषय है कि भविष्य में प्रदेश कांग्रेस द्वारा राजेन्द्र साहू को कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है . राजेन्द्र साहू वर्तमान में दुर्ग संसदीय क्षेत्र के एक ऐसे कांग्रेस नेता है जो आम जनता सहित संगठन की नजर में सौम्य , सहज , सरल और निर्विवाद नेता के तौर पर जाने जाते है .दुर्ग के और उनके जानने वाले कहते है कि राजेन्द्र साहू ने राजनितिक जीवन में अभी तक सिर्फ व्यक्ति ही कमाए है जो उनके समर्थक के रूप में जाने जाते है विरोधी भी उनके व्यवहार की तारीफ़ करते है . खैर राजनीती में एक पल में कौन कहा पहुँच जाए कुछ कहा नहीं जा सकते किन्तु वर्तमान में यही चर्चा है राजनितिक हलको में कि भविष्य में राजेन्द्र साहू को कोई महत्तवपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है .
ना सोशल डिस्टेंसिंग, ना सैनिटाइजिंग, ना थर्मल स्कैनर अनियंत्रित भीड़ के कारण कोरोनासंक्रमण को आमंत्रण दे रहा नगर निगम दुर्ग
भाजपा नेताओं को मजदूरों की रोटी की नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक रोटी की चिंता है
घर में बैठेकर भाजपा के नेता मजदूरों के नाम से मात्र राजनीति कर रहे हैं-कांग्रेस
रायपुर / शौर्यपथ / क्वॉरेंटाइन सेंटर के नाम से बयान बाजी कर रहे भाजपा नेताओं को कांग्रेस ने तीखा जवाब दिया प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लॉक डाऊन वन में ही मजदूरों के लिये स्पेशल ट्रेन चलाने उनके सकुशल घर वापसी कराने की मांग मोदी भाजपा की सरकार से किए थे।उस दौरान छत्तीसगढ़ भाजपा के नेता सांसद और विधायक मजदूरों के मसले में मौन रहकर अप्रत्यक्ष रूप से मजदूरों के घर वापसी के विरोध में ही खड़े थे।लॉकडाउन वन में ही मजदूरों की सकुशल घर वापसी सुनिश्चित हो जाती तो छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में कहीं भी क्वॉरेंटाइन सेंटर प्रवासी मजदूरों के नाम से बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।प्रवासी श्रमिको को मोदी सरकार के अमानवीय व्यवहार,असंवेदनशीलता और यातना प्रताड़ना झेलना नहीं पड़ता।
घर वापसी के प्रयास में मजदूरों की भूख, प्यास ,तबियत बिगड़ने और दुर्घटनाओं में मौत नहीं होती।मजदूरों के मासूम बच्चे गर्भवती महिलाओं को कोसो दूर बिना जूता चप्पल नंगे पांव सड़को पर भटकना नही पड़ता। महामारी आफ़तकाल में मोदी सरकार के लापरवाही गैरजिम्मेदाराना रवैया हठधर्मिता जिद्द के चलते देशभर में 600 से अधिक मजदूरों की अकाल मृत्यु हुई है।किसी बच्चे ने अपने पिता को खोया तो किसी वृद्ध माता पिता ने पुत्र को तो कोई सुहागन ने अपने मांग की सिंदूर को खोया है इस सब के लिए कोई जिम्मेदार है तो मोदी भाजपा की सरकार जिम्मेदार है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ भाजपा के नेता वातानुकूलित कमरों में बैठकर क्वॉरेंटाइन सेंटर के विषय में बयानबाजी कर रहे हैं मजदूरों के नाम से घड़ियाली आंसू बहाकर राजनीति रोटी सेक रहे हैं भाजपा के नेताओं को मजदूरों की रोटी की चिंता होती तो मोदी सरकार से मजदूरों के खातों में तत्काल 10000 जमा कराने की गुजारिश करते और न्याय योजना शुरू कर आने वाले 6 माह प्रत्येक आर्थिक रूप से अक्षम परिवार को 7500 मासिक देने की गुहार लगाते।असल मे भाजपा नेताओं को मजदूरों की नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक रोटी की चिंता है। मजदूरों के भूख प्यास में भी भाजपा नेता राजनीतिक अवसर तलाश रहे हैं। मोदी के आपदा में अवसर का मंत्र भाजपा नेता प्रयोग कर रहे हैं।आपदा संकट में फंसे मजदूरों को मदद करने के बजाय मात्र राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार निरंतर प्रवासी मजदूरों और छत्तीसगढ़ के सभी वर्गों की चिंता कर रही है।
छत्तीसगढ़ में आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालन करने संकटकाल में 30 हजार करोड़ की राहत पैकेज की मांग मोदी सरकार किये हैं।जिसका विरोध भाजपा के नेता कर रहे हैं। इसे स्पष्ट हो गया कि भाजपा के नेताओं को छत्तीसगढ़ के किसान मजदूर गृहणी व्यापारी छात्रों की चिंता नहीं है बल्कि भाजपा नेता इनको दुःखी रखकर इनके कष्ट इनके तकलीफ के नाम से मात्र राजनीति करना चाहते हैं ।
रायपुर / शौर्यपथ / वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने कहा की “एक देश - एक बाजार” के नारे के साथ केंद्र सरकार किसानों व राष्ट्र का सत्यानाश करने की दिशा में बढ़ चुकी है। जिस तरह वो एक के बाद एक गैर जवाबदाराना निर्णय लेती जा रही है तथा उसे सत्तर सालों की गलती के सुधार के रूप में प्रस्तुत कर रही है यह बहुत घातक है।
बिस्सा ने बताया की केंद्र सरकार की कैबिनेट के निम्न निर्णय –
1. कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य संवर्धन एवं सहायता अध्यादेश 2020 को मंजूरी दी है। इसके तहत किसान, व्यापारी, अनाज, तेल, तिलहन, दाल, आलू, प्याज इत्यादि का अनलिमिटेड स्टॉक कर सकेंगे।
2. आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन को मंजूरी दी है जिससे अनाज दलहन आलू प्याज सहित विभिन्न खाद्य वस्तुओं को नियमन के दायरे से बाहर किया जा सके। किसान एक्सपोर्ट कर सकेगा। जितना चाहे स्टोर कर सकता है।
यह दोनों निर्णय केंद्र सरकार की कैबिनेट ने बहुत हल्के से ले लिये है जो हानिकारक है। अगर उन्होने जानबूझ कर निर्णय लिया है तो यह “राष्ट्र-द्रोही” कदम है और अगर अनजाने में ले लिया है तो यह “राष्ट्र-घाती” कदम है। बिस्सा ने कहा की इन निर्णयों का दीर्घकालीन दुष्प्रभाव यह होगा की आने वाले समय में हमारा पूरा कृषि क्षेत्र देशी व विदेशी निजी निवेशकों का गुलाम बन कर रह जायेगा। किसान मजदूर बनकर रह जायेगा। उसकी स्थिति बदतर बने रहेगी तथा आम जनता मंहगे में कृषि उत्पाद खरीदने को मजबूर हो जायेगी। देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रभावित हो जायेगी।
एक ओर नीति आयोग तक स्वीकार कर चुका है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता। यह समाचार हम देश के विभिन्न कोनों से सुनते भी रहते हैं। जब सरकारी नियंत्रण के बाद भी यह हाल हैं तो दलालों को सरकारी छूट मिल गयी तो किसानों का क्या होगा सोचा जा सकता है।
बिस्सा ने कहा की निजी खरीदारों द्वारा भारी मात्रा में जमाखोरी किए जाने व मुनाफे के लिये अधिकांश अन्न निर्यात किये जाने दशा में सरकारी खाद्य भंडारण और खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो जायेगी। आज फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया के पास 524 लाख टन का अन्न भंडार है। जो आपदा से बचने का बहुत बड़ा साधन है। यदि निजी खरीददारों के हाथों में अन्न चला गया तो भविष्य में अकाल, महामारी जैसी स्थितियों में अनाज की आपूर्ति की स्थिति बहुत विषम हो सकती है।
बिस्सा ने कहा की केंद्र सरकार से देश की अर्थव्यवस्था संभालने में चूक हो चुकि है जिसका खामियाजा देश भुगतने की स्थिति में आ चुका है। अच्छा यह होगा की अब वह बिना हड़बड़ाये धैर्य के साथ सभी पक्ष विपक्ष के लोगों व अर्थशास्त्रियों से व्यापक चर्चा कर निर्णय लें जिससे देश की व्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिले।
दुर्ग । शौर्यपथ । मध्य ब्लॉक कांग्रेस कमेटी दुर्ग के अध्यक्ष व पूर्व पार्षद अलताफ अहमद ने बयान जारी कर कहा कि मोदी सरकार का 6 वर्ष का कार्यकाल सिर्फ हवा हवाई व जुमलेबाजी से भरा हुआ निराशा जनक जनता की अपेक्षाओं उम्मीदों पर पानी फेरने वाला रहा।प्रधानमंत्री के साथ साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी सिर्फ घोषणाओं तक ही सीमित रहें हैं अपनी की गई घोषणाओं को धरातल पर लाने में रुचि नही दिखाये जिससे देश की जनता को लाभ नही मिला।मोदी सरकार की नाकामियों को बताते हुए अलताफ अहमद ने कहा कि मोदी सरकार में नोटबंदी सबसे बड़ा घोटाला हुआ जिसने देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ दिया लोगों को लाइन में खड़ा कर लोगों की जेब से उनकी मेहनत की कमाई निकाल ली और आदमी सम्हलता उसके पहले जीएसटी लगाकर छोटे बड़े उद्योगों के व्यापारियों को जम का करंट देकर काम धंधा बन्द करने पर मजबूर कर दिया।कहां गये मोदी सरकार के पूर्व में किये गए मंहगाई कम करने,पेट्रोल डीजल के दाम कम करने,भ्रष्टाचार मिटाने,कालाधन वापस लाने,प्रतिवर्ष 2 करोड़ बेरोजगार को रोजगार देने की बात कही गई थी पर सत्ता में आने के बाद यह सब जुमला ही रहा काम किसी पर नही हुआ जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है।प्रधानमंत्री ने ऐसे सैकड़ों जुमलेबाजी को आगे बढ़ाते हुए देश को 50 साल पीछे कर दिया।कांग्रेस ने रेल,सेल,बी एस एन एल,एयरपोर्ट,बनाये उन्हें और विकसित करने के बजाये उन्हें अपने चहेते उद्योगपति मित्रों को निजीकरण की आड़ में बेचा जा रहा है। अलताफ अहमद ने कहा की पूरा देश कोरोना जैसी गंभीर महामारी से जूझ रहा है उससे निपटने के लिये केंद्र सरकार के पास कोई सकारात्मक योजना नहीं है आज जो व्यवस्था हो राज्यों की सरकारें ही अपने अपने स्तर पर कर रही है।केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से लाखों प्रवासी मजदूर जिसमें बड़े बूढ़े,नौजवान, महिलाएं अपने बच्चों के साथ अपने घरों को जाने भूखे प्यासे हजारो किलोमीटर पैदल ही निकल गए जिसमें 80 से भी ज्यादा प्रवासी मजदूरों की रास्तो में ही मौत हो गई और मोदी सरकार तमाशबीन रही 20 लाख करोड़ का झुनझुना पकड़ा दिया और ये नही बताया कि इन राशियों का लाभ कब और कितना देश के लोगों को मिलेगा। 12 करोड़ से भी ज्यादा लोग बेरोजगार क्यों हुए ,गरीबों के खाते में प्रतिमाह 7500 रु.कब डालोगे,चीन भारत की सीमा पर बवाल क्यों कर रहा वहीं नेपाल ने भारत के कुछ हिस्से अपने नक्शे में क्यों दिखाया इससे यह साबित होता है कि मोदी सरकार की विदेश नीति भी फेल हो गई है। मोदी सरकार जनता के सब्र का इम्तिहान न ले नही तो वक्त आने पर देश की भोली भाली जनता ऐसा जवाब देगी की मोदी सरकार फर्श पर ऐसा आएगी की फिर उठ न सकेगी ।